UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 17 कबीर और उनके गरु रामानन्द (महान व्यक्तिव)

By | May 28, 2022

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 17 कबीर और उनके गरु रामानन्द (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 17 कबीर और उनके गरु रामानन्द (महान व्यक्तिव)

पाठ का सारांश

कबीर – कबीर ने मानव मात्र को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। इन्होंने अपने उपदेशों से समाज में व्याप्त बुराइयों का विरोध किया और आदर्श समाज की स्थापना पर बल दिया। .. कबीर का जन्म 1398 ई० में काशी में हुआ। नीरू और नीमा नामक जुलाहे दम्पति ने इनका पालन किया। इनकी पत्नी का नाम लोई और पुत्र व पुत्री के नाम क्रमशः कमाल और कमाली थे। कबीर कपड़ा बुनते थे और रामानन्द के शिष्य थे। कबीर अनपढ़ थे। इनका ज्ञान अनुभव और साधना पर आधारित था।

कबीर बाह्य आडम्बर से चिढ़ते थे। मौलवियों व पंडितों के कर्मकाण्ड, नमाज पढ़ना, मन्दिर में माला जपना, मूर्ति-पूजा करना, रोजे और उपवास आदि को कबीर आडम्बर समझते थे। कबीर की भाषा में  अनेक बोलियों के शब्द आ जाने के कारण वह सधुक्कड़ी कही जाती है। कबीर की वाणी को साखी, सबद और रमैनी रूपों में लिखा गया, जो ‘बीजक’ नाम से प्रसिद्ध है। कबीर गुरु को भगवान से बढ़कर मानते थे और निंदक को अपना हितैषी समझते थे।

मगहर में मरने से नरक मिलता है, कबीर ने इस धारणा को तोड़ा और मगहर जाकर सन् 1518 ई० में 120 वर्ष की आयु पाकर शरीर त्याग दिया। कबीर की वाणी मानवीय एकता का रास्ता दिखाने में सक्षम है।

रामानन्द – रामानन्द क्रान्तिकारी महापुरुष थे। इन्होंने रामानुजाचार्य की भक्ति परम्परा को उत्तर भारत में लोकप्रिय बनाया तथा ‘रामावत’ सम्प्रदाय का गठन कर राममंत्र का प्रचार किया।

रामानन्द का जन्म प्रयाग में हुआ। इनकी माता का नाम सुशीला और पिता का नाम पुण्यदमन था। इनके धार्मिक संस्कारों के कारण रामानन्द बचपन से पूजा-पाठ में रुचि लेने लगे। ये मेधावी बालक थे। प्रयाग में आरम्भिक शिक्षा के बाद इन्होंने काशी जाकर धर्मशास्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया। वैष्णव सम्प्रदाय पर विश्वास रखने वाले गुरु राघवानन्द से शिक्षा-दीक्षा लेकर रामानन्द देश भ्रमण को निकल पड़े। इन्होंने समाज में फैली ऊँच-नीच, छुआछूत और जाति-पाँति की भावना को तोड़ने का प्रयास किया।

रामानन्द ने नए मार्ग और नए दर्शन (भक्ति मार्ग) की शुरुआत की। उसे अधिक उदार और समतामूलक बनाया। भक्ति के द्वार धनी, निर्धन, नारी-पुरुष, अछूत-ब्राह्मण, सभी के लिए खोल दिए। रामानन्द के  बारह प्रमुख शिष्य थे, जिनमें अनन्तानन्द, कबीर, रैदास, धन्ना, नरहरि, पीपा, भावानन्द, पदमावती और सुरसुर के नाम शामिल हैं।

रामानन्द के विचार और उपदेशों ने दो धार्मिक मतों को जन्म दिया- रूढ़िवादी और प्रगतिवादी। प्रगतिवादी सिद्धांत हिन्दू-मुसलमान सभी को मान्य थे।

रामानन्द सिद्ध सन्त थे। इन्होंने ईश्वरभक्ति को सुखमय जीवनयापन का सबसे अच्छा मार्ग बताया। ये राम के अनन्य भक्त और भक्ति आन्दोलन के जनक थे।

अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

प्रश्न 1.
कबीर वाह्य आडम्बर किसे कहते थे?
उत्तर :
कबीर मसजिदों में नमाज पढ़ने, मन्दिरों में माला जपने, मूर्ति पूजा करने, रोजे और उपवास रखने को बाह्य आडम्बर कहते थे।

प्रश्न 2.
कबीर ने अपने उपदेशों में किन बातों पर बल दिया?
उत्तर :
कबीर ने अपने उपदेशों में समाज में फैली बुराइयों का कड़ा विरोध किया और आदर्श समाज की स्थापना पर बल दिया।

प्रश्न 3.
सही कथन के सामने सही (✓) तथा गलत कथन के सामने गलत (✗) के निशान लगाइए (निशान लगाकर) –
उत्तर :

(क) कबीर की शिक्षा-दीक्षा काशी में हुई। (✗)
(ख) निन्दा करने वाले लोगों को कबीर अपना हितैषी समझते थे। (✓)
(ग) कबीर की वाणी को साखी, सबद, रमैनी तीन रूपों में लिखा गया है। (✓)
(घ) रामानन्द ने संस्कृत में अनेक ग्रन्थों की रचना की। (✓)

प्रश्न 4.
सही विकल्प चुनकर लिखिएकबीर की दृष्टि में गुरु का स्थान –

(क) माता-पिता के समान है।
(ख) भगवान के समान है।
(ग) भगवान से बढ़कर है।

उत्तर :
कबीर की दृष्टि में गुरु का स्थान – (ग) भगवान से बढ़कर है।

प्रश्न 5.
रामानंद के व्यक्तित्व की विशेषताओं के बारे में लिखिए।
उत्तर :
रामानंद का जन्म प्रयाग में हुआ था। बचपन से ही इनकी रुचि पूजा-पाठ में थी। रामानंद की प्रारंभिक शिक्षा प्रयाग में हुई थी। रामानंद प्रखर बुद्धि के बालक थे। रामानंद को जाति-पाँति का भेद-भाव पसंद नहीं था। उन्होंने धर्म शास्त्रों का ज्ञान काशी में प्राप्त किया। उन्होंने काशी प्रवास के दौरान गुरु राघवानंद से दीक्षा ली। रामानंद ने समाज में फैली ऊँच-नीच, छुआ छूत, जाति-पाँति के भेदभाव को दूर करने का भरसक प्रयास किया। उन्होंने एक नए मार्ग की शुरुआत की जिसे भक्ति मार्ग  की संज्ञा दी गई। रामनंद संस्कृत के विद्वान थे और संस्कृत में उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की। वे हिंदी भाषा के प्रबल समर्थक थे। उनका मानना था कि हिंदी भाषा के माध्यम से सम्पूर्ण भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है। ये कबीर के गुरु थे। लगभग 112 वर्ष की आयु में 1412 ई. में रामानंद का निधन हो गया।

प्रश्न 6.
रामानंद जी का दर्शन किस नाम से जाना जाता है और उसकी विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर :
रामानंद जी का दर्शन भक्ति मार्ग के नाम से जाना जाता है। इस मार्ग की विशेषता यह है कि इस मार्ग द्वारा भक्ति के द्वार धनी, निर्धन, पुरुष, नारी सबके लिए खोल दिए। धीरे-धीरे भक्ति मार्ग का प्रचार-प्रसार  इतना बढ़ गया कि इसे बौद्ध धर्म के आंदोलन से बढ़कर बताया गया।

योग्यता विस्तार –

गुरु की महिमा तथा वाह्य आडंबर के विषय में कहे गए कबीर के एक-एक दोहे को याद कर सुनाइए।
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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