UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 20 NITI Aayog, Five Year Plans: Aims and Achievements (नीति आयोग, पंचवर्षीय योजनाएँ-लक्ष्य तथा उपलब्धियाँ)
UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 20 NITI Aayog, Five Year Plans: Aims and Achievements (नीति आयोग, पंचवर्षीय योजनाएँ-लक्ष्य तथा उपलब्धियाँ)
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (6 अंक)
प्रश्न 1.
नीति आयोग से क्या तात्पर्य है? इसके प्रमुख उद्देश्य क्या हैं?
या
नीति आयोग की संरचना एवं उद्देश्य या कार्य बताइए।
उत्तर :
नीति आयोग 1950 ई० के दशक में अस्तित्व में आया योजना आयोग अब अतीत की बात हो गया है। इसके स्थान पर 1 जनवरी, 2015 से एक नई संस्था ‘नीति आयोग’ (राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान (National Institution for Transforming India)] अस्तित्व में आ गई है।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाला यह आयोग सरकार के बौद्धिक संस्थान के रूप में कार्य करेगा तथा केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों के लिए भी नीति निर्माण करने वाले संस्थान की भूमिका निभाएगा। यह आयोग केन्द्र व राज्य सरकारों को राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व के महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर रणनीतिक व तकनीकी सलाह भी देगा। इसके अलावा यह सरकार की पंचवर्षीय योजनाओं के भावी स्वरूप आदि के सम्बन्ध में सलाह भी देगा।
नीति आयोग की अधिशासी परिषद् (Goverming Council) में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों तथा केन्द्रशासित क्षेत्रों के उपराज्यपालों को शामिल किया गया है। इस प्रकार नीति आयोग का स्वरूप योजना आयोग की तुलना में अधिक संघीय बनाया गया है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले इस आयोग में एक उपाध्यक्ष व एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (Chief Executive Officer; CEO) का प्रावधान किया गया है। अमेरिका में स्थित कोलम्बिया विश्वविद्यालय में कार्यरत रहे। प्रो० अरविन्द पनगढ़िया को नवगठित आयोग का उपाध्यक्ष तथा योजना आयोग की सचिव रहीं सिंधुश्री खुल्लर को इसका प्रथम सीईओ (1 वर्ष के लिए) नियुक्त किया गया। इनके अलावा प्रसिद्ध अर्थशास्त्री विवेक देवराय व डी०आर०डी०ओ० के पूर्व प्रमुख वी०के० सारस्वत नीति आयोग के पूर्णकालिक सदस्य बनाए गए हैं जबकि 4 केन्द्रीय मन्त्री राजनाथ सिंह (गृह मंत्री), अरुण जेटली (वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री), सुरेश प्रभु (रेल मंत्री) तथा राधा मोहन सिंह (कृषि मंत्री) इस आयोग के पदेन सदस्य हैं। विशेष आमंत्रितों के रूप में तीन केन्द्रीय मन्त्रियों-नितिन गडकरी, स्मृति ईरानी व थावरचन्द गहलोत को इसमें शामिल किया गया है।
नीति आयोग के उद्देश्य अथवा कार्य
नीति आयोग के निम्नलिखित उद्देश्य हैं।
- राष्ट्रीय उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करेगा। नीति आयोग का विजन विकास को बल प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को राष्ट्रीय एजेंडा’ का प्रारूप उपलब्ध कराना है।
- महत्त्वपूर्ण हितधारकों तथा समान विचारधारा वाले राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय थिंक टैंक और साथ-ही-साथ शैक्षिक और नीति अनुसंधान संस्थानों के बीच भागीदारी को परामर्श और प्रोत्साहन देगा।
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, प्रैक्टिसनरों तथा अन्य हितधारकों के सहयोगात्मक समुदाय के जरिए ज्ञान, नवाचार, उद्यमशीलता सहायक प्रणाली तैयार करेगा।
- विकास के एजेंडे के कार्यान्वयन में तेजी लाने के क्रम में अन्तर-क्षेत्रीय और अन्तर-विभागीय मुद्दों के समाधान के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
- सशक्त राज्य ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। इस तथ्य की महत्ता को स्वीकार करते हुए राज्यों के साथ सतत आधार पर संरचनात्मक सहयोग की पहल और तन्त्र के माध्यम से सहयोगपूर्ण संघवाद को बढ़ावा देगा।
- ग्राम स्तर पर विश्वसनीय योजना तैयार करने के लिए तंत्र विकसित करेगा और इसे निरन्तर उच्च स्तर तक पहुँचाएगा।
- अत्याधुनिक कला संसाधन केन्द्र का निर्माण जो सुशासन तथा सतत और न्यायसंगत विकास की सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणाली पर अनुसंधान करने के साथ-साथ हितधारकों तक जानकारी पहुँचाने में भी सहायता करेगा।
- आवश्यक संसाधनों की पहचान करने सहित कार्यक्रमों और उपायों के कार्यान्वयन के सक्रिय मूल्यांकन और सक्रिय निगरानी की जाएगी ताकि सेवाएँ प्रदान करने में सफलता की सम्भावनाओं को प्रबल बनाया जा सके।
- कार्यक्रमों और नीतियों के क्रियान्वयन के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता निर्माण पर ध्यान देना।
- आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि जो क्षेत्र विशेष रूप से उसे सौंपे गए हैं, उनकी आर्थिक कार्य-नीति और नीति में राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को शामिल किया गया है अथवा नहीं।
- भारतीय समाज के उन वर्गों पर विशेष रूप से ध्यान देगा, जिन तक आर्थिक प्रगति का लाभ न पहुँच पाने का जोखिम होगा।
- रणनीतिक और दीर्घावधि के लिए नीति तथा कार्यक्रम का ढाँचा तैयार करेगा और पहल करेगा। साथ ही उनकी प्रगति और क्षमता की निगरानी करेगा। निगरानी और प्रतिक्रिया के आधार पर समय-समय पर संशोधन सहित नवीन सुधार किए जाएँगे।
- राष्ट्रीय विकास के एजेंडा और उपर्युक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अन्य आवश्यक गतिविधियाँ संपादित करना।
प्रश्न 2.
आर्थिक नियोजन का क्या आशय है? योजना आयोग को संगठन एवं कार्य बताइए।
या
आर्थिक नियोजन से क्या अभिप्राय है? भारत में योजनाबद्ध विकास के संगठन की विवेचना कीजिए।
उत्तर :
आर्थिक नियोजन
आर्थिक नियोजन को तात्पर्य यह है कि आर्थिक विकास की निश्चित योजना बनाकर राष्ट्रीय जीवन के सभी क्षेत्रों कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य व सामाजिक सेवाओं के सन्तुलित विकास का प्रयत्न किया जाए और इस बात का भी प्रबन्ध किया जाए कि इस विकास के लाभ न केवल कुछ ही व्यक्तियों अथवा वर्गों को वरन् सभी व्यक्तियों और वर्गों को प्राप्त हों। इस प्रकार निश्चित योजनाओं के माध्यम से आर्थिक विकास का जो प्रयत्न किया जाता है उसे ही आर्थिक नियोजन कहते हैं। नियोजित विकास को लागू करने वाला सबसे पहला देश सोवियत संघ है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सोवियत संघ से प्रभावित होकर संशोधित रूप में भारत में नियोजित विकास की धारणा को लागू किया है।
भारत का योजना आयोग
दिसम्बर, 1946 में के०सी० नियोगी की अध्यक्षता में स्थापित एक बोर्ड की सलाह पर 15 मार्च, 1950 को भारत सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा योजना आयोग का गठन किया गया। योजना आयोग एक संवैधानिक या विधिक संस्था न होकर एक कार्यकारी संस्था है। योजना आयोग का प्रथम अध्यक्ष तत्कालीन प्रधानमंत्री पं० जवाहरलाल नेहरू को बनाया गया। योजना आयोग की स्थापना के समय पाँच पूर्णकालिक सदस्य मनोनीत किए गए। देश का प्रधानमंत्री योजना आयोग का पदेन अध्यक्ष होता था। इसके उपाध्यक्ष एवं सदस्यों के लिए कोई निर्धारित योग्यता आधार नहीं था। साथ ही, उपाध्यक्ष एवं सदस्यों का कोई निश्चित न्यूनतम कार्यकाल नहीं होता। उल्लेखनीय है कि भारत द्वारा 1991 में आर्थिक उदारीकरण की नीति को लागू किया गया है। इस नीति के अन्तर्गत आर्थिक विकास में सरकारी क्षेत्र की भूमिका सीमित होती है। इसी आलोक में 1991 के बाद भारत में योजना रणनीति में भी परिवर्तन किया गया है तथा विस्तृत योजना के स्थान पर सांकेतिक योजना (Indicative Planning) की धारणा को अपनाया गया है। इसके अन्तर्गत दीर्घकालीन विकास लक्ष्यों के आलोक में सरकार द्वारा विकास को सुविधाजनक बनाने के प्रयास किये जाते हैं।
योजना आयोग के कार्य
- देश के भौतिक, अभौतिक, पूँजीगत एवं मानवीय संसाधनों का अनुमान लगाना।
- राष्ट्रीय संसाधनों का अधिकतम सम्भव विदोहन एवं प्रयोग के लिए रणनीति बनाना।
- प्राथमिकताओं का निर्धारण करना और इन प्राथमिकताओं के आधार पर योजना के उद्देश्य निर्धारित करके संसाधनों का आबंटन करना।
- योजना के सफल संचालन के लिए संभावित अवरोधों को दूर करने के उपाय सरकार को बताना।
- योजनावधि में विभिन्न चरणों पर योजना प्रगति का मूल्यांकन करना।
- समय-समय पर केन्द्रीय और राज्य सरकारों को आवश्यकता पड़ने पर परामर्श देना।
प्रश्न 3.
भारत में पंचवर्षीय योजनाओं की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
या
भारत के आर्थिक विकास में पंचवर्षीय योजनाओं के योगदान का परीक्षण कीजिए। [2016]
उत्तर :
भारत के आर्थिक विकास में पंचवर्षीय योजनाओं का योगदान
भारत के आर्थिक विकास में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के योगदान को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है।
1. विकास दर – आर्थिक प्रगति का महत्त्वपूर्ण मापदण्ड विकास की दर के लक्ष्य की प्राप्ति है। पहली योजना में आर्थिक विकास की दर 3.6% थी, जो बढ़कर दसवीं योजना में 7.80% हो गई, जबकि 12वीं योजना 2012-17 के लिए 9.0% का लक्ष्य रखा गया है।
2. राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय – योजनाकाल में राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई है। भारत में 1950-51 ई० में चालू मूल्यों के आधार पर शुद्ध राष्ट्रीय आय ₹ 9,142 करोड़ थी, जोकि 2009-10 ई० में बढ़कर ₹ 51,88,361 करोड़ तथा 2015-16 ई० में बढ़कर ₹ 119.62 करोड़ हो गई जबकि प्रति व्यक्ति आय ₹ 255 से बढ़कर ₹ 93,231 हो गई अर्थात् राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय में निरन्तर वृद्धि हुई है।
3. कृषि उत्पाद – योजनाकाल में कृषि उत्पादन में तीव्र गति से वृद्धि हुई है। सन् 1950-51 ई० में खाद्यान्नों का कुल उत्पादन मात्र 50.8 मिलियन टन था, जो 2015-16 ई० में बढ़कर 253.16 मिलियन टन हो गया।
4. औद्योगिक उत्पादन – योजनाकाल में औद्योगिक उत्पादन में तीव्र गति से वृद्धि हुई। 1950 51 ई० में, 1993-94 ई० की कीमतों पर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 7.9 था जो बढ़कर 167 हो गया।
5. बचत एवं विनियोग – योजनाकाल में भारत में बचत एवं विनियोग की दरों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। चालू मूल्य पर सकल राष्ट्रीय आय के प्रतिशत के रूप में 1950-51 ई० में सकल विनियोग और बचत की दरें क्रमशः 10.4% और 9.3% थी, जो कि 2009-10 ई० में क्रमशः 31.0% और 27.2% हो गई।
6. यातायात एवं संचार – यातायात एवं संचार क्षेत्रों में योजनाकाल में उल्लेखनीय प्रगति हुई। 1950-51 ई० में रेलवे लाइनों की लम्बाई 53,600 किमी से बढ़कर 67,312 किलोमीटर हो गई और रेलवे द्वारा ढोए जाने वाले माल की मात्रा 9.3 मि० टन से बढ़कर 887.89 मि० टन । हो गई। वर्ष 2015 में रेलवे द्वारा लगभग 914.8 मि०टन माल ढोया गया। सड़कों की लम्बाई 1,57,000 किमी से बढ़कर 38 लाख किमी हो गई। जहाजरानी की क्षमता 3.9 लाख G.R.T. से बढ़कर 31 लाख G.R.T. हो गई। हवाई परिवहन, बन्दरगाहों की स्थिति और अन्तर्देशीय जल परिवहन का भी विकास किया गया। संचार-व्यवस्था के अन्तर्गत विकास के क्षेत्रों में डाकखानों, टेलीफोन, टेलीग्राफ, रेडियो-स्टेशन एवं प्रसारण-केन्द्रों की संख्या में भी पर्याप्त वृद्धि हुई।
7. शिक्षा – योजनाकाल में शिक्षा का भी व्यापक प्रसार हुआ है। इस अवधि में स्कूलों की संख्या 2,30,683 से बढ़कर 8,21,988 तथा विश्वविद्यालयों और विश्वविद्यालय स्तर की संस्थाओं की संख्या 27 से बढ़कर 306 हो गई है। भारत की साक्षरता की दर 1951 ई० में 16.7% थी जोकि 2011 ई० की जनगणनानुसार 73% हो गई। 11वीं पंचवर्षीय योजनाकाल के मध्य में शिक्षा को मूल अधिकारों में शामिल कर 6 से 14 वर्ष तक की उम्र के बालक-बालिकाओं को अब निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराना राज्य को संवैधानिक दायित्व हो गया है।
8. विद्युत उत्पादन क्षमता – योजनाकाल में विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। प्रथम योजना के आरम्भ में भारत में विद्युत उत्पादन क्षमता मात्र 2.3 हजार मेगावाट थी, जो 2011 में एक लाख मेगावाट से भी अधिक हो गई और हर वर्ष इसमें निरन्तर वृद्धि हो रही है। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 1950-51 में विद्युत सुविधा मात्र 3,000 गाँवों में उपलब्ध थी, जोकि वर्ष 2010 के अन्त में लगभग 7 लाख गाँवों में उपलब्ध हो गई।
9. बैंकिंग संरचना – प्रथम योजना के आरम्भ में देश में बैंकिंग क्षेत्र अपर्याप्त और असन्तुलित था, परन्तु योजनाकाल में और विशेष रूप से बैंकों के राष्ट्रीयकरण के पश्चात् देश की बैंकिंग संरचना में उल्लेखनीय परिवर्तन हुए हैं। 30 जून, 1969 को व्यापारिक बैंकों की शाखाओं की संख्या 8,262 थी, जो दिसम्बर, 2009 में बढ़कर 82,511 हो गई।
10. स्वास्थ्य सुविधाएँ – योजनाकाल में देश में स्वास्थ्य सुविधाओं में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई। टी०बी० कुछ महामारियों आदि के उन्मूलन तथा परिवार कल्याण कार्यक्रमों में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई। आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों पर काफी अंकुश लगाना सम्भव हुआ है। राष्ट्रीय कैंसर नियन्त्रण कार्यक्रम में अच्छे नतीजे सामने आए हैं।
11. खाद्य अपमिश्रण रोकथाम – खाद्य पदार्थों में मिलावट को रोकने के लिए 1954 ई० से कार्यक्रम हर पंचवर्षीय योजना में चलाया जा रहा है। आठवीं योजना के दौरान इस कार्यक्रम में बड़ी सफलता मिली लेकिन दसवीं व ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजनाओं के कालखण्ड में मिलावट करने के नए-नए तरीके ढूंढ़ लिए गए विशेष रूप से दूध व मावे के पदार्थों में मिलावट की समस्या गम्भीर व खतरनाक स्तर तक बढ़ चुकी है। खाद्य पदार्थों में मिलावटी अपमिश्रण को रोकने के लिए खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम (1954 का 37) में तीन बार संशोधन किया जा चुका है। मिलावट करने वाले और ऐसा सामान बेचने वालों के खिलफ कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए 11वीं पंचवर्षीय योजना में राज्य पुलिस बल को अधिक कारगर कानूनी अधिकारों से सुसज्जित किया गया।
प्रश्न 4.
भारत की नवीं पंचवर्षीय योजना की विवेचना कीजिए।
या
नवीं पंचवर्षीय योजना का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर :
नवीं पंचवर्षीय योजना (1 अप्रैल, 1997 से 31 मार्च, 2002)
भारत में आर्थिक नियोजन 1 अप्रैल, 1951 से प्रारम्भ हुआ। 1 अप्रैल, 1997 से नवीं पंचवर्षीय योजना प्रारम्भ हुई थी। इस योजना का कार्यकाल 31 मार्च, 2002 को समाप्त हो गया है।
इस योजना का प्रारम्भिक प्रारूप तत्कालीन योजना आयोग उपाध्यक्ष मधु दण्डवते ने 1 मार्च, 1998 को जारी किया था, जिसे भाजपा सरकार ने संशोधित किया। संशोधित प्रारूप में निहित उद्देश्य, विभिन्न क्षेत्रों के सम्बन्ध में लक्ष्य आदि अग्रलिखित थे –
योजना के उद्देश्य
इस योजना के निम्नलिखित उद्देश्य स्वीकार किये गये थे –
- पर्याप्त उत्पादक रोजगार पैदा करना और गरीबी उन्मूलन की दृष्टि से कृषि और विकास को प्राथमिकता देना।
- मूल्यों में स्थायित्व लाना और आर्थिक विकास की गति को तेज करना।
- सभी लोगों को भागीदारी के विकास के माध्यम से विकास प्रक्रिया की पर्यावरणीय क्षमता सुनिश्चित करना।
- जनसंख्या-वृद्धि को नियन्त्रित करना।
- सभी के लिए भोजन व पोषण एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना, लेकिन समाज के कमजोर वर्गों पर विशेष ध्यान देना।
- समाज को मूलभूत न्यूनतम सेवाएँ प्रदान करना तथा समयबद्ध तरीके से उनकी आपूर्ति सुनिश्चित करना; विशेष रूप से पेय जल, प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा व आवास सुविधा के सम्बन्ध में।
- महिलाओं तथा सामाजिक रूप से कमजोर वर्गो-अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों व अन्य पिछड़ी जातियों एवं अल्पसंख्यकों को शक्तियाँ प्रदान करना, जिससे कि सामाजिक परिवर्तन लाया जा सके।
- पंचायती राज संस्थाओं, सहकारी संस्थाओं को बढ़ावा देना और उनका विकास करना।
- आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के प्रयासों को मजबूत करना।
इस प्रकार नौवीं योजना का प्रमुख उद्देश्य ‘न्यायपूर्ण वितरण और समानता के साथ विकास (Growth with Equity and Distributive Justice) करना था। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित चार बातें चिह्नित की गयी थीं –
1. गुणवत्तायुक्त जीवन – इसके लिए गरीबी उन्मूलन व न्यूनतम प्राथमिक सेवाएँ (स्वच्छ पेय जल, प्राथमिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा व आवास) उपलब्ध कराने के प्रयास किये जाएँगे।
2. रोजगार संवर्द्धन – रोजगार के अवसर बढ़ाये जाएँगे। कार्य की दशाएँ सुधारी जाएँगी। श्रमिकों को कुल उत्पादन में न्यायोचित हिस्सा दिया जाएगा।
3. क्षेत्रीय सन्तुलन – नौवीं योजना में क्षेत्रीय सन्तुलन को कम किया जाएगा। सार्वजनिक क्षेत्र में उन राज्यों में अधिक निवेश किया जाएगा, जो अपेक्षाकृत कम साधन वाले राज्य हैं। पिछड़े राज्यों या क्षेत्रों में औद्योगीकरण की प्रक्रिया तेज की जाएगी।
4. आत्मनिर्भरता – नौवीं योजना में निम्नलिखित क्षेत्रों को आत्मनिर्भरता के लिए चुना गया है
- भुगतान सन्तुलन सुनिश्चित करना।
- विदेशी ऋण-भार में कमी लाना।
- गैर-विदेशी आय को बढ़ावा देना।
- खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना।
- प्राकृतिक साधनों का समुचित उपयोग करना।
- प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता प्राप्त करना।
प्रमुख विकास दरें
नौवीं योजना में विकास के लिए विभिन्न क्षेत्रों में लक्ष्य निम्नलिखित रूप में निर्धारित किये गये थे –
विकास दर : सकल घरेलू उत्पादन (GDP) की 6.5 प्रतिशत
कृषि विकास दर : 3.9 प्रतिशत
खनन विकास दर : 7.2 प्रतिशत
विनिर्माण विकास दर : 8.2 प्रतिशत
विद्युत विकास दर : 9.3 प्रतिशत
सेवा क्षेत्र विकास दर : 6.5 प्रतिशत
घरेलू बचत दर : 26.1 प्रतिशत
उत्पादन निवेश दर : 28.2 प्रतिशत
निर्यात वृद्धि दर : 11.8 प्रतिशत
आयात वृद्धि दर : 10.8 प्रतिशत
चालू खाता घाटा : 2.1 प्रतिशत
प्रश्न 5.
दसवीं पंचवर्षीय योजना का संक्षिप्त विवरण देते हुए इसकी प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
दसवीं पंचवर्षीय योजना
राष्ट्रीय विकास परिषद् ने 21 दिसम्बर, 2002 को दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-07) को स्वीकृति दी। इस योजना में परिषद् के निर्देशों को और बेहतर करने का फैसला किया गया। परिषद् का निर्देश दस वर्ष में प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करना तथा प्रतिवर्ष घरेलू उत्पाद की दर आठ प्रतिशत हासिल करने का था। चूंकि आर्थिक विकास ही एक मात्र लक्ष्य नहीं होता है, इसलिए इस योजना का लक्ष्य आर्थिक विकास के लाभ से आम लोगों की जिन्दगी को बेहतर बनाने के लिए ये उद्देश्य निश्चित किये गये हैं-2007 तक गरीबी का अनुपात 26 प्रतिशत से घटाकर 21 प्रतिशत करना, जनसंख्या विकास की दर को (प्रति दस वर्ष) 1991-2001 के 21 प्रतिशत से घटाकर 2001-2011 में 16.2 प्रतिशत करना, लाभप्रद रोजगार की व्यवस्था कम-से-कम श्रम-शक्ति में हो रही वृद्धि के अनुपात में करना, सभी बच्चों को 2003 ई० तक स्कूलों में दाखिल करना और 2007 ई० तक सभी बच्चों की स्कूली पढ़ाई के पाँच साल पूरा करना, साक्षरता और मजदूरी के मामले में फर्क 50 प्रतिशत तक घटाना, साक्षरता की दर वर्ष 1999-2000 के 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 2007 ई० तक 75 प्रतिशत तक पहुँचाना, सभी गाँवों में पेयजल पहुँचाना, शिशु मृत्यु-दर वर्ष 1999-2000 के 72 से घटाकर 2007 ई० तक 45 तक पहुँचाना, प्रसूति मृत्यु-दर को वर्ष 1999-2000 के चार से घटाकर 2007 ई० तक दो तक पहुँचाना, वानिकीकरण में वर्ष 1999-2000 के 19 प्रतिशत से बढ़ाकर 2007 ई० में 25 प्रतिशत तक पहुँचाना और नदियों के प्रमुख प्रदूषण स्थलों की सफाई कराना। दसवीं योजना की कई नयी विशेषताएँ हैं, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं –
सर्वप्रथम इस योजना में श्रम-शक्ति के तीव्र विकास को स्वीकार किया है। विकास की मौजूदा दर और उत्पादन के क्षेत्र में मजदूरों की बढ़ती संख्या को देखते हुए देश में बेरोजगारी की सम्भावना बढ़ती जा रही है, जिससे सामाजिक अस्थिरता पैदा हो सकती है। इसीलिए दसवीं योजना में रोजगार के पाँच करोड़ अवसर सृजित करने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके लिए कृषि, सिंचाई, कृषिवानिकी, लघु एवं मध्यम उद्योग सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी तथा अन्य सेवाओं के रोजगारपरक क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
द्वितीयत: इस योजना में गरीबी और सामाजिक रूप से पिछड़ेपन के मुद्दों पर ध्यान दिया गया है। हालांकि पहले की योजनाओं में भी ये लक्ष्य रहे हैं, पर इस योजना में विशेष लक्ष्य रखे गये हैं। जिन पर विकास के लक्ष्यों के साथ ही निगरानी रखने की व्यवस्था है।
तृतीयतः चूँकि राष्ट्रीय लक्ष्य सन्तुलित क्षेत्रीय विकास के स्तर पर अनिवार्यतः लागू नहीं हो पाते और हर साल की क्षमता और कमियाँ अलग-अलग होती हैं, इसलिए दसवीं योजना में विकास की अलग-अलग कार्यनीति अपनायी गयी हैं। पहली बार राज्यवार विकास के और अन्य लक्ष्य इस तरह तय किये गये हैं जिनकी निगरानी रखी जा सके और इसके लिए राज्यों से भी सलाह ली गयी है जिससे उनकी अपनी विकास योजनाओं को विशेष महत्त्व दिया जा सके।
इस योजना की एक और विशेषता इस बात को महत्त्व देना है कि योजना को ज्यों-का-त्यों लागू करने में प्रशासन एक महत्त्वपूर्ण कारक होता है। इसलिए इस योजना में प्रशासनिक सुधार की एक सूची तय की गयी है।
अन्ततः, मौजूदा बाजारोन्मुखी अर्थव्यवस्था को देखते हुए दसवीं योजना में उन नीतियों और संस्थाओं के स्वरूप पर विस्तार से विचार किया गया है जो जरूरी होंगी। दसवीं योजना में न सिर्फ एक मध्यावधि व्यापक आर्थिक नीति केन्द्र और राज्य दोनों के लिए अत्यन्त सतर्कतापूर्वक तैयार की गयी है, बल्कि हर क्षेत्र के लिए जरूरी नीति और संस्थागत सुधारों को निर्धारित किया गया है।
अर्थव्यवस्था में विर्गत पूँजी के अनुपात में वृद्धि को नौवीं योजना में 4.5 से घटाकर 3.6 होने का अनुमान है। यह उपनिधि मौजूदा क्षमता के बेहतर उपयोग और पूंजी के क्षेत्रवार समुचित प्रावधान और इसके अधिकतम उपयोग के जरिए सम्भव होगी। इसलिए विकास का लक्ष्य हासिल करने के लिए सकल घरेलू उत्पादन के 28.4 प्रतिशत के निवेश दर की आवश्यकता होगी। यह आवश्यकता सकल घरेलू उत्पादन में 26.8 प्रतिशत की बचत और 1.6 प्रतिशत की बाहरी बचत से पूरी की जाएगी अतिरिक्त घरेलू बचत का अधिकतम सरकार में बचत घटे को वर्ष 2001-02 के 4.5 से वर्ष 2006-07 में 0.5 तक कम करके प्राप्त किया जा सकता है।
दसवीं योजना में क्षमता बढ़ाने, उद्यमी ऊर्जा को उन्मुक्त करने तथा तीव्र और सतत विकास को बढ़ावा देने के उपायों का भी प्रस्ताव दिया गया है। दसवीं योजना में कृषि को केन्द्रीय महत्त्व दिया गया है। कृषि क्षेत्र में किये जाने वाले मुख्य सुधार इस प्रकार हैं-वाणिज्य और व्यापार में अन्तर्राज्यीय बाधाओं को दूर करना, आवश्यक उपभोक्ता वस्तु अधिनियम में संशोधन करने, कृषि उत्पाद विपणन कानून में संशोधन, कृषि व्यापार, कृषि उद्योग और निर्यात का उदारीकरण होने पर खेती को प्रोत्साहित करना और कृषि भूमि का पट्टे पर देने और लेने की अनुमति देने, खाद्य क्षेत्र से सम्बन्धित विभिन्न कानूनों को एक व्यापक ‘खाद्य कानून में बदलना, सभी वस्तुओं में वायदा व्यापार को अनुमति तथा भण्डारण और व्यापार के पूँजी-निवेश पर प्रतिबन्धों को हटाना।
सुधार के कुछ अन्य प्रमुख उपायों में एसआईसीए को निरस्त करना और परिसम्पत्ति के हस्तान्तरण को सुगम बनाने के लिए दिवालिया घोषित करने और फोर क्लोजर के कानूनों को मजबूत करना, श्रम कानूनों में सुधार, ग्राम और लघु उद्योग क्षेत्रों की नीतियों में सुधार तांकि बेहतर ऋण प्रौद्योगिकी, विपणन और कुशल कारीगरों की उपलब्धता सम्भव हो, विद्युत विधेयक का शीघ्र कार्यान्वयन, कोयला राष्ट्रीयकरण संशोधन विधेयक और संचार समरूप विधेयक में संशोधन, निजी सड़क परिवहन यात्री सेवा को मुक्त करना तथा सड़क की मरम्मत आदि में निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करना, नागरिक उड्डयन नीति को शीघ्र मंजूरी देना, इस क्षेत्र को शीघ्र विनियमित करना और प्रमुख हवाई अड्डों पर निजी भागीदारी के जरिए विकास शामिल है। बढ़ता क्षेत्रीय असन्तुलन भी चिन्ता का विषय है। दसवीं योजना में सन्तुलित और समान क्षेत्रीय विकास का लक्ष्य तय किया गया है। इस पर आवश्यक ध्यान देने के लिए योजनाओं में राज्यवार लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं। तत्काल नीतिगत और प्रशासनिक सुधारों की जरूरत को भी स्वीकृति दे दी गयी है।
शासन व्यवस्था योजनाओं को लागू करने में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारक होता है। इस दिशा में कुछ आवश्यक उपाय इस प्रकार है–बेहतर जन भागीदारी, खासतौर पर पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों को मजबूत बनाकर, नागरिक समाज को शामिल करना, खासतौर पर स्वैच्छिक संगठनों को विकास में भागीदारी की भावना बनाकर, सूचना के अधिकार सम्बन्धी कानून को लागू करना, पारदर्शिता, क्षमता और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देने के लिए लोक सेवाओं में सुधार, कार्यकाल को संरक्षण, पुरस्कृत और दण्डित करने की बेहतर और समान व्यवस्था, सरकार के आकार और उसकी भूमिका को ठीक करना, राजस्व और न्यायिक सुधार तथा अच्छे प्रशासन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग।
लघु उत्तरीय प्रश्न (शब्द सीमा : 150 शब्द) (4 अंक)
प्रश्न 1.
नीति आयोग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
नीति आयोग शब्द ‘नेशनल इन्स्टीट्यूट फॉर ट्रांस्फांर्मिंग इंडिया का संक्षिप्त रूप है। नीति आयोग का गठन योजना आयोग के स्थान पर किया गया है, जो 1 जनवरी, 2015 को गठित किया गया। योजना आयोग के समान ही नीति आयोग का अध्यक्ष भी प्रधानमंत्री ही होता है। नीति आयोग का गठन इस प्रकार होगा –
नीति आयोग के थिंक टैंक के रूप में स्थापित किया गया है, जो राष्ट्रीय उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए उनकी सक्रिय भागीदारी के साथ विकास प्राथमिकताओं क्षेत्रों और राजनीतियों का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करेगा।
प्रश्न 2.
योजना क्या है ? इसका क्या महत्त्व है ? [2012]
या
भारत के योजना आयोग पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
स्वतन्त्रता-प्राप्ति के पश्चात् अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने देश के सामाजिक विकास की भावी रूपरेखा तैयार करने के लिए, नवम्बर, 1947 ई० में पण्डित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में आर्थिक कार्यक्रम समिति गठित की थी। इस समिति ने 25 जनवरी, 1948 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें एक स्थायी योजना अयिोग की स्थापना की सिफारिश की गयी। इस सुझाव के अनुरूप भारत सरकार के 15 मार्च, 1950 के एक सुझाव के अनुसार योजना आयोग की स्थापना की गयी।
प्रस्ताव में समाजवादी ढाँचे पर नवीन आर्थिक व्यवस्था की स्थापना में सरकार की सहायता के लिए योजना आयोग के महत्त्व को स्वीकार किया गया। प्रस्ताव में यद्यपि ‘समाजवाद’ शब्द का प्रयोग नहीं किया गया, परन्तु निहितार्थ यही था। यह माना गया कि योजना आयोग की सरकार के लिए सलाहकारी भूमिका होगी। उक्त प्रस्ताव के अनुच्छेद 6 में स्पष्ट किया गया कि योजना आयोग अपनी संस्तुति केन्द्रीय मन्त्रालय को देगा। योजना बनाने और संस्तुतियाँ तैयार करने में यह केन्द्र सरकार के मन्त्रियों और राज्य सरकारों से निकट का सम्पर्क बनाये रखेगा। संस्तुतियों को लागू करने का दायित्व राज्य सरकारों का होगा। इन अपेक्षाओं के साथ सरकार ने देश के समस्त संसाधनों और आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर विकास का एक ढाँचा तैयार करने के लिए 15 मार्च, 1950 को योजना आयोग की स्थापना की।
प्रश्न 3.
नीति आयोग तथा योजना आयोग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
योजना आयोग और नीति आयोग में अन्तर
नीति आयोग राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व के विभिन्न नीतिगत मुद्दों पर केन्द्र और राज्य सरकारों को जरूरी रणनीतिक व तकनीकी परामर्श देगा। साथ ही, इसमें मुख्यमन्त्रियों और निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को भी महत्त्व दिया जाएगा। इसके विपरीत योजना आयोग की प्रकृति केन्द्रीयकृत थी, साथ ही उसमें कभी मुख्यमन्त्रियों की सलाह नहीं ली जाती थी। मुख्यमन्त्रियों को यदि कभी सुझाव देना भी होता था, तो वे विकास समिति को देते थे और जिनकी समीक्षा के बाद योजना आयोग को उस बाबत जानकारी दी जाती थी। इसके अलावा, उसमें निजी क्षेत्र की कोई भागीदारी नहीं थी। नीति आयोग में देश भर के शोध संस्थानों और विश्वविद्यालय से व्यापक स्तर पर परामर्श लिए जाएँगे तथा विश्वविद्यालय और शोध संस्थानों के प्रतिनिधियों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। योजना आयोग में ऐसा कुछ भी नहीं था। शायद इसलिए कभी दिवंगत प्रधानमन्त्री राजीव गांधी ने योजना आयोग को जोकरों का समूह कहा था। हालाँकि उन्होंने इसे भंग करने की कोई कोशिश नहीं की।
प्रश्न 4.
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012)
भारत की ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) के दृष्टिकोण-पत्र को राष्ट्रीय विकास परिषद् ने 9 दिसम्बर, 2006 को स्वीकृति प्रदान की। योजना (2007-2012) के निर्धारित लक्ष्य निम्नलिखित हैं –
- जीडीपी वृद्धि दर का लक्ष्य बढ़ाकर 9 प्रतिशत कर दिया गया।
- वर्ष 2016-17 तक प्रति व्यक्ति आय दोगुनी हो जायेगी।
- 7 करोड़ नए रोजगार का सृजन किया जायेगा।
- शिक्षित बेरोजगार दर को घटाकर 5 प्रतिशत से कम कर दिया जायेगा।
- वर्तमान में स्कूली बच्चों के पढ़ाई छोड़ने की दर 52 प्रतिशत है, इसे घटाकर 20 प्रतिशत किया जायेगा।
- साक्षरता दर में वृद्धि कर 75 प्रतिशत तक पहुँचाना।
- जन्म के समय नवजात शिशु मृत्यु दर को घटाकर 28 प्रति हजार किया जायेगा।
- मातृ मृत्यु दर को घटाकर प्रति हजार जन्म पर 1 करने का लक्ष्य।
- सभी के लिए वर्ष 2009 तक स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना।
- लिंगानुपात दर को सुधारते हुए वर्ष 2011-12 तक प्रति हजार 935 और वर्ष 2016-17 तक 950 प्रति हजार करने का लक्ष्य।
- वर्ष 2009 तक सभी गाँवों एवं गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों तक बिजली पहुँचाई जायेगी।
- नवम्बर, 2007 तक प्रत्येक गाँव में दूरभाष की सुविधा उपलब्ध होगी।
- वर्ष 2011-12 तक प्रत्येक गाँव को ब्रॉडबैंड से जोड़ दिया जायेगा।
- वर्ष 2009 तक 1,000 की जनसंख्या वाले गाँवों को सड़क की सुविधा होगी।
- वनीकरण की अवस्था में 5 प्रतिशत की वृद्धि की जायेगी।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित स्वच्छ वायु के मापदण्डों को लागू किया जायेगा।
- नदियों की सफाई के क्रम में शहरों से प्रदूषित जल का उपचार किया जायेगा।
- गरीबी अनुपात को 15 प्रतिशतांक तक घटाया जायेगा।
- दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर को वर्ष 2001-2011 के बीच 16.2 प्रतिशत तक घटाकर लाना। 2011 की जनगणना के आँकड़ों के अनुसार 2001-11 के मध्य जनसंख्या वृद्धि की
- दर 17.64 रही है जो कि 11वीं योजना के लक्ष्य से पीछे है।
प्रश्न 5.
बारहवीं पंचवर्षीय योजना के प्रस्तावित प्रारूप पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
बारहवीं पंचवर्षीय योजना (2012-17)
राष्ट्रीय विकास परिषद् (एन०डी०सी०) ने 2012-17 तक चलने वाली 12वीं योजना को मंजूरी दे दी है। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में 27 दिसम्बर, 2012 को 57वीं एन०डी०सी० की बैठक में यह योजना दी गई। इस योजना में वृद्धि का लक्ष्य 8.2 फीसदी से घटाकर 8.0 फीसदी किया गया है। योजना के पाँच साल में पाँच करोड़ रोजगार के अवसर पैदा करने और बिजली, सड़क, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं में निवेश बढ़ाने पर जोर दिया गया है। योजना दस्तावेज में कृषि, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास के क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है। 12वीं योजना में केन्द्र का सकल योजना आकार ₹ 43,33,739 रहने का अनुमान है, जबकि राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों को सफल योजना व्यय ₹ 37,16000 करोड़ प्रस्तावित है।
इससे पहले 12वीं योजना के दृष्टिकोण-पत्र में 9.0 फीसदी आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य रखने का सुझाव था। लेकिन वैश्विक आर्थिक चिन्ताओं और घरेलू अर्थव्यवस्था में गहराती सुस्ती के चलते सितम्बर 2012 में इसे कम करके 8.2 फीसदी कर दिया गया था। चालू वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान आर्थिक वृद्धि 5.7 से 5.9 फीसदी के दायरे में रहने का अनुमान लगाया गया है। पिछले एक दशक में यह सबसे कम आर्थिक वृद्धि होगी।
12 वीं योजना के लक्ष्य
- सरकारी कामकाज के ढंग सुधारे जाएँगे इसके लिए सरकारी कार्यक्रम नए सिरे से तय किए जाएँगे।
- शत-प्रतिशत वयस्क साक्षरता हासिल करने का लक्ष्य।
- स्वास्थ्य और शिक्षा पर फोकस किया जाएगा, स्वास्थ्य पर खर्च को जीडीपी के 1.3 से
- बढ़ाकर 2.0-2.5 फीसदी किया जाएगा। ० एफडीआई नीति को उदार बनाकर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नई गति प्रदान करने पर जोर दिया जायेगा।
प्रश्न 6.
राष्ट्रीय विकास परिषद् (NDC) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
या
राष्ट्रीय विकास परिषद् के प्रमुख कार्य बताइए।
उत्तर :
राष्ट्रीय विकास परिषद् (NDC)
6 अगस्त, 1952 को नियोगी समिति की संस्तुति पर सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा राष्ट्रीय विकास परिषद् का गठन किया गया। यह एक गैर-सांविधिक निकाय है। प्रधानमंत्री इस परिषद् के पदेन अध्यक्ष होते हैं। राष्ट्रीय विकास परिषद् की स्थापना योजना आयोग की सलाह पर की गयी थी। राष्ट्रीय विकास परिषद् के अनुमोदन के उपरान्त ही कोई पंचवर्षीय योजना अन्तिम रूप प्राप्त करती है। यह एक गैर-सांविधिक निकाय है जिसका उद्देश्य राज्यों और योजना आयोग के बीच सहयोग का वातावरण बनाकर आर्थिक नियोजन को सफल बनाना है। वर्तमान समय में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्रिपरिषद् के सभी सदस्य, केन्द्रशासित प्रदेशों के प्रशासक तथा योजना आयोग के सभी सदस्य राष्ट्रीय विकास परिषद् के पदेन सदस्य होते हैं। राष्ट्रीय विकास परिषद् (NDC) के प्रमुख कार्य हैं –
- योजना आयोग को प्राथमिकताएँ निर्धारण में परामर्श देना।
- योजना के लक्ष्यों के निर्धारण में योजना आयोग को सुझाव देना।
- योजना को प्रभावित करने वाले आर्थिक एवं सामाजिक घटकों की समीक्षा करना।
- योजना आयोग द्वारा तैयार की गई योजना का अध्ययन करके उसे अन्तिम रूप देना तथा स्वीकृति प्रदान करना।
- राष्ट्रीय योजना के संचालन का समय-समय पर मूल्यांकन करना।
लघु उत्तरीय प्रश्न (शब्द सीमा : 50 शब्द) (2 अंक)
प्रश्न 1.
आर्थिक नियोजन का क्या अर्थ है?
उत्तर :
एक निश्चित समय में पूर्व-निर्धारित उद्देश्यों व लक्ष्यों की पूर्ति के लिए अपनाये गये कार्यक्रमों को आर्थिक नियोजन अथवा विकास योजनाएँ कहते हैं। विकास योजनाओं के अन्तर्गत भावी विकास के उद्देश्यों को निर्धारित किया जाता है और उनकी प्राप्ति के लिए आर्थिक क्रियाओं का एक केन्द्रीय सत्ता द्वारा नियमन व संचालन होता है। अलग-अलग क्षेत्रों; जैसे-कृषि उद्योग, सेवा आदि के लिए लक्ष्य निर्धारित किये जाते हैं। इन लक्ष्यों को एक निश्चित अवधि में पूरा करने के लिए राष्ट्र के दुर्लभ साधनों के प्रयोग की एक ‘व्यूह-रचना’ तैयार की जाती है। इस व्यूह-रचना के विभिन्न कार्यक्रमों को एक केन्द्रीय सत्ता की देख-रेख में इस प्रकार क्रियान्वित किया जाता है। कि दुर्लभ साधनों का सर्वोत्तम उपयोग हो और निश्चित लक्ष्यों की प्राप्ति हो सके।
संक्षेप में, “आर्थिक नियोजन से अभिप्राय, एक केन्द्रीय सत्ता द्वारा देश में उपलब्ध प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधनों का सन्तुलित ढंग से, एक निश्चित अवधि के अन्तर्गत निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति करना है जिससे देश का तीव्र आर्थिक विकास किया जा सके।
प्रश्न 2
योजना आयोग के चार कार्य बताइए। [2008, 14]
उत्तर :
विकास कार्यों की परामर्शदात्री संस्था के रूप में योजना आयोग एक शीर्षस्थ संस्था है। 15 मार्च, 1950 को किये गये प्रस्ताव के अनुसार देश के सामाजिक विकास के सन्दर्भ में योजना आयोग के चार कार्यों का उल्लेख निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है –
- संसाधनों का अनुमान करना – योजना आयोग का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्य देश में उपलब्ध पदार्थगत, पूँजीगत और मानवीय संसाधनों का अनुमान करना है।
- संसाधनों का सन्तुलित उपयोग – योजना आयोग संसाधनों के प्रभावी और सन्तुलित उपयोग के लिए योजनाएँ बनाता है।
- प्राथमिकताओं का निर्धारण – योजना आयोग विभिन्न विकास/कार्यक्रमों की प्राथमिकता का निर्धारण करता है जिससे राष्ट्रीय आवश्यकता के अनुरूप विकास के लिए विभिन्न वरीयता प्राप्त क्षेत्रों का त्वरित विकास किया जा सके।
- विकास के बाधक तत्त्वों का आकलन – योजना आयोग आर्थिक विकास के विभिन्न बाधक तत्त्वों की जानकारी कराता है और उसके निराकरण के उपाय खोजता है।।
प्रश्न 3.
भारत में पंचवर्षीय योजनाओं के चार प्रमुख उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। [2013]
या
पंचवर्षीय योजनाओं के चार प्रमुख उद्देश्य बताइए।
उत्तर :
पंचवर्षीय योजनाओं के चार प्रमुख उद्देश्य निम्नवत् हैं –
- कृषि, विद्युत एवं सिंचाई का विकास करना।
- औद्योगीकरण करके समाजवादी समाज की स्थापना करना।।
- लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना (विशेष रूप से कमजोर वर्ग में)।
- गरीबी उन्मूलन एवं ग्रामीण विकास करना।
प्रश्न 4.
आर्थिक नियोजन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए
उत्तर :
आर्थिक नियोजन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- नियोजित अर्थव्यवस्था आर्थिक संगठन की एक पद्धति है।
- आर्थिक नियोजन की समस्त क्रियाविधि एक केन्द्रीय सत्ता द्वारा सम्पन्न की जाती है।
- आर्थिक नियोजन सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था में लागू होता है।
- नियोजन के अन्तर्गत साधनों का वितरण प्राथमिकताओं के अनुसार विवेकपूर्ण नीति से किया जाता है?
- नियोजन में पूर्ण, पूर्व निश्चित एवं निर्धारित उद्देश्य होते हैं।
- उद्देश्य की पूर्ति हेतु एक निश्चित अवधि निर्धारित की जाती है।
- उद्देश्यों एवं लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में नियन्त्रण स्थापित किए जाते हैं।
- आर्थिक नियोजन की सफलता के लिए जन-सहयोग की आवश्यकता होती है।
- नियोजन सामान्यतया एक निरन्तर दीर्घकालीन प्रक्रिया है।
प्रश्न 5.
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के चार लक्ष्यों का उल्लेख कीजिए। [2008]
उत्तर :
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजनाओं के चार लक्ष्य निम्नलिखित हैं –
- विकास दर के लक्ष्य को बढ़ाकर 10% कर दिया गया।
- निर्धनता अनुपात में 15% तक की कमी लाना
- उच्च गुणवत्ता युक्त रोजगारोन्मुखी योजनाओं को प्रारम्भ करना
- दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर को 16% के स्तर पर लाकर स्थिर करना।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)
प्रश्न 1.
नीति आयोग का गठन कब किया गया?
उत्तर :
नीति आयोग का गठन 1 जनवरी, 2015 को किया गया।
प्रश्न 2.
नीति आयोग का अध्यक्ष कौन होता है?
उत्तर :
नीति आयोग का अध्यक्ष प्रधानमन्त्री होता है।
प्रश्न 3.
नीति आयोग का प्रथम उपाध्यक्ष किसे नियुक्त किया गया?
उत्तर :
नीति आयोग का प्रथम उपाध्यक्ष अरविन्द पनगढ़िया को नियुक्त किया गया।
प्रश्न 4.
‘बम्बई योजना किसके द्वारा तैयार की गयी थी?
उत्तर :
‘बम्बई योजना’ बम्बई के आठ उद्योगपतियों द्वारा तैयार की गयी थी।
प्रश्न 5
प्रथम पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल बताइए। [2008]
या
भारत की प्रथम पंचवर्षीय योजना कब प्रारम्भ हुई? [2014]
उत्तर :
1 अप्रैल, 1951 से 31 मार्च, 1956 तक।
प्रश्न 6.
चतुर्थ पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल बताइए।
उत्तर :
1 अप्रैल, 1969 से 31 मार्च, 1974 तक।
प्रश्न 7.
योजना आयोग का अध्यक्ष कौन होता था ?
उत्तर :
प्रधानमन्त्री।
प्रश्न 8.
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल बताइए।
उत्तर :
1 अप्रैल, 2007 से 31 मार्च, 2012 तक।
प्रश्न 9
राष्ट्रीय विकास परिषद् का अध्यक्ष कौन होता है? [2009, 11]
उत्तर :
राष्ट्रीय विकास परिषद् का अध्यक्ष भारत का प्रधानमन्त्री होता है।
प्रश्न 10
योजना आयोग की स्थापना कब हुई थी? [2009, 11]
उत्तर :
योजना आयोग की स्थापना 1950 ई० में हुई थी।
प्रश्न 11.
वित्त आयोग का गठन कौन करता है? उसका कार्यकाल कितना होता है? [2010]
उत्तर :
वित्त आयोग का गठन भारत का राष्ट्रपति करता है। इसका गठन हर पाँचवें वर्ष या आवश्यकतानुसार उससे पहले भी किया जा सकता है। व्यवहार में एक वित्त आयोग का कार्यकाल प्रायः एक वर्ष या दो वर्ष का रहा है।
प्रश्न 12.
12वीं पंचवर्षीय योजना कब आरम्भ हुई? [2013]
उत्तर :
12वीं पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल, 2012 को आरम्भ हुई।
बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)
प्रश्न 1.
भारत में योजना आयोग की स्थापना हुई [2009, 11]
(क) 1947 ई० में
(ख) 1948 ई० में
(ग) 1950 ई० में
(घ) 1956 ई० में
प्रश्न 2.
देश में राष्ट्रीय विकास परिषद् की स्थापना हुई –
(क) 15 अगस्त, 1947 को।
(ख) 20 जनवरी, 1950 को
(ग) 22 अक्टूबर, 1956 को
(घ) 6 अगस्त, 1956 को
प्रश्न 3.
योजना आयोग का अध्यक्ष होता है [2010, 12, 13]
(क) वित्तमन्त्री
(ख) योजना मन्त्री
(ग) प्रधानमन्त्री
(घ) राष्ट्रपति
प्रश्न 4.
Planned Economy for India (प्लाण्ड इकोनॉमी फॉर इण्डिया) पुस्तक के लेखक हैं –
(क) के० सी० पन्त
(ख) मनमोहन सिंह
(ग) जवाहरलाल नेहरू
(घ) एम० विश्वेश्वरैया
प्रश्न 5.
योजना आयोग के प्रथम अध्यक्ष थे [2007]
(क) सरदार पटेल
(ख) पं० जवाहरलाल नेहरू
(ग) डॉ० राजेन्द्र प्रसाद
(घ) डॉ० सम्पूर्णानन्द
प्रश्न 6.
नीति आयोग के प्रथम अध्यक्ष कौन हैं [2016]
(क) नरेन्द्र मोदी
(ख) अरुण जेटली
(ग) अरविन्द पनगढ़िया
(घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 7.
भारत में नीति आयोग का पदेन अध्यक्ष कौन होता है? [2016]
(क) भारत का राष्ट्रपति
(ख) भारत का प्रधानमन्त्री
(ग) भारत का उपराष्ट्रपति
(घ) भारत का विदेशमन्त्री
प्रश्न 8.
नीति आयोग की स्थापना हुई –
(क) जनवरी, 2015 में
(ख) दिसम्बर, 2014 में
(ग) फरवरी, 2016 में
(घ) अप्रैल, 2015 में
उत्तर
- (ग) 1950 ई० में
- (घ) 6 अगस्त, 1956 ई० को
- (ग) प्रधानमन्त्री
- (घ) एम० विश्वेश्वरैया
- (ख) पं० जवाहरलाल नेहरू
- (क) नरेन्द्र मोदी
- (ख) भारत का प्रधानमन्त्री
- (क) जनवरी, 2015 में।