UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 26 Classification, Tabulation and Frequency Distribution of Data (आँकड़ों का वर्गीकरण, सारणीकरण तथा बारम्बारता बंटन)
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 26 Classification, Tabulation and Frequency Distribution of Data (आँकड़ों का वर्गीकरण, सारणीकरण तथा बारम्बारता बंटन)
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (6 अंक)
प्रश्न 1
सांख्यिकीय विधि के विभिन्न प्रकारों को बताइए।
उत्तर:
सांख्यिकीय विधि के विभिन्न प्रकार
1. आँकड़ों का संग्रह (Collection of Data) – किसी समस्या के अध्ययन के लिए अध्ययनकर्ता का सबसे पहला कार्य आँकड़ों का संग्रह करना है। इन्हीं आँकड़ों का वह विश्लेषण करता है तथा निष्कर्ष निकालता है; अतः यह अधिक महत्त्वपूर्ण है कि आँकड़े विश्वसनीय तथा सुसंगत हों। समंकों के संग्रहण के लिए पहले से ही सुनिश्चित योजना बना ली जानी चाहिए।
2. वर्गीकरण (Classification) – संगृहीत आँकड़ों को सरल बनाने के लिए उन्हें भिन्न-भिन्न समूहों या वर्गों में बाँटा जाता है।
3. सारणीकरण (Tabulation) – विभिन्न वर्गों के आँकड़ों को एक उपयुक्त क्रम में पंक्तियों एवं स्तम्भों में सारणी के रूप में प्रकट किया जाता है।
4. आँकड़ों का चित्रण या आलेखीय निरूपण (Diagrammatic or Graphical Representation of Data) – आँकड़ों की स्थिति को शीघ्र स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करने के लिए समंकों का चित्रण अथवा आलेखन किया जाता है।
5. ऑकड़ों का विश्लेषण (Analysis of Data) – वर्गीकृत आँकड़ों से सांख्यिकीय मापें; यथा – समान्तर माध्य, माध्यिका, बहुलक, विचलन आदि ज्ञात किये जाते हैं।
6. निर्वचन या व्याख्या (Interpretation) – उपर्युक्त गणनाओं के आधार पर समस्या के हल की व्याख्या की जाती है तथा निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
7. पूर्वकथन या अनुमान (Predication) – निष्कर्षों के आधार पर आगे आने वाली परिस्थितियों के सम्बन्ध में अनुमान लगाया जाता है।
उपर्युक्त आधार पर ही यह कहा जाता है कि सांख्यिकी वह विज्ञान है जो जिज्ञासा के किसी क्षेत्र में परिवर्तनशील संख्यात्मक, आँकड़ों के संग्रहण, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण, निर्वचन एवं पूर्वकथन की विधियों का वर्णन करता है।
प्रश्न 2
वर्गान्तर बनाने की दोनों विधियों का वर्णन कीजिए। दोनों में अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वर्ग के अन्तराल के अनुसार वर्गान्तर बनाने की दो विधियाँ हैं, जो निम्नलिखित हैं
(1) अपवर्जी विधि तथा
(2) समावेशी विधि।
1. अपवजी विधि (Exclusive Method) – इस विधि में प्रत्येक वर्ग-अन्तराल की उच्च सीमा आगे आने वाले वर्ग–अन्तराल की निम्न सीमा होती है। जैसे किसी कक्षा के छात्रों ने गणित में 0 से 30 अंक प्राप्त किये हैं, तो गणित में प्राप्तांकों को 5-5 के अन्तर से 6 वर्गों में बाँट सकते हैं-0-5, 5-10, 10-15, 15-20, 20-25, 25-30 अर्थात् पहला वर्ग उन छात्रों का है जिनको 0 से 4 अंक तक मिले इसी प्रकार छठा वर्ग उन छात्रों का है जिन्हें 25 से 30 अंक मिले। इससे स्पष्ट होता है कि यदि किसी छात्र ने 5 अंक प्राप्त किये हैं, तो उसे दूसरे अर्थात् 5-10 वाले वर्ग में तथा यदि 10 प्राप्तांक हैं तो उसे तीसरे अर्थात् 10-15 वाले वर्ग में रखा जाएगा।
2. समावेशी विधि (Inclusive Method) – इस विधि में किसी वर्ग की उच्च सीमा अगले वर्ग की निम्न सीमा नहीं होती, जैसे इस विधि में उपर्युक्त उदाहरण के वर्ग इस प्रकार बनेगे – 0-4, 5-9, 10-14, 15-19, 20-24, 25-29 अर्थात् पहला वर्ग उन छात्रों का है जिनको 0 से 4 अंक तक मिले। इसी प्रकार पाँचवें वर्ग में 20 से 24 तक अंक मिले।
अपवर्जी व समावेशी विधियों में अन्तर
प्रश्न 3
सारणीकरण (Tabulation) किसे कहते हैं तथा यह कितने प्रकार की होती है? सोदाहरण समझाइए।
उत्तर:
सारणीकरण-सारणीकरण वह रीति है जिसमें वर्गीकृत आँकड़ों को पंक्तियों एवं स्तम्भों में व्यवस्थित रूप में रखा जाता है।
सारणियों के प्रकार
सारणियाँ मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं
1. सरल सारणियाँ (Simple Tables) – ये सारणियाँ सबसे साधारण होती हैं तथा इनमें आँकड़ों का केवल एक गुण ही प्रदर्शित किया जाता है। इसमें स्तम्भों के उपविभाग नहीं होते। उदाहरणार्थ- निम्नलिखित सारणी विभिन्न वर्षों में भारत की जनसंख्या दर्शाती है
2. द्विगुणी सारणियाँ (Double Tables) – इस प्रकार की सारणियों में एक ही प्रकार के आँकड़ों के दो गुणों को प्रदर्शित किया जाता है। उदाहरण के लिए-नीचे दी गयी सारणी में विभिन्न वर्षों की जनसंख्या में स्त्रियों तथा पुरुषों की संख्या (करोड़ों में अलग-अलग अंकित है
3. बहुगुण सारणियाँ (Manifold Tables) – इस प्रकार की सारणियों में दो से अधिक गुणों को प्रदर्शित किया जाता है। निम्नलिखित सारणी में पुरुष व स्त्रियों में शिक्षित/अशिक्षितों की संख्या (करोड़ों में) अलग-अलग प्रदर्शित की गयी है
लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)
प्रश्न 1
सारणी बनाते समय किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?
उत्तर:
एक अच्छी सारणी बनाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है
- सारणी का शीर्षक अवश्य दिया जाना चाहिए। शीर्षक सरल, स्पष्ट और सूक्ष्म होना चाहिए। इसे सारणी के शीर्ष पर लिखना चाहिए।
- प्रत्येक स्तम्भ का भी अलग-अलग उपशीर्षक लिखना चाहिए।
- सारणी का आकार न तो बहुत बड़ा और न बहुत छोटा होना चाहिए।
- शीर्षक के साथ-साथ आँकड़ों की इकाइयाँ आदि अवश्य लिखनी चाहिए।
- सारणी का मुख्य उद्देश्य आँकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन होता है; अत: वर्गों को इस प्रकार रखा जाना चाहिए कि तुलना करने में सुविधा रहे।
- आँकड़ों के सम्बन्ध में कुछ विशेष सहायक सूचना, यदि हो, तो उसे टिप्पणी के रूप में नीचे दे देना चाहिए।
- सारणी पूर्णतया स्वच्छ हो तथा उसका रूप आकर्षक हो।
प्रश्न 2
बारम्बारता व बारम्बारता बंटन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
किन्हीं आँकड़ों में कोई पद जितनी बार आता है, वह उसकी बारम्बारता कहलाता है और आँकड़ों को व्यवस्थित करके बारम्बारताओं में बाँटना ही इसका बारम्बारता बंटन कहलाता है। इस प्रकार प्राप्त सारणी बारम्बारता बंटन सारणी कहलाती है।
मान लीजिए एक विद्यालय के कक्षा 12 के 30 विद्यार्थियों ने कुल 50 अंकों में से इस प्रकार अंक प्राप्त किये – 25, 20, 16, 18, 30, 35, 40, 16, 20, 18, 25, 30, 46, 40, 30, 5, 10, 25, 18, 20, 30, 25, 44, 28, 35, 30, 25, 25, 20, 30.
उपर्युक्त आँकड़ों को आरोही या अवरोही क्रम में रखते हैं, आरोही क्रम में आँकड़े इस प्रकार दिखाई देंगे – 5, 10, 16, 16, 18, 18, 18, 20, 20, 20, 20, 25, 25, 25, 25, 25, 25, 28, 30, 30, 30, 30, 30, 30, 35, 35, 40, 40, 44, 46. इन आँकड़ों को ‘सारणी बद्ध आँकड़े’ कहते हैं। आँकड़ों को इस प्रकार सारणी रूप में रख सकते हैं
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1
निम्नलिखित आँकड़ों को आरोही क्रम में लिखकर 5 की बारम्बारता बताइए
5, 2, 3, 5, 6, 8, 5, 2, 7, 5, 4, 7, 5
हल:
आँकड़ों का आरोही क्रम
2, 2, 3, 4, 5, 5, 5, 5, 5, 6, 7, 7, 8
5, पाँच बार आया है। अत: 5 की बारम्बारता = 5
प्रश्न 2
एक परीक्षा में पूर्णाक 100 है। दस छात्रों के प्राप्तांक निम्नलिखित हैं
15, 25, 22, 38, 55, 59, 80, 87, 45, 18
आँकड़ों का परिसर बताइए।
हल:
अधिकतम प्राप्तांक = 87
न्यूनतम प्राप्तांक = 15
परिसर = 87 – 15 = 72
प्रश्न 3
एक बंटन के वर्ग चिह्न निम्नलिखित हैं – 104, 114, 124, 134, 144, 154, 164 वर्ग माप तथा वर्ग सीमाएँ ज्ञात करो।
हल:
दिये गये वर्ग चिह्न क्रमशः 104, 114, 124, 134, 144, 154, 164
दो क्रमागत वर्ग चिह्नों का अन्तरे = 10
वर्ग – अन्तराल या वर्ग माप = 10
अतः वर्ग-अन्तराल का आधा = [latex]\frac { 10 }{ 2 }[/latex] = 5
प्रत्येक वर्ग चिह्न में से 5 घटाने तथा 5 जोड़ने पर वर्ग सीमाएँ प्राप्त होती हैं।
अतः वर्ग सीमाएँ – 99-109, 109-119, 119-129, 129-139, 139-149, 149-159, 159-169
प्रश्न 4
कक्षा 12 के 50 विद्यार्थियों ने अर्थशास्त्र की परीक्षा में पूर्णाक 50 में से निम्नलिखित अंक प्राप्त किये। 10 का वर्ग- अन्तराल लेकर अपवर्जी विधि से बारम्बारता सारणी बनाइए
हल:
उपर्युक्त प्राप्तांकों में न्यूनतम अंक = शून्य तथा अधिकतम अंक = 49
अत: परिसर = 49 – 0 = 49
अत: उपर्युक्त आँकड़ों के लिए वर्ग-अन्तराल 10 के पाँच वर्ग बनाये।
0-10, 10-20, 20-30, 30-40, 40-50
अपवर्जी विधि से बारम्बारता सारणी
प्रश्न 5
एक विद्यालय के 32 अध्यापकों की आयु (वर्षो में) दर्शाने वाली बारम्बारता सारणी नीचे दी गयी है
(i) इसमें प्रत्येक वर्ग का मध्यमान बताइए।
(ii) वर्ग-अन्तराल का निर्धारण कीजिए।
(iii) चतुर्थ वर्ग की उच्च सीमा तथा निम्न सीमा क्या है?
(iv) उन वर्गों का निर्धारण और निर्वचन कीजिए जिनमें 8 और 1 अध्यापक हैं।
हल:
(i) वर्ग 20-25 का मध्यमान [latex]\frac { 20+25 }{ 2 }[/latex] = 22.5, इसी प्रकार अन्य वर्गों के मध्यमान क्रमानुसार 27.5, 32.5, 37.5, 42.5, 47.5, 52.5 तथा 57.5 है।
(ii) वर्ग – अन्तराल = 5 (25 – 20 = 5)
(iii) चतुर्थ वर्ग की उच्च सीमा = 40 तथा निम्न सीमा = 35
(iv) विद्यालय में (32 में से) 8 अध्यापक 25-30 वर्ग समूह में हैं तथा 32 में से मात्र एक अध्यापक 55-60 वर्ग समूह में है।
निश्चित उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)
प्रश्न 1
अपवर्जी विधि क्या है?
उत्तर:
इस विधि में प्रत्येक वर्ग की उच्च सीमा अगले वर्ग की निम्न सीमा बन जाती है; जैसे – 0-5, 5-10 आदि।
प्रश्न 2
समावेशी विधि क्या है?
उत्तर:
इस विधि में एक ही सीमा दो वर्गों में नहीं आती; जैसे-0 – 4, 5 – 9 आदि।
प्रश्न 3
सारणीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
सारणीकरण वह रीति है जिसमें वर्गीकृत आँकड़ों को पंक्तियों एवं स्तम्भों में व्यवस्थित रूप में रखा जाता है।
प्रश्न 4
सारणियाँ कितने प्रकार की होती हैं?
उत्तर:
सारणियाँ तीन प्रकार की होती हैं
(1) सरल सारणी,
(2) द्विगुण सारणी तथा
(3) बहुगुण सारणी।।
प्रश्न 5
आँकड़ों के सारणीकरण के किन्हीं दो उद्देश्यों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
(1) सारणीकरण का मुख्य उद्देश्य आकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन करना होता है।
(2) सारणीकरण से आँकड़े व्यवस्थित और सरल हो जाते हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)
प्रश्न 1
आँकड़ों 5, 2, 3, 5, 6, 8, 5, 2, 2, 7, 5, 4, 7 में 5 की बारम्बारता है
(क) 4
(ख) 3
(ग) 5
(घ) 2
उत्तर:
(क) 4
प्रश्न 2
यदि किसी बंटन के एक वर्ग का मध्यमान 37 है तथा वर्ग- अन्तराल 5 हो तो वर्ग की उच्च सीमा होगी
(क) 33.5
(ख) 34.5
(ग) 35.5
(घ) 39.5
उत्तर:
(घ) 39.5
प्रश्न 3
यदि किसी बंटन के एक वर्ग का मध्यमान 47 तथा वर्ग- अन्तराल 5 हो तो वर्ग की निम्न सीमा होगी
(क) 45
(ख) 44
(ग) 44.5
(घ) 40
उत्तर:
(ग) 44.5