UP Board Solutions for Class 12 Home Science Chapter 13 बाल-विवाह: गुण व दोष
UP Board Solutions for Class 12 Home Science Chapter 13 बाल-विवाह: गुण व दोष
बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अक)
प्रश्न 1.
बाल विवाह वर्जित है, क्योंकि (2005, 10)
(a) बालिका शारीरिक रूप से परिपक्व नहीं होती।
(b) ऐसी सरकारी नियम है।
(c) लड़का कोई रोजगार नहीं करता
(d) उपरोक्त सभी ।
उत्तर:
(b) पैसा सरकारी नियम है
प्रश्न 2.
बाल-विवाह का दोष नहीं है (2018)
(a) जनसङ्ख्या वृद्धि
(b) निर्वहन सन्तान
(c) व्यक्तित्व विकास में बाधक
(d) वैवाहिक समायोजन में सहायक
उत्तर:
(d) वैवाहिक समायोजन में सहायक।
प्रश्न 3.
कम आयु में बालिका का विवाह कर देने पर (2018)
(a) बालिका के स्वास्थ्य को खादा रहा है।
(b) माता-पिता का कम हो जाता है।
(c) कम दहेज देना पड़ता है।
(d) उसकी पढ़ाई पर खर्च नहीं करना पड़ता है।
उत्तर:
(a) बालिका के स्वास्थ्य को खतरा रहता है
प्रश्न 4.
दाल-विवाह को समाप्त करने के क्या उपाय हैं। (2014)
(a) अधिक-से-अधिक शिक्षा का प्रसार
(b) छोर कानून व्यवस्था।
(e) बाल-विवाह विरोधी व्यापक प्रबार
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5.
बाल-विवाह के उनातन हेतु आवश्यक है। (2015)
(a) दहेज प्रथा का विरोध
(b) जन-जागरूकता
(c) शिक्षा का प्रसार
(d) ये भी
उत्तर:
(d) ये सभी
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)
प्रश्न 1.
बालिका का विवाह कम-से-कम कितनी आयु में होना चाहिए? (2005)
उत्तर:
बालिका का विवाह कम-से-कम 18 वर्ष की आयु में होना चाहिए।
प्रश्न 2.
पुरुष को विवाह कब करना चाहिए? (2006)
उत्तर:
पुरुष को उचित जविकोपार्जन की योग्यता अर्जित करने पर 21 वर्ष की आयु के बाद बिगाह करना चाहिए।
प्रश्न 3.
लड़कियाँ सरकार से अपनी सुरक्षा हेतु क्या अपेक्षा करती हैं? (2018)
उत्तर:
लड़कियाँ सरकार से अपनी सुरक्षा हेतु लैंगिक भेदभाव, यौन शोषण, हिंसक घटनाओं आदि से सुरक्षा की अपेक्षा करती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)
प्रश्न 1.
बाल-विवाह के तथाकथित लाभों का उल्लेख कीजिए। (2010, 12)
उत्तर:
वर्तमान समय में आता विवाह को मान्यता प्राप्त नहीं है, किन्तु जब यह प्रथा प्रचलित हुई थी, तब इसके तथाकथित स्वीकृत गुण या लाभ निम्नलिखित थे ।
- वैवाहिक सामंजस्य बाल- जिह से पति-पत्नी के स्वभाव में अच्छा वैवाहिक सामंजस्य हो जाता है, जिससे संघर्ष होने की सम्भावना अत्यन्त कम रहती हैं।
- अनैतिकता तथा व्यभिचार से बचाव बालक-बालिकाओं में | किशोरावस्था में तीब्र कामवासना जाग्रत होती हैं। इस वासना की तृप्ति न होने के कारण समाज में व्यभिचार तथा अनैतिकता फैलती है। अतः इसे रोकने के लिए एकमात्र उपाय बाल गिय मना जाता था।
- उत्तरदायित्व समझना लड़के-लड़कियों को उत्तरदायित्व समझाने एवं उन्हें बिगड़ने से बचाने के लिए उनका विवाह अल्पायु में ही कर दिया शाया।
- अनेक रोगों का निराकरण आत विवाह से अनेक व्याधियों के होने की आशंका कम रहती है। हैवलिक एलिस के अनुसार, विलम्ब से निबाह होने पर कन्याओं को हिस्टीरिया, रज सम्बन्धी बहुत-सी ध्याधियां, अजीर्ण, सिसई, सिर घूमना, भाँति-भाँति के रोग, अत्यन्त दूषित रक्तहीनता तथा मृत पिण्ड की बीमारी हो जाती हैं। लड़कों में भी शारीरिक व मानसिक दोष उत्पन्न हो जाते हैं।”
- प्राकृतिक नियमों के अनुकूल जिस प्रकार अन्य सभी प्राणियों में यौन इच्छा के जाग्रत होते हो यौन सम्बन्ध स्थापित किए जाते हैं, उसी प्रकार मनुष्यों में भी यौन शक्ति के प्रबल होते ही, मौन तृप्ति का असर दिया जाना चाहिए, इस दृष्टिकोण से बाल-विवाह को उचित ठहराने का प्रयास किया जाता है।
प्रश्न 2.
बाल-विवाह से होने वाली हानियों का उल्लेख कीजिए। (2012)
या
बाल-विवाह के दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला हैं ! (2006, 07)
या
कम आयु में विवाह का बालिका पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है? (2009, 17)
उत्तर:
बाल-विवाह या अल्पायु में होने वाले विवाह से निम्नलिखित हानियाँ या दुष्परिणाम/कुपरिणाम होते हैं।
- व्यक्तित्व विकास में बाधा कम आयु में विवाह के कारण बालक-बालिकाओं पर दायित्व का बोझ आ जाता है। इस कारण उनको अपने व्यझिाव का विकास करने का अवसर नहीं मिल पाता है।
- स्वास्थ्य पर अरितकर प्रभाव अपरिपक्व अवस्था में बालक बालिका में यौन सम्बन्ध स्थापित होने से जल्द ही बालिका र सन्तान के शन-पोषण का भार आ जाता है। बहुत-सी स्त्रियों प्रस्वकालीन पीड़ा सहन नहीं कर पाती है, उन्हें अनेक रोग हो जाते हैं, कभी-कभी तो मृत्यु तक भी हो जाती है तथा सन्तान भी अस्वस्थ होती हैं।
- जनसंख्या में वृद्धि बाल-विवाह के फलस्वरुप जनसंख्या वृद्धि दर तेज हो जाती है। बाल विवाह हो जाने से माता-पिता जल्दी जल्दी सन्तान उत्पन्न करने लगते या तव व सन्तान से जाती है।
- बेरोजगारी भारत में बेरोजगारी की समस्या अधिक हैं। बेरोजगारी को गह समस्या जनसंख्या वृद्धि के कारण होती है। अतः अप्रत्यक्ष रूप में बाल-विवाह से बेरोजगारी को प्रोत्साहन मिलता है।
- बाल-विधवाओं की समस्या बालविङ्ग, बाल-विधवा की समस्या को भो जन्म देता है। अनेक बीमारियों या फिर किसी घटना के द्वारा बालकों की मृत्यु हो आती है। भारतीय समाज में विधवा विवाह को मान्यता नहीं थी। कम उम्र में विवाह होने के कारण बालिकाएँ पढ़ी-लिखी भी नहीं होती हैं।
- अस्वस्थ सन्तानें बाल विवाह के कारण सन्तान शीघ्र उत्पन्न होने में अपरिपक्व माता द्वारा रानान को जन्म दिया जाता है, जिससे बच्चों का स्वास्थ्य सही नहीं रहता है, इससे बाल-मृत्यु को भी बढ़ावा मिलता है।
- अकाल मृत्यु वय वालिकाएँ अल्पायु में हो गर्भमती हो जाती है, तो प्रसव के समय कोश की अकाल मृत्यु हो जाती है। 8. शिक्षा में वाधक अल्पायु में विवाह होने में प्रायः लड़की को शिक्षा प्राप्त की सम्भावना समाप्त हो जाती हैं, साथ ही सड़कों की शिक्षा प्रक्रिया भी बाधित होती है, क्योंकि उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर जीविकोपार्जन के लिए प्रयास करने पड़ते हैं।
प्रश्न 3.
बाल विवाह रोकने के क्या उपाय हैं? (2018)
या
बाल-विवाह को रोकने के वैधानिक उपाय लिखिए। (2013)
उत्तर:
बाल-विवाह को रोकने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित अधिनियम पारित किए गए हैं।
1. बाल-विवाह परिसीमन कानून या शारदा एक्ट, 1999 इस अधिनियम के प्रमुख अनुबन्ध निम्नलिखित हैं।
- विवाह के समय लड़के को आयु 18 वर्ष तथा लड़की की आयु 14 वर्ष होनी चाहिए। यदि किसी व्यक्ति की आयु 18 वर्ष से अधिक है और वह 14 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ विवाह करता है, तो ऐसे व्यक्ति को 15 दिन का कारावास या ₹ 100 जुर्माना या दोनों हो सकते है।
- निर्धारित आयु से कम आयु में विवाह करने पर माता-पिता या साक्षक को 3 माह का कारावास तथा 300 का जुर्माना भुगतना पड़ेगा।
2. हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 ई. में पारित किया गया, जिसके अनुसार विवाह के समय सड़कों की आयु 18 वर्ष तथा लड़कियों की आयु 16 वर्ष निर्धारित की गई। 1976 में एक संशोधन अधिनियम के द्वारा लड़कियो की आयु 18 वर्ष तथा लड़कों की 21 वर्ष निश्चित की गई। वर्तमान में यही नियम लागू है।
3. बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 यह अधिनियम 1 नवम्बर, 2007 से प्रभाव में आया, इसने शारदा अधिनियम को प्रतिस्थापित किया है। इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं।
- विवाह के समय लड़के की न्यूनतम आयु 21 वर्ष एवं सह की 18 वर्ष होनी चाहिए।
- इस अधिनियम के अनुसार, बाल-विवाह के लिए बाध्य किए गए अवयस्क बालक, पूर्ण अयस्कता प्राप्त करने के न्यूनतम वर्ष पश्चात् विवाह-विच्छेद कर सकते हैं।
- यदि 18 वर्ष से अधिक आयु का व्यक्ति बाल विवाह करता है, तो ऐसे व्यक्ति को वर्ष का कठोर कारावास या ₹ 100000 तक का जुर्माना | या दोनों हो सकते हैं।
- इस अधिनियम में बाल-विवाह को सम्पन्न कराने वाले, संचालित करने वाले या निर्दिष्ट करने बाले के लिए भी दण्ड का प्रावधान है।
प्रश्न 4.
बाल-विवाह को रोकने के क्या उपाय हैं? (2005, 06)
उत्तर:
बाल विवाह को रोकने के लिए निम्नलिखित सुझाव सहायक हो सकती हैं।
- शिक्षा का प्रसार अल-विवाह जैसी कुप्रथाओं के उम्तन हेतु शिक्षा का अधिक-से-अधिक प्रसार किया जाना आवश्यक है, इससे लोगों में बाल-विमाह के दोष के प्रति अधिकाधिक जागरूकता उत्पन होगी तवा वे इस कुप्रथा का डटकर विरोध करने में समर्ष होगे। इसके अतिरिक्त बालिकाओं में शिक्षा के प्रसार से आत्मनिर्भरता उत्पन्न होगी तथा वे भी बाल-विवाह के विरुद्ध। उता सकेगी।
- बाल-विवाह के विरुद्ध जनमत का निर्माण जनमत निर्माण के क्रम में पत्र-पत्रिकाओं, रेडियो, दूरदर्शन, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से बाल-विवाह के दोषों का व्यापक प्रचा किया जाना चाहिए। प्रामीण क्षेत्रों में नाटकों, नौटंकी तथा कवपुतली आदि के माध्यम से जन जागरूकता का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
- दहेज प्रथा का विरोध दहेज प्रथा तथा वर-मूल्य जैसी कुप्रथाएं भो बाल-विवाह को पर्याप्त सीमा तक प्रोत्साहन देती रही हैं। अतः इन कुप्रथाओं को समाप्त किया जाना अत्यन्त आवश्यक है।
- अन्तर्जातीय विवाहों का प्रचलन अन्तर्जातीय विवाहों के प्रचलन से सम्भवतः समज में दहेज-प्रथा, कुलीन विवाह तथा वर-मूल्य प्रथा भी घट जाए, इस स्थिति में बात विवाह के उन्मूलन में भी योगदान मिल सकता है।
- कानूनों को कठोरता से लागू करना बाल-विवाह को रोकने के लिए सम्बद्ध कानूनों को अधिक कठोरता से लागू किया जाना चाहिए।
प्रश्न 5.
आधुनिक समाज में बालिकाएँ सुरक्षित नहीं है क्यों? (2018)
उत्तर:
समाज में प्राचीनकाल से ही बालिकाएँ सुरक्षित नहीं रहीं हैं, इसके निम्न कारण हैं।
- समाज में लड़के एवं लड़कियों में भेदभाव
- आपराधिक मानसिकता
- मनोवैज्ञानिक दत्रय
- अशिक्षा
समाज में व्याप्त है। भेदभाव बालिकाओं की सुरक्षा में सबसे बड़ा बाधक है। आज भी छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों तक में यह विभेद चला आ रहा है। यह असुरक्षा उन्हें अपने ही थर से मिलती है। आज भी प्रों में बालिकाओं को शिक्षा देने एवं उन्हें स्वावलम्बी बनाने के लिए तत्पर नहीं है। बढ़ते अपराधों में सबसे अकि बालिकाओं को ही समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बलात्कार की घटनाएँ प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं। यही नहीं यौन शोषण, घरेलु हिंसा, अपहरण एवं वेश्यावृति की घटनाओं ने भी इन्हें समाज के प्रति इरा रखा। है। आंकड़ों पर नजर डाले तो प्रति 5 में से 3 बालिकाएं किसी न किसी प्रकार के यौन उत्पीड़न का शिकार हैं। सड़को, बसो या स्कूलों में भी आए दिन ऐसी घटनाएँ सुनाई पड़ती है। इन बढ़ती आपराधिक प्रवृत्तियों के कारण ही आज कोई भी का स्वयं को सुरक्षित नहीं समझ सकती।
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)
प्रश्न 1.
बाल-विवाह से क्या तात्पर्य है? बाल-विवाह के प्रचलन के मुख्य कारणों का उल्लेख कीजिए। (2012)
उत्तर:
बाल-विवाह बाल-विवाह का तात्पर्य कम आयु में होने वाले विवाह से है अर्थात् ऐसा विवाह, जिसमें वर एवं कन्या में से कोई एक या दोनों ही बाल्यावस्था में होते हैं। बाल्यावस्था, किशोरावस्था में पूर्व की अवस्था होती है, जिसमें बालक-बालिकाएँ पूर्णतः अबोध होते हैं। इस उम्र में न तो वे विवाह का अर्थ समझते हैं और न ही उनमें विवाहू के उत्तरदायित्व निभाने को शारीरिक एवं मानसिक क्षमता होती हैं। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि पूर्ण यौवनावस्था प्राप्त करने से पूर्ण किया गया विवाह बाल-विवाह’ कहलाता है। वर्तमान भारतीय कानून में लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष तथा सड़कों के लिए 21 वर्ष निर्धारित की गई है। इस पारित आयु से कम आयु में विवाह करना अवैधानिक एवं हना अपराध माना ।
बाल-विवाह के प्रचलन के मुख्य कारण
समाज में प्राप्त विवाह के प्रचलन के मुख्य कारण निम्नलिखित है।
1. धार्मिक विश्वास हमारे पर्म में कहा गया है कि कन्यादान का पुण्य सौ अश्वमेध यज्ञ कराने के बराबर है। माता-पिता दिनभर व्रत रखका कन्यादान देते है एवं यह पुण्य लेते हैं, भारतीय धर्म में पत्नी को पतिव्रता बताया गया है। अतः कन्या की शादी जितनी जल्दी कर दी जाएगी, पतिव्रत करने का उसे उतना ही अवसर प्राप्त होगा। स्मृतियों में बताया गया है कि कन्या को रजस्वला होने के बाद पिता यदि कन्या को प्रम में रखता है या विवाह नहीं करता, तो यह प्रतीमा उसका रुधिर पोता है। इन सब कारणों से बाल-विवाह को प्रोत्साहन मिला।
2. कृषि व्यवसाय भारत की लगभग। 65-70% जनसंख्या ग्रामीण हैं, जिनका शल के प्रचलन के मुग्य व्यवसाय कृषि है। कृषि के लिए मुख्य कारण वा परिवार होना आवश्यक है कि पार्मिक विषम मार्ग पा में जितने ज्यादा मद के पि माप इश उतना ही ज्यादा होगा, इसलिए परिवार। में सदस्यों की संध्या बढ़ाने की दृष्टि से शिक्षा का अभाव भी बाल विवाह को प्रोत्साहन मिला।
3. स्त्रियों की निम्न दशा स्मृतिहास के संयुक्त परिवार समय से ही स्त्रियों की इशा चिन्तनीय हो गई उन्हें भी आ यो से वंचित राति नियम का पालन कर दिया गया। माता-पिता के घर में दहेज प्रथा वह माता-पिता पर पति के घर में पति । पर, वृद्धावस्था में पुत्र पर बोझ समझी जाने लगी। कन्या को जल्दी-से-जल्दी ससुराल भेजकर माता-पिता अपना बोझ हल्का करना चाहते थे, इस कारण भी बाल-विवाह को प्रोत्साहन मिला है।
4. कौमार्य भंग का भय पारम्परिक रूप से भारत में विवाह पूर्व यौन सम्बन्धो को अत्यधिक बुरा माना जाता है। यदि कोई लड़को ऐसा करती है, तो उसका कौमार्य भंग माना जाता है और उससे कोई विवाह नहीं करता। कौमार्य भंग होने के भय से भपतीय माता-पिता लड़की का विवाह अल्पायु में ही कर देते हैं। एक मतानुसार, भारतीय समाज में विदेशी आक्रमणों के कारण बाल विवाङ को प्रोत्साहन प्राप्त हुआ। इस मत के समर्थन में प्रायः इसी तर्क को प्रस्तुत किया जाता है।
5. शिक्षा का अभाव भारत की अधिकांश जनसंख्या स्तरीय शिक्षा से वंचित हैं। शिक्षा का प्रसार गाँव-गाँव एवं सुदुर क्षेत्रों तक सही तरीके से नहीं होने के कारण यहाँ अज्ञानता पाई जाती है। अज्ञानता के अन्धकार में लोग एक दूसरे के पीछे चलते रहते हैं। इस प्रकार अशिक्षित लोगों में बाल-विवाह का प्रचलन अधिक है।
6. विवादिता भनिता एवं रूढ़िवादिता एक-दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। ऋदिवादी लोग जो उनके पूर्वज करते हैं अर्थात् जो उनके परिवार में होता आया है वे उसी का अनुसरण करते हैं। बच्चों के मन भविष्य को अनदेखा का अप। परम्पराओं एवं रीति-रिवाज को देखते हैं।
7. संयुक्त परिवार संयुक्त परिवार में एक मुखिया होता है, वही अपने पूरे परिवार का भार संभालता है। संयुक्त परिवार में बालकों का आत्मनिर्भर होना जरूरी नहीं हैं। माँ-बाप अपनी इच्छानुसार विवाह कर देते हैं और उनका भार भी संभालते हैं। न्या को पराया धन व योन सममकर उडी ही विवाह कर दिया जाता है।
8. अनुलोम विवाह का प्रभाव अनुलोम मिाह में प्रायेक माता-पिता चाहते है, कि उनको कन्या उचल में आए। अतः जैसे ही पर मिलता है, कन्या का विवाह कर देते हैं। कई बार 4-5 वर्ष की कन्याओं का विवाह भी कर दिया जाता था। इस प्रकार अनुलोम विवाह या फुलौन जिमाह के कारण भी बाल-विवाह का प्रचलन हुआ।
9. जाति नियम का पालन सामान्यतः परम्परागत समाज में अन्तर्जातीय विवाह पर रोक लगाई जाती थी तभी अपनी जाति को मिाह की अनुमति प्रदान की। जाती दी। इस स्थिति में कन्या के माता-पिता को जैसे ही अपनी जाति में उपयुक्त वा मिलता था, चाहे वह अल्पायु ही क्यों न हो, उसका विवाह कर इस जाना
10. दहेज प्रथा दहेज प्रथा भी बाल-विवाह का एक प्रमुख कारण हैं। सड़की की आयु अधिक होने पर उसके विवाह के लिए अधिक दहेज का प्रबन्ध करना पड़ता है। अत: अधिक दहेज देने से बचने के लिए भी बाल-विवाह कर दिए जाते है।
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