UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 27 बाबू बंधू सिंह (महान व्यक्तिव)
UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 27 बाबू बंधू सिंह (महान व्यक्तिव)
पाठ का सारांश
अमर शहीद बाबू बंधू सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के ग्राम डुमरी कोर्ट (तत्कालीन डुमरी रियासत), थाना-चौरीचौरा में 1 मई, सन् 1833 ई. में हुआ था। बंधू सिंह के पिता बाबू शिव प्रसाद सिंह डुमरी रियासत के जागीरदार थे। बंधू सिंह छह भाई थे और सभी बहुत बहादुर थे। बचपन से ही बाबू बंधू सिंह के मन में अंग्रेजी दासता को समाप्त करने की इच्छा प्रज्वलित हो उठी थी। सन् 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम की लौ पूरे देश में जल उठी और उसी संघर्ष की लौ में बाबू बंधू सिंह ने चुन-चुन कर अंग्रेजों का सफाया आरंभ कर दिया। उनके इस , कार्य से उनके जिले गोरखपुर में अंग्रेजी शासन में भय व्याप्त हो गया। उन्होंने अपने भाइयों के साथ वहाँ की जनता में आजादी का जोश पैदा किया। वे गोरिल्ला युद्ध के माध्यम से अंग्रेज अफसरों एवं सैनिकों का काम तमाम करते थे। उन्होंने अपने भाइयों के साथ मिलकर गोरखपुर आ रहे सरकारी खजाने को लूट लिया और लूट में मिले धन को स्वाधीनता संघर्ष में लगा दिया। अंग्रेजी शासन इन्हें गिरफ्तार करने के लिए लगातार पीछा करती रही। हारकर अंग्रेजी शासन ने धोखे से मुखबिर के माध्यम से इन्हें गिरफ्तार कर लिया। अंग्रेजी सरकार ने मुकदमें की कार्यवाही चलाए बिना ही बंधू सिंह को बागी ठहराकर 12 अगस्त 1857 को गोरखपुर शहर के अलीनगर चौराहे पर सरेआम फाँसी पर लटका दिया। बंधू सिंह भारत माता के सच्चे सपूत थे। हमें उन पर गर्व करना चाहिए।
अभ्यास
प्रश्न 1.
बाबू बंधू सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर :
बाबू बंधू सिंह का जन्म गोरखपुर जिले के ग्राम-डुमरी, थाना- चोरी-चौरा में 1 मई, सन 1833 को हुआ था।
प्रश्न 2.
अंग्रेजी शासन में बाबू बंधू सिंह के किसे कार्य से भय व्याप्त हो गया था?
उत्तर :
1857 के पहले स्वाधीनता संग्राम में बाबू बंधू सिंह ने अंग्रेज अफसरों एवं सैनिकों का चुन-चुन कर सफाया आरंभ कर दिया। उनके इस कार्य से अंग्रेजी शासन में भय व्याप्त हो गया था।
प्रश्न 3.
अफसर की चुनौती का सामना बंधू सिंह ने कैसे किया?
उत्तर :
एक बार अंग्रेजो को अपना खजाना गोरखपुर भेजना था। लेकिन बंधू सिंह के डर के कारण कोई इसका साहस नहीं जुटा पा रहा था। अंग्रेजों के एक वफादार अफसर ने कहा कि खजाना लेकर हम जाएँगे और बंधू सिंह तथा उसके भाइयों को मार-मार कर उनकी खाल उतार लेंगे। उस अफसर की चुनौती को बंधू सिंह व उनके भाइयों ने स्वीकार किया और खजाना लेकर आ रहे उस अफसर पर रास्ते में ही हमला कर उसे मारकर खजाना अपने अधिकार में ले लिया। बंधू सिंह ने उस धन को स्वाधीनता संग्राम में लगा दिया।
प्रश्न 4.
बाबू बंधू सिंह के फाँसी के फंदे के संबंध में कौन सी जनश्रुति प्रसिद्ध है?
उत्तर :
बाबू बंधू सिंह के फाँसी के फंदे के संबंध में एक जनश्रुति प्रसिद्ध है कि बाबू बंधू सिंह को फाँसी देते समय उनके गले से फाँसी का फंदा सात बार टूट गया। सभी अंग्रेज अफसर हैरान और परेशान थे। आठवीं बार बंधू सिंह ने देवी माँ से प्रार्थना की कि अब मुझे अपने चरणों में आने दो। इतना कहने के बाद उन्होंने स्वयं फाँसी का फंदा अपने गले में डाल लिया और भारत माँ की खातिर हँसते-हँसते अपना प्राण न्योछावर कर दिया।
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