UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi गद्य-साहित्यका विकास अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

By | June 4, 2022

UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi गद्य-साहित्यका विकास अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi गद्य-साहित्यका विकास अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
गद्य एवं पद्य का अन्तर दो पंक्तियों में लिखिए।
उत्तर:
वाक्यबद्ध विचारात्मक रचना को गद्य कहते हैं। दैनिक जीवन की बोलचाल में गद्य का ही प्रयोग होता है, जब कि छन्दबद्ध, भावपूर्ण और गेय रचनाएँ पद्य कहलाती हैं।

प्रश्न 2:
हिन्दी की आठ बोलियाँ कौन-कौन-सी हैं?
उत्तर:

  1. ब्रज,
  2. अवधी,
  3. बुन्देली,
  4. बघेली,
  5. छत्तीसगढ़ी,
  6. हरियाणवी,
  7. कन्नौजी तथा
  8.  खड़ी बोली।

प्रश्न 3:
हिन्दी गद्य के प्राचीनतम प्रयोग किन भाषाओं में मिलते हैं?
उत्तर:
हिन्दी गद्य के प्राचीनतम प्रयोग राजस्थानी और ब्रज भाषाओं में मिलते हैं।

प्रश्न 4:
प्राचीन ब्रज भाषा गद्य की दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
गोकुलनाथ कृत ‘चौरासी वैष्णवन की वार्ता’ और बैकुण्ठमणि कृत ‘अगहन माहात्म्य’; प्राचीन ब्रज भाषा गद्य की रचनाएँ हैं।

प्रश्न 5:
खड़ी बोली गद्य की प्रथम प्रामाणिक रचना तथा उसके लेखक का नाम व समय लिखिए।
या
खड़ी बोली गद्य की प्रामाणिक रचनाएँ कब से प्राप्त होती हैं?
उत्तर:
रचना – गोरा बादल की कथा। लेखक – जटमल।
समय – सन् 1623 ई० (सत्तरहवीं शताब्दी से)।

प्रश्न 6:
खड़ी बोली गद्य की सबसे प्राचीन रचना कौन-सी है?
उत्तर:
खड़ी बोली गद्य की सबसे प्राचीन रचना कवि गंग द्वारा लिखित ‘चंद छंद बनने की महिमा है।

प्रश्न 7:
खड़ी बोली गद्य के दो प्रारम्भिक उन्नायकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
खड़ी बोली गद्य के दो प्रारम्भिक उन्नायक हैं

  1.  सदल मिश्र तथा
  2.  पं० लल्लूलाल।

प्रश्न 8:
भारतेन्दु से पूर्व हिन्दी गद्य के चार प्रवर्तकों और उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
या
कलकत्ता स्थित फोर्ट विलियम कॉलेज के उन दो हिन्दी-शिक्षकों के नाम लिखिए, जिन्हें खड़ी बोली गद्य का प्रारम्भिक उन्नायक माना जाता है।
या
लल्लूलाल किस कॉलेज में हिन्दी-अध्यापक थे? उनकी प्रसिद्ध रचना का नाम लिखिए।
या
खड़ी बोली के प्रारम्भिक उन्नायकों में विशेष रूप से जिन चार लेखकों का उल्लेख किया जाती है, उनमें से किन्हीं दो की एक-एक रचना का नाम लिखिए।
या
नासिकेतोपाख्यान’ के रचयिता कौन हैं? फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना कहाँ हुई थी?
उत्तर:
भारतेन्दु से पूर्व हिन्दी गद्य के चार प्रवर्तकों के नाम निम्नलिखित हैं

  1.  इंशाअल्ला खाँ-रानी केतकी की कहानी।
  2. सदासुखलाल सुखसागर।।
  3.  लल्लूलाल-प्रेमसागर।
  4. सदल मिश्र – नासिकेतोपाख्यान।

इनमें सदल मिश्र तथा लल्लूलाल कलकत्ता के ‘फोर्ट विलियम कॉलेज में अध्यापक थे।

प्रश्न 9:
भारतेन्दु युग से पूर्व किन दो राजाओं ने हिन्दी गद्य के निर्माण में योग दिया?
या
हिन्दी गद्य की उर्दूप्रधान तथा संस्कृतप्रधान शैलियों के पक्षधर दो राजाओं के नाम लिखिए।
या
भारतेन्दु के उदय से पूर्व की खड़ी बोली के दो भिन्न शैलीकार गद्य-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारतेन्दु युग से पूर्व राजा शिवप्रसाद सितारेहिन्द’ ने अरबी-फारसी मिश्रित हिन्दी लिखकर तथा राजा लक्ष्मण सिंह ने संस्कृत मिश्रित खड़ी बोली को अपनाकर हिन्दी गद्य के निर्माण में योगदान दिया।

प्रश्न 10:
हिन्दी गद्य के विकास में ईसाई धर्म-प्रचारकों के योगदान का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
ईसाई पादरियों ने ईसाई धर्म के प्रचार के लिए ‘बाइबिल’ एवं अन्य धार्मिक पुस्तकों का साधारण बोलचाल की हिन्दी में अनुवाद करवाया।

प्रश्न 11:
भारतीय जागरण को देशव्यापी बनाने में किन संस्थाओं ने विशेष योगदान दिया?
उत्तर:

  1. आर्य समाज,
  2.  प्रार्थना समाज,
  3.  ब्रह्म समाज,
  4.  रामकृष्ण मिशन एवं
  5. थियोसॉफिकल सोसाइटी।।

प्रश्न 12:
मुंशी सदासुखलाल की भाषा की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  1. भाषा में अस्पष्टता अधिक है तथा
  2.  वाक्य-रचना पर फारसी शैली का प्रभाव है।

प्रश्न 13:
भारतेन्दु युग के किन्हीं दो लेखकों की दो-दो कृतियों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
(1) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

  •  वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति तथा
  • अकबर और औरंगजेब।

(2) प्रतापनारायण मिश्र

  • (i) हठी हम्मीर तथा
  • (ii) देशी कपड़ा।

प्रश्न 14:
भारतेन्दु के समकालीन या भारतेन्दु युग के चार गद्य लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. पं० बालकृष्ण भट्ट,
  2. प्रतापनारायण मिश्र,
  3.  किशोरीलाल गोस्वामी;
  4.  लाला श्रीनिवास दास।

प्रश्न 15:
खड़ी बोली गद्य का व्यवस्थित विकास कब हुआ?
या
हिन्दी गद्य का विकास कब हुआ?
उत्तर:
भारतेन्दु युग में खड़ी बोली गद्य का व्यवस्थित विकास हुआ।

प्रश्न 16:
भारतेन्दु युग की दो पत्रिकाओं एवं उनके सम्पादकों के नाम लिखिए।
या
भारतेन्दु युग की दो प्रसिद्ध पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1.  ब्राह्मण’-प्रतापनारायण मिश्र,
  2.  हिन्दी प्रदीप’-पं० बालकृष्ण भट्ट्ट।

प्रश्न 17:
भारतेन्दु युग के गद्य की मुख्य विशेषताएँ बताइट।
उत्तर:
भारतेन्दु युग के गद्य की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं

  1.  भारतेन्दु युग का गद्य सरल-सरस है,
  2.  इसमें मुहावरों और लोकोक्तियों का अधिक प्रयोग हुआ है,
  3. इसमें तत्सम शब्दों के साथ-साथ उर्दू, फारसी एवं अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग हुआ है,
  4.  इसमें व्याकरण की त्रुटियाँ हैं।

प्रश्न 18:
भारतेन्दु युग में किन गद्य-विधाओं का विकास हुआ?
उत्तर:
भारतेन्दु युग में नाटक, कहानी, उपन्यास एवं निबन्ध गद्य-विधाओं का विकास हुआ।

प्रश्न 19:
हिन्दी खड़ी बोली गद्य-साहित्य के विकास में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का योगदान बताइए।
या
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के गद्य की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने लोक-प्रचलित शब्दावली, कहावतों, लोकोक्तियों और मुहावरों के प्रभावपूर्ण प्रयोग से अपनी भाषा को अधिकाधिक सशक्त एवं सजीव बनाया तथा नाटक, कहानी, निबन्ध आदि अनेक गद्य-विधाओं में रचनाएँ कीं। इसलिए इन्हें ‘हिन्दी खड़ी बोली गद्य का जनक’ भी कहा जाता है।

प्रश्न 20:
द्विवेदी युग के दो प्रमुख लेखकों की एक-एक रचना का नाम लिखिए।
या
द्विवेदी युग के दो प्रसिद्ध निबन्धकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. बाबू श्यामसुन्दर दास साहित्यालोचन।
  2. आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी – रसज्ञ- रंजन।

प्रश्न 21:
द्विवेदी युग में प्रकाशित चार पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. सरस्वती,
  2. मर्यादा,
  3.  माधुरी तथा
  4.  इन्दु।

प्रश्न 22:
द्विवेदी युग का समय बताइए और उस व्यक्ति का पूरा नाम बताइए, जिसके कारण इसे ‘द्विवेदी युग’ कहा जाता है।
उत्तर:
द्विवेदी युग का समय सन् 1900 ई० से 1920 ई० तक है। इस युग को आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी के नाम पर द्विवेदी युग’ कहा जाता है।

प्रश्न 23:
द्विवेदी युग के हिन्दी गद्य की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
द्विवेदी युग का हिन्दी गद्य व्याकरण-सम्मत, परिमार्जित तथा पद-विन्यास व वाक्य-विन्यास से युक्त है। इसमें औदात्य, पाण्डित्य एवं प्रवाह है। इसकी भाषा-शैली अत्यन्त परिष्कृत, सामासिक तथा प्रवाहपूर्ण है।

प्रश्न 24:
‘शुक्ल युग’ को यह नाम क्यों दिया गया है?
या
हिन्दी-काव्य के ‘छायावाद युग के समय को हिन्दी गद्य-साहित्य में शुक्ल युग’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
सन् 1919 ई० से 1938 ई० तक के काल को हिन्दी गद्य-साहित्य में पं० रामचन्द्र शुक्ल के महत्त्वपूर्ण योगदान के कारण ‘शुक्ल युग’ अथवा ‘छायावाद युग’ के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 25:
आलोचना, नाटक, उपन्यास एवं कहानी के क्षेत्र में प्रसिद्ध शुक्ल युग के तीन गद्य-रचनाकारों के नाम बताइट।
उत्तर:
शुक्ल युग के तीन प्रमुख गद्य-रचनाकार आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, जयशंकर प्रसाद और प्रेमचन्द हैं, जो क्रमशः आलोचना, नाटक, उपन्यास एवं कहानी के क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 26:
शुक्ल युग के प्रमुख गद्यकारों के नाम बताइए।
उत्तर:
जयशंकर प्रसाद, रामचन्द्र शुक्ल, बाबू गुलाबराय, नन्ददुलारे वाजपेयी, महादेवी वर्मा, राय कृष्णदास, हजारीप्रसाद द्विवेदी आदि शुक्ल युग के प्रमुख गद्यकार हैं।

प्रश्न 27:
‘शुक्ल युग’ को अन्य किन नामों से जाना जाता है?
उत्तर:
शुक्ल युग को ‘छायावाद युग’, ‘प्रसाद युग’ एवं ‘प्रेमचन्दयुग’ नामों से जाना जाता है।

प्रश्न 28:
छायावाद युग के किन्हीं दो नाटकों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1.  चन्द्रगुप्त तथा
  2.  अजातशत्रु।।

प्रश्न 29:
छायावाद युग में गद्य को समृद्ध करने वाले प्रमुख लेखकों एवं उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
जयशंकर प्रसाद (चन्द्रगुप्त), प्रेमचन्द (गबन, गोदान), बाबू गुलाबराय (मेरी असफलताएँ) तथा रामचन्द्र शुक्ल (चिन्तामणि) आदि छायावाद युग में गद्य को समृद्ध करने वाले प्रमुख लेखक हैं।

प्रश्न 30:
छायावादयुगीन किन्हीं दो ऐसे गद्य-लेखकों के नाम बताइट जो कवि न हों।
उत्तर:
छायावादयुगीन गद्य-लेखक राहुल सांकृत्यायन एवं बाबू गुलाबराय कवि नहीं थे।

प्रश्न 31:
ऐसे तीन गद्य-लेखकों के नाम लिखिए, जिन्होंने द्विवेदी युग तथा छायावाद युग दोनों में लेखन-कार्य किया।
उत्तर:
द्विवेदी युग और छायावाद युग दोनों में लेखन कार्य करने वाले तीन गद्य-लेखक निम्नलिखित हैं

  1.  आचार्य रामचन्द्र शुक्ल,
  2. बाबू गुलाबराय तथा
  3. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी।

प्रश्न 32:
छायावादी युग के गद्य की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  1. छायावादी युग का गद्य कलात्मक है तथा
  2.  उसमें विशिष्ट अभिव्यंजना शक्ति, कल्पना की प्रधानता, स्वच्छन्द चेतना, अनुभूति की सघनता और भावुकता विद्यमान है।

प्रश्न 33:
किन्हीं दो छायावादी पद्य-लेखकों की एक-एक गद्य रचना का नाम लिखिए।
उत्तर:

  1.  जयशंकर प्रसाद – चन्द्रगुप्त (नाटक)।
  2. ( महादेवी वर्मा – स्मृति की रेखाएँ (संस्मरण)।

प्रश्न 34:
छायावादोत्तर युग की प्रमुख गद्य-विधाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नाटक, कहानी, उपन्यास, समालोचना, जीवनी, गद्य-गीत, एकांकी, आत्मकथा, रिपोर्ताज, यात्रावृत्त, संस्मरण एवं रेखाचित्र आदि छायावादोत्तर युग की प्रमुख गद्य-विधाएँ हैं।

प्रश्न 35:
छायावादोत्तर युग का प्रारम्भ कब से माना जाता है?
उत्तर:
छायावादोत्तर (शुक्लोत्तर) युग का प्रारम्भ सन् 1938 ई० से और समापन सन् 1947 ई० तक माना जाता है।

प्रश्न 36:
छायावादोत्तर युग के प्रमुख गद्य-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, हरिशंकर परेसाई, यशपाल, रामवृक्ष बेनीपुरी, धर्मवीर भारती, विद्यानिवास मिश्र, कमलेश्वर आदि छायावादोत्तर युग के प्रमुख गद्य-लेखक हैं।

प्रश्न 37:
छायावादोत्तर हिन्दी गद्य (प्रगतिवादी गद्य) की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
छायावादोत्तर काल का हिन्दी गद्य सहज, व्यावहारिक और अलंकारविहीन था। उसमें भावुकतापूर्ण अभिव्यक्ति का स्थान चुटीली उक्तियों ने ले लिया था।

प्रश्न 38:
छायावादोत्तर युग के दो कहानी लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. जैनेन्द्र कुमार तथा
  2. सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’।

प्रश्न 39:
छायावादोत्तर युग के दो लेखकों की एक-एक गद्य-रचना का नाम लिखिए।
उत्तर:

  1.  रामधारी सिंह ‘दिनकर’ – अर्द्धनारीश्वर।
  2. धर्मवीर भारती – गुनाहों के देवता।

प्रश्न 40:
छायावादोत्तरयुगीन साहित्यकारों की दोनों पीढ़ियों के एक-एक साहित्यकार का नाम लिखिए।
उत्तर:

  1.  पहली पीढ़ी – आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी।
  2. दूसरी पीढ़ी – डॉ० विद्यानिवास मिश्र।।

प्रश्न 41:
छायावादोत्तर युग में प्रारम्भ एवं समृद्ध होने वाली प्रकीर्ण गद्य-विधाओं में से किन्हीं दो विधाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
जीवनी, आत्मकथा, यात्रावृत्त, गद्यकाव्य, संस्मरण, रेखाचित्र, रिपोर्ताज, डायरी, भेटवार्ता, पत्र-साहित्य आदि हिन्दी की गौण या प्रकीर्ण गद्य-विधाएँ हैं।

प्रश्न 42:
स्वातन्त्र्योत्तर युग के प्रमुख गद्य-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
स्वातन्त्र्योत्तर युग में विद्यानिवास मिश्र, हरिशंकर परसाई, फणीश्वरनाथ रेणु’, धर्मवीर भारती, प्रभाकर माचवे, रजनी पणिक्कर, मोहन राकेश, मन्नू भण्डारी, शिवानी, नागार्जुन आदि प्रमुख गद्य-लेखक हुए।

प्रश्न 43:
हिन्दी गद्य की प्रमुख विधाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
निबन्ध, नाटक, कहानी, उपन्यास, ‘एकांकी तथा आलोचना हिन्दी गद्य की प्रमुख विधाएँ हैं।

प्रश्न 44:
हिन्दी गद्य की विविध विधाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1.  नाटक,
  2. उपन्यास,
  3.  एकांकी,
  4. कहानी,
  5. निबन्ध,
  6. आलोचना,
  7. आत्मकथा,
  8.  जीवनी,
  9. यात्रावृत्त,
  10.  रेखाचित्र,
  11. संस्मरण,
  12.  गद्यकाव्य,
  13. रिपोर्ताज,
  14.  डायरी,
  15. रेडियो-रूपक,
  16.  भेटवार्ता आदि।

प्रश्न 45:
प्रकीर्ण गद्य-विधाओं का अभूतपूर्व विकास किस युग में हुआ?
उत्तर:
प्रकीर्ण गद्य – विधाओं का अभूतपूर्व विकास छायावादोत्तर युग में हुआ।

प्रश्न 46:
(i) भारतेन्दु युग के निबन्धकारों के नाम लिखिए।
(i) द्विवेदी युग के निबन्धकारों के नाम लिखिए।
(iii) रामचन्द्र शुक्ल और उनके बाद शुक्लोत्तर युग के दो प्रमुख निबन्धकारों के नाम लिखिए।
(iv) स्वातन्त्र्योत्तर युग के दो निबन्धकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) भारतेन्दु युग – भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, प्रतापनारायण मिश्र, बालकृष्ण भट्ट।
(ii) द्विवेदी युग –  आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी, पद्मसिंह शर्मा, सरदार पूर्णसिंह।
(iii) शुक्ल युग – आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, गुलाबराय, पीताम्बरदत्त बड़थ्वाल।
शुक्लोत्तर युग – डॉ० नगेन्द्र, श्रीमती महादेवी वर्मा, वासुदेवशरण अग्रवाल।
(iv) स्वातन्त्र्योत्तर युग – विद्यानिवास मिश्र, कुबेरनाथ राय।

प्रश्न 47:
विषय और शैली की दृष्टि से निबन्ध के प्रमुख कितने भेद हैं? उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
विषय और शैली की दृष्टि से निबन्ध के निम्नलिखित प्रमुख चार भेद हैं

  1.  विचारात्मक निबन्ध,
  2. भावात्मक निबन्ध,
  3.  वर्णनात्मक निबन्ध तथा
  4.  विवरणात्मक निबन्ध।

प्रश्न 48:
निबन्ध की परिभाषा लिखिए तथा उसके चार भेदों में से किसी एक का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर:
निबन्ध उस गद्य-रचना को कहते हैं, जिसमें एक सीमित आकार के अन्तर्गत किसी विषय का वर्णन या प्रतिपादन; एक विशेष निजीपन, स्वच्छन्दता, सौष्ठव, सजीवता और सम्बद्धता के साथ किया गया हो। निबन्ध का एक भेद, वर्णनात्मक निबन्ध है।

प्रश्न 49:
हिन्दी में निबन्ध-रचना का आरम्भ किस युग में माना जाता है? दो युग-प्रवर्तक निबन्ध लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
हिन्दी में निबन्ध-रचना का आरम्भ भारतेन्दु युग से माना जाता है। हिन्दी के दो युग-प्रवर्तक निबन्धकार आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी और आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हैं।

प्रश्न 50:
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किस प्रकार के निबन्धों की रचना की?
उत्तर:
शुक्ल जी ने विचारप्रधान, समीक्षात्मक तथा मनोवैज्ञानिक निबन्धों की रचना की।

प्रश्न 51:
हिन्दी के प्रमुख भावात्मक निबन्धकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
हिन्दी के भावात्मक निबन्ध लिखने वालों में वियोगी हरि, सरदार पूर्णसिंह, राय कृष्णदास, रघुवीर सिंह, महादेवी वर्मा, रामवृक्ष बेनीपुरी तथा विद्यानिवास मिश्र प्रमुख हैं।

प्रश्न 52:
हिन्दी के दो युग-प्रवर्तक निबन्ध लेखकों और उनकी एक-एक निबन्ध पुस्तक के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1.  महावीर प्रसाद द्विवेदी – ‘सरस्वती’ पत्रिका में प्रकाशित निबन्ध।
  2. रामचन्द्र शुक्ल – चिन्तामणि (दो भागों में)।

प्रश्न 53:
प्रमुख ललित निबन्ध लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, धर्मवीर भारती, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, विद्यानिवास मिश्र आदि ललित निबन्धों के प्रमुख लेखक हैं।

प्रश्न 54:
कहानी के कौन-कौन से तत्त्व होते हैं?
उत्तर:
कहानी के सात तत्त्व होते हैं

  1.  शीर्षक,
  2.  कथावस्तु या कथानक,
  3. पात्र और चरित्र-चित्रण,
  4. कथोपकथन या संवाद,
  5. देशकाल या वातावरण,
  6. भाषा-शैली तथा
  7. उद्देश्य।

प्रश्न 55:
कहानी की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  1.  लघु कथानक,
  2.  पात्र एवं चरित्र – चित्रण,
  3.  मुख्य रूप से एक ही विषय, भाव अथवा संवेदना का प्रस्तुतीकरण तथा
  4.  निश्चित उद्देश्य – कहानी की मुख्य विशेषताएँ हैं।

प्रश्न 56:
‘कहानी’ एवं ‘नयी कहानी में अन्तर बताइट।
उत्तर:
‘कहानी’ का व्यापक अर्थ नयी एवं पुरानी सभी प्रकार की कहानियों पर प्रभावी है, किन्तु कुछ विद्वान् ‘कहानी’ का अर्थ द्विवेदी युग की ‘आदर्शवादी’ कहानियों से लेते हैं, जिनमें रचनाकार आदर्श कल्पनाओं के आधार पर पात्रों का चरित्र रचते थे। द्विवेदी युग के बाद नयी कहानी’ का अर्थ यथार्थ एवं भोगे हुए सत्य को अभिव्यक्त करने वाली ऐसी कहानियों से लिया जाता है, जिनमें आदर्श की अपेक्षा मनोवैज्ञानिक विश्लेषण पर बल दिया गया हो।

प्रश्न 57:
नयी कहानी की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
नयी कहानी जीवन के किसी मार्मिक तथ्य को नाटकीय प्रभाव के साथ व्यक्त करती है तथा उसमें यथार्थता एवं मनोवैज्ञानिकता होती है।

प्रश्न 58:
हिन्दी की प्रथम मौलिक कहानी का नाम बताइट।
उत्तर:
कहानी-कला की दृष्टि से किशोरीलाल गोस्वामी की ‘इन्दुमती’ हिन्दी-साहित्य की प्रथम मौलिक कहानी है।

प्रश्न 59:
द्विवेदी युग के किन्हीं दो प्रसिद्ध कहानीकारों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. प्रेमचन्द तथा
  2. जयशंकर प्रसाद।

प्रश्न 60:
हिन्दी के प्रमुख कहानीकारों के नाम बताइट।
उत्तर:
मुंशी प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, जैनेन्द्र कुमार, भगवतीचरण वर्मा, यशपाल, चतुरसेन शास्त्री, फणीश्वरनाथ ‘रेणु’, शैलेश मटियानी, मन्नू भण्डारी, अज्ञेय आदि हिन्दी के प्रमुख कहानीकार हैं।

प्रश्न 61:
प्रेमचन्द जी की प्रमुख कहानियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मन्त्र, ईदगाह, कफन, पंच परमेश्वर, पूस की रात, शतरंज के खिलाड़ी, नमक का दारोगा आदि प्रेमचन्द की प्रमुख कहानियाँ हैं। प्रश्न

प्रश्न 62:
जयशंकर प्रसाद की प्रमुख कहानियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
आकाशदीप, पुरस्कार, ममता, आँधी, इन्द्रजाल, छाया, प्रतिध्वनि, गुण्डा आदि जयशंकर प्रसाद की प्रमुख कहानियाँ हैं।

प्रश्न 63:
प्रेमचन्दोत्तर किन्हीं दो कहानीकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रेमचन्दोत्तर कथाकारों में यशपाल एवं जैनेन्द्र प्रमुख हैं।

प्रश्न 64:
छायावादोत्तर युग के किन्हीं दो प्रसिद्ध कहानीकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1.  हजारीप्रसाद द्विवेदी तथा
  2.  हरिशंकर परसाई।

प्रश्न 65:
प्रेमचन्द्र के समकालीन कहानीकारों में से किन्हीं दो के नाम लिखिए।
उत्तर:
राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह एवं विश्वम्भरनाथ शर्मा ‘कौशिक’ प्रेमचन्द के समकालीन कहानीकार थे। इनकी कहानियों में क्रमशः ‘कानों में कैंगना’ एवं ‘कलाकार का दण्ड’ लोकप्रिय हैं।।

प्रश्न 66:
आधुनिक युग की किन्हीं दो महिला कथाकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1.  मन्नू भण्डारी तथा
  2.  उषा प्रियंवदा।।

प्रश्न 67:
आधुनिक युग के किन्हीं दो कहानीकारों के नाम लिखिए।
या
प्रेमचन्द के बाद के किन्हीं दो प्रमुख कहानीकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
जैनेन्द्र कुमार, सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, यशपाल, भगवतीचरण वर्मा, विष्णु प्रभाकर, अमृतराय आदि आधुनिक युग के प्रसिद्ध कहानीकार हैं।

प्रश्न 68:
छायावादी युग के सबसे प्रसिद्ध कहानीकार का नाम लिखिए।
उत्तर:
छायावादी युग के सबसे प्रसिद्ध कहानीकार जयशंकर प्रसाद थे।

प्रश्न 69:
हिन्दी के कहानी लेखकों में से किन्हीं दो की एक-एक कहानी का नाम लिखिए।
उत्तर:
हिन्दी के कहानी लेखकों में प्रेमचन्द एवं जयशंकर प्रसाद की एक-एक कहानी क्रमशः ‘नमक का दारोगा’ एवं ‘पुरस्कार’ है।

प्रश्न 70:
हिन्दी उपन्यास के विकास में प्रेमचन्द के योगदान का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रेमचन्द ने ही प्रथम बार उपन्यास साहित्य को चमत्कार, मनोरंजन और प्रचार के स्तर से उठाकर यथार्थ जीवन के सत्य के साथ जोड़ा। उनका मन भारतीय कृषकों के जीवन की विषमताओं का मर्मस्पर्शी चित्रण करने में अधिक रमा।

प्रश्न 71:
हिन्दी के प्रमुख उपन्यासकारों के नाम बताइट।
या।
हिन्दी के दो प्रसिद्ध उपन्यासकारों के नाम बताइट।
उत्तर:
प्रेमचन्द, भगवतीचरण वर्मा, वृन्दावनलाल वर्मा, यशपाल, जैनेन्द्र कुमार, चतुरसेन शास्त्री, सुदर्शन, इलाचन्द्र जोशी, फणीश्वरनाथ रेणु’, राजेन्द्र यादव, उदयशंकर भट्ट, देवेन्द्र सत्यार्थी आदि।

प्रश्न 72:
हिन्दी के प्रथम मौलिक उपन्यास एवं उसके लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर:
लाला श्रीनिवास दास द्वारा लिखित परीक्षा-गुरु’ नामक उपन्यास, हिन्दी का प्रथम मौलिक उपन्यास है।

प्रश्न 73:
द्विवेदी युग के दो प्रमुख उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
द्विवेदी युग के दो प्रमुख उपन्यासकार हैं

  1.  किशोरीलाल गोस्वामी तथा
  2. देवकीनन्दन खत्री।

प्रश्न 74:
प्रेमचन्द युग के दो उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1.  प्रेमचन्द तथा
  2.  पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’।

प्रश्न 75:
शी प्रेमचन्द के प्रमुख उपन्यासों के नाम लिखिए।
या
प्रेमचन्द के दो प्रसिद्ध उपन्यासों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मुंशी प्रेमचन्द ने गोदान, गबन, कर्मभूमि, रंगभूमि, प्रेमाश्रम, सेवासदन, निर्मला आदि उपन्यासों की रचना की।

प्रश्न 76:
जयशंकर प्रसाद के दो उपन्यासों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कंकाल’ और ‘तितली’।

प्रश्न 77:
आधुनिक काल की दो महिला उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1.  शिवानी तथा
  2. उषा प्रियंवदा।

प्रश्न 78:
एक आंचलिक उपन्यास-उपन्यासकार का नाम लिखिए।
उत्तर:
फणीश्वरनाथ’रेणु’ द्वारा रचित ‘मैला आँचल’ तथा ‘परती परिकथा’ आंचलिक उपन्यास हैं।

प्रश्न 79:
प्रमुख आंचलिक उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
फणीश्वरनाथ रेणु’, रांगेय राघव, हिमांशु जोशी, नागार्जुन, अमृतलाल नागर, देवेन्द्र सत्यार्थी और शिवप्रसाद सिंह।

प्रश्न 80:
प्रेमचन्द के बाद आने वाले आधुनिक युग के प्रमुख उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, जैनेन्द्र कुमार, उपेन्द्रनाथ अश्क’, मोहन राकेश, इलाचन्द्र जोशी, डॉ० धर्मवीर भारती, अमृतलाल नागर, विष्णु प्रभाकर, रांगेय राघव, भगवतीचरण वर्मा आदि प्रेमचन्द के पश्चात् होने वाले प्रमुख उपन्यासकार हैं।

प्रश्न 81:
नाटक श्रव्य-काव्य है अथवा दृश्य-काव्य?
उत्तर:
नाटक दृश्य-काव्य है।

प्रश्न 82:
हिन्दी के प्रथम नाटक एवं उसके रचयिता का नाम लिखिए।
उत्तर:
गोपालचन्द्र गिरिधरदास द्वारा रचित ‘नहुष’ को हिन्दी का प्रथम नाटक माना जाता है।

प्रश्न 83:
हिन्दी के प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, जयशंकर प्रसाद, वृन्दावनलाल वर्मा, लक्ष्मीनारायण मिश्र, विष्णु प्रभाकर, सेठ गोविन्ददास, हरिकृष्ण ‘प्रेमी’ आदि हिन्दी के प्रमुख नाटककार हैं।

प्रश्न 84:
जयशंकर प्रसाद के प्रसिद्ध नाटकों के नाम लिखिए।
या
‘ध्रुवस्वामिनी’ किस विधा की रचना है?
उत्तर:
चन्द्रगुप्त, स्कन्दगुप्त, ध्रुवस्वामिनी, राज्यश्री तथा अजातशत्रु-जयशंकर प्रसाद के प्रसिद्ध नाटक हैं।

प्रश्न 85:
जयशंकर प्रसाद के नाटक किस विषय पर आधारित हैं?
उत्तर:
जयशंकर प्रसाद के नाटकों में भारत के अतीत की गौरवपूर्ण संस्कृति, देशप्रेम, जीवन-जगत् की शाश्वत समस्याओं और मानव मन के अन्तर्द्वन्द्व का चित्रण है।

प्रश्न 86:
प्रसादोत्तर (छायावादोत्तर) युग के प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
या
आधुनिककाल के प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. डॉ० रामकुमार वर्मा,
  2.  सेठ गोविन्ददास,
  3.  मोहन राकेश,
  4.  विष्णु प्रभाकर,
  5. उपेन्द्रनाथ अश्क’,
  6.  डॉ० लक्ष्मीनारायण लाल एवं
  7.  धर्मवीर भारती।

प्रश्न 87:
हिन्दी के प्रसिद्ध ऐतिहासिक नाटककार का नाम बताते हुए उसके दो नाटकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
जयशंकर प्रसाद छायावादी युग के एक ऐसे नाटककार हैं, जिन्होंने ऐतिहासिक नाटकों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। चन्द्रगुप्त, स्कन्दगुप्त, राज्यश्री, अजातशत्रु आदि इनके ऐतिहासिक नाटक हैं।

प्रश्न 88:
हिन्दी के ऐतिहासिक नाटककारों एवं उनकै एक-एक नाटक का नाम लिखिए।
या
हिन्दी के किसी प्रसिद्ध नाटककार एवं उसके द्वारा रचित नाटक का नाम बताए।
या
‘राजमुकुट के नाटककार कौन हैं?
उत्तर:
हिन्दी के ऐतिहासिक नाटककार और उनके एक-एक नाटक का नाम निम्नलिखित है

  1.  जयशंकर प्रसाद – चन्द्रगुप्त,
  2.  हरिकृष्ण प्रेमी – रक्षाबन्धन,
  3. गोविन्दवल्लभ पन्त – राजमुकुट,
  4.  सेठ गोविन्ददास – हर्ष,
  5.  वृन्दावनलाल वर्मा – झाँसी की रानी,
  6.  लक्ष्मीनारायण मिश्र – वत्सराज।

प्रश्न 89:
हिन्दी एकांकी का जनक किसे माना जाता है?
उत्तर:
हिन्दी एकांकी का आरम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की ‘अँधेर नगरी’, ‘प्रेमयोगिनी’ आदि रचनाओं से हुआ; अत: भारतेन्दु जी ही हिन्दी एकांकी के जनक हैं, किन्तु आधुनिक हिन्दी एकांकी का जनक डॉ० रामकुमार वर्मा को माना जाता है।

प्रश्न 90:
हिन्दी के प्रमुख एकांकीकारों के नाम बताइए।
उत्तर:
डॉ० रामकुमार वर्मा, विष्णु प्रभाकर, सेठ गोविन्ददास, उपेन्द्रनाथ अश्क’, हरिकृष्ण ‘प्रेमी’, विनोद रस्तोगी, जगदीशचन्द्र माथुर, उदयशंकर भट्ट, प्रभाकर माचवे, गिरिजाकुमार माथुर आदि हिन्दी के प्रमुख एकांकीकार हैं।

प्रश्न 91:
छायावादोत्तर युग के किन्हीं दो एकांकीकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
डॉ० धर्मवीर भारती एवं डॉ० लक्ष्मीनारायण लाल छायावादोत्तर युग के प्रमुख एकांकीकार हैं।

प्रश्न 92:
आलोचना विधा के चार प्रमुख लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, नन्ददुलारे वाजपेयी, हजारीप्रसाद द्विवेदी, श्यामसुन्दर दास तथा । डॉ० नगेन्द्र आलोचना विधा के प्रमुख लेखक हैं।।

प्रश्न 93:
द्विवेदी युग के प्रमुख आलोचना लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
द्विवेदी युग के प्रमुख आलोचना लेखकों में आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी, मिश्रबन्धु, बाबू श्यामसुन्दर दास, पद्मसिंह शर्मा ‘कमलेश’, लाला भगवानदीन आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।

प्रश्न 94:
शुक्लोत्तर युग के आलोचना लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
डॉ० रामकुमार वर्मा, डॉ० नगेन्द्र, डॉ० रामविलास शर्मा आदि शुक्लोत्तर युग के प्रसिद्ध आलोचना लेखक हैं।

प्रश्न 95:
जीवनी लिखने वाले किसी एक लेखक तथा उसकी रचना का नाम लिखिए।
उत्तर:
लेखक – अमृतराय। रचना – ‘कलम का सिपाही’

प्रश्न 96:
रामविलास शर्मा किस रूप में प्रसिद्ध हैं?
उत्तर:
आलोचक के रूप में।

प्रश्न 97:
प्रसिद्ध जीवनी-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
बनारसीदास चतुर्वेदी, बाबू गुलाबराय, विष्णु प्रभाकर, अमृतराय आदि प्रमुख जीवनी–लेखक हैं।

प्रश्न 98:
निम्नलिखित जीवनियों के लेखक कौन हैं?

  1.  सुमित्रानन्दन पन्त : जीवन और साहित्य,
  2. निराला की साहित्य-साधना।

उत्तर:

  1. शान्ति जोशी,
  2. डॉ० रामविलास शर्मा।

प्रश्न 99:
छायावादोत्तर युग के दो प्रसिद्ध जीवनी-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. जैनेन्द्र कुमार तथा
  2.  काका कालेलकर।

प्रश्न 100:
जीवनी-लेखन का कार्य किस युग में प्रारम्भ हुआ था?
उत्तर:
जीवनी-लेखन का कार्य भारतेन्दु युग में आरम्भ हो गया था।

प्रश्न 101:
द्विवेदी युग के प्रमुख जीवनी लेखकों के नाम लिखिए। इस युग में किस प्रकार की जीवनियाँ लिखी गयीं?
उत्तर:
द्विवेदी युग के जीवनी लेखकों में-लक्ष्मीधर वाजपेयी, डॉ० सम्पूर्णानन्द, नाथूराम प्रेमी, मुकुन्दीलाल वर्मा-उल्लेखनीय हैं। इस युग में ऐतिहासिक पुरुषों और धार्मिक नेताओं की जीवनियाँ लिखी गयीं।

प्रश्न 102:
छायावाद युग के प्रमुख जीवनी लेखकों के नाम लिखिए। इस युग में कैसी जीवनियाँ लिखी गयीं?
उत्तर:
छायावाद युग के जीवनी लेखकों में रामनरेश त्रिपाठी, गणेशशंकर विद्यार्थी, प्रेमचन्द – उल्लेखनीय हैं। इस युग में राष्ट्रीय महापुरुषों की जीवनियाँ लिखी गयीं।।

प्रश्न 103:
छायावादोत्तर युग के प्रमुख जीवनी लेखकों के नाम लिखिए। इस युग में किस प्रकार की जीवनियाँ लिखी गयीं?
उत्तर:
छायावादोत्तर युग के जीवनी लेखकों में – काका कालेलकर, रामवृक्ष बेनीपुरी, बनारसीदास चतुर्वेदी, राहुल सांकृत्यायन – विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इस युग में लोकप्रिय नेताओं, सन्त-महात्माओं, विदेशी महापुरुषों, वैज्ञानिकों, खिलाड़ियों और साहित्यकारों की जीवनियाँ लिखी गयीं।

प्रश्न 104:
हिन्दी के प्रमुख आत्मकथा-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
बाबू श्यामसुन्दर दास ( मेरी आत्मकहानी), वियोगी हरि ( मेरा जीवन प्रवाह), डॉ० राजेन्द्र प्रसाद ( मेरी आत्मकथा ) आदि प्रमुख आत्मकथा लेखकों के अतिरिक्त डॉ० हरिवंशराय बच्चन’, पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ तथा गुलाबराय आदि श्रेष्ठ आत्मकथाकार हैं।

प्रश्न 105:
निम्नलिखित आत्मकथाओं के लेखकों एवं उनके युग के नाम लिखिए
(1) अपनी कहानी
(2) मेरी असफलताएँ।
उत्तर:

  1.  वृन्दावनलाल वर्मा (शुक्लोत्तर युग) एवं
  2.  बाबू गुलाबराय (शुक्ल युग)।

प्रश्न 106:
रेखाचित्र अथवा आत्मकथा की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
रेखाचित्र – (1) रेखाचित्र में कम-से-कम शब्दों के प्रयोग द्वारा किसी व्यक्ति या वस्तु की विशेषता को उभारा जाता है।
(2) रेखाचित्र में लेखक पूर्णत: तटस्थ होकर, किसी वस्तु या व्यक्ति का चित्रात्मक शैली में सजीव तथा भावपूर्ण चित्र प्रस्तुत करता है।

आत्मकथा – (1) महापुरुषों द्वारा लिखी गयी आत्मकथाएँ पाठकों को उनके जीवन के आत्मीय पहलुओं से परिचय कराती हुई मार्गदर्शन करती हैं और प्रेरणा देती हैं।
(2) लेखक स्वयं अपने जीवन के प्रसंगों को पूर्ण निजता के साथ भावात्मक एवं रोचक शैली में प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 107:
आत्मकथा विधा की प्रमुख रचनाओं और उनके लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
आत्मकथा विधा से सम्बन्धित प्रमुख रचनाएँ और उनके लेखक हैं

  1.  कुछ आपबीती, कुछ जगबीती (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र),
  2. निजे वृत्तान्त (अम्बिकादत्त व्यास),
  3.  कल्याण का पथिक (स्वामी श्रद्धानन्द),
  4. मुझमें दैवी जीवन का विकास (स्वामी सत्यानन्द अग्निहोत्री),
  5.  आपबीती ( भाई परमानन्द),
  6.  तरुण स्वप्न, (सुभाषचन्द्र बोस),
  7.  मेरी कहानी (जवाहरलाल नेहरू),
  8.  सत्य की खोज (एस० राधाकृष्णन),
  9. आधे रास्ते और सीधी चट्टान (कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी),
  10.  मेरी आत्मकथा (डॉ० राजेन्द्र प्रसाद),
  11.  प्रवासी की आत्मकथा (स्वामी भवानीदयाल संन्यासी),
  12.  स्वतन्त्रता की खोज (सत्यदेव परिव्राजक),
  13.  साठ वर्ष : एक रेखांकन (सुमित्रानन्दन पन्त),
  14. परिव्राजक की प्रजा (शान्तिप्रिय द्विवेदी) आदि।

प्रश्न 108:
किन्हीं दो रेखाचित्रकारों के नाम. लिखिए।
या
‘रेखाचित्र विद्या के किसी एक लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर:

  1.  महादेवी वर्मा तथा
  2. रामवृक्ष बेनीपुरी।

प्रश्न 109:
रेखाचित्र विधा में सर्वप्रथम किसने लेखन प्रारम्भ किया?
उत्तर:
कुछ विद्वान् पद्मसिंह शर्मा को रेखाचित्र विधा का जनक मानते हैं, परन्तु इस विधा के नाम से इस विधा में लेखन प्रारम्भ करने का श्रेय श्रीराम शर्मा को है।

प्रश्न 110:
‘छायावादोत्तर युग के प्रमुख रेखाचित्र विधा के लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
रेखाचित्र विधा में लिखने वाले छायावादोत्तर युग के लेखकों में उल्लेखनीय हैं–प्रकाशचन्द्र गुप्त, बनारसीदास चतुर्वेदी, कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’, विनयमोहन शर्मा, सत्यवती मलिक, रघुवीर सहाय और डॉ० नगेन्द्र।

प्रश्न 111:
‘संस्मरण’ की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1.  संस्मरण में व्यक्तियों, घटनाओं अथवा दृश्यों को स्मृति के सहारे पुन: कल्पना में मूर्त किया जाता है।
  2. संस्मरण में लेखक तटस्थ रहने के बाद भी स्वयं को चित्रित कर देता है।
  3.  संस्मरण व्यक्ति, वस्तु अथवा घटना के वैशिष्ट्य को लक्षित करने वाला होता है।

प्रश्न 112:
हिन्दी के दो संस्मरण लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1.  महादेवी वर्मा तथा
  2. काका कालेलकर।

प्रश्न 113:
हिन्दी के प्रथम संस्मरण-लेखक का नाम बताइट।
उत्तर:
बाबू बालमुकुन्द गुप्त ने पं० प्रतापनारायण मिश्र के संस्मरण (1907 ई०) में लिखकर इस विधा का सूत्रपात किया; परन्तु डॉ० गोविन्द त्रिगुणायत संस्मरण का प्रथम लेखक सत्यदेव परिव्राजक को स्वीकार करते हैं।

प्रश्न 114:
महादेवी वर्मा के कुछ संस्मरण-ग्रन्थों के नाम लिखिए।
उत्तर:
महादेवी वर्मा द्वारा रचित ‘पथ के साथी’ (संस्मरण), ‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘स्मारिका’ (रेखाचित्रनुमा संस्मरण) आदि संस्मरण-ग्रन्थ हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि हैं।

प्रश्न 115.
कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ द्वारा रचित संस्मरणात्मक रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
‘जिन्दगी मुसकाई, माटी हो गयी सोना’ तथा ‘दीप जले शंख बजे प्रभाकर जी की प्रमुख संस्मरणात्मक रचनाएँ हैं।

प्रश्न 116:
संस्मरण विधा से सम्बन्धित प्रमुख रचनाओं और उनके लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
संस्मरण विधा से सम्बन्धित प्रमुख रचनाएँ और उनके लेखक निम्नलिखित हैं

  1.  मण्टो मेरा दुश्मन,
  2. ज्यादा अपनी कम परायी (उपेन्द्रनाथ अश्क’),
  3.  कुछ शब्द कुछ रेखाएँ (विष्णु प्रभाकर),
  4. बचपन की स्मृतियाँ,
  5.  जिनका मैं कृतज्ञ,
  6. मेरे असहयोग के साथी (राहुल सांकृत्यायन),
  7.  दस तस्वीरें,
  8.  जिन्होंने जीना सीखा (जगदीशचन्द्र माथुर),
  9. स्मृति-कण,
  10.  चेहरे जाने-पहचाने (सेठ गोविन्ददास),
  11.  चेतना के बिम्ब (डॉ० नगेन्द्र),
  12. समय के पाँव (माखनलाल चतुर्वेदी),
  13. लोकदेव नेहरू,
  14.  संस्मरण और श्रद्धांजलियाँ (रामधारी सिंह ‘दिनकर’),
  15. नये- पुराने झरोखे (डॉ० हरिवंशराय बच्चन’)।

प्रश्न 117:
‘यात्रावृत्त’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब कोई यात्री अपनी यात्रा के अन्तर्गत मार्ग में आने वाले विविध व्यक्तियों, स्थानों, व्यवस्थाओं आदि के अपने हृदय पर पड़ने वाले प्रभावों का सूक्ष्म और सजीव वर्णन करता है, तब उसे यात्रावृत्त कहते हैं।

प्रश्न 118:
हिन्दी में यात्रावृत्त लिखने का क्रम किस लेखक से प्रारम्भ हुआ तथा सर्वाधिक यात्रावृत्त किस गद्य-युग में लिखे गये?
उत्तर:
यात्रावृत्त लिखने का क्रम भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से प्रारम्भ हुआ तथा सर्वाधिक यात्रावृत्त छायावाद और छायावादोत्तर युग में लिखे गये।

प्रश्न 119:
हिन्दी के यात्री-साहित्य के दो प्रमुख लेखकों और उनकी एक-एक रचना के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1.  राहुल सांकृत्यायन – घुमक्कड़शास्त्र,
  2. मोहन राकेश – आखिरी चट्टान तक।

प्रश्न 120:
यात्रावृत्त के मुख्य तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
यात्रा से जुड़ी निजी स्मृतियाँ, सहजता, सत्यता, रोचकता और सरसता यात्रावृत्त के मुख्य तत्त्व हैं।

प्रश्न 121:
छायावाद युग के यात्रावृत्त विधा के प्रमुख लेखक और उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
छायावाद युग की यात्रावृत्त विधा के प्रमुख लेखक और उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नवत् हैं

  1. रामनारायण मिश्र – यूरोप यात्रा के छः मास तथा
  2. राहुल सांकृत्यायन – मेरी यूरोप यात्रा, मेरी तिब्बत यात्रा।

प्रश्न 122:
छायावादोत्तर युग की यात्रावृत्त विधा की प्रमुख रचनाएँ और उनके लेखकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
छायावादोत्तर युग की प्रमुख रचनाएँ एवं उनके लेखक इस प्रकार हैं

  1.  घुमक्कड़शास्त्र,
  2. किन्नर देश में,
  3.  हिमालय परिचय (राहुल सांकृत्यायन),
  4. पैरों में पंख बाँधकर,
  5.  उड़ते चलो, उड़ते चलो (रामवृक्ष बेनीपुरी),
  6.  वह दुनिया (भगवतशरण उपाध्याय),
  7. अरे यायावर रहेगा याद,
  8.  एक बूंद सहसा उछली (सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’),
  9. तन्त्रालोक से यन्त्रालोक तक (डॉ० नगेन्द्र) (2011),
  10.  पृथ्वी-परिक्रमा,
  11.  सुदूर दक्षिण में (सेठ गोविन्ददास),
  12.  धरती गाती है (देवेन्द्र सत्यार्थी),
  13.  तूफानों के बीच (रांगेय राघव),
  14.  आखिरी चट्टान तक (मोहन राकेश),
  15.  आज का जापान (भदन्त आनन्द कौसल्यायन),
  16. लोहे की दीवार के दोनों ओर (यशपाल),
  17.  सुबह के रंग (अमृतराय),
  18.  भू-स्वर्ग कश्मीर (हंसकुमार तिवारी) आदि।

प्रश्न 123:
हिन्दी में रिपोर्ताज लिखने का प्रचलन किस युग में हुआ? प्रमुख रिपोर्ताज लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
हिन्दी में रिपोर्ताज लिखने का प्रचलन छायावादोत्तर युग में हुआ। प्रमुख रिपोर्ताज लेखक इस प्रकार हैं

  1.  धर्मवीर भारती,
  2.  कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’,
  3.  रांगेय राघव,
  4.  विष्णुकान्त शास्त्री आदि।

प्रश्न 124:
हिन्दी की दो नवीन गद्य-विधाओं व उन विधाओं के एक-एक प्रमुख लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. ‘रिपोर्ताज’ हिन्दी गद्य की एक नयी विधा है। इस विधा के प्रमुख लेखक – कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ हैं।
  2. ‘डायरी’ हिन्दी की दूसरी नवीन गद्य विधा है। इस विधा के प्रमुख लेखक – धीरेन्द्र वर्मा हैं।

प्रश्न 125:
रिपोर्ताज विधा की हिन्दी में प्रथम रचना का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर:
डॉ० शिवदानसिंह चौह्मन ‘विरचित ‘लक्ष्मीपुरा’ (1938 ई०) को हिन्दी गद्य-साहित्य का प्रथम रिपोर्ताज माना जाता है।

प्रश्न 126:
प्रमुख रिपोर्ताज रचनाएँ और उनके लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
रिपोर्ताज विधा की प्रमुख रचनाएँ और उनके लेखक निम्नलिखित हैं

  1.  पहाड़ों में प्रेममयी संगीति (उपेन्द्रनाथ अश्क’),
  2.  एक तस्वीर के दो पहलू,
  3. क्षण बोले कण मुसकाये,
  4. दिल्ली की यात्रा-स्मृतियाँ (कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’),
  5.  वे लड़ेगे हजार साल (शिवसागर मिश्र),
  6.  युद्ध-यात्रा ( धर्मवीर भारती),
  7. प्लाट का मोर्चा (शमशेर बहादुर सिंह)

प्रश्न 127:
रिपोर्ताज विधा के प्रमुख लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
रिपोर्ताज विधा में लेखन करने वाले प्रमुख लेखक हैं

  1. प्रकाशचन्द्र गुप्त,
  2. रामनारायण उपाध्याय,
  3.  भदन्त आनन्द कौसल्यायन,
  4. डॉ० भगवतशरण उपाध्याय,
  5.  फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,
  6. जगदीश प्रसाद चतुर्वेदी,
  7.  निर्मल वर्मा,
  8. कमलेश्वर,
  9.  लक्ष्मीकान्त वर्मा।

प्रश्न 128:
डायरी विधा की प्रथम रचना का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नरदेव शास्त्री ‘वेदतीर्थ’ को प्रथम डायरी-लेखक माना जाता है। उनकी डायरी नरदेव शास्त्री ‘वेदतीर्थ’ की जेल डायरी” का प्रकाशन 1930 ई० के आस-पास माना जाता है।

प्रश्न 129:
डायरी विधा की प्रमुख रचनाएँ और उनके लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
हिन्दी गद्य की डायरी विधा के अन्तर्गत घनश्यामदास बिड़ला की डायरी के पन्ने, सुन्दरलाल त्रिपाठी की ‘दैनन्दिनी’, धीरेन्द्र वर्मा की ‘मेरी कॉलेज डायरी’ जैसी कुछ गिनी-चुनी रचनाएँ ही उपलब्ध हैं।

प्रश्न 130:
छायावादोत्तर युग में इायरी विधा में लेखन करने वाले लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
छायावादोत्तर युग में इलाचन्द्र जोशी, रामधारी सिंह ‘दिनकर’, शमशेर बहादुर सिंह, मोहन राकेश, लक्ष्मीकान्त वर्मा, नरेश मेहता, अजित कुमार, प्रभाकर माचवे आदि की डायरियाँ प्रकाशित हुई हैं।

प्रश्न 131:
हिन्दी में हायरी विधा का आरम्भ किस युग से हुआ? किसी डायरी लेखक की डायरी का नाम लिखिए।
उत्तर:
हिन्दी में डायरी विधा का आरम्भ छायावाद युग से हुआ। डायरी लेखक-धीरेन्द्र वर्मा; रचना-मेरी कॉलेज डायरी।।

प्रश्न 132:
हिन्दी गद्यकाव्य की रचना करने वाले किन्हीं दो लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1.  राय कृष्णदास तथा
  2.  वियोगी हरि।।

प्रश्न 133:
‘गद्यगीत’ विधा को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘गद्यगीत’ में गद्य के माध्यम से किसी भावपूर्ण विषय की काव्यात्मक अभिव्यक्ति होती है। उदाहरण – ‘‘मित्र! यहाँ तो सुख के साथ दु:ख लगा है, और उससे सुख को अलग कर लेने के उद्योग में भी एक (राय कृष्णदास)

प्रश्न 134:
‘गद्यगीत’ अथवा ‘गद्यकाव्य’ की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
‘गद्यगीत’ अथवा ‘गद्यकाव्य’ गद्य और काव्य के बीच की विधा है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नवत् हैं

  1. इसमें अनुभूति की सघनता होती है।
  2.  इसमें संक्षिप्तता और रहस्यमय सांकेतिकता होती है।

प्रश्न 135:
गद्यगीतों का आरम्भ किस लेखक के किस ग्रन्थ से माना जाता है?
उत्तर:
गद्यगीतों का आरम्भ राय कृष्णदास के ‘साधना-संग्रह’ नामक ग्रन्थ से माना जाता है।

प्रश्न 136:
‘तरंगिणी’ के लेखक तथा उसकी गद्य-विधा का नाम लिखिए।
उत्तर:
लेखक – वियोगी हरि तथा विधा – गद्यकाव्य।

प्रश्न 137:
गद्यकाव्य विधा की प्रमुख रचनाएँ और उनके लेखकों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर:
गद्यकाव्य विधा की प्रमुख रचनाएँ और उनके रचनाकारों के नाम हैं

  1. शारदीया,
  2. दुपहरिया,
  3. वंशीरव,
  4.  उन्मन,
  5. स्पन्दन (दिनेशनन्दिनी चौरडया),
  6.  चिन्ता (सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’),
  7. शुभ्रा (रामप्रसाद विद्यार्थी ‘रावी’),
  8. आराधना (राजनारायण मेहरोत्रा ‘रजनीश’),
  9.  श्रद्धाकण,
  10. तरंगिणी (वियोगी हरि),
  11.  मरी खाल की हाय,
  12.  जवाहर (आचार्य चतुरसेन शास्त्री),
  13.  साहित्य देवता (माखनलाल चतुर्वेदी),
  14.  शेष स्मृतियाँ (डॉ० रघुवीर सिंह) ,
  15.  निर्झर,
  16.  पाषाण (तेजनारायण काक’),
  17. निशीथ,
  18.  आँसू भरी धरती,
  19.  उदीची (ब्रह्मदेव),
  20. अन्तरात्मा (रंगनाथ दिवाकर),
  21.  गुरुदेव (महावीरशरण अग्रवाल) आदि।।

प्रश्न 138:
‘चेखव : एक इण्टरव्यू’ तथा भगवान महावीर : एक इण्टरव्यू किस विधा की रचनाएँ हैं ? इनके लेखक कौन हैं?
उत्तर:
उक्त दोनों काल्पनिक भेटवार्ता’ विधा की रचनाएँ हैं। इनके लेखक क्रमश: राजेन्द्र यादव एवं लक्ष्मीचन्द जैन हैं।

प्रश्न 139:
हिन्दी में भेटवार्ता विधा में लेखन का प्रारम्भ किसने किया?
उत्तर:
हिन्दी में भेटवार्ता विधा का श्रीगणेश बनारसीदास चतुर्वेदी ने जगन्नाथ दास ‘रत्नाकर’ और प्रेमचन्द से भेंट करने के उपरान्त उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के बारे में लिखकर किया।

प्रश्न 140:
भेटवार्ता विधा की प्रमुख रचनाओं का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भेटवार्ता विधा की प्रमुख रचनाएँ हैं

  1.  कवि दर्शन (बेनी माधव शर्मा),
  2.  मैं इनसे मिला। (दो भाग) (डॉ० पद्मसिंह शर्मा ‘कमलेश’),
  3.  कला के हस्ताक्षर (देवेन्द्र सत्यार्थी),
  4.  सृजन की मनोभूमि (डॉ० रणवीर रांग्रा),
  5.  हिन्दी कहानी और फैशन (डॉ० सुरेश सिन्हा) आदि।

प्रश्न 141:
छायावादोत्तर युग में भेटवार्ता विधा में लेखन करने वालों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर:
छायावादोत्तर युग में भेटवार्ता लिखने वालों के नाम हैं –

  1.  प्रभाकर माचवे,
  2.  शिवदानसिंह चौहान,
  3.  रामचरण महेन्द्र,
  4. कैलाश कल्पित,
  5.  राजेन्द्र यादव,
  6.  लक्ष्मीचन्द्र जैन आदि।

प्रश्न 142:
हिन्दी में आधुनिक पद्धति की आलोचना जिन लेखकों ने प्रारम्भ की है, उनमें से किन्हीं दो के नाम लिखिए।
उत्तर:
हिन्दी में आधुनिक पद्धति की आलोचना प्रारम्भ करने वाले लेखक हैं – आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और डॉ० नगेन्द्र।

प्रश्र 143:
द्विवेदी युग वे किन्हीं दो गद्य साहित्यकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
द्विवेदी युग के दो प्रमुख गद्य साहित्यकार हैं

  1. आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी तथा
  2. बाबू श्यामन्त्र स’ (संकेत- इनके संक्षिप्त परिचय के लिए सम्बन्धित लेखकों का परिचय पढ़े।)

प्रश्न 144:
व्यावहारिक समीक्षा के क्षेत्र में ख्यात आलोचकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
व्यावहारिक समीक्षा के क्षेत्र में ख्यात प्रमुख आलोचक हैं-आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी, आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र, डॉ० विनय मोहन शर्मा, डॉ० गोविन्द त्रिगुणायत आदि।

प्रश्न 145:
माक्र्सवादी समीक्षा के क्षेत्र में ख्यात आलोचकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मार्क्सवादी समीक्षा के क्षेत्र में ख्यात प्रमुख आलोचक हैं-डॉ० रामविलास शर्मा, शिवदान सिंह चौहान, डॉ० विश्वम्भरनाथ उपाध्याय आदि।

प्रश्न 146:
सन् 1947 के बाद प्रकाशित दो साहित्यिक पत्रों के संकलन के नाम तथा उनके सम्पादकों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1.  ‘बड़ों के कुछ प्रेरणादायक पत्र’-वियोगी हरि।
  2.  “निराला के पत्र’-जानकीवल्लभ शास्त्री।

प्रश्न 147:
हिन्दी-साहित्य में पत्र-साहित्य की प्रथम रचना कौन-सी है?
उत्तर:
हिन्दी साहित्य में प्रथम पत्र-साहित्य का प्रकाशन 1904 ई० (द्विवेदी युग) में महात्मा मुंशीराम के द्वारा ‘स्वामी दयानन्द से सम्बद्ध पत्रों के संकलन’ से हुआ था।

प्रश्न 148:
छायावाद युग की पन्न-साहित्य की रचना का नाम लिखिए।
उत्तर:
छायावाद युग में रामकृष्ण आश्रम, देहरादून से ‘विवेकानन्दपत्रावली’ का प्रकाशन हुआ था।

प्रश्न 149:
छायावादोत्तर युग की उल्लेखनीय पत्र-साहित्य रचनाओं को लिखिए।
उत्तर:
छायावादोत्तर युग में प्रकाशित प्रमुख पत्र-साहित्य हैं –

  1.  द्विवेदी पत्रावली (बैजनाथ सिंह ‘विनोद’),
  2.  पद्मसिंह शर्मा के पत्र (बनारसीदास चतुर्वेदी),
  3.  बड़ों के प्रेरणादायक पत्र (वियोगी हरि),
  4. पन्त के दो सौ पत्र बच्चन के नाम (हरिवंशराय बच्चन’),
  5.  भिक्षु के पत्र (भाग 1-2) (भदन्त आनन्द कौसल्यायन),
  6.  यूरोप के पत्र (डॉ० धीरेन्द्र वर्मा),
  7. सोवियत रूस : पिता के पत्रों में (डॉ० जगदीशचन्द्र),
  8.  लन्दन के पत्र (ब्रजमोहन लाला),
  9. बन्दी की चेतना (कमलापति त्रिपाठी),
  10. बापू के पत्र (काका कालेलकर) आदि।

प्रश्न 150:
हिन्दी गद्य के विकास में सबसे अधिक योगदान करने वाली अथवा द्विवेदी युग की सर्वाधिक प्रसिद्ध पत्रिका तथा उसके सम्पादक का नाम लिखिए।
उत्तर:
पत्रिका सरस्वती (सन् 1903 से प्रारम्भ)। सम्पादक–आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी।

प्रश्न 151:
निम्नलिखित में से किन्हीं दो सम्पादकों की पत्रिकाओं के नाम लिखिए
(i) महावीरप्रसाद द्विवेदी,
(u) श्यामसुन्दर दास,
(iii) महादेवी वर्मा,
(iv) धर्मवीर भारती।
उत्तर:
           सम्पादक                                      पत्रिका
(i)  महावीरप्रसाद द्विवेदी    –                     सरस्वती
(ii)  श्यामसुन्दर दास          –             नागरी प्रचारिणी पत्रिका
(iii)  महादेवी वर्मा              –                       चाँद
(iv)  धर्मवीर भारती            –                     धर्मयुग

प्रश्न 152:
‘समालोचक पत्र किस युग में प्रकाशित हुआ था?
उत्तर:
‘समालोचक’ पत्र, द्विवेदी युग में प्रकाशित हुआ था।

प्रश्न 153:
‘नया जीवन पत्रिका के सम्पादक कौन थे?
उत्तर:
‘नया जीवन पत्रिका के सम्पादक कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ थे।

प्रश्न 154:
हिन्दी के नयी पीढ़ी के चार साहित्यिक रचनाकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कमलेश्वर, हृदयेश, मनोहरश्याम जोशी तथा सुदीप नयी पीढ़ी के रचनाकार हैं।

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