UP Board Solutions for Class 10 Hindi समास
UP Board Solutions for Class 10 Hindi समास
समास
नवीनतम पाठ्यक्रम के अनुसार प्रस्तुत प्रकरण से कुल 2 अंकों के प्रश्न पूछे जाएँगे।
ध्यातव्य-पाठ्यक्रम में केवल द्वन्द्व, द्विगु, कर्मधारय तथा बहुव्रीहि समास ही निर्धारित हैं, अतः यहाँ केवल उन्हीं का विस्तृत वर्णन किया जा रहा है।
उपसर्ग तथा प्रत्यय की तरह समास भी यौगिक शब्द बनाते हैं। परस्पर सम्बन्ध रखने वाले दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बनने वाले एक स्वतन्त्र शब्द को समास कहते हैं; जैसे-दही-बड़ा, राजकुमार, पीताम्बर, धरोहर, दैनिक, गंगा-तट आदि। समास शब्द संस्कृत का है जो ‘अस्’ धातु में ‘सम्’ उपसर्ग तथा ‘घञ्’ प्रत्यय लगकर बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है “संक्षिप्त करना। समास में किसी प्रकार का अर्थ परिवर्तन नहीं होता। संक्षिप्त किये गये शब्दों को ‘समस्त पद’ या ‘सामासिक शब्द’ कहते हैं।
विशेषताएँ–समास की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं
(1) हिन्दी में समास प्राय: दो शब्दों से बनते हैं। इसके विपरीत संस्कृत में समास अनेक शब्दों से बनते हैं और पर्याप्त लम्बे-लम्बे भी होते हैं। हिन्दी में सम्भवत: ‘सुत-बित-नारि-भवन-परिवारा’ ही सबसे लम्बा समास है।
(2) समास कुछ अपवादों को छोड़कर प्राय: दो सजातीय शब्दों में ही होता है; जैसे—रसोईघर एवं पाठशाला शब्द ही बन सकते हैं; रसोईशाला’ तथा ‘पाठघर’ नहीं बन सकते।
(3) सामासिक शब्द या तो मिलाकर लिखे जाते हैं या दोनों के बीच योजक-चिह्न लगाकर; जैसे–घरबार, दहीबड़ा अथवा घर-बार, दही-बड़ा आदि।
(4) किसी शब्द में समास ज्ञात करने के लिए समस्त पद के खण्डों को अलग-अलग करना पड़ता है, जिसे विग्रह कहते हैं; जैसे–माँ-बाप’ का विग्रह माँ और बाप तथा गंगा-तट’ का विग्रह गंगा की तट है।
(5) सामासिक शब्द बनाते समय दोनों शब्दों के बीच की विभक्तियाँ या योजक आदि अव्यय शब्दों का लोप हो जाता है।
(6) समास बहुधा वहीं होता है, जहाँ परस्पर सम्बन्ध रखने वाले दो या अधिक शब्द मिलकर एक तीसरा सार्थक शब्द बनाते हैं।
(7) समास के दोनों शब्दों (पदों) को क्रमशः पूर्व-पद अर्थात् पहला पद तथा उत्तर-पद अर्थात् दूसरा । पद कहते हैं; जैसे-‘राम-लक्ष्मण’ शब्द में ‘राम’ पूर्व-पद है और लक्ष्मण उत्तरं-पद है।
(8) हिन्दी में मुख्य रूप से निम्नलिखित तीन प्रकार के सामासिक शब्द ही प्रयोग में आते हैं-
- संस्कृत के-यथाशक्ति, पीताम्बर, मनसिज, पुरुषोत्तम आदि।
- हिन्दी के–अनबन, नील-कमल, बैल-गाड़ी आदि।
- उर्दू-फ़ारसी आदि के–खुशबू, सौदागर, बेशक, लाइलाज आदि।
इसके अतिरिक्त हिन्दी में रेलवे स्टेशन, बुकिंग ऑफिस, टिकट चेकर आदि इंग्लिश शब्द तथा कुछ संकर शब्द भी प्रयोग में आते हैं; जैसे—बस अड्डा, पुलिस चौकी, चकबन्दी, गुरुडम, पार्टीबाज आदि।
(9) सामासिक शब्दों में पुंल्लिग शब्द पहले और स्त्रीलिंग शब्द बाद में आते हैं; जैसे-लोटा-थाली, देखा-देखी, भाई-बहन, दूध-रोटी आदि।
(10) कभी-कभी विग्रह के आधार पर एक ही शब्द कई समासों का उदाहरण हो जाता है। जैसे-पीताम्बर का विग्रह यदि “पीत है जो अम्बर’ करें तो कर्मधारय तथा “पीत हैं अम्बर (वस्त्र जिसके) अर्थात् कृष्ण’ करें तो बहुव्रीहि होगा।
भेद–पदों की प्रधानता के आधार पर समास के निम्नलिखित चार भेद किये जाते हैं.
- पहला पद प्रधान–अव्ययीभाव
- दूसरा पद प्रधान—तत्पुरुष
- दोनों पद प्रधान–द्वन्द्व
- कोई भी पद प्रधान नहीं-बहुव्रीहि
इन चारों प्रमुख भेदों के अतिरिक्त कर्मधारय और द्विगु दो समास और भी हैं, जिन्हें विद्वद्वर्ग तत्पुरुष के भेद बताता है। इनको मिलाकर समास के छ: भेद हो जाते हैं
- अव्ययीभाव
- तत्पुरुष
- कर्मधारय
- द्विगु
- द्वन्द्व
- बहुव्रीहि