UP Board Solutions for Class 12 Home Science Chapter 16 दहेज समस्या एवं उसका उन्मूलन

By | June 2, 2022

UP Board Solutions for Class 12 Home Science Chapter 16 दहेज समस्या एवं उसका उन्मूलन

UP Board Solutions for Class 12 Home Science Chapter 16 दहेज समस्या एवं उसका उन्मूलन

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
दहेज़ को ई में क्या कहते हैं।
(a) जहेज़
(b) वरदक्षिणा
(c) सौगात
(d) दान
उत्तर:
(a) जहेज़

प्रश्न 2.
दहेज़ वह धन, वस्तु अथवा सम्पत्ति है, जो एक स्त्री विवाह के समय पति के लिए लाती हैं। विवाह की यह परिभाषा विसवे द्वारा दी गई है?
(a) चार्ल्स विनिफ
(b) मैक्श रैडिन्
(c) वैतटर शब्दकोश
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) बेब्सटर शब्दकोश

प्रश्न 3.
निम्न में से कौन-सा एक कारण दहेज प्रथा का नहीं हैं।
(a) अंतर्विवाह
(b) महँगी शिधा प्रणाली
(c) अनुलोम विवाह
(d) शिक्षा का प्रसार
उत्तर:
(d) शिक्षा का प्रसार

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से दहेज प्रथा के उन्मूलन के उपायों में शामिल हैं।
(a) शिक्षा का प्रसार
(b) कानून के प्रति जागरूकता
(c) पानमत तैयार करना
(d) में सभी
उत्तर:
(d) ये सभी

प्रश्न 5.
दहेज रोधक अधिनियम बना था
(a) 1961 में
(b) 1562 में
(c) 1955 में
(d) 164 में
उत्तर:
(a) 1981 में

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
दहेज़ से क्या आशय है?
उत्तर:
विवाह के अवसर पर कन्या पक्ष द्वारा वर पक्ष को दिया जाने वाला, सम्पत्ति और सामान इत्यादि को ‘दहेज’ कहा जाता है।

प्रश्न 2.
दहेज़ देने का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
नवविवाहितों के जीवन निर्वाह में मदद करने के उद्देश्य से ही दहेज दिया

प्रश्न 3.
वर मूल्य किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह निश्चित धन या भेट, जो विवाह से पूर्व वा पक्ष द्वारा निश्चित की जाती है, जिसे विवाह से पहले या विवाह तक कन्या पक्ष को चुकाना होता है, बरमूल्य कहलाता है।

प्रश्न 4.
दहेज प्रथा के दोष के अन्तर्गत बेमेल विवाह को अति संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
अधिक दहेज न दे पाने के कारण माता-पिता अपनी कन्या का विष अवगुण व अपाहिज पुरुष के साथ कर देते हैं। सामान्य रूप में ये बेमेल विवाह

प्रश्न 5.
दहेज़ सम्बन्धी अपराध की सुनवाई कहीं की जाती है?
उत्तर:
दहेज सम्वन्धी अपराध की सुनवाई प्रदम श्रेणी का मजिस्ट्रेट ही कर सकता है तथा इस तरह की शिकायत लिवित होनी चाहिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1.
दहेज के अर्थ को स्पष्ट करते हुए इसके उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:

दहेज का अर्थ

दहेज शब्द अरबी भाषा के बहे शब्द से रुपान्तरित हुआ है, जिसका अर्थ है-सौगात्। विवाह के अवसर पर कन्या पक्ष द्वारा वर पक्ष को दिया जाने वाला इन, सम्पत्ति और सामान ल्यादि को दहेज कहा जाता हैं। दहेज को उर्दू में जहेज़ कहते हैं। इसे हुण्डा या वरदक्षिणा आदि नामों में से भी जाना जाता हैं। वेव्सटर शब्दकोश के अनुसार, “दहेज वह पन, वस्तु अशा सम्पत्ति है, जो एक र विवाह के समय पति के लिए सातो हैं।”

दहेज का उद्देश्य

प्राचीनकाल से ही वधू के माता-पिता द्वारा वस्त्र, गहने एवं गृहस्थी का कुछ सामान भेंट करते थे, जिसका मूल उद्देश्य वर-वधू की नई गृहस्थी को सुचारु रूप से चलाने में सहायता करना था। वर्तमान युग में दहेज नवविवाहितो के वन निर्वाह में मदद करने के उद्देश्य से ही दिया जाता है।

प्रश्न 2.
दहेज प्रथा के कारणों का उलेख कीजिए।
उत्तर:
दहेज प्रथा आज जिस विकृत रूप में व्याप्त है, उसके प्रमुख कारण इस प्रकार हैं।

  1. अनुलोम विवाह अनुलोम विवाह के चलन से उच्च कुलों के घर की माँग बड़ती गई। उच्च कुलो के लड़कों के पिता ऐसी स्थिति में बड़ी धनराशि की मांग करने लगे।
  2. अत्तर्विवाह अन्तविवाह के नियम के कारण किसी भी कन्या का विवाह जुम की जाति अथवा उपति पर। के शाप होना आवश्यक हो गया। इस कारण विवाह का क्षेत्र सीमित हो गया। योग्य वरों की कम संख्या में दहेज को बढ़ावा दिया।
  3. विवाह की अनिवार्यता कन्या विवाह को अनिवार्य मान गया है। इसलिए उनका विवाह करना जरूरी हो गया। धीरे धीरे योग्य वरो की तलाश में धन को खर्च किया जाने लगा।
  4. धन के महत्व में वृद्धि बर्तमान समय में भौतिकदी विचारधारा के कारण पन का महत्व बढ़ गया। इससे दहेज प्रथा और भी सशकत हो गई।
  5. महँगी शिक्षा प्रणाली माता-पिता अपने बच्चों पर काफी पैसा खर्च करते है, फिर माता-पिता विवाह द्वारा इसकी पूरी का प्रयास करते हैं, जिसके फलस्वरूप यह दहेज प्रथा में परिवर्तित हो जाता है।

प्रश्न 3.
दहेज के विकृत रूप को समझाइए।
अथवा
वर्तमान समय में दहेज की प्रथा किस प्रकार विकसित हुई है?
उत्तर:
पुराने समय से प्रारम्भ हुई दहेज की परम्परा आर पूर्णरूप से विकसित हो गई है। अर्थात् आज इस प्रदा ने विकराल रूप धारण कर लिया है, इसलिए अब इसे र मूल्य कहना अधिक उपयुक्त होगा, क्योंकि योग्य, समृद्ध एवं उच्च शिक्षा प्राप्त वर के लिए अधू के माता-पिता को वर मूल्य देना पड़ता है। दूसरे शब्दों में, वर-मूल्य वह निश्चित धन या भेट हैं, जो विवाह के पहले वर पक्ष द्वारा निश्चित किया जाता है, जिसे विवाह से पूर्व या विवाह तक कन्या पश को चुकाना होता है, इसलिए आज विवाह बन्धन पवित्रता का बन्धन नहीं, बल्कि देवानी का सापत्र बन गया है।

प्रश्न 4.
अन्तर्विवाह द्वारा दहेज़ प्रथा को किस प्रकार बढ़ावा मिला हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अन्तर्विवाह के नियम के कारण किसी भी कन्या को मिला उसी की जाति अपवा उपजाति के पुरुष के आप होना आवश्यक हो गया। इस कारण हि का क्षेत्र सीमित हो गा, जिससे विशाह के लिए योग्य वरों की कमी हो गई। अब योग्य वर देने के लिए अधिक धन खर्च करने की आवश्यकता महसूस की गई। इससे दहेज की प्रथा को प्रोत्साहन मिला। योग्य और समय पर भी विवाह के लिए एक निश्चित धनराशि के साथ वस्त्र एवं आभूषणों तथा अन्य उपहारों को माँग करने लगें, ताकि अधिक-से-अधिक धन की प्राप्ति विषाह में मिलने वाले दहेज से हो सके। यदि इस निश्चित धनराशि को कन्या पक्ष देने में असमर्थ होता हैं, तो विवाह सम्म तोड़ दिया जाता है। कई बार तो तलाक जैसी घटनाएं भी देखने को मिल जाती हैं और यदि कन्या पक्ष इस निश्चित धनराशि का भुगतान करता है, तो सड़की के माता पिता या अभिभावक जीवनभर संघर्ष करते रहते हैं, लेकिन प्रत्येक माता-पिता अपनी कन्या के लिए अच्छे-से-अप्डे वर ढूंढना चाहते है, जिसके लिए वधू-मूल्य अधिक देना।

प्रश्न 5.
दहेज प्रथा के प्रमुख दोषों का वर्णन कीजिए। धनी दहेज प्रथा की हानियाँ लिखिए। (2018)
उत्तर:
दहेज प्रथा के कारण समाज में अनेक दोष व्याप्त है, जो निम्नलिखित हैं।

  1. पारिवारिक संपर्ष दहेज प्रथा अनेक पारिवारिक संघ से तनालों को जन्म देती हैं। दहेज कम मिलने पर नववधू को तरह-तरह के कष्ट दिए जाते हैं। उन्हें हर समय दहेज का उलाहना दिया जाता है, इससे नववधुओं में हीनता की भावना का जन्म होता है।
  2. ऋणग्रस्तता, आत्महत्या, शिशु हत्या मध्यमवर्गीय परिवारों में कन्या विवाह के लिए व की रकम जुटाना कठिन होता है। इसके लिए उन ची मात्रा में ऋण होना पड़ता है और परिवार अनपस्त हो जाता है। कभी व्यक्ति निन्दा के भय से आमहत्या कर लेता है, तो कभी कन्या शिशु को हत्या भी कर दी जाती है।
  3. बेमेल विवाह अधिक दहेज न दे पाने के कारण माता-पिता अपनी कन्या का विवाह अवगुण, अपाहिज पुरुष के साथ कर देते हैं। ये सामान्य रूप से बेमेल विवाह होते हैं।
  4. अविवाहित लड़कियों की संख्या में वृद्धि दहेज न दे पाने के कारण बहुत-सी सङ्गलियाँ अवाहित हू जाती हैं।
  5. अनेक समस्याओं को जन्म दहेज के कारण हिंसा, हत्या, चोरी आदि होने लगी हैं, क्योंकि व्यक्ति कैसे भी हो इहेव उजुटाना चाहता है, साथ ही दहेज हत्या तथा बहू जला देने की घटनाएँ भी होती हैं।

प्रश्न 6.
दहेज़ निषेद्य अधिनियम, 1961 की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
अधमरा दहेज़ प्रथा को समाप्त करने के लिए वर्ष 1961 के अधिनियम की प्रमुख शर्ते क्या थी?
उत्तर:
दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए वर्ष 1961 में एक विधेयक पारित किया गया, जिसे दहेज निरोधक अधिनियम’ के नाम से जाना जाता है। इस अधिनियम के अनुसार दहेज लेना और देना दण्डनीय अपराध है। अधिनियम 1961 में कुछ मुख्य शर्ते में शामिल है, जो इस प्रकार है

  1. विवाह के पूर्व या बाद में जिन वस्तुओं की माँग की जाएगी, वे दहेज के दायरे में आती हैं।
  2. दो हजार रुपये तक के उपहार देने की क्रूट हैं, जिनमें वस्त्र जपा आभूषण शमिल हैं।
  3. विवाह के पहले या बाद में मिली वस्तुओं पर पूर्णरूप से लड़की का अधिकार होगा।
  4. दहेज देने और लेने के लिए 8 माह का कारस और ₹ 5,000 के इण का प्रधान है।
  5. दहेज सम्बन्धी अपराध की सुनवाई प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट ही कर सकता है तथा इस तरह की शिकायत लिक्षित होनी चाहिए।

प्रश्न 7.
अधिनियम, 1961 के अन्तर्गत 1844 में पर्याप्त संशोधन किए गए, जिनमें प्रमुख बातें क्या थीं? समझाए।
उत्तर:
अधिनियम, 1981 को धारा 2 के अन्तर्गत ‘दहेज निषेध अधिनियम, 1984 और 1988 के तौर पर संशोधित किया, इसमें निम्नलिखित माता को दया गया है।

  1. ‘विवाह निश्चित करने हेतु दहेज के रूप में शर्त रखी जाए’ के स्थान पर विवाह के सम्बन्ध में जो भी कुछ दहेज मिले’ वाक्य जोड़ दिया गया।
  2. अभिभावक या सम्बन्धिों से मिलने वाले उपहार उनकी आर्थिक स्थिति के अनुपात में मिलने चाहिए।
  3. कारावास की सजा अधिकतम 10 वर्ष तथा जुर्माने की राशि ₹ 15000 सी गई या माँगी गई, दोनों रकम में से जो भी अधिक हो, मानी जाएगी।
  4. अपराधी को बिना बारष्ट के भी पकड़ा जा सकता है।
  5. यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो 6 महीने में 2 वर्ष की सजा तथा ₹ 10,000 तक का जुर्माना किया जा सकता है।
  6. यदि वधू नाबालिग हैं, तो उसके बालिग होने के तौन महीने के अन्दर सम्पत्ति को हस्तान्तरित करना होगा।
  7. यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो 6 महीने में 2 वर्ष की सजा तथा ₹ 10,000 तक का जुर्माना किया जा सकता है।
  8. पत्नी की मृत्यु के बाद उसके हिस्से को सम्पत्ति का अधिकार उसके उत्तराहारियों को होगा।

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

प्रश्न 1.
दहेज प्रथा क्या है? इसके कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
हिन्दू विवाह से सम्बन्धित समस्याओं में दहेज प्रथा एक प्रमुख समस्या मान जाती है। यह आजकल गम्भीर रूप धारण करती जा रही हैं। आज यह समस्या तन। गम्भीर हो गई है कि यार के कारण नवविवाहित स्त्रियों को जला देने के सामाधार आए दिन आते रहते हैं। दहेज का अर्थ सामान्यतः उस राशि, वस्तुओं या सम्पत्ति से लगाया जाता है, जिसे कन्या पक्ष विवाह के अवसर पर वर पक्ष को प्रदान करता है। बेसटर शब्दकोश के अनुसार, “दहेज वह धन, वस्तु अशा सम्पत्ति है, जो एक स्त्री विवाह के समय पति के लिए लाती है।”

दहेज प्रथा के कारण

दहेज प्रथा जिस विकृत रूप में आज है, उस रूप में वह हिंदू समाज में कभी नहीं रही। दहेज प्रथा के कारण इसके लिए लघु उत्तरीय प्रश्न संख्या 2 देखें।

प्रश्न 2.
दहेज प्रथा के उन्मूलन की विवेचना कीजिए।
अथवा
भारतीय समाज में दहेज प्रथा के दुष्परिणामों पर प्रकाश डालते हुए इसके उन्मूलन हेतु उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
दहेज प्रथा के दोष इसके लिए लघु उत्तरीय प्रश्न सं. 5 देखें।

दहेज प्रथा के उन्मूलन के उपाय/सुझाव

दहेज प्रथा के उन्मूलन के उपाय निम्नलिखित हैं

  1. शिक्षा का प्रसार दहेज प्रथा को समाप्त करने हेतु शिक्षा का प्रचार एवं प्रसार किया जाए, ताकि लोग इस बुराई को पहचान कर इसे समाप्त करे।
  2. अन्तर्जातीय तथा प्रेम विवाह को प्रोत्साहन अन्तर्जातीय तथा प्रेम विवाह होने से योग्य वर ढूँढने में आसानी होगी। इससे दहेज प्रथा को समाप्त किया जा सकेगा, क्योंकि इससे विवाह क्षेत्र का विस्तार होगा, जिससे अधिक दहेज नहीं देना पड़ेगा।
  3. लड़की का आत्मनिर्भर बनना लड़कियों को आत्मनिर्भर बनना भी दहेज रोकने का एक अच्छा उपाय हैं। लड़कियों के आत्मनिर्भर बनने से भी दहेज की माँग में कमी आएगी।
  4. कानून के प्रति जागरूकता दहेज उन्मूलन में कानून भी सहायक हो सकता है, इसलिए कानून के प्रति जागरूकता लाना भी आवश्यक है, जिससे दहेज के प्रति झुकाव कम रहे।
  5. जीवनसाथी के चुनाव को स्वतन्त्रता लड़के-लड़कियों को औवन साथी के चुनाव करने की स्वतन्त्रता होना चाहिए, जिससे दहेज और प्रथा का अना हो सका।
  6. जनमत तैयार करना दहेज प्रथा के विरुद्ध जनमत तैयार किया आना चाहिए, जिससे लोग स्वयं इसी बुराई को समझ सके

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