UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 10 अपशिष्ट (कचरा) प्रबन्धन
UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 10 अपशिष्ट (कचरा) प्रबन्धन
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1:
अपशिष्ट ( कचरा ) प्रबन्धन से क्या आशय है? कचरा प्रबन्धन की प्रक्रिया का विवरण दीजिए।
या
घरेलू कूड़े-कचरे के व्यवस्थित प्रबन्धन के लिए घर में क्या-क्या उपाय किये जाने चाहिए। प्रक्रिया का क्रमिक वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अपशिष्ट (कचरा) प्रबन्धन का अर्थ एवं आवश्यकता
घर को हर प्रकार से साफ एवं स्वच्छ रखना अनिवार्य है। घर पर अनेक कार्य किए जाते हैं, जिनके परिणामस्वरूप घर में लगातार कूड़ा या कचरा (अपशिष्ट पदार्थ) एकत्र होता रहता है। भोजन बनाने के लिए सब्जी को काटना-छीलना पड़ता है। आटे को छाना जाता है तथा चोकर अलग किया जाता है। पके हुए भोजन की भी जूठन बचती है। इसके अतिरिक्त धूल-मिट्टी भी घर में हवा आने-जाने वालों के पैरों के साथ आती रहती है। इसके साथ-साथ छोटे बच्चों द्वारा घर में जहाँ-तहाँ मल-मूत्र त्याग देने से भी गंदगी में तथा कूड़े में वृद्धि हो जाती है। अतः स्पष्ट है कि घर में विभिन्न प्रकार का कूड़ा नित्य ही एकत्रित होता रहता है। यह कूड़ा हमारे लिए एक समस्या बन जाता है। जहाँ एक ओर इससे गंदगी होती है तथा दुर्गन्ध आती है, वहीं साथ-साथ कूड़े पर मक्खी तथा मच्छर भी पलते रहते हैं। अतः इस कूड़े को घर से प्रतिदिन बाहर निकालना अति आवश्यक है। घर से कूड़े के विसर्जन के उचित ढंग का ज्ञान होना भी अति आवश्यक है। इस प्रकार स्पष्ट है कि अपशिष्ट (कचरा) या कूड़े-करकट का व्यवस्थित प्रबन्धन अति आवश्यक कार्य है।
अपशिष्ट ( कचरा ) प्रबन्धन की प्रक्रिया
उपर्युक्त वर्णित परिचय से स्पष्ट है कि स्वास्थ्य एवं सफाई के लिए कूड़े-करकट को घर से बाहर निकालने की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। इस उद्देश्य के लिए घर की गृहिणी तथा अन्य सदस्यों को निरंतर ध्यान रखना चाहिए तथा बिलकुल भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। सबसे पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि घर में कूड़ा-करकट कम-से-कम फैले। इसके लिए घर में जहाँ-जहाँ आवश्यक हो, वहाँ पर कूड़ेदान रख देने चाहिए। मुख्य रूप से रसोईघर में कोई खाली डिब्बा
अथवा ढक्कनदार बाल्टी अवश्य रखनी चाहिए। रसोईघर का सारा कूड़ा अर्थात् सब्जियों के छिलके, भोजन की जूठन तथा चोकर आदि को हाथ-के-हाथ ही इस डिब्बे में डाल देना चाहिए। रसोईघर के अतिरिक्त बच्चों के पढ़ाई वाले कमरे या स्थान पर भी एक टोकरी या ट्रे रख देनी चाहिए। बच्चों को चाहिए कि वे अपने फटे हुए कागज तथा कतरनें आदि को इसी टोकरी में फेंकें। इस प्रकार
की व्यॆवस्था कर देने से पूरे घर में कूड़ा नहीं फैलेगा।
उपर्युक्त व्यवस्था के अतिरिक्त एक मुख्य कूड़ेदान की भी व्यवस्था होनी चाहिए। यह लोहे का ढोल-सा होता है। इसे मुख्य द्वार के निकट अथवा सीढ़ियों के नीचे कहीं रखना चाहिए। जब घर की सफाई हो तथा झाडू लगाई जाए तो जो कूड़ा निकले उसे सीधे ही इस मुख्य कूड़ेदान में डालना चाहिए। इसके अतिरिक्त घर में अन्य स्थानों पर रखे गए डिब्बों अथवा टोकरी के कूड़े को भी समय-समय पर मुख्य कूड़ेदान में डालते रहना चाहिए। यह मुख्य कूड़ेदान भी ढक्कनदार होना चाहिए। ध्यान रहे कि इस कूड़ेदान में पानी नहीं भरना चाहिए। गंदे पानी के निकास की व्यवस्था अलग से करनी चाहिए। कूड़ेदान में तथा उसके आस-पास समय-समय पर चूना डालते रहना चाहिए, जिससे गंदगी में उत्पन्न होने वाले कीटाणु भी मरते रहते हैं। आधुनिक मान्यताओं के अनुसार गीले कूड़े तथा सूखे कूड़े को एकत्र करने के लिए अलग-अलग कूड़ेदान रखने चाहिए।
अब प्रश्न उठता है कि इस मुख्य कूड़ेदाने का कूड़ा घर से बाहर कैसे विसर्जित किया जाए? सामान्य रूप से नगरों में घरों पर नित्य ही मेहतर आया करते हैं। मेहतर इस कूड़े को अपनी ठेली द्वारा अथवा टोकरी द्वारा उठाकर ले जाते हैं तथा सार्वजनिक खत्ते पर पहुँचा देते हैं। यदि किसी स्थान पर मेहतर की सुविधा न हो तो स्वयं ही कूड़े को घर से बाहर निकालना पड़ता है। इस स्थिति में ध्यान देना पड़ता है कि यदि गली अथवा सड़क की सफाई नित्य होती है तथा वहाँ से कूड़ा उठा ले जाने की सही व्यवस्था है तो उस स्थिति में हम अपने घर का कूड़ा घर से बाहर निर्धारित स्थान पर डाल सकते हैं। ऐसी स्थिति में ध्यान रखने योग्य मुख्य बात यह है कि हम अपने घर को कूड़ा समय से पहले ही घर से बाहर निकाल दें, जब सड़क की सफाई होती है। यदि हम सड़क की सफाई होने के बाद घर का कूड़ा बाहर फेंकते हैं तो वह अगले दिन सुबह तक वहीं पड़ा रहेगा तथा हवा आदि से फैलता रहेगा। यह . अनुचित है। यदि सड़क पर किसी सार्वजनिक कूड़ेदान की व्यवस्था है तो हमें चाहिए कि हम अपने घर का कूड़ा अनिवार्य रूप से उसी सार्वजनिक कूड़ेदान में ही डालें। गली अथवा सड़क को स्वच्छ रखना भी हमारा कर्तव्य है। कहीं-कहीं नगरपालिका की गाड़ियाँ कूड़ा ढोने का कार्य करती हैं। ऐसी स्थिति में हमें ध्यान रखना चाहिए कि जब कूड़े की गाड़ी आये, तभी अपने घर का कूड़ा उसमें डाल दें।
उपर्युक्त विवरण द्वारा घर के साधारण कूड़े को घर से बाहर निकालने का उपाय स्पष्ट होता है। इसके अतिरिक्त कुछ घरों में गाय, भैंस अथवा मुर्गियाँ भी पाली जाती हैं। इन पशुओं के कारण घर में अतिरिक्त कूड़ा भी एकत्रित होता रहता है, जिसे बाहर निकालने की व्यवस्था अनिवार्य है। गाय के गोबर के उपले आदि पथवा देने चाहिए। अन्य अवशेषों को घर से दूर खाली स्थान पर गड्ढे में डालते रहना चाहिए, जहाँ इससे खाद बनती रहती है। घर पर पशु होने पर घर की सफाई का सामान्य से अधिक ध्यान रखना चाहिए तथा सफाई पर अधिक मेहनत करनी चाहिए। पशुओं के स्थान को समय-समय पर किसी कीटनाशक दवा से धुलवाते रहना चाहिए। इस प्रकार स्पष्ट है कि घर की सफाई हेतु कूड़ा-करकट के विसर्जन के लिए निरन्तर प्रयास करने चाहिए तथा इस ओर कभी भी लापरवाही नहीं दिखानी चाहिए।
कचरा प्रबन्धन के लिए कचरा प्रबन्धन अधिनियम है। जिसके अन्तर्गत स्थानीय संस्थाओं के साथ-ही-साथ कचरा उत्पन्न करने वालों की भी जिम्मेदारी निर्धारित की गयी है। जो संस्थान कचरा जेनेरेट करते हैं उन्हें भी अपना कचरा वापस लेकर रिसाइकिल करना होगा।
प्रश्न 2:
घरों से एकत्र कूड़े-करकट या कचरे को नष्ट या समाप्त करने के लिए विभिन्न उपायों का विवरण दीजिए।
या
घरेलू कूड़े-करकट को घर से बाहर निकालना ही अनिवार्य नहीं है बल्कि उसे सही ढंग से ठिकाने लगाना अनिवार्य है।” इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कचरे को ठिकाने लगाने के विभिन्न उपायों का उल्लेख करें तथा बतायें कि कौन-से उपाय उपयुक्त हैं?
या
कचरे को नष्ट करने के लिए कौन-कौन सी विधियाँ अपनाई जाती हैं?
या
कचरे के निस्तारण की सर्वोत्तम विधि कौन-सी है? कारण भी समझाइए।
उत्तर:
कचरा या कूड़े-करकट को नष्ट करना या समाप्त करना
घरेलू कूड़े-करकट को घर से बाहर निकालने की व्यवस्था ही अपने आप में पर्याप्त तथा अंतिम व्यवस्था नहीं है। वास्तव में पूरे क्षेत्र से एकत्र हुए कूड़े को नष्ट करना या ठिकाने लगाना भी अति
आवश्यक है। यह अपने आप में एक गम्भीर नगरीय समस्या है। कूड़े-करकट को नष्ट करने या ठिकाने लगाने के मुख्य उपाय निम्नलिखित हैं
(1) जलाकर:
स्वास्थ्य की दृष्टि से कूड़े को नष्ट करने का यह सर्वश्रेष्ठ उपाय है। कूड़े को जलाने के लिए शहर की बस्ती से दूर, ईंटों की एक गोलाकार चिमनी बनी होती है, जिसके ऊपर की ओर धुआँ तथा गैसों के निकलने के लिए 3 छेद होते हैं। बीच में एक जाली होती है जिसके नीचे कूड़ा रखने और नीचे से आग जलाने का प्रबन्ध होता है। चिमनी में आग लगाकर कूड़ा जला दिया जाता है। तथा बची हुई राख से सड़क या सीमेंट बनाने का काम लिया जाता है। यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि कूड़े को इस प्रकार से जलाने से अनेक विषैली गैसें बनती हैं, जो वायु प्रदूषण में वृद्धि करती हैं। आज़कल कूड़े में प्लास्टिक या पॉलिथीन की थैलियों की काफी अधिक मात्रा होती है। इन वस्तुओं के जलने से अत्यधिक वायु प्रदूषण होता है। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अब हर
को जलाने का समर्थन नहीं किया जा सकता।
(2) जलस्रोतों में प्रवाहित करना:
पारम्परिक रूप से प्रायः सभी क्षेत्रों में कूड़े-कचरे को जलस्रोतों अर्थात् नदियों आदि में विसर्जित कर दिया जाता थी परन्तु अब यह अनुभव किया गया कि कूड़े-कचरे को जलस्रोतों में प्रवाहित करना भी अनुचित है। इससे जल-प्रदूषण का गम्भीर खतरा उत्पन्न होने लगा है। हमारे देश की प्रायः सभी नदियों का जल काफी अधिक प्रदूषित हो चुका है। अतः कूड़े-कचरे को जल में प्रवाहित करने का समर्थन भी नहीं किया जा सकता।
(3) कूड़े से गड्ढों को पाटना:
यह विधि अधिक उपयुक्त नहीं है। इस विधि में कूड़े को नीची जमीनों को पाटने के काम में ले लिया जाता है। कूड़ा खुला पड़ा रहता है तथा मक्खी, मच्छर और हानिकारक जीवाणु इसमें इकट्ठे होते रहते हैं, जो यहाँ से उड़कर दूसरे स्थानों पर गंदगी फैलाते हैं। इससे पर्यावरण-प्रदूषण में बहुत अधिक वृद्धि होती है। अतः इस उपाय का भी समर्थन नहीं किया जा सकता।
(4) छंटाई द्वारा कूड़े का उपयोग:
पाश्चात्य देशों में प्रचलित इस विधि में कूड़े को तीन भागों में छाँट लिया जाता है
- कोयले व मिट्टी के टुकड़े,
- मुलायम कूड़ा (घास, पत्ती, कागज व कपड़ों के टुकड़े),
- कड़ा-कूड़ा (हड्डी, काँच, टूटी चीजें)। पहले प्रकार के कूड़े से ईंट व दूसरे प्रकार के कूड़े से खाद बना ली जाती है। तीसरे प्रकार के कूड़े को सड़कों के गड्ढे आदि पाटने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
(5) खाद बनाना:
कूड़े से खाद बनाना उसको ठिकाने लगाने की सर्वोत्तम विधि है। बड़े-बड़े गड्ढों में घेरलू कूड़ा भरकर उसे मिट्टी से दबा दिया जाता है। कुछ समय में कूड़ा सड़कर उत्तम कार्बनिक खाद के रूप में परिवर्तित हो जाता है। यह खाद कृषि-कार्य के लिए उपयोगी एवं लाभदायक होती है। अब कम्पोस्ट प्लांट बनाये गये हैं। इन प्लांटों में ‘आर्गेनिक वेस्ट कम्पोस्ट मशीन की व्यवस्था है। यह मशीन कचरे को महीन बना देती है तथा इससे केवल 15 दिन में ही अच्छी कम्पोस्ट खाद बनकर तैयार हो जाती है। अब विद्यालयों की कैण्टीन आदि में भी तथा आवासीय सोसाइटियों में भी इस प्रकार की व्यवस्था करने का सुझाव दिया जा रहा है।
उपर्युक्त विवरण द्वारा कूड़े-कचरे को नष्ट करने या ठिकाने लगाने के विभिन्न उपायों का सामान्य परिचय प्राप्त हो जाता है। इस विवरण के आधार पर कहा जा सकता है कि कूड़े-करकट को ठिकाने लगाने के उपयुक्त उपाय हैं
- छंटाई द्वारा कूड़े का उपयोग तथा
- कूड़े से खाद बनाना।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1:
घर की सफाई एवं सजावट के लिए कचरा प्रबन्धन की आवश्यकता को स्पष्ट करें।
उत्तर:
घर की सफाई तथा कचरा प्रबन्धन
प्रत्येक परिवार उत्तम स्वास्थ्य एवं गृह सज्जा के लिए नियमित सफाई को अति आवश्यक मानता है। घर की सफाई का अर्थ है-घर में गन्दगी तथा कूड़े-करकट का अभाव होना। उस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अति आवश्यक है कि घर में कूड़ा-करकट अधिक फैले ही नहीं तथा हमें पूरे घर में जहाँ-तहाँ बिखरने वाले कूड़े-कचरे को साथ ही साथ कूड़ेदानों या डिब्बों आदि में डालते रहना चाहिए। विभिन्न कूड़ेदानों एवं डिब्बों में एकत्र हुए कूड़े-कचरे को एक मुख्य कूड़ेदान में डाल देना चाहिए तथा वहाँ से घर से बाहर निकालने की समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए। इस प्रक्रिया द्वारा घर की सफाई तथा सजावट के लिए कूड़े-कचरे का उचित प्रबन्धन हो जाता है।
प्रश्न 2:
कचरे का घर में संग्रह कैसे करेंगी?
उत्तर:
घर में कचरे का संग्रह करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
- घर में सूखे व गीले कचरे को संग्रह करने के लिए अलग-अलग पात्र होने चाहिए। पात्र ऐसे स्थानों पर रखने चाहिए जहाँ परिवार के सदस्यों को उनमें कचरा डालने में सुविधा रहे।
- परिवार के सभी सदस्यों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वे फटे कागज, खाने के टुकड़े व अन्य निरर्थक वस्तुओं को इधर-उधर न फेंके वरन् उनको कचरापात्रों में ही डालें। इस विषय में बालकों को प्रारम्भ से ही शिक्षा मिलनी चाहिए।
- कचरापात्रों को ढकने की व्यवस्था होनी आवश्यक है जिससे मक्खियाँ उस पर न बैठ सकें।
वर्तमान में एक विशेष प्रकार के कचरापात्र बनाए जा रहे हैं जिनका ढक्कन खड़े-खड़े पैर से एक लोहे के टुकड़े को दबाने से खुल जाता है। इससे बहुत सुविधा रहती है। कचरापात्रों से प्रतिदिन कचरा हटाया जाना चाहिए और साथ ही यह भी आवश्यक है कि कचरापात्रों को अन्दर व बाहर से समय-समय पर धोकर साफ किया जाए, नहीं तो ये कचरापात्र स्वयं एक समस्या बन जाएँगे
तथा ये जहाँ भी रखे जाएँगे इन पर मक्खियाँ भिनभिनाएँगी।
प्रश्न 3:
कचरे के संवहन की कौन-सी विधि है?
उत्तर:
कचरे के संवहन की निम्नलिखित विधि है
घरों से कचरा बाल्टियों व टोकरियों से भरकर बाहर ले जाया जाता है और गली व मुहल्ले के बड़े कचरापात्रों में डाला जाता है। फिर वहाँ से कचरे को नगर महापालिकाओं की गाड़ियों में भरकर नगर के बाहर निस्तारण हेतु भेजा जाता है।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1:
घरेलू कचरे से क्या आशय है?
उत्तर:
घर की सफाई के दौरान निकलने वाले व्यर्थ एवं दूषित पदार्थों को घरेलू कचरा कहा जाता हैं
प्रश्न 2:
घर में कचरा रहने से क्या हानियाँ हो सकती हैं?
उत्तर:
घर में कचरा रहने से गन्दगी बढ़ती है तथा विभिन्न रोगाणु पनपते हैं। इससे गृहसज्जा धूमिल पड़ जाती है।
प्रश्न 3:
कचरा प्रबन्धन के लिए सर्वप्रथम क्या उपाय किया जाना चाहिए?
उत्तर:
कचरा प्रबन्धन के लिए सर्वप्रथम कूड़े-करकट को घर से बाहर निकालने की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
प्रश्न 4:
कूड़े-करकट के निस्तारण की मुख्य विधियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(i) कूड़े को जलाकर नष्ट करना,
(ii) जलस्रोतों में प्रवाहित करना,
(iii) कूड़े से गड्ढों को पाटना,
(iv) छंटाई द्वारा कूड़े का उपयोग तथा
(v) खाद बनाना।
प्रश्न 5:
कूड़े को जलाने का क्या प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
कूड़े को जलाने से वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है।
प्रश्न 6:
कूड़े-कचरे को जलस्रोतों में प्रवाहित करने से क्या हानियाँ होती हैं?
उत्तर:
कूड़े-कचरे को जलस्रोतों में प्रवाहित करने से जल-प्रदूषण का गम्भीर खतरा बना हुआ है।
प्रश्न 7:
कूड़े-कचरे के निस्तारण के हानि-रहित उपाय कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
कूड़े-कचरे के निस्तारण के हानि-रहित उपाय हैं
(i) छंटाई द्वारा कूड़े का उपयोग तथा
(ii) कूड़े से खाद बनाना।
प्रश्न 8:
गोबर का सर्वोत्तम उपयोग क्या है?
उत्तर:
गोबर से बायो गैस बनाना गोबर का सर्वोत्तम उपयोग है। इस प्रक्रिया में अवशिष्ट पदार्थ को । खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
प्रश्न 9:
कचरा-प्रबन्धन में ध्यान में रखने योग्य मुख्य बात क्या है?
उत्तर:
कचरा-प्रबन्धन में ध्यान में रखने योग्य मुख्य बात यह है कि कचरे से पर्यावरण-प्रदूषण में किसी प्रकार की वृद्धि नहीं होनी चाहिए तथा जहाँ तक सम्भव हो कचरे का सदुपयोग हो।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न-निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्पों का चुनाव कीजिए
1. घर में जहाँ-तहाँ कचरान फैला रहे, इसके लिए निम्नलिखित में से क्या आवश्यक है?
(क) घर में कचरा उत्पन्न ही न हो।
(ख) कचरे को जलाते रहें।
(ग) घर पर विभिन्न स्थानों पर कचरापात्र रखें
(घ) कोई भी उपाय सफल नहीं होता।
2. घरेलू कचरे की समस्या के पूर्ण समाधान का उपाये क्या है?
(क) घर में कचरा न फैलने दें।
(ख) कचरे को घर से निकालने की समुचित व्यवस्था करें
(ग) सभी घरों से निकलने वाले कचरे को नष्ट करने के उपाय करें
(घ) उपर्युक्त सभी उपाय आवश्यक हैं।
3. घर के समस्त कचरे को किस स्थान पर एकत्र करना चाहिए?
(क) घर के किसी कोने में
(ख) कचरापात्र में
(ग) सड़क पर
(घ) पड़ोसियों के घर के सामने।
4. नगर के कचरे को ठिकाने लगाने का हानिरहित उपाय निम्नलिखित में से क्या है?
(क) कचरे को जला देना।
(ख) कचरे को जल-स्रोत में बहा देना
(ग) कचरे को खुले मैदान में डाल देना
(घ) कचरे से खाद बना लेना।
उत्तर:
1. (ग) घर पर विभिन्न स्थानों पर कचरापात्र रखे,
2. (घ) उपर्युक्त सभी उपाय आवश्यक हैं,
3. (ख) कचरापात्र में,
4. (घ) कचरे से खाद बना लेना।