UP Board Solutions for Class 11 History Chapter 9 The Industrial Revolution (औद्योगिक क्रांति)
UP Board Solutions for Class 11 History Chapter 9 The Industrial Revolution (औद्योगिक क्रांति)
पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर
संक्षेप में उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
ब्रिटेन 1793 से 1815 तक कई युद्धों में लिप्त रहा, इसका ब्रिटेन के उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर :
ब्रिटेन के युद्धों में लिप्त रहने के कारण निम्नलिखित प्रभाव पड़े
- इंग्लैण्ड का अन्य देशों से चलने वाला व्यापार छिन्न-भिन्न हो गया।
- विभिन्न कल-कारखाने बन्द हो गए।
- लाखों श्रमिक बेरोजगार हो गए।
- रोटी, मांस जैसे आवश्यक खाद्य पदार्थों के मूल्य बढ़ गए।
प्रश्न 2.
नहर और रेलवे परिवहन के सापेक्षिक लाभ क्या-क्या हैं?
उत्तर :
प्रारम्भ में रेलवे का विकास नहीं हुआ था। उस समय नहरों का उपयोग सिंचाई के साथ-साथ मालवाहन के लिए भी किया जाता था। इंग्लैण्ड में कोयला नहरों के रास्ते ले जाया जाता था। नहरों के रास्ते माल ढोना सस्ता पड़ता था और समय भी कम लगता था। समय के साथ नहरों के रास्ते परिवहन में अनेक समस्याएँ दिखाई देनी लगी। नहरों के कुछ भागों में जलपोतों की अधिक संख्या के कारण परिवहन की गति धीमी पड़ गई। बाढ़ या सूखे के कारण इनके उपयोग का समय भी सीमित हो गया ऐसे में रेलमार्ग ही परिवहन का सुविधाजनक विकल्प दिखाई देने लगा।
प्रश्न 3.
इस अवधि में किए गए आविष्कारों की दिलचस्प विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर :
इस अवधि में तेजी से विभिन्न क्षेत्रों में आविष्कार हुए। इन आविष्कारों के कुछ समय पश्चात् इनका उपयोग भी प्रारम्भ हो गया। इन आविष्कारों के कारण प्रौद्योगिकी परिवर्तनों की श्रृंखला दिखाई देने लगी जिसने उत्पादन के स्तरों में अचानक वृद्धि कर दी। रेलमार्गों के निर्माण से एक नवीन परिवहन तन्त्र विकसित हो गया। अधिकांश आविष्कार 1782 से 1800 ई० के मध्य हुए। एक अनुमान के अनुसार केवल 18वीं शताब्दी में ही 26,000 आविष्कार हुए।
प्रश्न 4.
बताइए कि ब्रिटेन के औद्योगीकरण के स्वरूप पर कच्चे माल की आपूर्ति का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर :
कच्चा माल किसी भी उद्योग का आधार होता है यदि कच्चे माल की आपूर्ति कारखाने को समय पर होती रहे तो उत्पादन की नियमित गति बनी रहती है। इसके विपरीत यदि कच्चे माल की आपूर्ति कम या बन्द हो जाती है तो उद्योग का उत्पादन कम हो जाता है और उससे आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगती है। कच्चे माल की आपूर्ति एक ही क्षेत्र में हो तो उद्योग का विकास तेजी से होता है। यह ब्रिटेन का सौभाग्य था कि वहाँ एक द्रोणी क्षेत्र यहाँ तक कि एक ही पट्टियों में उत्तम कोटि का कोयला और उच्च स्तर का लोहा साथ-साथ उपलब्ध था। ।
संक्षेप में निबन्ध लिखिर
प्रश्न 5.
ब्रिटेन में स्त्रियों के भिन्न-भिन्न वर्गों के जीवन पर औद्योगिक क्रान्ति का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर :
ब्रिटेन में स्त्रियों के विभिन्न वर्गों के जीवन पर औद्योगिक क्रान्ति का निम्नलिखित प्रभाव पड़ा
- महिलाएँ प्रायः घर का काम (यथा-खाना बनाना, बच्चों एवं पशुओं का पालन पोषण, लकड़ी इकट्ठी करना आदि) करती थीं। परन्तु औद्योगिक क्रान्ति से इनके इन कार्यों में परिवर्तन आ गए।
- कारखानों में काम करना महिलाओं के लिए एक दण्ड के समान बन गया था। वहाँ लम्बे समय तक एक ही प्रकार का काम कठोर अनुशासन में तथा विभिन्न भयावह परिस्थितियों में करना पेड़ता था।
- कारखानों में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को अधिक लगाया जाता था, क्योंकि उनकी मजूदरी कम होती थी और वे प्रायः आन्दोलन नहीं करती थीं।
- महिलाओं को उद्योगों में प्रत्येक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। उन्हें छेड़छाड़ या बलात्कार का भय रहता था। उनके कपड़े मशीनों में फँस जाते थे जिससे वे घायल हो जाती थीं।
प्रश्न 6.
विश्व के भिन्न-भिन्न देशों में रेलवे आ जाने से वहाँ के जनजीवन पर क्या प्रभाव पड़ा? तुलनात्मक विवेचना कीजिए।
उत्तर :
विश्व के लगभग सभी देशों में रेलगाड़ियाँ परिवहन की महत्त्वपूर्ण साधन बन गईं। ये सम्पूर्ण वर्ष उपलब्ध रहती थीं, तेज और सस्ती भी थीं। रेले माल और यात्री दोनों को ढोती थीं। इससे यात्रा करना सरल हो गया। कोयला और लोहे जैसी वस्तुओं को रेल में ही ढोया जा सकता था। इसलिए सभी देशों के लिए रेलों का विकास अनिवार्य हो गया। 1850 तक आते-आते इंग्लैण्ड के सभी नगर आपस में रेलमार्ग से जुड़ गए थे। परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
इंग्लैण्ड में सर्वप्रथम औद्योगिक क्रान्ति हुई
(क) वस्त्र उद्योग में
(ख) लोहा उद्योग में
(ग) कृषि उद्योग में
(घ) जूट उद्योग में
उत्तर :
(क) वस्त्र उद्योग में
प्रश्न 2.
पावरलूम नामक मशीन का आविष्कार हुआ था
(क) 1768 ई० में
(ख) 1776 ई० में
(ग) 1769 ई० में
(घ) 1785 ई० में
उत्तर :
(घ) 1785 ई० में
प्रश्न 3.
औद्योगिक क्रान्ति ने किस नवीन विचारधारा को जन्म दिया?
(क) पूँजीवाद
(ख) समाजवाद
(ग) उपयोगितावाद
(घ) व्यक्तिवाद
उत्तर :
(ख) समाजवाद
प्रश्न 4.
औद्योगिक क्रान्ति का आरम्भ सर्वप्रथम किस देश में हुआ था?
(क) जर्मनी
(ख) इंग्लैण्ड
(ग) फ्रांस
(घ) संयुक्त राज्य अमेरिका
उत्तर :
(ख) इंग्लैण्ड
प्रश्न 5.
जॉर्ज स्टीफेन्सन का आविष्कार क्या था?
(क) रेडियो
(ख) रेल का इंजन
(ग) टेलीविजन
(घ) मोटरकार
उत्तर :
(ख) रेल का इंजन
प्रश्न 6.
समाजवाद का जनक था
(क) लेनिन
(ख) अरस्तू
(ग) महात्मा गांधी
(घ) कार्ल मार्क्स
उत्तर :
(घ) कार्ल मार्क्स
प्रश्न 7.
लोहा साफ करने की विधि किसने ज्ञात की थी?
(क) हम्फ्री डेवी ने
(ख) जेम्सवाट ने
(ग) हेनरी कार्ट ने
(घ) आर्थर यंग ने
उत्तर :
(ग) हेनरी कार्ट ने
प्रश्न 8.
सर्वप्रथम सूत कातने के थेत्र का आविष्कार किया
(क) आर्कराइट ने
(ख) हरग्रीब्ज ने
(ग) हाइट ने
(घ) टॉमस कोक ने
उत्तर :
(ख) हरग्रीव्ज ने
प्रश्न 9.
अनाज को भूसे से अलग करने वाली मशीन का आविष्कार किया
(क) ह्वाहट ने
(ख) आर्कराइट ने
(ग) टेलफोर्ड ने
(घ) जॉन के ने
उत्तर :
(क) ह्वाइट ने
प्रश्न 10.
‘फ्लाइंग शटल का आविष्कार किसने किया था?
(क) कार्टराइट ने
(ख) आर्कराइट ने
(ग) क्रॉम्पटन ने
(घ) जॉन के ने
उत्तर :
(घ) जॉन के ने
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
‘औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया?
उत्तर :
औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम फ्रांस में जर्जिया मिचलेट एवं जर्मनी में फ्रेडरिक एंजल्स द्वारा किया गया।
प्रश्न 2.
औद्योगिक क्रान्ति सर्वप्रथम कहाँ आरम्भ हुई?
उत्तर :
औद्योगिक क्रान्ति सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में आरम्भ हुई थी।
प्रश्न 3.
इंग्लैण्ड में लोहा और कोयला कहाँ पाया जाता है?
उत्तर :
इंग्लैण्ड में लोहा तथा कोयला क्रमश: वेल्स, नार्थम्बरलैण्ड और स्कॉटलैण्ड में पाया जाता है।
प्रश्न 4.
फ्लाइंग शटल का आविष्कार कब हुआ और किसने किया?
उत्तर :
फ्लाइंग शटल का आविष्कार जॉन के ने 1733 ई० में किया था।
प्रश्न 5.
जेम्सवाट क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर :
जेम्सवाट 1782 ई० में भाप की शक्ति की खोज के कारण विश्वप्रसिद्ध है।
प्रश्न 6.
जॉर्ज स्टीफेन्सन का आविष्कार क्या था और यह आविष्कार कब हुआ?
उत्तर :
जॉर्ज स्टीफेन्सन का आविष्कार रॉकेट नामक इन्जन था। यह आविष्कार 1820 ई० में हुआ थी।
प्रश्न 7.
सेफ्टी लैम्प किसने बनाया और कब?
उत्तर :
खानों के प्रकाश की व्यवस्था करने के लिए ‘हफ्री डेवी’ नामक व्यक्ति ने 1815 ई० में सेफ्टी लैम्प बनाया था।
प्रश्न 8.
कार्ल मार्क्स ने किस प्रसिद्ध ग्रन्थ की रचना की?
उत्तर :
कार्ल मार्क्स ने ‘दास कैपिटल’ नामक प्रसिद्ध ग्रन्थ की रचना की थी।
प्रश्न 9.
पहला रेलमार्ग कब तथा कहाँ प्रारम्भ किया गया?
उत्तर :
पहला रेलमार्ग 1825 ई० में हॉलैण्ड में स्टाकटन में डालिंगटन तक प्रारम्भ किया गया था।
प्रश्न 10.
रिचर्ड आर्कराइट क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर :
रिचर्ड आर्कराइट अपने आविष्कार ‘वाटर फ्रेम के कारण प्रसिद्ध है। इसका आविष्कार इसने सन् 1797 ई० में किया था।
प्रश्न 11.
‘बर्सले कैनाल के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर :
‘बर्सले कैनाल इंग्लैण्ड की पहली नहर थी जो जेम्स ब्रिडले द्वारा बनाई गई थी। उसके माध्यम से कोयला भण्डारों से शहर तक कोयला पहुँचता था।
प्रश्न 12.
ब्लूचर क्या था?
उत्तर :
ब्लूचर एक रेल का इन्जन था जिसे रेलवे इन्जीनियर जॉर्ज स्टीफेन्सन ने बनाया था। यह इन्जन 30 टन भार 4 मील प्रति घण्टे की गति से एक पहाड़ी पर ले जा सकता था।
प्रश्न 13.
औद्योगिक क्रान्ति किस सदी में हुई?
उत्तर :
औद्योगिक क्रान्ति 18वीं सदी में हुई।
प्रश्न 14.
समाजवाद का जनक किसे कहा जाता है?
उत्तर :
समाजवाद का जनक कार्ल मार्क्स को कहा जाता है।
प्रश्न 15.
मजदूर संघ सर्वप्रथम किस देश में बने?
उत्तर :
मजदूरों ने अपने हितों की रक्षा के लिए सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में ही ट्रेड यूनियन या मजदूर संघ बनाए।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
औद्योगिक क्रान्ति ने इंग्लैण्ड के उद्योगों और समाज पर क्या प्रभाव डाला?
उत्तर :
इंग्लैण्ड की क्रान्ति ने वहाँ के उद्योग-धन्धों व समाज को निम्न प्रकार से प्रभावित किया
- उद्योगों पर प्रभाव :
औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप वस्त्र उद्योग तथा खनन उद्योग का विशेष रूप से विकास हुआ। इस क्रान्ति से वस्त्र उद्योग में भारी परिवर्तन हुआ।फ्लाइंग शटल के आविष्कार से कम समय में बहुत अधिक कपड़ा तैयार होने लगा। स्पिनिंग जेनी, पावरलूम तथा म्यूल नामक यन्त्रों के आविष्कार से उत्तम कपड़ा तैयार किया जाने लगा। आगे चलकर विश्व के प्रत्येक देश में अनेक बड़े-बड़े कारखाने स्थापित हुए। औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप खनन उद्योग का भी बहुत विकास हुआ। खानों से लोहा बड़ी मात्रा में निकाला जाने लगा तथा लोहे से इस्पात बनाया जाने लगा। - समाज पर प्रभाव :
छोटे किसान या तो फर्म मालिकों के यहाँ मजदूर हो गए या बेकार होकर नगरों के कारखानों में काम करने लगे, जिससे गाँव उजड़ने लगे और औद्योगिक नगर बसने लगे। इसके फलस्वरूप नगरों की जनसंख्या बढ़ने लगी। समाज में जुआखोरी, मद्यपान, हिंसात्मक घटनाएँ बढ़ गईं। औद्योगिक नगरों में स्वच्छता की कमी रहने लगी। चिमनी के धुएँ से प्रदूषण तथा अनेक बीमारियाँ फैलने लगीं। श्रमिक; मनोरंजन के अभाव में मदिरा, जुआ तथा वेश्यागमन जैसे अनैतिक कार्यों में लिप्त हो गए। समाज में पूँजीपति और मजदूर दो वर्ग बन गए। पूँजीपति मजदूरों का शोषण कर अपनी तिजोरियाँ भरने लगे और मजदूरों की दशा दिन-पर-दिन खराब होती गई।
प्रश्न 2.
औद्योगिक क्रान्ति इंग्लैण्ड में ही क्यों हुई?
उत्तर :
इंग्लैण्ड में सर्वप्रथम औद्योगिक क्रान्ति आरम्भ होने के निम्नलिखित कारण थे
- इंग्लैण्ड में लोहे व कोयले के अपार भण्डार थे।
- इंग्लैण्ड को औपनिवेशिक विस्तार के फलस्वरूप स्थापित किए गए अपने उपनिवेशों से ” सरलतापूर्वक कच्चा माल मिल सकता था।
- इंग्लैण्ड को उपनिवेशों से कम मजदूरी पर अधिक संख्या में मजदूर मिल गए थे।
- इंग्लैण्ड में अनेक नए आविष्कार हुए जिन्होंने औद्योगिक क्रान्ति को सफल बनाया।
- इंग्लैण्ड के पूँजीपतियों के पास पर्याप्त मात्रा में पूँजी थी; अतः उन्होंने अनेक उद्योग-धन्धे स्थापित किए।
- इंग्लैण्ड में बने माल के लिए उपनिवेशों में बाजार सुलभ हो जाते थे।
प्रश्न 3.
औद्योगिक विकास का नरों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर :
औद्योगिक विकास से नगरों के वातावरण पर व्यापक प्रभाव पड़ा। इस प्रभाव का उल्लेख निम्नवत् है
- कल-कारखानों की स्थापना होने से बड़े-बड़े नगरों की संख्या बढ़ने लगी और उनकी जनसंख्या में भी अत्यधिक वृद्धि हुई।
- नगरों का जीवन अस्त-व्यस्त एवं अशान्त हो गया और वहाँ को सामाजिक जीवन दूषित होने लगा।
- नगरों में अनेक श्रमिक बस्तियाँ बनने लगी और चारों ओर श्रमिकों के आन्दोलन होने लगे।
- नगरों में रहने वाले श्रमिकों में मद्यपान, जुआ खेलने और निकृष्ट कोटि को साहित्य पढ़ने के व्यसन उत्पन्न हो गए।
- नगरों में जल-प्रदूषण और वायु-प्रदूषण की समस्याएँ उत्पन्न हो गईं।
प्रश्न 4.
कपड़ा उद्योग में क्रान्ति लाने वाले आविष्कारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
कपड़ा उद्योग में क्रान्ति लाने वाले आविष्कार निम्नलिखित थे
- हरग्रीब्ज ने मशीनी चरखे का आविष्कार किया। इसे स्पिनिंग जेनी कहा गया। इससे तेजी से सूत कातना सम्भव हुआ।
- आर्कराइट ने हरग्रीब्ज की मशीन में कुछ ऐसे परिवर्तन किए जिससे इसे पानी की शक्ति से चलाना सम्भव हो गया। नए चरखे का नाम वाटर फ्रेम रखा गया।
- क्रॉम्पटन ने एक ऐसी मशीन का आविष्कार किया, जिसे म्यूल कहते थे।
- कार्टराइट ने शक्ति से चलने वाले करघे का आविष्कार किया जिससे बुनाई का काम तेज हो सकाइस मशीन को पहले पशु-शक्ति से चलाया जाता था। बाद में भाप शक्ति से इसे चलाया जाने लगा। इसे ‘पावरलूम’ का नाम दिया गया।
- एलीहिटन नामक अमेरिकी ने रुई एवं बिनौले अलग करने की मशीन का आविष्कार किया। इस । मशीन का नाम ‘जिन’ रखा गया।
प्रश्न 5.
नगरों एवं कारखानों की दशा सुधारने के लिए कौन-कौन से प्रयास किए गए?
उत्तर :
मानववादी और उदार प्रकृति के लोगों के प्रयासों से इंग्लैण्ड में अनेक कानून पास किए गए जिससे नगरों एवं कारखानों की दशा सुधर सके। इनमें से कुछ प्रमुख प्रयास निम्नलिखित थे
- इंग्लैण्ड में प्रथम कारखाना कानून सन् 1802 में पास किया गया जिसमें बाल श्रमिकों के लिए काम के अधिकतम 12 घण्टे निर्धारित किए।
- सन् 1819 में कानून द्वारा नौ वर्ष से कम आयु के बाल श्रमिक से काम कराने पर पाबन्दी लगा दी गई। कुछ समय बाद एक कानून बनाकर स्त्रियों एवं बालकों के खानों में काम करने पर रोक लगा दी गई।
- सन् 1824 में मजदूर संघ बनाने का संवैधानिक अधिकार मजदूरों को प्राप्त हो गया।
- कालान्तर में श्रमिकों को मताधिकार भी दिया गया ताकि वे अपनी समस्याओं को आसानी से ” संसद में प्रभाव डालकर हल करवा सकें।
- नगरों की दशा सुधारने के लिए कारखानों को धीरे-धीरे नगरों के बाहर ले जाया गया।
- चिमनियों की ऊँचाई बढ़ा दी गई ताकि उनसे निकलने वाला धुआँ वातावरण एवं वायुमण्डल को खराब न कर सके।
- गन्दी बस्तियों को धीरे-धीरे सुधारा गया।
- मजदूरों के लिए साफ एवं अच्छे आवासों का प्रबन्ध किया गया।
प्रश्न 6.
औद्योगिक क्रान्ति के आर्थिक प्रभाव क्या थे?
उत्तर :
औद्योगिक क्रान्ति के आर्थिक प्रभाव निम्नलिखित थे
- कुटीर तथा लघु उद्योगों का विनष्टीकरण इसी क्रान्ति के कारण हुआ क्योंकि मशीनों द्वारा | कारखानों में बनाया गया माल बहुत सस्ता होता था जिसकी प्रतिस्पर्धा में कुटीर उद्योगों में बना माल नहीं ठहर सकता था।
- बड़े-बड़े कारखानों की स्थापना औद्योगिक क्रान्ति के कारण ही हुई। इन कारखानों में हजारों मजदूर दिन-रात मशीनों की सहायता से बड़े पैमाने पर सस्ती व अच्छी किस्म की वस्तुओं का निर्माण करने लगे।
- इस क्रान्ति के पश्चात् बड़ी संख्या में औद्योगिक नगरों की स्थापना हुई। गाँवों के स्थान पर नगर आर्थिक क्रियाओं के प्रमुख केन्द्र बन गए।
- मशीनों के अधिक काम करने से कारीगर व शिल्पी बेरोजगार हो गए, बेरोजगारों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हो गई।
- औद्योगिक क्रान्ति के कारण धन का विषम बँटवारा सामने आया, पूँजीपति अधिक धनी तथा शिल्पकार गरीब होते चले गए।
- औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप कृषिप्रधान देश शीघ्र ही उद्योग प्रधान बन गए। इंग्लैण्ड, फ्रांस, अमेरिका, रूस, जर्मनी तथा जापान की राष्ट्रीय आय बहुत बढ़ गई।
प्रश्न 7.
ट्रेड यूनियन से आप क्या समझते हैं? इसके स्थापित होने के मुख्य उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
ट्रेड यूनियन
औद्योगिक क्रान्ति के आने के पश्चात् उन श्रमिकों की दशा बहुत खराब हो गई जो कारखानों में कार्य किया करते थे। जब सरकार श्रमिकों की कठिनाई दूर करने में कोई सहायता न कर सकी तो उन्होंने ट्रेड यूनियन का संगठन कर लिया। अतः ट्रेड यूनियन्स एक प्रकार के मजदूर संघ थे जो कि मजदूरों की भलाई के लिए बनाए गए।
ट्रेड यूनियन्स बनाने का उद्देश्य
ट्रेड यूनियन बनाने के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे
- उद्योगपतियों द्वारा किए जाने वाले अन्याय का विरोध करना।
- श्रमिकों के कार्य के घण्टे सुनिश्चित करना।
- श्रमिकों के लिए सम्मानजनक वेतन के लिए प्रयास करना।
- कारखानों में काम करने की उचित अवस्थाओं तथा सुविधाओं की माँग करना।
प्रश्न 8.
औद्योगिक क्रान्ति ने साम्राज्यवाद को किस प्रकार जन्म दिया?
उत्तर :
यह कथन बिल्कुल सत्य है कि औद्योगिक क्रान्ति ने ही साम्राज्यवाद को जन्म दिया। औद्योगीकरण में अन्य बातों के अतिरिक्त दो बातों की अधिक आवश्यकता होती है—प्रथम कारखानों के लिए कच्चा माल निरन्तर प्राप्त होता रहे, द्वितीय तैयार सामग्री का तेजी से विक्रय हो। उन देशों ने । जिनका औद्योगीकरण हो चुका था, भारी संरक्षी आयात-कर (हैवी इम्पोर्ट ड्यूटी) लगाकर दूसरे देशों का माल अपने देशों में नहीं घुसने दिया। इसलिए प्रश्न उत्पन्न हुआ कि माल बेचा जाए तो कहाँ बेचा जाए? निश्चित रूप से यह माल उन देशों में बिक सकता था जिनका औद्योगीकरण अभी तक नहीं हुआ था। फिर क्या था, ऐसे देशों को अधिकार क्षेत्र या प्रभाव क्षेत्र में लाने की औद्योगिक देशों में होड़ लग गई। परिणामस्वरूप इंग्लैण्ड, फ्रांस, जर्मनी और जापान आदि देशों ने एशिया, अफ्रीका और द० अमेरिका के अनेक प्रदेशों में अपने उपनिवेश स्थापित कर लिए। उपनिवेशों से दोहरा लाभ रहा-एक तो वहाँ तैयार माल बिक जाता था, दूसरे उद्योगों के लिए कच्चा माल भी मिलता था।
प्रश्न 9.
समाजवाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
समाजवाद का अर्थ न्याय, समानता, वास्तविक लोकतन्त्र, मानवता से प्रेम, परोपकार, आत्म-नियन्त्रण, व्यक्तिगत स्वतन्त्रता, उच्च नैतिक आदर्श, शान्ति, सद्भावना, मानव शोषण तथा उत्पीड़न का अन्त और इनकी प्राप्ति के लिए समाज का पुनर्गठन है। दूसरे शब्दों में, समाजवाद एक जनतन्त्रीय आन्दोलन है, जिसका उद्देश्य एक ऐसा आर्थिक संगठन स्थापित करना है जो एक समय में, एक साथ ही अधिकतम न्याय और स्वतन्त्रता दे सके।
प्रश्न 10.
पश्चिमी देशों का प्रभुत्व एशिया और अफ्रीका के देशों पर आसानी से क्यों स्थापित हुआ?
उत्तर :
एशिया और अफ्रीका के देशों में औद्योगिक क्रान्ति न होने के कारण ये देश आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत पिछड़े हुए थे। इन देशों में अविकसित कृषि, अत्यधिक जनसंख्या, आर्थिक विषमता, गरीबी, बीमारी तथा अन्धविश्वासों का बोलबाला था। इनकी राजनीतिक शक्ति भी बिखरी हुई थी और सैनिक शक्ति बहुत कमजोर हो चुकी थी। ज्ञान-विज्ञान का प्रसार न होने से एशिया और अफ्रीका के अधिकांश देश अविकसित तथा कमजोर थे, जिन पर प्रभुत्व जमा लेना एक सरल कार्य था। इन सब दुर्बलताओं का लाभ उठाकर यूरोप के शक्तिशाली देशों ने एक-एक करके एक शताब्दी के अन्दर ही एशिया और अफ्रीका के अधिकांश देशों को अपने साम्राज्यवाद का शिकार बना लिया।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
औद्योगिक क्रान्ति से क्या आशय है? औद्योगिक क्रान्ति के कारण लिखिए। या यूरोप में औद्योगिक क्रान्ति के कारणों की विवेचना कीरिए।
उत्तर :
औद्योगिक क्रान्ति का अर्थ
औद्योगिक क्रान्ति से आशय उद्योगों की प्राचीन, परम्परागत और धीमी गति को छोड़कर; नए वैज्ञानिक तथा तीव्र गति से उत्पादन करने वाले यन्त्रों व मशीनों का प्रयोग किया जाना है। यह क्रान्ति उन महान् परिवर्तनों की द्योतक है जो औद्योगिक प्रणाली के अन्तर्गत हुए। इस प्रकार ‘‘उत्पादन के साधनों में आमूल-चूल परिवर्तन हो जाना ही औद्योगिक क्रान्ति है।” वास्तव में औद्योगिक क्रान्ति से आशय उस क्रान्ति से लगाया जाता है जिसने अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में उत्पादन की तकनीक और संगठन में आश्चर्यजनक परिवर्तन कर दिए। ये परिवर्तन इतने प्रभावी और द्रुत गति से हुए कि इसे ‘क्रान्ति’ कहा गया। औद्योगिक क्रान्ति ने बड़े पैमाने के उद्योगों का सूत्रपात किया। इस क्रान्ति का श्रीगणेश इंग्लैण्ड से ही हुआ।
औद्योगिक क्रान्ति के कारण
औद्योगिक क्रान्ति के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे
- उपनिवेशों की स्थापना :
नवीन भौगोलिक खोजों ने यूरोप के देशों को अपने उपनिवेश स्थापित करने की प्रेरणा दी। अल्प समय में ही इंग्लैण्ड, फ्रांस, स्पेन और हॉलैण्ड आदि कई देशों ने संसार के कोने-कोने में अपने उपनिवेश स्थापित कर लिए। इन उपनिवेशों तक पहुँचने के लिए यूरोप के देशों को आवागमन के साधनों का विकास करना पड़ा। साथ ही इन उपनिवेशों से कच्चे माल की प्राप्ति हुई और पक्के माल के लिए बाजार उपलब्ध हुए। इस प्रकार उपनिवेशों की स्थापना ने औद्योगिक क्रान्ति लाने में विशेष सहायता प्रदान की। - वस्तुओं की माँग में वृद्धि :
यूरोप के देशों का व्यापार तेजी से बढ़ रहा था। व्यापारी पूर्व के देशों के साथ खूब व्यापार करते एवं लाभ कमाते थे। उपनिवेशों की स्थापना के बाद वे अपना माल उपनिवेशों में भी बेचने लगे। इस प्रकार उनके माल की माँग बराबर बढ़ रही थी। व्यापारी अधिक-से-अधिक उत्पादन करके अधिक-से-अधिक माल बेचना चाहते थे। किन्तु मात्र कुटीर उद्योगों से अधिक उत्पादन न हो सकता था; अत: बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए विशाल मिलों की स्थापना की गई, जिससे कम मूल्य पर अधिक उत्पादन सम्भव हो सके। - कच्चे माल का उपयोग :
यूरोप के देशों में बड़े कारखानों द्वारा बड़े पैमाने के उत्पादन के लिए पहले पर्याप्त कच्चा माल उपलब्ध नहीं था किन्तु उपनिवेशों की स्थापना के बाद इ: देशों को अपने उपनिवेशों से पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल मिलने लगा। कच्चे माल का सर्वोत्तम प्रयोग तभी हो सकता था जब उससे बड़े पैमाने पर वस्तुएँ बनाए जाएँ तथा उन्हें दुनिया के बाजारों में बेचा जाए। - सस्ते मजदर :
यूरोप के अनेक देशों में (विशेषकर इंग्लैण्ड में) कृषि-प्रणाली में पर्याप्तपरिवर्तन हो गया था। इस परिवर्तन के फलस्वरूप कृषि का काम बड़ी-बड़ी मशीनों से होने लगा। खेतों की चकबन्दी, जमींदारों द्वारा जमीन की खरीद और चरागाह की भूमि को खेती के काम में लाने के फलस्वरूप गाँवों में रहने वाले बहुत-से लोग विवश होकर नगरों में मजदूरी करने लगे। वे थोड़ी मजदूरी पर भी काम करने को तैयार थे। फलस्वरूप उद्योगों के लिए सस्ते मजदूर उपलब्ध होने लगे, अत: लोगों को उद्योग-धन्धे एवं कारखाने स्थापित करने के लिए विशेष प्रोत्साहन मिला। - कोयले और लोहे की प्राप्ति :
जिस प्रकार नई मशीनों व नए यन्त्रों के निर्माण के लिए लोहे की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार कारखानों की मशीनों को चलाने के लिए शक्ति की आवश्यकता होती है। यह शक्ति कोयले से प्राप्त हो सकती है। इंग्लैण्ड में लोहे और कोयले की खाने पास-पास थी; अतः इंग्लैण्ड के पूंजीपतियों को कारखाने खोलने की विशेष प्रेरणा प्राप्त हुई। - पूँजी की सुलभता :
विगत दो-तीन शताब्दियों में यूरोप के लोगों ने अपना व्यापार पर्याप्त बढ़ा लिया था और पूर्व के देशों के साथ व्यापार करके उन्होंने पर्याप्त मात्रा में धन कमाया। इस कारण उनके पास पूँजी की कमी नहीं थी। पूँजी को व्यापार, उद्योग तथा उत्पादन के कार्यों में लगाने के लिए लोग उत्सुक ही नहीं, वरन् तत्पर भी थे। - विज्ञान का विकास :
पुनर्जागरण और धर्म-सुधार पर आधारित आन्दोलन के साथ ही यूरोप | में बौद्धिक विकास का युग भी प्रारम्भ हो गया था और नवीन आविष्कार व खोजों पर आधारित कार्य होने लगे थे। इसके फलस्वरूप कई प्रकार के विशेष यन्त्र बने, भाप की शक्ति का पता लगाया गया तथा भौतिक विज्ञान एवं रसायन शास्त्र में भी नवीन खोजें की गईं। इन सबकी सहायता से औद्योगिक सभ्यता को आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया। - चालक शक्ति का विकास :
इंग्लैण्ड में कोयला तथा भाप की शक्ति चालक-शक्ति के रूप में विकसित हो जाने से मशीनें चलाने में सुविधा हुई। मशीनों के विकास ने औद्योगिक क्रान्ति को विकसित करने में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन मशीनों के कारण ही बड़े पैमाने पर उत्पादन होने लगा, जिसने औद्योगिक क्रान्ति के विकास के द्वार खोल दिए। - सामन्तवाद का अन्त :
यूरोप में सामन्तवाद के बाद धनी सामन्तों ने अपना धन उद्योगों में लगाना शुरू कर दिया, जिससे औद्योगिक क्रान्ति को विशेष प्रोत्साहन मिला।
प्रश्न 2.
औद्योगिक क्रान्ति के अन्तर्गत विभिन्न क्षेत्रों में हुए आविष्कारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
औद्योगिक क्रान्ति के आविष्कार
इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति के अन्तर्गत विभिन्न क्षेत्रों में अनेक आविष्कार हुए, यथा
- वस्त्र उद्योग :
1733 ई० में जॉन के ने तेज चलने वाली एक फ्लाइंग शटल का आविष्कार किया। इसके द्वारा पहले की अपेक्षा दुगुनी चौड़ाई में कपड़ा पहले से कम समय में बुना जाने लगा। 1766 ई० में जेम्स हरग्रीव्ज़ ने सूत कातने की एक ऐसी मशीन बनाई जिसमें एक साथ आठ तकुए बारीक सूत कातते थे। इसी समय आर्कराइट ने म्यूल नामक एक मशीन बनाई, जो पानी से चलती थी और बारीक सूत कातती थी। हरग्रीब्स की मशीन को ‘स्पिनिंग जैनी’ तथा आर्कराइट की मशीन को ‘वाटर म’ नाम दिया गया। 1776 ई० में क्रॉम्पटन ने ‘म्यूल’ नामक मशीन का आविष्कार किया, इस मशीन में स्पिनिंग जैनी तथा वाटर फ्रेमn दोनों के गुण विद्यमान थे। 1785 ई० में कार्टराइट ने भाप की शक्ति से चलने वाली ‘पावरलूम’ नामक मशीन का आविष्कार किया। इसके अतिरिक्त ऊन साफ करने, रूई की पूनो बनाने, कपड़ों में सफेदी लाने तथा रँगने की मशीनें भी बनाई गईं। 1846 ई० में एलिहास हो ने सिलाई की मशीन का आविष्कार किया। इन मशीनों के आविष्कार के फलस्वरूप वस्त्र उद्योग में एक क्रान्ति आ गई और इंग्लैण्ड के कल-कारखानों में बड़े पैमाने पर भारी मात्रा में वस्त्रों का उत्पादन होने लगा। - कृषि :
कृषि के क्षेत्र में इंग्लैण्ड में टाउनशैड ने फसलों को हेर-फेर कर बोने के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। बैकवेल ने पशुओं की नस्ल सुधारने की विधियाँ खोज निकालीं। इसी समय भूमि को खोदने, बीज बोने, फसल काटने, भूसे को अनाज से अलग करने के लिए अनेक यन्त्रों का आविष्कार किया गया। इन आविष्कारों के फलस्वरूप कृषि उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हो गई। - भाप की शक्ति :
न्यूकॉमन ने सर्वप्रथम भाप से चलने वाला इन्जन बनाया, परन्तु जेम्सवाट ने 1782 ई० में भाप की शक्ति का समुचित उपयोग करके उद्योगों के क्षेत्र में एक क्रान्ति उत्पन्न कर दी। - उद्योग :
उद्योग के क्षेत्र में 1709 ई० में इब्राहीम डर्बी ने जले हुए कोयले द्वारा लोहे को पिघलाने की विधि खोज निकाली। हेनरी कार्ट ने लोहे को गलाने और उसे शुद्ध करने का तरीका बताया। 1856 ई० में हेनरी बेसमर ने लोहे से इस्पात बनाने का तरीका खोज निकाला। 1705 ई० में खानों की खुदाई के समय खानों में भर जाने वाले पानी को निकालने के लिए टामस न्यूकॉमन ने एक इंजने बनाया। 1815 ई० में खानों के प्रकाश के लिए डेवी ने डेवी सेफ्टी लैम्प का आविष्कार किया। - परिवहन :
परिवहन के क्षेत्र में सर्वप्रथम मैकडम ने पक्की सड़कें बनाने की विधि निकाली। ब्रिटुले नामक इन्जीनियर ने 1761 ई० में मानचेस्टर से बर्सले तक एक नहर का निर्माण किया। जेम्सवाट के बाद 1814 ई० में जॉर्ज स्टीफेन्सन ने ऐसा इंन्जन बनाया जो लोहे की पटरियों पर चलता था। 1825 ई० में स्टाकटन से डालिंगटन के बीच पहली रेलगाड़ी चलाई गई। 1820 ई० में स्टीफेन्सन ने रॉकेट इन्जन बनाया जो 55 किलोमीटर प्रति घण्टे की गति से चल सकता था। 1808 ई० में समुद्री जहाजों का निर्माण हुआ। उन्नीसवीं शताब्दी में मोटरगाड़ियाँ और हवाई जहाज पेट्रोल तथा डीजल की सहायता से चलने लगे। - संचार के साधन :
1835 ई० में सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में मोर्स ने तार भेजने की व्यवस्था की। 1857 ई० में इंग्लैण्ड और फ्रांस के बीच तार की लाइनें बिछाई गईं। 1840 ई० में इंग्लैण्ड में ही सर्वप्रथम डाक सेवा शुरू हुई। 1876 ई० में ग्राहम बेल ने टेलीविजन का आविष्कार किया। इन आविष्कारों के फलस्वरूप इंग्लैण्ड के वस्त्र उद्योग, खनन उद्योग, कृषि क्षेत्र, परिवहन तथा संचार के क्षेत्र में एक क्रान्ति-सी आ गई और प्रत्येक क्षेत्र में अभूतपूर्व उन्नति होने लगी। इन क्रान्तिकारी आविष्कारों का श्रेय औद्योगिक क्रान्ति को ही दिया जा सकता है।
प्रश्न 3.
औद्योगिक क्रान्ति से विश्व को क्या लाभ हुए?
उत्तर :
औद्योगिक क्रान्ति से विश्व को लाभ
औद्योगिक क्रान्ति मानव के लिए एक वरदान सिद्ध हुई थी और इससे मानव-जाति को अपार लाभ हुए। वुडवर्ड (Woodword) ने इस क्रान्ति के लाभों को व्यक्त करते हुए लिखा है-“इस क्रान्ति से मनुष्य जाति को चमत्कारिक लाभ हुए। जिन कार्यों को करने में असीमित श्रम और पर्याप्त समय लगता था, अब वे अल्पकाल में मामूली श्रम से ही पूरे हो जाते थे।” संक्षेप में औद्योगिक क्रान्ति के अग्रलिखित लाभ हुए
- उत्पादन क्षमता में वृद्धि :
नयन खोजों के परिणामस्वरूप उत्पादन की नवीन तकनीकों को विकास भी होता रहता था, जिससे उत्पादन क्षमता में निरन्तर वृद्धि होती रहती थी। अतः औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप वस्तुओं की उत्पादन क्षमता कई गुना बढ़ गई। - यातायात के साशनों का विकास :
औद्योगिक क्रान्ति से यातायात के साधनों का तेजी से विकास हुआ। ऐसे नवीन यातायात के साधनों का निर्माण और खोज होने लगी थी जो तीव्र गति से कार्य करते हों। इस प्रकार इस क्रान्ति के फलस्वरूप यातायात अधिक सुगम और विकसित हो गया। - विज्ञान की प्रगति :
औद्योगिक साधनों के विकास के लिए विज्ञान के क्षेत्र में निरन्तर ‘खोजें चलती रहीं। वैज्ञानिक नई-नई प्रौद्योगिकी की खोज में प्रयत्नशील रहते थे। इन खोजों और प्रयासों के परिणामस्वरूप विभिन्न विज्ञान निरन्तर प्रगति की ओर बढ़ने लगे। - कृषि में सुधार :
औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप कृषि कार्यों के लिए नवीन यन्त्रों को प्रयोग किया जाने लगा। अभी तक कृषि अत्यधिक श्रमसाध्य थी तथा इससे उत्पादन बहुत कम होता था। यन्त्रीकरण से कृषि कार्य सरल हो गया और खाद्यान्नों की उत्पादन क्षमता में कई गुना वृद्धि हो गई। अब कृषि धीरे-धीरे व्यवसाय का रूप लेने लगी। - अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार तथा सांस्कृतिक सम्पर्क में वृद्धि :
औद्योगिक क्रान्ति से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में भी वृद्धि हुई। व्यापारिक वर्ग के लोग विश्व के सभी देशों में आने-जाने लगे। इससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान हुआ और मानव परम्परागत रूढ़ियों से मुक्त हो गया। - दैनिक जीवन के लिए उपयोगी साधनों में वृद्धि :
मानव के दैनिक जीवन में भौतिक साधनों के सुलभ हो जाने से विशेष सुख-सुविधा का वातावरण बना। मानव को दैनिक जीवन के कार्यों की पूर्ति हेतु विशेष सुविधाएँ प्राप्त हुईं, जिन्होंने नागरिकों के जीवन स्तर को परिष्कृत रूप प्रदान किया। अब उनका जीवन सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण होता चला गया।
प्रश्न 4.
औद्योगिक क्रान्ति के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों की विवेचना कीजिए। या औद्योगिक क्रान्ति के प्रभावों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
उत्तर :
औद्योगिक क्रान्ति के प्रभाव
युरोप महाद्वीप के विभिन्न देशों पर औद्योगिक क्रान्ति के अच्छे एवं बुरे दोनों प्रकार के प्रभाव पड़े। औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप वहाँ के सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन में अनेक क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए। राजनीतिक क्षेत्र में लोकतन्त्रात्मक शासन-व्यवस्था औद्योगिक क्रान्ति से हुए श्रमिकों के आन्दोलनों के फलस्वरूप ही शीघ्रता से स्थापित हो सकी। इस क्रान्ति के विभिन्न प्रभावों का विवेचन निम्नलिखित है
- नगरों का विकास :
औद्योगिक क्रान्ति के कारण नए नगरों की तेजी से स्थापना हुई और पुराने नगरों में भी विकास होने लगा था। विशाल उद्योगों की स्थापना से वहाँ पर कार्य करने वाले श्रमिकों की संख्या तीव्रता से बढ़ी। नगरों का व्यापारिक विकास होने से दैनिक जीवन में अनेक परिवर्तन हुए तथा व्यापार और उद्योगों का तीव्र गति से विकास हो गया। - गन्दी बस्तियों में वृद्धि :
इस औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप श्रमिकों ने अपने-अपने कारखानों के आस-पास अव्यवस्थित बस्तियों का निर्माण कर लिया। यहाँ पर अनियोजित ढंग से मकान बने, जिनमें गन्दे पानी के निकास के साधन तक नहीं थे। श्रमिकों की ये बस्तियाँ बीमारी और गन्दगी का केन्द्र थी। कालान्तर में इसका यह परिणाम हुआ कि श्रमिकों ने अपनी सुव्यवस्थित आवास की माँगों की पूर्ति के लिए आन्दोलन भी चलाए। - सामाजिक जीवन में परिवर्तन :औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप सामाजिक जीवन में अनेक परिवर्तन हुए। समाज में ‘पूँजीपति’ और ‘श्रमिक’ नामक दो नए वर्गों को उदय हुआ। इन दोनों वर्गों में परस्पर संघर्ष चलता रहता था। सामाजिक जीवन में एक उल्लेखनीय परिवर्तन यह भी हुआ कि श्रमिकों के अपने परिवारों से पृथक् चले जाने के कारण पारिवारिक विघटन प्रारम्भ हो गया। इसके अतिरिक्त, सामाजिक जीवन का मापदण्ड भौतिक साधनों की सम्पन्नता हो गया।
- उद्योगपतियों का विलासी जीवन :
विशाल उद्योगों से उद्योगपतियों को निरन्तर आर्थिक लाभ प्राप्त हो रहा था। इससे उनका जीवन विलासितापूर्ण होता जा रहा था। उनके भौतिक सुख-साधन बढ़ने लगे ओर वे धन के बल पर विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करने लगे। - आर्थिक जीवन पर प्रभाव :
औद्योगिक क्रान्ति ने मानव के आर्थिक जीवन का रूप ही बदल | दिया, जिससे राज्य की आय भी बढ़ी। उद्योगों के स्वामियों के पास धन की निरन्तर अभिवृद्धि हो रही थी। आर्थिक जीवन में छोटे व्यवसायियों का महत्त्व घट गया और उनके पास धन का अभाव रहने लगा। किसी भी देश के आर्थिक स्तर का मापदण्ड उसके विशाल उद्योगों को ही। स्वीकार किया जाने लगा। - समाजवाद का विकास :
औद्योगिक क्रान्ति का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रभाव समाजवादी विचारधारा का विकास था। यह एक श्रमिक आन्दोलन था। सम्पूर्ण विश्व में समाजवाद के सिद्धान्त का विकास औद्योगिक क्रान्ति की ही देन था। - कृषि व यातायात के क्षेत्र में क्रान्ति :
औद्योगिक क्रान्ति का सबसे उपयोगी और व्यावहारिक प्रभाव यह रहा कि इससे कृषि-जगत और यातायात के संसाधनों में क्रान्ति आ गई। कृषि-यन्त्रों की सहायता से खाद्यान्नों के उत्पादन में कई गुना वृद्धि हुई और कृषकों की दशा में विशेष सुधार हुआ। - राष्ट्रीय आय में वृद्धि :
औद्योगिक क्रान्ति के कारण विभिन्न देशों में तीव्र गति से औद्योगीकरण हुआ। अब देश और विदेशों में बड़े पैमाने पर तैयार माल बेचा जाने लगा। व्यापार में वृद्धि होने से राष्ट्रीय आय में भी भारी वृद्धि हो गई। - रहन :
सहन के स्तर में वृद्धि औद्योगिक क्रान्ति के कारण आजीविका के साधनों में भारी वृद्धि हो गई, जिससे नागरिकों की आय बढ़ गई। प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो जाने के कारण मध्यवर्गीय लोग भी महँगी और पहले की अपेक्षा अधिक वस्तुओं का उपभोग करने लगे, जिससे उनके रहन-सहन के स्तर में सुधार आ गया। परिणामतः नागरिकों का जीवन स्तर ऊँचा उठ गया। - जनसंख्या में वृद्धि :
औद्योगिक क्रान्ति ने आर्थिक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता उत्पन्न कर दी। अब नागरिक सुखी एवं वैभवपूर्ण जीवन-यापन करने लगे। परिणामत: जनसंख्या अबाध गति से बढ़ने लगी। विशेषतः नगरों में श्रमिकों का जमाव हो जाने के काण जनसंख्या अधिक हो गई। - कुटीर उद्योग :
धन्धों का विनाश-औद्योगिक क्रान्ति का छोटे-छोटे कुटीर उद्योग-धन्धों पर सर्वाधिक दुष्प्रभाव पड़ा। बड़े पैमाने के उद्योगों की स्थापना की होड़ में कुटीर उद्योग-धन्धों का विनाश हो गया। - नवीन आविष्कारों का जन्म :
औद्योगीकरण की प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने नई मशीनें, उपकरण तथा नई प्रविधियाँ खोज निकाली, जिससे नए आविष्कारों को प्रोत्साहन मिला। लोग नए आविष्कारों की खोज में दत्तचित्त होकर जुट गए। - धार्मिक प्रभाव :
औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप समाज के धार्मिक मूल्यों, विश्वासों और धार्मिक मान्यताओं में अनेक परिवर्तन’ हुए। उत्पादन के विभिन्न साधन सुलभ हो जाने से लोगों की इच्छाएँ असीमित होती चली गई और वे भौतिकवादी होते चले गए। धन के आधार पर ही व्यक्ति का मूल्यांकन किया जाने लगा और नैतिकता, सदाचरण, चरित्र आदि को विस्मृत किया। जाने लगा। धनागम में लिप्त व्यक्ति आत्मापरमात्मा, माया-मोह आदि के प्रति अपनी अनास्था प्रकट करने लगे, यहाँ तक कि धर्म को भी अपना स्वार्थ की पूर्ति का साधन बनाया जाने लगा। इसके फलस्वरूप धर्म का महत्त्व कम होने लगा।
प्रश्न 5.
औद्योगिक क्रान्ति ने समाजवाद को किस प्रकार प्रारम्भ किया ?
उत्तर :
समाजवाद का अर्थ
समाजवाद की अनेक परिभाषाएँ दी जाती हैं। सामान्य शब्दों में, समाजवाद का अर्थ यह है कि समाज में सभी मनुष्य बराबर हों, सभी के पास धन-सम्पत्ति हो तथा सभी को जीवनोपयोगी सामग्री सुविधाजनक ढंग से उपलब्ध हो। इस तरह समाजवाद का अर्थ व्यवहार में मानवीय अधिकारों की समानता से है। आर्थिक दृष्टि से समाजवाद उस व्यवस्था का नाम है जिसमें उत्पत्ति के साधनों पर किसी व्यक्ति विशेष का अधिकार न होकर, पूरे समाज का अधिकार होता है। रॉबर्ट (Robert) के अनुसार, “समाजवादी कार्यक्रम का यह एक आवश्यक भाग है कि भूमि तथा उत्पादन के अन्य साधनों पर जनता का अधिकार हो तथा उनको प्रयोग और प्रबन्ध जनता द्वारा जनता के लाभ के लिए ही किया जाए।
औद्योगिक क्रान्ति से समाजवाद का प्रारम्भ
औद्योगिक क्रन्ति के फलस्वरूप समाज में दो वर्गों का उदय हुआ। एक वर्ग औद्योगिक संस्थानों के स्वामियों का था जो धीरे-धीरे सम्पन्न होता जा रहा था। इसके सुखों और भोग-विलासों में निरन्तर वृद्धि हो रही थी। यह वर्ग पूँजीपति कहलाने लगा। समाज में दूसरा वर्ग श्रमिकों का था। शोषण के कारण श्रमिक वर्ग की दशा बड़ी दयनीय थी। श्रमिक दिन-रात अथक परिश्रम करके अपने स्वामियों के लिए अपार धन अर्जित कर रहे थे। परन्तु उन्हें इतना पारिश्रमिक भी नहीं मिलता था जिससे ये अपने परिवार के लिए पेटभर भोजन भी जुटा सकें। यहाँ तक कि इनकी बस्तियाँ भी बहुत गन्दी थीं। फलस्वरूप इन श्रमिकों में पूँजीपतियों के विरुद्ध रोष उत्पन्न होने लगा था। धीरे-धीरे कुछ असन्तुष्ट श्रमिकों ने अपने व्यवस्थित श्रमिक संगठन बना लिए। इन्होंने पूँजीपति वर्ग के विरुद्ध अपने जीवन की आवश्यक सुविधाओं की प्राप्ति के लिए संघर्ष प्रारम्भ कर दिए। इनका उद्देश्य समाज के प्रत्येक प्राणी को विभिन्न सुविधाओं के उपभोग के समान अवसर सुलभ कराना था। इसलिए इनके आन्दोलन कोसमाजवादी आन्दोलन कहा जाता है। इन्होंने अपने समाजवाद के आधार पर पूँजीवाद को समाप्त करने का उद्घोष किया, जिसका आशय था कि ‘समस्त साधनों का उपभोग समस्त जनता को मिलना चाहिए। पूँजी पर सभी का समान नियन्त्रण एवं अधिकार हो तथा उत्पादन में भी जनता के सहयोग से ही हो।’ इस तरह समाजवाद में लोकहितकारी भावना अन्तर्निहित थी। इस भावना के कारण ही इसे अत्यधिक लोकप्रियता प्राप्त हुई। फ्रांस में समाजवाद का विकास लुई ब्लाँ और चार्ल्स फोरियर आदि द्वारा किया गया। जर्मनी में कार्ल माक्र्स ने समाजवाद को क्रमबद्ध नियमों के आधार पर अभिव्यक्त कर विश्वव्यापी बना दिया। यह समाजवाद इतना प्रभावशाली सिद्ध हुआ कि आज विश्व के अनेक देशों में समाजवादी सरकारें स्थापित हो गई हैं। यह समाजवाद औद्योगिक क्रान्ति की ही देन है। औद्योगिक क्रान्ति ने जिस पूँजीवादी अर्थव्यवस्था को जन्म दिया, उसी के विरोधस्वरूप समाजवादी अर्थव्यवस्था पनपी। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि समाजवाद औद्योगिक क्रान्ति की ही देन है। यह पूँजीपतियों के शोषण से बचाव का नया शास्त्र था। समाजवाद श्रमिकों के मुक्तिदाता के रूप में प्रकट हुआ। कार्ल मार्क्स का मत है कि पूँजीवाद के विनाश के बीज समाजवाद के गर्भ में ही छिपे हैं। वास्तव में औद्योगिक श्रमिकों ने ही पूँजीवाद का अन्त करने के लिए समाजवाद को जन्म दिया है।
प्रश्न 6.
औद्योगिक क्रान्ति यूरोप के किन-किन देशों में फैली है? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
औद्योगिक क्रान्ति से प्रभावित यूरोपीय देश
15वीं शताब्दी में विश्व में सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति आरम्भ हुई। यहीं से औद्योगिक क्रान्ति मुख्य रूप से विभिन्न देशों में बहुत तेजी से फैली। औद्योगिक क्रान्ति से प्रभावित विभिन्न यूरोपीय देश इस प्रकार थे
- इंग्लैण्ड :
इंग्लैण्ड स्वयं को यूरोप महाद्वीप से पृथक् रखकर एक अलग महाद्वीप के रूप में स्वीकार करता है। वास्तव में यूरोप की सांस्कृतिक स्थिति का कर्णधार इंग्लैण्ड ही रहा है। विश्व में औद्योगिक क्रान्ति का जन्मदाता भी इंग्लैण्ड ही है। अनेक क्षेत्रों में मशीनी उद्योगों की विशाल स्तर पर स्थापना सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में ही हुई। वस्त्र उद्योग, कृषि उद्योग, यातायात आदि का दुत विकास भी इंग्लैण्ड में ही हुआ। यहीं से इन उद्योगों का फैलाव समस्त यूरोप में हुआ। - फ्रांस :
यूरोप महाद्वीप में सम्मिलित फ्रांस देश में भी औद्योगिक विकास बड़ी शीघ्रता से और विशाल पैमाने पर हुआ था। 1830 ई० के बाद सम्राट लुई फिलिप के काल में औद्योगिक क्रान्ति अपनी चरम सीमा पर पहुँच गई थी। वहाँ रेलमार्गों का विकास हुआ और सड़कों का तेजी से निर्माण हुआ। फ्रांस में औद्योगिक क्रान्ति ने श्रमिकों के आन्दोलनों को भी जन्म दिया। - जर्मनी और इटली :
जर्मनी और इटली में भी औद्योगिक विकास तेजी से हुआ। छापेखाने का उद्योग जर्मनी में ही विकसित हुआ। जर्मनी में मशीनों के निर्माण का उद्योग अधिक प्रगति कर गया। इटली में भी एकीकरण के बाद पूँजीपतियों और उद्योगपतियों द्वारा उद्योगों की स्थापना में विशेष रुचि ली गई। इटली में यातायात के साधनों के निर्माण का उद्योग बहुत बड़े पैमाने पर विकसित हुआ। - रूस :
यूरोप के विशाल और शक्तिशाली देश रूस में जार सम्राटों की निरंकुशता के कारण औद्योगिक क्रान्ति देर से हो पाई थी। वहाँ जार अलेक्जेण्डर द्वितीय के समय से उद्योगों की स्थापना होनी प्रारम्भ हुई। 1917 ई० की क्रान्ति के बाद रूस में भी औद्योगिक विकास बड़ी शीघ्रता से हुआ था।
इसके फलस्वरूप रूस औद्योगिक दृष्टि से इतना अधिक विकसित होता गया कि वह विज्ञान और तकनीकी विकास में किसी भी यूरोपीय देश से पीछे नहीं रहा। इस प्रकार औद्योगिक क्रान्ति अपने जन्म-स्थान इंग्लैण्ड से शनैः शनैः यूरोप के अन्य देशों में फैलती चली गई। इसका प्रसारे इतनी तीव्र गति और प्रभावी ढंग से हुआ कि इसने समस्त यूरोपीय देशों को अपने में समेट लिया। सभी यूरोपीय देश औद्योगिक क्रान्ति से प्रभावित हो उठे।
प्रश्न 7.
औद्योगिक क्रान्ति का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर :
औद्योगिक क्रान्ति के भारतीय अर्थव्यवस्था पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े
- औद्योगिक क्रान्ति से पूर्व भारत से अनेक वस्तुओं का निर्यात होता था, परन्तु औद्योगिक क्रान्ति के पश्चात् भारत के इस निर्यात को बड़ा धक्का लगा।
- औद्योगिक क्रान्ति के कारण इंग्लैण्ड में विभिन्न वस्तुओं का उत्पादन तीव्र गति से होने लगा। इस माल के विक्रय के लिए अंग्रेजों को बाजार चाहिए था। भारत की मण्डियों में ब्रिटेन में बना माल भर दिया गया। भारत निर्यात करने वाले देश के स्थान पर आयात करने वाला देश बनकर रह गया।
- भारत में विभिन्न लघु उद्योग और दस्तकारियाँ ठप्प हो गईं।
- औद्योगिक क्रान्ति का भारत के कारीगरों और दस्तकारों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा। वे बेरोजगार हो गए और गरीबी का जीवन व्यतीत करने पर मजबूर हो गए।
- देश में कृषि में अनेक लोग लगे हुए थे। परन्तु कारीगरों और दस्तकारों के बेरोजगार हो जाने से कृषि पर और बोझ बढ़ गया। इस प्रकार किसानों का जीवन और भी दूभर हो गया और भारत अब पूर्णतया कृषिप्रधान देश बनकर रह गया।
- देश में बनी हुई वस्तुएँ इंग्लैण्ड से आने वाली वस्तुओं का मुकाबला नहीं कर सकीं। देश में बनी वस्तुओं पर भारी कर लगा दिया गया था।
- अधिक लाभ उठाने के उद्देश्य से अंग्रेजी सरकार ने भातीय किसानों को अपना कच्चा माल सस्ते दामों पर बेचने के लिए मजबूर कर दिया। यह लूट-खसोट की नीति औद्योगिक क्रान्ति का ही परिणाम थी।
- अन्त में कहा जा सकता है कि इंग्लैण्ड में होने वाली औद्योगिक क्रान्ति भारत की निर्धनता को एक प्रमुख कारण बनी। इसने भारतीय अर्थव्यवस्था का ढाँचा ही बदल दिया।
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