UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 3 आप भले तो जग भला (मंजरी)
UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 3 आप भले तो जग भला (मंजरी)
महत्त्वपूर्ण गद्यांशों की व्याख्या
दुनिया ………………………………………. हितकर होगा।
संदर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘आप भले तो जग भला’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक श्रीमन्नारायण हैं।
प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने बताया है कि आप दूसरों से जिस प्रकार का व्यवहार करेंगे, दूसरे मनुष्य भी वैसा ही व्यवहार आपके साथ करेंगे।
व्याख्या – लेखक कहता है कि सारा संसार काँच के महल जैसा है। जिस प्रकार, काँच के महल में अपना रूप साफ-साफ दिखाई देता है, उसी प्रकार, हमारी आदत की छाया ही हमें दिखाई देती है। आप अगर खुश हों, तो संसार भी विनम्र भाव और प्रेम से बात करेगा। अगर आप दूसरों की गलतियाँ ही देखते रहेंगे, उन्हें अपना शत्रु समझते रहेंगे, उनकी ओर भौंको करेंगे, तो वे भी आपकी ओर गुस्से से दौड़ेंगे अंग्रेजी में एक कहावत है कि अगर आप खुश रहेंगे, तो दुनिया भी आपका साथ देने को तैयार रहेगी। यदि आपको गुस्सा करना और रोना हो, तो दुनिया से दूर किसी जंगल में चले जाना ही कल्याणकारी होगा।
पाठका सार (सारण)
काँच के एक विशाल महल में एक कुत्ता घुस आया और जोर से भौंकने लगा। काँच होने से बहुत सारे कुत्ते उसे अपने ऊपर भौंकते दिखाई पड़े। वह उन पर झपटा, तो वे भी झपटे। अन्त में, कुत्ता गश खाकर गिर पड़ा। तभी दूसरा कुत्तों आया। वह प्रसन्नता से उछला, कूदा, अपनी ही छाया से खुश हुआ और फिर पूँछ हिलाते हुए बाहर चला गया।
दुनिया काँच के महल जैसी है। अपने स्वभाव की छाया ही उस पर पड़ती है। आप भले तो जग भला। अगर आप हँसेंगे, तो दुनिया आपके साथ हँसेगी; परन्तु आपके साथ रोएगी कभी नहीं । अमेरिकन राष्ट्रपति लिंकन की सफलता का रहस्य यह था कि उन्होंने दूसरों की अनावश्यक नुक्ताचीनी से किसी का दिल कभी नहीं दुखाया।
हमें दूसरों के दृष्टिकोण से समझने की कोशिश करनी चाहिए; क्योंकि शहद की एक बूंद ज्यादा मक्खियों को आकर्षित करती है, बजाय एक सेर जहर के। लोग दूसरों की आँखों के तिनके तो देखते हैं, परन्तु अपनी आँखों के शहतीर नहीं देखते। दूसरों को सीख देना आसान है, लेकिन अपने आदर्शों पर चलना बहुत कठिन है। हमें निन्दक को दूर न कर उसे सम्मान देना चाहिए, क्योंकि वह हमारी गलतियों की ओर ध्यान दिलाकर हम पर उपकार ही करता है। इसके प्रतिकूल गलती करने कलों का अपमान न कर हमें प्रेम और सहानुभूति के व्यवहार से। उसे सुधारने का प्रयत्न करना चाहिए। गाँधी जी हँसकर, मीठी चुटकियाँ लेकर दूसरे की कड़ी-से-कड़ी आलोचना कर देते थे। जिनकी कहीं भी नहीं पटती थी, वे गाँधी जी के पुजारी बन जाते थे।
मनुष्य को व्यवहार-कुशल होना चाहिए। जानवर भी प्रेम की भाषा समझते हैं और अनुकूल प्रतिक्रिया करते हैं। हमें अपने आदर्श, आचार-विचार के साथ-साथ दूसरों के साथ प्रेम, सहानुभूति और सम्मान का व्यवहार करना चाहिए। यदि ज्ञानी मनुष्य स्वयं को सर्वज्ञ समझे, तो वह सबसे बढ़कर मूर्ख है।
प्रश्न-अभ्यास
कुछ करने को
नोट – प्रश्न संख्या 1 को विद्याथी स्वयं हल करें। प्रश्न संख्या 2 का उत्तर नीचे दिया जा रहा है
उत्तर :
कर भला हो भला – दूसरों के साथ अच्छा करने से अपने साथ भी अच्छा होता है।
अंत भला तो सब भला – परिणाम अच्छा हो जाए तो सब कुछ अच्छा माना जाता हैं।
अंत भले का भला – अच्छे लोगों का अंत अच्छा ही होता है।
कहने से करना भला – केवल बात करने से बेहतर है कुछ कर के दिखाना।
बैठे से बेगार भली – कुछ भी न करने से कुछ करना बेहतर है।
ये लोकोक्तियाँ उदाहरण के तौर पर दी गई हैं। बच्चे स्वयं लोकोक्तियों का संग्रह करें।
विचार और कल्पना
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।
निबन्ध से
प्रश्न 1.
“आपकी सफलता का सबसे बड़ा रहस्य क्या है?’ इस प्रश्न का अब्राहम लिंकन ने क्या जवाब दिया?
उत्तर :
अब्राहम लिंकन ने जवाब दिया कि मैं दूसरों की अनावश्यक नुक्ताचीनी कर उनका दिल नहीं दुखाता।
प्रश्न 2.
गाँधी जी ने अपने आश्रम को प्रयोगशाला क्यों कहा है?
उत्तर :
गाँधी जी के आश्रम में केवल सैद्धांतिक बातें नहीं होती थीं; वहाँ उनका व्यावहारिक प्रयोग भी होता था; जिसमें उनकी अहिंसात्मक प्रवृत्ति बहुत उपयोगी होती थी। यही कारण है कि उन्होंने अपने आश्रम को प्रयोगशाला कहा है।
प्रश्न 3.
पाठ के शीर्षक ‘आप भले तो जग भला’ का क्या आशय है? ।
उत्तर :
पाठ के शीर्षक ‘आप भले तो जग भला’ का आशय है – जो जिसके साथ जैसा व्यवहार करता है, वह बदले में वैसा ही पाता है।
प्रश्न 4.
नीचे दी गई पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए –
(क) दुनिया काँच के महल जैसी है, अपने स्वभाव की छाया ही उस पर पड़ती है।
भाव – जिस प्रकार, दर्पण में वास्तविक रूप दिखाई दे जाता है, उसी प्रकार, किसी को अपने व्यवहार का ही प्रतिफल प्राप्त होता है अर्थातू हम जैसा आचरण करेंगे; सामने वाला भी हमारे साथ वैसा ही आचरण करेगा।
(ख) अगर आप हँसेंगे, तो दुनिया भी आपका साथ देगी।
भाव – यह दुनिया सुख में हमेशा साथ देती है।
(ग) शहद की एक बूंद ज्यादा मक्खियों को आकर्षित करती है, बजाय एक सेर जहर के।
भाव – कई दुर्गुणों की अपेक्षा एक गुण अधिक प्रभावकारी होता है।
(घ) लोग दूसरों की आँखों का तिनका तो देखते हैं; पर अपनी आँख के शहतीर को नहीं देखते।
भाव – दूसरों के साधारण अवगुण शीघ्र दिखाई दे जाते हैं; जबकि अपने असाधारण दुर्गुण भी दिखाई नहीं देते हैं।
प्रश्न 5.
प्रश्नों में उत्तर के रूप में चार विकल्प दिये गये हैं, सही विकल्प पर सही (✓) का चिह्न लगाइए (चिह्न लगाकर) –
(क) लोग आपसे प्रेम और नम्रता का बर्ताव करेंगे, जब आप –
- हमेशा लोगों के ऐबों की ओर देखेंगे।
- लोगों को अपना शत्रु संमझेंगे।
- लोगों की ओर गुस्से से दौड़ेंगे।
- लोगों के दोष न देखकर उनके गुणों की ओर ध्यान देंगे। (✓)
(ख) बापू के किस गुण के कारण लोग उनकी ओर आकृष्ट होते थे –
- आलोचना
- अनुशासन
- कठोरता
- प्रेम और सहानुभूति (✓)
भाषा की बात
प्रश्न 1.
नीचे दिये गये मुम्नवरों का अर्थ स्पष्ट करते हुए अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए (प्रयोग करके) –
टूट पड़ना – हमला करना
वाक्य प्रयोग – एक कुत्ते को भौंकता देखकर बाकी सब कुत्ते उस पर टूट पड़े, जिससे वह घायल हो गया।
दुम हिलाना – खुशामद करना
वाक्य प्रयोग – मालिक को देखकर कुत्ते ने दुम हिलाना शुरू कर दिया।
दिल दुखाना – कष्ट पहुँचाना
वाक्य प्रयोग – किसी का भी दिल नहीं दुखाना चाहिए।
नुक्ताचीनी करना – दोष ढूँढ़ना
वाक्य प्रयोग – लोगों की नुक्ताचीनी करने पर मनुष्य स्वयं घृणा का पात्र बन जाता है।
आग-बबूला होना – नाराज होना
वाक्य प्रयोग – नौकर के घर चले जाने पर मालिक आग-बबूला हो गया।
चुटकी लेना – विनोद/मजाक करना
वाक्य प्रयोग – गाँधी जी मीठी चुटकी लेकर लोगों को हँसा देते थे।
दिमाग चढ़ना – घमण्ड होना
वाक्य प्रयोग – आस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम वर्ल्ड कप क्या जीत गई, खिलाड़ियों के दिमाग चढ़ गए।
प्रश्न 2.
(क) आप तो बड़े समझदार हैं। -साधारण वाक्य
(ख) शायद कुछ लोगों का ख्याल है कि ईश्वर ने उन्हें लोगों को सुधारने के लिए भेजा है। -मिश्र वाक्य
(ग) वह प्रसन्नता से उछला कूदा, अपनी ही छाया से खेला, खुश हुआ और फिर पूँछ हिलाता हुआ बाहर चला गया – संयुक्त वाक्य।
ऊपर तीन तरह के वाक्य दिए गए हैं – साधारण, मिश्र और संयुक्त। पाठ में आये हुए इन तीनों प्रकार के कम-से-कम दो-दो वाक्यों को छाँटकर लिखिए।
उत्तर :
(क) साधारण वाक्य –
- दुनिया काँच के महल जैसी है।
- उनकी आँखों में आँसू छलछला आए।
(ख) मिश्र वाक्य –
- वह समझा कि ये सब उस पर टूट पड़ेंगे।
- वे मानते हैं कि उनका जीवन, आचार और विचार आदर्श हैं।
(ग) संयुक्त वाक्य –
- मन में क्रोध जाग्रत हुआ और वे उठकर चल दिए।
- वह खूब खुश हुआ और कुत्तों की ओर अपनी पूँछ हिलाते हुए बढ़ा।
प्रश्न 3.
“यह तो बड़ी अशिष्टता होगी। इस वाक्य में ‘अशिष्टता’ शब्द भाववाचक संज्ञा है। भाववाचक संज्ञा शब्दों के अन्त में ता, पन, पा, हट, वट, त्व आस प्रत्यय जुड़े रहते हैं। पाठ में आये हुए अन्य भाववाचक संज्ञा शब्दों को छाँटकर लिखिए।
उत्तर :
शान, आवाज, प्रतिध्वनि, प्यार, प्रसन्नता, छाया, स्मरण, स्वभाव, दोष, गुण, नम्रता, प्रेम, ऐब, तारीफ, मजा, ज़िन्दगी, विचार, जीवन, आचार, सम्मान, साहस, सहानुभूति, याद, शौक, ताकत, तमाशा, खबर, डॉट, झलक, व्यवहार, अहिंसा, मतलब, सन्तोष, अपमान, उपकार, अवगुण, ध्यान, सफलता, नुक्ताचीनी, गलती, त्रुटियाँ, सीख, आदर्श, टीका-टिप्पणी, बुराई, आलोचना आदि।
इसे भी जानें-
नोट – विद्यार्थी ध्यान से पढ़ें।
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