सिद्ध साहित्य
सिद्ध साहित्य सिद्ध से तात्पर्य सीधे बौद्धों की वज्रयानी परंपरा के सिद्धाचार्यो के साहित्य से है जो अपभ्रंश दोहों तथा चर्यापदों के रूप में उपलब्ध है। इसमें बौद्ध तांत्रिक सिद्धांतों को मान्यता दी गयी है। यद्यपि उन्हीं के समकालीन शैव नाथ योगियों को भी सिद्ध कहा जाता था, किंतु कतिपय कारणों से हिंदी तथा अन्य… Read More »