UP Board Solutions for Class 12 Sociology Chapter 25 Social Forestry (सामाजिक वानिकी)

By | June 1, 2022

UP Board Solutions for Class 12 Sociology Chapter 25 Social Forestry (सामाजिक वानिकी)

UP Board Solutions for Class 12 Sociology Chapter 25 Social Forestry (सामाजिक वानिकी)

विस्तृत उत्तीय प्रश्न (6 अंक)

प्रश्न 1
सामाजिक वानिकी को स्पष्ट कीजिए। [2008, 10, 15]
या
सामाजिक वानिकी का अर्थ बताइए। सामाजिक वानिकी के उद्देश्य और सामाजिक महत्त्व की चर्चा कीजिए। सामाजिक वानिकी क्या है? सामाजिक वानिकी के उद्देश्य बताइए। [2015]
या
सामाजिक वानिकी के महत्त्व पर एक निबन्ध लिखिए। [2008, 09, 11, 13, 15, 16]
या
सामाजिक वानिकी के उद्देश्यों एवं महत्त्व (उपयोगिता) की विवेचना कीजिए। [2007, 09, 13, 16]
या
सामाजिक वानिकी से आप क्या समझते हैं ? वर्तमान समय में इसकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए। [2013]
या
सामाजिक वानिकी के उद्देश्य एवं क्षेत्र पर प्रकाश डालिए। [2016]
या
सामाजिक वानिकी क्या है और इससे क्या लाभ हैं? [2016]
या
सामाजिक वानिकी के कार्यक्षेत्र की विवेचना कीजिए। [2007, 10, 13]
या
सामाजिक वानिकी से आप क्या समझते हैं? इसके क्षेत्र की विवेचना कीजिए। [2014]
या
सामाजिक वानिकी से आप क्या समझते हैं? [2015]
सामाजिक वानिकी की परिभाषा दीजिए। सामाजिक वानिकी के रूप एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए। सामाजिक वानिकी कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिए।
उत्तर:
सामाजिक वानिकी का अर्थ एवं परिभाषाएँ
सामाजिक वानिकी एक नवीन अवधारणा है, जो सामुदायिक आवश्यकताओं की पूर्ति और लाभ के लिए पेड़ लगाने, उनका विकास करने तथा वनों के संरक्षण पर बल देती है। यह वनों के विकास के लिए जनता के सहयोग पर बल देती है। भारत में 747.2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को वन-क्षेत्र घोषित किया गया। इसमें से 397.8 लाख हेक्टेयर को आरक्षित और 216.5 लाख हेक्टेयर को सुरक्षित के रूप में वर्गीकृत किया गया है। पहाड़ों में अधिकतम वन-क्षेत्र 60% और मैदानों में 20% हैं। पिछले कुछ वर्षों में वनों के क्षेत्र में होने वाली कमी को देखते हुए सामाजिक वानिकी की अवधारणा को विकसित किया गया है।
विभिन्न विद्वानों ने सामाजिक वानिकी को निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया है

डॉ० राणा के अनुसार, “समाज के द्वारा, समाज के लिए, समाज की ही भूमि पर, समाज के जीवन-स्तर को सुधारने के सामाजिक उद्देश्यों को ध्यान में रखकर किये जाने वाले वृक्षारोपण को सामाजिक वानिकी कहते हैं।’
“वनों को लगाने, संरक्षण करने तथा उत्पादन में समाज की भागीदारी सुनिश्चित करने का कार्यक्रम सामाजिक वानिकी है।”
सामाजिक वानिकी समाज की भागीदारी का एक सुनिश्चित कार्यक्रम है। इसके माध्यम से राष्ट्र में वन-क्षेत्रों का विकास कर उन्हें समाज के लिए उपयोगी बनाना है। स्वार्थी मानव ने अपने हित के लिए वृक्षों को अन्धाधुन्ध काटकर भावी पीढ़ी के लिए अनेक समस्याएँ उत्पन्न कर दीं। देश में वर्तमान आवश्यकताओं को देखते हुए वन-क्षेत्र अत्यन्त कम हैं। सरकार राष्ट्र में वन-क्षेत्रों का विस्तार करने के लिए जिन कार्यक्रमों को संचालित कर रही है उनमें से सामाजिक वानिकी महत्त्वपूर्ण है।

सामाजिक वानिकी के रूप (कार्यक्षेत्र)

सामाजिक वानिकी के निम्नलिखित रूप पाये जाते हैं

1. कृषि वानिकी – कृषि वानिकी के अन्तर्गत ग्रामीण आवासों के भीतर अहातों में वृक्ष लगाना है। ग्रामों में खाली पड़ी सार्वजनिक भूमि पर वृक्षारोपण करना, पवन के वेग पर नियन्त्रण करने के लिए हरित पट्टी तैयार करना तथा पेड़ों की रक्षा-पंक्तियाँ बनाना इस वानिकी के मुख्य लक्ष्य हैं। कृषि वानिकी के माध्यम से कृषकों को ईंधन और सामान्य उपयोग की लकड़ियाँ उपलब्ध होती हैं। कृषि वानिकी कृषि के सहायक के रूप में विकसित की जाती है।

2. प्रसार वानिकी – प्रसार वानिकी के अन्तर्गत नहरों के किनारे, रेलवे-लाइनों के किनारे तथा सड़कों के दोनों छोरों पर स्थित वृक्ष आते हैं। इन क्षेत्रों में वृक्षारोपण करके उनका संरक्षण करना प्रसार वानिकी का लक्ष्य है। प्रसार वानिकी झीलों तथा खेतों की मेड़ों पर वृक्ष लगाने के कार्यक्रम प्रसारित करती है। इसका लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में वन-क्षेत्रों का विस्तार करना है।

3. नगर वानिकी – नगरीय वानिकी नगर क्षेत्र में, निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों में वृक्षारोपण से जुड़ी है। इसके अन्तर्गत नगरों में हरित पट्टी व सुरक्षा पट्टी विकसित करके नगरों में होने वाले प्रदूषण पर नियन्त्रण लगा है।

सामाजिक वानिकी की विशेषताएँ
सामाजिक वानिकी की परिभाषा एवं रूपों के विवेचन के आधार पर सामाजिक वानिकी में निम्नलिखित विशेषताएँ पायी जाती हैं

  1. सामाजिक वानिकी में लाभार्थियों को कार्यक्रम के प्रारम्भिक स्तर पर ही भागीदार बनाया जाती
  2. इस कार्यक्रम के द्वारा भागीदारों की मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है।
  3. सामाजिक वानिकी में सामुदायिक एवं सार्वजनिक भूमि का उपयोग वृक्षारोपण के लिए कियो जाता है।
  4. सामाजिक वानिकी के अन्तर्गत लकड़ी, चारा, फल, रेशा, ईंधन तथा फर्नीचर की लकड़ी प्राप्त की जाती है।
  5. सामाजिक वानिकी के अन्तर्गत विकसित किये गये वन-क्षेत्रों पर सरकार का नियन्त्रण रहता है।
  6. सामाजिक वानिकी के पोषण हेतु व्यय करने के लिए वित्तीय सहायता पंचायत, सरकारी अंशदान अथवी स्वेच्छा से किये गये योगदान द्वारा उपलब्ध होती है।
  7. रेलवे-लाइनों, सड़कों और नहरों के किनारों पर वृक्ष लगाना इस कार्यक्रम का प्रमुख अंग है।
  8. तालाबों तथा जलाशयों के चारों ओर लताएँ और झुण्डों के रूप में वृक्ष लगाये जाते हैं।
  9. सामुदायिक क्षेत्रों तथा सार्वजनिक भूमि पर वन लगाकर वन-क्षेत्र विकसित किये जाते हैं।
  10. नष्ट हो चुके वनों के स्थान पर नये वृक्ष लगाकर वन-क्षेत्र विकसित किये जाते हैं।
  11. खेतों की मेड़ों पर फसलें उगाने के साथ-साथ वृक्ष भी लगाये जाते हैं।
  12. सामाजिक वानिकी ग्रामीण लोगों की मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम है।
  13. सामाजिक वानिकी ग्रामीणों की वनों पर निर्भरता में वृद्धि करती है।

सामाजिक वानिकी के उद्देश्य
ग्रामीण क्षेत्रों में वनों का विस्तार करने के लिए सामाजिक वानिकी को क्रियान्वित किया गया। सामाजिक वानिकी के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित रखे गये

  1. ग्रामवासियों में वृक्षों के प्रति लगाव उत्पन्न करना तथा वृक्षारोपण में उनकी सहभागिता सुनिश्चित करना।
  2.  गाँव के लोगों में एक व्यक्ति एक वृक्ष’ का लक्ष्य बनाने पर बल देना।
  3.  ग्रामवासियों तथा जनजातियों को वृक्षों की उपयोगिता से परिचित कराना।
  4.  वनों के विकास के माध्यम से ग्रामीण व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना।
  5.  वनों का वर्गीकरण उनकी उपयोगिता के आधार पर करना।
  6.  वन संरक्षण पर अधिक बल देना।
  7.  ग्रामीण क्षेत्रों में नये वन-क्षेत्रों के विकास पर बल देना।
  8.  सार्वजनिक हित और पर्यावरण संरक्षण के लिए सहयोग जुटाना।
  9.  ग्रामीण क्षेत्रों में लकड़ी की उपलब्धता बढ़ाना।।
  10.  वनों की अन्धाधुन्ध कटाई पर प्रभावी रोक लगाना।
  11. देश के 33% क्षेत्र पर वनों का विस्तार कराना।
  12.  पवन के झकोरों, वर्षा तथा बाढ़ से भू-क्षरण को रोकना।
  13.  ग्रामीण क्षेत्रों में ईंधन की उपलब्धता बढ़ाकर गोबर को खाद के रूप में प्रयुक्त कराना।
  14. स्थानीय जनसंख्या को आँधी, तूफान तथा वर्षा की तीव्रता से सुरक्षित रखना।
  15.  ग्रामीण क्षेत्रों में वनों पर आधारित उद्योग लगाकर रोजगार के अवसर बढ़ाना।
  16. ग्रामीण जनता के वृक्षारोपण कौशल का अधिकतम उपयोग करना।
  17. लाभार्जन के लिए उपयोगी वृक्षों के लगाने पर बल देना।।
  18.  समुदाय के लिए वृक्षारोपण करके वन लगाने के लिए व्यर्थ पड़ी भूमि का सदुपयोग करना।
  19. वन-क्षेत्रों में ग्रामीण जनता की भागीदारी सुनिश्चित करना।
  20.  रेलवे-लाइनों, सड़कों, नहर की पटरियों, नदियों के तटों तथा जलाशयों के चारों ओर वन क्षेत्रों का विकास करना।।
  21.  ग्रामीणों को लकड़ी के साथ-साथ पशुओं के लिए चारा भी उपलब्ध कराना।
  22.  बहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाओं के क्षेत्रों में मिट्टी एवं जल-संरक्षण के प्रभावी उपाय करना।।

सामाजिक वानिकी का महत्त्व

वन राष्ट्र की अमूल्य निधि हैं। सामाजिक वानिकी का उद्देश्य वनों का संरक्षण करके इनमें वृद्धि करना तथा इन्हें समुदाय की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अधिक उपयोगी बनाना है। सामाजिक वानिकी के महत्त्व को निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है

(अ) प्रत्यक्ष लाभ

  1. उपयोगी लकड़ी की प्राप्ति – वनों से फर्नीचर, रेल के डिब्बे, जहाज, माचिस आदि बनाने के लिए उपयोगी लकड़ी प्राप्त होती है।
  2. उद्योगों के लिए कच्चे माल – वनों से कागज, दियासलाई, रेशम, चमड़ा, तेल तथा फर्नीचर आदि उद्योगों के लिए कच्चे माल उपलब्ध होते हैं।
  3. रोजगार – वनों से लाखों लोगों को रोजगार मिलता है तथा ये 7.8 करोड़ लोगों को आजीविका प्रदान करते हैं।
  4.  सरकार को आय – सरकार को वनों से 400 करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है।
  5.  पशुओं को चारा – वन चारा देकर पशुओं का पालन-पोषण करते हैं।
  6. विदेशी मुद्रा की प्राप्ति – वनों से प्राप्त उपजों का निर्यात करने से भारत को ₹ 50 करोड़ की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है।
  7. औषधियाँ – वनों से उपयोगी जड़ी-बूटियाँ व औषधियाँ प्राप्त होती हैं।

(ब) अप्रत्यक्ष लाभ।

  1. जलवायु पर नियन्त्रण – वन देश की जलवायु को समशीतोष्ण बनाये रखते हैं तथा भाप भरी हवाओं को आकर्षित कर वर्षा कराने में सहायक होते हैं।
  2. भूमि के कटाव पर रोक – वन वर्षा की गति को मन्द करके भूमि के कटाव को रोकते हैं।
  3. बाढों पर नियन्त्रण – वन वर्षा के जल-प्रवाह की गति को मन्द करते हैं तथा जल को स्पंज की तरह सोखकर बाढ़ों पर नियन्त्रण करते हैं।
  4. मरुस्थल-प्रसार पर रोक – वन मिट्टी के कणों को अपनी जड़ों से बाँधे रहते हैं तथा मरुस्थल के प्रसार को रोकते हैं।
  5. पर्यावरण सन्तुलन – वन कार्बन डाई-ऑक्साइड को ऑक्सीजन में बदलकर वायु-प्रदूषण रोकते हैं तथा पर्यावरण सन्तुलन बनाये रखते हैं।
  6. भूमिगत जल के स्तर में वृद्धि – वन अपनी जड़ों से जल सोखकर भूमिगत जल के स्तर को ऊँचा कर देते हैं।
  7. अन्य लाभ – फल-फूलों की प्राप्ति, आखेट, सौन्दर्य में वृद्धि और भूमि को उर्वरता प्रदान करके वन अन्य लाभ भी प्रदान करते हैं।

(स) आर्थिक लाभ
सामाजिक वानिकी से निम्नलिखित आर्थिक लाभ प्राप्त होते हैं

  1. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार – सामाजिक वानिकी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार लाने को सर्वोत्तम माध्यम है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उत्पन्न करके, ईंधन और चारे की आपूर्ति करके ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता की रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों की दशा सुधारने में महत्त्वपूर्ण योग देती है।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों के औद्योगिक विकास में सहायक – सामाजिक वानिकी से प्राप्त लकड़ी, फल तथा अन्य उत्पादों पर अनेक उद्योग-धन्धे विकसित कर ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगिक विकास किया जा रहा है। इनसे कागज, परती लकड़ी, दियासलाई तथा फर्नीचर बनाने के उद्योग संचालित किये जा सकते हैं। औद्योगिक विकास के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि और विकास की लहर दौड़ जाएगी।
  3. प्रदूषण की समस्या का निराकरण – वर्तमान में प्रदूषण एक गम्भीर संकट बनकर उभर रहा है। इसके कारण बीमारियाँ, पर्यावरण की उपयोगिता का ह्रास तथा मानसिक तनावे जैसी समस्याएँ जन्म ले रही हैं। वृक्ष प्रदूषण की समस्या को हल करके प्रदूषण पर नियन्त्रण पाने में सक्षम हैं।
  4. वन-संरक्षण पर बल – सामाजिक वानिकी का लक्ष्य वन-संरक्षण है। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय निधि को संरक्षित कर मानव-मात्र की महती सेवा करता है। वनों का संरक्षण करके भावी पीढ़ी को अनेक प्राकृतिक आपदाओं से बचाया जा सकता है। मानवता के संरक्षण के लिए वनों का संरक्षण नितान्त आवश्यक है।

सामाजिक वानिकी को सफल बनाने के लिए सुझाव
सामाजिक वानिकी कार्यक्रमों को सफल बनाने की नितान्त आवश्यकता है। इनकी सफलता पर ग्रामों का सर्वांगीण विकास तथा राष्ट्र की आर्थिक प्रगति निर्भर है। सामाजिक वानिकी कार्यक्रमों की सफलता के लिए निम्नलिखित सुझाव दिये जा सकते हैं

  1.  सामाजिक वानिकी के लक्ष्य भली प्रकार सोच-समझ कर तय किये जाएँ।
  2. वृक्षारोपण के लक्ष्य निर्धारित करके उनके क्रियान्वयन के उपाय किये जाएँ।
  3.  वन-महोत्सव के लक्ष्य तथा उपयोगिता से जनसामान्य को परिचित कराया जाए, जिससे लोग सामाजिक वानिकी में सक्रिय भाग ले सकें।
  4. इस कार्यक्रम को लागू करने के लिए परिश्रमी, योग्य और निष्ठावान कर्मचारी भेजे जाएँ।
  5.  उत्तम कार्यों के लिए कर्मचारियों को पुरस्कृत किया जाए।
  6. ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि वानिकी के विस्तार पर अधिक ध्यान दिया जाए।
  7. ग्रामीण क्षेत्रों में जल्दी विकसित होने वाले वृक्ष लगाये जाएँ।
  8. सामाजिक वानिकी के अन्तर्गत ऐसे वृक्ष लगाने पर बल दिया जाए, जिनसे ईंधन के साथ फल, फूल तथा चारा भी प्राप्त होता रहे।
  9. वृक्ष काटने के स्थान पर लगाने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया जाए।
  10.  सड़कों, नहरों तथा रेलवे लाइनों के दोनों ओर वृक्षारोपण किया जाए।
  11. “एक व्यक्ति एक पेड़ के आदर्श को क्रियान्वित कराया जाए।
  12. वृक्षों के संरक्षण पर ध्यान दिया जाए। हरे वृक्षों के कटान को रोकने के लिए कड़े कानून बनाये जाएँ।।
  13. वृक्षों के विनाश को रोकने के लिए कानूनों का दृढ़ता से पालन कराया जाए।
  14. पर्वतीय क्षेत्रों में वृक्ष काटने पर कठोर प्रतिबन्ध लगाये जाएँ।
  15. पशुओं को वनों में चराने पर रोक लगा दी जाए।
  16. सामाजिक वानिकी के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कुशल और अनुभवी कार्यकर्ता तैयार किये जाएँ।
  17.  वृक्षों के प्रति जनसामान्य का लगाव पैदा किया जाए।
  18. सरकार द्वारा वृक्षों की पौध का मुफ्त वितरण किया जाए।
  19. ग्रामीण क्षेत्रों में पौधघर विकसित किये जाएँ।
  20. सामाजिक वानिकी कार्यक्रम को युद्ध स्तर पर लागू कराने के लिए इसे राष्ट्रीय कार्यक्रम का रूप दिया जाए।

लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)

प्रश्न 1
सामाजिक वानिकी का महत्त्व बताइए। [2016]
उत्तर:
सामाजिक वानिकी का महत्त्व
सामाजिक वानिकी का महत्त्व निम्नलिखित है

  1. सामाजिक वानिकी द्वारा वनों का विकास एवं संरक्षण किया जाता है, जिससे सरकारी आय में वृद्धि होती है।
  2. वन सम्पदा से कई वस्तुएँ; जैसे – बाँस, कागज, लुग्दी, गत्ता, लकड़ी, तारपीन, वार्निश व रंग, रबड़ के लिए गाढ़ा तरल पदार्थ, कत्था, चन्दन, केवड़ा आदि प्राप्त होती हैं।
  3. सामाजिक वानिकी द्वारा वनों का विकास किया जाता है। इसे ‘पुनर्वनीकरण’ कहा जाता है।वनों से मूल्यवान लकड़ी प्राप्त होती है।
  4.  सामाजिक वानिकी प्रदूषण नियन्त्रण में सहायक है। इससे जलवायु सन्तुलन बना रहता है। वनों का विकास जलवायु पर अनुकूल प्रभाव डालता है।
  5. वनों पर अनेक लघु उद्योग आधारित होते हैं; जैसे-शहद, रेशम, मोम, कत्था, बेंत इत्यादि इस तरह से सामाजिक वानिकी व्यावसायिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है।
  6. वनों में बहने वाले पानी को नियन्त्रित करने की अद्भुत क्षमता होती है।
  7. सीमाओं पर वनों का विकास राष्ट्रीय सुरक्षा में सहायक होता है।
  8. सामाजिक वानिकी का एक अन्य लाभ कृषि उत्पादन में वृद्धि करना है। वृक्षों के वाष्पोत्सर्जन की क्रिया, बादल निर्माण एवं वर्षा कराने में सहायक है।
  9. सामाजिक वानिकी वनों के विकास पर बल देती है, जिससे भूमि कटाव तथा भूस्खलनों पर नियन्त्रण होता है।
  10.  सामाजिक वानिकी मनोरंजन का भी प्रमुख साधन है। नगरीय क्षेत्रों में सामाजिक वानिकी के अन्तर्गत ऐसे मनोहारी पर्यटन स्थलों का विकास किया जाता है, जो अवकाश के समय नगरवासियों को तनाव मुक्त वातावरण प्रदान करते हैं।
  11. सामाजिक वानिकी औद्योगिक विकास में भी सहायक है, क्योंकि अनेक उद्योगों के लिए कच्चा माल वनों से ही उपलब्ध होता है।
  12. वनों पर आधारित उद्योग-धन्धों द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार होता है।
  13. सामाजिक वानिकी द्वारा वन उत्पादों एवं कार्यों में रोजगार उत्पन्न होता है।

प्रश्न 2
सामाजिक वानिकी की वनों के रक्षण में क्या भूमिका है ?
उत्तर:
सामाजिक वानिकी के द्वारा वनों का रक्षण किया जाता है। वर्तमान में वन काफी उजाड़े गये हैं और वृक्षों की अत्यधिक कटाई ने वनों से प्राप्त होने वाले लाभों को कम कर दिया है। वर्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, बंजर भूमि एवं रेगिस्तान का विस्तार हुआ है। अत: वनों के संरक्षण की दृष्टि से भी सामाजिक वानिकी महत्त्वपूर्ण है।

सामाजिक वानिकी के कुछ अन्य लाभ इस प्रकार हैं

  1. वनों से ईंधन प्राप्त होता है।
  2. पशुओं के लिए चारा प्राप्त होता है।
  3. वन जलवायु में सन्तुलन बनाये रखते हैं तथा जलवृष्टि में सहायक होते हैं।
  4. पेड़ों की पत्तियाँ सड़कर मिट्टी को छूमस प्रदान करती हैं जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाती है और उपज में वृद्धि करती है।
  5. वन प्राकृतिक छटा में वृद्धि करते हैं।
  6.  वनों से भूमि का जल-स्तर ऊँचा उठ जाता है जिससे कुएँ खोदकर पानी निकालने में सुविधा रहती है तथा सिंचाई की सुविधाओं में वृद्धि होती है।
  7. वनों में कृषि की पूरक वस्तुएँ उपलब्ध होती हैं।

प्रश्न 3
सामाजिक वानिकी भू-क्षरण एवं बाढ़ नियन्त्रण में कैसे सहायक है ?
उत्तर:
वर्तमान समय में देश के वनों का क्षेत्र कम होता जा रहा है व पेड़ों को निर्दयता से काटा जा रहा है। इसका प्रभाव यह पड़ा है कि मिट्टी का कटाव बढ़ा है और बाढ़ों की संख्या एवं मात्रा में वृद्धि हुई है। सामाजिक वानिकी के अन्तर्गत हवा के बहाव को रोकने के लिए पेड़ों की कतारों का विकास किया जाएगा, नदियों के दोनों ओर पेड़ों के झुण्डों का विकास किया जाएगा और उन क्षेत्रों में पेड़ उगाये जाएँगे जहाँ मिट्टी का कटाव अधिक होता है। इसके परिणामस्वरूप भूमि का कटाव भी रुकेगा और बाढ़ पर नियन्त्रण भी हो सकेगा। वृक्ष आँधी तथा मरुस्थल के विस्तार को भी रोकने में सहायक होंगे। चूंकि वन वायु की गति को रोकते हैं। अत: भयानक आँधी से होने वाली क्षति को भी कम किया जा सकेगा।

प्रश्न 4
सामाजिक वानिकी प्रदूषण पर नियन्त्रण में कैसे प्रभावकारी है ?
उत्तर:
सामाजिक वानिकी प्रदूषण को रोकने की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है। पेड़ ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, जो जीवों के लिए प्राण वायु है तथा बदले में पर्यावरण की कार्बन डाइऑक्साइड गैस ग्रहण करते हैं। इस प्रकार से पर्यावरण में दोनों प्रकार की गैसों का सन्तुलन बनाये रखते हैं। वे मिलों, फैक्ट्रियों, भट्टियों एवं चूल्हों से निकलने वाले धुएँ तथा मिट्टी के कणों को भी फैलने से रोकते हैं। वृक्ष घनी छाया देते हैं तथा वातावरण की अधिक गर्मी और ठण्ड को भी स्वयं आत्मसात कर तापक्रम में सन्तुलन बनाये रखते हैं। पेड़-पौधे ध्वनि-प्रदूषण को भी रोकने का कार्य करते हैं। पेड़ों पर आश्रय लेने वाले पक्षी कई हानिप्रद कीड़े-मकोड़ों को भी खा जाते हैं जो मानव के लिए। हानिकारक होते हैं। पेड़-पौधे तालाबों, नदियों एवं जलाशयों में उत्पन्न जल-प्रदूषण को भी रोकते हैं तथा जल की स्वच्छता बनाये रखने में सहायक होते हैं। इस प्रकार सामाजिक वानिकी ध्वनि, जल, वायु और जीवों से उत्पन्न प्रदूषण को रोकने की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 5
सामाजिक वानिकी के आर्थिक लाभ बताइए।
उत्तर:
सामाजिक वानिकी का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण गरीबों की आर्थिक स्थिति को उन्नत करना है। वर्तमान में करीब 26.10 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इन्हें रोजगार के साधन उपलब्ध कराने में सामाजिक वानिकी सहायक सिद्ध होगी। वे पेड़ के पत्तों से बीड़ी एवं पत्तले बनाने, बीजों से तेल निकालने, लकड़ी से फर्नीचर व खिलौने बनाने तथा बाँस से रस्सी, चटाई व टोकरी बनाने का कार्य कर सकते हैं। वनों में ग्रामीणों को ओषधियाँ व फल-फूल प्राप्त होंगे जिन्हें बेचकर वे अपना जीवन-यापन कर सकेंगे। वनों से उन्हें जलाने के लिए ईंधन प्राप्त होगा। यदि ग्रामीण लोग अपने घर के अहाते, खेत एवं गाँव के पास पेड़ लगाएँ और गाँव की परती एवं बंजर भूमि पर पेड़ों के झुरमुट विकसित करें तो बेकार भूमि का तो उपयोग होगा ही, साथ ही उन्हें इससे आर्थिक लाभ भी प्राप्त होंगे। कई ऐसे वृक्ष हैं जो 7 वर्ष की अवधि के बीच तैयार हो जाते हैं और जो प्रतिवर्ष ₹ 200 से 500 तक की आमदनी दे सकते हैं। इस प्रकार वन ग्रामीणों को रोजगार प्रदान करने में सहायक होंगे।

प्रश्न 6
सामाजिक वानिकी के मार्ग में आने वाली बाधाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यह एक तथ्य है कि सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर किये गये वन-संरक्षण और सामाजिक वानिकी के लिए किये गये विभिन्न प्रयत्नों के बाद भी हमें वांछित सफलता नहीं मिल सकी है। इसके लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी हैं

  1.  भूमि का नितान्त अभाव है। गाँव की बंजर भूमि पर पेड़ लगाना कठिन है, फिर इन पेड़ों को सार्वजनिक होने के कारण या तो पशुओं द्वारा नष्ट कर दिया जाता है या ग्रामीण ही उन्हें काट डालते हैं।
  2. अधिकांश ग्रामीण लोग अपनी भूमि वृक्ष लगाने हेतु सरकार को देने के लिए राजी नहीं होते, वे कोई संकट मोल लेना नहीं चाहते।।
  3.  योजना के संचालन का कार्य अनुभवी और कुशल कर्मचारियों द्वारा नहीं किया जाता और वे भी योजना के प्रति उदासीन होते हैं।
  4. वन एवं वृक्ष लगाने के लिए सरकार द्वारा दिया जाने वाला अनुदान एवं धनराशि भी पर्याप्त नहीं है। इन बाधाओं के बावजूद भी सामाजिक वानिकी के क्षेत्र में प्रगति के प्रयास जारी हैं।
  5. वृक्षारोपण कार्यक्रम का लाभ अधिकतर गाँव के धनी लोगों को ही मिलता है, जिससे कार्यक्रम के प्रति सामान्य लोगों की रुचि समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 7
सामाजिक वानिकी का औद्योगिक महत्त्व बताइए।
उत्तर:
वन हमारी औद्योगिक जरूरतों को भी पूरा करते हैं। रेल उद्योग, जहाज-निर्माण उद्योग, कागज, दियासलाई, लकड़ी पर की जाने वाली कारीगरी एवं हस्त शिल्प उद्योग, फर्नीचर उद्योग, गृह-निर्माण, खिलौना उद्योग आदि सभी के लिए लकड़ी और कच्चा माल वनों से ही प्राप्त होता है। रबर, लाख, गोंद, कत्था, बिरोजा एवं तारपीन का तेल भी हमें वनों से ही प्राप्त होते हैं। वनों से प्राप्त होने वाली लुग्दी, घास, छालें, पत्ते, जड़े, तने और मुलायम लकड़ी पर ही देश के कई उद्योग निर्भर हैं। सेल्यूलोज, रेयॉन एवं नायलॉन से बनने वाले कृत्रिम धागे और वस्त्रों के लिए भी कच्चा माल वनों से ही प्राप्त होता है। इस प्रकार वन हमारे औद्योगिक विकास के मार्ग को प्रशस्त कर सकेंगे।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1
कृषि वानिकी के अन्तर्गत कौन-से कार्यक्रम आते हैं ?
उत्तर:
कृषि वानिकी (Farm Forestry) के अन्तर्गत निम्नलिखित कार्यक्रम आते हैं

  1.  खेतों की मेंड़ एवं सीमाओं तथा व्यक्तिगत कृषि-भूमि पर पेड़ लगाना।
  2. हवा के तेज बहाव को रोकने के लिए पेड़ों की रक्षा कतारें विकसित करना।
  3. गाँव की खाली पड़ी भूमि पर पेड़ लगाना। कृषि वानिकी के द्वारा ग्रामवासियों को ईंधन और सामान्य उपयोग से सम्बन्धित लकड़ी उपलब्ध करायी जाती है।

प्रश्न 2
प्रसार वानिकी के अन्तर्गत कौन-से कार्यक्रम आते हैं ?
उत्तर:
प्रसार वानिकी (Extension Forestry) के अन्तर्गत निम्नलिखित कार्यक्रम सम्मिलित किये जाते हैं

  1. मिश्रित वानिकी अर्थात् अनुपयोगी भूमि, पंचायत की भूमि एवं गाँव की सामूहिक भूमि पर फलों, चारे, ईंधन आदि के पेड़-पौधे उगाना।
  2. सड़कों, रेलवे लाइनों एवं नहरों के किनारे दोनों ओर शीघ्र उगने वाले पेड़-पौधे लगाना।
  3.  विनष्ट वनों पर पुनः वन लगाना।।

प्रश्न 3
‘सामाजिक वानिकी के कार्य-क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक वानिकी के कार्य-क्षेत्र में निम्नलिखित प्रयासों को सम्मिलित किया जाता है

  1.  खाली पड़ी भूमि पर समुदाय की दृष्टि से वृक्षारोपण करना।
  2. हवा को रोकने के लिए पेड़ लगाना।
  3. खेतों की सीमाओं तथा मेड़ों पर वृक्षारोपण करना।।
  4. फलों, चारे तथा ईंधन की आपूर्ति के लिए पेड़ लगाना।
  5. मनोरंजन हेतु वनों का विकास करना।
  6. पर्यावरण वानिकी दृष्टि से जल संग्रहण क्षेत्रों में पेड़ लगाना।
  7.  पेड़ों की कतारें लगाना।।

प्रश्न 4
सामाजिक वानिकी के उद्देश्य बताइए। [2009]
उत्तर:
सन् 1973 में राष्ट्रीय आयोग द्वारा सामाजिक वानिकी पर दी गयी अन्तरिम रिपोर्ट में सामाजिक वानिकी के निम्नलिखित उद्देश्य बताये गये हैं

  1. ग्रामीण क्षेत्रों में गोबर के स्थान पर ईंधन हेतु लकड़ी उपलब्ध कराना,
  2. इमारती लकड़ी उपलब्ध कराना,
  3.  पशुओं के लिए चारा उपलब्ध कराना,
  4.  हवा से कृषि-भूमि की रक्षा करना तथा
  5. मनोरंजनात्मक आवश्यकताओं को जुटाना।

प्रश्न 5
सामाजिक वानिकी की चार विशेषताएँ बताइए। [2012, 14]
उत्तर:
सामाजिक वानिकी की चार विशेषताएँ इस प्रकार हैं

  1.  सामुदायिक एवं सार्वजनिक भूमि का उपयोग वृक्षारोपण के लिए करना,
  2. रेलवे-लाइनों, सड़कों और नहरों के किनारों पर वृक्ष लगाना,
  3. तालाबों तथा जलाशयों के चारों ओर लताएँ और झुण्डों के रूप में वृक्ष लगाना तथा
  4. नष्ट हो चुके वनों के स्थान पर नये वृक्ष लगाकर वन-क्षेत्र विकसित करना।

प्रश्न 6
सामाजिक वानिकी के दो प्रमुख लाभों को लिखिए। [2012, 14]
उत्तर:
सामाजिक वानिकी के दो महत्त्वपूर्ण लाभ निम्नलिखित हैं

  1.  आर्थिक लाभ – सामाजिक वानिकी ग्रामीण क्षेत्रों के निर्धन व्यक्तियों को रोजगार के साधन उपलब्ध कराती है। वे पेड़ के पत्तों से बीड़ी एवं पत्तले बनाने, बीजों से तेल निकालने, लकड़ी से फर्नीचर व खिलौने बनाने, बॉस से चटाई व टोकरी बनाने का कार्य कर सकते हैं।
  2. प्रदूषण पर नियन्त्रण – सामाजिक वानिकी प्रदूषण को रोकने की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है। पेड़ ऑक्सीजन प्रदान करते हैं जो जीवों के लिए प्राण वायु है तथा बदले में पर्यावरण की कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं। इस प्रकार वे पर्यावरण में दोनों प्रकार की गैसों का सन्तुलन बनाये रखते हैं। वृक्ष मिलों, फैक्ट्रियों, भट्टियों एवं चूल्हों से निकलने वाले धुएँ तथा धूल के कणों को भी फैलने से रोकते हैं।

निश्चित उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1
भारत में वनों का विस्तार बताइए।
उत्तर:
भारत में वनों का विस्तार 6.37 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 19.39 प्रतिशत है।

प्रश्न 2
ब्रिटिश राज्यकाल में वनों को किन-किन भागों में बाँटा गया था ?
उत्तर:
ब्रिटिश राज्यकाल में वनों को तीन भागों में बाँटा गया था। ये तीन भाग हैं-आरक्षित वन, रक्षित वन तथा अवर्गीकृत वन।।

प्रश्न 3
वानिकी का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
वानिकी का अर्थ वनों और उनसे उपलब्ध होने वाली वस्तुओं के वैज्ञानिक प्रबन्ध से है।

प्रश्न 4
सामाजिक वानिकी की अवधारणा का प्रयोग सर्वप्रथम कब हुआ? [2011]
या
सामाजिक वानिकी की अवधारणा कब आयी? [2016]
उत्तर:
सामाजिक वानिकी की अवधारणा का प्रयोग सर्वप्रथम 1976 ई० में हुआ।

प्रश्न 5
सामाजिक वानिकी से क्या अभिप्राय है ? [2011, 15]
उत्तर:
समाज के द्वारा, समाज के लिए, समाज की ही भूमि पर समाज के स्तर को सुधारने के सामाजिक उद्देश्यों को ध्यान में रखकर किये जाने वाले वृक्षारोपण को सामाजिक वानिकी कहते हैं।

प्रश्न 6
सामाजिक वानिकी के दो उद्देश्य बताइए। [2013]
उत्तर:
सामाजिक वानिकी के दो उद्देश्य हैं

  1. सामाजिक वानिकी का उद्देश्य ग्रामीण लोगों की गरीबी दूर करना तथा
  2. लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनकी शक्ति एवं प्रयत्नों को गति प्रदान करना है।

प्रश्न 7
सामाजिक वानिकी के अन्तर्गत किन तीन प्रकार के कार्यक्रमों को समन्वित रूप से क्रियान्वित किया जाता है ?
उत्तर:
ये तीन प्रकार के कार्यक्रम हैं – संरक्षण, उत्पादन तथा पर्यावरण।

प्रश्न 8
पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम कब बनाया गया ?
उत्तर:
पर्यावरण अधिनियम 1986 ई० में बनाया गया।

प्रश्न 9
‘प्रियदर्शनी वृक्षमित्र पुरस्कार’ किसको दिया जाता है ?
उत्तर:
1986 ई० से ‘प्रियदर्शनी वृक्षमित्र पुरस्कार’ वन लगाने व परती भूमि के विकास करने वाले व्यक्तियों एवं संगठनों को दिया जाता है।

प्रश्न 10
‘कजरी’ नामक वृक्षारोपण अनुसन्धानशाला कहाँ और क्यों स्थापित की गयी ?
उत्तर:
‘कजरी’ नामक वृक्षारोपण अनुसन्धानशाला जोधपुर (राजस्थान) में मरुभूमि में वृक्षारोपण की समस्याओं एवं उनके निदान हेतु स्थापित की गयी।

प्रश्न 11
चिपको आन्दोलन का नेतृत्व किसने किया था ? [2009]
या
सुन्दरलाल बहुगुणा ने वन संरक्षण हेतु ‘चिपको आन्दोलन चलाया। (सत्य/ असत्य) । [2007]
या
चिपको आन्दोलन किसने शुरु किया था? [2013, 14]
या
‘चिपको आन्दोलन से कौन सम्बन्धित है? [2015]
उत्तर:
‘चिपको आन्दोलन का नेतृत्व टिहरी-गढ़वाल के निवासी सुन्दरलाल बहुगुणा ने किया था।

प्रश्न 12
भारत में सर्वाधिक वन कौन-से प्रदेश में हैं ?
उत्तर:
भारत में सर्वाधिक वन मध्य प्रदेश में हैं।

प्रश्न 13
भारत में राष्ट्रीय वन-नीति कब घोषित की गयी ? [2012]
उत्तर:
भारत में वन-नीति 1952 ई० में घोषित की गयी।

प्रश्न 14
भारत में सामाजिक वानिकी कार्यक्रम का प्रारम्भ किस वर्ष में हुआ ? [2010]
उत्तर:
भारत में सामाजिक वानिकी’ कार्यक्रम का प्रारम्भ सन् 1976 में हुआ।

बहुविकल्पीय प्रज ( 1 अंक)

प्रश्न 1
सन् 1914 में वन अनुसन्धानशाला की स्थापना की गयी थी
(क) देहरादून में
(ख) नैनीताल में
(ग) लखनऊ में
(घ) कानपुर में

प्रश्न 2
सामाजिक वानिकी की अवधारणा का प्रयोग सर्वप्रथम किया गया।
(क) सन् 1970 में
(ख) सन 1972 में
(ग) सन् 1974 में
(घ) सन 1976 में

प्रश्न 3
किस वानिकी के अन्तर्गत नहरों के किनारे, रेलवे लाइनों के किनारे तथा सड़कों के दोनों छोरों पर स्थित वृक्ष आते हैं ?
(क) कृषि वानिकी
(ख) प्रसार वानिकी
(ग) नगर वानिकी
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर
1. (क) देहरादून में, 2. (घ) सन् 1976 में, 3. (ख) प्रसार वानिकी।

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