UP Board Solutions for Class 10 Hindi पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल)
UP Board Solutions for Class 10 Hindi पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल)
पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल)
अतिलघु उत्तरीय प्रज
प्रश्न 1
भक्तिकाल का यह नाम क्यों पड़ा ?
उत्तर
इस काल की रचनाओं में भक्ति-भावना की अधिकता होने के कारण इसका नाम ‘भक्तिकाल रखा गया, जो सर्वथा उपयुक्त है। भक्तिकाल में कबीर, जायसी, सूर, तुलसी जैसे भक्त कवियों ने भक्ति काव्यों की रचना की।
प्रश्न 2
भक्तिकाल के चार प्रमुख कवियों और उनकी मुख्य रचनाओं के नाम लिखिए।
या
भक्तिकाल के दो प्रमुख कवियों और उनकी प्रसिद्ध कृति का नाम लिखिए। [2009]
या
भक्तिकाल के किसी एक कवि का नाम लिखिए। [2017]
उत्तर
भक्तिकाल के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ हैं—
- कबीरदास-बीजक,
- जायसी–पद्मावत,
- सूरदास—सूरसागर तथा
- तुलसीदास–श्रीरामचरितमानसः ।
प्रश्न 3.
भक्तिकाल की दो शाखाओं का नामोल्लेख कीजिए तथा बताइए कि ‘श्रीरामचरितमानस की रचना में रचनाकार का क्या उद्देश्य निहित, था ?
उत्तर
भक्तिकाल की दो शाखाएँ थीं—
- निर्गुण-भक्ति शाखा तथा
- सगुण-भक्ति शाखा।
‘श्रीरामचरितमानस’ की रचना में तुलसीदास जी का उद्देश्य था-मर्यादापुरुषोत्तम राम के शील, शक्ति और सौन्दर्य समन्वित स्वरूप के प्रस्तुतीकरण द्वारा लोक-मंगल की साधना।
प्रश्न 4
भक्तिकाल की चारों काव्यधाराओं के नाम लिखिए।
उत्तर
भक्तिकाल की काव्यधारा चार रूपों में प्रवाहित हुई—
- ज्ञानमार्गी या सन्त-काव्यधारा,
- प्रेममार्गी या सूफी-काव्यधारा,
- रामभक्ति-काव्यधारा तथा
- कृष्णभक्ति-काव्यधारा।।
प्रश्न 5
भक्तिकाल की प्रमुख शाखाओं का नामोल्लेख कर किसी एक शाखा की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
भक्तिकाल की प्रमुख शाखाएँ हैं–
- सगुण-भक्ति शाखा तथा
- निर्गुण-भक्ति शाखा
सगुण-भक्ति शाखा की विशेषताएँ–
- राम तथा कृष्ण की पूर्ण ब्रह्म के रूप में प्रतिष्ठा तथा
- लोकमंगल की भावना।
प्रश्न 6
निर्गुण-भक्ति शाखा की दो विशेषताएँ लिखते हुए इसी शाखा के दो कवियों के नाम उनकी एक-एक रचना सहित लिखिए।
उत्तर
निर्गुण-भक्ति शाखा की विशेषताएँ–
- इसमें ईश्वर के निराकार स्वरूप की उपासना हुई तथा
- आन्तरिक साधना पर बल दिया गया।
कवि तथा उनकी रचना
- कबीरदास-बीजक तथा
- मलिक मुहम्मद जायसी-पद्मावत।
प्रश्न 7
पूर्व मध्यकाल की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए और इस काल के दो कवियों के नाम बताइए।
उत्तर
विशेषताएँ–
- ईश्वर में सहज विश्वास तथा
- गुरु-महिमा का वर्णन।
दो कवि–
- कबीरदास तथा
- तुलसीदास।।
प्रश्न 8
निर्गुण-भक्ति काव्यधारा की कौन-सी दो उपशाखाएँ हैं ?
उत्तर
निर्गुण-भक्ति काव्यधारा की दो उपशाखाएँ हैं—
- ज्ञानाश्रयी या सन्त-काव्यधारा तथा
- प्रेमाश्रयी या सूफी-काव्यधारा।
प्रश्न 9
सन्त-काव्यधारा (ज्ञानाश्रयी शाखा) के प्रतिनिधि कवि कौन थे ?
उत्तर
सन्त-काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि सन्त कबीरदास थे।
प्रश्न 10
कबीर के अतिरिक्त किन्हीं दो प्रमुख सन्त कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर
सन्त-काव्यधारा में कबीर के अतिरिक्त रैदास, मलूकदास, नानक तथा दादूदयाल प्रमुख कवि ।।
प्रश्न 11
सूफी-काव्यधारा (प्रेमाश्रयी शाखा) के प्रतिनिधि कवि का नाम बताइट।
उत्तर
सूफी-काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि मलिक मुहम्मद जायसी हैं।
प्रश्न 12
सूफी-काव्यधारा के प्रमुख कवियों और उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
सूफी-काव्यधारा के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ निम्नवत् हैं–
- मलिक मुहम्मद जायसी-पद्मावत, अखरावट, आखिरी कलाम।
- कुतुबन-मृगावती।
- मंझन–मधुमालती।
- उसमान—चित्राक्ली।।
प्रश्न 13
सूफी कवियों ने अपनी काव्य-रचनाओं में किस शैली को अपनाया ?
उत्तर
सूफी कवियों ने अपनी काव्य-रचनाओं में फारसी की मसनवी शैली को अपनाया।
प्रश्न 14
प्रेमाश्रयी या सूफी-काव्यधारा की पाँच विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
सूफी-काव्यधारा की प्रमुख पाँच विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- प्रेमतत्त्व का निरूपण,
- मसनवी शैली,
- श्रृंगार रस की प्रधानता,
- हिन्दू संस्कृति व लोकजीवन का चित्रण तथा
- लौकिक प्रेम के द्वारा अलौकिक प्रेम (परमात्म-प्रेम) की व्यंजना।।
प्रश्न 15
सगुणमार्गी कृष्णभक्ति शाखा का सर्वश्रेष्ठ कवि कहलाने का गौरव किसे प्राप्त है ?
उत्तर
सगुणमार्गी कृष्णभक्ति शाखा का सर्वश्रेष्ठ कवि कहलाने का गौरव सूरदास को प्राप्त है।
प्रश्न 16
कृष्णभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि का नाम लिखिए।
उत्तर
कृष्णभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि सूरदास हैं।
प्रश्न 17
कृष्णभक्ति काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
या
सूरदास के काव्य के आधार पर भक्तिकाल की दो प्रमुख विशेषताएँ बताइट।
उत्तर
कृष्णभक्ति काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं–
- कृष्ण की लीलाओं का गान,
- सखाभाव की भक्ति,
- श्रृंगार और वात्सल्य रस की प्रधानता,
- सगुण रूप की प्रधानता,
- प्रकृति का उद्दीपन रूप में वर्णन तथा
- ब्रजभाषा में मुक्तक-गेय पदों की रचना।
प्रश्न 18
सूरसागर में कितने पद थे ?
उत्तर
सूरसागर में लगभग सवा लाख पद थे।
प्रश्न 19
सूरदास की भक्ति किस प्रकार की है ?
उत्तर
सूरदास की भक्ति सख्य भाव की है।
प्रश्न 20
सगुणोपासक रामभक्ति शाखा का सर्वश्रेष्ठ कवि किसे माना जाता है ?
उत्तर
सगुणोपासक रामभक्ति शाखा का सर्वश्रेष्ठ कवि तुलसीदास को माना जाता है।
प्रश्न 21
रामभक्ति काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि कौन हैं ?
उत्तर
रामभक्ति काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि गोस्वामी तुलसीदास हैं, जिन्होंने ‘श्रीरामचरितमानस की रचना करके समाज का पथ-प्रदर्शन किया।
प्रश्न 22
राम को मर्यादा-पुरुषोत्तम के रूप में प्रतिष्ठित करने वाले प्रसिद्ध ग्रन्थ का नाम लिखिए।
उत्तर
राम को मर्यादा-पुरुषोत्तम के रूप में प्रतिष्ठित करने वाले ग्रन्थ का नाम श्रीरामचरितमानस है।
प्रश्न 23
तुलसीकृत अवधी और ब्रजभाषा की एक-एक रचना का नाम बताइट।
उत्तर
अवधी भाषा-‘श्रीरामचरितमानस’ तथा ब्रजभाषा-‘विनयपत्रिका’।
प्रश्न 24
तुलसी ने अपने ‘श्रीरामचरितमानस’ की रचना किस मुख्य छन्द में की है ?
उत्तर
तुलसी ने ‘श्रीरामचरितमानस की रचना मुख्य रूप से दोहा-चौपाई छन्द में की है।
प्रश्न 25
रामभक्ति काव्यधारा की दो प्रमुख रचनाओं और उनके रचयिताओं के नाम लिखिए।
उत्तर
- श्रीरामचरितमानस तथा
- रामचन्द्रिका। इनके लेखक क्रमश: तुलसीदास और केशवदास
प्रश्न 26
रामभक्ति काव्य की रचना किन भाषाओं में हुई ?
उत्तर
रामभक्ति काव्य की रचना अवधी और ब्रजभाषा में हुई।
लघु उत्तरीय प्रण।
प्रश्न 1
भक्तिकाल की विविध काव्यधाराओं का संक्षेप में परिचय दीजिए।
भक्तिकाल की दो प्रमुख धाराओं का नामोल्लेख कीजिए तथा उनके एक-एक प्रतिनिधि कवि का नाम भी बताइट।
उत्तर
भक्तिकाल के साहित्य में चार प्रकार की काव्यधाराएँ मिलती हैं, जिनका विभाजन निम्नवत् है|
(1) निर्गुण-भक्ति काव्यधारा–ईश्वर के निर्गुण रूप की उपासना करने वाले भक्त कवियों ने ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग ज्ञान और प्रेम बताया। इस आधार पर निर्गुण-भक्ति काव्यधारा दो शाखाओं में प्रस्फुटित हुई
- ज्ञान को ईश्वर की प्राप्ति का साधन मानने के आधार पर ज्ञानमार्गी या सन्त-काव्यधारा प्रस्फुटित हुई। इसके प्रतिनिधि कवि कबीरदास हैं।
- प्रेम को ईश्वर की प्राप्ति का साधन मानने के आधार पर प्रेममार्गी या सूफी-काव्यधारा प्रस्फुटित हुई। इसके प्रतिनिधि कवि मलिक मुहम्मद जायसी हैं।
(2) सगुण-भक्ति काव्यधारा–ईश्वर के साकार रूप को आधार मानकर उपासना करने वाले कवियों ने राम और कृष्ण को इष्टदेव मानकर भक्ति-काव्यों की रचना की। इस आधार पर सगुण-भक्ति काव्यधारा भी दो शाखाओं में प्रस्फुटित हुई|
- कृष्ण के साकार रूप का आधार लेकर कृष्णभक्ति काव्यधारा विकसित हुई। इसके प्रतिनिधि कवि सूरदास हैं।
- राम के साकार रूप का आधार लेकर रामभक्ति काव्यधारा विकसित हुई। इसके प्रतिनिधि कवि तुलसीदास हैं।
प्रश्न 2
भक्तिकाल का समय कब से कब तक माना जाता है ? इस काल के साहित्य की प्रमुख विशेषताएँ (प्रवृत्तियाँ) बताइए।
या
भक्तिकाल की दो सामान्य प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
सन् 1343 से 1643 ई० तक का समय हिन्दी-साहित्य में भक्तिकाल के नाम से जाना जाता है। भक्तिकाल के साहित्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नवत् हैं
- भक्ति-भावना,
- गुरु की महिमा,
- सुधारवादी दृष्टिकोण एवं समन्वय की भावना,
- रहस्य की भावना,
- अहंकार का त्याग और लोकमंगल की भावना,
- काव्य का उत्कर्ष एवं
- जीवन की नश्वरता और ईश्वर के नाम-स्मरण की महत्ता।
प्रश्न 3
भक्तिकाल को हिन्दी-साहित्य का स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है ? स्पष्ट कीजिए।
या
हिन्दी पद्य-साहित्य को भक्तिकाल की क्या देन है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
भक्तिकाल में भाव, भाषा एवं शिल्प की दृष्टि से हिन्दी-साहित्य का उत्कर्ष हुआ। भावपक्ष तथा कलापक्ष के उत्कृष्ट रूप के कारण ही भक्तिकाल को हिन्दी-साहित्य का स्वर्ण युग कहते हैं। इसी समय कबीर, जायसी, सूर तथा तुलसी जैसे रससिद्ध कवियों की दिव्य वाणी उनके अन्त:करण से निकलकर देश के कोने-कोने में फैली थी। यही सार्वभौम और सार्वकालिक साहित्य भक्तिकाल की अनुपम देन है।
प्रश्न 4
सन्त-काव्यधारा (ज्ञानाश्रयी शाखा) की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
सन्त-काव्यधारा की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ इस प्रकार हैं–
- गुरु की महिमा का गान,
- निर्गुण ब्रह्म की उपासना,
- बाह्य आडम्बरों का विरोध और समाज-सुधार,
- हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल,
- एकेश्वरवाद में विश्वास,
- रहस्यवादी भावना,
- नाम के स्मरण को महत्त्व,
- मायारूपी महाठगिनी की निन्दा,
- मिश्रित या सधुक्कड़ी भाषा।।
प्रश्न 5
कृष्णभक्ति काव्यधारा (कृष्णाश्रयी शाखा) का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
या
अष्टछाप का संगठन किसने किया ? इसमें कितने कवियों को सम्मिलित किया गया ?
उत्तर
सगुण-भक्ति काव्य में कृष्णभक्ति के प्रवर्तन का श्रेय स्वामी वल्लभाचार्य को है। गोस्वामी बिट्ठलनाथ ने कृष्णभक्ति की धारा को आगे बढ़ाया। इन्होंने आठ कृष्णभक्त कवियों को चुनकर ‘अष्टछाप’ की स्थापना की, जिसमें सूरदास प्रमुख थे। इस शाखा के सभी कवियों ने कृष्ण के लोकरंजक स्वरूप को अपनाया। इन्होंने कृष्ण के बाल और किशोर रूप का ही अधिक चित्रण किया तथा गोपियों के साथ की गयी क्रीड़ाओं को भी अपने काव्य का विषय बनाया। इसी कारण कृष्णभक्ति काव्य में वात्सल्य, माधुर्य एवं श्रृंगार भाव के दर्शन होते हैं।
प्रश्न 6
कृष्णभक्ति शाखा के प्रमुख कवियों और उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
कृष्णभक्ति शाखा के प्रमुख कवियों के नाम एवं रचनाएँ निम्नलिखित हैं
(क) अष्टछाप के कवि-
- सूरदास—सूरसागर, सूर सारावली, साहित्य लहरी;
- नन्ददास-रास पंचाध्यायी, भ्रमरगीत;
- कृष्णदास-भ्रमरगीत, प्रेम-तत्त्व निरूपण;
- परमानन्ददास-परमानन्द सागर;
- कुम्भनदास-फुटकर पद;
- चतुर्भुजदास,
- छीतस्वामी एवं
- गोविन्द स्वामी।।
(ख) अन्य प्रमुख कवि–
- हित हरिवंश-हित चौरासी;
- मीराबाई—मीराबाई पदावली;
- रसखान-सुजान-रसखान, प्रेमवाटिका तथा
- नरोत्तमदास-सुदामाचरित।
प्रश्न 7
भ्रमरगीत का परिचय दीजिए।
उत्तर
सूरसागर का एक प्रसंग भ्रमरगीत कहलाता है। इस प्रसंग में गोपियों के प्रेमावेश ने ज्ञानी उद्धव को भी प्रेमी एवं भक्त बना दिया था।
प्रश्न 8
रामभक्ति काव्यधारा (रामाश्रयी शाखा) का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर
राम को आराध्य मानकर जिस लोक-मंगलकारी काव्य की रचना की गयी, वह रामभक्ति काव्य के नाम से जाना जाता है। रामभक्ति काव्यधारा के भक्त कवियों के प्रेरक स्वामी रामानन्द रहे हैं। स्वामी रामानन्द ने जनता के बीच रामभक्ति का प्रचार किया। उन्हीं की शिष्य-परम्परा में गोस्वामी तुलसीदास ने ‘श्रीरामचरितमानस’ की रचना करके भारतीय जनता में रामभक्ति की पावन गंगा को प्रवाहित किया।
प्रश्न 9
रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवियों एवं उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
या
राम काव्यधारा (रामाश्रयी शाखा) के प्रमुख कवि और उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्नवत् हैं
- तुलसीदास-श्रीरामचरितमानस, विनयपत्रिका, कवितावली, गीतावली, दोहावली, बरवै रामायण आदि।
- प्राणचन्द-रामायण महानाटक।
- हृदयराम-हिन्दी हनुमन्नाटक।
- केशवदास–रामचन्द्रिका, कविप्रिया, रसिकप्रिया।
- नाभादास-भक्तमाल।।
प्रश्न 10
रामभक्ति शाखा की प्रमुख प्रवृत्तियों (विशेषताओं) पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
या
तुलसी के पद्यों के आधार पर भक्तिकाल की दो प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
रामभक्ति काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएँ (प्रवृत्तियाँ) इस प्रकार हैं—
- राम को अपना इष्टदेव मानकर उनके लोकरक्षक एवं लोकरंजक रूप में रामचरित का गायन,
- दास्य-भाव की भक्ति,
- चातक-प्रेम के आदर्श पर आधारित अनन्य भक्ति-भावना,
- वर्णाश्रम धर्म से समर्थित सामाजिक व्यवस्था को श्रेष्ठ मानते हुए लोक-मर्यादा की प्रतिष्ठा,
लोक-मंगल की भावना, - विभिन्न मत-मतान्तरों, सम्प्रदायों तथा काव्य-शैलियों में समन्वय की चेष्टा,
- अवधी और ब्रज दोनों भाषाओं में अधिकारपूर्वक काव्य-रचना एवं
- प्रबन्ध व मुक्तक दोनों काव्य रूपों में रचना।
प्रश्न 11
तुलसी और सूर की भक्ति में मूलभूत अन्तर क्या है ?
उत्तर
तुलसी और सूर की भक्ति में मूलभूत अन्तर यह है कि तुलसी की भक्ति दास्य-भाव की है। और सूर की सख्य-भाव की; अर्थात् तुलसीदास स्वयं को भगवान् का दास मानकर उनकी उपासना करते हैं, जब कि सूरदास स्वयं को भगवान् का सखा मानकर उनसे याचना करते हैं।