UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 6 श्रवणकुमार
UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 6 श्रवणकुमार (डॉ० शिवबालक शुक्ल)
उत्तर प्रदेश के मेरठ, आजमगढ़, बस्ती, रायबरेली, बाँदा, हरदोई, बहराइच, हमीरपुर, गाजियाबाद, मऊ, सिद्धार्थनगर जनपदों के लिए। नवसृजित जनपदों के विद्यार्थी अपने जनपद में निर्धारित खण्डकाव्य के सम्बन्ध में अपने विषय्-अध्यापक से जानकारी प्राप्त कर लें।
प्रश्न 1.
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य की कथावस्तु पर प्रकाश डालिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य की प्रमुख घटनाओं का क्रमबद्ध वर्णन कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के ‘अयोध्या’ सर्ग की कथा अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के ‘दशरथ’ खण्ड की कथा का सार लिखिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के छठे सर्ग ‘सन्देश’ की कथा अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘श्रवणकुमार’ के ‘आश्रम’ शीर्षक सर्ग की, कथा संक्षेप में अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘श्रवणकुंमार’ खण्डकाव्य के कथानक का विवरण देते हुए उसके महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के पंचम सर्ग में चित्रित दशरथ के अन्तर्द्वन्द्व का सोदाहरण वर्णन कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ काव्य के ‘श्रवण’ शीर्षक सर्ग का सारांश लिखिए। ‘श्रवणकुमार खण्डकाव्य के सातवें सर्ग ‘अभिशाप’ का सारांश लिखिए।
या
‘श्रवणकुमार’ के सर्गों का नामोल्लेख करते हुए ‘निर्वाण’ (अष्टम) सर्ग का सारांश लिखिए। ‘श्रवणकुमार’ के आखेट सर्ग की कथा संक्षेप में अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के सर्यों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के किसी मार्मिक अंश (श्रवण सर्ग) की कथा का उल्लेख कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के जो कारुणिक प्रसंग जनमानस को बहुत प्रभावित करते हैं, उन पर प्रकाश डालिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के कारुणिक प्रसंग का वर्णन कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के कथानक में महाराज दशरथ की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
श्रवण-पिता ने कहा, आज प्रिय क्योंकर तुमने किया विलम्ब ?
करती रही विविध आशंका अब तक वत्स तुम्हारी अम्ब।”
ऋषि-दम्पति, पर्याप्त समय तक अपने पुत्र के गुणों का वर्णन करते रहते हैं। तत्पश्चात् दशरथ उन्हें जल-ग्रहण करने के लिए कहते हैं तो वे शंकित होकर उनका परिचय पूछते हैं। अन्त में दशरथ उन्हें वह हृदयविदारक दुर्घटना का समाचार सुना देते हैं, जिसे सुनते ही वे करुण विलाप कर उठते हैं और हाहाकार करते अपने मृतक पुत्र के स्पर्श के लिए दशरथ के साथ चल देते हैं।
सप्तम सर्ग : अभिशाप
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के सप्तमं सर्ग में ऋषि-दम्पति का करुण विलाप चित्रित हुआ है। सरयू-तट पर अपने मृतक पुत्र के शरीर को स्पर्शकर उनके धैर्य का बाँध टूट जाता है। वे विलाप करते-करते। अचेत हो जाते हैं। कुछ देर बाद वे सचेत होते हैं तो पुन: विलाप कर उठते हैं
कौन हमारे लिए विपिन से कन्द मूल फल लायेगा।
कौन अतिथि-सा हमें खिलाने में सच्चा सुख पायेगा ।
इस प्रकार श्रवणकुमार के माता-पिता उसके गुणों और सुकर्मों का स्मरण कर-करके हृदयविदारक विलाप करते हैं। अन्त में श्रवणकुमार के पिता दशरथ से कहते हैं कि यद्यपि आपने यह पाप अनजाने में किया है, परन्तु पाप तो पाप ही है। इसलिए–
पुत्र-शोक से कलप रहा हूँ जिस प्रकार मैं, अजनन्दन ।
सुत-वियोग में प्राण तजोगे इसी भाँति करके क्रन्दन ॥
अष्टम सर्ग : निर्वाण
इस सर्ग में शाप के कारण दशरथ बहुत अधिक दु:खी हैं। पर्याप्त विलाप करने के बाद श्रवणकुमार के पिता को यह आत्मबोध होता है कि मेरे उदार एवं शान्त हृदय में क्रोध कैसे आ गया ? मैंने तो व्यर्थ ही दशरथ को शाप दे दिया। मेरे पुत्र का वध तो नियति के विधान के अनुसार दशरथ के हाथों ही होना था। फिर इसमें किसी का क्या दोष ?
वे श्रवणकुमार को जलांजलि देने के लिए उठते हैं, तभी दिव्य रूपधारी श्रवणकुमार कहता है
मैं प्रतिकृत हो गया आपकी सेवा परिचर्या कर तात।।
मुझे श्रेष्ठ पद मिला आज है पा आशीष तुम्हारा मात ॥
पुत्र-शोक में व्याकुल ऋषि-दम्पति रुदन करते-करते प्राण-त्याग देते हैं और सारथी द्वारा तैयार की गयी चिता में श्रवणकुमार एवं उसके पिता-माता तीनों के नश्वर शरीर भस्म हो जाते हैं।
नवम सर्ग : उपसंहार
नवम सर्ग में दशरथ दु:खी हृदय से अयोध्या लौट आते हैं। अपयश फैलेने के भय से वे वन की दुर्घटना किसी को भी नहीं बताते, किन्तु राम के वन-गमन के समय वे भावविह्वल होकर कौशल्या से यह सम्पूर्ण वृत्तान्त सुनाते हैं तथा पुत्र-वियोग में तड़पते हुए प्राण त्याग देते हैं।
प्रश्न 2.
श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के नायक (प्रमुख पात्र) श्रवणकुमार का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के आधार पर श्रवणकुमार की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ में वर्णित मातृ एवं पितृभक्ति का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ के किसी एक पात्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
या
“‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य का नायक वह आदर्श पात्र है जो युगों-युगों तक अनुकरणीय रहेगा।” इस कथन के आधार पर श्रवणकुमार का चरित्रांकन कीजिए।
या
वर्तमान सामाजिक एवं सांस्कृतिक संकट की बेला में श्रवणकुमार का चरित्र भावी युवा पीढ़ी का संवाहक बन सकता है। सतर्क उत्तर दीजिए।
या
“कुमार के चारु-चरित पर, संस्कार का प्रचुर प्रभाव।” कथन के आलोक में श्रवणकुमार के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
प्रश्न 3.
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के चरित्रों में देवोपम गुणों के साथ-साथ मानव-सुलभ दुर्बलताएँ भी दिखाई देती हैं। इस कथन के सम्बन्ध में अपने विचार लिखिए।
प्रश्न 4.
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के आधार पर दशरथ का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के आधार पर अयोध्या नरेश दशरथ की चारित्रिक विशेषताओं का सोदाहरण विवेचन कीजिए।
अपने इस कुकृत्य पर उन्हें अपने नहीं, अपने कुल के अपयश का दु:ख सता रहा है
हाय चलेगी युग युगान्त तक अब मेरी यह पाप कथा।।
ज़ो मुझको ही नहीं वंशजों को भी देगी मर्म व्यथा ॥
अपने द्वारा किये गये कर्म पर दु:खी होकर वे अन्ततः धरती माता से ही कह उठते हैं|
फटो धरणि, मैं समा सकें तुम करो ग्रहण, मम भाग्य जगे।
पर वसुन्धरे! मुझे शरण दे-तुम्हें न कहीं कलंक लगे ॥
निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि दशरथ का चरित्र महान् गुणों से विभूषित है जो कि प्रायश्चित्त और आत्म-ग्लानि की अग्नि में तपकर और भी शुद्ध हो गया है। कवि दशरथ का चरित्र-चित्रण करने में पूर्ण सफल रहा है।
प्रश्न 5.
पंचम एवं सप्तम सर्ग के आधार पर दशरथ के अन्तर्द्वन्द्व पर प्रकाश डालिए।
या
“‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के पंचम सर्ग में दशरथ के अन्तर्द्वन्द्वका व्यापक चित्रण है।” इस कथन को सोदाहरण प्रमाणित कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ में चित्रित महाराज दशरथ का मानसिक अन्तर्द्वन्द्व स्पष्ट कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य में प्रस्तुत महाराज दशरथ के मानसिक असमंजस का वर्णन कीजिए।
या
“दशरथ का अन्तर्द्वन्द्व ‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य की अनुपम निधि है।” इस उक्ति के आलोक में दशरथ का चरित्र-चित्रण कीजिए।
प्रश्न 6.
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के मार्मिक स्थलों का सोदाहरण निदर्शन कीजिए।
या
“‘श्रवणकुमार’ काव्य के अभिशाप सर्ग में करुण रस का सांगोपांग वर्णन है।” इस कथन की समीक्षा कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ के कथानक के मार्मिक स्थल की समीक्षा कीजिए।
यह सर्ग जहाँ काव्यगत विशेषताओं की दृष्टि से विशिष्ट है, वहीं यह अपने उदात्त विचारों एवं विश्लेषण के कारण भी विशिष्ट है। श्रवणकुमार के पिता पुत्रे-वध के कारण दशरथ के प्रति रोष में हैं, किन्तु उनके द्वारा अपराध की स्वीकृति कर लेने के कारण वे उनके प्रति सहानुभूति भी रखते हैं।
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