UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi छन्द
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4. कुण्डलिया
लक्षण (परिभाषा)-कुण्डलिया एक विषम मात्रिक छन्द है जो छ: चरणों का होता है। दोहे और रोले को क्रम से मिलाने पर कुण्डलिया बन जाता है। इसके प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ होती हैं। प्रथम चरण के प्रथम शब्द की अन्तिम चरण के अन्तिम शब्द के रूप में तथा द्वितीय चरण के अन्तिम अर्द्ध-चरण की तृतीय चरण के प्रारम्भिक अर्द्ध-चरण के रूप में आवृत्ति होती है; यथा—
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
नीचे लिखे पद्यों में निहित छन्द का नाम और परिभाषा (लक्षण) लिखिए
(क) बरबस लिये उठाइ उर, लायहु कृपानिधान ।
भरत राम को मिलनि लखि, बिसरे सबहि अपान ||
(ख) अब मया दिस्टि करि, नाह निठुर! घर आउ ।
मंदिर, ऊजर होत है, नव कै आड़ बसाउ ।।
(ग) नील सरोरुह स्याम, तरुन अरुन बारिज नयन |
करउ सो मम उर धाम, सदा छीर सागर सयन ।।
(घ) राम नाम मनि दीप धरि, जीह देहरी द्वार।।
तुलसी भीतर बाहिरौ, जो चाहसि उजियार ।।
(ङ) मंगल सगुन होहिं सब काहू। फरकहिं सुखद बिलोचन बाहू ।।
भरतहिं सहित समाज उछाहू। मिलिहहिं रामु मिटहि दुख दाह ।।
(च) निरखि सिद्ध साधक अनुरागे। सहज सनेह सराहन लागे ।।
होत न भूतल भाउ भरत को। अचर सचर चर अचर करत को ।।
(छ) राम सैल सोभा निरखि, भरत हुदन अति प्रेम् ।।
तापस तप फलु पाह जिमि, सुखी सिख नेम् ।।
(ज) सकल मलिन मन दीन दुखारी ।।
देखीं सानु आन अनुसारी ।।
(झ) समुझि मातु करजब सकुचाही। करत कुतरक कोटि मन माही।
रामु लखनु सिय सुनि मन जाऊँ। उठि जनि अनत जाहिं ताजिठाऊँ।।
(ञ) मंगल भवन अमंगलहारी। उमा सहित जेहिं जपत पुरारी ।।
उत्तर:
(क) दोहा
(ख) दोहा
(ग) सोरठा
(घ) दोहा
(ङ) चौपाई
(च) चौपाई
(छ) दोहा
(ज) चौपाई
(झ) चौपाई
(ज) चौपाई।
[संकेत–छन्दों की परिभाषा (लक्षण) के लिए ‘छन्द’ प्रकरण के अन्तर्गत सम्बन्धित छन्द का अध्ययन करें।]
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में कौन-सा छन्द है ? मात्राओं की गणना करके अपने कथन की पुष्टि कीजिए- :
(i) नील सरोरुह स्याम, तरुन अरुन वारिज नयन |
करहु सो मम उर धाम, सदाछीर सागर सयन ||
(ii) जून होत जग जनम भरत को। सकल धरम धुर धरनि धरत को।
(iii) मो सम दीन न दीन हित, तुम समान रघुवीर ।
अस बिचारि रघुबंस मनि, हरहु बिषम भवभीर ।।
(iv) यह वर माँगउ कृपा निकेता
बसहुँ हृदय श्री अनुज समेता ।।
(v) मंत्री गुरु अरु बैद जो, प्रिय बोलहिं भय आस ।।
राज, धरम, तन तीनि कर, होई बेगिही नास ।।
(vi) करौ कुबत जग कुटिलता, तर्जी न दीन दयाल ।
दुःखी होहुगे सरल हिय, बसत त्रिभंगीलाल ।।
(vii) श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि ।
बरनउ रघुवर, विमल जस, जो दायक फल चारि ।।
(vii) सुनि केवट के बैन, प्रेम लपेटे अटपटे ।
बिहँसे करुणा ऐन, चितै जानकी लखन तन ।।
(ix) रकत दुरा आँसू गरा, हाड़ भएउ सब संख।
धनि सारस होइ गरि मुई, पीउ समेटहि पंख
(x) बतरस-लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय ।
सिह करै भौहनि हँसै, दैन कहें नटि जाय ।।
उत्तर:
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(क) सोरठा, दोहा और चौपाई छन्दों में से किसी एक का उदाहरण लिखकर उसका लक्षण बताई।
(ख) दोहा और सोरठा का अन्तर स्पष्ट करते हुए सोरठा का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
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