up board class 9th hindi | हिन्दी गद्य के विकास का संक्षिप्त परिचय

By | May 1, 2021

up board class 9th hindi | हिन्दी गद्य के विकास का संक्षिप्त परिचय

 
विशेष―पाठ्यक्रम के नवीनतम प्रारूप के अनुसार, “हिन्दी गद्य के विकास का संक्षिप्त परिचय”
के अन्तर्गत ‘भारतेन्दु युग’ एवं ‘द्विवेदी युग’ ही निर्धारित हैं। इससे अतिलघु उत्तरीय प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
ये प्रश्न लेखक-रचनाओं के सुमेलन से सम्बन्धित, बहुविकल्पीय अथवा ऐसे होंगे जिनके उत्तर एक-दो
पंक्तियों में लिखे जा सकेंगे।
 
                                     अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
 
                         गद्य साहित्य के विकास पर आधारित
 
प्रश्न 1 गद्य का अर्थ लिखिए।
उत्तर―गद्य हमारे दैनिक जीवन में प्रयुक्त होने वाली भाषा का नाम है। इसकी विषयवस्तु हमारी
बोध-वृत्ति पर आधारित होती है तथा इसमें किसी विषय को विस्तार से कहने की प्रवृत्ति होती है। यह
वास्तविकता और व्यावहारिकता से ओत-प्रोत होता है।
 
प्रश्न 2 गद्य और पद्य (काव्य) में अन्तर बताइए।
उत्तर― गद्य मस्तिष्क के तर्कप्रधान चिन्तन की उपज है। छन्दबद्ध, भावपूर्ण तथा ओजयुक्त रचनाएँ
पद्य (काव्य) कहलाती हैं। गद्य में विस्तार, वास्तविकता तथा व्यावहारिकता अधिक होती है, जब कि काव्य
में संकेत-रूप में बात कही जाती है। इसमें काल्पनिकता का प्राधान्य होता है।
 
प्रश्न 3 गद्य का प्रथम विकास किस रूप में होता है?
उत्तर― गद्य का प्रथम विकास सामान्य बोलचाल की भाषा के रूप में होता है।
 
प्रश्न4 भाषा-रूपों के विकास की दृष्टि से गद्य की कितनी कोटियाँ उपलब्ध हैं ?
उत्तर― भाषा-रूपों के विकास की दृष्टि से गद्य की चार कोटियाँ–(1) वर्णनात्मक,(2) विवेचनात्मक,
(3) भावात्मक, (4) विवरणात्मक-उपलब्ध हैं।
 
प्रश्न 5 सृजनात्मक तथा उपयोगी गद्य की एक-एक विधा का नाम लिखिए।
उत्तर― (1) सृजनात्मक गद्य-विधा-निबन्ध तथा (2) उपयोगी गद्य-विधा-विज्ञान।
 
प्रश्न 6 गद्य का महत्त्व समझाइए।
उत्तर― गद्य के द्वारा हम अपने विचारों या भावों को सरल या सहज भाषा में अभिव्यक्त करते हैं।
ज्ञान-विज्ञान आदि सभी क्षेत्रों की सफल, सरल और बोधगम्य अभिव्यक्ति का माध्यम गद्य ही है।
 
प्रश्न 7 हिन्दी गद्य का आविर्भाव किस शताब्दी में हुआ ?
या      हिन्दी खड़ी बोली गद्य का आविर्भाव कब हुआ ?
उत्तर― हिन्दी खड़ी बोली गद्य का आविर्भाव उन्नीसवीं शताब्दी के नवजागरण काल में हुआ।
 
प्रश्न 8 हिन्दी गद्य के प्राचीनतम प्रयोग किस भाषा में मिलते हैं?
उत्तर― हिन्दी गद्य के प्राचीनतम प्रयोग राजस्थानी और ब्रज भाषा में मिलते हैं।
 
प्रश्न 9 प्राचीन राजस्थानी गद्य कब और किन रूपों में मिलता है?
या       राजस्थानी गद्य हमें किस प्रकार की रचनाओं में देखने को मिलता है ?
उत्तर― राजस्थानी गद्य हमें दसवीं शताब्दी के दानपत्रों, पट्टे-परवानों, टीकाओं व अनुवाद-ग्रन्थों के
रूप में देखने को मिलता है।
 
प्रश्न 10 ब्रज भाषा गद्य का सूत्रपात किस वर्ष के आसपास हुआ ?
उत्तर― ब्रज भाषा गद्य का सूत्रपात संवत् 1400 वि० (सन् 1343 ई०) के आसपास हुआ।
 
प्रश्न 11 ब्रज भाषा गद्य के दो प्रमुख लेखक तथा उनकी एक-एक रचना का नाम लिखिए।
उत्तर― (1) गोस्वामी बिट्ठलनाथ, रचना-‘शृंगार रस-मण्डन’।
(2) गोकुलनाथ, रचना-चौरासी वैष्णवन की वार्ता’ और ‘दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता’।
 
प्रश्न 12 खड़ी बोली गद्य के प्रथम दर्शन किस ग्रन्थ में होते हैं?
या        खड़ी बोली गद्य के प्रथम लेखक और उसकी प्रथम रचना का नाम लिखिए।
उत्तर―खड़ी बोली गद्य के प्रथम दर्शन कवि गंग द्वारा लिखित ‘चंद छंद बरनन की महिमा’ नामक
ग्रन्थ में होते हैं। अत: कवि गंग को खड़ी बोली गद्य का प्रथम लेखक और उनकी रचना ‘चंद छंद वरनन की
महिमा’ को खड़ी बोली गद्य की प्रथम रचना माना गया है। कुछ विद्वान् जटमल कृत ‘गोरा बादल की कथा
को खड़ी बोली गद्य की प्रथम रचना मानते है।
 
प्रश्न 13 कवि गंग किसके दरबारी कवि थे?
उत्तर― कवि गंग अकबर के दरबारी कवि थे।
 
प्रश्न 14 भारतेन्दु युग से पूर्व खड़ी बोली हिन्दी गद्य के प्रथम चार उन्नायकों के नाम एवं उनकी
एक-एक रचना लिखिए।
या   खड़ी बोली गद्य के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आरम्भिक चार गद्य लेखकों के
नाम लिखिए। इनकी कृतियों का अनुमानित रचना-काल भी बताइए।
उत्तर― भारतेन्दु युग से पूर्व खड़ी बोली हिन्दी गद्य के प्रारम्भिक चार उन्नायकों के नाम और उनकी
रचनाएँ हैं―(1) मुंशी इंशा अल्ला खाँ–’रानी केतकी की कहानी’, (2) मुंशी सदासुखलाल―’सुखसागर’,
(3) सदल मिश्र–नासिकेतोपाख्यान’, (4) पं० लल्लूलाल–’प्रेमसागर’। इन सभी कृतियों का रचना-काल
सन् 1803 ईस्वी के आसपास है।
 
प्रश्न 15 सदल मिश्र और मुंशी इंशा अल्ला खाँ की भाषा का अन्तर बताइए।
उत्तर― सदल मिश्र की भाषा में पूर्वी क्षेत्र के शब्दों के अधिक प्रयोग हुए हैं, जबकि मुंशी इंशा अल्ला
खाँ की भाषा में ठेठ खड़ी बोली के दर्शन होते हैं।
 
प्रश्न 16 लल्लूलाल और मुंशी इंशा अल्ला खाँ की भाषा में क्या मुख्य अन्तर है?
उत्तर― लल्लूलाल की भाषा पर ब्रज का प्रभाव है और मुंशी इंशा अल्ला खाँ की भाषा ठेठ खड़ी बोली
है, जिसमें विदेशी, संस्कृत तथा ब्रज भाषा के शब्द नहीं हैं।
 
प्रश्न 17 रामचन्द्र शुक्ल ने किस लेखक की भाषा को रंगीन और चुलबुली’ कहा है ?
उत्तर― रामचन्द्र शुक्ल ने मुंशी इंशा अल्ला खाँ की भाषा को ‘रंगीन और चुलबुली’ कहा है।
 
प्रश्न 18 आर्य समाज का हिन्दी गद्य के विकास में क्या योगदान है?
उत्तर―आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द ने अपने उपदेशों का प्रचार-प्रसार हिन्दी भाषा में
किया तथा अपने प्रसिद्ध धार्मिक ग्रन्थ ‘सत्यार्थ प्रकाश’ की रचना भी हिन्दी भाषा में ही की। वेदों के भाष्य
भी उन्होंने हिन्दी भाषा में ही लिखे तथा आर्य समाज के अनुयायियों को हिन्दी भाषा का प्रयोग करने की
शिक्षा दी। इस प्रकार आर्य समाज ने हिन्दी गद्य के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी।
 
प्रश्न 19 हिन्दी गद्य के प्रसार में ईसाई पादरियों का क्या योगदान रहा था ?
उत्तर―ईसाई पादरियों ने अपने धर्म-प्रचार के लिए जनसाधारण में प्रचलित खड़ी बोली को अपनाया
और बाइबिल का हिन्दी में अनुवाद कर उसे उत्तर भारत के विभिन्न स्थानों पर वितरित किया। इस प्रकार
ईसाई धर्म के साथ-साथ हिन्दी का प्रचार-प्रसार भी होता रहा।
 
प्रश्न 20 राजा शिवप्रसाद सितारेहिन्द’ तथा राजा लक्ष्मण सिंह की भाषा-शैली का अन्तर स्पष्ट
कीजिए।
उत्तर―भारतेन्दु से पूर्व राजा शिवप्रसाद सितारेहिन्द’ ने अरबी-फारसी मिश्रित खड़ी बोली को तथा
राजा लक्ष्मण सिंह ने ठेठ संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली को अपनाया। इन दोनों की भाषा-शैली का यही मुख्य
अन्तर है।
 
प्रश्न 21 राजा शिवप्रसाद सितारेहिन्द’ की भाषा में क्या दोष थे?
उत्तर―राजा शिवप्रसाद सितारेहिन्द’ की भाषा पर अरबी-फारसी का अधिक प्रभाव था। इसी को
उनकी खड़ी बोली हिन्दी भाषा का दोष माना जाता है।
 
प्रश्न 22 राजा लक्ष्मण सिंह की भाषा का क्या रूप था ?
उत्तर―राजा लक्ष्मण सिंह की भाषा संस्कृतनिष्ठ थी। ये दैनिक प्रयोग में काम आने वाले अंग्रेजी व उर्दू
के साधारण शब्दों को भी हिन्दी से दूर रखना चाहते थे।
 
प्रश्न 23 बीसवीं शताब्दी में किस एक व्यक्ति ने हिन्दी गद्य के निर्माण व प्रसार के लिए सर्वाधिक
स्तुत्य कार्य किया ?
उत्तर― बीसवीं शताब्दी में महावीरप्रसाद द्विवेदी ने हिन्दी गद्य के निर्माण व प्रसार के लिए सर्वाधिक
स्तुत्य कार्य किया।
 
प्रश्न 24 हिन्दी गद्य का वास्तविक इतिहास कब से आरम्भ हुआ ?
उत्तर― हिन्दी गद्य का वास्तविक इतिहास भारतेन्दुकाल (सन् 1850 ई०) से आरम्भ हुआ।
 
प्रश्न 25 भारतेन्दु युग में किन गद्य विधाओं का विकास हुआ ?
उत्तर― भारतेन्दु युग में नाटक, निबन्ध, उपन्यास, कहानी, आलोचना आदि गद्य-विधाओं का विकास
हुआ।
 
प्रश्न 26 भारतेन्दु युग की भाषा की मुख्य विशेषता एक वाक्य में लिखिए।
उत्तर― संस्कृत के सरल शब्दों, प्रचलित विदेशी शब्दों, लोकोक्तियों तथा मुहावरों के प्रयोग से भारतेन्दु
युग की भाषा में सजीवता आ गयी थी।
 
प्रश्न 27 भारतेन्दु युग का काल-निर्धारण कीजिए।
उत्तर― हिन्दी गद्य के विकास में सन् 1850 से 1900 ई० तक का समय भारतेन्दु युग कहलाता है।
 
प्रश्न 28 आधुनिक हिन्दी-निर्माताओं की वृहत्-त्रयी में किन लेखकों को गिना जाता है ?
उत्तर― आधुनिक हिन्दी-निर्माताओं की वृहत्-त्रयी में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, बालकृष्ण भट्ट और
प्रतापनारायण मिश्र की गणना की जाती है।
 
प्रश्न 29 भारतेन्दु युग के हिन्दी गद्य की दो मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर― भारतेन्दु युग के हिन्दी गद्य की दो प्रमुख विशेषताएँ थीं―(1) इस युग में हिन्दी गद्य का स्वरूप
निर्धारित हुआ तथा (2) इस युग के लेखकों में अपनी भाषा, जाति और राष्ट्र के उत्थान के लिए गहरी समर्पण
भावना थी।
 
प्रश्न 30 भारतेन्दु युग के प्रमुख गद्यकारों के नाम लिखिए।
या         खड़ी बोली गद्य के किन्हीं दो लेखकों के नाम बताइए।
उत्तर― भारतेन्दु युग के प्रमुख गद्यकारों में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के अतिरिक्त श्रीनिवासदास, बालकृष्ण
भट्ट, प्रतापनारायण मिश्र, राधाकृष्णदास, कार्तिकप्रसाद खत्री, राधाचरण गोस्वामी तथा बदरीनारायण चौधरी
‘प्रेमघन’ के नाम प्रमुख हैं।
 
प्रश्न 31 प्रतापनारायण मिश्र की भाषा की दो मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर― प्रतापनारायण मिश्र की भाषा प्रवाहयुक्त, मुहावरेदार और सुबोध है तथा भाषा का चुटीलापन
मन पर सीधा प्रभाव डालता है।
 
प्रश्न 32 द्विवेदी युग में गद्य के किन-किन रूपों का विकास हुआ ?
उत्तर― द्विवेदी युग में गद्य के निबन्ध, कहानी, उपन्यास तथा नाटक रूपों का विकास हुआ।
 
प्रश्न 33 द्विवेदी युग की दो मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर― भाषा संस्कार तथा गद्य के विविध रूपों और शैलियों का विकास द्विवेदी युग की दो मुख्य
विशेषताएँ हैं।
 
प्रश्न 34 हिन्दी-साहित्य का प्रचार-प्रसार और सेवा करने वाली दो संस्थाओं के नाम लिखिए।
उत्तर― (1) नागरी प्रचारिणी सभा, काशी तथा (2) हिन्दी-साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद हिन्दी-साहित्य
का प्रचार-प्रसार और सेवा करने वाली दो संस्थाएँ हैं।
 
प्रश्न 35 काशी नागरी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कौन थे?
उत्तर―काशी नागरी प्रचारिणी सभा के संस्थापक बाबू श्यामसुन्दर दास थे।
 
प्रश्न 36 राष्ट्रभाषा-प्रचार को राष्ट्रीय कार्यक्रम मानने वाले हिन्दी-लेखक का नाम बताइए।
उत्तर― राष्ट्रभाषा प्रचार को राष्ट्रीय कार्यक्रम मानने वाले हिन्दी लेखक काका कालेलकर हैं।
 
प्रश्न 37 हिन्दी गद्य के विकास में द्विवेदी जी का क्या योगदान है?
उत्तर― आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी ने ‘सरस्वती’ पत्रिका के माध्यम से भाषा का परिमार्जन करके
उसे व्याकरणसम्मत बनाया तथा नवीन विषयों पर गद्य-रचना के लिए लेखकों को प्रोत्साहित किया।
 
प्रश्न 38 द्विवेदी युग के प्रमुख गद्य-लेखकों के नाम लिखिए।
या         द्विवेदी युग के दो प्रमुख निबन्ध-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर― आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी, अध्यापक पूर्णसिंह, पद्मसिंह शर्मा, यशोदानन्दन अखौरी,
चतुर्भुज, श्यामसुन्दर दास तथा आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्विवेदी युग के प्रमुख साहित्यकार हैं।
 
प्रश्न 39 द्विवेदी युग के हिन्दी उन्नायकों में से किसी एक का नामोल्लेख करके उनकी दो रचनाओं के
नाम लिखिए।
उत्तर―बाबू श्यामसुन्दर दास, रचना―(1) साहित्यालोचन तथा (2) भाषा रहस्य।
 
प्रश्न 40 श्यामसुन्दर दास की भाषा-साहित्य के इतिहास से सम्बन्धित दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर― श्यामसुन्दर दास की-(1) भाषा-विज्ञान और (2) हिन्दी भाषा और साहित्य का इतिहास-
भाषा-साहित्य के इतिहास से सम्बन्धित दो रचनाएँ हैं।
 
प्रश्न 41 द्विवेदी युग के तीन प्रसिद्ध आलोचकों अथवा साहित्य-इतिहास लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर― (1) पद्मसिंह शर्मा, (2) श्यामसुन्दर दास, (3) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्विवेदी युग के तीन प्रसिद्ध
आलोचक हैं।
 
प्रश्न 42 हिन्दी आलोचना का उत्कर्ष काल कब से माना जाता है ? हिन्दी के किसी एक युग-प्रवर्तक
आलोचक का नाम लिखिए।
उत्तर― आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की आलोचनात्मक कृतियों के प्रकाशन से हिन्दी-आलोचना का उत्कर्ष
माना जाता है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी के युग-प्रवर्तक आलोचक माने जाते हैं।
 
प्रश्न 43 द्विवेदी युग की कालावधि लिखिए।
उत्तर― द्विवेदी युग की कालावधि सन् 1900 से 1920 ई० तक है। यह निर्धारण ‘सरस्वती’ पत्रिका के
प्रकाशन के आधार पर किया गया है।
 
प्रश्न 44 रामचन्द्र शुक्ल की गद्य की किन दो विधाओं में सर्वाधिक प्रसिद्धि है?
उत्तर―(1) आलोचना और (2) निबन्ध नामक गद्य विधाओं में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की सर्वाधिक
प्रसिद्धि है।
 
प्रश्न 45 हिन्दी के किसी एक समालोचक का नाम लिखिए।
उत्तर―विनयमोहन शर्मा हिन्दी के एक प्रसिद्ध समालोचक हैं।
 
प्रश्न 46 शुक्ल युग के दो प्रसिद्ध कहानी-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर―भगवतीचरण वर्मा तथा आचार्य चतुरसेन शास्त्री शुक्ल युग के दो प्रसिद्ध कहानी लेखक हैं।
 
प्रश्न 47 पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी किस युग के प्रमुख साहित्यकार हैं ?
उत्तर― श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी द्विवेदी युग के प्रमुख साहित्यकार हैं।
 
प्रश्न 48 रामचन्द्र शुक्ल के दो आलोचना-ग्रन्थों का नाम लिखिए।
उत्तर―‘रस-मीमांसा’ और ‘चिन्तामणि’ रामचन्द्र शुक्ल के दो आलोचना-ग्रन्थ हैं।
 
प्रश्न 49 शुक्लोत्तर युग के दो प्रमुख गद्य लेखकों एवं उनकी कृतियों के नाम लिखिए।
उत्तर―शुक्लोत्तर युग के दो प्रमुख गद्य लेखक और उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं―
(1) डॉ० नगेन्द्र―विचार और अनुभूति, अनुसन्धान और आलोचना, आस्था के चरण, अप्रवासी की
यात्राएँ आदि।
(2) आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी―अशोक के फूल, कुटज, विचार-प्रवाह, पुनर्नवा, बाणभट्ट की
आत्मकथा आदि।
 
प्रश्न 50 काका कालेलकर हिन्दी के अतिरिक्त और किस भारतीय भाषा में लिखते थे ?
उत्तर―काका कालेलकर हिन्दी के अतिरिक्त गुजराती भाषा में लिखते थे।
 
प्रश्न 51 आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के बाद के किन्हीं दो साहित्य-इतिहास लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर―(1) गुलाबराय तथा (2) हजारीप्रसाद द्विवेदी; आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के बाद के दो साहित्य―
इतिहास लेखक हैं।
 
प्रश्न 52 छायावादी युग के गद्य साहित्य की किन्हीं चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर― छायावादी युग के गद्य साहित्य की विशेषताएँ है—(1) प्रतीकात्मकता, (2) लाक्षणिकता,
(3) आलंकारिकता तथा (4) वक्रता।
 
प्रश्न 53 किन्हीं दो छायावादी लेखकों तथा उनकी एक-एक रचना का नाम लिखिए।
उत्तर― (1) जयशंकर प्रसाद-चन्द्रगुप्त तथा (2) महादेवी वर्मा― स्मृति की रेखाएँ।
 
प्रश्न 54 महादेवी वर्मा की किन्हीं दो गय-रचनाओं के नाम निर्दिष्ट कीजिए।
उत्तर―महादेवी वर्मा छायावादी युग की सुप्रसिद्ध लेखिका है। इन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना
जाता है। इनकी दो गद्य-रचनाएँ हैं― (1) पथ के साथी तथा (2) स्मृति की रेखाएँ।
 
प्रश्न 55 रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा लिखित एक कहानी और एक रेखाचित्र रचना का नामोल्लेख
कीजिए।
उत्तर― कहानी―चिता के फूल तथा रेखाचित्र―माटी की मूरतें।
 
प्रश्न 56 प्रगतिवादी युग के गद्य की दो प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर― प्रगतिवादी युग के गद्य की दो मुख्य विशेषताएँ निम्नवत् हैं―
(1) सहज, व्यावहारिक और अलंकारविहीन गद्य की रचना।
(2) भावुकतापूर्ण अभिव्यक्ति के स्थान पर सतेज और चुटीली उक्तियों से युक्त रचना।
 
प्रश्न 57 हिन्दी के दो प्रगतिवादी लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर― (1) डॉ० रामविलास शर्मा तथा (2) शिवदान सिंह चौहान हिन्दी के दो प्रगतिवादी लेखक हैं।
 
प्रश्न 58 हिन्दी गद्य की प्रमुख विधाओं के बताइए।
उत्तर― हिन्दी गद्य की प्रमुख विधाएँ हैं-निबन्ध, नाटक, उपन्यास, कहानी और आलोचना।
 
प्रश्न 59 हिन्दी गद्य की किन्हीं दो नवीन विधाओं के नाम लिखिए।
उत्तर― (1) डायरी तथा (2) रिपोर्ताज; हिन्दी गद्य की दो नवीन विधाएँ हैं।
 
प्रश्न 60 हिन्दी गद्य-काव्य लेखकों में से किन्हीं दो लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर― (1) वियोगी हरि तथा (2) राय कृष्णदास; हिन्दी के दो गद्य-काव्य लेखक है।
 
प्रश्न 61 उस हिन्दी लेखक का नाम बताइए, जिसका जीवन और सम्पूर्ण विचारधारा गाँधीवाद से
सराबोर (प्रभावित) था।
उत्तर― आचार्य विनोबा भावे ऐसे लेखक हैं, जिनका जीवन और सम्पूर्ण विचारधारा गाँधीवाद से
सराबोर (प्रभावित) था।
 
प्रश्न 62 हिन्दी गद्य की किन्हीं चार प्रमुख विधाओं का उल्लेख करते हुए इनके प्रतिनिधि लेखकों का
नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर― हिन्दी गद्य की प्रमुख चार विधाएँ और उनके प्रतिनिधि लेखकों के नाम निम्नलिखित हैं―
(1) निबन्ध―श्यामसुन्दर दास, रामचन्द्र शुक्ल, रामवृक्ष बेनीपुरी, हजारीप्रसाद द्विवेदी।
(2) नाटक―जयशंकर प्रसाद, वृन्दावन लाल वर्मा, उपेन्द्रनाथ अश्क, मोहन राकेश।
(3) कहानी―प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, जैनेन्द्र कुमार, यशपाल।
(4) उपन्यास―प्रेमचन्द, वृन्दावनलाल वर्मा, आचार्य चतुरसेन शास्त्री, किशोरीलाल गोस्वामी।
 
प्रश्न 63 ऐसे तीन गद्य-लेखकों के नाम लिखिए, जिन्होंने द्विवेदी युग तथा शुक्ल युग (छायावाद युग)
दोनों में योगदान दिया।
उत्तर― द्विवेदी युग तथा शुक्ल युग दोनों युगों में योगदान करने वाले लेखक हैं―
(1) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, (2) बाबू श्यामसुन्दर दास तथा (3) पं० पद्मसिंह शर्मा।
 
प्रश्न 64 ‘गुरु नानकदेव’ पाठ की भाषा किस प्रकार की है ? दो पंक्तियों में लिखिए।
उत्तर― ‘गुरु नानकदेव’ पाठ की भाषा प्रांजल, मृदुल एवं प्रवाहपूर्ण है। संस्कृतनिष्ठ सामासिक पदावली
का प्रयोग होने के पश्चात् भी भाषा में बोधगम्यता का गुण विद्यमान है।
 
प्रश्न 65 ‘गिल्लू’ नामक पाठ महादेवी वर्मा की किस कृति से संकलित है ?
उत्तर― ‘गिल्लू’ नामक पाठ महादेवी वर्मा की ‘मेरा परिवार’ कृति से संकलित है।
 
प्रश्न 66 “गिल्लू’ पाठ के आधार पर महादेवी वर्मा की भाषा-शैली की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर― इस पाठ की भाषा-शैली सरस, आकर्षक तथा प्रभावोत्पादक है। शब्दों का चयन और
वाक्य-विन्यास कलात्मक है। प्रस्तुति में आत्मीयता, ममता तथा स्नेहशील भावों का समन्वय है।
 
प्रश्न 67 ‘सेवाग्राम की डायरी’ किस शैली की रचना है ?
उत्तर― ‘सेवाग्राम की डायरी’ आत्मकथात्मक शैली की रचना है।
 
प्रश्न 68 ‘स्मृति’ की भाषा-शैली पर दो पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर― ‘स्मृति’ नामक पाठ आत्मकथात्मक शैली में लिखी गयी रचना है। चित्रात्मक तथा वर्णनात्मक
शैली का प्रयोग पाठक को रोमांचित करने में सफल हुआ है। इसकी भाषा सरल, सरस, प्रवाहपूर्ण और आम
बोलचाल की शब्दावली के कारण बोधगम्यता के गुण से ओत-प्रोत है।
 
प्रश्न 69 ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ पाठ की भाषा-शैली की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर― ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ पाठ की भाषा-शैली की दो विशेषताएँ निम्नवत् हैं―
(1) पाठ की भाषा सरल, स्वाभाविक और प्रवाहपूर्ण है।
(2) पाठ में चित्रात्मक और विचारात्मक शैलियाँ प्रमुखता से अपनायी गयी हैं।

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