UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 5 त्यागपथी
UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 5 त्यागपथी (रामेश्वर शुक्ल अञ्चल)
उत्तर प्रदेश के आगरा, गोरखपुर, गाजीपुर, बरेली, सुल्तानपुर, जालौन, लखीमपुर, गोंडा, शाहजहाँपुर, फिरोजाबाद, महाराजगंज, बाराबंकी जनपदों के लिए। नवसृजित जनपदों के विद्यार्थी अपने जनपद में निर्धारित खण्डकाव्य के सम्बन्ध में अपने विषय-अध्यापक से जानकारी प्राप्त कर लें।
प्रश्न 1.
‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य की कथावस्तु (कथानक) को संक्षेप में अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य के प्रथम एवं द्वितीय सर्ग की कथा अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य का कथानक संक्षेप में लिखिए।
या
‘त्यागपथी’ काव्यग्रन्थ की प्रमुख घटनाओं का क्रमबद्ध उल्लेख कीजिए।
या
‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य के तृतीय सर्ग का सारांश लिखिए।
या
‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य के चौथे सर्ग के आधार पर राज्यश्री, हर्षवर्द्धन और दिवाकर मित्र के वार्तालाप का सारांश लिखिए।
या
‘त्यागपथी’ के प्रथम तीन सर्यों के आधार पर सम्राट हर्षवर्द्धन के जीवन की कहानी लिखिए।
या
‘त्यागपथी’ के पंचम (अन्तिम) सर्ग की कथा अपनी भाषा में लिखिए। ‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य में पंचग सर्ग में वर्णित घटनाओं को अपने शब्दों में लिखिए।
या
आपको ‘त्यागपथी’ का कौन-सा सर्ग रुचिकर प्रतीत होता है और क्यों ? उस सर्ग का कथानक अपनी भाषा में लिखिए।
या
‘त्योगपथी’ खण्डकाव्य के द्वितीय सर्ग का सारांश लिखिए।
या
‘त्यागेपथी’ खण्डकाव्य के पंचम संर्ग’ की कथावस्तु का उल्लेख कीजिए।
या
‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य के द्वितीय संर्ग’ की कथा अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘त्यागपथी’ में वर्णित भारत की राजनीतिक उथल-पुथल का वर्णन कीजिए।
[ संकेत : प्रथम, द्वितीय व तृतीय सर्ग का सारांश संक्षेप में लिखें। ]
प्रश्न 2.
‘त्यागपथी’ के प्रमुख पात्रों का परिचय देते हुए बताइए कि आपकी कौन-सा पात्र सर्वाधिक प्रभावित करता है और क्यों ?
उत्तर
‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य में प्रभाकरवर्द्धन तथा उनकी पत्नी यशोमती, उनके दो पुत्र (राज्यवर्द्धन और हर्षवर्द्धन), एक पुत्री (राज्यश्री), कन्नौज, मालव, गौड़ प्रदेश के राजाओं के अतिरिक्त आचार्य दिवाकर, सेनापति भण्ड आदि अनेक पात्र हैं। खण्डकाव्य का नायक हर्षवर्द्धन है तथा काव्य की नायिका होने का गौरव उसकी बहन राज्यश्री को प्राप्त हुआ है। इन सभी पात्रों में मुझे हर्षवर्द्धन का चरित्र सबसे अधिक प्रभावित करता है; क्योंकि वह एक आदर्श भाई एवं पुत्र; देश-प्रेमी, अजेय-योद्धा, श्रेष्ठ शासक, महान् त्यागी, धर्मपरायण और महादानी है।
प्रश्न 3.
‘त्यागपथी’ के नायक अथवा प्रमुख पात्र (हर्षवर्द्धन) का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘त्यागपथी’ काव्य के आधार पर हर्षवर्द्धन की चारित्रिक विशेषताएँ बताइट। ”
या
‘त्यागपथी के हर्षवर्द्धन का चरित्र देशप्रेम. का प्रखरतम (आदर्श) उदाहरण है।”
या
उपयुक्त उदाहरण देते हुए इस कथन को प्रमाणित कीजिए।
या
“‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य में सम्राट् हर्षवर्द्धन का चरित्र ही केन्द्र है और उसी के चारों ओर कथानक का चक्र घूमता है।” इस कथन की समीक्षा कीजिए।
या
‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य के नाम को ध्यान में रखकर हर्षवर्द्धन का चरित्रांकन कीजिए। हर्षवर्द्धन का चरित्र, आचरण का संवाहक है। सिद्ध कीजिए।
या
“‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य में हर्ष एक इतिहास पुरुष के रूप में चित्रित है।” इस उक्ति के आलोक में हर्ष का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘त्यागेपथी के हर्षवर्द्धन का चरित्र आज के युवकों पर कितना प्रभावकारी है ?
या
“हर्ष ऐक सच्चा त्यागपथी था।” उक्ति के आधार पर हर्ष का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
“शौर्य था साकार नृप में अवतरित था ज्ञाना” कथन के आधार पर ‘त्यागपथी’ के हर्षवर्द्धन के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
बड़े भाई राज्यवर्द्धन के प्रति भी उनका अपार प्रेम है-
बाहर चले जब राज्यवर्द्धन हर्ष पीछे चल पड़े।
ज्यों वन-गमन में राम के पीछे चले लक्ष्मण अड़े ॥
शान्ति शुभता का व्रती था हर्ष का शासन ।
था लिया जिसने प्रजा-हित राजसिंहासन ॥
थी सकल साम्राज्य में सुख श्री उमड़ आयी।
थी चतुर्दिक न्याय समता की विभा छायी ॥
दिये सम्राट् ने निज वस्त्रे आभूषण वहाँ पर ।
बहिन से भीख में माँग वसन पहिना वहाँ पर ॥
मैं स्वयं जाऊँगा बहिन को ढूंढने वन प्रान्त में,
पाए बिना उसको न क्षण भर हो सकेंगा शान्त मैं।
भाई की छल से की गयी हत्या का समाचार सुनकर उन्होंने जो प्रतिज्ञा की थी, उससे उनके दृढ़निश्चय का पता चलता है-
प्रश्न 4.
‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य के आधार पर राज्यश्री का,चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘त्यागपथी’ के प्रमुख नारी-पात्र राज्यश्री की चारित्रिक विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
या
‘त्यागपथी’ में निरूपित राज्यश्री की चारित्रिक छवि पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
या
“‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य में राज्यश्री एक श्रेष्ठ नारी पात्र है।” स्पष्ट कीजिए।
काँगी साथ उनके मैं हमेशा राष्ट्र-साधन ।
अहिंसा नीति का होगा सभी विधिपूर्ण पालन ॥
X X X
प्रजा के हित समर्पित है व्रती जीवन तुम्हारा ।
सभी का हित सभी का सुख, तुम्हें दिन-रात प्यारा ॥
लुटाती थी बेहन भी पास का सबै तीर्थस्थल में,
पहिन दो वस्त्र केवल दीपती थी छवि विमल में ।।
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