UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 18 Major Ports of the World (विश्व के प्रमुख पत्तन)
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 18 Major Ports of the World (विश्व के प्रमुख पत्तन)
विस्तृत उतरीय प्रश्न
प्रश्न 1
रेखाचित्र की सहायता से निम्नलिखित पत्तनों के विकास के कारणों का उल्लेख कीजिए-
(अ) टोकियो, (ब) न्यूयॉर्क, (स) लन्दन, (द) ब्यूनस-आयर्स, (य) सिडनी, (र) शंघाई, (ल) सिंगापुर, (व) मुम्बई।
या
बन्दरगाह के रूप में न्यूयॉर्क पर टिप्पणी लिखिए।
या
सिंगापुर और मुम्बई बन्दरगाहों की स्थिति एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए।
या
लन्दन और मुम्बई बन्दरगाहों की स्थिति और महत्त्व का वर्णन कीजिए। (2015)
या
मुम्बई की भौगोलिक अवस्थिति को एक रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए। [2016]
उत्तर
(अ) टोकियो Tokyo
टोकियो जापान की राजधानी तथा विश्व का एक बड़ा नगर है। टोकियो महानगर 35° 40 उत्तरी अक्षांश तथा 138° 45′ पूर्वी देशान्तर पर स्थित है। यह छोटी-छोटी नदियों द्वारा निर्मित सगामी की खाड़ी की एक शाखा पर स्थित है। टोकियो का पत्तन उथला है; अतः जलयाने याकोहामा तक ही आ-जा सकते हैं। याकोहामा इसका जुड़वाँ नगर है जो इसे पत्तन की सुविधा प्रदान करता है। जापान का लगभग एक-तिहाई व्यापार इसी पत्तन द्वारा किया जाता है।
टोकियो-याकोहामा अपने पृष्ठ प्रदेश (क्वाण्टो मैदान) से सड़क एवं रेलमार्गों द्वारा जुड़ा है। यह पृष्ठ प्रदेश सघन जनसंख्या रखता है। यह औद्योगिक प्रदेश के रूप में विकसित हुआ है। इस फ्रदेश में विद्युत-यन्त्र, चीनी मिट्टी के बर्तन, रेल के इंजन एवं डिब्बे, सूती-रेशमी वस्त्र, रसा, दिन, गझपार्चा तथा रबड़ के खिलौने बनाने के अनेक कारखाने विकसित हुए हैं। टोकियो-याकोहामा के पृष्ठ, प्रदेश में पेट्रो-रसायन, रेशम, जलयान उद्योग विकसित हुए हैं। याकोहामा जलयान-निर्माण गोदियों के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। ये दोनों ही केन्द्र अपने पृष्ठ प्रदेश से रेलों, सड़कों व ट्राम-गाड़ियों द्वारा जुड़े हैं। इस प्रकार दोनों ही केन्द्र जापान के महत्त्वपूर्ण व्यापारिक एवं औद्योगिक केन्द्रों के रूप में विकसित हुए हैं तथा दोनों जुड़वाँ नगर देश एवं विदेश की व्यापारिक एवं आर्थिक सेवा कर रहे हैं।
टोकियो जापान का राजधानी मुख्यालय होने के कारण राजनीतिक गतिविधियों के केन्द्र के रूप में विकसित हुआ है। टोकियो एक खूबसूरत नगर है; अतः यह विदेशी पर्यटकों के लिए एक आकर्षक भ्रमण केन्द्र के रूप में विकसित हुआ है। यह जापानी शिक्षा, संस्कृति एवं सभ्यता का केन्द्र है। इस नगर में दिन-रात चहल-पहल रहती है। यहाँ के जगमगाते होटल, आकर्षक बाजार तथा तीव्र गति वाले परिवहन इस नगर की सुन्दरता में चार चाँद लगा देते हैं तथा पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
टोकियो के प्रमुख निर्यात सूती-रेशमी वस्त्र, रबड़, विद्युत एवं काँच का सामान, कागज, लुग्दी एवं ताँबा हैं। प्रमुख आयातक वस्तुओं में कोयला, लौह-अयस्क, कपास, चावल, चीनी एवं अन्य खाद्यान्न पदार्थ हैं।
(ब) न्यूयॉर्क New York
न्यूयॉर्क विश्व के विशालतम महानगरों में से एक तथा विशालतम पत्तन है। यह एक प्राकृतिक पत्तन है जो संयुक्त राज्य अमेरिका के उत्तरी-पूर्वी तट पर, हडसन नदी के मुहाने पर, मानहट्टन द्वीप पर, उत्तरी अटलांटिक महासागर के तट पर, 40°44 उत्तरी अक्षांश तथा 74° पश्चिमी देशान्तर पर स्थित है। इरी झील द्वारा यह महान् आन्तरिक झील मार्ग से जुड़ा है। यह एक गहरा तथा सुरक्षित पत्तन है जो यूरोप महाद्वीप के औद्योगिक देशों के निकट स्थित है। इस महानगर में अनेक उप-नगर हैं जिन्हें मिलाकर वृहत् न्यूयॉर्क महानगरीय प्रदेश की संरचना की गयी है। जनसंख्या की दृष्टि से न्यूयॉर्क विश्व में चौथे स्थान परे है।
न्यूयॉर्क की स्थिति न्यूयॉर्क नगर की स्थापना न्यू-एमस्टर्डम नाम से 1926 ई० में हुई, परन्तु बाद में ड्यूक जेम्स (Duke James) की स्मृति में इस नगर का नाम न्यूयॉर्क पड़ा। इसका पृष्ठ प्रदेश बड़ा धनी एवं सघन बसा है। यह रेलों, सड़कों, नदियों तथा नहरों द्वारा देश के भीतरी भागों में सभी प्रमुख नगरीय केन्द्रों से जुड़ा है। न्यूयॉर्क का पृष्ठ प्रदेश बड़ा ही उपजाऊ, उन्नतशील एवं दूर-दूर तक विस्तृत है।
न्यूयॉर्क एक प्रसिद्ध औद्योगिक, व्यापारिक, राजनीतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र है। यहाँ सूती-ऊनी वस्त्र, कृत्रिम रेशम, लोहा एवं इस्पात का सामान, सिगरेट, कागज, मशीनें एवं यान्त्रिक उपकरण बनाने के बड़े-बड़े कारखाने विकसित हुए हैं। न्यूयॉर्क विश्व का सबसे बड़ा वित्तीय संकुल (Financial Foci) है, क्योंकि यहाँ विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय विनिमय कोष आदि वित्तीय संस्थान स्थापित हुए हैं। यह एक अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारिक केन्द्र के रूप में विकसित हुआ है, जिसके द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका का लगभग आधा व्यापार किया जा रहा है।
प्रमुख आयातक वस्तुओं में रबड़, कच्चा रेशम, वनस्पति तेल, चाय, जूट, कहवा, चीनी, चावल, तिलहन, लकड़ी, कागज की लुग्दी, वैज्ञानिक उपकरण, फोटोग्राफी का सामान, बिजली के बल्ब, जलयान, मशीनी उपकरण आदि हैं। प्रमुख निर्यातक वस्तुओं में कपड़ा, लोहे एवं इस्पात का सामान, मोटरकारें, कृषि-यन्त्र एवं उपकरण, सीसा, जस्ता, ताँबा, रासायनिक पदार्थ तथा विद्युत उपकरण एवं अन्य सामान आदि हैं।
न्यूयॉर्क अन्तर्राष्ट्रीय जल एवं वायुमार्गों का महत्त्वपूर्ण मिलन-केन्द्र है। विश्व में यह नगर बहुमंजिली इमारतों के लिए विख्यात है। यहाँ पर सबसे ऊँची 108 मंजिल तक की इमारत है। यह विश्व के बड़े एवं प्रमुख नगरों में से एक है।
(स) लन्दन London
ग्रेटर लन्दन यूरोप महाद्वीप का प्रमुख नगर, ब्रिटेन का राजधानी मुख्यालय तथा विश्व का दूसरा : बड़ा नगर है। लन्दन महानगर 51° 30 उत्तरी अक्षांश तथा 0.05′ पश्चिमी देशान्तर पर स्थित है। यह टेम्स नदी के मुहाने पर सागर से 120 किमी की दूरी पर ऐसे सुरक्षित स्थान पर स्थित है, जहाँ तक जलयान आसानी से आ-जा सकते हैं। इसके विशाल डॉक्स, सुरक्षित भव्य पोताश्रय, उत्तरी अटलाण्टिक महासागरीय मार्ग की निकटता, पश्चिमी यूरोपीय देशों के सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों का समीपवर्ती भागों में स्थित होना, कोयले एवं लोहे की सुविधा से औद्योगिक विकास, व्यापारिक, राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विकास आदि लन्दन महानगर की उन्नति एवं प्रगति के प्रमुख कारण रहे हैं।
लन्दन एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र है। यह विश्व का सबसे बड़ा निर्यात का केन्द्र है। यह एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक नगर भी है, जहाँ कागज, लोहा, इस्पात, रासायनिक पदार्थ, जूते, विद्युत उपकरण, शराब, फर्नीचर आदि के उद्योग-धन्धे विकसित हुए हैं। सुरक्षित पोताश्रय, डॉक्स की सुविधा एवं विशाल पृष्ठ प्रदेश ने इसे एक महत्त्वपूर्ण पत्तन के रूप में विकसित होने में मदद प्रदान की है। अन्ध महासागरीय जलमार्ग के निकटवर्ती भागों में स्थित होने के कारण अन्य पत्तनों की निकटता ने भी इस पत्तन की स्थिति को प्रभावित किया है।
यहाँ अन्तर्राष्ट्रीय बैंक एवं विनिमय की सुविधाएँ सर्वाधिक हैं। पुनर्निर्यात केन्द्र के रूप में चाय, कहवा, ऊनं, अनाज, मांस, लकड़ी, शराब, फल, रबड़ आदि वस्तुओं को आयात कर देश के आन्तरिक भागों एवं यूरोप के अन्य देशों को भेजता है। लन्दन एक सार्वभौमिक नगर है जहाँ विश्व के सभी धर्मावलम्बी निवास करते हैं। लन्दन रेलमार्गों द्वारा ब्रिटेन के सभी प्रमुख नगरों से जुड़ा है। यह शिक्षा एवं संस्कृति के एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र के रूप में भी विकसित हुआ है। यहाँ पर स्थित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय विश्व-प्रसिद्ध है। लन्दन महानगर एक बड़ी व्यापारिक मण्डी के रूप में भी विकसित हुआ है। कोवेण्ट गार्डन फलों एवं सब्जियों, स्मिथ फील्ड चर्बी, मांस एवं पनीर के सुव्यवस्थित थोक बाजार के रूप में विख्यात है। इस प्रकार लन्दन एक ऐसा पत्तन है जो भारी मात्रा में कच्चे पदार्थों को आयात करता है तथा विनिर्मित माल को विश्व के कोने-कोने तक निर्यात करता है।
(द) ब्यूनस-आयर्स Buenos-Aires
ब्यूनस-आयर्स दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप का प्रमुख पत्तन एवं महत्त्वपूर्ण नगरीय केन्द्र है। यह अर्जेण्टीना देश की राजधानी है, जो लाप्लाटा नदी के मुहाने पर स्थित है। इसकी स्थिति 34° 35′ दक्षिणी अक्षांश तथा 58° 20′ पश्चिमी देशान्तर पर है। इसका पृष्ठ प्रदेश पशुपालन एवं कृषि में उत्पादन के लिए। विश्वविख्यात है। यह पृष्ठ प्रदेश रेलमार्गों, सड़कमार्गों एवं वायुमार्गों द्वारा इस केन्द्र से जुड़ा है।
ब्यूनस-आयर्स के पृष्ठ प्रदेश में गेहूँ, मक्का, दूध, मांस, पनीर, मक्खन आदि भारी मात्रा में उत्पन्न किये जाते हैं। यह एक औद्योगिक नगर के रूप में विकसित हुआ है। रोजारियो यहाँ जलयान, वायुयान, रसायन, लुग्दी एवं कागज, जूते, मांस से निर्मित पदार्थ, चमड़े की वस्तुएँ, चीनी, सिगरेट, सूती-ऊनी वस्त्र, आटा मिल एवं तेल को परिष्कृत करने के उद्योग विकसित हुए हैं। इस पत्तन से गेहूँ, मक्का आदि खाद्यान्न, मांस, चमड़ा, ऊन, फल, ताँबा तथा दुग्ध-निर्मित पदार्थों का निर्यात किया जाता है, जब कि पेट्रोलियम पदार्थ, मोटर- कारें, मशीनें, निर्मित वस्त्र, रासायनिक पदार्थ, विद्युत उपकरण, सूती वस्त्र आदि वस्तुएँ आयात की जाती हैं।
(य) सिडनी Sydney
सिडनी ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप का प्रमुख पत्तन एवं महत्त्वपूर्ण नगर तथा न्यू-साउथवेल्स की राजधानी है, जो इस महाद्वीप के दक्षिणी-पूर्वी तट पर 33° 30 दक्षिणी अक्षांश तथा 151° पूर्वी देशान्तर के मिलन स्थल पर स्थित है। इसका पत्तन अधिक गहरा प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। इसका पृष्ठ प्रदेश धनी एवं बहुमूल्य खनिज पदार्थों का अक्षय भण्डार है। सिडनी विद्युतचालित रेलगाड़ियों तथा सड़क परिवहन द्वारा अपने पृष्ठ प्रदेश से जुड़ा है। इसके पृष्ठ प्रदेश में तीव्रगामी परिवहन के साधन विकसित हैं। इस प्रदेश की जलवायु बड़ी ही मनोरम है जिसने इसके निवासियों को लगनशील एवं बड़ा परिश्रमी बना दिया है।
सिडनी ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप का एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक नगर है। यहाँ रेल के इंजन, जूते, साबुन, चीनी, ताँबा, टिन की चादरें, चमड़े की वस्तुएँ, आटा, मांस, कच्चा ऊन आदि वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। यह एक राजनीतिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र भी है तथा ऑस्ट्रेलिया की संघीय राजधानी कैनबरा से केवल 280 किमी की दूरी पर उत्तर-पूर्व में स्थित है।
इस पत्तन से ऊन, कोयला, चमड़ा, खनिज पदार्थ, सीसा, गेहूँ, मांस, सूखा दुग्ध पाउडर, मक्खन, फल आदि पदार्थों का विदेशों को निर्यात किया जाता है, जब कि यहाँ विदेशों से मशीनी उपकरण, परिवहन-उपकरण, सूती-रेशमी वस्त्र, पेट्रोलियम पदार्थ, विद्युत उपकरण, रासायनिक पदार्थ आदि वस्तुएँ आयात की जाती हैं। इस प्रकार ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में इस पत्तन का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
(र) शंघाई Shanghai
शंघाई चीन का प्रमुख व्यापारिक नगर एवं पूर्वी एशिया का महत्त्वपूर्ण पत्तन है। यह महानगर 34°15′ उत्तरी अक्षांश तथा 121° 29′ पूर्वी देशान्तर पर स्थित है। उन्नतशील पृष्ठ प्रदेश होने के कारण इस नगर का व्यापारिक महत्त्व बहुत अधिक है। इसकी स्थिति यांगटिसीक्यांग की मुख्य धारा से लगभग 22 किमी दक्षिण में वांगपू नदी पर है। यह विश्व के प्रमुख महानगरों में से एक है। सागर तट से यह नगर केवल 86 किमी की दूरी पर स्थित है। यह एक प्रसिद्ध पुनर्निर्यात केन्द्र है, जहाँ से चीन, जापान, कोरिया आदि देशों को सामान वितरित किया जाता है।
शंघाई पत्तन का पृष्ठ प्रदेश बड़ा ही धनी एवं सघन बसा है। इसके पृष्ठ प्रदेश में जनसंख्या का घनत्व 500 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से भी अधिक है। इस पृष्ठ प्रदेश में 300 से भी अधिक कारखाने स्थित हैं, जिनमें सूती-रेशमी वस्त्रे, रबड़ का सामान, साबुन, कागज, सिगरेट, रासायनिक पदार्थ, सीमेण्ट, ग्रामोफोन, मशीनी उपकरण, विद्युत उपकरण, जलयान, वायुयान आदि के निर्माण कार्य प्रमुख हैं। यह अपने पृष्ठ प्रदेश से रेल एवं सड़क मार्गों द्वारा जुड़ा है। इस प्रदेश में बीजिंग से नानकिंग होकर शंघाई तथा हांगचाऊ तक रेलमार्ग महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।
इस पत्तन से कपास, रेशम तथा चाय का निर्यात किंया जाता है, जब कि आयातक वस्तुओं में वस्त्र, चीनी, खनिज तेल, तम्बाकू एवं लौह-इस्पात का सामान प्रमुख हैं।
(ल) सिंगापुर Singapore
मलाया के दक्षिण में 1.2 किमी लम्बे रेल तथा सड़क मार्ग द्वारा जुड़े हुए 42 किमी लम्बे व 22.5 किमी चौड़े सिंगापुर द्वीप पर स्थित यह है पत्तन वास्तव में एक आन्पो पत्तन (entre port) है। इसका पृष्ठ प्रदेश सम्पूर्ण सिंगापुर द्वीप है जहाँ टिन शोधन, रबड़ की वस्तुएँ, पेट्रोलियम, सूती कपड़ा, सिगरेट, शराब, फर्नीचर, साबुन, मछली आदि उद्योग विकसित हैं। यहाँ रबड़, टिन, गर्म मसाले, रासायनिक पदार्थ, तम्बाकू, प्लाईवुड, सुमात्रा मशीनरी व मोटर-गाड़ियाँ आयात करके पुनः विदेशों को निर्यात की जाती हैं। अन्तर्राष्ट्रीय जल एवं वायुमार्गों पर स्थित होने के कारण यह पत्तन अफ्रीका एवं दक्षिणी एशिया से चीन व जापान की ओर जाने वाले जलयानों के लिए ईंधन, पानी आदि की सुविधाएँ प्रदान कर मार्ग-पत्तन (port of call) का भी कार्य करता है।
(व) मुम्बई बन्दरगाह की स्थिति और महत्त्व
Importance and Situation of Mumbai Port
यह भारत का ही नहीं, अपितु विश्व का एक प्रमुख पत्तन है। देश का 20% से भी अधिक व्यापार मुम्बई पत्तन द्वारा किया जाता है। इस पत्तन को निम्नलिखित भौगोलिक सुविधाएँ प्राप्त हैं –
(1) स्थिति – मुम्बई पत्तन सालसट द्वीप पर लगभग 200 वर्ग किमी क्षेत्रफल में विस्तृत है। यह भारत के पश्चिमी तट पर एक प्राकृतिक कटान में स्थित है, जहाँ मानसून काल के तूफानों से जलयान सुरक्षित खड़े रह सकते हैं। यह पत्तन यूरोप, पूर्वी एशिया एवं ऑस्ट्रेलिया के मार्ग में पड़ता है। पत्तन के निकट 11 मीटर गहराई होने से जलयान समुद्रतट तक आकर ठहर जाते हैं। यहाँ पर एक खाड़ी बन गयी है जो 23 किमी लम्बी एवं 10 किमी चौड़ी है। स्वेज नहर को पार करके आने वाले सभी प्रकार के जलयान यहाँ पर आसानी से ठहर सकते हैं। इस प्रकार पश्चिम से पूर्व को जोड़ने में इस पत्तन की भूमिका बड़ी ही महत्त्वपूर्ण है।
(2) संचार की सुविधाएँ – मुम्बई को यद्यपि पश्चिमी घाट ने देश के भीतरी भागों से अलग-थलग कर दिया है, परन्तु, दिल्ली थालघाट एवं भोरघाट दरों ने इसे सड़क एवं रेलमार्गों द्वारा उत्तरी-दक्षिणी एवं मध्य-पूर्वी भारत से जोड़ दिया है। मुम्बई अन्तर्राष्ट्रीय वायु सेवाओं का भी प्रमुख केन्द्र है।
(3) पोताश्रय – जिस स्थान पर मुम्बई पत्तने का निर्माण किया गया है, वहाँ जल की गहराई 11 मीटर है। इतनी गहराई में वे सभी जलयान आकर ठहर सकते हैं, जो स्वेज नहर से होकर निकल सकते हैं, क्योंकि स्वेज नहर की गहराई भी लगभग इतनी ही है।
मुम्बई पत्तन के तीन मुख्य डॉक्स हैं – प्रिंस डॉक में 12, विक्टोरिया डॉक में 13 और एलेक्जेण्ड्रा डॉक में 17 बर्थ हैं। यहाँ पर 2 शुष्क डॉक भी बनाये गये हैं। इसके अतिरिक्त कुछ उप-पत्तनों का भी विकास किया गया है जिनमें नावों से आने वाला ‘सामान एवं यात्री उतरते-चढ़ते हैं। तटीय व्यापार की दृष्टि से इनका महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस पत्तन के निकट ही पेट्रोलियम के गोदाम भी बनाये गये हैं। एक नया गोदाम बचूर द्वीप के समीप में भी निर्मित किया गया है। विशाल गोदामों का होना मुम्बई पत्तन की सबसे बड़ी विशेषता है। यहाँ अनाज एवं कपास रखने के गोदाम भी बनाये गये हैं जिनमें 178 अग्नि-सुरक्षित कमरे हैं। इन गोदामों में अग्नि-सुरक्षा, आवागमन, अस्पताल, जलपान-गृह आदि की भी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
(4) पृष्ठ प्रदेश – मुम्बई पत्तन का पृष्ठ प्रदेश बड़ा ही विशाल है, जो दक्षिण में तमिलनाडु के पश्चिमी भाग से लेकर उत्तर में कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात एवं महाराष्ट्र राज्यों तक फैला है। इसका पृष्ठ प्रदेश कृषि उत्पादन में बड़ा ही धनी है।
इस पत्तन के विकास के लिए 1969 ई० में मुम्बई पोर्ट ट्रस्ट अधिकरण बनाया गया है जिससे इसके विकास की विभिन्न योजनाएँ बनाई गयी हैं। कुल मिलाकर 55 घाटों का निर्माण किया गया है जहाँ पर एक साथ कई जलयानों से माल लादा एवं उतारा जा सकता है। प्रारम्भ में इसकी व्यापार क्षमता 150 लाख मीट्रिक टन थी जिसे बढ़ाकर 300 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है।
(5) व्यापार – व्यापार की दृष्टि से इस पत्तन का भारत में प्रथम स्थान है। देश के पेट्रोलियम व्यापार का 45%, सामान्य व्यापार को 44%, खाद्यान्न व्यापार का 30% तथा यात्रियों को लाने-ले जाने का
अधिकांश कार्य इसी पत्तन द्वारा किया जाता है। इस पत्तन द्वारा अलसी, मूंगफली, चमड़े का सामान, तिलहन, लकड़ी, ऊन एवं सूती वस्त्र, चमड़ा, मैंगनीज, अभ्रक, इन्जीनियरिंग का सामान, लकड़ी, चॉदी आदि वस्तुएँ विदेशों को निर्यात की जाती हैं।
पेट्रोलियम का आयात इसी पत्तन द्वारा सबसे अधिक किया जाता है। बॉम्बे-हाई (Bombay-High) में तेल के भारी उत्पादन से इसका महत्त्व और भी अधिक बढ़ गया है। यहाँ पर विदेशों से सूती, ऊनी एवं रेशमी वस्त्र, मशीनें, नमक, कोयला, कागज, रंग-रोगन, फल, रासायनिक पदार्थ, मिट्टी का तेल एवं लोहे का सामान, उत्तम किस्म की कपास, रासायनिक उर्वरक आदि वस्तुओं का आयात किया जाता है।
इस पत्तन के कारण ही इसके पृष्ठ प्रदेश में सूती वस्त्र उद्योग का विकास सम्भव हो सका है। दो पेट्रोल-शोधनशालाएँ ट्राम्बे में आयातित पेट्रोल के कारण स्थापित की जा सकी हैं। इसके अतिरिक्त रासायनिक उर्वरक, इन्जीनियरिंग, ऊनी वस्त्र, चमड़ा, दवाइयाँ, सीमेण्ट, मोटर, सिनेमा आदि उद्योग भी काफी विकसित हैं।
इस पत्तन पर 3,557 जलयानों का आवागमन प्रतिवर्ष होता है जिनके द्वारा 286 लाख टन सामान का व्यापार किया जाता है, जिसमें 134 लाख टन का आयात तथा 152 लाख टन का निर्यात किया जाता है। इसकी व्यापार क्षमता और भी अधिक बढ़ गयी है, क्योंकि इसके निकट ही न्हावाशेवा एक नया पत्तन विकसित किया गया है।
मुम्बई पत्तन के विकास के कारण –
- अन्य भारतीय पत्तनों की अपेक्षा यूरोप के अधिक निकट स्थिति।
- स्वेज नहर मार्ग तथा उत्तमाशा-अन्तरीप मार्ग पर केन्द्रीय स्थिति रखना।
- प्राकृतिक एवं विस्तृत पोताश्रय।
- पत्तन का वर्ष भर आवागमन के लिए खुले रहना।
- अपने पृष्ठ प्रदेश से रेल एवं सड़क मार्गों द्वारा जुड़ा होना।
- इसके पृष्ठ प्रदेश का कपास, गेहूं, गन्ना, मूंगफली जैसी फसलों के उत्पादन में विशेष स्थान।
- पश्चिमी घाट की प्राकृतिक स्थिति का जल-विद्युत शक्ति के विकास के लिए अनुकूल होना।
- समीप में तारापुर अणु शक्ति-गृह का स्थापित किया जाना।
- इसके पृष्ठ प्रदेश में सघन जनसंख्या का निवास होना।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1
उत्तम पोताश्रय के गुण लिखिए।
उत्तर
पत्तन का वह भाग जहाँ जलयान ठहरते हैं एवं यात्रियों व माल का लदान करते हैं, पोताश्रय कहलाता है। ये दो प्रकार के होते हैं-
(i) प्राकृतिक तथा
(ii) कृत्रिम। कुछ पत्तन पोताश्रयविहीन होते हैं, जहाँ माल की लदाई व उतराई खुले तटों पर होती है। उत्तम पोताश्रय में निम्नलिखित आठ गुण पाए जाते हैं
- पवन तथा समुद्री लहरों से सुरक्षा होनी चाहिए। इस दृष्टि से मुम्बई का प्राकृतिक पोताश्रय उत्तम है। किन्तु चेन्नई में कंकरीट की तरंग-अवरोधी दीवारयुक्त कृत्रिम पोताश्रय बनाया गया है। संयुक्त
राज्य अमेरिका में हाउस्टन पत्तन की लहरों से सुरक्षा करने के लिए समुद्री नहर बनाई गई है। - तट के निकट जल की गहराई 30 मीटर तक होनी चाहिए। न्यूयॉर्क, एण्टवर्प, रॉटरडम, शंघाई आदि पत्तनों के निकट उथले समुद्री तट के कारण निरन्तर पोताश्रय का तलमार्जन (dredging) कराना पड़ता है।
- जलयानों को लंगर डालने के लिए पर्याप्त विस्तृत स्थान आवश्यक है।
- पोताश्रय द्वार पर्याप्त चौड़ा, सीधा व गहरा होना चाहिए।
- उच्च एवं निम्न ज्वार में 5 मीटर से अधिक अन्तर नहीं होना चाहिए।
- शीतकाल में पोताश्रय हिमरहित होना चाहिए। मॉण्ट्रियल, अर्केन्जिल, ब्लाडीवोस्टक आदि पत्तनों को हिम भंजकों का प्रयोग करना पड़ता है।
- कोहरे व धुंधरहित पोताश्रय उपयुक्त रहते हैं।
- पोताश्रय में घाट, गोदाम, वैल्ट लाइन व रेलपथ, पारगमन शेड आदि अग्रान्त सुविधाएँ (terminal facilities) होना आवश्यक है।
उपर्युक्त दृष्टि से लन्दन, लिवरपूल, न्यूयॉर्क, सैनफ्रांसिस्को, बोस्टन, लीहार्वे, एण्टवर्प, हैम्बर्ग, रियोडिजेनेरो, सिडनी आदि विश्व के उत्तम पत्तन हैं।
प्रश्न 2
पत्तन कितने प्रकार के होते हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर
कार्यों अथवा उपयोग के आधार पर पत्तन निम्नलिखित प्रकार के होते हैं –
- व्यापारिक पत्तन (commercial port) ये वे पत्तन हैं जो माल के आयात व निर्यात का संचालन करते हैं। यद्यपि वहाँ यात्री-सेवाएँ भी उपलब्ध होती हैं; जैसे- मुम्बई व कोलकाता।
- यात्री पत्तन (passenger port) इन पत्तनों पर मुख्यत: डाक एवं यात्रियों की सेवाएँ उपलब्ध होती हैं।
- आन्त्रपो पत्तन (entre port) ये वे पत्तन हैं जो माल का आयात अपने पृष्ठ प्रदेश में वितरण के लिए नहीं अपितु पुनः निर्यात के लिए करते हैं। ये पत्तन उत्तम पोताश्रय व अग्रान्त सुविधाओं से
सम्पन्न होते हैं। सिंगापुर व हांगकांग इसके प्रमुख उदाहरण हैं। - अन्तः स्थलीय पत्तन (inland port) ये पत्तन समुद्र से भीतर की ओर किसी नदी या नहर के किनारे स्थित होते हैं। सुरक्षित एवं अग्रान्त सुविधाओं से सम्पन्न इन पत्तनों का प्रमुख उदाहरण
कोलकाता है। - बाह्म पत्तन (out port) सागर तट पर अधिक रेत एकत्रित होने पर जलयान वहाँ तक नहीं पहुँच पाते, तब बाहर की ओर एक अन्य छोटा उप-पत्तन स्थापित कर लिया जाता है। हैम्बर्ग, ब्रीमेन व
लन्दन पत्तनों के लिए उप-पत्तनं बनाए गए हैं। - नौसैनिक पत्तन (naval port) सैनिक उपयोग की दृष्टि से निर्मित पत्तनों पर युद्धपोत, *पनडुब्बियों आदि की सुरक्षा के लिए विशेष सुविधाएँ स्थापित की जाती हैं। उनके पृष्ठ प्रदेश की
उपयोगिता का विचार नहीं किया जाता। - मत्स्य पत्तन (fishing port) मछली पकड़ने के विशेष उद्देश्य से स्थापित किए गए पत्तनों पर | जलयान, मोटरबोट, नौका, प्रशीतन (refrigeration) आदि की विशिष्ट सुविधाएँ प्राप्त होती हैं।
कालीकट व कोचीन पत्तन इसी श्रेणी में आते हैं। - मार्ग पत्तन (port of call) महासागरों में लम्बी यात्राओं के दौरान जलयानों को ईंधन-पानी आदि लेने की आवश्यकता होती है। इस उद्देश्य से विशिष्ट पत्तन स्थापित किए जाते हैं। अदन इसी प्रकार का पत्तन है।।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1
पूर्व का द्वार किसे कहा गया है?
या
कौन-सा पत्तन ‘पूर्व का प्रवेशद्वार’ कहलाता है तथा क्यों? [2009]
उत्तर
महत्त्वपूर्ण नगर सिंगापुर पत्तन को पूर्व का द्वार कहा जाता है, क्योंकि पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैण्ड से आने वाले सभी जलयान यहाँ से होकर जाते हैं।
प्रश्न 2
सिडनी की स्थिति को एक रेखा-मानचित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर
चित्र 18.5 देखें।
प्रश्न 3
विश्व के दो प्रमुख बन्दरगाहों के नाम बताइए। [2011, 12, 13, 14, 15]
उत्तर
- न्यूयॉर्क तथा
- सिंगापुर।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1
निम्नलिखित में से कौन आन्त्रपो पत्तन नहीं है?
(क) सिंगापुर
(ख) हांगकांग
(ग) रॉटरडम
(घ) कोलकाता
उत्तर
(घ) कोलकाता
प्रश्न 2
निम्नलिखित में से कौन नदीय पत्तन नहीं है?
(क) हैम्बर्ग
(ख) लन्दन
(ग) ग्लासगो
(घ) कोलकाता
उत्तर
(क) हैम्बर्ग
प्रश्न 3
पत्तनों व देशों का गलत जोड़ा बताइए
(क) मार्सेलीज-फ्रांस
(ख) एम्सटरडम-नीदरलैण्ड्स
(ग) लिवरपूल-ग्रेट ब्रिटेन
(घ) हैम्बर्ग-इटली
उत्तर
(घ) हैम्बर्ग-इटली
प्रश्न 4
निम्नलिखित में से कौन-सा पत्तन (बन्दरगाह) संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तट पर स्थित है?
(क) लन्दन
(ख) सैनफ्रांसिस्को
(ग) लॉस एंजिल्स
(घ) न्यूयॉर्क
उत्तर
(घ) न्यूयॉर्क
प्रश्न 5
वैकुवर बन्दरगाह स्थित है।
(क) उत्तरी अटलाण्टिक मार्ग पर
(ख) उत्तरी प्रशान्त महासागर मार्ग पर
(ग) स्वेज नहर मार्ग पर
(घ) पनामा नहर मार्ग पर
उत्तर
(ख) उत्तरी प्रशान्त महासागर मार्ग पर
प्रश्न 6
निम्न में से कौन-सा बन्दरगाह पूर्व का द्वार’ कहलाता है? [2009]
(क) टोकियो
(ख) हांगकांग
(ग) सिडनी
(घ) सिंगापुर उन्ट
उत्तर
(घ) सिंगापुर