UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 13 वस्त्रों की धुलाई तथा रख-रखाव

By | May 21, 2022

UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 13 वस्त्रों की धुलाई तथा रख-रखाव

UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 13 वस्त्रों की धुलाई तथा रख-रखाव

 

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
वस्त्रों की धुलाई से आप क्या समझती हैं? वस्त्रों की धुलाई की आवश्यकता भी स्पष्ट कीजिए।
या
वस्त्रों की धुलाई क्यों आवश्यक होती है? [2011,17,18]
उत्तर:
वस्त्रों की धुलाई का अर्थ

सभ्य मनुष्य के जीवन में वस्त्रों का अत्यन्त महत्त्व है। प्रत्येक व्यक्ति समय-समय पर जो वस्त्र धारण करता है, उन वस्त्रों से जहाँ एक ओर उसके शरीर को विभिन्न प्रकार की सुरक्षा प्राप्त होती है, वहीं दूसरी ओर वे वस्त्र व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने में भी महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान करते हैं। यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि केवल साफ-सुथरे तथा धुले हुए वस्त्र ही उत्तम माने जाते हैं।
नियमित रूप से धारण किए जाने वाले तथा घर पर अन्य प्रयोजनों के लिए इस्तेमाल होने वाले वस्त्र शीघ्र ही गन्दे एवं मैले हो जाते हैं। वस्त्रों के गन्दे एवं मैले होने में जहाँ बाहरी धूल-मिट्टी एवं गन्दगी की विशेष भूमिका होती है, वहीं वस्त्रों को धारण करने वाले व्यक्ति के शरीर से निकलने वाले पसीने का भी विशेष प्रभाव होता है। पसीने से गीले हुए वस्त्रों में बाहरी धूल-मिट्टी जम जाती है। यही नहीं पसीना वस्त्रों में ही सूखकर उन्हें दुर्गन्धयुक्त भी बनाता है। इस प्रकार विभिन्न कारणों से गन्दे एवं मैले हुए वस्त्रों को पुनः गन्दगी एवं दुर्गन्धरहित साफ-सुथरा बनाने की प्रक्रिया को ही वस्त्रों की धुलाई कहते हैं। वस्त्रों की धुलाई के अन्तर्गत विभिन्न साधनों एवं उपायों द्वारा वस्त्रों की मैल, गन्दगी, दुर्गन्ध
आदि को समाप्त किया जाता है तथा पुनः वस्त्रों को साफ-सुथरा बनाया जाता है। वस्त्रों की धुलाई के लिए जल तथा शोधक पदार्थ (साबुन, डिटर्जेण्ट आदि) आवश्यक होते हैं तथा इसके लिए वस्त्रों को मलना, रगड़ना, पीटना एवं खंगालना आदि आवश्यक उपाय होते हैं।

वस्त्रों की धुलाई की आवश्यकता

प्रश्न उठता है कि वस्त्रों को धुलाई की आवश्यकता क्यों होती है? या यह कहा जाए कि वस्त्रों की धुलाई का उद्देश्य क्या होता है? इस विषय में निम्नलिखित तथ्यों को जानना अभीष्ट होगा

(1) वस्त्रों की सफाई के लिए:
शरीर की नियमित सफाई जिस प्रकार अति आवश्यक होती है, ठीक उसी प्रकार शरीर पर धारण करने वाले तथा अन्य प्रयोजनों के लिए इस्तेमाल होने वाले वस्त्रों की भी नियमित सफाई आवश्यक होती है। शारीरिक सफाई के लिए स्नान आवश्यक होता है तथा की सफाई के लिए वस्त्रों की धुलाई को आवश्यक माना जाता है।

(2) वस्त्रों की दुर्गन्ध समाप्त करने के लिए:
कपड़ों को पहनने, बिछाने तथा ओढ़ने आदि के दौरान शरीर से निकलने वाला पसीना उनमें व्याप्त हो जाता है। इस पसीने से वस्त्रों में दुर्गन्ध आ जाती है। इस दुर्गन्ध को समाप्त करने के लिए भी वस्त्रों की धुलाई आवश्यक हो जाती है।

(3) कपड़ों की सुरक्षा के लिए:
कपड़ों की सुरक्षा के लिए भी इनकी नियमित धुलाई आवश्यक मानी जाती है। गन्दे एवं मैले वस्त्रों को विभिन्न प्रकार के कीड़ों, फफूदी तथा बैक्टीरिया आदि द्वारा नष्ट कर देने की आशंका बनी रहती है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए वस्त्रों की सुरक्षा के लिए भी वस्त्रों की धुलाई को आवश्यक माना जाता है।

(4) व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए:
मैले एवं गन्दे वस्त्र व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालते हैं। मैले एवं गन्दे वस्त्र निरन्तर धारण किए रहने की स्थिति में विभिन्न चर्म रोग हो जाने की आशंका रहती है। यही नहीं गन्दे वस्त्र धारण करने से व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। ऐसा व्यक्ति प्रायः हीन-भावना का शिकार हो जाता है। इस स्थिति में व्यक्तिगत, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को रम्नाए रखने के लिए भी वस्त्रों की नियमित धुलाई आवश्यक मानी जाती है।

(5) कपड़ों की सुन्दरता के लिए:
गन्दे एवं मैले वस्त्र भद्दे एवं बुरे लगते हैं। वस्त्रों को सुन्दर एवं आकर्षक बनाने के लिए उनकी नियमित धुलाई आवश्यक होती है।

(6) व्यक्तित्व के निखार के लिए:
नि:सन्देह कहा जा सकता है कि साफ-सुथरे एवं धुले हुए तथा अच्छी तरह से प्रेस किए हुए वस्त्र धारण करने से व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आ जाता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए भी वस्त्रों की धुलाई को आवश्यक माना जाता है।

(7) बचत के लिए:
वस्त्रों की धुलाई का एक उद्देश्य समुचित बचत करना भी होता है। वास्तव में गन्दे वस्त्र शीघ्र फट जाते हैं, जबकि नियमित रूप से धोये जाने वाले वस्त्र अधिक दिन तक ठीक बने रहते हैं। इस प्रकार कपड़ों पर होने वाले व्यय की भी बचत होती है।

प्रश्न 2:
वस्त्रों को घर पर धोने से क्या लाभ है? [2009, 10, 11]
या
वस्त्रों की धुलाई करते समय कौन-कौन सी मुख्य बातों को ध्यान में रखेंगी?
या
कपड़े धोते समय ध्यान रखने योग्य पाँच सावधानियाँ लिखिए। [2009, 11]
या
घर पर वस्त्र धोने के क्या लाभ हैं? वस्त्रों को धोने से पहले क्या-क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए? [2008, 09, 10, 11, 18]
या
वस्त्रों की घर पर धुलाई के लाभ बताइए। [2007, 09, 10, 11, 13, 14]
या
वस्त्रों को धोने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? [2015, 16]
उत्तर:
घर पर वस्त्र धोने से लाभ

व्यावसायिक स्तर पर कपड़ों की धुलाई का कार्य धोबियों द्वारा अथवा नगरों में स्थापित लॉण्ड्रियों द्वारा किया जाता है, परन्तु परिवार के सदस्यों के दैनिक इस्तेमाल के वस्त्रों की धुलाई का कार्य घर पर ही किया जाता है। वास्तव में घर पर वस्त्रों की धुलाई करना अधिक सुविधाजनक एवं लाभदायक भी होता है। घर पर वस्त्रों की धुलाई के मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं

(1) समय की बचत:
धोबी अथवी लॉण्ड्री से वस्त्र धुलवाने में कई दिन का समय लगता है, जबकि स्वयं वस्त्र धोने पर उन्हें केवल कुछ घण्टों बाद ही प्रयोग में लाया जा सकता है। इस प्रकार घर पर वस्त्र धोने से समय की पर्याप्त बचत होती है।

(2) धन की बचत:
घर पर वस्त्र धोने से बहुत कम धन व्यय होता है। धोबी अथवा लॉण्ड्री की धुलाई में प्रति वस्त्र काफी धन व्यय करना पड़ता है, जबकि एक ही अच्छे साबुन अथवा डिटर्जेण्ट पाउडुर के प्रयोग से अनेक वस्त्रों की धुलाई की जा सकती है तथा धन की पर्याप्त बचत भी की जा सकती है। इसके अतिरिक्त घर पर वस्त्र धोने पर वस्त्रों की कम संख्या में ही कामे चलाया जा सकता है।

(3) वस्त्रों की आयु में वृद्धि:
वस्त्रों को धोते समय धोबी प्राय: अम्ल एवं कास्टिक सोडा अधिक मात्रा में प्रयोग करते हैं, जिससे तन्तु कमजोर हो जाने के फलस्वरूप वस्त्र शीघ्र फट जाते हैं। घर पर वस्त्रों की धुलाई ठीक प्रकार से होती है। अतः ये अधिक समय तक चलते हैं।

(4) रोगों से बचाव:
धोबी प्रायः अनेक घरों वस्त्र एकत्रित कर एक साथ उनकी धुलाई करते हैं। इस प्रकार रोगी एवं स्वस्थ मनुष्यों के वस्त्र साथ-साथ धुलते हैं। अधिकांश धोबी नगर के निकट के किसी तालाब या पोखर के पानी से कपड़े धोया करते हैं। यह पानी काफी गन्दा होता है। इससे अनेक संक्रामक रोगों के फैलने की सम्भावना रहती है। घर पर रोगी के वस्त्र अलग से विधिपूर्वक धोए जाते हैं, जिससे रोगों से बचाव की पूर्ण सम्भावना रहती है।

(5) अन्य लाभ:
घर पर वस्त्रों की धुलाई से होने वाले कुछ अन्य लाभ हैं|

  1. वर्षा ऋतु में कपड़े धोकर लाने में धोबी अधिक एवं अनिश्चित समय लगाता है, जबकि घर पर आवश्यक वस्त्र धोने से इस कठिनाई से बचा जा सकता है।
  2. धोबी प्रायः धोए जाने वाले वस्त्रों का स्वयं भी प्रयोग करते हैं। उनकी लापरवाही के कारण कई बार वस्त्र या तो खो जाते हैं अथवा दूसरे व्यक्तियों से बदल जाते हैं। घर पर वस्त्रों को धोने से इस प्रकार की कठिनाइयाँ नहीं होतीं।
  3. धोबी कई बार सफेद व रंगीन वस्त्रों को एक साथ धो देते हैं, जिससे सफेद वस्त्रों में रंगीन धब्बों के लगने की आशंका रहती है। घर पर वस्त्रों को धोने से इस प्रकार की आशंका से बचा जा सकता है। घर पर वस्त्र धोते समय वस्त्रों में इच्छानुसार केलफ लगाया जा सकता है।

वस्त्र धोने से पूर्व ध्यान देने योग्य बातें

वस्त्र धोने की तैयारी अपने आप में एक महत्त्वपूर्ण कार्य है। वस्त्रों की धुलाई से पूर्व कुछ सावधानियों का पालन करने से तथा विधिपूर्वक वस्त्र धोने से न केवल वस्त्र ठीक प्रकार से धुलते हैं, बल्कि कई अन्य लाभ भी होते हैं। वस्त्रों की धुलाई से पूर्व निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. धोने से पहले वस्त्रों की जेबों को सावधानीपूर्वक देख लेना चाहिए। इससे कई बार जेबों में रखी मुद्रा अथवा महत्त्वपूर्ण कागज नष्ट होने से बच जाते हैं।
  2. वस्त्रों में लगे लोहे के बकसुए, बैचेज़, बकल एवं अन्य इस प्रकार के सामान धुलाई से पूर्व अलग कर देने चाहिए। इससे वस्त्र जंग लगने से सुरक्षित रहते हैं।
  3. फटे वस्त्रों की धुलाई से पूर्व ही मरम्मत कर लेनी चाहिए। यदि वस्त्रों के बटन आदि टूट गये हों तो उनमें भी प्रारम्भ में ही टाँके लगा देने चाहिए।
  4. वस्त्रों में यदि दाग अथवा धब्बे लगे हों, तो उन्हें धुलाई से पूर्व ही साफ करना चाहिए।
  5. रोगी के वस्त्रों को अलग करके व उन्हें उबलते पानी में कुछ समय तक डालकर उनका नि:संक्रमण करना चाहिए। इससे अन्य व्यक्तियों में रोग फैलने की आशंका समाप्त हो जाती है।
  6. रेशमी, ऊनी व सूती वस्त्रों को अलग-अलग कर लेना चाहिए। (7) रेशमी वस्त्रों को धोते समय कास्टिक सोडे का न्यूनतम प्रयोग करना चाहिए।
  7.  रेशमी व ऊनी कपड़ों को अधिक गर्म पानी में नहीं धोना चाहिए और इन्हें अधिक कसकर नहीं निचोड़ना चाहिए।
  8. सूती वस्त्र धोते समय गर्म पानी व कास्टिक सोडे का प्रयोग किया जा सकता है। सफेद सूती वस्त्रों को धोते समय रानीपाल व नील का भी प्रयोग करते हैं। सूती वस्त्रों में इच्छानुसार कलफ भी लगाया जा सकता है।
  9. सफेद व रंगीन कपड़ों को अलग-अलग धोना चाहिए। पहले सफेद कपड़ों को तथा बाद में रंगीन कपड़ों को धोना चाहिए। इससे सफेद कपड़ों पर रंगों के धब्बे पड़ने की आशंका नहीं रहती है।

प्रश्न 3:
रेशमी तथा ऊनी वस्त्रों की धुलाई की सम्पूर्ण विधि का वर्णन कीजिए। [2007, 11, 12]
या
ऊनी वस्त्रों को धोते समय क्या-क्या सावधानियाँ रखेंगी? [2011, 12, 14, 15]
या
ऊनी वस्त्र धोने एवं सुखाने की विधि लिखिए। [2010, 12]
या
रेशमी वस्त्रों की धुलाई की विधि लिखिए। [2007, 09, 10, 11, 13, 15]
उत्तर:
रेशमी वस्त्रों की धुलाई

तीव्र क्षार, रगड़ एवं अधिक ताप के उपयोग से रेशम के तन्तु दुर्बल व बेकार हो जाते हैं। अत: मूल्यवान् रेशमी वस्त्रों की या तो ड्राइक्लीनिंग करानी चाहिए अथवा उन्हें विधिपूर्वक धोना चाहिए। रेशमी वस्त्रों को क्षारहीन साबुन से अथवा उत्तम गुणवत्ता वाले डिटर्जेण्टों से गुनगुने पानी में धोनी चाहिए। ईजी अथवा रीठों का सत रेशमी वस्त्रों को धोने के लिए प्रयुक्त करना चाहिए। सफेद एवं रंगीन रेशमी वस्त्रों को अलग-अलग धोना चाहिए।

धोने की विधि:
एक प्लास्टिक के टब अथवा बाल्टी में हल्का गर्म पानी लेकर उसमें डिटर्जेण्ट पाउडर घोलकर झाग बना लेते हैं। रीठे का प्रयोग करते समय बीज निकालकर रीठों को पानी में उबाल लेते हैं। अब इस पानी को ठण्डा कर झाग उत्पन्न कर लेते हैं। रेशमी वस्त्रों को उपर्युक्त किसी भी प्रकार के झागदार पानी में डुबो देते हैं। अब इन्हें हाथों से हल्के-हल्के मलकर एवं दबाकर इनका मैल निकाल देते हैं। यह प्रक्रिया दो या तीन बार दोहराते हैं। अन्तिम बार हल्के रंग के वस्त्रों के लिए एक चम्मच मेथिलेटिड स्प्रिट व गहरे र के वस्त्रों के लिए एक चम्मच सिरका एक लीटर पानी में मिलाकर खंगालने से इन वस्त्रों में स्वाभाविक चमक आ जाती है।

निचोड़ना एवं सुखाना:
रेशमी वस्त्रों को या तो हल्के-हल्के दबाकर उनका पानी निकालना चाहिए अथवा तौलिये में लपेटकर निचोड़ना चाहिए। अब इन्हें सावधानीपूर्वक फैलाकर छाँव में सुखाना चाहिए। हल्के से नम रहने पर मध्यम गर्म इस्त्री से इनकी सलवटें दूर की जा सकती हैं।

ऊनी वस्त्रों की धुलाई

धोने की विधि:
ऊनी वस्त्रों को धोने से पूर्व अच्छी प्रकार झाड़कर उनकी धूल-मिट्टी दूर कर देनी चाहिए। ऊनी वस्त्रों को रीठे के झागदार पानी अथवा पानी में डिटर्जेण्ट पाउडर डालकर रेशमी वस्त्रों के समान धोना चाहिए। रंगीन व हल्के रंगों के ऊनी वस्त्रों को अलग-अलग धोना चाहिए। ऊनी वस्त्रों को हल्के हाथों से मलकर उनका मैल दूर करना चाहिए।

खंगालना व निचोड़ना:
ऊनी वस्त्रों को धीरे से हाथ का नीचे की ओर से सहारा देकर जल से बाहर निकालना चाहिए। हल्का-सा दबाव देकर इनका शोषित जल निकाल दें। साफ जल का प्रयोग कर इस प्रक्रिया को 2-3 बार दोहराएँ जिससे कि वस्त्रों से साबुन पूर्ण रूप से दूर हो जाए। अन्तिम बार एक लीटर जल में आधा चम्मच सिरका डालने से इन वस्त्रों में स्वाभाविक चमक आ जाती है। अब हाथों से दबाकर अथवा तौलिये में लपेटकर इन्हें निचोड़ना चाहिए।

सुखाना:
ऊनी वस्त्रों को सुखाना एक महत्त्वपूर्ण कार्य है। इन्हें सूती वस्त्रों के समान लटका कर नहीं सुखाना चाहिए। इससे जल के भार के कारण इनकी आकृति विकृत हो जाती है। इनको पुराने समाचार-पत्र पर इनकी आकृति के अनुसार फैला देना चाहिए। समाचार-पत्र के नीचे मोटा तौलिया बिछाकर टॉकों अथवा पिनों की सहायता से इनकी आकृति को स्थायित्व दिया जाना चाहिए। अब इन्हें लटकाकर अथवा फैलाकर सुखाया जा सकता है। ऊनी वस्त्रों पर गीला कपड़ा फैलाकर पर्याप्त गर्म इस्त्री द्वारा प्रेस की जाती है।

प्रश्न 4:
सफेद सूती वस्त्रों की धुलाई की विधि लिखिए। [2009, 10, 11, 12, 13, 16, 17]
उत्तर:
सूती वस्त्रों की धुलाई

सूती वस्त्रों को धोते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. सफेद व रंगीन वस्त्रों को अलग-अलग कर देना चाहिए।
  2.  टूटे बटन वाले व फटे वस्त्रों की मरम्मत कर लेने चाहिए।
  3. वस्त्रों पर लगे दाग-धब्बे छुड़ा लेने चाहिए।
  4. वस्त्रं धोने की सामग्री; जैस – टब, बाल्टी, मग, साबुन, स्टार्च, नील आदि; को सुविधाजनक स्थान पर एकत्रित कर लेना चाहिए।
  5. सूती वस्त्रों को ठण्डे गुनगुने पानी में 4-5 घण्टे तक भिगो देने से उनका मैल गल जाता है।

धोने की विधि:
मजबूत सूती वस्त्रों पर साबुन लगाकर दबाव के साथ रगड़ा जाता है। एक बाल्टी में पानी भरकर साबुन के फ्लेक्स अथवा पाउडर घोलकर झाग उत्पन्न कर लेने चाहिए। अब सूती वस्त्रों को इसमें भिगोकर कसकर रगड़े। अधिक मैले स्थानों पर अतिरिक्त साबुन लगाकर दोबारा रगड़ना चहिए। अब इन्हें निचोड़कर 3-4 बार साफ पानी में खंगालें।

कई बार धोने पर सफेद वस्त्रों में पीलापन आने लगता है। इस प्रकार के वस्त्रों को धोने के लिए खौलते हुए पानी को प्रयोग में लाना चाहिए। एक बड़े भगौने में पानी व साबुन का घोल बनाकर वस्त्र भिगोकर उन्हें 15-20 मिनट तक उबालना चाहिए तथा वस्त्रों को लकड़ी की थपकी से चलाते रहना चाहिए। अब जल को ठण्डा होने दें। वस्त्रों को अच्छी प्रकार से रगड़कर निचोड़ लें तथा साफ पानी में 3-4 बार खंगालकर इनसे साबुन के अंश दूर करें। इस विधि द्वारा वस्त्रों का नि:संक्रमण हो जाता है। तथा चिकनाई एवं प्रोटीन के धब्बे भी दूर हो जाते हैं।

सूती वस्त्रों में धुलाई के पश्चात् नील व कलफ लगाया जाता है। इसके लिए एक टब में एक लीटर पानी लेकर उपयुक्त मात्रा में नील व कलफ (स्टार्च) घोल लिया जाता है। अब इसमें धुले वस्त्रों को भिगोकर तथा हल्के दबाव से निचोड़कर सुखा देना चाहिए। ध्यान रहे कि रंगीन कपड़ों को धूप में नहीं सुखाना चाहिए। सफेद वस्त्रों में अतिरिक्त चमक-दमक लाने के लिए रानीपाल का प्रयोग भी किया जाता है।

प्रश्न 5:
सूती वस्त्रों को कलफ क्यों लगाया जाता है? कलफ बनाने की मुख्य विधियों का वर्णन कीजिए।
या
कलफ किन-किन वस्तुओं से तैयार किया जाता है ? विस्तार से समझाइए। [2007, 08, 09, 10, 11, 16, 17, 18]
या
मैदा या अरारोट का कलफ बनाने की विधि लिखिए। [2008, 09, 10, 11, 12, 13, 15]
या
कलफ कितने प्रकार के होते हैं? रेशमी वस्त्र पर किस चीज का कलफ लगाया जाता है ? इसे बनाने की विधि बताइए। [2009, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16]
या
वस्त्रों पर कलफ क्यों लगाया जाता है ? विभिन्न प्रकार के वस्त्रों पर कौन-कौन से कलफ लगाने चाहिए ? किसी प्रकार के कलफ बनाने और प्रयोग करने की विधि लिखिए। [2008, 09, 16]
या
अरारोट/चावल का कलफ बनाने की विधि लिखिए। [2011, 16]
उत्तर:
सूती वस्त्रों में कलफ

माँडी (स्टार्च) अथवा कलफ के प्रयोग से सूती वस्त्रों में कड़ापन उत्पन्न हो जाता है। कलफ धागों के मध्य के रिक्त स्थानों को भर देता है, जिससे वस्त्रों में धूल व गन्दगी आसानी से नहीं लग पाती। कलफ लगे वस्त्रों पर इस्त्री करने से उनमें झोल नहीं पड़ता तथा उनमें चमक व नवीनता की जाती है।
कलफ बनाने की विधियाँ वस्त्रों को कलफ लगाने के लिए स्टार्च युक्त भिन्न-भिन्न पदार्थों से कलफ तैयार किया जाता है। कलफ बनाने की कुछ विधियों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है

(1) मैदा या अरारोट का कलफ:
इसे बनाने के लिए एक बड़ी चम्मच मैदा या अरारोट, तीनचौथाई चम्मच सुहागा, चौथाई चम्मच मोम लेकर ठण्डे पानी में गाढ़ा घोल तैयार करते हैं। अब धीरेधीरे गर्म पानी डालकर तथा किसी बड़े चमचे से हिलाते हुए घोल को पतला कर लेते हैं। इसके उपरान्त हल्की आँच पर इसे पका लेते हैं। पकाते समय इसे निरन्तर चलाते रहना चाहिए अन्यथा गाँठे पड़ जाने की आशंका रहती है। अच्छी तरह पक जाने पर कलफ तैयार हो जाता है।

(2) चावल का कलफ:
चावल को पीसकर महीन छलनी में छान लें। अब चावल का आटा दो चम्मच, सुहागा आधा चम्मच एवं मोम चौथाई चम्मच लेकर तथा इन्हें पानी में घोलकर धीमी आँच पर पकाकर कलफ बनाया जाता है। एक अन्य विधि में चावल बनाते समय शेष बची माँडी में सुहागा व मोम मिलाकर भी चावल का कलफ बनाया जाता है, परन्तु यह विधि उत्तम नहीं मानी जाती है, क्योंकि इस स्थिति में खाने के लिए शेष बचे चावलों में पोषक तत्वों की न्यूनता हो जाती है। |

(3) साबूदाने का कलफ:
50 ग्राम साबूदाने को आधा लीटर पानी में भिगो दें। 10-15 मिनट बाद थोड़ा पानी डालकर उबाल लें। दानों के भली प्रकार गलकर घुल जाने पर इसे एक महीन कपड़े में छान लें तथा इसमें आधा चम्मच सुहागा मिलाकर कलफ तैयार कर लें।

(4) चोकर का कलफ:
मक्का के चोकर को चार गुने पानी में डालकर लगभग आधा घण्टे तक उबालते हैं। अब इस घोल को महीन कपड़े में छानकर प्रयोग में लाते हैं।

(5) गोंद का कलफ:
125 ग्राम गोंद को लगभग एक लीटर पानी में घोल लें। अब इसे हिलाते हुए गर्म करें। जब यह पूर्णरूप से घुल जाए, तो इसे महीन कपड़े से छान लें। अब इसमें आवश्यकतानुसार पानी मिलाकर प्रयोग में ला सकते हैं। गोंद का कलफ प्रायः ऐसे वस्त्रों में लगाया जाता है जिनमें कि अधिक शक्ति की आवश्यकता नहीं होती है। गोंद का कलफ साधारणतः रेशमी वस्त्रों, झालर तथा लेस आदि में ल्याया जाता है।

प्रश्न 6:
दाग व धब्बे छुड़ाने की प्रमुख विधियाँ कौन-कौन सी हैं? वस्त्रों पर साधारणतः पड़ने वाले दाग-धब्बों को आप किस प्रकार दूर करेंगी? [2012, 13, 15, 16]
या
धब्बे कितने प्रकार के होते हैं? किन्हीं पाँच धब्बों को छुड़ाने की विधि लिखिए। [2007, 12]
या
चाय/वार्निश और हल्दी का धब्बा कैसे छुड़ाएँगी? [2010, 11, 12, 13, 14, 16]
या
दाग-धब्बे छुड़ाने की विधियाँ लिखिए। चिकनाई व हल्दी के धब्बे आप कैसे छुड़ाएँगी? [2007, 11]
या
नेल पॉलिश और हल्दी के धब्बे छुड़ाने की विधि लिखिए। [2011]
या
किन्हीं पाँच धब्बों को छुड़ाने की विधि लिखिए। चाय और स्याही के दाग छुड़ाने की विधि लिखिए। [2007, 12, 13]
या
चाय, स्याही और हल्दी के धब्बे छुड़ाने की विधियाँ लिखिए। [2007, 08, 09, 10, 12, 16, 17, 18]
उत्तर:
दाग-धब्बे छुड़ाने की मुख्य विधियाँ

दाग-धब्बे वस्त्रों की स्वाभाविक सुन्दरता को नष्ट कर देते हैं। थोड़ी-सी भी लापरवाही से दागधब्बे वस्त्रों पर लग जाते हैं और यदि समय रहते इन्हें न छुड़ाया जाए, तो ये स्थायी बनकर रह जाते हैं। इन्हें छुड़ाने की मुख्य विधियाँ निम्नलिखित हैं|

(1) विलायकों द्वारा:
विलायकों; जैसे – कार्बन टेट्राक्लोराइड, पेट्रोल, तारपीन का तेल इत्यादि का प्रयोग कर घुलनशीन धब्बों को छुड़ाया जाता है। विलायक को ब्लॉटिंग पेपर या रुई पर लगाकर धब्बे के पीछे मल देते हैं। धब्बा विलायक में घुलकर वस्त्र से अलग हो जाता है।

(2) रासायनिक पदार्थों द्वारा:
सुहागा, ऑक्जेलिक एसिड, नींबू का रस आदि ऐसे रासायनिक पदार्थ हैं जिनके तनु घोल में वस्त्र भिगोने पर उसके धब्बे दूर हो जाते हैं। विशेष प्रकार के धब्बे के लिए विशिष्ट रासायनिक पदार्थ का उपयोग किया जाता है।

(3) अवशोषक विधि द्वारा:
इस विधि में धब्बों के ऊपर टेल्कम पाउडर, खड़िया, मैदा व नमक आदि डाले जाते हैं तथा फिर इन्हें ब्रश द्वारा झाड़ दिया जाता है। इस प्रक्रिया को कई बार दोहराने से धब्बे दूर हो जाते हैं।

वस्त्रों से विभिन्न प्रकार के धब्बे दूर करना

वस्त्रों पर प्रायः चाय, कॉफी, फलों के रस, चिकनाई, हल्दी, पेण्ट व स्याही इत्यादि के धब्बे लग जाते हैं। वस्त्रों पर लगने वाले सामान्य धब्बों को निम्नलिखित विधियों से दूर किया जा सकता है

(1) चाय के धब्बे:
ठण्डे पानी व साबुन से चाय का ताजा धब्बा सहज ही दूर हो जाता है। गर्म पानी में सुहागा घोलकर चाय के पुराने धब्बों को दूर किया जा सकता है।

(2) कॉफी व चॉकलेट के धब्बे:
सुहागा व जल के गुनगुने घोल में भिगोकर धोने से कॉफी व चॉकलेट के धब्बे दूर हो जाते हैं।

(3) दूध के धब्बे:
चिकनाई के विलायक लगाकर गुनगुने पानी से धोने पर ये सहज ही दूर हो जाते हैं।

(4) क्रीम के धब्बे:
ग्लिसरीन लगाकर तथा गुनगुने पानी में साबुन से धोकर इन धब्बों को छुड़ाया जा सकता है।

(5) पसीने के धब्बे:
सिरका अथवा अमोनिया के हल्के घोल का प्रयोग करके धब्बों को दूर करें तथा फिर साफ पानी से वस्त्र को धो दें।

(6) पान के धब्बे:
दही, कच्चा आलू, हरी मिर्च आदि से धब्बे को रगड़कर गर्म पानी व साबुन से धोने पर पान के धब्बों को दूर किया जा सकता है।

(7) रक्त के धब्बे:
सूती वस्त्र को नमक के घोल अथवा कपड़े धोने के सोडे में डुबोकर ब्रश से रगड़ने पर रक्त के धब्बे दूर हो जाते हैं। रेशमी वस्त्रों पर जल में बने स्टार्च का पेस्ट लगाकर तथा सूखने पर ब्रश द्वारा झाड़ने से रक्त के धब्बों को दूर किया जा सकता है।

(8) अण्डे के धब्बे:
ताजे धब्बों को कास्टिक सोडे के घोल से रगड़कर दूर किया जा सकता है। पुराने धब्बों को पिसा हुआ नमक रगड़कर तथा फिर साबुन से धोकर दूर किया जा सकता है।

(9) फलों के रस के धब्बे :
सूती वस्त्रों पर लगे धब्बों को सुहागे के घोल में कुछ घण्टों तक भिगोकर दूर किया जा सकता है। रेशमी वस्त्रों पर लगे धब्बों को पहले ग्लिसरीन लगाकर र नींबू का रस लगाकर धोकर दूर किया जा सकता है।

(10) हल्दी के धब्बे:
हल्दी के धब्बों को तुरन्त साबुन से धोएँ तथा अब हल्के पड़े धब्बों पर स्प्रिट अथवा हाइड्रोजन-पर-ऑक्साइड का प्रयोग करके इन्हें दूर किया जा सकता है।

(11) पेण्ट व वार्निश के धब्बे:
इन्हें पेट्रोल, तारपीन का तेल अथवा कार्बन टेट्राक्लोराइड जैसे विलायकों का प्रयोग कर दूर किया जा सकता है।

(12) जंग के धब्बे:
नींबू का रस एवं नमक लगाकर धोने से प्रायः ये धब्बे दूर हो जाते हैं, परन्तु ऐसा न होने पर ऑक्जेलिक एसिड लगाकर धोने से ये निश्चित रूप से दूर हो जाते हैं।

(13) स्याही के धब्बे:
मेथिलेटिड स्प्रिट में भिगोकर धोने से बॉलपेन स्याही के धब्बे दूर हो जाते हैं। गर्म दूध व नींबू का रस लगाने तथा फिर साबुन से धोने पर साधारण स्याही के धब्बों को दूर किया जा सकता है।

(14) नेल पॉलिश के धब्बे:
नेल पॉलिश को घोलने के लिए थिनर उपलब्ध होता है। रूई में थिनर लगाकर धब्बे पर रगड़ने से नेल पॉलिश का धब्बा समाप्त हो जाता है।

प्रश्न 7:
वस्त्रों की सुरक्षा एवं उनके रख-रखाव के उपायों का उल्लेख कीजिए।
या
ऊनी वस्त्रों की आप सुरक्षा कैसे कर सकती हैं? [2010, 11, 14, 15, 16, 17]
उत्तर:
वस्त्रों की सुरक्षा एवं उनका रख-रखाव

मनुष्य की प्रमुख आवश्यकताओं में वस्त्र भी अपना स्थान रखते हैं। मनुष्य वस्त्रे सदैव मौसम एवं अवसर के अनुसार ही पहनता है। गर्मी में सूती एवं रेशमी वस्त्रों का प्रयोग होता है तथा शीतकाल में ऊनी वस्त्रों का प्रयोग किया जाता है। मानवकृत (कृत्रिम) तन्तुओं से निर्मित वस्त्रों का प्रत्येक ऋतु में पहनने का प्रचलन हो गया है। इसीलिए ऐसे वस्त्रों को जो केवल एक विशेष ऋतु; जैसे-ऊनी व कीमती साड़ियाँ; अथवा विशेष अवसरों पर ही प्रयोग किए जाते हैं, फफूदी एवं कीड़ों से सुरक्षा करनी चाहिए।

वस्त्रों की सुरक्षा के उपाय

  1. वस्त्रों को सीलनरहित स्थान (सन्दूक या अलमारी) में ही रखना चाहिए। डी०डी०टी० पाउडर छिड़ककर व अखबार का कागज बिछाकर ही कपड़ों को रखना चाहिए अथवा ओडोनिल या ओडोर की एक टिकिया खोलकर सन्दूक अथवा अलमारी में रख देनी चाहिए।
  2. (रखने से पहले देख लेना चाहिए कि वस्त्रों में नमी तो नहीं है।
  3. ऊनी वस्त्रों को सदैव धोकर ब्रश से साफ करके ही रखना चाहिए। कीमती वस्त्रों को ड्राइक्लीन करके ही रखना चाहिए। धूल-मिट्टी, गन्दगी की वजह से ही ऊनी वस्त्रों में कीड़ा लगता है।
  4. ऊनी वस्त्रों को यदि अखबार के कागज में लपेटकर रखा जाए, तो उनमें कीड़ा नहीं लगता। .
  5. ऊनी वस्त्रों के सन्दूक में नीम की सूखी पत्तियाँ या नेफ्थलीन की गोलियाँ अथवा ओडोनिल की टिकिया रखने पर कीड़ा कदापि नहीं लगता है। सन्दूक अथवा अलमारी में बरसाती हवा नहीं जानी । चाहिए।
  6. ऊनी वस्त्रों को वर्षा ऋतु के उपरान्त एक-दो बार अवश्य ही तेज धूप में 3-4 घण्टे के लिए सुखाना चाहिए।
  7. जरीदार, रेशमी एवं गोटे-सल्मे के वस्त्रों को अलग से मलमल के कपड़े में बन्द करके रखना चाहिए। इनमें नैफ्थलीन की गोलियाँ कदापि न रखें।

रख-रखाव

  1. वस्त्रों को यथासम्भव घर पर ही धोना चाहिए। इससे उनका जीवनकाल बढ़ जाता है।
  2. बनियान, अण्डरवियर अदि को प्रतिदिन धोना चाहिए।
  3. वस्त्रों को कभी भी बहुत ज्यादा गन्दा नहीं होने देना चाहिए; क्योंकि बहुत गन्दा होने पर एक वे बिल्कुल साफ नहीं होते हैं तथा धोने के लिए इन्हें काफी रगड़ना व मसलना पड़ता है, जिससे ये क्षीण हो जाते हैं।
  4. पैण्ट, कमीज, कुर्ता, साड़ी इत्यादि को यदि हैंगर पर टाँगकर सुखाएँ, तो उन पर प्रेस आसानी से हो जाती है।
  5. वस्त्रों की समय-समय पर आवश्यक मरम्मत करते रहना चाहिए। यदि कोई वस्त्र उधड़ गया हो या कट-फट गया हो, तो उसकी तुरन्त मरम्मत करनी चाहिए। वस्त्रों के टू न एवं बिगड़ी हुई जिप आदि को भी यथाशीघ्र ठीक कर लेना चाहिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
वस्त्रों की धुलाई के सामान्य सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर:
वस्त्रों की धुलाई को कार्य दैनिक पारिवारिक जीवन का एक महत्त्वपूर्ण कार्य है। अतः इस कार्य के व्यावहारिक पक्ष के साथ-ही-साथ सैद्धान्तिक पक्ष को जानना भी आवश्यक है। वस्त्रों की धुलाई के सैद्धान्तिक पक्ष के अन्तर्गत दो तथ्यों की जानकारी आवश्यक है। प्रथम यह कि वस्त्र कैसे गन्दे या मैले हो जाते हैं तथा दूसरा यह कि इन्हें साफ करने का क्या उपाय है? | वस्त्रों की गन्दगी के लिए दो कारक जिम्मेदार होते हैं। प्रथम है धूल या उड़ने वाली गन्दगी। इस प्रकार की गन्दगी वस्त्रों पर चिपकती नहीं है। वस्त्रों से इस प्रकार की गन्दगी को अलग करने के लिए वस्त्रों को ब्रश से अच्छी प्रकार से झाड़ा जाता है। इसके अतिरिक्त सरलता से धोये जाने वाले वस्त्रों को भली-भाँति पानी द्वारा खंगाल लेने से भी धूल-मिट्टी अलग हो जाती है। वस्त्रों को गन्दा करने वाला दूसरा कारक है-स्थिर गन्दगी यो मैल। नमी, चिकनाई या पसीने में बाहरी धूल मिट्टी पड़ जाने पर वह चिपककर स्थिर गन्दगी या मैल का रूप धारण कर लेती है। इस प्रकार की गन्दगी को वस्त्रों से अलग करने के लिए कुछ अतिरिक्त उपाय करने पड़ते हैं। इसके लिए जिस प्रक्रिया को अपनाया जाता है, उसे ही व्यवस्थित धुलाई कहा जाता है। धुलाई के लिए जल एवं शोधक पदार्थ (साबुन आदि) की आवश्यकता होती है। शोधक पदार्थों द्वारा मैल को घोलकर वस्त्रों से अलग किया जाता है तथा बार-बार साफ पानी में खंगाल कर वस्त्रों को पूरी तरह से साफ कर लिया जाता है।

प्रश्न 2:
सूती और रेशमी वस्त्र की धुलाई में क्या अन्तर है? [2009]
उत्तर:
सूती एवं रेशमी वस्त्रों के तन्तुओं के भौतिक एवं रासायनिक गुणों में अन्तर होने के कारण इन्हें धोने के लिए भिन्न विधियाँ अपनाई जाती हैं। सूती एवं रेशमी वस्त्रों की धुलाई की विधियों में निम्नलिखित अन्तर होते हैं

  1. तीव्र क्षार, रगड़ एवं अधिक ताप के उपयोग से रेशम के तन्तु दुर्बल एवं बेकार हो जाते हैं। अत: मूल्यवान रेशमी वस्त्रों की या तो ड्राइक्लीनिंग करानी चाहिए अथवा उन्हें विधिपूर्वक सावधानी से धोना चाहिए। इसके विपरीत सूती वस्त्रों को खौलते पानी, तीव्र क्षार एवं रगड़कर धोया जा सकता है।
  2.  रेशमी वस्त्रों को उत्तम गुणवत्ता के डिटर्जेण्टों अथवा रीठों के सत का प्रयोग कर गुनगुने पानी में हल्के-हल्के मलकर धोना चाहिए। सूती वस्त्रों को कास्टिक सोडायुक्त साबुन लगाकर रगड़-रगड़कर ठण्डे से खौलते पानी तक में धोया जा सकता है।
  3. सूती वस्त्रों में अधिक सफेदी व चमक लाने के लिए नील व रानीपाल लगाया जाता है, जबकि रेशमी वस्त्रों पर इनका प्रयोग नहीं किया जाता।
  4. रेशमी वस्त्रों में कड़ापन उत्पन्न करने के लिए केवल गोंद का कलफ लगाया जाता है, जबकि सूती वस्त्रों में लगभग सभी प्रकार का कलफ लगाया जा सक

प्रश्न 3:
नायलॉन व टेरीलीन वस्त्रों की धुलाई किस प्रकार की जाती है?
उत्तर:
मानवकृत तन्तुओं से निर्मित इन वस्त्रों को धोने के लिए मध्यम तापक्रम के जल का उपयोग किया जाता है। कम क्षार वाले साबुन, सर्फ, जेण्टील तथा रीठों का सत आदि कृत्रिम वस्त्रों को धोने के लिए उपयुक्त रहते हैं। कृत्रिम वस्त्रों को धोते समय उन्हें बलपूर्वक रगड़ना नहीं चाहिए। इन्हें साबुन लगाकर अथवा झागयुक्त साबुन के घोल में डालकर हल्के-हल्के मलकर धोना चाहिए। अधिक मैले भाग पर अतिरिक्त साबुन लगाकर धोना चाहिए। अब वस्त्रों को 2-3 बार साफ पानी में खंगालना चाहिए।
कृत्रिम वस्त्रों को निचोड़ना नहीं चाहिए। इन्हें तौलिए में लपेटकर दबा-दबाकर इनका पानी निकालना चाहिए। अब इन्हें हैंगर पर लटकाकर सुखाना चाहिए। इस प्रकार सुखाने से इनमें सलवटें नहीं पड़ती हैं, जिससे इन पर इस्त्री करने की आवश्यकता नहीं रहती है। रंगीन वस्त्रों को धूप में नहीं सुखाना चाहिए।

प्रश्न 4:
सफेद वस्त्रों पर नील लगाने की विधि का वर्णन कीजिए। या सफेद सूती वस्त्रों में नील का प्रयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
सफेद वस्त्रों के पीलेपन को समाप्त करने के लिए तथा अधिक सफेदी एवं चमक लाने के लिए नील का प्रयोग किया जाता है। धुलाई के पश्चात् स्वच्छ पानी में अन्तिम खंगाल के बाद वस्त्रों को नील के घोल में डुबोकर निकाला जाता है। एक साफ कपड़े के टुकड़े में नील की पोटली बनाकर स्वच्छ पानी डालकर हिलाते हैं। इससे नील का साफ घोल बन जाता है। आजकल घुलित नील का उपयोग किया जाता है, जोकि अधिक प्रभावी रहता है। इसकी 8-10 बूंदें एक बाल्टी जल के लिए पर्याप्त रहती हैं। अब धुले हुए सफेद वस्त्रों को नील के घोल में 5-10 मिनट तक डुबोकर निकाल
ग सामान्य धूप में सुखा लिया जाता है। यदि वस्त्रों में अधिक नील लग जाए, तो तनु ऐसीटिक अम्ल का प्रयोग कर नील के रंग को कम किया जा सकता है।

प्रश्न 5:
सूती वस्त्रों में कलफ लगाने से क्या लाभ हैं? या सफेद सूती कपड़ों में कलफ और नील का प्रयोग क्यों करते हैं? [2009, 12]
उत्तर:
सूती वस्त्रों को धोने के बाद उनमें कलफ व नील लगाकर उन्हें सुखाया जाता है। सूखने पर इन वस्त्रों पर इस्त्री की जाती है। कलफ व नील लगाने से निम्नलिखित लाभ होते है।

  1. वस्त्रों के तन्तुओं के मध्य रिक्त स्थानों की कलफ द्वारा पूर्ति हो जाने से इनमें धूल व गन्दगी प्रवेश नहीं कर पाती है।
  2. कड़ापन आ जाने से वस्त्रों में झोल नहीं पड़ता तथा क्रीज अच्छी बनती है।
  3. सुहागे, मोम वे नील से वस्त्रों में स्वाभाविक चमक आती है।
  4. वस्त्र अधिक समय तक सुन्दर व स्वच्छ रहते हैं।

प्रश्न 6:
सफेद वस्त्रों को धूप में सुखाने से क्या लाभ होता है? [2018]
उत्तर:
सफेद सूती वस्त्रों को जहाँ तक हो सके धूप में ही सुखाना चाहिए। वस्त्रों को धूप में सुखाने से निम्नलिखित लाभ होते हैं

  1. वस्त्र शीघ्र ही सूख जाते हैं।
  2. वस्त्र को धूप में सुखाने से नील एवं कलफ की गन्ध समाप्त हो जाती है।
  3. कपड़ों में व्याप्त सीलन की दुर्गन्ध समाप्त हो जाती है।
  4. धूप में वस्त्रों को सुखाने से उनका समुचित नि:संक्रमण हो जाता है अर्थात् उनमें विद्यमान रोगाणु नष्ट हो जाते हैं।
  5. सफेद सूती वस्त्र धूप में सुखाने पर अधिक सफेद तथा चमकदार हो जाते हैं।
  6. धूप में वस्त्रों को सुखाने से नील एवं कलफ के अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 7:
वस्त्रों पर इस्त्री करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखा जाता है? [2007, 15]
या
वस्त्रों पर इस्त्री करना क्यों आवश्यक है? इस्त्री करते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए? [2007, 08, 09, 10, 14, 15, 16, 18]
उत्तर:
इस्त्री करके कपड़ों की सलवटें दूर कर क्रीज बनाई जाती है, जिससे कपड़े सुन्दर व आकर्षक दिखाई पड़ते हैं, परन्तु अनुपयुक्त विधि अथवा लापरवाही से इस्त्री करने पर कपड़ों की अपार क्षति की सम्भावना रहती है; अतः इस्त्री करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1.  कोयले वाली इस्त्री का खुले वातावरण अथवा पंखे के नीचे कदापि प्रयोग न करें, क्योंकि वायु द्वारा चिंगारी उड़ने से कपड़ों के जलने की सम्भावना रहती है।
  2.  विद्युत-इस्त्री को उसके निर्दिष्ट तापक्रम तक ही गर्म होने दें। विद्युत-इस्त्री प्रयोग में लाते समय लकड़ी की कुर्सी पर बैठकर लकड़ी की मेज पर वस्त्र फैलाकर इस्त्री करें। इससे विद्युत झटकों से सुरक्षित रहा जा सकता है।
  3. इस्त्री को दाएँ से बाएँ चलाना चाहिए।
  4.  इस्त्री करने से पूर्व वस्त्रों को उनके आकार व क्रीज के अनुरूप व्यवस्थित करें।
  5. पहले कॉलर फिर कफ व झालर, तत्पश्चात् अन्य भागों पर इस्त्री करनी चाहिए।
  6. इस्त्री को वस्त्रों के अनुरूप ही गर्म करना चाहिए।

प्रश्न 8:
सूती, रेशमी व ऊनी वस्त्रों पर इस्त्री किस प्रकार की जाती है?
या
रेशमी कपड़ों पर इस्त्री करने की विधि लिखिए। [2007, 08, 11]
या
वस्त्रों पर इस्त्री क्यों करते हैं? वस्त्रों पर इस्त्री करने की विधि लिखिए। [2008]
उत्तर:
वस्त्रों पर इस्त्री करने का एक कारण तो कपड़ों की सलवटें दूर करना व उन्हें आकर्षक बनाना है किन्तु इस्त्री करना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि धुलाई के दौरान यदि वस्त्रों में कुछ रोगाणु रह गए हों, तो वे इस्त्री की गरम सेंक से नष्ट हो जाएँ। इसके अलावा इस्त्री करने के बाद कपड़ों को सहेजकर रखने में सरलता होती है, क्योंकि तह किए हुए कपड़े फैले हुए कपड़ों की अपेक्षा कम स्थान घेरते हैं। सूती वस्त्रों को अधिक ताप, दबाव एवं नमी की आवश्यकता होती है; अतः इन वस्त्रों को पहले पानी छिड़ककर नम किया जाता है तथा इसके बाद अत्यधिक गर्म इस्त्री द्वारा अधिक दबाव डालकर इन पर प्रेस की जाती है। रेशमी वस्त्रों को अपेक्षाकृत कम ताप, दबाव व नमी की आवश्यकता होती है। थोड़े नम रेशमी वस्त्रों को चादर बिछी मेज पर फैलाकर इनकी उल्टी सतह पर मध्यम गर्म इस्त्री की जाती है। ऊनी वस्त्रों पर मोटा व नम सूती कपड़ा बिछाकर इनकी उल्टी सतह पर मध्यम गर्म इस्त्री की जाती है। इसके अतिरिक्त ऊनी कपड़ों पर भाप की प्रेस द्वारा भी इस्त्री की जाती है।

प्रश्न 9:
शुष्क धुलाई से क्या तात्पर्य है? शुष्क धुलाई के काम आने वाले प्रतिकर्मकों के नाम लिखिए। [2014, 16]
उत्तर:
शाब्दिक रूप से शुष्क धुलाई का अर्थ है–सुखी धुलाई, परन्तु वास्तव में यह सूखी नहीं होती वास्तव में यह धुलाई की वह विधि है जिसमें कपड़े को साफ करने के लिए जल का उपयोग बिल्कुल भी नहीं किया जाता है। जल का इस्तेमाल न होने के कारण ही इसे सूखी धुलाई कहा जाता है। वैसे इस धुलाई में अन्य गीले द्रव विलायक के रूप में अवश्य ही अपनाए जाते हैं। शुष्क धुलाई के मुख्य प्रतिकर्मक हैं–पेट्रोल, डीजल, बेन्जीन तथा कार्बन टेट्राक्लोराइड।

प्रश्न 10:
किन वस्त्रों पर शुष्क धुलाई की जाती है? शुष्क धुलाई के लाभ लिखिए। [2011, 14, 15, 16]
उत्तर:
मूल्यवान वस्त्रों तथा रेशम, ऊन व रेयॉन आदि से निर्मित वस्त्रों की शुष्क धुलाई (ड्राइ-क्लीनिंग) की जाती है। यह भी कहा जा सकता है कि पानी से धोने पर जिन वस्त्रों के खराब होने की
आशंका हो, उन्हें शुष्क धुलाई द्वारा साफ किया जाता है। इससे होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं

  1. वस्त्रों की कोमलता, चमक व बुनाई को क्षति पहुँचने की सम्भावना अत्यधिक कम रहती है।
  2.  शुष्क धुलाई द्वारा वस्त्रों को धोने पर वे बिल्कुल भी सिकुड़ते नहीं हैं।
  3. वस्त्रों में सिकुड़न नहीं होती व उनकी स्वाभाविक आकृति भी बनी रहती है।
  4. चिकनाई के कारण वस्त्रों पर जमी धूल आदि दूर हो जाती है।

प्रश्न 11:
शुष्क धुलाई से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यह सत्य है कि शुष्क धुलाई को धुलाई की एक उत्तम विधि माना जाता है, परन्तु धुलाई की इस विधि से कुछ हानियाँ भी हैं; जैसे

  1. यह धुलाई साधारण धुलाई की तुलना में बहुत महँगी होती है, क्योंकि पेट्रोल आदि विलायक बहुत महँगे होते हैं तथा शीघ्र ही उड़ने वाले होते हैं।
  2. शुष्क धुलाई में इस्तेमाल होने वाले विलायकों में एक विशेष प्रकार की तीखी गन्ध होती है। कुछ लोगों को यह गन्ध अच्छी नहीं लगती तथा कभी-कभी इससे एलर्जी के कारण जुकाम आदि की शिकायत भी हो जाती है।
  3. शुष्क धुलाई द्वारा कपड़ों की हर प्रकार की गन्दगी को अलग नहीं किया जा सकता। इस विधि द्वारा कपड़ों से केवल उन्हीं धब्बों को हटाया जा सकता है, जो पेट्रोल आदि विलायकों में सरलता से घुल जाते हैं, परन्तु कुछ दाग-धब्बे ऐसे भी हो सकते हैं जो इन विलायकों में नहीं घुलते। इस प्रकार के दाग-धब्बों को शुष्क धुलाई द्वारा साफ नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 12:
रासायनिक पदार्थों के प्रयोग से वस्त्र का धब्बा छुड़ाते समय कौन-सी सावधानियाँ रखनी चाहिए? [2016, 18]
उत्तर:
रासायनिक पदार्थों से वस्त्रों के दाग-धब्बे छुड़ाने के लिए विशेष सावधानी से काम लेना चाहिए तथा निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिए|

  1. रासायनिक विधि द्वारा दाग: धब्बों को छुड़ाना हो तो विशेष सावधानी से काम लेना चाहिए। सामान्य रूप से रासायनिक प्रतिकर्मकों के हल्के घोल को ही प्रयुक्त करना चाहिए। यदि हल्के घोल से धब्बे न छूटें तो क्रमशः अधिक सान्द्र घोल का प्रयोग करना चाहिए। बहुत अधिक सान्द्रित रसायनों से कपड़े खराब भी हो सकते हैं।
  2. रासायनिक प्रतिकर्मकों को अधिक समय तक कपड़ों पर नहीं लगे रहने देना चाहिए। जैसे ही धब्बा हट गया प्रतीत हो, वैसे ही रासायनिक प्रतिकर्मक से युक्त कपड़े को साफ जल से धो लेना चाहिए। इससे कपड़ों का रंग खराब नहीं होता तथा वे क्षतिग्रस्त भी नहीं होते।
  3. रासायनिक विधि से दाग: धब्बे छुड़ाते समय सदैव खुले स्थान पर बैठकर ही इन पदार्थों का प्रयोग करना चाहिए, अन्यथा इन रासायनिक पदार्थों से निकलने वाली या बनने वाली गैसों से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
  4. अम्लीय रासायनिक पदार्थों को प्रयुक्त करने से कपड़े का रंग भी फीका पड़ जाता है। ऐसे कपड़ों को दाग-धब्बे छुड़ाकर तुरन्त अमोनिया के हल्के घोल में डाल देना चाहिए। इससे कपड़े का रंग नहीं बिगड़ता।
  5. दाग-धब्बों को हटाने वाले कुछ रासायनिक पदार्थ ज्वलनशील होते हैं; उदाहरण के लिए: पेट्रोल, ऐल्कोहल, स्पिरिट आदि। इस प्रकार के रसायनों का प्रयोग करते समय पास में कोई
    जलती हुई मोमबत्ती या अँगीठी नहीं होनी चाहिए।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
वस्त्रों की धुलाई के मुख्य उद्देश्य बताइए। [2011]
उत्तर:
वस्त्रों की सफाई, उनकी दुर्गन्ध समाप्त करना, सुरक्षा, सुन्दर बनाना, व्यक्तिगत स्वास्थ्य तथा बचत करना वस्त्रों की धुलाई के मुख्य उद्देश्य हैं।

प्रश्न 2:
वस्त्रों की धुलाई के मुख्य चरण कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
वस्त्रों की धुलाई के मुख्य चरण हैं
(1) कपड़ों को पानी में भिगोना,
(2) साबुन या कोई शोधक पदार्थ लगाना,
(3) मैल निकालना,
(4) साफ पानी में खंगालना तथा
(5) सुखाना।

प्रश्न 3:
धुलाई के काम आने वाली मुख्य वस्तुएँ बताइए। [2012]
उत्तर:
धुलाई के काम आने वाली मुख्य वस्तुएँ हैं-जल, टब, बाल्टी, मग, ब्रश, साबुन या डिटर्जेण्ट पाउडर, नील, कलफ तथा चाहें तो कपड़े धोने की मशीन।

प्रश्न 4:
सफेद कपड़ों को रंगीन कपड़ों के साथ क्यों नहीं धोना चाहिए? [2018]
उत्तर:
सफेद कपड़ों को यदि रंगीन कपड़ों के साथ धोया जाता है तो सफेद कपड़ों पर रंगीन कपड़ों का रंग लग जाने की आशंका रहती है।

प्रश्न 5:
सफेद सूती वस्त्रों का पीलापन आप कैसे दूर करेंगी? [2008, 09, 12, 13, 14]
उत्तर:
सूती वस्त्रों को साबुन के पानी में उबालने से उनकी चिकनाई व प्रोटीन के धब्बे दूर हो जाते हैं तथा उनका पीलापन दूर हो जाता है। धोने के उपरान्त किसी अच्छे श्वेतक का प्रयोग भी किया जा सकता है। नील लगाने से भी सूती वस्त्रों की सफेदी खिल उठती है।

प्रश्न 6:
सूती वस्त्रों को धोने के बाद उन पर की जाने वाली दो प्रक्रियाओं के बारे में लिखिए।
उत्तर:
सूती वस्त्रों को धोने के बाद मुख्य रूप से अपनाई जाने वाली प्रक्रियाएँ हैं
(1) कलफ लगाना तथा
(2) प्रेस करना। कलफ से इन कपड़ों में कड़ापन व स्वाभाविक चमक आ जाती है तथा प्रेस से सलवटें दूर हो जाती हैं और अच्छी क्रीज़ बन जाती है।

प्रश्न 7:
रंगीन वस्त्रों को धोकर धूप में क्यों नहीं सुखाना चाहिए? [2018]
उत्तर:
रंगीन वस्त्रों को धोकर धूप में सुखाने से इन वस्त्रों का रंग बिगड़ जाने की आशंका रहती है।

प्रश्न 8:
गोंद का कलफ बनाने की विधि लिखिए। [2013]
उत्तर:
गोंद को पीसकर गर्म पानी में उबाल लेते हैं। अब इसे छानकर कलफ के रूप में प्रयुक्त करते हैं।

प्रश्न 9:
गोंद का कलफ किस प्रकार के वस्त्रों को दिया जाता है? [2007, 09, 11, 12, 13, 15]
उत्तर:
गोंद का कलफ मुख्य रूप से रेशमी वस्त्रों को दिया जाता है।

प्रश्न 10:
ऊनी वस्त्रों को धोकर रस्सी पर क्यों नहीं सुखाना चाहिए? [2009, 12]
उत्तर:
ऊनी वस्त्रों को धोकर यदि रस्सी पर टाँगकर सुखाया जाए, तो उनका आकार बिगड़ जाता है तथा वे किसी एक दिशा में लटक जाते हैं।

प्रश्न 11:
ऊनी वस्त्र रखते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? [2014]
या
आप अपने ऊनी वस्त्रों को कैसे सुरक्षित रखेंगी? [2011, 14]
या
ऊनी वस्त्रों को बॉक्स में रखते समय क्या सावधानी रखनी चाहिए? [2007, 10, 18]
उत्तर:
ऊनी वस्त्रों को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें
(1) सफेद कागज अथवा स्वच्छ समाचार-पत्र में लपेट देना चाहिए।
(2) नमीरहित सन्दूक या अलमारी में रखना चाहिए।
(3)नीम की सूखी पत्तियाँ एवं नेफ्थलीन की गोलियाँ डालकर रखना चाहिए।

प्रश्न 12:
रीठे के घोल में कौन-कौन से वस्त्र धोये जाते हैं और क्यों? [2008]
उत्तर:
रीठे के घोल में मुख्य रूप से ऊनी तथा रेशमी वस्त्र धोये जाते हैं। वास्तव में रीठे के घोल में किसी प्रकार का क्षार नहीं होता। इस स्थिति में क्षार से खराब होने वाले ऊनी एवं रेशमी वस्त्र रीठे के घोल में धोने पर खराब नहीं होते।

प्रश्न 13:
रेशमी वस्त्र में चमक लाने के लिए किस पदार्थ का प्रयोग किया जाता है? [2010]
उत्तर:
रेशमी वस्त्र में चमक लाने के लिए मेथिलेटिड स्प्रिट को इस्तेमाल किया जाता है।

प्रश्न 14:
रेशमी वस्त्र को प्रेस करते समय आप क्या सावधानी रखेंगी?
उत्तर:
रेशमी वस्त्र जब कुछ नम हों तभी प्रेस करनी चाहिए। प्रेस अधिक गर्म नहीं होनी चाहिए तथा कपड़े को उल्टा करके प्रेस करनी चाहिए।

प्रश्न 15:
किन वस्त्रों पर इस्त्री करने की विशेष आवश्यकता नहीं होती?
उत्तर:
नाइलॉन, टेरीलीन तथा ‘वाश एण्ड वीयर’ प्रकार के वस्त्रों पर इस्त्री करने की आवश्यकता नहीं होती।

प्रश्न 16:
कपड़ों को इस्त्री करना क्यों आवश्यक है? [2007, 08, 09, 10, 14, 15, 18]
उत्तर:
कपड़ों में आकर्षण, सुन्दरता तथा चमक लाने के लिए इस्त्री करना आवश्यक होता है। इस्त्री करने से कपड़े की सलवटें समाप्त हो जाती हैं।

प्रश्न 17:
कपड़ों से धब्बे छुड़ाने की मुख्य विधियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
कपड़ों से धब्बे छुड़ाने की मुख्य विधियाँ हैं-विलायक विधि, रासायनिक विधि तथा अवशोषक विधि।

प्रश्न 18:
नींबू का प्रयोग किन धब्बों को छुड़ाने के लिए किया जाता है?
उत्तर:
नींबू के रस से स्याही, जंग तथा चाय-कॉफी के धब्बों को छुड़ाया जा सकता है।

प्रश्न 19:
धुलाई से पूर्व वस्त्रों की छंटाई करना क्यों आवश्यक है? [2014]
उत्तर:
सफेद एवं रंगीन कपड़ों को अलग-अलग धोना आवश्यक होता है ताकि सफेद वस्त्रों पर रंग न लगे। इसी प्रकार रेशमी, ऊनी तथा सूती वस्त्रों को भिन्न-भिन्न विधियों द्वारा धोना आवश्यक होता है। अतः धुलाई से पूर्व वस्त्रों की छंटाई करनी आवश्यक होता है।

प्रश्न 20:
ऊनी कपड़ों को समतल स्थान पर क्यों सुखाते हैं? [2013]
उत्तर:
ऊनी कपड़ों के आकार को बिगड़ने से बचाने के लिए समतल स्थान पर सुखाते हैं।

प्रश्न 21:
कीड़ों तथा फफूदी से वस्त्रों की रक्षा आप किस प्रकार करेंगी? [2015, 16]
उत्तर:
वस्त्रों को कीड़ों से बचाने के लिए उन्हें सुरक्षित स्थान पर सँभालकर रखना चाहिए। ऊनी वस्त्रों को बन्द करते समय उनमें नेफ्थलीन की गोलियाँ या नीम की सूखी पत्तियाँ रखनी चाहिए। फफूदी से बचाव के लिए कपड़ों को कभी भी नम या गीली दशा में बन्द करके नहीं रखना चाहिए। यदि अधिक समय तक बन्द रखना हो तो वस्त्रों में कलफ भी नहीं लगा होना चाहिए।

प्रश्न 22:
चिकनाई का धब्बा किस प्रकार छुड़ाया जा सकता है? [2016]
उत्तर:
चिकनाई का धब्बा छुड़ाने के लिए कपड़े को साबुन तथा गर्म पानी से धोया जाता है।

प्रश्न 23:
वस्त्रों और कालीन को धूप में सुखाना क्यों आवश्यक है? [2014, 16, 17, 18]
उत्तर:
वस्त्रों और कालीन को धूप में सुखाने से उनकी नमी एवं दुर्गन्ध समाप्त हो जाती है तथा विभिन्न जीवाणु भी मर जाते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न
निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्पों का चुनाव कीजिए

1. धूल तथा चिकनाई मिलकर क्या बन जाती है?
(क) गन्दगी
(ख) मिट्टी
(ग) मैल
(घ) हानिकारक पदार्थ

2. नियमित धुलाई से वस्त्र
(क) साफ रहते हैं।
(ख) दुर्गन्ध रहित रहते हैं।
(ग) रोगाणुरहित रहते हैं।
(घ) ये सभी

3. वस्त्र धोने से पूर्व
(क) फटा वस्त्र सिल लेना चाहिए
(ख) शो बटन निकाल लेना चाहिए
(ग) दाग-धब्बे छुड़ा लेना चाहिए
(घ) इनमें से सभी

4. धुलाई के लिए किस प्रकार को जल उत्तम होता है? [2008, 15, 17, 18]
(क) मृदु जल
(ख) कठोर जल
(ग) ठण्डा जल
(घ) ये सभी

5. घर पर कपड़े धोने से किसकी बचत होती है?[2010, 11, 15]
(क) समय की
(ख) धन की
(ग) साबुन की
(घ) ये सभी

6. तारकोल के दाग को छुड़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है
(क) ब्लीचिंग पाउडर
(ख) पेट्रोल
(ग) तारपीन का तेल
(घ) साबुन

7. शुष्क धुलाई में इस्तेमाल किया जाता है
(क) सूखा पाउडर
(ख) गर्म पानी
(ग) रासायनिक विलायक
(घ) कुछ भी नहीं

8. ऊनी वस्त्रों को धोने के लिए किसका प्रयोग किया जाता है? [2011, 12, 13, 15, 16]
(क) मुल्तानी मिट्टी
(ख) रीठे का घोल
(ग) साधारण साबुन
(घ) इनमें से कोई नहीं

9. ऊनी वस्त्रों की सुरक्षा हेतु किसका प्रयोग करते हैं? [2010]
(क) आम की पत्तियाँ
(ख) गुलाब की पत्तियाँ
(ग) नीम की पत्तियाँ
(घ) पीपल की पत्तियाँ

10. ऊनी वस्त्रों को कलफ लगाया जाता है
(क) गोंद का
(ख) अरारोट का
(ग) चावल का
(घ) इनमें से कोई नहीं

11. अरारोट का कलफ किन वस्त्रों में दिया जाता है?
(क) रेशमी
(ख) ऊनी
(ग) सूती
(घ) कृत्रिम

12. चावल का कलफ किन वस्त्रों में दिया जाता है? [2009, 12, 13, 15]
(क) रेशमी
(ख) ऊनी
(ग) सूती
(घ) कृत्रिम

13. कलफ का मुख्य रूप से प्रयोग किया जाता है ।
(क) ऊनी वस्त्रों पर
(ख) रेशमी वस्त्रों पर
(ग) सूती वस्त्रों पर
(घ) कृत्रिम वस्त्रों पर

14. रेशमी वस्त्रों में चमक के लिए प्रयोग करते हैं
(क) नींबू का रस
(ख) नमक का पानी
(ग) मेथिलेटिड स्प्रिट
(घ) कुछ नहीं

15. रेशमी वस्त्रों पर कलफ लगाया जाता है [2007, 11]
(क) गोंद का
(ख) मैदा का
(ग) अरारोट का
(घ) सभी का

16. किस प्रकार के वस्त्रों में गोंद का कलफ लगाया जाता है? [2007, 09,11,12,13]
(क) रेशमी
(ख) ऊनी
(ग) सूती
(घ) कृत्रिम

17. स्टार्च का कलफ किन वस्त्रों को दिया जाता है?
(क) रेशमी
(ख) ऊनी
(ग) सूती
(घ) बनारसी

18. नील का प्रयोग किस वस्त्र पर करते हैं? [2010, 15, 16, 17]
(क) रेशमी
(ख) ऊनी
(ग) सफेद सूती
(घ) संगीत

19. कच्चे रंग के कपड़े धोते समय पानी में मिलाया जाता है
(क) सिरको
(ख) नींबू का रस
(ग) अमोनिया
(घ) रानीपाल

20. रेशमी वस्त्रों को कैसे धोना चाहिए ? [2013]
(क) वस्त्रों को पीटकर
(ख) वस्त्रों को रगड़कर
(ग) वस्त्रों को पटककर
(घ) इनमें से कोई नहीं

21. रेशमी वस्त्रों को धोने के लिए किसका प्रयोग किया जाता है? [2014]
(क) सोडा
(ख) मिट्टी
(ग) अपमार्जक
(घ) रीठे का सत

उत्तर:
1. (ग) मैल,
2. (घ) ये सभी
3. (घ) इनमें से सभी,
4. (क) मृदु जल,
5. (ख) धन की,
6. (ग) तारपीन का तेल,
7. (ग) रासायनिक विलायक,
8. (ख) रीठे का घोल,
9. (ग) नीम की पत्तियों,
10. (घ) इनमें से कोई नहीं,
11. (ग) सूती,
12. (ग) सूती,
13. (ग) सूती वस्त्रों पर,
14. (ग) मेथिलेटिड सिट,
15. (क) गोद का,
16. (क) रेशमी,
17. (ग) सूती,
18. (ग) सफेद सूती
19. (क) सिरका,
20. (घ) इनमें से कोई नहीं,
21. (घ) रीठे का सता

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