UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 9 International Trade (अंतर्राष्ट्रीय व्यापार)
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 9 International Trade (अंतर्राष्ट्रीय व्यापार)
UP Board Class 12 Geography Chapter 9 Text Book Questions
UP Board Class 12 Geography Chapter 9 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनें
(i) संसार के अधिकांश महान पत्तन इस प्रकार वर्गीकृत किए गए हैं
(क) नौसेना पत्तन
(ख) विस्तृत पत्तन
(ग) तैल पत्तन
(घ) औद्योगिक पत्तन
उत्तर:
(ख) विस्तृत पत्तन
(ii) निम्नलिखित महाद्वीपों में से किस एक से विश्व व्यापार का सर्वाधिक प्रवाह होता है
(क) एशिया
(ख) यूरोप
(ग) उत्तरी अमेरिका
(घ) अफ्रीका
उत्तर:
(ख) यूरोप
(iii) दक्षिण अमेरिकी राष्ट्रों में से कौन-सा एक ओपेक का सदस्य है
(क) ब्राजील
(ख) वेनेजुएला
(ग) चिली
(घ) पेरू
उत्तर:
(ख) वेनेजुएला
(iv) निम्न व्यापार समूहों में से भारत किसका एक सह-सदस्य है
(क) साफ्टा (SAFTA)
(ख) आसियान (ASEAN)
(ग) ओईसीडी (OECD)
(घ) ओपेक (OPEC)
उत्तर:
(क) साफ्टा (SAFTA)
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 30 शब्दों में दीजिए
(i) विश्व व्यापार संगठन के आधारभूत कार्य कौन-से हैं?
उत्तर:
विश्व व्यापार संगठन के आधारभूत कार्य
विश्व व्यापार संगठन के आधारभूत कार्य निम्नलिखित हैं
- विश्व व्यापार संगठन एकमात्र ऐसा अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है, जो राष्ट्रों के मध्य वैश्विक नियमों का व्यवहार करता है।
- यह विश्वव्यापी व्यापार तन्त्र के लिए नियमों को तय करता है।
- इसके सदस्य देशों के मध्य विवादों का निपटारा करता है।
- यह विश्व को उच्च सीमा शुल्क और विभिन्न प्रकार की बाधाओं से मुक्त करवाता है।
(ii) ऋणात्मक भुगतान सन्तुलन का होना किसी देश के लिए क्यों हानिकारक होता है?
उत्तर:
एक ऋणात्मक भुगतान सन्तुलन का अर्थ होगा कि देश. वस्तुओं के क्रय पर उससे अधिक खर्च करता है जितना कि अपने सामानों के विक्रय से अर्जित करता है। यह अन्तिम रूप में वित्तीय संचय की समाप्ति · को अभिप्रेरित करता है।
(iii) व्यापारिक समूहों के निर्माण द्वारा राष्ट्रों को क्या लाभ प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
प्रादेशिक व्यापार समूह व्यापार की मदों में भौगोलिक सामीप्य, समरूपता और पूरकता के साथ देशों के मध्य व्यापार को बढ़ाने में सहायता करते हैं। ये व्यापार पर लगे प्रतिबन्ध हटाने में सहायता करते हैं। ये प्रादेशिक व्यापार को बढ़ावा देते हैं। दावा लेते हैं।
प्रश्न 3.
नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों से अधिक में न दें
(i) पत्तन किस प्रकार व्यापार में सहायक होते हैं? पत्तनों का वर्गीकरण उनकी अवस्थिति के आधार पर कीजिए।
उत्तर:
पत्तन व्यापार के सहायक के रूप में
- ये अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की दुनिया में मुख्य प्रवेश द्वार होते हैं। इन्हीं पत्तनों के द्वारा जहाजी माल तथा । यात्री विश्व के एक भाग से दूसरे भाग को जाते हैं।
- पत्तन जहाज के लिए गोदी लादने, उतारने तथा भण्डारण हेतु सुविधाएँ प्रदान करते हैं।
- एक पत्तन के महत्त्व को नौभार के आकार और निपटान के लिए जहाजों की संख्या द्वारा निश्चित किया जाता है।
- एक पत्तन द्वारा निपटाया नौभार उसके पृष्ठ प्रदेश के विकास के स्तर का सूचक है।
पत्तनों का वर्गीकरण – अवस्थिति के आधार पर
अवस्थिति के आधार पर पत्तनों के दो प्रकार हैं
1. आन्तरिक पत्तन – ये पत्तन समुद्र दूर स्थलखण्ड के भीतर स्थित होते हैं, परन्तु नदी या नहर द्वारा समूह से जुड़े होते हैं, जिससे विशेष प्रकार के पोत बजरे (छोटी अतिरिक्त नौकाएँ) की सहायता से इन तक पहुँचते हैं, उदाहरण के लिए मानचेस्टर, कोलकाता आदि।
2. बाह्य पत्तन – ये गहरे पानी के पत्तन हैं। ये वास्तविक पत्तनों से दूर गहरे समुद्रों में बनाए जाते हैं, क्योंकि जलपोत या तो अपने बड़े आकार के कारण या अधिक मात्रा में अवसाद हो जाने के कारण वास्तविक पत्तन तक नहीं पहुंच पाते। बोस्टन ऐसा ही पत्तन है।
(ii) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से देश कैसे लाभ प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार विश्व के अन्य देशों के साथ वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान है। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से देशों को निम्नवत् लाभ पहुँचता है
- राष्ट्र उन वस्तुओं का आयात कर सकते हैं जिनका उनके यहाँ उत्पादन नहीं होता।
- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से देशों में आपसी सहयोग और भाई-चारा बढ़ता है।
- देश अपने यहाँ अतिरिक्त उत्पादन को उचित मूल्य पर अन्य देशों को बेच सकते हैं जिससे राष्ट्रीय आय में वृद्धि होगी।
- देश अपने विशिष्ट उत्पादन का निर्यात कर सकते हैं, इससे विश्व अर्थव्यवस्था में सुधार आता है।
- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्तों और वस्तुओं के स्थानान्तरण के सिद्धान्त पर निर्भर करता है, जिससे व्यापार करने वाले देशों को लाभ ही पहुँचता है।
- आधुनिक युग में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के अन्तर्गत प्रौद्योगिक ज्ञान तथा अन्य बौद्धिक सेवाओं का भी आदान-प्रदान किया जाता है जिससे दोनों देशों को लाभ पहुँचता है।
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विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए। अथवा उन परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए जिन्हें पैदा करके अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार राष्ट्रों के लिए हितकर नहीं होगा।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से होने वाली हानियाँ
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से होने वाली हानियाँ निम्नलिखित हैं
- कुछ देश दूसरे देशों पर पूर्णतया आश्रित हो जाते हैं।
- विकास के वितरण में असमानता हो जाती है।
- शोषण और व्यापारिक प्रतिद्वन्द्विता से युद्ध होने की आशंका रहती है।
- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से जीवन का प्रत्येक क्षेत्र प्रभावित होता है।
- इसके द्वारा पर्यावरण से लेकर स्वास्थ्य और खुशहाली पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
- प्राकृतिक संसाधनों का उत्पादन और उपयोग काफी बढ़ जाता है।
- संसाधनों का इतनी तेजी से दोहन होता है कि उनकी पुन: पूर्ति नहीं हो पाती।
- समुद्री जीव-जन्तु व वन तेजी से कम होते जाते हैं।
- विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों में तेजी से वृद्धि होती है।
- बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के काम करने के तरीके ऐसे होते हैं कि वे सतत पोषणीय विकास का ध्यान नहीं रखतीं।
प्रश्न 2.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रवृत्तियाँ
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रवृत्तियों के महत्त्वपूर्ण बिन्दु इस प्रकार हैं
- प्राचीन काल में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार बहुत थोड़ी वस्तुओं का और आज की तरह जटिल नहीं था। अधिकांश मदें विलासिता की वस्तुएँ थीं।
- औद्योगिक क्रान्ति के बाद व्यापार का संयोजन बदला; विलासिता की वस्तुओं के साथ कच्चे माल, ईंधन, उपभोक्ता पदार्थ भी व्यापार में शामिल हो गए।
- उष्ण कटिबन्ध से प्राथमिक उत्पाद शीतोष्ण कटिबन्ध में तथा शीतोष्ण कटिबन्ध से विनिर्मित वस्तुएँ उष्ण कटिबन्ध में आने लगीं।
- विकसित राष्ट्रों का व्यापार सन्तुलन धनात्मक और विकासशील राष्ट्रों का ऋणात्मक होने लगा। विकसित राष्ट्र विश्व व्यापार के 3/4 भाग पर कब्जा किए हुए हैं।
- कच्चा तेल, खनिज पदार्थ, मशीनें एवं परिवहन उत्पाद अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्त्वपूर्ण बनने लगे।
- सूचना और परिवहन के क्षेत्र में हुई दोहरी प्रौद्योगिक क्रान्ति ने वस्तुओं और सेवाओं की मात्रा एवं गुणवत्ता बढ़ा दी।
- विश्व व्यापार संगठन एवं प्रादेशिक व्यापार समूह अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की नवीनतम प्रवृत्तियाँ बनकर उभरे।
प्रश्न 3.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्त्वपूर्ण पक्षों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्त्वपूर्ण पक्ष अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रतिरूप को निर्धारित करने वाले महत्त्वपूर्ण तीन पक्ष हैं
(1) व्यापार का परिमाण, (2) व्यापार का संयोजन, एवं (3) व्यापार की दिशा।
1. व्यापार का परिमाण – व्यापार की गई वस्तुओं के वास्तविक तौल को ‘व्यापार का परिमाण’ कहा जाता है। हालाँकि तौल से मूल्य का सही-सही ज्ञान कभी नहीं हो पाता और न ही व्यापारिक सेवाओं को तौल में मापा जा सकता है; इसलिए व्यापार की गई कुल वस्तुओं तथा सेवाओं के कुल मूल्य को व्यापार के परिमाण के रूप में जाना जाता है।
विभिन्न देशों के बीच व्यापार के परिमाण की भिन्नता
(i) उत्पादित पदार्थों, (ii) सेवाओं की प्रकृति, (iii) द्विपक्षीय सन्धियों तथा (iv) व्यापार निषेधों पर निर्भर करती है।
2. व्यापार का संयोजन – अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में जगह पाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के प्रकार भी बदलते रहते हैं। 20वीं शताब्दी के आरम्भ में आयात और निर्यात की वस्तुओं में प्राथमिक उत्पादों की प्रधानता थी। बाद में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में विनिर्मित वस्तुओं ने प्रमुखता प्राप्त कर ली। वर्तमान में यद्यपि विश्व व्यापार के अधिकांश भाग पर विनिर्माण सेक्टर का आधिपत्य है, सेवा क्षेत्र जिसमें परिवहन तथा अन्य व्यावसायिक सेवाएँ शामिल हैं, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की वृद्धि की प्रकृति दिखा रहा है। विगत कुछ वर्षों से व्यापार में पेट्रोलियम का. स्थान महत्त्वपूर्ण बना हुआ है।
3. व्यापार की दिशा – अट्ठारहवीं सदी तक विकासशील देश यूरोप को विनिर्मित वस्तुएँ निर्यात किया करते थे। उन्नीसवीं सदी में व्यापार की दिशा बदली और यूरोप से विनिर्मित माल तीन दक्षिणी महाद्वीपों—दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका व ऑस्ट्रेलिया की ओर आने लगा। बदले में ये महाद्वीप यूरोप को कच्चे माल व खाद्य पदार्थों को यूरोप भेजते थे। आज प्रौद्योगिकी व्यापार महत्त्वपूर्ण होता जा रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापार में तो भारत अनेक विकसित देशों से आगे चल रहा है।
प्रश्न 4.
व्यापार सन्तुलन किसे कहते हैं? इसके प्रकारों को समझाइए।
उत्तर:
दुनिया का प्रत्येक राष्ट्र कुछ वस्तुओं का निर्यात करता है व अन्य कुछ वस्तुओं का आयात भी करता है। इसी कारण व्यापार सन्तुलन की स्थिति उत्पन्न होती है।
व्यापार सन्तुलन का अर्थ – किसी समयावधि में आयात एवं निर्यात के बीच मूल्यों के अन्तर को ‘व्यापार सन्तुलन’ कहा जाता है
व्यापार सन्तुलन के प्रकार
व्यापार सन्तुलन दो प्रकार के होते हैं
(1) धनात्मक व्यापार सन्तुलन, एवं (2) ऋणात्मक व्यापार सन्तुलन।
1. धनात्मक व्यापार सन्तुलन – यदि किसी देश में आयात की जाने वाली वस्तुओं की अपेक्षा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य अधिक होता है तो ऐसे देशों के व्यापार सन्तुलन को धनात्मक कहा जाता है। इसे ‘अनुकूल व्यापार सन्तुलन’ भी कहते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका और अनेक विकसित पश्चिम यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्थाएँ ऐसी ही हैं।
2. ऋणात्मक व्यापार सन्तुलन – यदि किसी देश में निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की अपेक्षा आयात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य अधिक होता है तो उस देश का व्यापार सन्तुलन ऋणात्मक कहलाता है। इसे असन्तुलित अथवा विलोम व्यापार सन्तुलन भी कहा जाता है। भारत का व्यापार सन्तुलन लगभग सदा ऋणात्मक रहा है।
धनात्मक व्यापार सन्तुलन वाले देश को ‘साहूकार’ देश तथा ऋणात्मक व्यापार सन्तुलन वाले देश को ‘ऋणी’ देश कहा जाता है।
किसी भी देश की आर्थिकी के लिए.व्यापार सन्तुलन तथा भुगतान सन्तुलन के गम्भीर निहितार्थ हुआ करते हैं। ऋणात्मक व्यापार सन्तुलन अन्तत: देश के वित्तीय संचय को समाप्त कर देता है।
प्रश्न 5.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से आप क्या समझते हैं? अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के आधारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ – विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आयात-निर्यात को ‘अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार’ कहते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रमुख आधार निम्नलिखित हैं
- प्राकृतिक संसाधनों में भिन्नता – प्राकृतिक संसाधनों का वितरण सभी देशों में एकसमान नहीं पाया जाता। प्राकृतिक संसाधनों में भिन्नता, भू-गर्भिक संरचना, खनिज उच्चावच, मृदा, वनस्पति, जलवायु तथा नदियों जैसे प्राकृतिक तत्त्वों में विभिन्नता के कारण पैदा होती है।
- जनसंख्या कारण – विभिन्न देशों में जनसंख्या का आकार, उसका वितरण तथा सामाजिक-आर्थिक विविधता व्यापार के लिए आई वस्तुओं और सेवाओं के प्रकार और उनकी मात्रा को प्रभावित करते हैं।
- आर्थिक विकास की प्रावस्था – आर्थिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं में देशों द्वारा व्यापार की गई वस्तुओं का प्रकार भी बदल जाता है।
- विदेशी निवेश की सीमा – विदेशी निवेश की सीमा भी अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्त्वपूर्ण आधार है।
- परिवहन एवं संचार प्रणाली का विकास – पुराने समय के परिवहन साधनों की तुलना में आज परिवहन व संचार प्रणाली तथा प्रशीतन एवं परिरक्षण के बेहतर साधनों के कारण व्यापार का स्थानिक विस्तार हुआ है।
प्रश्न 6.
विश्व व्यापार संगठन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विश्व व्यापार संगठन (WTO) स्थापना-व्यापार के प्रतिबन्धों को कम करके देशों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि करने के उद्देश्य से सन् 1948 में जिनेवा (स्विट्जरलैण्ड) में गैट अर्थात् ‘जनरल एग्रीमेण्ट ऑन ट्रेड एण्ड टैरिफ’ नामक संस्था की स्थापना की गई। सन् 1994 में सदस्य देशों द्वारा राष्ट्रों के बीच मुफ्त एवं निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक स्थायी संस्था के गठन का निर्णय लिया गया तथा 1 जनवरी, 1995 से गैट को विश्व व्यापार संगठन (WTO) में रूपान्तरित कर दिया गया।
विश्व व्यापार संगठन के उद्देश्य एवं कार्य
विश्व व्यापार संगठन के उद्देश्य एवं कार्य निम्नलिखित हैं
- यह एकमात्र अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है जो राष्ट्रों के मध्य वैश्विक नियमों को लागू करता है।
- यह विश्वव्यापी व्यापार तन्त्र के लिए टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को दूर करने के लिए नियम बनाता है।
- यह सुनिश्चित करता है कि अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के विस्तार से अल्पविकसित देश भी लाभान्वित हों।
- यदि कोई सदस्य देश समझौतों और नियमों का पालन नहीं करता तो उसकी शिकायत विवाद निपटारा समिति को की जाती है।
- विश्व व्यापार संगठन वस्तु व्यापार, सेवा व्यापार जैसे दूरसंचार व बैंकिंग, बौद्धिक सम्पदा, अधिकारों का संरक्षण, विदेशी निवेश तथा अन्य विषयों को अपने कार्यों में शामिल करता है।
- यह संगठन उपभोक्ताओं को लाभान्वित करने के लिए सभी देशों में प्रतिस्पर्धा तो बढ़ाता ही है, साथ ही विश्व में रोजगार के स्तर को बढ़ाने के लिए उत्पादन और उत्पादकता दोनों को बढ़ाता है।
- संसाधनों का इष्टतम उपयोग, लोगों के जीवन-स्तर में सुधार तथा अति गरीब राष्ट्रों के विकास के लिए विशेष प्रयास करना भी इसके उद्देश्यों में शामिल हैं।
- विश्व व्यापार नीति निर्माण में समन्वय लाने के लिए यह संगठन अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) तथा विश्व बैंक को सहयोग करता है।
प्रश्न 7.
विश्व के प्रमुख प्रादेशिक व्यापार समूहों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विश्व के प्रमुख प्रादेशिक व्यापार समूह
विश्व के प्रमुख प्रादेशिक व्यापार समूह निम्नलिखित हैं
1. दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन (ASEAN-आसियान) – इसका गठन अगस्त 1967 में इण्डोनेशिया, मलयेशिया, थाईलैण्ड, फिलिपीन्स, ब्रुनेई, वियतनाम तथा सिंगापुर ने मिलकर किया था। इसका मुख्यालय जकार्ता (इण्डोनेशिया) में है। भारत भी इसका सह-सदस्य बन गया है। कृषि उत्पाद, खनिज, ऊर्जा तथा सॉफ्टवेयर प्रमुख व्यापारिक वस्तुएँ हैं।
2. सी०आई०एस० (C.I.S.) – इसका गठन तत्कालीन सोवियत संघ के विघटन के बाद किया गया। इसका मुख्यालय मिस्क (बेलारूस) है। इसका मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था, प्रतिरक्षण तथा विदेश नीति के मामलों पर समन्वय व सहयोग स्थापित करना है। आइमीनिया, अजरबैजान, बेलारूस, जार्जिया, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, मौल्डोवा, रूस, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उक्रेन तथा उजबेकिस्तान इस संगठन के सदस्य हैं। अशोधित तेल, प्राकृतिक गैस, सोना, कपास, रेशे, ऐलुमिनियम आदि मुख्य व्यापारिक वस्तुएँ हैं।
3. यूरोपीय संघ (E.U.) – इसे ‘यूरोपीय आर्थिक समुदाय’ (EEC) या ‘यूरोपीय साझा बाजार’ (ECM) भी कहते हैं। इसका गठन मार्च 1957 में रोम सन्धि के फलस्वरूप किया गया। इसके 6 सदस्य देश थे- फ्रांस, बेल्जियम, लक्जेमबर्ग, नीदरलैण्ड्स, जर्मन संघीय गणराज्य तथा इटली। इसका मुख्यालय बुसेल्स (बेल्जियम) में है। फरवरी 1992 में इसका नाम ‘यूरोपीय संघ’ कर दिया गया। ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क, फ्रांस, फिनलैण्ड, आयरलैण्ड, इटली, नीदरलैण्ड, लक्जमबर्ग, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन और यू०के० इस संगठन के सदस्य हैं। कृषि उत्पाद, खनिज, रसायन, लकड़ी, कागज, परिवहन की गाड़ियाँ, घड़ियाँ, कलाकृतियाँ, पुरा वस्तु आदि मुख्य व्यापारिक वस्तुएँ हैं।
4. लैटिन अमेरिकन इंटीग्रेशन एसोसिएशन (LAIA) – इसका गठन सन् 1960 में किया गया था। इसका मुख्यालय मॉण्टोविडियो (उरुग्वे) में है। इसका मुख्य उद्देश्य दक्षिण अमेरिका के बीच आपसी व्यापार को बढ़ावा देना है। अर्जेण्टीना, बोलिविया, ब्राजील, कोलम्बिया, इक्वाडोर, मैक्सिको, पराग्वे, पेरु, उरुग्वे तथा वेनेजुएला इसके सदस्य हैं।
5. नॉर्थ अमेरिकन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (NAFTA) — इसका गठन सन् 1988 में विश्व के दो बड़े व्यापारिक सहयोगियों-संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा के बीच व्यापार प्रतिबन्धों को समाप्त करने के लिए किया गया। सन् 1994 में इसका विस्तार किया गया और मैक्सिको को भी इसका सदस्य बनाया गया। कृषि उत्पाद, मोटरगाड़ियाँ, स्वचालित पुर्जे, कम्प्यूटर, वस्त्र आदि प्रमुख व्यापारिक वस्तुएँ हैं।
6. ओपेक (OPEC) – इसका गठन पेट्रोलियम का निर्यात करने वाले देशों के हितों की रक्षा के लिए सन् 1949 में किया गया। इसका मुख्यालय वियना (ऑस्ट्रिया) में है। इसके सदस्य देश अल्जीरिया, इण्डोनेशिया, इराक, ईरान, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और वेनेजुएला हैं। संगठन अशोधित खनिज तेल के व्यापार से सम्बन्धित है। संगठन पेट्रोलियम के मूल्यों सम्बन्धी नीतियों को निर्धारित करता है।
7. साफ्टा (SAFTA) – इसका गठन जनवरी 2006 में हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य अन्तर-प्रादेशिक व्यापार के करों को कम करना है। बंगलादेश, मालदीव, भूटान, नेपाल, भारत, पाकिस्तान तथा श्रीलंका इसके सदस्य देश हैं।
लघ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
द्विपाश्विक व्यापार से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
द्विपाश्विक व्यापार-यह व्यापार दो देशों के बीच होता है। इस प्रकार का व्यापार तभी पनपता है, जब दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएँ एक-दूसरे की पूरक हों। उदाहरणतया—एक विकासशील देश, विकसित देश को कच्चा माल निर्यात करता है और बदले में विकसित देश विकासशील देश को निर्मित वस्तुएँ उपलब्ध कराता है। ऐसा कुछ निश्चित वस्तुओं के सन्दर्भ में सीमित मात्रा में ही सम्भव हो पाता है।
प्रश्न 2.
बहुपाश्विक व्यापार से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बहुपाश्विक व्यापार-यह व्यापार बहुत-से देशों के साथ किया जाता है। वही देश अन्य देशों के साथ व्यापार कर सकता है। देश कुछ व्यापारिक साझेदारों को सर्वाधिक अनुकूल राष्ट्र’ (MFN) की स्थिति प्रदान कर सकता है।
प्रश्न 3.
अनुकूल व्यापार सन्तुलन एवं प्रतिकूल व्यापार सन्तुलन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अनुकूल व्यापार सन्तुलन – यदि किसी देश का निर्यात उसके आयात से अधिक है तो इसे उस देश का ‘अनुकूल व्यापार सन्तुलन’ कहा जाता है।
प्रतिकूल व्यापार सन्तुलन – यदि किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक है तो इसे उस देश का ‘प्रतिकूल व्यापार सन्तुलन’ कहा जाता है।
प्रश्न 4.
प्रादेशिक व्यापार समूहों की विशेषताओं को समझाइए।
उत्तर:
प्रादेशिक व्यापार समूहों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- प्रादेशिक व्यापार समूहों का मुख्य उद्देश्य भौगोलिक सामीप्य वाले देशों के बीच व्यापार को बढ़ाना तथा प्रोत्साहित करना है।
- व्यापारिक मदों में सम्पूरकों को प्रोत्साहित करना।
- विकासशील देशों के व्यापार पर लगी पाबन्दियों के अन्त का उद्देश्य।
- आसियान, साफ्टा, ओपेक आदि संसार के प्रमुख प्रादेशिक व्यापार समूह हैं।
प्रश्न 5.
व्यापार सन्तुलन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यापार सन्तुलन-किसी समयावधि में किसी देश के निर्यात और आयात के अन्तर को ‘व्यापार का सन्तुलन’ कहते हैं। यदि कोई देश वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात आयात की अपेक्षा अधिक करता है तो व्यापार सन्तुलन को अनुकूल या धनात्मक कहते हैं। यदि आयात, निर्यात से अधिक होता है तो व्यापार सन्तुलन को प्रतिकूल या ऋणात्मक कहते हैं। ।
प्रश्न 6.
व्यापार की आवश्यकता क्यों है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यापार की आवश्यकता के कारण
- व्यापार की आवश्यकता मुख्यतः उत्पादन तथा उत्पादकता की प्रादेशिक भिन्नता के कारण होती है।
- पृथ्वी के धरातल पर प्राकृतिक संसाधनों के वितरण में भिन्नता पायी जाती है। सभी देश प्राकृतिक संसाधनों में धनी नहीं होते।
- जो देश अपने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग अधिक दक्षता से करके अधिशेष उत्पादन करता है वह इसे अन्य देशों में जहाँ इनका अभाव होता है बेचने में सक्षम होता है।
प्रश्न 7.
वस्त-विनिमय तथा मुद्रा आधारित विनिमय में अन्तर बताइए।
उत्तर:
वस्तु-विनिमय तथा मुद्रा आधारित विनिमय में अन्तर
क्र० सं० | वस्तु-विनिमय | मुद्रा आधारित विनिमय |
1. | यह स्थानीय व्यापार का प्राचीन ढंग है। | यह अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का आधुनिक ढंग है। |
2. | इस विधि में वस्तुओं के विनिमय द्वारा व्यापार होता है। | इस विधि में मुद्रा के विनिमय से व्यापार होता है। |
3. | यह विधि आज भी विश्व की आदिम जातियों में जाती है। | यह विधि विश्व के विकसित देशों में प्रयोग की प्रचलित है। |
4. | यह विधि सीमित विधि है। | यह विधि संसार के अनेक देशों में प्रयोग की जाती है। |
प्रश्न 8.
बाह्य पत्तनों की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
बाह्य पत्तनों की विशेषताएँ
- बाह्य पत्तन गहरे पानी के पत्तन हैं जो वास्तविक पत्तन से दूर गहरे समुद्र में बनाए जाते हैं।
- ये पत्तन बड़े आकार के जहाजों के खड़े होने के लिए बनाए जाते हैं जो वास्तविक पत्तन तक नहीं पहुँच सकते हैं।
- ये वास्तविक पत्तन के सहायक पत्तन होते हैं। ब्रिस्टल तथा एथेन्स में पिरास इसके अच्छे उदाहरण हैं।
प्रश्न 9.
निपटाए गए नौभार के अनुसार पत्तनों के प्रकार बताइए।
उत्तर:
निपटाए गए नौभार के अनुसार पत्तनों के प्रकार
- औद्योगिक पत्तन – ये पत्तन थोक नौभार के लिए विशेषीकृत होते हैं; जैसे–अनाज, चीनी, अयस्क, तेल, रसायन और इसी प्रकार के पदार्थ।
- वाणिज्यिक पत्तन – ये मुख्यतः सामान के आयात-निर्यात के लिए प्रयोग किए जाते हैं। कुछ पत्तनों को सवारियाँ भी प्रयोग करती हैं तथा कुछ मत्स्यन जलपोतों को आश्रय देते हैं।
- विस्तृत पत्तन – ये पत्तन बड़े पैमाने पर सामान्य नौभार का थोक प्रबन्ध करते हैं। विश्व के अधिकांश बड़े पत्तन इसी वर्ग के हैं।
प्रश्न 10.
पत्तन, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार होते हैं। व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पत्तन, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार-पत्तन (Port) लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है—द्वार। यह वास्तव में समुद्र और भूमि को जोड़ने का कार्य करता है। पत्तन, समुद्र तट का वह स्थान है जहाँ से भारी मात्रा में माल समुद्री मार्गों से स्थल मार्गों द्वारा भेजा जाता है। पत्तन अपने पृष्ठप्रदेश के लिए विदेशों से माल आयात करता है तथा अपने पृष्ठ प्रदेश में उत्पादित माल दूसरे देशों को भेजता है। इस तरह एक पत्तन व्यापार के लिए स्थल से समुद्र तक तथा समुद्र से स्थल तक द्वार का काम करता है, अत: पत्तनों को अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के द्वार के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का तोरण भी कहा जाता है।
प्रश्न 11.
पैकेट पत्तन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
पैकेट पत्तन-इन्हें ‘फैरी पोर्ट’ भी कहते हैं। इन्हें छोटे समुद्री मार्ग से आने वाले यात्रियों को उतारने-चढ़ाने तथा डाक लाने व ले जाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें प्राय: दो स्टेशन आमने-सामने होते हैं। इसका नाम उन जहाजों पर पड़ा है, जो प्राचीनकाल में पत्र एवं राज्य-पत्र आदि ले जाते थे, जिन्हें ‘पैकेट’ कहते थे, अत: उनके ठहरने के स्थान को ‘पैकेट स्टेशन’ कहते हैं।
प्रश्न 12.
मार्ग पत्तन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
मार्ग पत्तन-बहुत-से ऐसे पत्तन महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों के साथ विकसित हो जाते हैं, जहाँ पर जलपोत ईंधन तथा खाना लेने के लिए रुकते हैं। कालान्तर में ये पूर्ण पत्तनों के रूप में विकसित हो जाते हैं। अदन, होनोलूलू तथा सिंगापुर इसी प्रकार के पत्तन हैं।
प्रश्न 13.
आन्त्रोपो पत्तन से आपका क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आन्त्रोपो पत्तन — ये पत्तन एक देश के माल को दूसरे देश में भेजने का कार्य करते हैं। ऐसे पत्तनों पर जो माल आता है, उसका गन्तव्य अन्य देश होते हैं, अत: उस माल का संचयन बड़े-बड़े गोदामों में किया जाता है और दूसरे देशों को भेजा जाता है। सिंगापुर, हांगकांग, रोटरडम, कोपेनहेगन, औटवर्प आदि इसी प्रकार के पत्तन हैं।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
व्यापार किसे कहते हैं?
उत्तर:
वस्तुओं और सेवाओं के स्वैच्छिक आदान-प्रदान को ‘व्यापार’ कहते हैं।
प्रश्न 2.
राष्ट्रीय व्यापार से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
देश के भीतर ही देश के विभिन्न भागों के बीच होने वाला व्यापार ‘राष्ट्रीय व्यापार’ कहलाता है।
प्रश्न 3.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से क्या आशय है?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार विभिन्न राष्ट्रों के बीच राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार वस्तुओं एवं सेवाओं के आदान-प्रदान से सम्बन्धित है।
प्रश्न 4.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार बताइए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार हैं
- राष्ट्रीय संसाधनों में भिन्नता
- जनसंख्या कारक
- आर्थिक विकास की प्रावस्था
- विदेशी निवेश की सीमा, एवं
- परिवहन।
प्रश्न 5.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्त्वपूर्ण पक्ष बताइए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के तीन महत्त्वपूर्ण पक्ष हैं
- व्यापार का परिमाण
- व्यापार संयोजन, तथा
- व्यापार की दिशा।
प्रश्न 6.
GATT का पूरा नाम क्या है?
उत्तर:
General Agreement on Tariff and Trade’.
प्रश्न 7.
WTO का पूरा नाम क्या है?
उत्तर:
‘World Trade Organisation’.
प्रश्न 8.
व्यापार सन्तुलन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रत्येक देश कुछ वस्तुओं का आयात करता है तथा कुछ अन्य वस्तुओं का निर्यात करता है। आयात तथा निर्यात के बीच मूल्यों के अन्तर को ‘व्यापार सन्तुलन’ कहा जाता है।
प्रश्न 9.
मुक्त व्यापार किसे कहते हैं?
उत्तर:
व्यापार हेतु अर्थव्यवस्थाओं को खोलने की प्रक्रिया को ‘मुक्त व्यापार’ या ‘व्यापारिक उदारीकरण’ कहते हैं।
प्रश्न 10.
डंप करना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
लागत की दृष्टि से नहीं बल्कि भिन्न-भिन्न कारणों से अलग-अलग कीमत की किसी वस्तु को दो देशों में विक्रय करने की प्रथा ‘डंप करना’ कहलाती है।
प्रश्न 11.
विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय कहाँ स्थित है?
उत्तर:
विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय ‘जिनेवा’ (स्विट्जरलैण्ड) में है।
प्रश्न 12.
प्रादेशिक व्यापार समूह का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
प्रादेशिक व्यापार समूह का मुख्य उद्देश्य संरक्षणवाद को कम करना तथा सदस्य देशों के बीच आर्थिक सम्बन्धों में वृद्धि करना है।
प्रश्न 13.
ASEAN का पूरा नाम क्या है?
उत्तर:
‘Association of South-East Asian Nations’.
प्रश्न 14.
LAIA का पूरा नाम क्या है?
उत्तर:
‘Latin American Integration Association’.
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के द्वार हैं
(a) समुद्री बन्दरगाह
(b) हवाई पत्तन
(c) प्रादेशिक समूह
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) समुद्री बन्दरगाह।
प्रश्न 2.
जब एक ही क्षेत्र के निवासी वस्तु-विनिमय करते हैं, तो यह कौन-सा व्यापार है.
(a) स्थानीय व्यापार
(b) राष्ट्रीय व्यापार
(c) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(a) स्थानीय व्यापार।
प्रश्न 3.
जब वस्तुओं या सेवाओं का विनिमय कई देशों के बीच हो तो वह कहलाता है
(a) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
(b) क्षेत्रीय व्यापार
(c) द्विपक्षीय व्यापार,
(d) बहुपक्षीय व्यापार।
उत्तर:
(d) बहुपक्षीय व्यापार।
प्रश्न 4.
आयात और निर्यात के बीच मूल्य के अन्तर को क्या कहा जाता है
(a) व्यापार सन्तुलन
(b) अनुकूल व्यापार सन्तुलन
(c) विलोम व्यापार सन्तुलन
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) व्यापार सन्तुलन।
प्रश्न 5.
जब निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की अपेक्षा आयात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य अधिक होता है, तो व्यापार कहलाता है
(a) व्यापार सन्तुलन
(b) धनात्मक व्यापार सन्तुलन
(c) ऋणात्मक व्यापार सन्तुलन
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) ऋणात्मक व्यापार सन्तुलन।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित महाद्वीपों में से किस एक से विश्व व्यापार का सबसे कम प्रवाह होता है
(a) उत्तरी अमेरिका
(b) यूरोप
(c) एशिया
(d) अफ्रीका।
उत्तर:
(d) अफ्रीका।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित व्यापार समूहों में से भारत किसका एक सह-सदस्य नहीं है
(a) आसियान
(b) साफ्टा
(c) ओपेक
(d) (a) व (b) दोनों का।
उत्तर:
(c) ओपेक।
प्रश्न 8
विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय कहाँ है
(a) न्यूयॉर्क
(b) लन्दन
(c) पेरिस
(d) जिनेवा।
उत्तर:
(d) जिनेवा।
प्रश्न 9.
हुगली नदी पर बना कोलकाता पत्तन निम्नलिखित में से किस प्रकार का है
(a) बाह्य पत्तन
(b) आन्त्रोपो पत्तन.
(c) आन्तरिक पत्तन
(d) सवारी पत्तन।
उत्तर:
(c) आन्तरिक पत्तन।
प्रश्न 10.
बन्दरगाह के जंगी जहाजों के लिए काम करते हैं, उसे कहते हैं
(a) तेल बन्दरगाह
(b) आन्तरिक पत्तन
(c) पोर्ट ऑफ कॉल
(d) नौसैनिक पत्तन।
उत्तर:
(d) नौसैनिक पत्तन।