UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi काव्यांजलि Chapter 2 सूरदास
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कवि का साहित्यिक परिवय और कृतियाँ
प्रश्न 1.
सूरदास का जीवन-परिचय देते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए।
या
‘सूरदास का जीवन-परिचय तथा साहित्यिक प्रदेय लिखिए।
या
सूरदास का साहित्यिक परिचय लिखते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए।
गोवर्धन के निकट पारसौली ग्राम में इनकी मृत्यु संवत् 1640 (सन् 1583 ई०) में हुई। कहते हैं कि मृत्यु के समय इन्होंने यह पद गाकर प्राण त्यागे—‘खंजन नैन रूप रस माते।’
साहित्यिक सेवाएँ-सूरदास ने भगवान् के लोकरंजक (संसार को आनन्दित करने वाले) रूप को लेकर उनकी लीलाओं का गायन किया है। वल्लभाचार्य जी के शिष्य बनने से पहले सूर विनय के पद गाया करते थे, जिनमें दास्य भाव की प्रधानता थी। इनमें अपनी दीनता और भगवान् की महत्ता का वर्णन रहता था—
(क) मो सम कौन कुटिल खल कामी।
(ख) हरि मैं सब पतितन को राऊ।
किन्तु पुष्टिमार्ग में दीक्षित होने के उपरान्त मूर ने विनय के पद गाने के स्थान पर कृष्ण की बाल्यावस्था और किशोरावस्था की लीलाओं का बड़ा हृदयहारी गायन किया।
साहित्य में स्थान-सूरदास के कृतित्व और महत्त्व की अनेक प्रशस्तियों से हिन्दी-साहित्य भरा पड़ा है
सूर सूर तुलसी ससी, उडुगन केशवदास ।
अब के कवि खद्योत सम, जहँ तहँ करत प्रकास ॥
यदि इसे अतिशयोक्ति भी मानें तो कम-से-कम इतना तो नि:संकोच कहा ही जा सकता है कि तुलसी के समान व्यापक काव्यक्षेत्र न चुनने पर भी सूर ने अपने सीमित क्षेत्र वात्सल्य और श्रृंगार का कोई कोना ऐसा न छोड़ा, जो उनके संचरण से अछूता रह गया हो। वे निर्विवाद रूप से वात्सल्य और शृंगार रस के सम्राट् हैं।
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