UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi संस्कृत Chapter 10 पञ्चशील-सिद्धान्ताः
UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi संस्कृत Chapter 10 पञ्चशील-सिद्धान्ताः
गद्यांशों का सन्दर्भ-सहित हिन्दी अनुवाद
गद्यांश 1
पञ्चशीलमिति शिष्टाचारविषयकाः सिद्धान्ताः। महात्मा गौतमबुद्धः एतान् पञ्चापि सिद्धान्तान् पञ्चशीलमिति नाम्ना स्वशिष्यान् शास्ति स्म। अत एवायं शब्दः अधुनापि तथैव स्वीकृतः। इमे सिद्धान्ताः क्रमेण एवं सन्ति-
- अहिंसा
- सत्यम्
- अस्तेयम्
- अप्रमादः
- ब्रह्मचर्यम् इति।।
सन्दर्भ प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘संस्कृत दिग्दर्शिका’ के ‘पञ्चशील-सिद्धान्ताः’ नामक पाठ से उद्धृत है।
अनुवाद पंचशील शिष्टाचार से सम्बन्धित सिद्धान्त है। महात्मा गौतम बुद्ध पंचशील नामक इन पाँचों सिद्धान्तों का अपने शिष्यों को उपदेश देते थे, इसलिए यह शब्द आज भी उसी रूप में स्वीकारा गया है। ये सिद्धान्त क्रमशः इस प्रकार हैं-
- अहिंसा
- सत्य
- चोरी न करना
- प्रमाद न करना
- ब्रह्मचर्य
गद्यांश 2
बौद्धयुगे इमे सिद्धान्ताः वैयक्तिकजीवनस्य अभ्युत्थानाय प्रयुक्ता आसन्। परमद्य इमे सिद्धान्ताः राष्ट्राणां परस्परमैत्रीसहयोगकारणानि, विश्वबन्धुत्वस्य, विश्वशान्तेश्च साधनानि सन्ति। राष्ट्रनायकस्य श्रीजवाहरलालनेहरूमहोदयस्य प्रधानमन्त्रित्वकाले चीनदेशेन सह भारतस्य मैत्री पञ्चशीलसिद्धान्तानधिकृत्यु एवाभवत्। यतो हि उभावपि देशौ बौद्धधमें निष्ठावन्तौ। आधुनिके जगति पञ्चशीलसिद्धान्ताः नवीनं राजनैतिकं स्वरूपं गृहीतवन्तः। एवं च व्यवस्थिताः (2017, 14, 11, 10)
सन्दर्भ पूर्ववत्।
अनुवाद बौद्धकाल में ये सिद्धान्त व्यक्तिगत जीवन के उत्थान के लिए प्रयुक्त किए जाते थे, किन्तु आज ये सिद्धान्त राष्ट्रों की परस्पर मैत्री एवं सहयोग के कारण तथा विश्वबन्धुत्व एवं विश्वशान्ति के साधन हैं। राष्ट्र के नायक श्री जवाहरलाल नेहरू महोदय के प्रधानमन्त्रित्व काल में पंचशील के सिद्धान्तों को स्वीकार करके ही चीन देश के साथ भारत की मित्रता हुई थी, क्योंकि दोनों ही राष्ट्र बौद्ध धर्म में निष्ठा रखने वाले हैं। आधुनिक जगत् में पंचशील के सिद्धान्तों ने नर्थ राजनीतिक स्वरूप धारण कर लिया है तथा वे इस प्रकार निश्चित किए गए हैं।
गद्यांश 3
- किमपि राष्ट्र कस्यचनान्यस्य राष्ट्रस्य आन्तरिकेषु विषयेषु कीदृशमपि व्याघातं न करिष्यति।।
- प्रत्येकराष्ट्र परस्परं प्रभुसत्तां प्रादेशिकीमखण्डताञ्च सम्मानयिष्यति।
- प्रत्येकराष्ट्र पुरस्परं समानतां व्यवहरिष्यति।।
- किमपि राष्ट्रमपरेण नाक्र्स्यते।
- सर्वाण्यपि राष्ट्राणि मिथ: स्वां स्वां प्रभुसत्तां शान्त्या रक्षिष्यन्ति। विश्वस्य यानि राष्ट्राणि शान्तिमिच्छन्ति तानि इमान् नियमानङ्गीकृत्य परराष्ट्रस्सार्द्ध स्वमैत्रीभावं दृढ़ीकुर्वन्ति।
सन्दर्भ पूर्ववत्।
अनुवाद
- कोई भी राष्ट्र किसी दूसरे राष्ट्र के आन्तरिक विषयों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करेगा।
- प्रत्येक राष्ट्र परस्पर प्रभुसत्ता तथा प्रादेशिक अखण्डता का सम्मान करेगा।
- प्रत्येक राष्ट्र परस्पर समानता का व्यवहार करेगा।
- कोई भी राष्ट्र दूसरे (राष्ट्र) से आक्रान्त नहीं होगा।
- सभी राष्ट्र अपनी-अपनी प्रभुसत्ता की शान्तिपूर्वक रक्षा करेंगे। विश्व के जो भी राष्ट्र शान्ति की इच्छा रखते हैं, वे इन नियमों को अंगीकार (स्वीकार करके दूसरे राष्ट्रों के साथ अपने मैत्री-भाव को दृढ़ करते हैं।
प्रश्न – उत्तर
प्रश्न-पत्र में संस्कृत दिग्दर्शिका के पाठों (गद्य व पद्य) से चार अतिलघु उत्तरीय प्रश्न दिए जाएंगे, जिनमें से किन्हीं दो के उत्तर संस्कृत में लिखने होंगे, प्रत्येक प्रश्न के लिए 4 अंक निर्धारित है।
प्रश्न 1.
गौतमबुद्धः कान् सिद्धान्तान् अशिक्षयत्? (2018, 17, 16, 10)
उत्तर:
गौतमबुद्धः पञ्चशीलमिति नाम्नां सिद्धान्तान् स्वशिष्यान शिक्षयत्।।
प्रश्न 2.
महात्मनः गौतमबुद्धस्य पञ्चशीलसिद्धान्ताः के सन्ति? (2011, 10)
अथवा
गौतमबुद्धस्य सिद्धान्ताः के आसन्? (2010)
अथवा
पञ्चशीलसिद्धान्ताः के आसन्? (2011, 10)
उत्तर:
अहिंसा, सत्यम्, अस्तेयम्, अप्रमादः, ब्रह्मचर्यम् इति पञ्चशीलसिद्धान्ताः सन्ति ।।
प्रश्न 3.
क्रमेण के पञ्चशीलसिद्धान्ताः भवन्ति? (2011)
उत्तर:
पञ्चशीलसिद्धान्ताः क्रमेण अहिंसा, सत्यम्, अस्तेयम्, अप्रमादः, ब्रह्मचर्यम् इति भवन्ति।।
प्रश्न 4.
बौद्ध युगे इमे सिद्धान्ताः कस्य हेतोः प्रयुक्ताः आसन्? (2016)
उत्तर:
बौद्ध युगे इमे सिद्धान्ता: वैयक्तिकजीवनस्य अभ्युत्थानाय प्रयुक्ताः आसन्।
प्रश्न 5.
भारत-चीन-देशौ कस्मिन् धर्मे निष्ठावन्तौ? (2017)
उत्तर:
भारत-चीन-देशौ बौद्ध धर्मे निष्ठावन्तौ।।
प्रश्न 6.
पञ्चशीलमिति कीदृशाः सिद्धान्ता सन्ति? (2018, 17)
उत्तर:
पञ्चशीलमिति शिष्टाचार विषयकाः सिद्धान्ता सन्ति।
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