UP Board Solutions for Class 12 Pedagogy Chapter 7 Indian Educationist: Mrs. Annie Besant (भारतीय शिक्षाशास्त्री-श्रीमती एनी बेसेण्ट)

By | June 1, 2022

UP Board Solutions for Class 12 Pedagogy Chapter 7 Indian Educationist: Mrs. Annie Besant (भारतीय शिक्षाशास्त्री-श्रीमती एनी बेसेण्ट)

UP Board Solutions for Class 12 Pedagogy Chapter 7 Indian Educationist: Mrs. Annie Besant (भारतीय शिक्षाशास्त्री-श्रीमती एनी बेसेण्ट)

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
श्रीमती एनी बेसेण्ट के अनुसार शिक्षा के अर्थ, उद्देश्यों तथा पाठ्यक्रम का उल्लेख कीजिए।
या
एनी बेसेण्ट के शैक्षिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
या
डॉ० एनी बेसेण्ट के अनुसार शिक्षा के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए।
या
अधोलिखित प्रसंगों के ऊपर एनी बेसेण्ट के शैक्षिक विचारों को लिखिए

  1. शिक्षा का पाठ्यक्रम
  2. शिक्षण पद्धति
  3. शिक्षा के उद्देश्य या एनी बेसेण्ट के अनुसार शिक्षण विधियाँ क्या हैं?

उत्तर
एनी बेसेण्ट भारत की तत्कालीन शिक्षा प्रणाली से बहुत असन्तुष्ट थीं और उन्होंने उसकी कटु आलोचना भी की। उन्होंने प्रचलित शिक्षा को एकांगी और अव्यावहारिक बताते हुए कहा-“आजकल भारत में शिक्षा का उद्देश्य उपाधि प्राप्त करना है। शिक्षा तब असफल होती है, जब कि बहुत से असंयुक्त तथ्यों के द्वारा बालक का मस्तिष्क भर दिया जाता है और इन तथ्यों को उसके मस्तिष्क में इस प्रकार डाला जाता है, मानो रद्दी की टोकरी में फालतू कागज फेंके जा रहे हों और फिर उन्हें परीक्षा के कमरे में उलटकर टोकरी खाली कर देनी है।”

शिक्षा का अर्थ

एनी बेसेण्ट ने शिक्षा की परिभाषा देते हुए कहा है-“शिक्षा का अर्थ है बालक की प्रकृति के प्रत्येक पक्ष में उसकी सभी आन्तरिक क्षमताओं को बाहर प्रकट करना, उसमें प्रत्येक बौद्धिक व नैतिक शक्ति का विकास करना, उसे शारीरिक, संवेगात्मक, मानसिक तथा आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली बनाना ताकि विद्यालय की अवधि के अन्त में वह एक उपयोगी देशभक्त और ऐसा पवित्र व्यक्ति बन सके जो अपना और अपने चारों ओर के लोगों का आदर करता है।”

एनी बेसेण्ट के अनुसार, शिक्षा और संस्कृति में घनिष्ठ सम्बन्ध है। इनके अनुसार जन्मजात शक्तियों या क्षमताओं का बाह्य प्रकाशन एवं प्रशिक्षण ही शिक्षा है। ये शक्तियाँ बालक को पूर्व जन्म से प्राप्त होती हैं। एनी बेसेण्ट के अनुसार, “शिक्षा एक ऐसी सांस्कारिक विधि या क्रिया है, जिसका फल संस्कृति है। व्यक्ति पर शिक्षा का प्रभाव अनवरत रूप से पड़ता रहता है और जैसे-जैसे संस्कारों की ऊर्ध्वगति होती जाती है, वे संस्कृति में बदलते जाते हैं।”

शिक्षा के उद्देश्य

एनी बेसेण्ट ने शिक्षा के निम्नलिखित उद्देश्य बताये हैं

  1. शारीरिक विकास–एनी बेसेण्ट के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य शारीरिक विकास करना होना चाहिए, जिससे बालकों के स्वास्थ्य, शक्ति एवं सुन्दरता में वृद्धि हो सके।
  2. मानसिक विकास–शिक्षा व्यक्ति को इसलिए देनी चाहिए जिससे वह अपनी विभिन्न मानसिक शक्तियों—चिन्तन, मनन, विश्लेषण, निर्णय, कल्पना आदि-का उचित विकास और प्रयोग कर सके।
  3. संवेगों का प्रशिक्षण–एनी बेसेण्ट ने शिक्षा के द्वारा बालकों के संवेगात्मकें विकास पर बहुत बल दिया है। उन्होंने कहा है कि शिक्षा द्वारा व्यक्ति में उचित प्रकार के संवेग, अनुभूतियाँ और भाव उत्पन्न किये जाने चाहिए। शिक्षा के द्वारा सुन्दर और उत्तम के प्रति, दूसरों के सुख-दु:ख में सहानुभूति, माता-पिता एवं बड़ों का सम्मान, संमान अवस्था वालों के प्रति भाई-बहनों का-सा भाव और छोटों को बच्चों के समान तथा दूसरों के प्रति भुलाई का भाव उत्पन्न किया जाना चाहिए।
  4. नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास-एनी बेसेण्ट के अनुसार शिक्षा के द्वारा बालकों का नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास भी होना चाहिए।
  5. आदर्श नागरिक का निर्माण करना-शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को आदर्श नागरिक के गुणों से अलंकृत करना है, जिससे वह अपने आगे के सामाजिक, राजनीतिक एवं नागरिक जीवन में सुखी हो सके।

शिक्षा का पाठ्यक्रम

  1. जन्म से 5 वर्ष तक का पाठ्यक्रम-इस अवस्था में बालक शारीरिक एवं मानसिक रूप से बहुत कोमल होता है और उसका विकास इच्छित दिशा में आसानी से किया जा सकता है। इस अवस्था में बालक के इन्द्रिय विकास पर अधिक ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इसी समय वह चलना-फिरना, बैठना-उठना, बोलना आदि सीखता है। अतः इस अवस्था के पाठ्यक्रम में शारीरिक क्रिया, खेलकूद, गणित, भाषा, गीत, धार्मिक पुरुषों की कहानियों आदि को सम्मिलित करना चाहिए।
  2. 5 से 7 वर्ष तक का पाठ्यक्रम-इस अवस्था के पाठ्यक्रम में गणित, भाषा, खेलकूद, सफाई और स्वास्थ्य की आदतों का निर्माण और प्रकृति निरीक्षण को शामिल किया जाए। इसके अतिरिक्त चित्रों एवं धार्मिक कहानियों की सहायता लेनी चाहिए, जिससे बालक का कलात्मक एवं धार्मिक विकास हो सके।
  3. 7 से 10 वर्ष तक का पाठ्यक्रम-इस अवस्था में बालक की वास्तविक और औपचारिक शिक्षा प्रारम्भ होती है। इसके अन्तर्गत मातृभाषा, संस्कृत, अरबी, फारसी, इतिहास, भूगोल, गणित, शारीरिक व्यायाम आदि विषयों को सम्मिलित करना चाहिए। इस स्तर पर शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए
  4. 10 से 14 वर्ष तक का पाठ्यक्रम-इस अवस्था में बालक माध्यमिक स्तर पर प्रवेश करते हैं। इसके पाठ्यक्रम के अन्तर्गत मातृभाषा, संस्कृत, फारसी, अंग्रेजी, भूगोल, इतिहास, प्रकृति एवं कौशल आदि विषयों को सम्मिलित करना चाहिए।
  5.  14 वर्ष से 16 वर्ष तक का पाठ्यक्रम-यह हाईस्कूल की शिक्षा की अवस्था होती है। इसके पाठ्यक्रम को एनी बेसेण्ट ने चार भागों में विभाजित किया है

(क) सामान्य हाईस्कूल-
(अ) साहित्यिकसंस्कृत, अरबी, फारसी, अंग्रेजी, मातृभाषा।
(ब) रसायनशास्त्र-भौतिकशास्त्र, गणित, रेखागणित, बीजगणित आदि।
(स) प्रशिक्षण-मनोविज्ञान, शिक्षण कला, विद्यालय व्यवस्था, शिक्षण अभ्यास, गृह विज्ञान आदि।

(ख) तकनीकी हाईस्कूल-मातृभाषा, अंग्रेजी, भौतिक एवं रसायन विज्ञान, व्यावसायिक इतिहास, प्रारम्भिक इंजीनियरी, यन्त्र विद्या, विद्युत ज्ञान आदि।
(ग) वाणिज्य हाईस्कूल-विदेशी भाषाएँ, व्यापारिक व्यवहार, हिसाब-किताब, व्यापारिक कानून, टंकण,व्यापारिक इतिहास, भूगोल एवं शॉर्ट हैण्ड आदि।

(घ) कृषि हाईस्कूल-संस्कृत, अरबी, फारसी या पालि, मातृभाषा, ग्रामीण इतिहास, भूगोल, गणित हिसाब-किताब, कृषि सम्बन्धी प्रयोगात्मक, रासायनिक एवं भौतिक विज्ञान, भूमि की नाप आदि। इसके अतिरिक्त बालकों के शारीरिक विकास के लिए खेलकूद, व्यायाम हस्तकलाएँ, सामाजिक क्रियाएँ वे समाज सेवा के कार्य कराए जाएँ तथा साथ में भावात्मक विकास भी किया जाए।

6. 16 से 21 वर्ष तक का पाठ्यक्रम-उच्च शिक्षा के इस पाठ्यक्रम को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है

  • स्नातकीय पाठ्यक्रम-16 से 19 वर्ष तक की शिक्षा में बालकों को साहित्यिक, वैज्ञानिक, तकनीकी एवं कृषि की शिक्षा प्रदान करनी चाहिए।
  • स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम-19 से 21 वर्ष तक की शिक्षा में भी उपर्युक्त विषयों की शिक्षा दी जानी चाहिए

शिक्षण-पद्धतियाँ

एनी बेसेण्ट ने इन विधियों के द्वारा शिक्षा देने पर अधिक बल दिया है

  1. क्रियाविधि-एनी बेसेण्ट का कहना था कि बालक स्वभाव से क्रियाशील होते हैं और खेलों में उनकी रुचि होती है, इसलिए शिक्षा प्रदान करने के लिए खेल-कूद, कसरतें, कृषि, उद्योग व हस्तकार्यों की सहायता लेनी चाहिए। इससे बालकों का शारीरिक विकास होगा और उन्हें ज्ञानार्जन का अवसर भी प्राप्त होगी।
  2. निरीक्षण विधि-एनी बेसेण्ट का कहना था किं बालकों को उचित वातावरण में शिक्षा प्रदान करने के लिए घर के बाहर वास्तविक क्षेत्र में ले जाकर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का निरीक्षण कराना चाहिए। इससे उनकी ज्ञानेन्द्रियों एवं कर्मेन्द्रियों का विकास होगा।
  3. अनुकरण विधि-एनी बेसेण्ट का मत था कि बालकों में अनुकरण की प्रवृत्ति बहुत प्रबल होती है। इसलिए माता-पिता एवं शिक्षकों को चाहिए कि वे बालकों के सामने ऐसे व्यवहार प्रस्तुत करें, जिससे वे उनका अनुकरण कर अच्छे नैतिक आचरण का विकास करें।
  4. स्वाध्याय विधि–उनका कहना था कि प्रत्येक विद्यार्थी को अध्ययन, चिन्तन एवं मनन में लीन रहना चाहिए। उच्च शिक्षा में इस विधि का बहुत महत्त्व है।
  5. निर्देशन विधि-एनी बेसेण्ट का विचार था कि विद्यार्थियों को समय-समय पर शिक्षकों से अच्छे एवं उपयोगी निर्देश मिलते रहने चाहिए, जिससे विद्यार्थियों का आध्यात्मिक और मानसिक विकास होगा।
  6. व्याख्यान विधि-एनी बेसेण्ट के अनुसार, उच्च शिक्षा के स्तर पर छात्रों को व्याख्यान विधि के द्वारा इतिहास, राजनीति, दर्शनशास्त्र, भूगोल, भाषा आदि की शिक्षा दी जानी चाहिए।
  7. प्रायोगिक विधि-इस विधि का प्रयोग सभी क्रियाप्रधान और वैज्ञानिक विषयों के अध्ययन में किया जाना चाहिए; जैसे-भौतिक, रसायन और जीव विज्ञान, कला-कौशल, पाक विज्ञान, गृह-विज्ञान आदि।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न1
एक महान शिक्षाशास्त्री के रूप में एनी बेसेण्ट के जीवन का सामान्य परिचय दीजिए।
उतर
विश्व की महान् महिला शिक्षाशास्त्री, समाज-सुधारक, हिन्दू धर्म एवं संस्कृति की समर्थक एनी बेसेण्ट का जन्म 1847 ई० में लन्दन के एक सम्भ्रान्त परिवार में हुआ था। इनके माता-पिता मूलतः आयरलैण्ड के निवासी थे। एनी बेसेण्ट बाल्यावस्था से ही बड़ी कुशाग्र बुद्धि वाली, मननशील तथा अध्ययनरत थीं। 19 वर्ष की आयु में उनका विवाह एक पादरी के साथ हो गया। उनका पति संकुचित दृष्टिकोण वाला कट्टर, धार्मिक तथा अनुदार व्यक्ति था। इस कारण एनी बेसेण्ट अधिक समय तक वैवाहिक जीवन व्यतीत न कर सकीं और उन्होंने अपने पति से सम्बन्ध-विच्छेद कर लिया। वैवाहिक जीवन से मुक्ति पाकर एनी बेसेण्ट समाज-सेवा के कार्य में जुट गईं। उन्होंने अपने व्याख्यानों तथा प्रभावशाली लेखों के कारण शीघ्र ही अपार ख्याति अर्जित कर ली। सन् 1887 ई० में वे इंग्लैण्ड की थियोसोफिकल सोसायटी के सम्पर्क में आई और उन्होंने इस संस्था के प्रचार एवं प्रसार में अपना तन, मन व धन सब कुछ लगा दिया।

1892 ई० में ये थियोसोफिकल सोसायटी के अधिवेशन में आमन्त्रित होकर ‘भारत आयीं और फिर वे भारत-भूमि को छोड़कर स्वदेश कभी नहीं गयीं। भारत को स्वतन्त्र कराने के लिए उन्हें कई बार जेलयात्रा भी करनी पड़ी। भारतीय जन-जीवन को सुखी बनाने के लिए उन्होंने ‘होमरूल सोसायटी की स्थापना की। उन्होंने भारत में रहकर हिन्दू धर्म एवं संस्कृति का गहन अध्ययन किया और इस अध्ययन के आधार पर उन्होंने हिन्दू धर्म एवं संस्कृति को पाश्चात्य धर्म एवं संस्कृति से श्रेष्ठ बताया। उन्होंने यहाँ रहकर भगवद्गीता का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया और वैदिक एवं उपनिषद् सिद्धान्तों का व्यापक प्रचार किया। उनका शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ा योगदान बनारस में ‘सेन्ट्रल हाईस्कूल की स्थापना करना था। भारतीय समाज की सेवा करते हुए सन् 1933 ई० में भारत में ही उनकी मृत्यु हुई।

प्रश्न 2
एनी बेसेण्ट के शैक्षिक योगदान पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
शिक्षा के क्षेत्र में एनी बेसेण्ट के योगदान को निम्नवत् समझा जा सकता है|

  1. शिक्षा और धर्म में समन्वय-एनी बेसेण्ट ने धर्म और शिक्षा में घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित कर धर्मप्रधान शिक्षा योजना का निर्माण करने पर बल दिया। भारतीय धर्मों ने उन्हें बहुत अधिक प्रभावित किया था, इसीलिए उन्होंने भारतीय धर्म-ग्रन्थों के आधार पर अपने शैक्षिक सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया।
  2. शिक्षा एवं संस्कृति में सम्बन्ध-एनी बेसेण्ट ने शिक्षा और संस्कृति में बहुत घनिष्ठ सम्बन्ध बताया है। उनका कहना था कि शिक्षा के द्वारा संस्कृति का प्रचार एवं प्रसार होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि शिक्षा के द्वारा भारतीय संस्कृति का पुनरुत्थान करना चाहिए, क्योंकि भारतीय संस्कृति सब संस्कृतियों में सर्वोत्कृष्ट एवं सर्वश्रेष्ठ है।
  3. शिक्षा एवं यथार्थ जीवन में सम्बन्ध-एनी बेसेण्ट ने इस बात पर बल दिया कि शिक्षा एवं यथार्थ जीवन के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा वैयक्तिक एवं सामाजिक विकास का साधन है। अतः शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो युवकों की जीविकोपार्जन की समस्याओं का समाधान करे और देश की समृद्धि एवं रचनात्मक विकास में योग दे।
  4. शिक्षा को सार्वजनिक बनाना-एनी बेसेण्ट की इच्छा थी कि देश के सभी नागरिकों को ये अवसर एवं सुविधाएँ उपलब्ध होनी चाहिए, जिससे वे अपनी योग्यता एवं शक्ति के अनुसार शिक्षा प्राप्त कर सकें। उनका कहना था कि सभी को बिना किसी भेदभाव के शिक्षा देनी चाहिए। शिक्षा को सार्वजनिक बनाने के लिए राज्य को अनिवार्य एवं नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए।
  5. सेण्ट्रल हिन्दू कॉलेज की स्थापना-एनी बेसेण्ट ने अपने शैक्षिक विचारों को व्यावहारिक रूप प्रदान करने के लिए सेन्ट्रल हिन्दू कॉलेज की स्थापना की। इससे पाश्चात्य एवं भारतीय शिक्षण विधियों का सुन्दर समन्वय किया गया है।
  6. राष्ट्रीय शिक्षा का प्रयास-एनी बेसेण्ट ने राष्ट्रीय शिक्षा पर बहुत बल दिया। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय विचारकों का पथ-प्रदर्शन किया। उनका विचार था कि जो शिक्षा अपनी संस्कृति, सभ्यता, भाषा एवं उद्योग का संवर्धन नहीं करती, उसे वास्तविक अर्थों में शिक्षा नहीं कहा जा सकता और ऐसी शिक्षा से देश का कल्याण नहीं हो सकता।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
एनी बेसेण्ट के स्त्री-शिक्षा सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
एनी बेसेण्ट ने स्त्री-शिक्षा पर विशेष बल दिया, क्योंकि उनका विचार था कि यदि स्त्रियों को समुचित शिक्षा प्राप्त हो जाए तो वे आदर्श पत्नियाँ एवं माँ बनकर व्यक्ति, परिवार, समाज एवं राष्ट्र का कल्याण करेंगी। एनी बेसेण्ट ने बालिकाओं के लिए नैतिक शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, कलात्मक शिक्षा (सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, संगीत, कला), साहित्यिक शिक्षा और वैज्ञानिक शिक्षा का समर्थन किया है।

प्रश्न 2
ग्रामीण शिक्षा के विषय में एनी बेसेण्ट के विचारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
एनी बेसेण्ट के समय में भारत के गाँवों में अज्ञानता का अन्धकार फैला हुआ था। अंग्रेज़ों ने भारतीय ग्रामीणों की शिक्षा की ओर कोई ध्यान नहीं दिया था, क्योंकि वे भारतीयों को अज्ञानी ही रखना चाहते थे। एनी बेसेण्ट ने अंग्रेजों की इस नीति की कटु आलोचना करते हुए इस बात पर बल दिया कि राष्ट्रीय-जागृति उत्पन्न करने के लिए गाँवों में शिक्षा का प्रसार होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण शिक्षा में कृषि, उद्योग और कला-कौशल को प्रधानता देनी चाहिए और इसके साथ-ही-साथ लिखने-पढ़ने की शिक्षा भी देनी चाहिए।

प्रश्न 3
पिछड़े वर्गों की शिक्षा के विषय में एनी बेसेण्ट के विचार लिखिए।
उत्तर
भारतीय समाज में एक ऐसा भी वर्ग है, जो सदियों से उपेक्षित होता चला जा रहा है। इस वर्ग में घृणित मनोवृत्तियाँ, पिछड़ा रहन-सहन एवं खानपान तथा अभद्र रीति-रिवाजों का आधिक्य होता है। एनी बेसेण्ट के मतानुसार इस वर्ग के लिए कुछ अधिक सुविधाएँ एवं नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। इनकी शिक्षा में धार्मिक एवं नैतिक शिक्षा को विशेष स्थान देना चाहिए।

प्रश्न 4
प्रौढ़-शिक्षा के विषय में एनी बेसेण्ट के विचारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
एनी बेसेण्ट के अनुसार भारत में प्रौढ़-शिक्षा की व्यवस्था भी अति आवश्यक थी। उनके अनुसार उन प्रौढ़ व्यक्तियों के लिए प्रौढ़ शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए जो विभिन्न कारणों से सामान्य विद्यालयी शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाये हों। उनके मतानुसार प्रौढ़ शिक्षा व्यवस्था के लिए रात्रि पाठशालाओं की स्थापना की जानी चाहिए। इन पाठशालाओं के माध्यम से प्रौढ़ स्त्री-पुरुषों को शिक्षा प्रदान की जा सकती है।

प्रश्न 5
एनी बेसेण्ट के अनुशासन सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
एनी बेसेण्ट एक आदर्शवादी महिला थीं। इसलिए वह प्रेम, सहानुभूति, सद्व्यवहार, आत्म-प्रेरणा तक इच्छा-शक्ति के बल पर अनुशासन स्थापित करना चाहती थीं। वह चाहती थीं कि विद्यार्थियों में इस प्रकार के गुण उत्पन्न हों, जिससे उनमें आत्म-नियन्त्रण के द्वारा आत्म-अनुशासन की स्थापना हो सके। इसके लिए उन्होंने दमनात्मक अनुशासन का विरोध किया है। उनका कहना था कि विद्यर्थियों को अनुशासित करने के लिए उन पर शिक्षक के प्रभाव का भी प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 6
एनी बेसेण्ट के अनुसार विद्यालय का वातावरण तथा शिक्षक-विद्यार्थी सम्बन्ध कैसे होने चाहिए?
उत्तर
एनी बेसेण्ट का विचार था कि विद्यालय का वातावरण अत्यधिक शान्त एवं अध्ययन कार्य में सहायक होना चाहिए। उनके अनुसार विद्यालयों को तपोवन की तरह शान्त वातावरण में स्थापित किया जाना चाहिए, जिससे विद्यार्थियों में समुचित गुणों का विकास हो सके। जहाँ तक शिक्षक-विद्यार्थी सम्बन्धों का प्रश्न है, एनी बेसेण्ट का दृष्टिकोण आदर्शवादी था। उनका मत था कि विद्यार्थियों को शिक्षकों को सम्मान करना चाहिए और शिक्षकों को भी अपने शिष्यों के प्रति पुत्रवत् व्यवहार करना चाहिए। इनसे दोनों के मध्य सौहार्द की भावना का विकास होगा।

निश्चित उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री एनी बेसेण्ट का जन्म कब और किस देश में हुआ था?
उत्तर
एनी बेसेण्ट का जन्म सन् 1847 ई० में लन्दन में हुआ था।

प्रश्न 2
एनी बेसेण्ट मूल रूप से किस देश की नागरिक थीं?
उत्तर
एनी बेसेण्ट मूल रूप से आयरलैण्ड की नागरिक थीं।

प्रश्न 3
श्रीमती एनी बेसेण्ट किस महान संस्था की सक्रिय सदस्या थीं?
उत्तर
श्रीमती एनी बेसेण्ट महान् संस्था ‘थियोसोफिकल सोसायटी’ की सक्रिय सदस्या थीं।

प्रश्न 4
एनी बेसेण्ट ने किस सोसायटी की स्थापना की थी?
उत्तर
एनी बेसेण्ट ने ‘होमरूल सोसायटी’ नामक संस्था की स्थापना की थी।

प्रश्न 5
एनी बेसेण्ट ने किस शिक्षा-संस्था की स्थापना की थी?
उत्तर
एनी बेसेण्ट ने बनारस में ‘सेण्ट्रल हाईस्कूल’ नामक शिक्षा-संस्था की स्थापना की थी।

प्रश्न 6
एनी बेसेण्ट के अनुसार शिक्षा के मुख्य उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
एनी बेसेण्ट के अनुसार शिक्षा के मुख्य उद्देश्य हैं-

  1. शारीरिक विकास,
  2. मानसिक विकास
  3. संवेगों का प्रशिक्षण
  4. नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास तथा
  5. आदर्श नागरिकों को निर्माण

प्रश्न 7
जनसाधारण की शिक्षा के विषय में एनी बेसेण्ट की क्या धारणा थी ?
उत्तर
एनी बेसेण्ट जनसाधारण की शिक्षा को अनिवार्य मानती थीं। उनके अनुसार प्रत्येक बालक के लिए नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए।

प्रश्न 8
धार्मिक शिक्षा के विषय में एनी बेसेण्ट का क्या मत था?
उत्तर
एनी बेसेण्ट धार्मिक शिक्षा को अनिवार्य मानती थीं।

प्रश्न 9
एनी बेसेण्ट के अनुसार ग्रामीणों के लिए किस प्रकार की शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए?
उत्तर
एनी बेसेण्ट के अनुसार ग्रामीणों के लिए कृषि, उद्योग एवं कला-कौशल की शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए, साथ ही उन्हें पढ़ने-लिखने की भी शिक्षा दी जानी चाहिए।

प्रश्न 10
डॉ० एनी बेसेण्ट के अनुसार शिक्षा के माध्यम का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
डॉ० एनी बेसेण्ट का विचार था कि बच्चों की प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य रूप से मातृभाषा के माध्यम से होनी चाहिए। उच्च शिक्षा के लिए सुविधानुसार अंग्रेजी भाषा को भी माध्यम के रूप में अपनाया जा सकता है।

प्रश्न 11
निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य-

  1. श्रीमती एनी बेसेण्ट के माता-पिता आयरलैण्ड के मूल निवासी थे।
  2. सन् 1892 ई० में श्रीमती एनी बेसेण्ट थियोसोफिकल सोसायटी की अध्यक्षा बनीं।
  3. श्रीमती एनी बेसेण्ट किसी राष्ट्रीय शिक्षा योजना के पक्ष में नहीं थीं।
  4. श्रीमती एनी बेसेण्ट आत्मानुशासन की समर्थक थीं।
  5. श्रीमती एनी बेसेण्ट स्त्री-शिक्षा के विरुद्ध थीं।

उत्तर

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. सत्य
  5. असत्या

बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों में दिये गये विकल्पों में से सही विकल्प का चुनाव कीजिए

प्रश्न 1
श्रीमती एनी बेसेण्ट मूल रूप से भारतीय न होकर
(क) अंग्रेज थीं
(ख) आइरिश थीं
(ग) फ्रेंच थीं
(घ) जापानी थीं।
उत्तर
(ख) आइरिश थीं

प्रश्न 2
एनी बेसेण्ट का जन्म हुआ था-
(क) फ्रांस में
(ख) जर्मनी में
(ग) इटली में
(घ) लन्दन में
उत्तर
(घ) लन्दन में

प्रश्न 3
श्रीमती एनी बेसेण्ट किस संस्था से सम्बद्ध थीं?
(क) आर्य समाज
(ख) ब्रह्म समाज
(ग) थियोसोफिकल सोसायटी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(ग) थियोसोफिकल सोसायटी

प्रश्न 4
श्रीमती एनी बेसेण्ट को विशेष लगाव था
(क) पाश्चात्य संस्कृति से
(ख) भौतिक संस्कृति से।
(ग) प्राचीन भारतीय संस्कृति से
(घ) अंग्रेजी सभ्यता से
उत्तर
(ग) प्राचीन भारतीय संस्कृति से

प्रश्न 5
“जब तक भारत जीवित रहेगा, तब तक श्रीमती एनी बेसेण्ट की भव्य सेवाओं की स्मृति भी अमर रहेगी।” यह कथन किसका है?
(क) रवीन्द्रनाथ टैगोर
(ख) महात्मा गाँधी
(ग) डॉ० राधाकृष्णन्
(घ) जवाहरलाल नेहरू
उत्तर
(ख) महात्मा गाँधी

प्रश्न 6
एनी बेसेण्ट के अनुसार शिक्षा से आशय था
(क) विभिन्न विषयों का ज्ञान अर्जित करना
(ख) निर्धारित डिग्री प्राप्त करना
(ग) अन्तर्निहित क्षमताओं के विकास की प्रक्रिया
(घ) विद्यालय में अध्ययन करना
उत्तर
(ग) अन्तर्निहित क्षमताओं के विकास की प्रक्रिया

प्रश्न 7
बनारस में सेण्ट्रल हिन्दू कॉलेज की स्थापना किसने की ?
(क) रवीन्द्रनाथ टैगोर
(ख) महात्मा गाँधी
(ग) एनी बेसेण्ट
(घ) श्री अरविन्द
उत्तर
(ग) एनी बेसेण्ट

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