UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 9 Planning and Sustainable Development in Indian Context (भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास)
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 9 Planning and Sustainable Development in Indian Context (भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास)
UP Board Class 12 Geography Chapter 9 Text Book Questions
UP Board Class 12 Geography Chapter 9 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए-
(i) प्रदेशीय नियोजन का सम्बन्ध है-
(क) आर्थिक व्यवस्था के विभिन्न सेक्टरों का विकास
(ख) क्षेत्र-विशेष के विकास का उपागम
(ग) परिवहन जल तन्त्र में क्षेत्रीय अन्तर
(घ) ग्रामीण क्षेत्रों का विकास
उत्तर:
(ख) क्षेत्र-विशेष के विकास का उपागम।
(ii) आई०टी०डी०पी० निम्नलिखित में से किस सन्दर्भ में वर्णित है-
(क) समन्वित पर्यटन विकास प्रोग्राम
(ख) समन्वित यात्रा विकास प्रोग्राम
(ग) समन्वित जनजातीय विकास प्रोग्राम
(घ) समन्वित परिवहन विकास प्रोग्राम।
उत्तर:
(ग) समन्वित जनजातीय विकास प्रोग्राम।
(iii) इन्दिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र में सतत पोषणीय विकास के लिए इनमें से कौन-सा सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है-
(क) कृषि विकास
(ख) पारितन्त्र विकास
(ग) परिवहन विकास
(घ) भूमि उपनिवेशन।
उत्तर:
(ख) पारितन्त्र विकास।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें-
(i) भरमौर जनजातीय क्षेत्र में समन्वित जनजातीय विकास कार्यक्रम के सामाजिक लाभ क्या हैं?
उत्तर:
भरमौर जनजातीय क्षेत्र में जनजातीय विकास कार्यक्रम से सबसे अधिक विकास विद्यालयों, स्वास्थ्य सुविधाओं, पेयजल, परिवहन एवं संचार तथा विद्युत के क्षेत्र में हुआ।
(ii) सतत पोषणीय विकास की संकल्पना को परिभाषित करो।
उत्तर:
ब्रटलैण्ड आयोग के अनुसार सतत पोषणीय विकास का अर्थ है-“एक ऐसा विकास जिसमें भविष्य में आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकता पूर्ति को प्रभावित किए बिना वर्तमान पीढ़ी द्वारा अपनी आवश्यकता की पूर्ति की जाए।”
(iii) इन्दिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र का सिंचाई पर क्या सकारात्मक प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
इन्दिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र में नहर द्वारा सिंचाई के प्रसार से इस प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यहाँ मृदा में नमी की कमी कृषि के विकास में सबसे बड़ी बाधा थी। सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होने से बोए गए क्षेत्र का विस्तार हुआ है और एक से अधिक बार बोए गए क्षेत्र में वृद्धि हुई है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें-
(i) सूखा सम्भावी क्षेत्र कार्यक्रम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। यह कार्यक्रम देश में शुष्क भूमि कृषि विकास में कैसे सहायक है?
उत्तर:
सूखा सम्भावी क्षेत्र कार्यक्रम-यह कार्यक्रम चौथी योजना में शुरू किया गया था। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सूखा प्रवण क्षेत्रों में गरीब ग्रामीण लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना तथा सूखे के प्रभाव को कम करना था। इसमें भूमि तथा मजदूर की उत्पादकता में वृद्धि के लिए विकासात्मक कार्य शुरू किए गए थे। समन्वित विकास पर विशेष जोर दिया गया था। ये कार्यक्रम सिंचाई परियोजनाओं, भूमि विकास कार्यक्रम, वनारोपण/वनीकरण, घास भूमि विकास, ग्रामीण विद्युतीकरण और अवसंरचनात्मक विकास कार्यक्रम से सम्बन्धित थे।
कार्यक्रम का प्रभाव मुख्यत: कृषि तथा इससे सम्बद्ध सेक्टरों के विकास तक ही सीमित है और पर्यावरणीय सन्तुलन पुनः स्थापन तक इसमें विशेष बल दिया गया। यह भी महसूस किया गया कि जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के कारण भूमि पर जनसंख्या का भार निरन्तर बढ़ रहा है और कृषक अधिक कृषि उत्पादन प्राप्त करने के लिए सीमान्त भूमि का प्रयोग करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। इससे पारिस्थितिकीय सन्तुलन बिगड़ रहा है, अत: सूखा प्रभावी क्षेत्रों में वैकल्पिक रोजगार के अवसर उत्पन्न करना अति महत्त्वपूर्ण हो गया है।
कार्यक्रम देश में शुष्क भूमि कृषि विकास में सहायक-भारत में सूखा सम्भावी क्षेत्र मुख्यत: राजस्थान, गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र, आन्ध्र प्रदेश में रायलसीमा, तेलंगाना, कर्नाटक पठार और तमिलनाडु की उच्च भूमि तथा आन्तरिक भाग के शुष्क और अर्द्ध-शुष्क भागों में फैले हुए हैं। पंजाब, हरियाणा और उत्तरी राजस्थान के सूखा प्रभावित क्षेत्र सिंचाई के प्रसार के कारण सूखे से बच जाते हैं।
(ii) इन्दिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र में सतत पोषणीय विकास को बढ़ावा देने के लिए उपाय सुझाइए।
उत्तर:
इन्दिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र में सतत पोषणीय विकास को बढ़ावा देने के उपाय निम्नलिखित हैं-
(1) जल सघन फसलों के स्थान पर बागवानी कृषि में खट्टे फलों की कृषि को प्रोत्साहन देना चाहिए।
(2) जल प्रबन्धन नीति को कठोरता से लागू करने की आवश्यकता है।
(3) जलाक्रान्त तथा लवणता से प्रभावित भूमि के पुनरुद्धार के प्रयास किए जाएँ।
(4) कमान क्षेत्र विकास कार्यक्रम; जैसे-नालों को पक्का करना, भूमि विकास तथा समतलन और बारबंदी (ओसरा) पद्धति (निकास के कमान क्षेत्र में नहर के जल का समान वितरण) प्रभावी रूप से क्रियान्वित की जाएँ जिससे बहते जल की क्षति मार्ग में कम हो सके।
(5) सतत पोषणीय विकास प्राप्त करने के लिए कृषि तथा इससे सम्बन्धित क्रियाकलापों के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों का भी विकास करना होगा।
(6) सामाजिक सतत पोषणीयता का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए निर्धन आर्थिक स्थिति वाले भू-आवंटियों को पर्याप्त वित्तीय एवं संस्थागत सहायता देने की आवश्यकता है।
(7) प्रदेश के पारिस्थितिक तन्त्र के विकास के लिए वनीकरण, वृक्षों की रक्षण मेखला का निर्माण तथा चरागाह का विकास आवश्यक है।
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प्रश्न 1.
पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विशिष्ट पहाड़ी क्षेत्र विकास कार्यक्रम पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में आरम्भ हुआ और इसमें उत्तराखण्ड, मिकिर पहाड़ी और असम की उत्तरी कछार की पहाड़ियाँ, पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग जिला तथा तमिलनाडु के नीलगिरि इत्यादि को मिलाकर 15 जिले शामिल हैं। पिछड़े क्षेत्रों के विकास के लिए बनी राष्ट्रीय समिति ने सन् 1981 में सिफारिश की कि देश के उन सभी पर्वतीय क्षेत्रों को पिछड़े पर्वतीय क्षेत्रों में शामिल कर लिया जाए जिनकी ऊँचाई 600 मीटर से अधिक है और जिनमें जनजातीय उपयोजना लागू नहीं है।
राष्ट्रीय समिति ने पहाड़ी क्षेत्रों के विकास के लिए जो सुझाव दिए, उनमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा गया था
- कार्यक्रम का लाभ पहाड़ी क्षेत्र के सभी लोगों तक पहुँचे।
- स्थानीय संसाधनों व प्रतिभाओं का विकास हो सके।
- पहाड़ी लोग अपनी जीविका-निर्वाह अर्थव्यवस्था को निवेश-उन्मुखी बनाएँ व कुछ लाभ कमाना सीखें।
- अन्तः प्रादेशिक व्यापार में पिछड़े अर्थात् पर्वतीय क्षेत्रों का शोषण न होने पाए।
- पिछड़े क्षेत्रों की बाजार व्यवस्था में सुधार करके श्रमिकों को लाभ पहुँचाना।
- पारिस्थितिकीय सन्तुलन बनाए रखना।
पहाड़ी क्षेत्रों के विकास की योजनाएँ बनाते समय उनकी स्थलाकृति, पारिस्थितिकी व सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दशाओं को ध्यान में रखा गया था।
कार्यक्रम का उद्देश्य स्थानीय लोगों को पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, मृदा संरक्षण, वृक्षारोपण तथा उद्यान खेती इत्यादि का प्रशिक्षण देकर तथा उन्हें इन कार्यक्रमों में शामिल करके स्थानीय संसाधनों का दोहन करना था।
प्रश्न 2.
लक्ष्य क्षेत्र नियोजन को समझाइए।
उत्तर:
जो क्षेत्र आर्थिक विकास की दौड़ में पिछड़ गए हैं उनके नियोजन पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। आप जानते हैं कि किसी क्षेत्र का आर्थिक विकास उसके संसाधन आधार (Resources Base) पर निर्भर करता है, लेकिन कई बार संसाधनों से समृद्ध क्षेत्र भी पिछड़े रह जाते हैं। आर्थिक विकास के लिए संसाधनों के साथ-साथ तकनीकी ज्ञान और पूँजी की भी आवश्यकता होती है।
भारत में पहली तीन पंचवर्षीय योजनाओं का परिणाम यह रहा कि आर्थिक विकास में क्षेत्रीय विषमता और अधिक बढ़ती जा रही है। विकास का फल आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों और लोगों, विशेषतया स्त्रियों को उस हिसाब से नहीं मिल पाया जिसकी उम्मीद थी, अत: प्रादेशिक और सामाजिक विषमताओं को कम करने के लिए योजना आयोग ने योजना के दो नए उपगमनों ‘लक्ष्य क्षेत्र’ और ‘लक्ष्य समूह’ को प्रस्तुत किया है। लक्ष्य क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए जो कार्यक्रम इस देश में बनाए गए हैं, उनमें कमाण्ड एरिया डेवलपमेण्ट प्रोग्राम, सूखा प्रवण क्षेत्र विकास कार्यक्रम, मरुस्थल क्षेत्र विकास कार्यक्रम तथा पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम प्रमुख हैं।
इसी तरह लक्ष्य समूह विकास को ध्यान में रखते हुए लघु कृषक विकास अभिकरण (SFDA) तथा सीमान्त कृषक विकास अभिकरण (MFDA) जैसे कार्यक्रम चलाए गए।
आठवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान उत्तर-पूर्वी राज्यों, जनजातीय क्षेत्रों एवं पिछड़े क्षेत्रों में ढाँचागत सुविधाओं का विकास करने के लिए ‘विशिष्ट क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ लागू किया गया।
प्रश्न 3.
नियोजन का क्या अर्थ है? नियोजन के उपगमन को समझाइए।
उत्तर:
नियोजन का अर्थ-किसी भी समस्या का समाधान करने के लिए-
- सोच-विचार करना,
- कार्यों व प्राथमिकताओं का क्रम विकसित करना तथा
- उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कठोर परिश्रम करना, ‘नियोजन’ कहलाता है।
नियोजन जिन समस्याओं को ध्यान में रखकर किया जाता है वे समस्याएँ स्थायी न होकर परिवर्तनीय होती हैं। नियोजन की अवधि भी अलग-अलग होती है।
नियोजन के उपगमन-सामान्यत: नियोजन के दो उपगमन होते हैं-
1.खण्डीय नियोजन-नियोजन के इस प्रकार में अर्थव्यवस्था के विभिन्न सेक्टरों; जैसे-कृषि, सिंचाई, विनिर्माण, ऊर्जा, परिवहन, संचार, सामाजिक अवसंरचना और सेवाओं के लिए कार्यक्रम बनाए और लागू किए जाते हैं।
2. क्षेत्रीय नियोजन-किसी भी क्षेत्र के सभी भागों में एक समान आर्थिक विकास नहीं पाया जाता। कुछ क्षेत्र अधिक विकसित हो जाते हैं व अन्य कुछ पिछड़े रह जाते हैं। विकास की यह क्षेत्रीय असमानता नियोजकों को प्रेरित करती है कि वे नियोजन का स्थानिक परिप्रेक्ष्य अपनाते हुए ऐसी योजनाएँ बनाएँ जिनसे विकास में प्रादेशिक असन्तुलन कम हो सके। इस प्रकार के नियोजन को क्षेत्रीय नियोजन’ कहा जाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
प्रादेशिक विषमता उत्पन्न होने के कारणों को समझाइए।
उत्तर:
प्रादेशिक विषमता उत्पन्न होने के निम्नलिखित कारण हैं-
- देश के अधिकांश पिछड़े क्षेत्रों पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया।
- द्वितीय पंचवर्षीय योजना में देश के गिने-चुने भागों में बड़े-बड़े कारखाने स्थापित किए गए। इन उद्योगों की स्थापना से अन्तः प्रादेशिक विषमताएँ बढ़ गईं।
- 60 के दशक में आयी हरित क्रान्ति ने भी आर्थिक विषमता को बढ़ावा दिया।
- उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण के कारण भी विकास केवल सुविधाजनक क्षेत्रों में ही तेजी से हो रहा है, सभी क्षेत्रों में नहीं। इससे प्रादेशिक विषमता बढ़ रही है।
- पक्षपातपूर्ण निवेश भी आर्थिक विषमता को बढ़ा रहा है।
प्रश्न 2.
भारत में किस पंचवर्षीय योजना में सूखा सम्भावित क्षेत्र विकास कार्यक्रम की शुरुआत हुई? कार्यक्रम के उद्देश्यों को समझाइए।
उत्तर:
सूखा सम्भावित क्षेत्र विकास कार्यक्रम चौथी पंचवर्षीय योजना में आरम्भ किया गया। कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्य थे-
- सूखाग्रस्त क्षेत्रों के लोगों की आय में वृद्धि हो और उन्हें रोजगार के अवसर प्राप्त हों।
- अभावग्रस्त लोगों के लिए काम के अवसर निकाले जा सकें।
- सूखाग्रस्त क्षेत्रों में गरीबी दूर करने के लिए रोजगार देकर सहायता करना।
प्रश्न 3.
हिमाचल प्रदेश के भरमौर क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र के रूप में कब अधिसूचित किया गया? इस क्षेत्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भरमौर क्षेत्र 21 नवम्बर, 1975 को आदिवासी क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। भरमौर क्षेत्र की विशेषताएँ-
भरमौर क्षेत्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- यह क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित है।
- यह एक पर्वतीय क्षेत्र है।
- यहाँ के निवासी गद्दी आदिवासी हैं।
- यहाँ की जलवायु कठोर है तथा साधन कम हैं।
- यह क्षेत्र आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़ा हुआ है।
प्रश्न 4.
भरमौर जनजातीय क्षेत्र विकास योजना के उद्देश्यों को समझाइए।
उत्तर:
भरमौर जनजातीय क्षेत्र विकास योजना के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
- भरमौर जनजातीय क्षेत्र विकास योजना का मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र का सर्वांगीण विकास करना है।
- यहाँ के लोगों के जीवन स्तर का विकास तथा शिक्षा, आवास और स्वास्थ्य समस्या को हल करना है।
प्रश्न 5.
सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताओं को समझाइए।
उत्तर:
सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- कार्यक्रम के द्वारा अभावग्रस्त लोगों के लिए कार्यक्रम बनाए गए।
- कार्यक्रम में भूमि और मजदूरों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए विकासात्मक कार्य शुरू किए गए।
- कार्यक्रम में क्षेत्र के विकास पर जोर दिया गया।
- भूमि विकास तथा लघु सिंचाई कार्यक्रमों द्वारा उत्पादकता बढ़ाने के लिए इन क्षेत्रों में विकासात्मक कार्य शुरू किए गए।
प्रश्न 6.
चौथी पंचवर्षीय योजना के उद्देश्यों को समझाइए।
उत्तर:
चौथी पंचवर्षीय योजना के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
- यथासम्भव आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ना तथा विदेशी सहायता की अनिश्चितता को कम करना।
- सामाजिक न्याय तथा समानता को बढ़ाना।
- साधनहीन और कमजोर वर्गों की दशा सुधारने तथा जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए शिक्षा और रोजगार की व्यवस्था करना।
- प्रादेशिक असन्तुलन को कम करना।
प्रश्न 7.
पिछड़े क्षेत्रों के विषय में क्या सुझाव दिए गए हैं?
उत्तर:
पिछड़े क्षेत्रों के सम्बन्ध में राष्ट्रीय समिति ने निम्नलिखित सुझाव दिए हैं-
- सभी लोग लाभान्वित हों न कि केवल प्रभावशाली लोग।
- स्थानीय संसाधनों और प्रतिभाओं का विकास किया जाए।
- जीविका निर्वाह अर्थव्यवस्था को निवेश उन्मुखी बनाना।
- अन्तःप्रादेशिक व्यापार में पिछड़े क्षेत्रों का शोषण न हो।
- पारिस्थितिक सन्तुलन को बनाए रखा जाए।
प्रश्न 8.
विकास की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
विकास की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- विकास के अन्तर्गत वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाता है।
- इसमें नवीकरण योग्य साधनों के संरक्षण पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है।
- इसमें पर्यावरण प्रदूषण के नियन्त्रण पर विशेष बल नहीं दिया जाता।
- यह एक पुरानी संकल्पना है।
- इसमें संसाधनों के वैज्ञानिक प्रबन्धन पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता।
प्रश्न 9.
सतत पोषणीय विकास की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सतत पोषणीय विकास की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- सतत पोषणीय विकास में भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखा जाता है।
- इसमें नवीकरण योग्य संसाधनों; जैसे-वन, मछली आदि के प्राकृतिक रूप में पुनरुत्पादन और संवर्द्धन पर पूरा-पूरा ध्यान दिया जाता है।
- इसमें पर्यावरण को एक संसाधन माना जाता है।
- सतत पोषणीय विकास अपेक्षाकृत एक नई संकल्पना है।
प्रश्न 10.
जनजातीय विकास कार्यक्रम की विशेषताओं को समझाइए।
उत्तर:
जनजातीय विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- ये कार्यक्रम समाज के सबसे कमजोर वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए बनाए गए थे।
- ये कार्यक्रम आम आदमी को शीघ्र लाभ देने के उद्देश्य से बनाए गए थे।
- ये कार्यक्रम चुने गए क्षेत्रों की विशेष समस्याओं को सुलझाने के लिए बनाए गए थे। प्रमुख समस्याएँ थीं-बँधुआ मजदूरी, स्थानान्तरी कृषि तथा भूमि का हस्तान्तरण आदि।
- इन कार्यक्रमों के कुछ जनजातीय और दीर्घावधि उद्देश्य भी निर्धारित किए गए थे।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
नियोजन किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी भी समस्या का समाधान करने के लिए सोच-विचार करना, कार्यों व प्राथमिकताओं का क्रम विकसित करना तथा उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कठोर परिश्रम करना ‘नियोजन’ कहलाता है।
प्रश्न 2.
पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम कब आरम्भ हुआ?
उत्तर:
पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में आरम्भ हुआ।
प्रश्न 3.
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना का समय क्या था?
उत्तर:
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना का समय सन् 2007 से 2012 तक का था।
प्रश्न 4.
सूखा सम्भावी क्षेत्र विकास कार्यक्रम कब शुरू किया गया?
उत्तर:
सूखा सम्भावी क्षेत्र विकास कार्यक्रम चौथी पंचवर्षीय योजना (1969-1974) में शुरू किया गया।
प्रश्न 5.
सूखा सम्भावी क्षेत्र विकास कार्यक्रम का उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
सूखा सम्भावी क्षेत्र विकास कार्यक्रम का उद्देश्य संसाधनों के अभाव वाले सूखा सम्भावी क्षेत्रों में सूखे के प्रभाव अर्थात् गरीबी को दूर करने के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना था।
प्रश्न 6.
जनजातीय विकास कार्यक्रम किन जिलों के लिए तैयार किया गया था?
उत्तर:
जनजातीय विकास कार्यक्रम उन जिलों के लिए तैयार किए गए थे जिनकी आधी या उससे अधिक जनसंख्या जनजातीय है। .
प्रश्न 7.
हिमाचल प्रदेश के भरमौर क्षेत्र में कौन-सी जनजाति पायी जाती है?
उत्तर:
हिमाचल प्रदेश के भरमौर क्षेत्र में ‘गद्दी’ जनजाति पायी जाती है।
प्रश्न 8.
सतत पोषणीय विकास की संकल्पना कब की गई?
उत्तर:
सतत पोषणीय विकास की संकल्पना सन् 1987 में की गई।
प्रश्न 9.
जनजातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम शुरू करने वाले राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, झारखण्ड और राजस्थान।
प्रश्न 10.
2 नवम्बर 1984 से पहले इन्दिरा गांधी नहर का क्या नाम था?
उत्तर:
2 नवम्बर 1984 से पहले इन्दिरा गांधी नहर का नाम ‘राजस्थान नहर’ था।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कौन-सी योजना में स्पष्ट रूप से विकास की विचारधारा पर जोर दिया गया-
(a) द्वितीय
(b) तृतीय
(c) चतुर्थ
(d) पंचम।
उत्तर:
(c) चतुर्थ।
प्रश्न 2.
कृषि जलवायु नियोजन का आरम्भ कब किया गया-
(a) सन् 1988 में
(b) सन् 1974 में
(c) सन् 1966 में
(d) सन् 1992 में।
उत्तर:
(b) सन् 1974 में।
प्रश्न 3.
उन क्षेत्रों में कौन-सा कार्यक्रम शुरू किया गया जहाँ 50 प्रतिशत से अधिक जनजाति के लोग रहते-
(a) जनजातीय विकास कार्यक्रम
(b) पहाड़ी क्षेत्र विकास कार्यक्रम
(c) गहन कृषि विकास कार्यक्रम
(d) सामुदायिक विकास कार्यक्रम।
उत्तर:
(a) जनजातीय विकास कार्यक्रम।
प्रश्न 4.
सतत विकास की आवश्यकता का उद्देश्य किस योजना में रखा गया-
(a) नौवीं पंचवर्षीय योजना
(b) आठवीं पंचवर्षीय योजना
(c) सातवीं पंचवर्षीय योजना
(d) छठी पंचवर्षीय योजना।
उत्तर:
(a) नौवीं पंचवर्षीय योजना।
प्रश्न 5.
दसवीं पंचवर्षीय योजना कब समाप्त हुई-
(a) 31 मार्च 2007
(b) 31 मार्च 2008
(c) 31 मार्च 2009
(d) 31 मार्च 2010
उत्तर:
(a) 31 मार्च 2007
प्रश्न 6.
भरमौर क्षेत्र में निवास करने वाली जनजाति है-
(a) गद्दी
(b) भोटिया
(c) गुर्जर
(d) बकरवाल।
उत्तर:
(a) गद्दी।
प्रश्न 7.
भारत में पहली पंचवर्षीय योजना कब आरम्भ हुई-
(a) सन् 1950 में
(b) सन् 1951 में
(c) सन् 1952 में
(d) सन् 1956 में।
उत्तर:
(b) सन् 1951 में।
प्रश्न 8.
भरमौर क्षेत्र की प्रमुख नदी है-
(a) सतलज
(b) व्यास
(c) ताप्ती
(d) रावी।
उत्तर:
(d) रावी।
प्रश्न 9.
सतत पोषणीय विकास को प्राप्त करने का कौन-सा उपाय ठीक नहीं है
(a) अवशिष्ट पदार्थों का पुन: उपयोग
(b) सही प्रविधि का प्रयोग
(c) नवीकरण योग्य संसाधनों का कम प्रयोग
(d) पर्यावरण प्रदूषण पर रोकथाम।
उत्तर:
(c) नवीकरण योग्य संसाधनों का कम प्रयोग।
प्रश्न 10.
इन्दिरा गांधी नहर का निर्माण कितने चरणों में पूरा हुआ-
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) पाँच।
उत्तर:
(a) दो।