UP Board Class 10 Economics | भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
UP Board Solutions for Class 10 sst Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
अध्याय 2. भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर
(क) एन०सी०ई० आर०टी० पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1. कोष्ठक में दिए गए सही विकल्प का प्रयोग कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए―
(क) सेवा क्षेत्रक में रोजगार में उत्पादन के समान अनुपात में वृद्धि………। (हुई
है/नहीं हुई है।
(ख) ……… क्षेत्रक के श्रमिक वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते हैं। (तृतीयक/कृषि)
(ग)………..क्षेत्रक के अधिकांश श्रमिकों को रोजगार-सुरक्षा प्राप्त होती है।
(संगठित/असंगठित)
(घ) भारत में……….. अनुपात में अमिक असंगठित क्षेत्रक में काम कर रहे हैं।
(बड़े/छोटे)
(ङ) कपास एक…………. उत्पाद है और कपड़ा एक………….उत्पाद है।
(प्राकृतिक/विनिर्मित)
(च) प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों की गतिविधियाँ…………. हैं।
(स्वतंत्र/परस्पर निर्भर)
उत्तर― (क) नहीं हुई है; (ख) तृतीयक; (ग)संगठित; (घ) बड़े; (ङ) प्राकृतिक, विनिर्मित;
(च) परस्पर निर्भर।
प्रश्न 2. सही उत्तर का चयन करें―
(अ) सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक आधार पर विभाजित हैं।
(क) रोजगार की शर्तों
(ख) आर्थिक गतिविधि के स्वभाव
(ग) उद्यमों के स्वामित्व
(घ) उद्यम में नियोजित श्रमिकों की संख्या
उत्तर―(ग) उद्यमों के स्वामित्व
(ब) एक वस्तु का अधिकांशतः प्राकृतिक प्रक्रिया से उत्पादन क्षेत्रक की गतिविधि है।
(क) प्राथमिक
(ख) द्वितीयक
(ग) तृतीयक
(घ) सूचना प्रौद्योगिकी
उत्तर―(क) प्राथमिक
(स) किसी वर्ष में उत्पादित कुल मूल्य को स०घ०उ० कहते हैं।
(क) सभी वस्तुओं और सेवाओं के
(ख) सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के
(ग) सभी मध्यवर्ती वस्तुओं और सेवाओं के
(घ) सभी मध्यवर्ती एवं अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के
उत्तर―(ख) सभी अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं के
(द) स०प०3० के पदों में वर्ष 2010-11 में तृतीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी है।
(क) 20 से 30 प्रतिशत के बीच
(ख) 30 से 40 प्रतिशत के बीच
(ग) 50 से 60 प्रतिशत के बीच
(घ) 70 प्रतिशत
उत्तर― (ग) 50 से 60 प्रतिशत के बीच।
प्रश्न 3. निम्नलिखित का मेल कीजिए―
कृषि क्षेत्रक की समस्याएँ कुछ संभावित उपाय
1. असिंचित भूमि (अ) कृषि-आधारित मिलों की
स्थापना
2. फसलों का कम मूल्य (ब) सहकारी विपणन समितियाँ
3. कर्ज भार (स) सरकार द्वारा खाद्यान्नों की
वसूली
4. मंदी काल में रोजगार का (द) सरकार द्वारा नहरों का निर्माण
अभाव
5. कटाई के तुरन्त बाद स्थानीय (य) कम ब्याज पर बैंकों द्वारा
व्यापारियों को अपना अनाज साख उपलब्ध कराना।
बेचने की विवशता
उत्तर― 1. (द), 2. (स), 3. (य), 4. (अ), 5. (ब)।
प्रश्न 4. विषय की पहचान करें और बताइए क्यों?
(क) पर्यटन-निर्देशक, धोबी, दर्जी, कुम्हार
(ख) शिक्षक, डॉक्टर, सब्जी विक्रेता, वकील
(ग) डाकिया, मोची, सैनिक, पुलिस कांस्टेबल
(घ) एम०टी०एन०एल०, भारतीय रेल, एयर इण्डिया, सहारा एयरलाइन्स, ऑल
इण्डिया रेडियो।
उत्तर― (क) पर्यटन-निर्देशक―क्योंकि वह सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है, जबकि धोबी,
दर्जी तथा कुम्हार प्राथमिक क्षेत्र से सम्बन्धित हैं।
(ख) सब्जी विक्रेता―क्योंकि वह अकेला पेशा है जिसमें शिक्षा की आवश्यकता नहीं होती।
(ग) मोची―क्योंकि अन्य सभी सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी हैं, जबकि मोची का पेशा प्राथमिक क्षेत्र से
सम्बन्धित है।
(घ) सहारा एयरलइन्स―क्योंकि यह निजी उपक्रम है, जबकि अन्य सरकारी हैं।
प्रश्न 5. एक शोध छात्र ने सूरत शहर में काम करने वाले लोगों का अध्ययन करके निम्न आँकड़े
जुटाए―
सारणी को पूरा कीजिए। इस शहर में असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की प्रतिशतता क्या है?
उत्तर―संगठित-15
संगठित-15
असंगठित-20
असंगठित-50
प्रश्न 6. क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में
विभाजन की उपयोगिता है? व्याख्या कीजिए कि कैसे?
उत्तर―1. आर्थिक क्रियाओं का वर्गीकरण प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों में करना उपयोगी है
क्योंकि यह हमें इन क्षेत्रों में लगे हुए व्यक्तियों की प्रतिशतता बताता है।
2. यह हमें देश के विकास के स्तर को भी दर्शाता है; जैसे-यदि अधिक व्यक्ति द्वितीयक क्षेत्रों में
संलिप्त हों तो उसे विकसित देश मान लिया जाता है और यदि अधिक व्यक्ति प्राथमिक क्षेत्र में
संलिप्त हैं तो उसे विकासशील देश माना जाता है।
3. यह देश के सकल घरेलू उत्पाद में इनका योगदान जानने में भी सहायता करता है।
प्रश्न 7. इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रक को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (स०घ०उ०) पर ही
क्यों केन्द्रित करना चाहिए? क्या अन्य वाद-पदों का परीक्षण किया जा सकता है? चर्चा
करें।
उत्तर― इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्र का रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद पर अपना ध्यान केन्द्रित
करते हैं। क्योंकि ये देश की अर्थव्यवस्था का आकार तय करते हैं। रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद पर
ध्यान केन्द्रित करके प्रतिव्यक्ति आय और उत्पादन दोनों का निर्धारण करते हैं। इसलिए ये तीनों क्षेत्रक,
रोजगार दर और इसका सकल घरेलू उत्पाद में योगदान हमें इस विशिष्ट क्षेत्र की कार्यशैली तथा विकास के
लिए इसमें किए जाने वाले सुधारों से अवगत कराता है।
प्रश्न 8. जीविका के लिए काम करने वाले अपने आसपास के वयस्कों के सभी कार्यों की लंबी सूची
बनाइए। उन्हें आप किस तरीके से वर्गीकृत कर सकते हैं? अपने चयन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर―
कार्य की प्रकृति क्रिया की प्रकृति क्षेत्रक
बैंक क्लर्क तृतीयक संगठित
निर्माण कार्य मजदूर तृतीयक असंगठित
किसान प्राथमिक असंगठित
डी०टी०सी० बस कंडक्टर तृतीयक संगठित
फ्रीलांसर तृतीयक असंगठित
सार्वजनिक कम्पनी का मजदूर द्वितीयक संगठित
स्वयं का टेलरिंग हाउस तृतीयक असंगठित
प्रश्न 9. तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से कैसे भिन्न है? सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
उत्तर― 1. तृतीयक क्षेत्र की क्रियाएँ वे क्रियाएँ हैं जो प्राथमिक क्षेत्र और द्वितीयक क्षेत्र के विकास में
सहयोगी होती हैं।
2. ये क्रियाएँ स्वयं किसी वस्तु का उत्पादन न करके दूसरों को उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग करती हैं।
3. अत: ये क्रियाएँ किसी वस्तु का उत्पादन न करके रोजगार पैदा करती हैं, तृतीयक क्षेत्र को सेवा क्षेत्र
भी कहते हैं।
उदाहरण के तौर पर― प्राथमिक या द्वितीयक क्षेत्र में उत्पादित वस्तुओं को रेल या ट्रक परिवहन की जरूरत
होती है। तब वस्तुएँ थोक विक्रेता या खुदरा विक्रेता को विक्रय की जाती हैं।
प्रश्न 10.प्रच्छन्न बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं? शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से उदाहरण देकर
व्याख्या कीजिए।
उत्तर―प्रच्छन्न बेरोजगारी से अभिप्राय ऐसी परिस्थिति से है जिसमें लोग प्रत्यक्ष रूप से काम करते
दिखाई दे रहे हैं किंतु वास्तव में उनकी उत्पादकता शून्य होती है। अर्थात् यदि उन्हें उनके काम से हटा दिया
जाए तो भी कुल उत्पादकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। भारत के गाँवों में कृषि क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर
प्रच्छन्न बेरोजगारी पाई जाती है; जैसे भूमि के एक छोटे-से टुकड़े पर जरूरत से ज्यादा श्रमिक काम
करते हैं क्योंकि उनके पास कोई और काम नहीं होता। इससे प्रच्छन्न बेरोजगारी की स्थिति पैदा होती है। इसी
प्रकार शहरों में प्रच्छन्न बेरोजगारी छोटी दुकानों में तथा छोटे व्यवसायों में पाई जाती है।
प्रश्न 11.खुली बेरोजगारी एवं प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए।
उत्तर―खुली बेरोजगारी―वह परिस्थिति जिसमें किसी देश में श्रमशक्ति तो अधिक होती है किंतु
औद्योगिक ढाँचा छोटा होता है, वह सारी श्रमशक्ति को नहीं खपा पाता अर्थात् श्रमिक काम करना चाहता है
किंतु उसे काम नहीं मिलता। यह बेरोजगारी भारत के अधिकतर औद्योगिक क्षेत्र में पाई जाती है।
प्रच्छन्न या गुप्त बेरोजगारी―वह परिस्थिति जिसमें व्यक्ति काम में लगे हुए दिखाई देते हैं किंतु वास्तव में
वे बेरोजगार होते हैं; जैसे-भूमि के किसी टुकड़े पर आठ लोग काम कर रहे हैं किंतु उत्पादन उतना ही हो
रहा है जितना पाँच लोगों के काम करने से होता है। ऐसे में तीन अतिरिक्त व्यक्ति जो काम में लगे हैं वह छुपे
हुए बेरोजगार हैं क्योंकि उनके काम से उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
प्रश्न 12.”भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा
है।” क्या आप इससे सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर― सभी सेवा क्षेत्र एकसमान रूप से विकास नहीं कर रहे हैं। भारत में सेवा क्षेत्र ने अनेक प्रकार के
लोगों को रोजगार प्रदान किया है। एक ओर सेवाएँ सीमित मात्रा में हैं जिसे अत्यधिक शिक्षित एवं सक्षम
व्यक्ति प्राप्त करते हैं, तो दूसरी ओर अत्यधिक संख्या में व्यक्ति, दुकानदार, मरम्मतकर्ता, परिवहनकर्ता
इत्यादि जैसे सेवा क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। ये व्यक्ति मुश्किल से जीवनयापन के साधन जुटाते हैं फिर भी ये
अपनी सेवाएँ देते हैं क्योंकि इनके पास इसके अलावा और किसी कार्य के वैकल्पिक मौके उपलब्ध नहीं हैं।
प्रश्न 13.भारत में सेवा क्षेत्रक दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित करता है। ये लोग कौन हैं?
उत्तर―1. भारत में सेवा बहुउद्देशीय कंपनी, विभिन्न निजी क्षेत्रों तथा सार्वजनिक क्षेत्र में बहुत अधिक
शिक्षित तथा सक्षम व्यक्तियों को रोजगार देता है। यह क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करता है। ये
कम्पनी की पूँजी होते हैं जिनकी उच्च आय देश की राष्ट्रीय आय-वृद्धि में योगदान देती है।
2. सेवा क्षेत्र में कम सक्षम और कम पढ़े-लिखे व्यक्ति भी कार्य कर रहे हैं लेकिन इनमें से ज्यादातर
अशिक्षित हैं। इसलिए ये असंगठित क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। वे पेंटर, प्लम्बर, मरम्मतकर्ता इत्यादि
के रूप में कार्य कर रहे हैं। वे ये कार्य इसलिए करते हैं क्योंकि उनके पास कोई और अच्छा मौका
नहीं होता।
प्रश्न 14.”असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है। क्या आप इस विचार से सहमत
हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर―हाँ, मैं इस कथन से पूर्णत: सहमत हूँ कि असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों का नियोक्ता द्वारा शोषण
किया जाता है। वे निम्न तरीकों से शोषित किये जाते हैं―
1. असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की मजदूरी या वेतन कम दिया जाता है।
2. उनके लिए वहाँ कोई नियत कार्यावधि नहीं होती। यहाँ तक कि यदि वे वहाँ अतिरिक्त समय भी
काम करते हैं तो उसके लिए उन्हें अतिरिक्त मजदूरी नहीं दी जाती।
3. इन्हें आकस्मिक अवकाश, स्वास्थ्य अवकाश, सवैतनिक अवकाश इत्यादि जैसी सुविधाएँ भी नहीं
देते हैं।
4. इन्हें विपरीत कार्यदशाओं में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। ये अपनी नौकरी के प्रति
असुरक्षित महसूस करते हैं। उनके खिलाफ कोई भी अनियमितता मिलने पर उन्हें नौकरी से हटा
दिया जाता है।
प्रश्न 15. अर्थव्यवस्था में गतिविधियाँ रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर कैसे वर्गीकृत की
जाती हैं?
उत्तर―अर्थव्यवस्था को रोजगार के वातावरण के आधार पर निम्न दो भागों में वर्गीकृत किया गया
है―
(i) संगठित क्षेत्र
(a) एक संगठित क्षेत्र रोजगार नियमित होता है तथा व्यक्ति अपनी नौकरी सुरक्षित मानते हैं।
(b) वे सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं तथा नियमों-विनियमों का जी-जान से पालन करते हैं।
(c) नौकरी सुरक्षा की गारंटी है।
(d) उन्हें भविष्यनिधि, सवैतनिक छुट्टियाँ अवकाश, ग्रेच्युटी आदि की सुविधाएँ मिलती हैं।
(e) यदि वे अधिक समय काम करते हैं तो उन्हें ओवरटाइम का भुगतान भी दिया जाता है।
(f) डॉक्टरी सुविधाएँ भी दी जाती हैं।
(ii) असंगठित क्षेत्र
(a) इस क्षेत्र में नौकरी कम भुगतान पर एवं अनियमित होती है।
(b) ये सरकार के नियंत्रण से बाहर होते हैं और किसी नियम, विनियम को नहीं मानते।
(c) इस क्षेत्र में नौकरी असुरक्षित होती है।
(d) उन्हें कोई सुविधा नहीं मिलती, यदि वे छुट्टी लेते हैं, तो उस छुट्टी का भुगतान नहीं मिलता है।
(e) वे अतिरिक्त समय तक कार्य करते हैं परन्तु उन्हें इसके लिए कोई भुगतान नहीं दिया जाता है।
(f) कोई डॉक्टरी सुविधा नहीं मिलती।
प्रश्न 16.संगठित और असंगठित क्षेत्रकों में विद्यमान रोजगार-परिस्थितियों की तुलना करें।
उत्तर―संगठित और असंगठित क्षेत्रकों की रोजगार परिस्थितियों में बहुत अंतर पाया जाता है। इन दोनों
क्षेत्रकों की तुलना निम्नलिखित प्रकार से कर सकते हैं―
प्रश्न 17.मनरेगा 2005 (MGNREGA 2005) के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर―महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
1. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 के अंतर्गत जो व्यक्ति काम करने
में सक्षम हैं और जिन्हें काम की जरूरत है, उन्हें सरकार द्वारा 100 दिन का रोजगार जरूर दिया
जाएगा।
2. यदि किसी बेरोजगार को 15 दिन के अन्दर रोजगार नहीं मिलता तो वह बेरोजगारी भत्ता पाने का
अधिकारी होगा।
3. इस अधिनियम के अंतर्गत उन कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी जो भविष्य में भूमि उत्पादकता
बढ़ाने में सहयोगी होंगे।
प्रश्न 18. अपने क्षेत्र से उदाहरण लेकर सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक की गतिविधियों एवं कार्यों की
तुलना तथा वैषम्य कीजिए।
उत्तर―सार्वजनिक क्षेत्रक―वे उद्योग जो सरकारी तंत्र के अधीन होते हैं सार्वजनिक उद्योग कहलाते
हैं; जैसे–भारतीय रेल, लोहा-इस्पात उद्योग, जहाज निर्माण आदि। सार्वजनिक क्षेत्र में ऐसी वस्तुओं या
सेवाओं का निर्माण होता है जो लोगों के लिए कल्याणकारी हैं। इनका उद्देश्य निजी हित या लाभ कमाना नहीं
होता बल्कि सार्वजनिक लाभ इनका उद्देश्य होता है। इस क्षेत्र में वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमत का निर्धारण
सरकार द्वारा किया जाता है।
निजी क्षेत्रक―वे उद्योग जो निजी व्यक्तियों के स्वामित्व में होते हैं निजी क्षेत्रक कहलाते हैं। इसमें वे उद्योग
आते हैं जो आम जनता की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं; जैसे टेलीविजन, एयर कंडीशनर, फ्रिज
आदि बनाने वाले उद्योग। ये गतिविधियाँ निजी लाभ कमाने के उद्देश्य से की जाती हैं। निजी क्षेत्र
कल्याणकारी कार्य करने के लिए बाध्य नहीं है। यदि वह ऐसा कोई काम करता भी है तो उसकी अधिक
कीमत लेता है; जैसे-निजी विद्यालय सरकारी विद्यालयों से अधिक फीस वसूलते हैं। निजी क्षेत्र के उद्योगों
में वस्तुओं की कीमतों का निर्धारण बाजारी शक्तियों द्वारा होता है।
प्रश्न 19.अपने क्षेत्र से एक-एक उदाहरण देकर निम्न सारणी को पूरा कीजिए और चर्चा कीजिए-
उत्तर-
प्रश्न 20.सार्वजनिक क्षेत्रक की गतिविधियों के कुछ उदाहरण दीजिए और व्याख्या कीजिए। कि
सरकार द्वारा इन गतिविधियों का कार्यान्वयन क्यों किया जाता है?
उत्तर―सार्वजनिक क्षेत्र की गतिविधियाँ हैं―जल की व्यवस्था, विद्युत, परिवहन के कुछ साधना
सरकार इन पर अपना नियंत्रण रखती है क्योंकि जल और विद्युत की जरूरत सबको होती है। यदि पानी और
बिजली की सुविधा उपलब्ध कराना निजी संस्थाओं को सौंप दिया जाए तो वे इस मौके का पूरा लाभ उठायेंगे
तथा इसे ऊँचे मूल्य पर बेचेंगे, जिसे ज्यादातर लोग वहन नहीं कर सकते। अतः सरकार कम दर पर ये
सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए इसे अपने नियंत्रण में रखती है। किन्तु आजकल बिजली/विद्युत विभाग
कुछ राज्यों में निजी कंपनियों को सौंप दिए गए हैं।
प्रश्न 21.व्याख्या कीजिए कि एक देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक कैसे योगदान करता
उत्तर―किसी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है क्योंकि
सार्वजनिक क्षेत्रक का उद्देश्य लाभ कमाना नहीं होता। सभी महत्त्वपूर्ण गतिविधियों का संचालन सार्वजनिक
क्षेत्रक के द्वारा किया जाता है।
ऐसी गतिविधियाँ जिनकी आवश्यकता समाज के सभी सदस्यों को होती है; जैसे-सड़कों, पुलों, रेलवे,
पत्तनों, बिजली आदि का निर्माण और बाँध आदि से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना सार्वजनिक क्षेत्रक
का काम है। सरकार ऐसे भारी व्यय स्वयं उठाती है। सरकार किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए गेहूँ
और चावल खरीदती है। इसे अपने गोदामों में भंडारित करती है और राशन की दुकानों के माध्यम से
उपभोक्ताओं को कम मूल्य पर बेचती है। इस प्रकार सरकार किसानों और उपभोक्तओं दोनों को सहायता
पहुंँचाती है।
सभी के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएँ उपलब्ध कराना जैसे प्राथमिक कार्य भी सार्वजनिक क्षेत्रक में
आते हैं। समुचित ढंग से विद्यालय चलाना और गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध कराना सरकार का कर्त्तव्य है। इस
प्रकार किसी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक का योगदान महत्त्वपूर्ण है।
प्रश्न 22.असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता
है-मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर―नीचे दिए गए उदाहरणों से स्पष्ट किया जा सकता है कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को
मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर संरक्षण की जरूरत है।
1. मजदूरी―असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को प्रायः 10 से 12 घण्टे तक बिना किसी ओवरटाइम के
काम करना पड़ता है। ऐसे मजदूरों को मजदूरी के अतिरिक्त अन्य सुविधाएँ भी नहीं दी जातीं। इस
क्षेत्र में श्रमिकों के लिए प्रायः रोजगार सुरक्षा की कमी पायी जाती है। इस क्षेत्र में रोजगार की प्रकृति
प्राय: अनयमित होती है। ऐसे मजदूर पहले से ही कर्ज के बोझ से दबे होते हैं। इसी वजह से कम
मजदूरी पर भी काम करने के लिए राजी हो जाते हैं।
2. सुरक्षा―असंगठित क्षेत्र के मजदूरी जोखिम भर काम करते हैं; जैसे-ईंट उद्योग, कोयले की
खान में काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा का सदैव खतरा बना रहता है।
3. स्वास्थ्य―जोखिम भरे काम में लगे रहने के कारण श्रमिकों का स्वास्थ्य खराब रहता है। इसका
मुख्य कारण एक तो अच्छे खान-पान की कमी है। दूसरे, उद्योगों से जहरीली गैस व धुएँ का प्रभाव
है। इस संदर्भ में हमारी सरकार को प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।
प्रश्न 23.अहमदाबाद में किए गएं एक अध्ययन में पाया गया कि नगर के 15,00,000 श्रमिकों में से
11,00,000 श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम करते थे। वर्ष 1997-98 में नगर की कुल आयर
600 करोड़ थी इसमें से ₹ 320 करोड़ संगठित क्षेत्रक से प्राप्त होती थी। इस आँकड़े को
तालिका में प्रदर्शित कीजिए। नगर में और अधिक रोजगार-सृजन के लिए किन तरीकों पर
विचार किया जाना चाहिए?
उत्तर―1997-98 में अहमदाबाद नगर के आँकड़े
अर्थव्यवस्था के क्षेत्र श्रमिकों की संख्या आय (लाख र में)
संगठित 4,00,000 32,000
असंगठित 11,00,000 28,000
कुल 15,00,000 60,000
इन आँकड़ों का अध्ययन करने के पश्चात् हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि संगठित क्षेत्र में असंगठित
क्षेत्र की तुलना में कम श्रमिक लगे हैं। किन्तु उनकी आय असंगठित क्षेत्र से अधिक है। इसका यह अर्थ हुआ
कि असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों को बहुत कम वेतन मिलता है। नगर में अधिक रोजगार के
सृजन के लिए निम्न तरीकों पर विचार किया जा सकता है―
1. शिक्षा के स्वरूप को बदलना होगा। शिक्षा तकनीकी और व्यावसायिक हो ताकि ज्यादा से ज्यादा
व्यक्ति काम में लगें।
2. लोगों को स्वरोजगार शुरू करने के लिए उचित वित्तीय तथा तकनीकी सहायता प्राप्त करानी
चाहिए।
प्रश्न 24. निम्नलिखित सारणी में तीनों क्षेत्रकों का सकल घरेलू उत्पाद (स०प०३०)२ (करोड़) में दिया
गया है―
वर्ष प्राथमिक द्वितीयक तृतीयक
1950 80,000 19,000 39,000
2010 8,18,000 1,24,900 28,18,000
(क) वर्ष 1950 एवं 2010 के लिए स०प०अ० में तीनों क्षेत्रकों की हिस्सेदारी की गणना कीजिए।
(ख) इन आँकड़ों को अध्याय में दिए आलेख-2 के समान एक दण्ड-आलेख के रूप में प्रदर्शित
कीजिए।
(ग) दण्ड-आलेख से हम क्या निष्कर्ष प्राप्त करते हैं?
उत्तर― (क)
वर्ष प्राथमिक क्षेत्र द्वितीयक क्षेत्र तृतीयक क्षेत्र
1950 58% 14% 28%
2010 22% 03% 75%
(ख) इस तालिका के आधार पर इस दण्ड आरेख का निर्माण किया जा सकता है―
(ग) इस दण्ड आरेख से सिद्ध होता है कि सकल घरेलू उत्पाद में जहाँ प्राथमिक क्षेत्र का योगदान 58% से
22% (कम) हो गया है तथा द्वितीयक क्षेत्र का योग 14% से 3% (कम) तथा तृतीयक क्षेत्रकों में वृद्धि हुई
है। तृतीयक क्षेत्र का हिस्सा 28% से 75% हो गया।
(ख) अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारत में सबसे अधिक शिशु मृत्यु दर वाले दो राज्य हैं―
(क) ओडिशा और मध्य प्रदेश
(ख) बिहार और गोवा
(ग) तेलंगाना और पश्चिम बंगाल
(घ) सिक्किम और असम
उत्तर―(क) ओडिशा और मध्य प्रदेश
प्रश्न 2. G.D.P से क्या तात्पर्य है?
(क) सकल घरेलू ऊर्जा
(ख) विशाल घरेलू उत्पाद
(ग) सकल घरेलू उत्पाद
(घ) सकल दैनिक उत्पाद
उत्तर―(ग) सकल घरेलू उत्पाद
प्रश्न 3. कौन-सा क्षेत्रक सबसे अधिक रोजगार देता है?
(क) द्वितीयक क्षेत्रक
(ख) प्राथमिक क्षेत्रक
(ग) तृतीयक क्षेत्रक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर―(ख) प्राथमिक क्षेत्रक।
प्रश्न 4. निम्नलिखित में से किसे प्रच्छन्न रोजगार के नाम से भी जाना जाता है?
(क) अति रोजगार
(ख) नियमित रोजगार
(ग) अनियमित रोजगार
(घ) अल्प रोजगार
उत्तर― (घ) अल्प रोजगार
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. बेरोजगारी से क्या तात्पर्य है?
उत्तर― जीवन-यापन हेतु जब कोई व्यक्ति अर्थोपार्जन न कर सके। अर्थात् उसके पास कमाई का कोई
साधन न हो तो उसे बेरोजगारी कहते हैं।
प्रश्न 2. भारत के 200 जिलो में काम करने का अधिकार लागू करने के लिए कौन-सा कानून बनाया
गया है?
उत्तर― भारत के 200 जिलों “काम का अधिकार” लागू करने के लिए मनरेगा-2005
(MGNREGA.2005) कानून का निर्माण किया गया है। इसे महात्मा गांधी “राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी
अधिनियम, 2005 कहा जाता है।”
प्रश्न 3. निजी क्षेत्रक से क्या अभिप्राय है?
उत्तर―निजी क्षेत्रक में परिसम्पत्तियों पर स्वामित्व एवं सेवाओं के वितरण का उत्तरदायित्व कम्पनी
अथवा एकल व्यक्ति के हाथ में होता है; जैसे–टाटा स्टील, रिलायंस इत्यादि।
प्रश्न 4. सकल घरेलू उत्पाद क्या है?
उत्तर―तीनों क्षेत्रकों के उत्पादनों के योगफल को देश का एकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. “असंगठित क्षेत्र के श्रमिक सामाजिक भेदभाव का भी शिकार होते हैं। क्या आप इस
कथन से सहमत हैं? कारण बताइए।
उत्तर―असंगठित क्षेत्रक छोटी-छोटी इकाईयों में बिखरे संगठन हैं। इन श्रमिकों को बिना किसी कारण
के कार्य से हटाया जा सकता है। बहुत से श्रमिक नियोक्ता की पसन्द पर निर्भर होते हैं। इनको न तो चिकित्सा
अवकाश मिलता है तथा न ही किसी प्रकार साविधि, भविष्य निधि इत्यादि मिलती है। इस प्रकार के श्रमिक
सामाजिक भेद-भाव का शिकार होते हैं।
प्रश्न 2. आर्थिक क्रियाओं से क्या तात्पर्य है? प्रमुख आर्थिक क्रियाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर― समाज में चहुँओर बहुत-सी आर्थिक गतिविधियाँ संचालित रहती हैं। उन पर तर्कसंगत ढंग से
विचार करने के लिए वर्गीकरण प्रक्रिया अपरिहार्य है।
आर्थिक क्रियाओं को निम्न तीन क्षेत्रकों में विभाजित किया जा सकता है―
(i) प्राथमिक क्षेत्रक, (ii) द्वितीयक क्षेत्रक, (iii) तृतीयक क्षेत्रका
प्रश्न 3. भारत सरकार ने काम के अधिकार’ को लागू करने के लिए क्या उपाय सुझाया है ?
उत्तर―भारत सरकार ने भारत के 200 जिलों में “काम का अधिकार” लागू करने के लिए एक कानून
का निर्माण किया। इनमें 130 अन्य जिलों को भी जोड़ा गया। 1 अप्रैल, 2008 के शेष ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य
का आरंभ किया गया। इसें “महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005″ कहा जाता है।
रा०ग्रा०रो०गा०अ० 2005 के अंतर्गत उन सभी लोगों को जो कार्य करने में सक्षम हैं, सरकार द्वारा कम-से
-कम 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई है। यदि सरकार इसमें असफल रहती है, तब वह बेरोजगारी
भत्ता देगी।
प्रश्न 4. शहरी क्षेत्रों में अल्प बेरोजगारी का उदाहरण दीजिए।
उत्तर― रोजगार का नियमित तथा सुरक्षित न होना अल्प बेरोजगारी कहलाती है। उदाहरणत: किसी क्षेत्र
में कृषि हेतु बहुत-से श्रमिक लगे होते हैं। कार्य की अधिकता पर अधिक श्रमिक तथा कार्य की कमी, कुछ
श्रमिकों को कार्य-मुक्त कर दिया जाता है। इस प्रकार की स्थिति को अल्प बेरोजगारी कहा जा सकता है।
प्रश्न 5. प्रच्छन्न बेरोजगारी से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर―जहाँ लोग प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत है किंतु अपनी क्षमता से कम कार्य करते हैं। इस प्रकार की
बेरोजगारी को छिपी हुई बेरोजगारी कहा जाता है। यह उन लोगों की बेरोजगारी से भिन्न है जिनके पास
रोजगार नहीं है और बेकार बैठे हैं। इस प्रकार की स्थिति को प्रच्छन्न बेरोजगारी कहा जाता है।
दीर्घउत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. “भारत में विकास प्रक्रिया से सकल घरेलू उत्पाद (G.D.P) में तृतीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी
में वृद्धि हुई है” क्या आप इस कथन से सहमत हैं? चर्चा कीजिए।
उत्तर―प्राथमिक तथा द्वितीयक क्षेत्रक के अतिरिक्त भी आर्थिक गतिविधियों की एक तीसरी कोटि भी
है जिसे तृतीय क्षेत्रक कहा जाता है। ये गतिविधियाँ प्राथमिक तथा द्वितीयक क्षेत्रक के विकास में सहायता
प्रदान करती हैं। इन गतिविधियों द्वारा वस्तुओं का उत्पादन नहीं किया जाता अपितु उत्पादन प्रक्रिया में
सहायता ली जाती है; जैसे–प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रक द्वारा उत्पादित वस्तुओं को थोक एवं खुदरा
विक्रेताओं को बेचने के लिए ट्रेन, ट्रक आदि द्वारा परिवहन की आवश्यकता पड़ती है। अनेक बार वस्तुओं
का गोदामों में भंडारण करना पड़ता है। अतः तृतीयक गतिविधियों के अंतर्गत परिवहन, भण्डारण, संचार,
बैंक सेवाएँ एवं व्यापार आदि सम्मिलित हैं। चूँकि इन गतिविधियों द्वारा वस्तुओं के अतिरिक्त सेवाओं का
सृजन किया जाता है, अतः तृतीयक क्षेत्रक को सेवा-क्षेत्रक भी कहा जाता है।
किसी विशेष वर्ष में प्रत्येक क्षेत्रक द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य, उस वर्ष में क्षेत्रक के
कुल उत्पादन की जानकारी प्रदान करता है। तीनों क्षेत्रकों के उत्पादनों के योगफल को देश का सकल घरेलू
उत्पाद कहा जाता है। यह किसी देश के अंदर किसी विशेष वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं तथा सेवाओं का
मूल्य होता है। सकल घरेलू उत्पाद अर्थव्यवस्था की विशालता दर्शाता है।
भारत में सकल घरेलू उत्पाद मापन जैसा कठिन कार्य केंद्र सरकार के मंत्रालय द्वारा राज्यों एवं केंद्रशासित
क्षेत्रों के विभिन्न सरकारी विभागों की सहायता से वस्तुओं एवं सेवाओं की कुल संख्या एवं उनके मूल्य से
संबंधित सूचनाएँ एकत्र की जाती हैं तथा जी०डी०पी० का अनुमान व्यक्त किया जाता है।
प्रश्न 2. उत्पादन के साधनों के स्वामित्व के आधार पर आर्थिक गतिविधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर―सार्वजनिक क्षेत्रक में, अधिकांश परिसम्पत्तियों पर सरकार का स्वामित्व होता है तथा सरकार
अनेक प्रकार की सेवाएँ उपलब्ध कराती है। निजी क्षेत्रक में परिसम्पत्तियों पर स्वामित्व एवं सेवाओं के
वितरण का उत्तरदायित्व कंपनी अथवा एकल व्यक्ति के हाथों में होता है। डाकघर अथवा रेलवे सार्वजनिक
क्षेत्रक के उदाहरण हैं, जबकि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड अथवा टाटा स्टील लिमिटेड जैसी कंपनियाँ
निजी स्वामित्व की हैं। इनकी सेवाएँ पाने के लिए हम एकल स्वामियों एवं कंपनियों को भुगतान करते हैं,
जबकि सार्वजनिक क्षेत्रक का ध्येय मात्र लाभ कमाना नहीं है। सरकार द्वारा सेवाओं पर किए गए व्यय की
भरपाई वह करों तथा अन्य माध्यमों से करती हैं। अनेक वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिनकी आवश्यकता समाज के
सभी सदस्यों को होती है, किंतु इन्हें निजी क्षेत्रक उचित मूल्यों पर उपलब्ध नहीं कराते है। क्यों? कारण कि
इनमें अनेक चीजों पर बहुत अधिक धन व्यय करना पड़ता है जो निजी क्षेत्रकों की क्षमता से बाहर है। इसके
अतिरिक्त कुछ गतिविधियाँ ऐसी हैं जिन्हें सरकारी समर्थन की आवश्यकता पड़ती है। निजी क्षेत्रक उन
उत्पादनों अथवा व्यवसायों को तब तक जारी नहीं रख सकते जब तक सरकार उन्हें प्रोत्साहित नहीं करती।
ऐसे ही भारत सरकार किसानों से उचित मूल्य पर चावल तथा गेहूँ का क्रय करती है। इसको अपने गोदामों में
भंडारण कर राशन-दुकानों के माध्यम से उपभोक्ताओं को कम मूल्य पर विक्रय करती है।
अधिकतर आर्थिक गतिविधियाँ ऐसी हैं जिनका प्राथमिक उत्तरदायित्व सरकार पर होता है। इन मदों पर व्यय
करना सरकार की अनिवार्यता है। सरकार को मानव विकास के पक्षों में; जैसे-स्वच्छ सुरक्षित पेयजल की
उपलब्धता निर्धनों के लिए आवासीय सुविधाएँ तथा भोजन एवं पोषण पर ध्यान देने की आवश्यकता है।