UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 7 अनुक्रमणिका या सूची
बहुविकल्पीय प्रश्न ( 1 अंक)
प्रश्न 1.
पत्र-पुस्तक अनुक्रमणिका का प्रयोग होता है।
(a) छोटे व्यवसाय में
(b) बड़े व्यवसाय में
(c) सहकारी समितियों में
(d) इन तीनों में
उत्तर:
(d) छोटे व्यवसाय में
प्रश्न 2.
पुस्तकालय के लिए कौन-सी अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जाता है?
(a) खुली अनुक्रमणिका
(b) स्वरात्मक अनुक्रमणिका
(c) कार्ड अनुक्रमणिका
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(c) कार्ड अनुक्रमणिका
प्रश्न 3.
‘संकेत काई’ का प्रयोग किया जाता है।
(a) कार्ड अनुक्रमणिका में
(b) जिल्ददार पुस्तक सूची में
(c) ‘a’ और ‘b’ दोनों में
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) कार्ड अनुक्रमणिकां में
निश्चित उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)
प्रश्न 1.
अनुक्रमणिका के अभाव की कोई एक कठिनाई लिखिए।
उत्तर:
ग्राहकों से प्राप्त आदेशों की पूर्ति में कठिनाई बनी रहती है।
प्रश्न 2.
पहले और बाद वाले पत्रों का सन्दर्भ देने वाली अनुक्रमणिका कौन-सी होती हैं?
उत्तर:
शृंखला अनुक्रमणिका
प्रश्न 3.
कार्ड अनुक्रमणिका का आविष्कार किस विद्वान ने किया था?
उत्तर:
ऐबे जीन रोजियर
प्रश्न 4.
बैंक में नमूने के हस्ताक्षर के लिए कौन-सी अनुक्रमणिका उपयुक्त है?
उत्तर:
कार्ड अनुक्रमणिका
प्रश्न 5.
दृश्य कार्ड सूची की मुख्य विशेषता क्या है?
उत्तर:
इसमें अनेक कार्ड एक साथ देखे जा सकते हैं।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)
प्रश्न 1.
अनुक्रमणिका के चार लाभ या महत्त्व बताइए। (2014, 12)
उत्तर:
अनुक्रमणिका के चार लाभ या महत्त्व निम्नलिखित हैं-
- अनुक्रमणिका पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा प्रदान करती है।
- अनुक्रमणिका खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य होती है।
- अनुक्रमणिका पत्रों को फाइल करने में सुविधा प्रदान करती है।
- अनुक्रमणिका द्वारा पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों को सुरक्षित रखा जा सकता
प्रश्न 2.
अनुक्रमणिका की विभिन्न विधियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
अनुक्रमणिका की विभिन्न विधियों के नाम निम्नलिखित हैं-
- साधारण/पत्र-पुस्तक या वर्णात्मक अनुक्रमणिका
- स्वरात्मक अनुक्रमणिका
- श्रृंखला अनुक्रमणिका
- कार्ड अनुक्रमणिका
- दिखने वाली (खुली/दृश्य) कार्ड अनुक्रमणिका
- चक्रीय अनुक्रमणिका
प्रश्न 3.
शृंखला अनुक्रमणिका क्यों बनाई जाती है?
उत्तर:
शृंखला अनुक्रमणिका या सूची एक ऐसी पद्धति है, जिसकी सहायता से किसी ग्राहक को अलग-अलग तिथियों पर लिखे गए पत्रों की ऐसी जानकारी एक ही पृष्ठ पर प्राप्त हो जाती है कि पत्र विशेष से पहले के पत्रों व आगे के पत्रों की प्रतिलिपि किन पृष्ठों पर दी गई है, जिससे पुराने पत्रों को सरलता से प्राप्त किया जा सके। इस उद्देश्य से श्रृंखला अनुक्रमणिका बनाई जाती है।
प्रश्न 4.
कार्ड अनुक्रमणिका क्या है? इसके दो गुणों का उल्लेख कीजिए। (2014)
उत्तर:
कार्ड अनुक्रमणिका इस अनुक्रमणिका में संकेत कार्डों का प्रयोग किया जाता है तथा प्रत्येक ग्राहक के लिए एक कार्ड बना दिया जाता है, जिस पर उसका नाम, पता एवं सूचनाएँ स्पष्ट रूप से लिख दी जाती हैं। बैंक में नमूने के हस्ताक्षर के लिए भी इसी अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए विभिन्न वस्तुओं की आवश्यकता होती है; जैसे-दराजदार अलमारी, नाम कार्ड, संकेत कार्ड, अनुपस्थिति कार्ड, आदि। कार्ड अनुक्रमणिका के दो गुण निम्नलिखित हैं।
- यह प्रणाली लोचदार होती है।
- यह सरल एवं सुविधाजनक प्रणाली है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)
प्रश्न 1.
अनुक्रमणिका से क्या आशय है? इसके दो महत्त्वों का उल्लेख कीजिए। (2012)
अथवा
अनुक्रमणिका क्या है? अनुक्रमणिका के क्या-क्या लाभ हैं? संक्षेप में वर्णन कीजिए। (2011)
अथवा
अनुक्रमणिका से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। (2010)
उत्तर:
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।
अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय में सुचारु रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है
- पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
- पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
- पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
- समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
- पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
- पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
- पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
- खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
- खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
- अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।
प्रश्न 2.
अनुक्रमणिका क्या है? वर्णात्मक अनुक्रमणिका का वर्णन कीजिए। (2009)
उत्तर:
अनुक्रमणिका का अर्थ
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।
अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय में सुचारु रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है
- पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
- पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
- पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
- समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
- पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
- पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
- पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
- खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
- खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
- अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।
वर्णात्मक अनुक्रमणिका
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।
अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय में सुचारु रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है
- पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
- पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
- पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
- समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
- पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
- पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
- पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
- खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
- खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
- अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (8 अंक)
प्रश्न 1.
अनुक्रमणिका क्या है? अनुक्रमणिका की विभिन्न रीतियों एवं उनके महत्त्व का वर्णन कीजिए। (2008)
उत्तर:
अनुक्रमणिका से आशय
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।
अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय में सुचारु रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है
- पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
- पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
- पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
- समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
- पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
- पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
- पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
- खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
- खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
- अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।
1. साधारण या पत्र-पुस्तक अनुक्रमणिका या वर्णात्मक अनुक्रमणिका यह अनुक्रमणिका उन कार्यालयों के लिए होती है, जहाँ थोड़ी मात्रा में ही पत्र आते-जाते हैं। इस अनुक्रमणिका में प्रत्येक अक्षर के लिए एक पृष्ठ नियत कर दिया जाता है। इस प्रकार, अंग्रेजी की अनुक्रमणिका बनाने के लिए 24 पृष्ठ आवश्यक होते हैं, जबकि A से W तक प्रत्येक अक्षर के लिए एक-एक कुल 23 पृष्ठ और Y Y 7 इन तीनों अक्षरों के लिए केवल एक पृष्ठ होता है। क्योंकि इन अक्षरों से आरम्भ होने वाले नाम बहुत कम होते हैं। हिन्दी की अनुक्रमणिका के लिए 36 पृष्ठों की आवश्यकता होती है; जैसे-अ, इ, उ, ए, ओ, अं, क, ख, ग, घ, च, छ (क्ष), ज, झ, ट, ठ, ड, ढ़, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श (षे, स), हे, त्र, ज्ञा ये पृष्ठ दाईं ओर इस प्रकार से कटे होते हैं कि वर्णमाला के सभी अक्षरे एक सीधी रेखा में दिखाई देते हैं तथा पृष्ठों को पलटे बिना यह मालूम किया जा सकता है कि अमुक नाम का हवाला किस पृष्ठ पर मिलेगा।
हिन्दी वर्णमाला का आधार
- सरलता यह प्रणाली अत्यन्त सरल होती है। इसका प्रयोग सामान्य स्तर वाला व्यापारी भी सरलता से कर सकता है।
- लोचदार अनुक्रमणिका की इस प्रणाली में लोचता का गुण अधिक पाया जाता है।
- मितव्ययी इस प्रणाली में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
2. स्वरात्मक अनुक्रमणिका यह अनुक्रमणिका वस्तुतः साधारण अनुक्रमणिका का ही विकसित रूप होता है। बड़े-बड़े व्यापारिक कार्यालयों में जहाँ ग्राहकों की संख्या अधिक होती है, वहाँ इस पद्धति का प्रयोग किया जाता है। इसके अन्तर्गत स्वर के आधार पर अनुक्रमणिका तैयार की जाती है अर्थात् जब एक अक्षर से प्रारम्भ होने वाले नामों की संख्या अधिक हो जाती है, तब उसे स्वर के आधार पर विभाजित कर दिया जाता है। इसे अंग्रेजी एवं हिन्दी में निम्न प्रकार से तैयार किया जा सकता है
(i) अंग्रेजी स्वरों के आधार पर अंग्रेजी भाषा में पाँच स्वर होते हैं- (A, E, I, 0, U) जिनके आधार पर वर्णमाला के अक्षरों को 5 भागों में विभक्त किया जाता है; जैसे-R के 5 उपनाम RA, RE, RI, RO, RU के द्वारा निम्न प्रकार से स्वरात्मक अनुक्रमणिका बनाई जा सकती है-
(ii) हिन्दी स्वरों के आधार पर हिन्दी में मात्राओं के आधार पर 13 स्वर (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अ:) होते हैं।
इसे निम्न उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है-
हिन्दी में ‘क’ अक्षर से शुरू होने वाले ग्राहकों के नाम
स्वरात्मक अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व स्वरात्मक अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व निम्नलिखित हैं
- सरलता अनुक्रमणिका की इस प्रणाली के अन्तर्गत पत्रों को सरलता से ढूंढा जा सकता है।
- उपयुक्तता अनुक्रमणिका की यह प्रणाली छोटे, मध्यम एवं बड़े सभी प्रकार के व्यापारियों के लिए उपयुक्त होती है, परन्तु मध्यम स्तर के व्यापारियों के लिए यह अत्यधिक उपयुक्त होती है।
- बचत इस प्रणाली में पत्रों को आसानी से ढूंढा जा सकता है, जिससे समय वे श्रम दोनों की बचत होती है।
- लोचदार व्यापार की आवश्यकतानुसार इसमें परिवर्तन किया जा सकता है। अतः यह लोचदार पद्धति होती है।
3. श्रृंखला अनुक्रमणिका अथवा श्रृंखला संकेत क्रम शृंखला अनुक्रमणिका, अनुक्रमणिका की एक ऐसी विधि है, जिसकी सहायता से किसी ग्राहक विशेष को अलग-अलग तिथियों पर लिखे गए पत्रों के सम्बन्ध में यह जानकारी एक ही स्थान पर मिल जाती है कि इन पत्रों की प्रतिलिपि किन-किन पृष्ठों पर दी गई है, ताकि उन्हें सरलता एवं शीघ्रता से प्राप्त किया जा सके।
श्रृंखला अनुक्रमणिका बनाने की विधि
मान लीजिए कि श्याम को भेजे गए पत्रों की नकलें पृष्ठ संख्या 8, 12, 15, 20 पर हैं, तो पृष्ठ संख्या 8 पर हर 0/12 पृष्ठ के ऊपर हाशिए में बीचों-बीच लाल स्याही या पेन्सिल से लिख दिया जाएगा। अंश व हर पृष्ठ 12 पर 8/15, पृष्ठ 15 पर 12/20 तथा पृष्ठ 20 पर 15 लिखा जाएगा। बीसवें पृष्ठ पर केवल अंश ही लिखा हुआ हैं, हर नहीं। इसका तात्पर्य यह है। कि पिछले पत्र की नकल 15वें पृष्ठ पर है और अभी इससे आगे कोई पत्र नहीं लिखा गया है।
श्रृंखला अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व श्रृंखला अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व निम्नलिखित हैं
- सरल इस प्रणाली के अन्तर्गत ग्राहकों को अलग-अलग तारीखों पर भेजे गए पत्रों की प्रतिलिपि को आसानी से एक निश्चित स्थान पर प्राप्त किया जा सकता है।
- मितव्ययिता इस प्रणाली के अन्तर्गत अधिक धन व्यय करने की आवश्यकता नहीं होती है।
- बचत इस प्रणाली के अन्तर्गत पत्रों को आसानी से ढूंढा जा सकता है, जिससे समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
4. कार्ड अनुक्रमणिका इसका आविष्कार 18वीं शताब्दी में फ्रांसीसी विद्वान ऐबे जीन रोजियर ने किया था। इस अनुक्रमणिका का प्रयोग पुस्तकालय में किया जाता है। इस अनुक्रमणिका में कार्डों का प्रयोग किया जाता है। प्रत्येक ग्राहक के लिए एक कार्ड बना दिया जाता है, जिस पर उसका नाम, पता एवं सूचनाएँ स्पष्ट रूप से लिख दी जाती हैं। बैंक में नमूने के हस्ताक्षर के लिए भी इसी अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जाता है। इसमें निम्नलिखित वस्तुओं की आवश्यकता होती है
- दराजदार अलमारी दराजों की संख्या व्यापार की आवश्यकता पर निर्भर करती है। प्रत्येक दराज के सामने अंग्रेजी वर्णमाला में क्रमवार संकेत चिन्ह लगे होते हैं।
- नाम कार्ड इन्हें दराजों में वर्णात्मक क्रम में रखा जाता है। नाम कार्ड पर ग्राहक का नाम, पता, टेलीफोन नं., खाता पृष्ठ संख्या, आदि लिखी होती है।
- संकेत कार्ड इन कार्डों के माध्यम से दराज को संख्यात्मक, वर्णात्मक या स्वरात्मक क्रमानुसार कई भागों में बाँट सकते हैं। इसमें प्रत्येक कार्ड का एक सिरा ऊपर उठा होता है, जिस पर अक्षर व संख्या लिखी होती है।
- अनुपस्थिति कार्ड जब किसी वस्तु को उसके स्थान से हटाया जाता है, तो उसके स्थान पर जो विवरण युक्त कार्ड रखा जाता है, उसे अनुपस्थिति कार्ड कहते हैं।
कार्ड अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व कार्ड अनुक्रमणिका के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं
- लोचता यह प्रणाली लोचदार होती है, क्योंकि इसमें व्यापार की आवश्यकतानुसार दराजों की संख्या कम व अधिक की जा सकती है।
- स्वच्छता यह अनुक्रमणिका हमेशा स्वच्छ रहती है, क्योंकि इसको पुस्तक-सूची की तरह काटना नहीं पड़ता है। यदि किसी व्यापारी से पत्र-व्यवहार बन्द हो जाता है, तो उसके कार्ड को निकालकर नए व्यापारी का कार्ड लगा दिया जाता है।
- सुविधाजनक इस सूची में संकेत-पत्रों के कारण कार्ड आसानी से प्राप्त किया जाता है वे संकेत कार्डों का पता सरलता से लग जाता है।
- नवीनतम इसमें नए ग्राहकों के कार्ड समायोजित किए जा सकते हैं, जिससे सूची सदैव नवीनतम बनी रहती है।
- केवल चालू कार्डों को रखना इस प्रणाली में ऐसे ग्राहकों के कार्ड, जिनसे व्यापार बन्द हो गया है, आसानी से हटाए जा सकते हैं। इस प्रकार इसमें केवल चालू कार्ड ही रहते हैं।
- मितव्ययिता इस प्रणाली में बार-बार पुस्तकें या जिल्दें नहीं खरीदनी पड़ती हैं, इसलिए यह प्रणाली अन्य प्रणालियों से मितव्ययी
- उपयुक्तता यह प्रणाली बड़े व्यापारिक कार्यालयों के लिए अधिक उपयुक्त रहती है।
5. दिखने वाली (खुली) कार्ड अनुक्रमणिका दिखने वाली अनुक्रमणिका, कार्ड अनुक्रमणिका का ही एक विकसित रूप होता है। इसे खुली अनुक्रमणिका के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें अनेक कार्डों को एक साथ देखा जा सकता है, जबकि कार्ड अनुक्रमणिका में एक समय में केवल एक ही कार्ड को देखा जा सकता है।
प्रयोग विधि इस अनुक्रमणिका की पद्धति के अन्तर्गत अनुक्रमणिका को तैयार करने के लिए नाम कार्डों को पारदर्शी लिफाफे में रखकर धातु के चौखटों में लगा दिया जाता है। इन चौखटों में नीचे कब्जे लगे होते हैं, जिनमें कार्डों को इस प्रकार से लगाया जाता है कि कार्ड ऊपर से नीचे की ओर एक विशेष क्रम में आ जाएँ, ताकि उन्हें बाहर से देखा जा सके। कार्ड को शीघ्रता से ढूंढने के लिए बीच-बीच में संकेत कार्ड भी लगे होते हैं।
दिखने वाली अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व दिखने वाली अनुक्रमणिका के गुण निम्नलिखित हैं-
- सरलता इस प्रणाली के अन्तर्गत एक से अधिक कार्ड एक साथ सरलतापूर्वक देखे जा सकते हैं।
- उपयुक्तता बड़े व्यापारिक कार्यालयों के लिए यह प्रणाली उपयुक्त होती है।
- लोचता यह प्रणाली लोचपूर्ण होती है। इसमें पुराने कार्डों के क्रमानुसार नए कार्डों को लगाया जा सकता है।
- कम स्थान इस प्रणाली के अन्तर्गत अधिक स्थान की आवश्यकता नहीं होती है।
- सुरक्षा यह प्रणाली अनुक्रमणिका की अन्य प्रणालियों की अपेक्षा अधिक सुरक्षित होती है, क्योकि ग्राहकों के नाम कार्ड होल्डरों में लगे हुए होते हैं।
6. चक्रीय अनुक्रमणिका यह अनुक्रमणिका दिखने वाली कार्ड अनुक्रमणिका का ही विकसित रूप होता है। इसमें लोहे के स्टैण्ड में एक घुमावदार पहिया लगा होता है, जो चारों ओर घूमता है। इस पहिए में ऊपर की ओर कार्डो को फँसाने के लिए स्थान होता है। इस पहिए में लगभग 1,000 से 5,000 तक कार्ड लगाए जा सकते हैं। इसमें कार्ड को देखने के लिए पहिए को घुमाया जाता है। चक्रीय अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व चक्रीय अनुक्रमणिका के गुण या लाभ निम्नलिखित हैं
- सरलता इस प्रणाली के अन्तर्गत ग्राहकों से सम्बन्धित सूचनाओं को सरलतापूर्वक देखा जा सकता है।
- अल्पव्ययी वृहद् आकार के व्यापार के लिए यह प्रणाली कम खर्चीली या अल्पव्ययी होती है।
- लोचता इस प्रणाली में व्यापार की आवश्यकता व सुविधा के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है।
- सुविधाजनक चक्रीये अनुक्रमणिका प्रणाली के अन्तर्गत कम स्थान की आवश्यकता होती है तथा इसे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाया व ले जाया जा सकता है। अतः यह पद्धति अधिक सुविधाजनक होती है।
प्रश्न 2.
कार्ड अनुक्रमणिका का वर्णन कीजिए तथा इसकी उपयोगिता समझाइट। (2017)
उत्तर:
कार्ड अनुक्रमणिका
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।
अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय में सुचारु रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है
- पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
- पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
- पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
- समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
- पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
- पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
- पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
- खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
- खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
- अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।
कार्ड अनुक्रमणिका की उपयोगिता कार्ड अनुक्रमणिका की उपयोगिता निम्नलिखित है-
- कार्ड अनुक्रमणिका का प्रयोग बीमा कम्पनी द्वारा पॉलिसी धारकों के विवरण जैसे-नाम, पता, पॉलिसी संख्या, अवधि, आदि लिखने हेतु किया। जाता है।
- कार्ड अनुक्रमणिका के द्वारा किसी ग्राहक को दिए गए ऋण का विवरण जैसे-कार्ड पर लिखित अनुबन्ध की तिथि, ऋण का समय व मात्रा, आदिका पता लगाया जा सकती है।
- किसी ग्राहक को आगे के पत्र लिखने हेतु भी कार्ड अनुक्रमणिका का उपयोग किया जाता है।
- कार्ड अनुक्रमणिका द्वारा पता सूची तैयार कर उसे उपयोग में ले सकते हैं, जिसमें ग्राहक का नाम, पता, टेलीफोन नं., आदि विवरण होता है।
- कार्ड अनुक्रमणिका का प्रयोग खड़ी फाइल रखने हेतु भी किया जाता है।
- कार्ड अनुक्रमणिका का उपयोग पुस्तकालय में किसी विशेष पुस्तक को खोजने हेतु भी किया जाता है।
- बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के खातों की जानकारी एवं ग्राहकों के हस्ताक्षरों के नमूने रखने हेतु भी कार्ड अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जाता है।
- कार्ड अनुक्रमणिका का प्रयोग व्यापार सूची के रूप में भी किया जाता है, जिसमें व्यापार का विवरण, शर्ते, माल सम्बन्धी सूचनाओं का विवरण, आदि दिया जाता है।
- किस्तों द्वारा माल खरीदने एवं बेचने का विवरण भी कार्ड अनुक्रमणिका द्वारा ज्ञात किया जा सकता है।
- ग्राहकों के पूछताछ का लेखा भी कार्ड अनुक्रमणिका द्वारा किया जा सकता
है, जिससे आदेश प्राप्त नहीं होने पर उससे पत्र-व्यवहार किया जा सके।
प्रश्न 3.
कार्ड अनुक्रमणिका के गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए। (2010, 09)
अथवा
कार्ड अनुक्रमणिका क्या है? इसके गुणों एवं दोषों का वर्णन कीजिए। (2014, 13)
उत्तर:
कार्ड अनुक्रमणिका का अर्थ
अनुक्रमणिका के चार लाभ या महत्त्व निम्नलिखित हैं-
- अनुक्रमणिका पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा प्रदान करती है।
- अनुक्रमणिका खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य होती है।
- अनुक्रमणिका पत्रों को फाइल करने में सुविधा प्रदान करती है।
- अनुक्रमणिका द्वारा पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों को सुरक्षित रखा जा सकता
कार्ड अनुक्रमणिका के गुण
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।
अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय में सुचारु रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है
- पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
- पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
- पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
- समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
- पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
- पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
- पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
- खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
- खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
- अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।
कार्ड अनुक्रमणिका के दोष कार्ड अनुक्रमणिका के दोष निम्नलिखित हैं:
- अधिक स्थान घेरना इस पद्धति में प्रयोग की जाने वाली अलमारी अधिक स्थान घेरती है, इसलिए बहुत बड़े व्यापारी ही इसका प्रयोग कर सकते हैं।
- खोजने में कठिनाई इस प्रणाली में यदि भूल से कोई कार्ड इधर-उधर होजाए या गलत स्थान पर रख दिया जाए, तो उसे खोजने में अधिक समयलगता है।
- सूचना प्राप्ति में कठिनाई यदि कोई कार्ड खो जाता है, तो उससे सम्बन्धित सूचना प्राप्त करने में बहुत कठिनाई होती है।
- नियन्त्रण में कठिनाई यदि कार्डों के निकालने एवं रखने की उचित व्यवस्था न हो, तो अनुक्रमणिका की इस पद्धति पर नियन्त्रण करना कठिन हो जाता है।
- मँहगी प्रणाली कार्ड अनुक्रमणिका प्रणाली छोटे एवं मध्यम व्यापारिक कार्यालयों हेतु महँगी होती है, क्योंकि इसमें अलमारी, संकेत कार्ड, नाम कार्ड, अनुपस्थिति कार्ड, आदि की आवश्यकता होती है, जिस पर अधिक व्यय करना पड़ता है।
- अधिक समय लगना इसमें एक बार में केवल एक ही कार्ड को देख सकते हैं, इससे इस प्रणाली में अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है।
प्रश्न 4.
दिखने वाली अनुक्रमणिका से क्या आशय है? इसके गुण और दोष लिखिए। (2007)
अथवा
दिखने वाली अनुक्रमणिका के गुण एवं दोषों को बताइए।
उत्तर:
अनुक्रमणिका से आशय
अनुक्रमणिका से आशय अनुक्रमणिका एक ऐसी युक्ति या सूची होती है, जिसके द्वारा शीघ्रतापूर्वक यह पता लगाया जा सकता है कि अमुक पत्र या प्रलेख कहाँ रखा हुआ है। इसकी सहायता से भविष्य में सन्दर्भ के लिए उसे निकालने में सुविधा रहती है।
अनुक्रमणिका की आवश्यकता/उद्देश्य/महत्त्व/लाभ प्रत्येक प्रगतिशील व्यापारिक कार्यालय के लिए वर्तमान युग में अनुक्रमणिका का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार व्यापार की आत्मा होती है। बिना पत्र-व्यवहार के कोई भी व्यापार वर्तमान समय में सुचारु रूप से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस उद्देश्य से पत्रों को सँभालकर रखना व्यापार के हित में होता है। इन्हें शीघ्रता व सुगमता से प्राप्त करने के लिए अनुक्रमणिका की आवश्यकता होती है। अनुक्रमणिका के महत्त्व या उद्देश्यों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है
- पत्रों को फाइल करने में सुविधा ग्राहकों के पत्रों व प्रलेखों को सुगमता व शीघ्रता से उपयुक्त स्थान पर फाइल करने के लिए अनुक्रमणिका सहायक होती है।
- पत्रों को ढूंढने में सुविधा व्यापारिक कार्यालय में आने व जाने वाले पत्रों को फाइलों में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे किसी भी पत्र को ढूंढने में अनुक्रमणिका सहायता प्रदान करती है।
- पत्रों को नस्तीकरण करने में सुविधा अनुक्रमणिका तैयार करने से पत्रों को सुरक्षित रखने में भी काफी सुविधा मिलती है।
- समय तथा श्रम दोनों की बचत अनुक्रमणिका की सहायता से आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को खोजने में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
- पत्रों को निश्चित क्रम में रखने की सुविधा अनुक्रमणिका एक निश्चित आधार के अनुसार बनाई जाती है। इस कारण, पत्रों को भी एक निश्चित क्रम में सुरक्षित रखा जा सकता है।
- पुस्तकालय में उपयोगी पुस्तकालय में रखी हजारों पुस्तकों में से कोई एक पुस्तक सरलतापूर्वक निकालने के लिए अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जा सकता है।
- पत्रों एवं महत्त्वपूर्ण प्रलेखों की सुरक्षा अनुक्रमणिका की सहायता से पत्रों एवं प्रलेखों को रखने एवं निकालने में पत्रों को अधिक उलटना-पलटना नहीं पड़ता है। इससे पत्र फटने से बच जाते हैं।
- खाताबही के लिए अनिवार्य खाताबही में अनुक्रमणिका अवश्य बनाई जाती है। इससे ग्राहक के खाते का तुरन्त ज्ञान हो जाता है।
- खड़ी फाइलिंग के लिए अनिवार्य खड़ी फाइलिंग के अन्तर्गत अनुक्रमणिका तैयार करना अनिवार्य होता है।
- अन्य लाभ अनुक्रमणिका द्वारा ग्राहकों के पते, उनके बैंक खातों की संख्या, उनके बैंक का नाम, उधार किस्तें, उनकी आर्थिक स्थिति, ग्राहकों के व्यवसाय एवं पूर्व सन्दर्भो, आदि की जानकारी सरलतापूर्वक प्राप्त हो जाती है।
1. साधारण या पत्र-पुस्तक अनुक्रमणिका या वर्णात्मक अनुक्रमणिका यह अनुक्रमणिका उन कार्यालयों के लिए होती है, जहाँ थोड़ी मात्रा में ही पत्र आते-जाते हैं। इस अनुक्रमणिका में प्रत्येक अक्षर के लिए एक पृष्ठ नियत कर दिया जाता है। इस प्रकार, अंग्रेजी की अनुक्रमणिका बनाने के लिए 24 पृष्ठ आवश्यक होते हैं, जबकि A से W तक प्रत्येक अक्षर के लिए एक-एक कुल 23 पृष्ठ और Y Y 7 इन तीनों अक्षरों के लिए केवल एक पृष्ठ होता है। क्योंकि इन अक्षरों से आरम्भ होने वाले नाम बहुत कम होते हैं। हिन्दी की अनुक्रमणिका के लिए 36 पृष्ठों की आवश्यकता होती है; जैसे-अ, इ, उ, ए, ओ, अं, क, ख, ग, घ, च, छ (क्ष), ज, झ, ट, ठ, ड, ढ़, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श (षे, स), हे, त्र, ज्ञा ये पृष्ठ दाईं ओर इस प्रकार से कटे होते हैं कि वर्णमाला के सभी अक्षरे एक सीधी रेखा में दिखाई देते हैं तथा पृष्ठों को पलटे बिना यह मालूम किया जा सकता है कि अमुक नाम का हवाला किस पृष्ठ पर मिलेगा।
हिन्दी वर्णमाला का आधार
- सरलता यह प्रणाली अत्यन्त सरल होती है। इसका प्रयोग सामान्य स्तर वाला व्यापारी भी सरलता से कर सकता है।
- लोचदार अनुक्रमणिका की इस प्रणाली में लोचता का गुण अधिक पाया जाता है।
- मितव्ययी इस प्रणाली में समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
2. स्वरात्मक अनुक्रमणिका यह अनुक्रमणिका वस्तुतः साधारण अनुक्रमणिका का ही विकसित रूप होता है। बड़े-बड़े व्यापारिक कार्यालयों में जहाँ ग्राहकों की संख्या अधिक होती है, वहाँ इस पद्धति का प्रयोग किया जाता है। इसके अन्तर्गत स्वर के आधार पर अनुक्रमणिका तैयार की जाती है अर्थात् जब एक अक्षर से प्रारम्भ होने वाले नामों की संख्या अधिक हो जाती है, तब उसे स्वर के आधार पर विभाजित कर दिया जाता है। इसे अंग्रेजी एवं हिन्दी में निम्न प्रकार से तैयार किया जा सकता है
(i) अंग्रेजी स्वरों के आधार पर अंग्रेजी भाषा में पाँच स्वर होते हैं- (A, E, I, 0, U) जिनके आधार पर वर्णमाला के अक्षरों को 5 भागों में विभक्त किया जाता है; जैसे-R के 5 उपनाम RA, RE, RI, RO, RU के द्वारा निम्न प्रकार से स्वरात्मक अनुक्रमणिका बनाई जा सकती है-
(ii) हिन्दी स्वरों के आधार पर हिन्दी में मात्राओं के आधार पर 13 स्वर (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अ:) होते हैं।
इसे निम्न उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है-
हिन्दी में ‘क’ अक्षर से शुरू होने वाले ग्राहकों के नाम
स्वरात्मक अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व स्वरात्मक अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व निम्नलिखित हैं
- सरलता अनुक्रमणिका की इस प्रणाली के अन्तर्गत पत्रों को सरलता | से ढूंढा जा सकता है।
- उपयुक्तता अनुक्रमणिका की यह प्रणाली छोटे, मध्यम एवं बड़े सभी प्रकार के व्यापारियों के लिए उपयुक्त होती है, परन्तु मध्यम स्तर के व्यापारियों के लिए यह अत्यधिक उपयुक्त होती है।
- बचत इस प्रणाली में पत्रों को आसानी से ढूंढा जा सकता है, जिससे समय वे श्रम दोनों की बचत होती है।
- लोचदार व्यापार की आवश्यकतानुसार इसमें परिवर्तन किया जा सकता है। अतः यह लोचदार पद्धति होती है।
3. श्रृंखला अनुक्रमणिका अथवा श्रृंखला संकेत क्रम शृंखला अनुक्रमणिका, अनुक्रमणिका की एक ऐसी विधि है, जिसकी सहायता से किसी ग्राहक विशेष को अलग-अलग तिथियों पर लिखे गए पत्रों के सम्बन्ध में यह जानकारी एक ही स्थान पर मिल जाती है कि इन पत्रों की प्रतिलिपि किन-किन पृष्ठों पर दी गई है, ताकि उन्हें सरलता एवं शीघ्रता से प्राप्त किया जा सके।
श्रृंखला अनुक्रमणिका बनाने की विधि
मान लीजिए कि श्याम को भेजे गए पत्रों की नकलें पृष्ठ संख्या 8, 12, 15, 20 पर हैं, तो पृष्ठ संख्या 8 पर हर 0/12 पृष्ठ के ऊपर हाशिए में बीचों-बीच लाल स्याही या पेन्सिल से लिख दिया जाएगा। अंश व हर पृष्ठ 12 पर 8/15, पृष्ठ 15 पर 12/20 तथा पृष्ठ 20 पर 15 लिखा जाएगा। बीसवें पृष्ठ पर केवल अंश ही लिखा हुआ हैं, हर नहीं। इसका तात्पर्य यह है। कि पिछले पत्र की नकल 15वें पृष्ठ पर है और अभी इससे आगे कोई पत्र नहीं लिखा गया है।
श्रृंखला अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व श्रृंखला अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व निम्नलिखित हैं
- सरल इस प्रणाली के अन्तर्गत ग्राहकों को अलग-अलग तारीखों पर भेजे गए पत्रों की प्रतिलिपि को आसानी से एक निश्चित स्थान पर प्राप्त किया जा सकता है।
- मितव्ययिता इस प्रणाली के अन्तर्गत अधिक धन व्यय करने की आवश्यकता नहीं होती है।
- बचत इस प्रणाली के अन्तर्गत पत्रों को आसानी से ढूंढा जा सकता है, जिससे समय व श्रम दोनों की बचत होती है।
4. कार्ड अनुक्रमणिका इसका आविष्कार 18वीं शताब्दी में फ्रांसीसी विद्वान ऐबे जीन रोजियर ने किया था। इस अनुक्रमणिका का प्रयोग पुस्तकालय में किया जाता है। इस अनुक्रमणिका में कार्डों का प्रयोग किया जाता है। प्रत्येक ग्राहक के लिए एक कार्ड बना दिया जाता है, जिस पर उसका नाम, पता एवं सूचनाएँ स्पष्ट रूप से लिख दी जाती हैं। बैंक में नमूने के हस्ताक्षर के लिए भी इसी अनुक्रमणिका का प्रयोग किया जाता है। इसमें निम्नलिखित वस्तुओं की आवश्यकता होती है
- दराजदार अलमारी दराजों की संख्या व्यापार की आवश्यकता पर निर्भर करती है। प्रत्येक दराज के सामने अंग्रेजी वर्णमाला में क्रमवार संकेत चिन्ह लगे होते हैं।
- नाम कार्ड इन्हें दराजों में वर्णात्मक क्रम में रखा जाता है। नाम कार्ड पर ग्राहक का नाम, पता, टेलीफोन नं., खाता पृष्ठ संख्या, आदि लिखी होती है।
- संकेत कार्ड इन कार्डों के माध्यम से दराज को संख्यात्मक, वर्णात्मक या स्वरात्मक क्रमानुसार कई भागों में बाँट सकते हैं। इसमें प्रत्येक कार्ड का एक सिरा ऊपर उठा होता है, जिस पर अक्षर व संख्या लिखी होती है।
- अनुपस्थिति कार्ड जब किसी वस्तु को उसके स्थान से हटाया जाता है, तो उसके स्थान पर जो विवरण युक्त कार्ड रखा जाता है, उसे अनुपस्थिति कार्ड कहते हैं।
कार्ड अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व कार्ड अनुक्रमणिका के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं
- लोचता यह प्रणाली लोचदार होती है, क्योंकि इसमें व्यापार की आवश्यकतानुसार दराजों की संख्या कम व अधिक की जा सकती है।
- स्वच्छता यह अनुक्रमणिका हमेशा स्वच्छ रहती है, क्योंकि इसको पुस्तक-सूची की तरह काटना नहीं पड़ता है। यदि किसी व्यापारी से पत्र-व्यवहार बन्द हो जाता है, तो उसके कार्ड को निकालकर नए व्यापारी का कार्ड लगा दिया जाता है।
- सुविधाजनक इस सूची में संकेत-पत्रों के कारण कार्ड आसानी से प्राप्त किया जाता है वे संकेत कार्डों का पता सरलता से लग जाता है।
- नवीनतम इसमें नए ग्राहकों के कार्ड समायोजित किए जा सकते हैं, जिससे सूची सदैव नवीनतम बनी रहती है।
- केवल चालू कार्डों को रखना इस प्रणाली में ऐसे ग्राहकों के कार्ड, जिनसे व्यापार बन्द हो गया है, आसानी से हटाए जा सकते हैं। इस प्रकार इसमें केवल चालू कार्ड ही रहते हैं।
- मितव्ययिता इस प्रणाली में बार-बार पुस्तकें या जिल्दें नहीं खरीदनी पड़ती हैं, इसलिए यह प्रणाली अन्य प्रणालियों से मितव्ययी
- उपयुक्तता यह प्रणाली बड़े व्यापारिक कार्यालयों के लिए अधिक उपयुक्त रहती है।
5. दिखने वाली (खुली) कार्ड अनुक्रमणिका दिखने वाली अनुक्रमणिका, कार्ड अनुक्रमणिका का ही एक विकसित रूप होता है। इसे खुली अनुक्रमणिका के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें अनेक कार्डों को एक साथ देखा जा सकता है, जबकि कार्ड अनुक्रमणिका में एक समय में केवल एक ही कार्ड को देखा जा सकता है।
प्रयोग विधि इस अनुक्रमणिका की पद्धति के अन्तर्गत अनुक्रमणिका को तैयार करने के लिए नाम कार्डों को पारदर्शी लिफाफे में रखकर धातु के चौखटों में लगा दिया जाता है। इन चौखटों में नीचे कब्जे लगे होते हैं, जिनमें कार्डों को इस प्रकार से लगाया जाता है कि कार्ड ऊपर से नीचे की ओर एक विशेष क्रम में आ जाएँ, ताकि उन्हें बाहर से देखा जा सके। कार्ड को शीघ्रता से ढूंढने के लिए बीच-बीच में संकेत कार्ड भी लगे होते हैं।
दिखने वाली अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व दिखने वाली अनुक्रमणिका के गुण निम्नलिखित हैं-
- सरलता इस प्रणाली के अन्तर्गत एक से अधिक कार्ड एक साथ सरलतापूर्वक देखे जा सकते हैं।
- उपयुक्तता बड़े व्यापारिक कार्यालयों के लिए यह प्रणाली उपयुक्त होती है।
- लोचता यह प्रणाली लोचपूर्ण होती है। इसमें पुराने कार्डों के क्रमानुसार नए कार्डों को लगाया जा सकता है।
- कम स्थान इस प्रणाली के अन्तर्गत अधिक स्थान की आवश्यकता नहीं होती है।
- सुरक्षा यह प्रणाली अनुक्रमणिका की अन्य प्रणालियों की अपेक्षा अधिक सुरक्षित होती है, क्योकि ग्राहकों के नाम कार्ड होल्डरों में लगे हुए होते हैं।
6. चक्रीय अनुक्रमणिका यह अनुक्रमणिका दिखने वाली कार्ड अनुक्रमणिका का ही विकसित रूप होता है। इसमें लोहे के स्टैण्ड में एक घुमावदार पहिया लगा होता है, जो चारों ओर घूमता है। इस पहिए में ऊपर की ओर कार्डो को फँसाने के लिए स्थान होता है। इस पहिए में लगभग 1,000 से 5,000 तक कार्ड लगाए जा सकते हैं। इसमें कार्ड को देखने के लिए पहिए को घुमाया जाता है। चक्रीय अनुक्रमणिका के गुण या महत्त्व चक्रीय अनुक्रमणिका के गुण या लाभ निम्नलिखित हैं
- सरलता इस प्रणाली के अन्तर्गत ग्राहकों से सम्बन्धित सूचनाओं को सरलतापूर्वक देखा जा सकता है।
- अल्पव्ययी वृहद् आकार के व्यापार के लिए यह प्रणाली कम खर्चीली या अल्पव्ययी होती है।
- लोचता इस प्रणाली में व्यापार की आवश्यकता व सुविधा के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है।
- सुविधाजनक चक्रीये अनुक्रमणिका प्रणाली के अन्तर्गत कम स्थान की आवश्यकता होती है तथा इसे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाया व ले जाया जा सकता है। अतः यह पद्धति अधिक सुविधाजनक होती है।
- महँगी प्रणाली यह प्रणाली अन्य प्रणालियों की अपेक्षा अधिक महँगी होती है।
- सीमित क्षेत्र अधिक खर्चीली होने के कारण छोटे एवं मध्यम वर्ग के व्यापारी इस प्रणाली का प्रयोग करने में सक्षम नहीं होते हैं। अत: इसका प्रयोग केवल बड़े व्यापारियों द्वारा ही किया जाता है।
- अन्य दोष
- इसमें कार्डों के बदले जाने एवं खोने का भय रहता है।
- इसका स्थानान्तरण करना कठिन होता है।
- यदि कार्ड सही क्रम में नहीं रखे गए हैं, तो उन्हें खोजना कठिन कार्य
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