UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 19 Human Resources : Quality and Quantity (मानवीय संसाधन : गुणवत्ता एवं मात्रा)

By | May 29, 2022

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 19 Human Resources : Quality and Quantity (मानवीय संसाधन : गुणवत्ता एवं मात्रा)

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 19 Human Resources : Quality and Quantity (मानवीय संसाधन : गुणवत्ता एवं मात्रा)

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
भारत में जनसंख्या के असमान वितरण के कारणों का परीक्षण कीजिए। [2010, 12, 13, 14]
या
टिप्पणी लिखिए-भारत में जनसंख्या का वितरण। [2010]
या
भारत में जनसंख्या वृद्धि हेतु उत्तरदायी कारकों की विवेचना कीजिए। [2013]
या
जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले भौगोलिक कारकों की विवेचना करते हुए भारत में जनसंख्या वितरण का विवरण लिखिए। [2007, 08, 10]
या
भारत में जनसंख्या के असमान वितरण हेतु उत्तरदायी भौगोलिक कारकों की विवेचना कीजिए। [2009, 11]
या
भारत की जनसंख्या का विवरण निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत लिखिए –
(i) वृद्धि,
(ii) भौगोलिक वितरण,
(iii) आन्तरिक स्थानान्तरण (प्रवास)। [2010]
या
भारत में जनसंख्या की वृद्धि तथा वितरण की विवेचना कीजिए। [2008, 09, 11]
या
भारत में जनसंख्या के घनत्व एवं वितरण को स्पष्ट कीजिए तथा बढ़ती हुई जनसंख्या के मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों पर प्रकाश डालिए। [2008, 09]
या
भारत में जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए। [2014]
उत्तर

जनसंख्या की वृद्धि Growth of Population

सत्रहवीं शताब्दी के आरम्भ में भारत की जनसंख्या का अनुमान मोरलैण्ड के अनुसार केवल 10 करोड़ होने का था। सन् 1750 में यह 13 करोड़ हो गयी। फिण्डले शिराज के अनुसार, जनसंख्या वृद्धि की गति 2% प्रति दशाब्दी थी। सन् 1847 और 1850 के बीच भारत की अनुमानित जनसंख्या लगभग 15 करोड़ थी लेकिन ये अनुमान विश्वसनीय नहीं माने जाते हैं। सन् 1881 में पहली बार भारत में जनगणना की गयी जिसके अनुसार जनसंख्या 25 करोड़ थी। तत्पश्चात् प्रति दशाब्दी में जनगणना होती रही है। वर्ष 1991 में कुल जनसंख्या 84.63 करोड़ थी जो 1921 की तुलना में लगभग 3.4 गुना अधिक हो गयी थी।

वर्ष 1891 से 1921 तक के तीस वर्षों में केवल 1.20 करोड़ की वृद्धि हुई, अर्थात् प्रतिवर्ष 4 लाख की दर से किन्तु वर्ष 1921 के उपरान्त जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हुई, अतः वर्ष 1951 को Great Divide की संज्ञा दी गयी है क्योंकि जहाँ वर्ष 1921 से 1951 के मध्य यह वृद्धि 11 करोड़ रही, वहीं स्वतन्त्रता के पश्चात् वर्ष 1951 से होने वाली वृद्धि दर ने पूर्व सभी अनुमानों को पीछे छोड़ दिया। वर्ष 1951 और वर्ष 1961 के बीच 7.8 करोड़ की वृद्धि हुई। वर्ष 1961 से 1971 के बीच वृद्धि की मात्रा 10.8 करोड़ एवं 1971 से 1981 के मध्य 13.7 करोड़ एवं वर्ष 1981-91 के बीच यह वृद्धि 16.66 करोड़ हुई जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है। सन् 2001 में देश की जनसंख्या 102.7 करोड़ हो गयी।

इस प्रकार सन् 1991-2001 में दशकीय वृद्धि 21.34% रही। सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या का औसत घनत्व 324 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है, परन्तु विभिन्न क्षेत्रों में इसमें भारी भिन्नता । पायी जाती है। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 121.02 करोड़ हो गयी है तथा औसत जनघनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। एक ओर बिहार राज्य में जनसंख्या का घनत्व 1,102 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है, वहीं दूसरी ओर अरुणाचल प्रदेश में मात्र 17 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी निवास करते हैं।

जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले भौगोलिक कारक
Geographical Factors Affecting to the Distribution of Population

भारत में जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले भौगोलिक कारक निम्नलिखित हैं –
(1) धरातल या भू-आकृति – धरातल की प्रकृति या भू-आकृति जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है। समतल मैदानी भागों में मनुष्य के लिए आजीविका के साधन (विशेषतः कृषि) तथा परिवहन के साधन आदि पर्याप्त विकसित होते हैं, इसलिए भारत में सर्वाधिक जनसंख्या मैदानों (नदी-घाटियों तथा डेल्टाओं) में निवास करती है। गंगा घाटी तथा डेल्टा, महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी के डेल्टा प्रदेश इसीलिए घने आबाद हैं। इसके विपरीत पठारी, पहाड़ी तथा मरुस्थलीय क्षेत्रों में कम आबादी मिलती है। हिमालय के उच्च पर्वतीय क्षेत्र तथा थार मरुस्थले विरल आबाद हैं। प्रायद्वीप के पठारी क्षेत्रों में मध्यम सघन आबादी मिलती है।

(2) स्वास्थ्यप्रद जलवायु – अनुकूल जलवायु मानव को क्षेत्र विशेष में रहने को आकर्षित करती है। भाबर, तराई, गंगा का निम्न डेल्टा आदि क्षेत्रों में दलदल व वनों की अधिकता तथा आर्द्र जलवायु के कारण विषैले कीड़े-मकोड़े तथा जंगली जीवों एवं बीमारी के कारण बहुत कम घने बसे हैं, जबकि भारत के मैदानी क्षेत्रों में अच्छी जलवायु के कारण सर्वत्र अधिक जनसंख्या पायी जाती है।

(3) तापमान – अधिक ऊँचे तापमान जनसंख्या के जमाव में बाधा डालते हैं, जबकि सामान्य तापमान इसको आकर्षित करते हैं। बहुत ही नीचे तापमान, जैसे ऊँचे हिमालय प्रदेश शीत के कारण जनसंख्या से शून्य होते हैं, किन्तु निचले पहाड़ी ढाल ग्रीष्म ऋतु में मैदानी भागों की अपेक्षा ठण्डे रहते हैं। अत: शिमला, नैनीताल, मसूरी आदि की ग्रीष्म ऋतु में जनसंख्या बढ़ जाती है, किन्तु शीत ऋतु में ठण्ड के कारण फिर से घट जाती है।

(4) वर्षा की मात्रा (जल उपलब्धता) – भारत जैसे कृषिप्रधान देश में जनसंख्या का वितरण एवं घनत्वं वर्षा की मात्रा अथवा जल उपलब्धता से विशेष रूप से प्रभावित है। 100 सेमी वर्षा रेखा के पश्चिमी भाग, वर्षा की कमी के कारण कम घने हैं, जबकि इसके पूर्वी भागों में घनत्व अधिक पाया जाता है। कम वर्षा वाले भागों में भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तरी राजस्थान, पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में सिंचित क्षेत्रों के कारण जनसंख्या अधिक पायी जाती है। इसके विपरीत, असम तथा हिमाचल प्रदेश में जल का निकास ठीक न होने से अधिक वर्षा होने पर भी जनसंख्या कम पायी जाती है।

(5) उपजाऊ भूमि – भारत में सबसे अधिक जनसंख्या उपजाऊ समतल मैदानों, नदियों की घाटियों, तटीय मैदानों या डेल्टाओं में निवास करती है, क्योंकि इन क्षेत्रों की उपजाऊ भूमि उन्हें पर्याप्त
खाद्यान्न एवं जीविकोपार्जन के साधन प्रदान करती है। यही कारण है कि भारत में जनसंख्या का घनत्व उत्तर के विशाल मैदान और पूर्वी तथा पश्चिमी तटीय मैदानों में अधिक पाया जाता है, जबकि दक्कन के पठार तथा थार के मरुस्थल में जनसंख्या कम निवास करती है।

(6) यातायात के साधन – यातायात के साधन मानव-जीवन में उपयोगी पदार्थों की आपूर्ति करते हैं। व्यापार, उद्योग, कृषि आदि सभी यातायात साधनों से प्रभावित होते हैं। पर्वतीय वनों से ढके हुए तथा मरुस्थलीय प्रदेशों में, जहाँ परिवहन के साधनों का विकास नहीं हो पाया है, अपेक्षाकृत कम जनसंख्या निवास करती है। गंगा-यमुना के विशाल मैदानों में रेलों एवं सड़कों का जाल बिछा होने के कारण जनसंख्या का जमघट पाया जाता है।

(7) उद्योग-धन्धे – उद्योग-धन्धे जनसंख्या के वितरण को सर्वाधिक प्रभावित करते हैं। मानव प्राचीन काल से ही जीवन-यापन के विविध साधनों की ओर आकर्षित होता रहा है। औद्योगिक क्षेत्रों में लोग रोजी-रोटी कमाने के उद्देश्य से दूर-दूर से आकर बस जाते हैं। फलतः इन क्षेत्रों में जनसंख्या को अत्यधिक केन्द्रीकरण हो जाता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु राज्य उद्योग-धन्धों के कारण ही घने बसे हुए हैं।

(8) खनिज पदार्थ – जिन राज्यों में कोयला, लौह-अयस्क, ताँबा, सोना, खनिज तेल आदि उपयोगी एवं बहुमूल्य खनिज पदार्थ निकाले जाते हैं, वहाँ जनसंख्या का घनत्व भी अपेक्षाकृत अधिक पाया जाता है। भारत में छोटा नागपुर का पठार, बिहार, ओडिशा तथा तमिलनाडु राज्यों में जैसे-जैसे खनिज पदार्थों का खनन होता गया वैसे-वैसे जनसंख्या के घनत्व में निरन्तर वृद्धि होती गयी। इसी प्रकार असम और गुजरात के खनिज तेल क्षेत्रों में भी धीरे-धीरे जनसंख्या घनत्व में वृद्धि हो रही है।

(9) शान्ति एवं सुरक्षा – मानव स्वभाव से उन्हीं क्षेत्रों में बसना चाहता है जहाँ उसे चोर-डाकुओं का भय नहीं रहता तथा उसे अपनी जान-माल को सुरक्षित रखने में कोई कठिनाई नहीं होती। चम्बल घाटी में डाकुओं के भय से लोग अन्य स्थानों पर बस गये हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में पड़ोसी देशों द्वारा सदैव घुसपैठ करते रहने के कारण शान्ति एवं सुरक्षा भंग होती रहती है; अत: इन क्षेत्रों में सामान्यतः जनसंख्या कम पायी जाती है अथवा अस्थायी रूप से निवास करती है; जैसे-जम्मू-कश्मीर राज्यों में द्रास एवं कारगिल क्षेत्र।

उपर्युक्त कारणों के आधार पर भारत में औद्योगिक केन्द्रों, पत्तनों के समीप, नदियों की घाटियों, समतल मैदानों एवं खनन क्षेत्रों के समीप जहाँ जीवन-यापन एवं आवागमन के साधनों की पर्याप्त सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जनसंख्या अधिक निवास करती है। इसके विपरीत पहाड़ी, पठारी एवं मरुस्थलीय क्षेत्रों, जहाँ प्रतिकूल जलवायु एवं जल का अभाव पाया जाता है, जनसंख्या कम निवास करती है। भारत के कृषि-क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व सघन पाया जाता है। यह कृषि-क्षेत्र पंजाब के सिंचित क्षेत्र से आरम्भ होकर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल होते हुए पूर्वी घाट के ओडिशा, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु राज्यों से पश्चिमी घाट, केरल, गोआ, महाराष्ट्र एवं गुजरात तक विस्तृत है।

भारत में जनसंख्या का वितरण
Distribution of Population in India

भारत में जनसंख्या का वितरण असमान है। सम्पूर्ण देश में जनसंख्या का औसत घनत्व 324 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। एक ओर कुछ क्षेत्रों में इस घनत्व में अधिकता है तो दूसरी ओर कुछ भागों में यह पर्याप्त अन्तर रखता है। सन् 1921 के बाद से अर्थात् 80 वर्षों में जनसंख्या का घनत्व तीन गुचे से भी अधिक हो गया है। स्वतन्त्रता-प्राप्ति के बाद इसमें विशेष रूप से वृद्धि हुई है। देश में जहाँ एक ओर राजस्थान की शुष्क पेटी, असम की पहाड़ियों और दक्षिण के पठार पर अधिकांश भागों में जनसंख्या कम पायी जाती है, वहीं दूसरी ओर नदियों की घाटियों, समुद्रतटीय मैदानों, खनिज-प्राप्ति के क्षेत्रों तथा औद्योगिक केन्द्रों के निकटवर्ती भागों में आवश्यकता से अधिक जनसंख्या के जमाव पाये जाते हैं।

भारत में जनसंख्या के वितरण को निम्नलिखित तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है –
(1) सघन जनसंख्या वाले क्षेत्र – इसके अन्तर्गत वे राज्य शामिल हैं जहाँ जन-घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से अधिक पाया जाता है। उन राज्यों में जन-घनत्व विशेष रूप से अधिक पाया जाता है जहाँ भूमि की उत्पादकता अधिक है, क्योंकि देश की लगभग 65% जनसंख्या कृषि-कार्यों में लगी हुई है। उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब व पश्चिमी बंगाल राज्यों में उपजाऊ कॉप मिट्टी अधिकांश भागों में पायी जाती है। विशाल मैदान में देश की लगभग 39% जनसंख्या का निवास है, जबकि उसका क्षेत्रफल कुल का 19% ही है। इस मैदान पर जनसंख्या वर्षा के वितरण का अनुसरण करती है। वर्षा की मात्रा जैसे-जैसे पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण की ओर कम होती जाती है, जनसंख्या का घनत्व भी उसके अनुसार ही कम होता जाता है।

भारत के राज्यों में जनसंख्या का वितरण एवं घनत्व: 2011
Distribution and Density of Population in the States of India : 2011

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 19 Human Resources Quality and Quantity 1
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 19 Human Resources Quality and Quantity 2
गेहूँ एवं चावल विशाल मैदान की प्रमुख खाद्यान्न फसलें हैं। चावल उत्पादक क्षेत्रों में जनसंख्या भी अधिक मिलती है। चावल की कृषि उपजाऊ मिट्टी एवं अधिक वर्षा पर निर्भर करती है। इसी कारण भारत में जनसंख्या के क्षेत्र चावल उत्पादक क्षेत्र ही हैं।

(2) मध्यम जनसंख्या के क्षेत्र – इसके अन्तर्गत उन राज्यों को सम्मिलित किया जा सकता है, जहाँ जन-घनत्व 200 से 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी के मध्य पाया जाता है। आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, असम, गुजरात, ओडिशा, महाराष्ट्र, हरियाणा, गोआ, त्रिपुरा आदि राज्य मध्यम जनसंख्या रखने वाले हैं। देश के उन भागों में जहाँ मानवीय आवास के लिए भौगोलिक सुविधाएँ अपेक्षाकृत कुछ कम अनुकूल हैं, वहाँ मध्यम जनसंख्या के क्षेत्र ही विकसित हुए हैं।

प्रायद्वीपीय पठारी क्षेत्रों में जहाँ चौड़ी नदी-घाटियाँ, सिंचाई की व्यवस्था, खनिजों की प्राप्ति एवं उद्योग-धन्धों का जमाव पाया जाता है, वहाँ पर जनसंख्या अधिक निवास करती है। पठार के पूर्वी क्षेत्रों में खनिजों की उपलब्धि के कारण बहुत-से उद्योगों का विकास हुआ है, वहाँ नवीन बस्तियों के उदय होने से अधिक जनसंख्या निवास करने लगी है।

(3) कम जनसंख्या के क्षेत्र – इसमें वे राज्य सम्मिलित हैं, जहाँ जनसंख्या का घनत्व 200 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से कम पाया जाता है। इस श्रेणी के अन्तर्गत हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, मणिपुर, नागालैण्ड, मेघालय, सिक्किम, राजस्थान, अण्डमान-निकोबार द्वीप-समूह, जम्मू-कश्मीर तथा मिजोरम राज्य सम्मिलित किये जा सकते हैं।
इन क्षेत्रों में जनसंख्या के संकेन्द्रण विकसित नहीं हो पाये हैं। हिमालय पर्वतीय क्षेत्र, उत्तर-पूर्वी भारत तथा प्रायद्वीपीय पठारी भाग के पहाड़ी क्षेत्रों में कम जनसंख्या निवास करती है। इन क्षेत्रों की विषम भौगोलिक परिस्थितियाँ-निम्न तापमान, ऊबड़-खाबड़ असमतल धरातल, सघन वन, कम वर्षा, आवागमन के साधनों की कमी तथा असुरक्षा की भावना ने अधिक जनसंख्या के निवास को आकर्षित . नहीं किया है। फलस्वरूप यहाँ पर कम जनसंख्या ही निवास करती है।

जनसंख्या का आन्तरिक स्थानान्तरण
Internal Transfer of Population

स्थानान्तरण से तात्पर्य मानव-समूह या व्यक्ति के भौगोलिक या स्थान सम्बन्धी स्थानान्तरण से है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, “प्रवसन एक प्रकार की भौगोलिक प्रवासित अथवा स्थानिक प्रवासित है, जो एक भौगोलिक इकाई और दूसरी भौगोलिक इकाई के बीच देखने को मिलती है, जिनमें रहने का मूल स्थान अथवा पहुँचने का स्थान दोनों भिन्न होते हैं।”

स्थानान्तरण के प्रकार Types of Transfer
मानव का स्थानान्तरण दो प्रकार का होता है –
(1) स्थानीय एवं
(2) अन्तर्राष्ट्रीय।
(1) स्थानीय स्थानान्तरण से तात्पर्य किसी समुदाय या स्थानीय क्षेत्रों में ही आने-जाने से लिया जाता है। यह दो प्रकार का होता है-
(i) अन्तक्षेत्रीय और
(ii) गाँवों से नगरों की ओर।

(i) अन्तक्षेत्रीय स्थानान्तरण से तात्पर्य जनसंख्या के देश के किसी एक भाग से दूसरे भाग में जाने से होता है; जैसे-राजस्थान से मारवाड़ियों का व्यापार के सिलसिले में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल या भारत के अन्य राज्यों में। इसका मुख्य उद्देश्य आर्थिक अथवा सामाजिक होता है।
(ii) गाँवों से नगरों को स्थानान्तरण में प्रायः औद्योगीकरण एवं व्यापार के फलस्वरूप नगरों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि होने से गाँव से नगरों की ओर मानव-समूह का प्रवास अधिक होता है। कहीं इस प्रकार का प्रवास अल्पकालीन होता है और कहीं दीर्घकालीन। ऐसे स्थानान्तरण का मुख्य कारण अधिकतर रोजगार-प्राप्ति, शिक्षा अथवा चिकित्सा सम्बन्धी सुविधाओं का लाभ उठाना आदि है।

(2) अन्तर्राष्ट्रीय स्थानान्तरण के अन्तर्गत मानव समूह का प्रवास एक राष्ट्र से दूसरे राष्ट्र को होता है। इस प्रकार चीनी लोग इण्डोनेशिया और वियतनाम में, भारतीय श्रीलंका, दक्षिणी-पूर्वी एशिया, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका और इंग्लैण्ड में जाकर बसे हैं।

प्रश्न 2
भारत में जनसंख्या की समस्या पर एक भौगोलिक निबन्ध लिखिए। [2009]
या
भारत में जनसंख्या की समस्याओं का वर्णन कीजिए तथा जनसंख्या नियन्त्रण के लिए उपाय सुझाइए। [2016]
या
भारत में जनसंख्या-वृद्धि के उत्तरदायी कारकों की विवेचना कीजिए। [2010]
या
भारत में जनसंख्या-वृद्धि के कारणों पर प्रकाश डालते हुए इससे उत्पन्न समस्याओं के निराकरण हेतु सुझाव दीजिए। [2007, 08]
या
भारत में जनसंख्या की समस्याओं की विवेचना कीजिए तथा उनके समाधान के उपायों को सुझाइए। [2010, 14]
या
भारत में जनसंख्या की समस्याओं का वर्णन कीजिए। (2015)
या
भारत में जनसंख्या की वृद्धि तथा इससे उत्पन्न समस्याओं का वर्णन कीजिए। [2016]
उत्तर

भारत में जनसंख्या-वृद्धि के कारण
Causes of Growth of Population in India

भारत में सन् 1991 की जनगणना के अनुसार 84.63 करोड़ व्यक्ति निवास कर रहे थे। यह जनसंख्या सन् 2011 की जनगणनानुसार 121.02 करोड़ हो गयी है। देश में जनसंख्या वृद्धि की दर 1971 से 1981 के बीच 24.66% थी, जबकि सन् 1981 से 1991 के दशक में 23.87% थी। सन् 2001-2011 के बीच 17.64% जनसंख्या-वृद्धि अंकित की गयी है। पिछले 80 वर्षों के अन्तराल में जनसंख्या तीन गुनी से भी अधिक हो गयी है। इस अतिशय जनसंख्या वृद्धि के निम्नलिखित कारण हैं –

  1. उष्ण जलवायु – भारत के उष्ण जलवायु का देश होने के कारण युवक एवं युवतियाँ शीघ्र ही सन्तति उत्पन्न करने योग्य हो जाते हैं, जिससे जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हो रही है।
  2. जन्म-दर का ऊँचा होना – भारत में जन्म-दर विश्व के अन्य विकासशील देशों से अधिक है, जबकि मृत्यु-दर कम है। फलस्वरूप जनसंख्या में निरन्तर वृद्धि होती जा रही है।
  3. शिक्षा एवं साक्षरता की कमी – भारतीय जनसंख्या का केवल 74.04% भाग ही साक्षर अर्थात् पढ़ा-लिखा है। इनमें भी पुरुष 82.14% तथा महिलाएँ 65.46% ही साक्षर हैं, जबकि ग्रामीण जनसंख्या की साक्षरता इससे भी कम है। इस प्रकार अधिकांश भारतीय रूढ़िवादी एवं भाग्यवादी हैं, जो अधिक सन्तानोत्पत्ति करना अपनी नियति समझते हैं।
  4. गरीबी एवं बेकस – भारत की अधिकांश जनसंख्या, मसेन एवं बेरोजगारी से त्रस्त है। उनका रहनसन एवं जीवनयापनका ढंगबहुत ही निम्न श्रेणी का है। इसे भी जनसंख्या-वृद्धि को बल मिला है।
  5. कम आयु में सिह करना – भारत में बहुत-से क्षेत्र आज भी ऐसे हैं, जहाँ छोटी आयु में ही विवाहकल दियेमतेज़स्थान राज्य इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। इससे दम्पति कम आयु में ही सन्तान उत्पन्न करना आरम्भ कर देते हैं तथा जनसंख्या में वृद्धि होती जाती है।
  6. विवाह की अनिवार्यता – भारत में प्रत्येक व्यक्ति के लिए विवाह करना अनिवार्य समझा जाता है तथा विवाह होते ही बच्चे पैदा करना उससे भी अधिक आवश्यक माना जाता है। इस प्रकार निरन्तर सन्तानोत्पत्ति से जनसंख्या में वृद्धि होती जाती है।
  7. पुत्र-मोह का होना – अधिकांश भारतीय पुत्र-मोह से बँधे रहते हैं तथा पुत्र-प्राप्ति अनिवार्य समझते हैं। फलस्वरूप पुत्र प्राप्ति के लिए कभी-कभी कई-कई पुत्रियाँ जन्म ले लेती हैं।
  8. संयुक्त परिवारप्रम – भारत के अनेक क्षेत्रों में आज भी संयुक्त परिवार प्रथा का प्रचलन है। इस प्रथा में बच्चों का लालन-पालन सुगमता से हो जाता है। इसी कारण बच्चों की संख्या में वृद्धि हो जाने से जनसंख्या में भी तीव्र गति से वृद्धि होती है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक बच्चे परिवार की सुरक्षा समझे जाते हैं।
  9. परिवार-कल्याण कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार न होना – देश के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी परिवार कल्याण कार्यक्रमों का व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार नहीं हो पाया है। अशिक्षित जनसंख्या सन्तति निरोध तथा गर्भनिरोधक साधनों का प्रयोग नहीं करती। फलस्वरूप जनसंख्या में अबाध गति से वृद्धि होती रहती है।

भारत में जनसंख्या-वृद्धि के कारण उत्पन्न समस्याएँ
या
जनसंख्या-वृद्धि का भारत के आर्थिक विकास पर प्रभाव
Problems Produced by Population Growth in India
Or
Effects of Population Growth on Economic Development of India
देश में तीव्र जनसंख्या वृद्धि से अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गयी हैं, जिनका विवरण निम्नलिखित है –

(1) प्रति व्यक्ति आय में कमी – भारत में आज भी 46% जनता गरीबी की रेखा से नीचे अपना जीवन बसर कर रही है, अर्थात् जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि के कारण प्रति व्यक्ति आय में कमी आ गयी है। इससे निर्धनता में वृद्धि हुई है।

(2) जीवन-स्तर का निम्न होना – देश में तीव्र जनसंख्या-वृद्धि के कारण प्रति व्यक्ति आय में तो कमी हुई ही है, साथ ही जनता का जीवन-स्तर भी निम्न हो गया है। निर्धनता के कारण वे निम्न जीवन-स्तर बिताने के लिए बाध्य हो गये हैं। उनकी प्राथमिक आवश्यकताएँ; जैसे-भोजन, वस्त्र एवं आवास की भी पूर्ति नहीं हो पाती। देश के बहुत-से लोग आज भी गन्दी बस्तियों में नारकीय जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

(3) बेरोजगारी की समस्या का होना – देश में तीव्र गति से जनसंख्या वृद्धि के कारण बेकारी की समस्या उग्र रूप धारण करती जा रही है। जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में देश में रोजगार साधनों की वृद्धि नहीं हो पाती है। फलस्वरूप देश के 7 करोड़ से अधिक नवयुवक रोजगार साधनों की तलाश में भटक रहे हैं।

(4) आर्थिक विकास की गति का अवरुद्ध होना – भारत में तीव्र जनसंख्या वृद्धि के कारण आर्थिक-विकास की जो दिशा निर्धारित की गयी थी, उसको प्राप्त करना कठिन हो रहा है, क्योंकि अतिरिक्त जनसंख्या की प्राथमिक आवश्यकताओं के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य, शिक्षा, चिकित्सा आदि के लिए व्यवस्था करनी पड़ती है, अर्थात् अतिरिक्त संसाधन जुटाने के कारण आर्थिक विकास की गति अवरुद्ध हो जाती है।

(5) पर्यावरण-प्रदूषण की समस्या-जनसंख्या – वृद्धि के कारण अतिरिक्त उत्पादन में वृद्धि के लिए वनों का भारी विनाश किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण-प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती जा रही है। मानवोपयोगी सुविधाओं के अभाव के कारण भी प्रदूषण की समस्या बढ़ी है। इस ओर तुरन्त ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है अन्यथा देशवासियों का जीवन दूभर हो जाएगा।

(6) अपराधों एवं अनैतिक कार्यों में वृद्धि – देश में तीव्र जनसंख्या-वृद्धि के कारण बेरोजगारी में भारी वृद्धि हुई है। बेरोजगार युवक एवं युवतियाँ पथ-भ्रष्ट हो गये हैं तथा उनका झुकाव अपराधों एवं अनैतिक कार्यों की ओर हो गया है। इसी कारण देश में आज अपराधों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है।

(7) जीवन-यापन सम्बन्धी साधनों की कमी – तीव्र जनसंख्या-वृद्धि से देश में आवास, मनोरंजन, शिक्षा, चिकित्सा आदि जीवनोपयोगी सुविधाओं की कमी हो गयी है। व्यक्ति जीवन-पर्यन्त इन्हीं साधनों की प्राप्ति में भटक रहा है। उसका जीवन अशान्त हो जाने के कारण वह व्याधियों से घिर गया है।

(8) उत्पादक भूमि का ह्रास – तीव्र जनसंख्या वृद्धि के कारण देश में उत्पादक भूमि में कमी होती जा रही है, क्योंकि उनकी आवासीय समस्या के समाधान के लिए उत्पादक कृषि भूमि में आवासों का विकास किया जा रहा है। उनके लिए परिवहन, संचार, व्यापार, उद्योग आदि सुविधाओं के विस्तार के कारण उत्पादक भूमि का ह्रास होता जा रहा है।

इस प्रकार, भारत में जनसंख्या विस्फोट के कारण भयावह स्थिति उत्पन्न हो गयी है। यदि समय रहते इस पर रोक न लगायी गयी तो इसके भयंकर परिणाम हो सकते हैं। भारत सरकार इस दिशा में प्रयासरत है।

जनसंख्या-वृद्धि निवारण हेतु उपाय
Measured to solve the problem of Population Growth

पिछले 80 वर्षों में जनसंख्या लगभग तीन गुनी हो गयी है। इस अतिशय जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाना अति आवश्यक है, क्योंकि देश को खाद्यान्न उत्पादन उस गति से नहीं बढ़ पाया है, जिस गति से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है। जनसंख्या की इस वृद्धि को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं –
(1) विवाह की आयु में वृद्धि करना – भारत में युवक एवं युवतियों के विवाह छोटी आयु में करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। दोनों के पूर्ण वयस्क हो जाने पर ही विवाह करने की छूट होनी चाहिए। विवाह जितनी अधिक आयु में किया जाएगा, बच्चे भी उतने ही कम उत्पन्न होंगे। अधिक आयु में विवाह करने के कारण युवतियाँ शिक्षा प्राप्त करेंगी या फिर उनकी रुचि सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यों के प्रति आकर्षित होगी। इन कार्यक्रमों से अधिक सन्तानोत्पत्ति में कमी आएगी तथा जनसंख्या वृद्धि की समस्या का समाधान करने के प्रयासों में भी वृद्धि होगी।

(2) उत्पादन में वृद्धि करना – आर्थिक उत्पादन में वृद्धि करने से मानव की रुचि एवं भौतिक समृद्धि में वृद्धि होती है तथा उसके रहन-सहन के स्तर में भी वृद्धि होती है। भारत के कृषि उत्पादन में वृद्धि होने की अभी पर्याप्त सम्भावनाएँ विद्यमान हैं तथा यदि देश में प्रति एकड़ उपज बढ़ा ली जाती है। तो उससे बढ़ती हुई जनसंख्या की खाद्यान्न आवश्यकता की पूर्ति की जा सकेगी। कृषि-क्षेत्र में विस्तार अभी भी किया जा सकता है। यदि राजस्थान में सिंचाई-सुविधाओं में वृद्धि कर दी जाए तो कुछ क्षेत्रों में बड़े-बड़े कृषि फार्म बनाये जा सकते हैं।

अन्य राज्यों में गहन खेती द्वारा प्रति एकड़ उत्पादन बढ़ाया। जा सकता है। देश में हरित क्रान्ति द्वारा खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि के यथासम्भव प्रयास किये जा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों से देश में कृषि विश्वविद्यालयों तथा कृषि अनुसन्धान संस्थानों की स्थापना की गयी है। इनमें उन्नत किस्म के बीजों, खादों, सिंचाई, कीटनाशक औषधियों तथा वैज्ञानिक यन्त्रों का प्रयोग कर कृषि उत्पादन बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं। फलों के उत्पादन में भी वृद्धि की जा रही है। दूध देने वाले पशुओं की नस्ल सुधार के प्रयास किये जा रहे हैं जिससे देश में ‘श्वेत क्रान्ति’ ने जन्म लिया है।

(3) औद्योगीकरण का विकास – पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से देश में उद्योग-धन्धों का विकास किया जा रहा है। इससे बढ़ती हुई जनसंख्या को आजीविका के साधन प्राप्त होंगे तथा आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। इसके साथ-साथ परिवहन, संचार एवं व्यापार आदि कार्यों में भी विकास होगा। इससे बेरोजगारी की समस्या का निदान किया जा सकेगा तथा कुछ हद तक जनसंख्या समस्या का भी निदान हो सकेगा।

(4) नगरीकरण में वृद्धि – विश्व के विकसित देशों में देखा गया है कि बड़े-बड़े औद्योगिक नगरों में जनसंख्या वृद्धि की दर नीची होती है। टोकियो, न्यूयॉर्क, पेरिस, मॉस्को, मुम्बई आदि नगर इसके प्रमुख उदाहरण हैं। इस कारण जापान ने इस समस्या के हल के लिए बड़े-बड़े नगरों का विकास कर लिया है तथा 80% से भी अधिक जनसंख्या नगरों में निवास कर रही है और जनसंख्या वृद्धि की दर में कमी आ गयी है, परन्तु सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में अभी केवल 31.16% जनसंख्या ही नगरों में निवास करती है, जबकि लगभग 68.84% जनसंख्या ग्रामों में निवास करती है। अतः जनसंख्या-वृद्धि पर रोक लगाने के लिए देश का नगरीकरण किया जाना अति आवश्यक है।

(5) शिक्षा का प्रचार एवं प्रसार – शिक्षा के प्रचार एवं प्रसार द्वारा विज्ञान एवं तकनीकी का अधिकाधिक प्रयोग कर मानव का जीवन-स्तर उच्च हो सकता है। शिक्षित जनसंख्या की मनोवृत्ति जनसंख्या वृद्धि की ओर कम होगी। वे जनसंख्या वृद्धि के दोषों से परिचित होंगे। इससे देश आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में प्रगति कर सकेगा।

(6) प्रवास – यूरोपीय देशों-ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, फ्रांस, बेल्जियम आदि देशों ने अपनी तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या की समस्या का हल प्रवास द्वारा कर लिया था। संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, दक्षिणी अफ्रीका, ब्राजील, अर्जेण्टाइन आदि देशों में यूरोपीय ग्रंवासी जा बसे थे, परन्तु इन नये बसे हुए देशों की सरकारों ने काली एवं पीली जातियों के आवास पर राजनीतिक प्रतिबन्ध लगा दिये हैं। यदि ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड तथा दक्षिणी अफ्रीका अपनी श्वेत नीति को त्यागकर आवास का मार्ग खोल दें तो चीन, भारत एवं जापान की बढ़ती हुई जनसंख्या को इन देशों में सुगमता से भरण-पोषण प्राप्त हो सकता है। इस प्रकार प्रवास जनसंख्या समस्या के समाधान का एक ऐसा कारगर उपाय है जिससे उपलब्ध संसाधनों एवं जनसंख्या के बीच सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है।

(7) परिवार नियोजन एवं जन्म-दर पर नियन्त्रण – जनसंख्या वृद्धि न होने का स्थायी समाधान तो परिवार नियोजन एवं जन्म-दर पर नियन्त्रण करना है। नसबन्दी, बन्ध्याकरण एवं गर्भ निरोधक गोलियों तथा औषधियों का प्रयोग इस दिशा में अधिक कारगर है। इन विधियों के प्रचार-प्रसार द्वारा भी जन्म-दर पर नियन्त्रण पाया जा सकता है जिससे जनसंख्या वृद्धि को रोकने का स्थायी समाधान खोजा जा सकता है। इन योजनाओं को लागू करने के लिए नियम एवं कानून भी बनाये जा सकते हैं तथा उनका कड़ाई से पालन किया जाना अपेक्षित है। इस ओर लोगों को प्रोत्साहित किया जाना अति
आवश्यक है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1 .
भारत में जनसंख्या-वृद्धि को नियन्त्रित करने के कोई चार उपाय सुझाइए। [2011]
या
भारत में जनसंख्या नियन्त्रण के किन्हीं दो उपायों का वर्णन कीजिए। [2014, 15, 16]
उत्तर
जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण के लिए चार उपाय निम्नलिखित हैं –

  1. साक्षरता एवं शिक्षा का प्रसार – साक्षरता तथा शिक्षा के प्रसार से जीवन के प्रति दृष्टिकोण में सुधार होता है। छोटे परिवार का महत्त्व तथा इसे अपनाने में रुचि में वृद्धि होती है। अतएव शिक्षा का प्रसार (विशेषतः गाँवों में) करना चाहिए।
  2. सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना – भारत में सन्तानोत्पत्ति का एक कारण या उद्देश्य सामाजिक सुरक्षा की भावना भी है। बेरोजगारी, दुर्घटना या वृद्धावस्था की दशा में लोग अपनी सन्तान पर निर्भर करते हैं। इस प्रकृति पर नियन्त्रण के लिए सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम आवश्यक हैं।
  3. विवाह की न्यूनतम आयु में वृद्धि – यद्यपि कानून द्वारा विवाह की न्यूनतम आयु सुनिश्चित है तथापि समाज के अनेक वर्ग इसका पालन नहीं करते हैं। देर से विवाह होने पर सन्तानोत्पत्ति देर से होती है। यह जनसंख्या को नियन्त्रित करने का प्रभावी उपाय है।।
  4. परिवार नियोजन कार्यक्रम – देश में व्यापक रूप से ये कार्यक्रम सुचारु रूप से चलाने चाहिए। अशिक्षित तथा निर्धन परिवारों में परिवार नियोजन के प्रति उत्साह कम देखा जाता है। उन्हें इस ओर आकर्षित करना चाहिए।

प्रश्न 2
पश्चिम बंगाल में अधिक जनसंख्या घनत्व के कारण बताइए। [2010]
उत्तर
पश्चिम बंगाल में अधिक जनसंख्या घनत्व के अनेक कारण हैं। इस राज्य में अनेक औद्योगिक क्षेत्र हैं; जहाँ जीविका के साधन उपलब्ध हैं। यह एक उपजाऊ कृषि क्षेत्र भी है, जो न केवल चावल, जूट आदि की उपज के लिए उपयुक्त है बल्कि लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान करता है। पश्चिम बंगाल खनन क्षेत्रों से युक्त है तथा अनेक खनन क्षेत्रों के समीप है; जहाँ जीवन-यापन एवं आवागमन के साधनों की पर्याप्त सुविधाएँ उपलब्ध हैं। पश्चिम बंगाल के पत्तन भी वहाँ पर अधिक जनसंख्या घनत्व का एक महत्त्वपूर्ण कारण हैं।

प्रश्न 3
भारत में जनसंख्या के असमान वितरण के पाँच कारकों को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। (2009, 13, 15)
उत्तर
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न संख्या 1 के अन्तर्गत ‘जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले भौगलिक कारक’ शीर्षक देखें।

प्रश्न 4
भारत में जनसंख्या विस्फोट से उत्पन्न किन्हीं चार समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न संख्या 2 के अन्तर्गत भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण उत्पन्न समस्याएँ’ शीर्षक देखें।

प्रश्न 5
भारत के उत्तरी विशाल मैदान में घनी जनसंख्या हेतु उत्तरदायी किन्हीं दो प्रमुख कारकों की विवेचना कीजिए। (2013, 15)
उत्तर
भारत के उत्तरी विशाल मैदान में घनी जनसंख्या हेतु उत्तरदायी दो प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं –
(1) उपजाऊ भूमि – भारत में सबसे अधिक जनसंख्या उपजाऊ समतल मैदानों, नदियों की घाटियों, तटीय मैदानों या डेल्टाओं में निवास करती है क्योंकि इन क्षेत्रों की उपजाऊ भूमि उन्हें पर्याप्त खाद्यान्न एवं जीविकोपार्जन के साधन प्रदान करती है। यही कारण है कि भारत में जनसंख्या का घनत्व उत्तर के विशाल मैदान और पूर्वी तथा पश्चिमी तटीय मैदानों में अधिक पाया जाता है, जबकि दक्कन के पठार तथा थार के मरुस्थल में कम जनसंख्या निवास करती है।

(2) यातायात के साधन – यातायात के साधन मानव-जीवन में उपयोगी पदार्थों की आपूर्ति करते हैं। व्यापार, उद्योग, कृषि आदि सभी यातायात साधनों से प्रभावित होते हैं। पर्वतीय वनों से ढके हुए तथा मरुस्थलीय प्रदेशों में, जहाँ परिवहन के साधनों का विकास नहीं हो पाया है, अपेक्षाकृत कम जनसंख्या निवास करती है। गंगा-यमुना के विशाल मैदानों में रेल एवं सड़कों का जाल बिछा होने के कारण
जनसंख्या का जमघट पाया जाता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
भारत में सन 2011 की जनगणनानुसार कुल जनसंख्या कितनी है?
उत्तर
भारत में सन् 2011 की जनगणनानुसार कुल जनसंख्या 121.02 करोड़ है।

प्रश्न 2
भारत में तेजी से बढ़ती जनसंख्या का कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
मृत्यु-दर में तेजी से गिरावट तथा जन्म-दर में कोई विशेष परिवर्तन न होना, जनसंख्या का तेजी से बढ़ने का मुख्य कारण है।

प्रश्न 3
उत्तर प्रदेश की अपेक्षा मध्य प्रदेश में जनसंख्या का घनत्व कम होने के दो कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर

  1. उत्तर प्रदेश का धरातल मैदानी है, जबकि मध्य प्रदेश का धरातल पठारी है।
  2. उत्तर फ्रदेश की अधिकांश नदियाँ सदावाहिनी हैं, जबकि मध्य प्रदेश की नदियाँ मौसमी (वर्षाकालीन) हैं।

प्रश्न 4
जनसंख्या घनत्व से क्या तात्पर्य है? [2011, 12, 13, 16]
उत्तर प्रति वर्ग इकाई (मील या किलोमीटर) क्षेत्र में निवास करने वाली जनसंख्या को जनसंख्या घनत्व कहते हैं।

प्रश्न 5
ग्रामीण क्षेत्रों से नगरों की ओर जनसंख्या के तेजी से अन्तरण को नियन्त्रित करने हेतु कोई दो सुझाव दीजिए। [2011]
उत्तर

  1. गाँवों में रोजगार उपलब्ध कराये जाएँ तथा
  2. गाँवों में मनोरंजन के साधन उपलब्ध कराये जाएँ।

प्रश्न 6
भारत में न्यूनतम जनसंख्या वाले प्रदेश का नाम लिखिए। [2012]
उत्तर
सिक्किम।

प्रश्न 7
भारत में जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले दो कारकों का उल्लेख कीजिए। [2016]
उत्तर

  1. स्वास्थ्यप्रद जलवायु,
  2. तापमान।

प्रश्न 8
मानवीय संसाधन से क्या अभिप्राय है? [2016]
उत्तर
मानवीय संसाधन से अभिप्राय किसी देश की जनसंख्या तथा उसकी कुशलता एवं उत्पादकता से है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1
सन 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की कुल जनसंख्या कितनी है?
(क) 101.5 करोड़
(ख) 102.4 करोड़
(ग) 121.02 करोड़
(घ) 103.5 करोड़
उत्तर
(ग) 121.02 करोड़

प्रश्न 2
सन 2011 के अनुसार भारत का प्रति वर्ग किलोमीटर जनसंख्या घनत्व है –
(क) 267
(ख) 382
(ग) 330
(घ) 335
उत्तर
(ख) 382

प्रश्न 3
जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में स्थान है –
(क) प्रथम
(ख) द्वितीय
(ग) तृतीय।
(घ) चतुर्थ
उत्तर
(ख) द्वितीय

प्रश्न 4
निम्नतम जनसंख्या घनत्व पाया जाता है – [2016]
(क) मेघालय में
(ख) मिजोरम में
(ग) सिक्किम में
(घ) अरुणाचल प्रदेश में
उत्तर
(घ) अरुणाचल प्रदेश में

प्रश्न 5
भारत के किस राज्य में जन्म-दर सबसे कम है?
(क) आन्ध्र प्रदेश
(ख) कर्नाटक
(ग) केरल
(घ) तमिलनाडु
उत्तर
(ग) केरल

प्रश्न 6.
किस राज्य में साक्षरता का प्रतिशत सर्वाधिक है? [2016]
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) पंजाब
(ग) हरियाणा
(घ) केरल
उत्तर
(घ) केरल

प्रश्न 7.
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत के किस राज्य में सर्वाधिक जनसंख्या पायी जाती है? [2011, 13, 14 16]
या
निम्नलिखित में से कौन-सा राज्य 2011 की जनगणना के अनुसार सर्वाधिक जनसंख्या वाला है? [2013]
या
भारत का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य कौन-सा है? [2013, 14, 15, 16]
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) केरल
(ग) बिहार
(घ) पश्चिम बंगाल
उत्तर
(क) उत्तर प्रदेश

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