UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 7 छान्दोग्य उपनिषद् षष्ठोध्यायः (संस्कृत-खण्ड)

By | May 21, 2022

UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 7 छान्दोग्य उपनिषद् षष्ठोध्यायः (संस्कृत-खण्ड)

UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 7 छान्दोग्य उपनिषद् षष्ठोध्यायः (संस्कृत-खण्ड)

अवतरणों का ससन्दर्भ हिन्दी अनुवाद

प्रश्न 1.
॥ ॐ ॥ श्वेतकेतुहरुणेय आस तं ह पितोवाच श्वेतकेतो वस ब्रह्मचर्यं न वै सोम्यास्मत्कुलीनोऽननूच्य ब्रह्मबन्धुरिव भवतीति ॥1॥
उत्तर
[आरुणेय = आरुणि का पुत्र। आस = था। पितोवाच = पिता ने कहा। वस ब्रह्मचर्यम् = ब्रह्मचर्य का पालन करो। वै = क्योंकि। कुलीनोऽननूच्य = कुल (परिवार) में कोई ऐसा (व्यक्ति) नहीं हुआ। ब्रह्मबन्धुरिव = ब्रह्मबंधु के समान।]

सन्दर्भ-प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘संस्कृत-खण्ड’ के ‘छान्दोग्य उपनिषद् । षष्ठोध्यायः’ पाठ से उद्धृत है।

प्रसंग—इस श्लोक में आरुणि अपने पुत्र श्वेतकेतु को ज्ञान की बातें बता रहे हैं। [विशेष—इस पाठ के अन्य सभी श्लोकों के लिए यही सन्दर्भ व प्रसंग प्रयुक्त होगा।

व्याख्या–आरुणि का पुत्र श्वेतकेतु था। उससे एक बार पिता ने कहा-“हे श्वेतकेतु! तुम ब्रह्मचर्य का पालन करो क्योंकि हमारे कुल में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं हुआ, जो ब्रह्मबन्धु के समान ने लगता हो।

(जो ब्राह्मण अपने को ब्राह्मण समझता हो लेकिन ब्राह्मणोचित आचरण न करता हो उसे गुरुकुल जाना आवश्यक है। उसे गुरुकुलावास आवश्यक प्रतीत होता है।)

प्रश्न 2.
स ह द्वादशवर्ष उपेत्य चतुर्विंशतिवर्षः सर्वान्चेदानधीत्य महामना अनूचानमानी स्तब्ध एयाय तं ह पितोवाच ॥2॥
उत्तर
[द्वादशवर्षम् उपेत्य = बारह वर्ष पर्यन्त। सर्वान्वेदानधीत्य = समस्त वेदों को पढ़कर। मेहामना = पांडित्यमना। अनूचानमानी = स्वाभिमानी, अहंकार युक्त होकर। स्तब्ध = शान्त होकर। एयाय = लौटा।] |

व्याख्या-बारह वर्ष पर्यन्त आश्रम जाकर चौबीस वर्ष आयु पर्यन्त श्वेतकेतु समस्त वेदों को पढ़कर स्वाभिमानी, पाण्डित्यमना, अहंकार युक्त होकर लौटा तो उसके पिता ने कहा।

प्रश्न 3.
श्वेतकेतो यन्नु सोम्येदं महामना अनूचानमानी स्तब्धोऽस्युत तमादेशमप्राक्ष्य: येनाश्रुतं श्रुतं भवत्यमतं मतमविज्ञातं विज्ञातमिति कथं नु भगवः स आदेशो भवतीति ॥3॥
उत्तर
[स्तब्धोऽस्युत = किंकर्तव्यविमूढ़ होते हुए। तमादेशमप्राक्ष्यः = तुमने कौन-सी विशेषता पायी है। येनाश्रुतम् = जिसके द्वारा (समझ लेने पर) जो सुना न गया हो ऐसा पदार्थ। अविज्ञातम् = जो ज्ञात न हुआ हो। कथं नु भगवः = क्या आपने पूछा है।]

व्याख्या-हे श्वेतकेतु! तुम जो इस तरह से अमनस्वी, पाण्डित्यमना और अभिमान से युक्त हो, तुमने कौन-सी विशेषता पायी है? क्या तुम जानते हो कि कौन-सा ऐसा पदार्थ है जिसके समझ लेने पर अश्रुत पदार्थ का ज्ञान हो जाता है, जो अतार्किक है उसे तार्किक भी याद हो जाये और अविज्ञात भी ज्ञात होता है? अनिश्चित भी निश्चित हो जाता है। क्या तुमने गुरु से पूछा है?

प्रश्न 4.
यथा सोम्यैकेन मृत्पिण्डेन सर्वं मृन्मयं विज्ञातं स्याद्वाचारम्भणं विकारो नामधेयं मृत्तिकेत्येव सत्यम् ॥4॥
उत्तर
[मृत्पिण्डेन = मिट्टी से बने पदार्थ विशेष के द्वारा। मृन्मयम् = मिट्टी से युक्त। आचारम्भणम् = आवरण। मृत्तिकेत्येव = मिट्टी ही है।]

व्याख्या-पिता आरुणि ने कहा-“हे श्वेतकेतु! जिस प्रकार (मिट्टी के बने) पात्रों को देखकर उनके मिट्टी द्वारा बने होने का आभास नहीं किया जा सकता है किन्तु वास्तव में वे मिट्टी के बने होते हैं। अर्थात् पात्रों में मृत्तिकत्व है यही सत्य है।

प्रश्न 5.
यथा सोम्यैकेन लोहमणिना सर्वं लोहमयं विज्ञातं स्याद्वाचारम्भणं विकारो नामधेयं लोहमित्येव सत्यम् ॥5॥
उत्तर
[यथा = जैसे। लोहमणिना = चुम्बक। लोहमयम् =लौहत्व। ]

व्याख्या–पिता आरुणि ने कहा-“हे श्वेतकेतु! जिस प्रकार चुम्बक को देखकर उसके लोहे द्वारा बने होने का आभास नहीं किया जा सकता है किन्तु वास्तव में वह लोहे का बना होता है। अर्थात् चुम्बक में लौहत्व है यही सत्य है।

प्रश्न 6.
यथा सोम्यैकेन नखनिकृन्तनेन सर्वं काष्र्णायसं विज्ञातं स्याद्वाचारम्भणं विकारो नामधेयं कृष्णायसमित्येव सत्यमेवं सोम्य स आदेशो भवतीति ॥6॥
उत्तर
[नखनिकृन्तनेन = नाखून काटने का यंत्र विशेष (नेलकटर)। काष्र्णायसम् =काँसे की धातु का।]

व्याख्या–पिता आरुणि ने आगे कहा–“हे श्वेतकेतु! जिस प्रकार नेलकटर को देखकर उसके काँसे द्वारा बने होने का आभास नहीं किया जा सकता है किन्तु वास्तव में वह काँसे का बना होता है। अर्थात् नेलकटर में काँसत्व है यही सत्य है।

प्रश्न 7.
न वै नूनं भगवन्तस्त एतदवेदिषुर्यध्द्येतदवेदिष्यन्कथं मे नावक्ष्यन्निति भगवांस्त्वेव मे तदबीविति तथा सोम्येति होवाच ॥7॥
उत्तर
[न वै नूनम् =ऐसा कहे जाने पर। भगवांस्त्वेव =आप ही मेरे।]

व्याख्या-पिता के ऐसा कहने पर श्वेतकेतु ने कहा-“आप ही मेरे पूजनीय गुरुजी हैं। जिसने उसे इस प्रकार का आत्म-बोध कराया।

अतिलघु-उत्तरीय संस्कृत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1
श्वेतकेतुः कस्य पुत्रः आसीत्?
या
श्वेतकेतुः कः आसीत?
उत्तर
श्वेतकेतुः आरुणेयपुत्रः आसीत्।

प्रश्न 2
कः द्वादशवर्षम् उपेत्य चतुर्विंशतिवर्षः वेदानधीत्य आगतः? ।
उत्तर
श्वेतकेतुः द्वादशवर्षम् उपेत्य चतुर्विंशतिवर्ष: वेदानधीत्य आगतः।

प्रश्न 3
श्वेतकेतुः कतिवर्षाणि सर्वान् वेदान् अपठत्?
उत्तर
श्वेतकेतुः द्वादशवर्षाणि सर्वान् वेदान् अपठत्।

प्रश्न 4
अनूचानमानी कः अभवत्?
उत्तर
अनूचानमानी श्वेतकेतुः अभवत्।

प्रश्न 5
मृत्पिण्डेन किं विज्ञातम्?
उत्तर
मृत्पिण्डेन सर्वं मृण्मयं विज्ञातम्।

प्रश्न 6
कुत्र लोहमयं विज्ञातम्?
उत्तर
लोहमणिनी लोहमयं विज्ञातम्।

प्रश्न 7
कः आरुणिं गुरुरूपेण स्वीकरोति?
उत्तर
श्वेतकेतुः आरुणिं गुरुरूपेण स्वीकरोति।

व्याकरणत्मक

प्रश्न 1
निम्नलिखित संधि पदों का संधि-विच्छेद कीजिए-
उत्तर

प्रश्न 2
निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग अथवा प्रत्यय अलग कीजिए
उत्तर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Iconic One Theme | Powered by Wordpress