UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi कथा भारती Chapter 1 बलिदान
UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi कथा भारती Chapter 1 बलिदान (मुंशी प्रेमचन्द)
प्रश्न 1:
“बलिदान’ कहानी का सारांश (कथावस्तु, विषय-स्तु) अपने शब्दों में लिखिए।
या
प्रेमचन्द द्वारा रचित ‘बलिदान’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
प्रेमचन्द द्वारा रचित प्रस्तुत कहानी ‘बलिदान सामाजिक यथार्थ पर आधारित है। इसका कथानक श्रमिक-सामाजिक वर्ग पर आधारित होने के साथ-साथ कृषक परिवार के सेवा, त्याग और समर्पण की भावना का पोषक है। ‘बलिदान’ कहानी का सारांश निम्नवत् है
मनुष्य की. आर्थिक अवस्था का सबसे अधिक असर उसके नाम पर भी पड़ता है। इसी कारण शक्कर के व्यवसायी हरखचन्द्र कुरमी का जब कारोबार टूट गया तो उसका नाम हरखू हो गया। पहले उसके पास कई हल की खेती होती थी, लेकिन अब उसके पास केवल पाँच बीघा जमीन, दो बैल और एक हल की खेती ही है।
पहले हरखू वर्ष में एक-दो बार ही बीमार पड़ता था, लेकिन बिना दवा खाये एकाध सप्ताह में ठीक हो जाता था। अब वह सत्तर वर्ष का हो चुका था। इस वर्ष बीमार पड़ा तो एक महीने में भी ठीक न हुआ। यद्यपि उसके पुत्र गिरधारी ने आयुर्वेदिक ओषधियों से उसकी चिकित्सा करवायी, लेकिन हरखु ठीक न हुआ। गाँव के एक-दो सम्पन्न लोगों ने उसे अंग्रेजी दवा खाने की सलाह दी, लेकिन अपने जीवन से निराश हरखू ने पाँच महीने तक कष्ट भोगकर शरीर त्याग दिया। गिरधारी ने उसका दाह-संस्कार बड़ी ही शान-शौकत से किया।
हरखू का खेत बहुत ही उपजाऊ था। वह गाँव वालों की निगाह पर चढ़ा हुआ था। वे जमींदार को नजराने के लिए बड़ी रकमों की पेशकश कर रहे थे। इसलिए जमींदार ओंकारनाथ ने गिरधारी को 100 रुपये नजराने के लिए कहा। गिरधारी के लिए ये नजराना देना सम्भव नहीं था। वह बहुत रोया-गिड़गिड़ाया, लेकिन जमींदार ने उसकी एक न सुनी। गिरधारी और उसकी पत्नी सुभागी दोनों ही चिन्तित थे, लेकिन उन्हें कोई उपाय नहीं सूझता था। जिस खेत के बिना वह अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता था, वे ही खेत उसके हाथों से निकले जा रहे थे। वह खेत की मेड़ पर बैठकर घण्टों रोता रहता था। अन्ततः ओंकारनाथ ने कालिकादीन से नजराना लेकर खेत उसको दे दिया। गिरधारी के घर उस दिन चूल्हा नहीं जला।।
सुभागी कालिकादीन की स्त्री से आये दिन बहाना ढूंढ़कर लड़े लेती थी, लेकिन गिरधारी किसी से कुछ नहीं कहता था। तीन-चार महीने बीत गये और बरसात का मौसम आ गया। गाँव के लोग अपने खेतों को जोतने-बोने की बात करते तो गिरधारी की आँखों से आँसुओं की झड़ी लग जाती थी।
तुलसी बनिया के गिरधारी पर कुछ रुपये बाकी थे। उसने गिरधारी को रुपयों के लिए धमकी दी तो गाँव के ही व्यवहार कुशल मंगलसिंह ने उसके बैलों की जोड़ी औने-पौने दाम लगाकरे 60 रुपये में खरीद ली। जब बैलों को मंगल सिंह ले जा रहा था तो गिरधारी उनके कन्धों पर सिर रखकर खूब रोया। सुभागी भी खूब रोयी। उस रात गिरधारी ने कुछ नहीं खाया और रात को ही कहीं चला गया। गाँव के लोगों ने खूब खोजबीन की, लेकिन उसका पता न चला।।
अगले दिन सुभागी को गिरधारी बैलों की नाँद के पास दिखाई पड़ा। जब वह उसकी ओर चली तो वह पीछे। हटता हुआ अचानक गायब हो गया। दूसरे दिन जब कालिकादीन हल लेकर खेत पर पहुँची तो उसे गिरधारी खेत की मेड़ पर खड़ा दिखाई पड़ा। जब वह गिरधारी की ओर चला तो गिरधारी पीछे हटता हुआ पास के कुएँ में कूद पड़ा।
गिरधारी छ: महीने से गायब है। उसका लड़का ईंट के भट्ठे पर मजदूरी करता है। उसका गाँव में कोई आदर नहीं है। कालिकादीन भी अब गिरधारी के खेतों पर नहीं जाता; क्योंकि अँधेरा होते ही गिरधारी अपने खेतों की मेड़ पर आकर बैठ जाता है और रोता है। गाँव वाले अब उधर से गुजरते नहीं और उसके खेतों का नाम लेते भी डरते हैं।
प्रश्न 2:
कहानी-कला के तत्त्वों की दृष्टि से ‘बलिदान’ कहानी की समीक्षा कीजिए।
या
‘बलिदान’ कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
या
कथानक (कथावस्तु) की दृष्टि से ‘बलिदान’ कहानी की समीक्षा कीजिए।
या
‘बलिदान’ कहानी की कथावस्तु का विवेचन कीजिए तथा उसका उद्देश्य लिखिए।
या
‘बलिदान’ कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
या
‘बलिदान’ कहानी की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
या
‘बलिदान’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिए।
या
भाषा-शैली की दृष्टि से ‘बलिदान’ कहानी की समीक्षा कीजिए।
या
‘बलिदान’ कहानी की संवाद-योजना पर प्रकाश डालिए।
या
वातावरण सृष्टि की दृष्टि से ‘बलिदान’ कहानी की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
बलिदान कहानी प्रेमचन्द की बहुचर्चित कहानियों में से एक है। इस कहानी के माध्यम से उन्होंने जमींदारों के अन्याय और कृषकों की पीड़ा को सजीव चित्र प्रस्तुत किया है। एक छोटे कलेवर की इस कहानी में सीमित पात्रों एवं घटनाओं के द्वारा उन्होंने तत्कालीन जमींदारी प्रथा का प्रभावशाली चित्र प्रस्तुत किया है। कहानी के तत्त्वों की दृष्टि से प्रस्तुत कहानी की समीक्षा निम्नवत् है
(1) शीर्षक – इस कहानी का शीर्षक आकर्षक, उत्सुकतावर्द्धक एवं स्वाभाविक है। इस कहानी का शीर्षक पाठक को कहानी पढ़ने के लिए प्रेरित करता है। शीर्षक कथानक के अनुरूप है तथा उसके सम्पूर्ण भाव एवं उद्देश्य को स्पष्ट करता है। इस कारण इस कहानी का एर्षक सार्थक एवं उपयुक्त है।
(2) कथानक – प्रेमचन्द जी की इस सामाजिक क ो में तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था का यथार्थ चित्रण है। कथानक में मौलिकता, रोचकता, स्वाभाविकता, कौतूहलती इत्यादि विशेषताएँ विद्यमान हैं। कथानक सुगठित है। जो कृषक परिवार के सेवा, त्याग और समर्पण की भावना का पोषक है। यह जमींदार, कृषक और श्रमिक के बीच के दारुण सम्बन्धों की महागाथा है। इस कहानी का कथानक (कथावस्तु) एक निश्चित उद्देश्य की दिशा में यथार्थ घटनाओं एवं पात्रों के माध्यम से विकसित होता है। यह कथानक तत्कालीन सामाजिक एवं पारिवारिक व्यवस्था का सजीव चित्रण करता है। कहानी के कथानक में घटना, चरित्र एवं भाव तीनों का श्रेष्ठ समन्वय हुआ है।
प्रेमचन्द द्वारा लिखित ‘बलिदान’ कहानी एक ऐसे कृषक हरखु की कहानी है, जो पूर्णरूपेण गाँव के जमींदार पर आश्रित है और बहुत समय से जमींदार की जमीन जोतता आया है। उसकी मृत्यु हो जाती है। उसका पुत्र गिरधारी उसकी अन्त्येष्टि करता है। अर्थाभाव के कारण गिरधारी जमींदार की 20 वर्षों से जोती गयी जमीन को नजराना देकर नहीं ले पाता है। अशिक्षा, निर्धनता और नियति ने उसको प्रेतात्मा बना दिया अर्थात् उस जमीन के लिए उसने अपना बलिदान कर दिया। गिरधारी का बेटा श्रमिक बनकर अपने परिवार का भरण-पोषण करने लगा। उसकी पत्नी सुभागी अपमान से अपने जीवन के शेष दिनों को बिताने लगी।
इस कहानी का सम्पूर्ण कथानक सामाजिक सई पर आधारित एवं किसान की बेबसी एवं दयनीय स्थिति का सजीव चित्र उद्घाटित करने में सक्षम है। अतः कहानी-कला के तत्त्वों की दृष्टि से कहानी का कथानक पूर्ण और समीचीन है।
(3) पात्र और चरित्र-चित्रण—कहानी में पात्रों के माध्यम से लेखक अपनी बात पाठकों तक पहुँचाता है। कलेवर छोटा होने के कारण प्रस्तुत कहानी में पात्रों की संख्या भी सीमित है। यह कहानी मानव-जीवन को सफल प्रतिबिम्ब है। कहानी के सभी पात्र यथार्थ जगत् से ही सम्बन्धित हैं। गिरधारी और ओंकारनाथ कहानी के प्रमुख पात्र हैं। हरखू, सुभागी एवं अन्य पात्र कहानी के गौणपात्र हैं। इस कहानी का प्रमुख पात्र गिरधारी सीधा- सादा व्यक्ति है। आर्थिक अभाव ने उसे मजबूर कर दिया है, इसलिए उससे कुछ कहते नहीं बनता। वह भयभीत, उदास एवं भाग्यवादी व्यक्ति है। इसके विपरीत जमींदार और गाँव के अन्य लोग चालाक, अपना मतलब निकालने वाले अर्थात् स्वार्थी, अमानवीय, धनलोलुप और अहंकारी हैं। पात्र और चरित्र-चित्रण की दृष्टि से ‘बलिदान’ एक सफल कहानी है।
(4) संवाद या कथोपकथन-प्रस्तुत कहानी के कथोपकथन संक्षिप्त, स्वाभाविक, सजीव, सरल, मार्मिक, पात्रानुकूल तथा कथा के विकास में सहायक हैं। कहानी के संवाद पात्रों के मनोभावों को सुन्दर चित्रण प्रस्तुत करते हैं। संवाद छोटे-छोटे हैं, सरल हैं, लेकिन उनका पाठक पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
कहानी के संवाद समस्या को उभारने वाले, वस्तुस्थिति की व्याख्या करने वाले, पात्रों के मनोभावों को चित्रित करने वाले मौलिक, सजीव, रोचक और कलात्मक हैं। कहानी की संवाद-योजना मार्मिक, गम्भीर और कथानक को गतिशील करने वाली है। इस कहानी के संवादों में नाटकीय चमत्कार भी दर्शनीय है, यथा
गिरधारी ने रोकर कहीं उन्हीं खेतों ही का आसरा है, जोर्तुंगा नहीं तो क्या करूंगा?
ओंकारनाथ-नहीं, जरूर जोतो, खेत तुम्हारे हैं। मैं तुमसे छोड़ने को नहीं कहता हूँ। लेकिन तुम देखते हो जमीन की दर कितनी बढ़ गयी है। तुम 8 रुपये बीघे पर जोतते थे, मुझे 10 रुपये मिल रहे हैं और नजराने के रुपये सो अलग। तुम्हारे साथ रियायत करके, लगान वही रखता हूँ। पर नजराने के रुपये तुम्हें देने पड़ेंगे।
(5) भाषा-शैली – प्रस्तुत कहानी की भाषा सरल, सुबोध और स्वाभाविक है। भाषा पात्रानुकूल तथा प्रवाहपूर्ण है। लोकोक्तियों और मुहावरों ने भाषा में रोचकता ला दी है। प्रेमचन्द ने हिन्दी कथा-साहित्य को जो नया रूप और शिल्प प्रदान किया है, बलिदान’ कहानी इसका उत्कृष्ट उदाहरण है।
प्रस्तुत कहानी में भाषा एवं शैली का प्रयोग पात्र, विषय और परिस्थिति के अनुकूल हुआ है। कहानी की सफलता में उसकी भाषा का मुख्य स्थान होता है। इस कहानी की भाषा भी सहज, प्रवाहपूर्ण और प्रभावशाली है तथा उसमें अद्भुत व्यंजना-शक्ति भी प्रस्तुत कहानी में वर्णनात्मकता की प्रधानता है। चित्रात्मक वर्णन भी उपलब्ध है। संवादों की योजना से कथानके में नाटकीयती भी आ गयी है। एक उदाहरण देखिए
बेचारा टूटी खाट पर पड़ा राम-राम जप रहा था। मंगलसिंह ने कहा-बाबा, बिना दवा खाये अच्छे न होगे; कुनैन क्यों नहीं खाते ? हरखू ने उदासीन भाव से कहा तो लेते आना।
अतः भाषा-शैली की दृष्टि से यह एक सफल कहानी है।
(6) देश-काल या वातावरण – प्रस्तुत कथा की घटना एक निश्चित देश-काल और वातावरण में घटित हुई है। इस देश-काल और वातावरण की निश्चित सामाजिक, राजनीतिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक परिस्थितियाँ हैं। कहानी को रोचक, सहज और स्वाभाविक बनाने में देश-काल और वातावरण का निर्वाह सहायक रहा है। जमींदारी प्रथा का यथातथ्य वर्णन करने में सक्षम यह कहानी अपने समय की सामाजिक परिस्थितियों को पूरा प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें तत्कालीन किसानों की दशा का मार्मिक चित्रण है। प्रेमचन्द इस कार्य में पूर्णतः । सिद्धहस्त हैं; यथा
गिरधारी उदास और निराश होकर घर आया। 100 रुपये का प्रबन्ध करना उसके काबू के बाहर था। सोचने लगा-अगर दोनों बैल बेच हूँ तो खेत ही लेकर क्या करूँगा? घर बेचें तो यहाँ लेने वाला कौन है? और फिर बाप-दादों का नाम डूबता है।
(7) उद्देश्य प्रस्तुत कहानी में प्रेमचन्द ने अपने उद्देश्य को यथार्थवादी दृष्टि से प्रस्तुत किया है। यह कहानी कृषक परिवार के सेवा, त्याग और समर्पण की भावना की पोषक है। इसके माध्यम से लेखक शोषित और शोषक वर्ग की भावना से जनसामान्य को अवगत कराता है। शोषित दिन-रात मेहनत करते हैं परन्तु अपने लिए नहीं शोषक के लिए। अन्त में अपने शरीर को बलिदान भी उसी के लिए कर देते हैं। इस कहानी का मूल उद्देश्य जमींदार, कृषक और श्रमिक तीनों के बीच के दारुण सम्बन्धों को जनसामान्य के सम्मुख स्पष्ट करना है। निष्कर्ष रूप में, कहानी-कला के तत्त्वों की दृष्टि से ‘बलिदान’ प्रेमचन्द की सफल कहानी है। कहानी में यथार्थवादी चित्रण है। आरम्भ, विकास और अन्त तीनों ही प्रभावशाली हैं। द्वन्द्व का सुन्दर चित्रण व पात्रों का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया गया है। कथा सरल और रोचक है। उदात्त चरित्र और उद्देश्य कहानी की विशेषताएँ हैं।
प्रश्न 3:
‘बलिदान’ कहानी के प्रमुख पात्र गिरधारी का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘बलिदान’ कहानी के आधार पर उसके नायक की चारित्रिक-विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। क्र—प्रेमचन्द द्वारा लिखित ‘बलिदान’ कहानी का प्रमुख पात्र गिरधारी है। उसके पिता हरखू शक्कर के व्यापारी से परिस्थितिवश किसान बन जाते हैं। हरखू दीर्घकाल तक अस्वस्थ रहकर परलोक सिधार जाता है। गिरधारी जमा पूँजी से उसकी अन्त्येष्टि करता है। उसकी चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(1) सेवा-भावना से युक्त-गिरधारी में सेवा-भावना विद्यमान है। अपने पिता के बीमार होने पर वह उनकी हर प्रकार से तीमारदारी करता है। कभी नीम के सींके पिलाता, कभी गुर्च का सत, कभी गदापूरना की जड़। इन सभी बातों से स्पष्ट होता है कि गिरधारी में सेवा-भावना विद्यमान थी।
(2) आर्थिक अभाव से ग्रस्त—गिरधारी ने समस्त जमा पूँजी से अपने पिता की विधिवत अन्त्येष्टि की थी, इस कारण से उसके सामने पर्याप्त आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया। वह कई लोगों का कर्जदार हो गया और गाँव के लोग उससे कटने लगे।
(3) परिश्रमी और सत्यवादी-बलिदान’ कहानी का प्रमुख पात्र गिरधारी परिश्रमी और सत्यवादी है। उसके परिश्रमी होने का गुणं लेखक के इस कथन से स्पष्ट होता है, “खेत गिरधारी के जीवन के अंश हो गये थे। उनकी एक-एक अंगुल भूमि उसके रक्त से रँगी हुई थी। उनका एक-एक परमाणु उसके पसीने से तर हो गया था।” सत्यवादिता का गुण उसकी इस बात से स्पष्ट झलकता है कि जब वह ओंकारनाथ के पास जाता है तो कहता है-“सरकार मेरे घर में तो इस समय रोटियों का भी ठिकाना नहीं है। इतने रुपये कहाँ से लाऊँगा?’
(4) भाग्यवादी-गिरधारी अपने पिता की अन्त्येष्टि में अपनी सारी जमा पूँजी व्यय कर देता है। इससे उसके सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो जाता है। वह दो समय की रोटी के लिए भी परेशान हो जाता है। जब उसके पड़ोसी उससे कहते हैं कि तुमने अन्त्येष्टि में व्यर्थ पैसा खर्च किया, इतना पैसा खर्च नहीं करना चाहिए था तो वह कहता है-‘मेरे भाग्य में जो लिखा है, वह होगा।”
(5) अन्तर्द्वन्द्व का शिकार-गिरधारी खेत को अपनी माँ समझता है। उससे उसका अमिट लगाव है। उसके जाने का उसे बड़ा दु:ख होता है। जब उसके हाथ से उसकी जमीन खिसक जाती है, तो वह अन्तर्द्वन्द्व का शिकार होकर किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाता है। वह यह नहीं सोच पाती कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं ? इसी मानसिक स्थिति में वह अपने बैल भी बेच देता है। हालात से परेशान होकर वह रज्जू बढ़ई के पास जाता है और कहता है, ”रज्जू, मेरे हल भी बिगड़े हुए हैं, चलो बना दो।”
(6) विनम्र—गिरधारी स्वाभाविक रूप से विनम्र है। विनम्रता का गुण उसकी नस-नस में व्याप्त है। क्रोध , उसको छू तक नहीं गया है। तुलसी बनिया जब क्रोध में उससे तकादा करता है तो वह विनम्रतापूर्वक कहता है_‘साह, जैसे इतने दिनों मानें हो, आज और मान जाओ।कल तुम्हारी एक-एक कौड़ी चुका हूँगा।”
(7) सरल हृदय-गिरधारी सरल हृदय व्यक्ति है। जब मंगल सिंह तुलसी के बारे में उससे कहता है कि यह बड़ा बदमाश है, कहीं नालिश न कर दे तो सरल हृदय गिरधारी मंगल सिंह के बहकावे में आ जाता है। और मंगल को भी अच्छा सौदा बहुते, सस्ते में मिल जाता है।
(8) भावनात्मक-गिरधारी भावनात्मक रूप से अपने पशुओं से भी जुड़ा हुआ है। वह उन्हें अपने से अलग नहीं करना चाहता; क्योंकि वे उसकी खुशहाली के प्रतीक हैं। लेकिन कर्ज चुकाने व आर्थिक अभाव के कारण जब वह उन्हें बेच देता है तो उनके कन्धे पर अपना सिर रखकर फूट-फूटकर रोता है। उपर्युक्त गुणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि ‘बलिदान’ कहानी के प्रमुख पात्र गिरधारी में सत्यता, विनम्रता, सरलहृदयता जैसे गुणों का समावेश है। गिरधारी ‘बलिदान’ कहानी का ऐसा पात्र है, जो तत्कालीन शोषक समाज में शोषित व्यक्ति की वास्तविक स्थिति को दर्शाता है। समय से हारकर वह कुचक्र का शिकार हो जाता है और प्राणान्त कर लेता है। पूरी कहानी गिरधारी के ही इर्द-गिर्द घूमती रहती है। सम्पूर्ण कहानी में वह जीवित स्थिति में तो व्याप्त है ही, मृत्यु होने के बाद भी छाया हुआ है। इसलिए उसे ही कहानी का नायक मानना समीचीन होगा।
We hope the UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi कथा भारती Chapter 1 बलिदान (मुंशी प्रेमचन्द) help you.