UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 14 लोकगीत (मंजरी)
UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 14 लोकगीत (मंजरी)
महत्वपूर्ण गद्याश की व्याख्या पूरब की …………………. अपने विद्यापति हैं।
संदर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘लोकगीत’ नामंक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक डॉ० भगवतशरण उपाध्याय जी हैं।
प्रसंग – लोकगीत के सम्बन्ध में लेखक मैथिली के महान कवि विद्यापति का परिचय देता है।
व्याख्या – लेखक कहता है कि पूरब की बोलियों में मैथिली के कवि कोकिल विद्यापति के गीत घर-घर में गूंजते हैं। यही स्थिति पूरे देश की है। सभी प्रदेशों के निवासियों के अपने-अपने विद्यापति अर्थातू लोककवि हैं।
पाठ का सार (सारांश)
लोकगीत लोकव्यवहार, स्थानीयता, ग्राम्य जीवन की सुन्दरता आदि गुणों से ओत-प्रोत होते हैं। इनकी पूँज देश के हर कोने में सुनाई देती है। ये लोकगीत विशेष अवसरों पर गाए जाते हैं। पुरुषों और स्त्रियों के अलग-अलग तथा एक साथ गाए जाने वाले लोकगीतों की तो छटा ही कुछ और होती है! चाहे विदेशिया हो या हीर-राँझा, चैता हो या कजरी, बारहमासा, बाउल, भटियाली, सावन, बिरहा, नचारी, छठ के गीत, आल्हा, माहिया, गरबा, सोहर, बानी, सेहरा न जाने कितने; ये सब अपनी सोंधी सुगंध से जनजीवन का अनूठा परिचय देते हैं। मैथिली के कवि कोकिल विद्यापति की भाँति सारे देश में स्थानीय ‘विद्यापतियों की कमी नहीं।।
प्रश्न-अभ्यास
कुछ करने को
प्रश्न 1.
निम्नांकित अनुच्छेद को ध्यान से पढ़िए और अपने साथियों से पूछने के लिए पाँच प्रश्न बनाइए भारतीय आर्केस्ट्रा के योग से भी लोकगीत गाये जाते हैं। इन्हें एक या अनेक लोग मिलकर गाते हैं। अधिकतर एक लड़का और लड़की एक दूसरे के जवाब के रूप में या एक साथ मिलकर भी इन्हें गाते हैं। इस प्रकार के गीत वस्तुतः ‘पश्चिम’ और नये भारत के मिले-जुले प्रयास हैं। मधुर, तेज या ढीले, कृत्रिम स्वर में ये गीत गाये जाते हैं। यद्यपि ये शास्त्र की दृष्टि से नगण्य हैं तथापि अब काफी लोकप्रिय हो गये हैं। ये देशी-विदेशी और अशास्त्रीय-आँवारू गानों के बिगड़े रूप हैं।
उत्तर :
- इन्हें कितने लोग गाते हैं?
- अधिकतर यह कितने लोगों द्वारा गाया जाता है?
- ये गीत किस स्वर में गाए जाते हैं?
- इनका शास्त्र की दृष्टि से क्या महत्व है?
- ये किसके बिगड़े रूप है?
प्रश्न 2.
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 3.
शिक्षक की सहायता से विद्यार्थी स्वयं करें
विचार और कल्पना
प्रश्न 1.
लोकगीतों में लोगों की दिलचस्पी कम होने से हमें क्या क्षति हो सकती है, इन्हें बढ़ावा देने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर :
लोकगीतों में लोगों की दिलचस्पी कम होने से हम अपनी सभ्यता, संस्कृति और ग्राम्य जीवन की सीधी-सरल शैली से दूर हो जाएँगे। इन्हें बढ़ावा देने के लिए हमें लोक गायकों, नर्तकों आदि को बढ़ावा देना चाहिए।
प्रश्न 2.
देश के प्रत्येक क्षेत्र के लोकगीत अलग-अलग होते हैं किन्तु सभी का मूल भाव एक ही होता है जो अनेकता में एकता को व्यक्त करता है। बताइए कि और कौन-नै घटक होते है, जो देश की अनेकता में एकता को व्यक्त करते हैं।
उत्तर :
पर्व-त्योहार, सुख-दुख में साथ निभाना, मिल-जुलकर रहना आदि घटक देश की अनेकता में एकता व्यक्त करते हैं।
निबन्ध से
प्रश्न 1.
कव्वाली के अलावा कौन-से गीत हैं, जिनमें टोली बनाकर प्रतिस्पर्धा आयोजित की जाती है?
उत्तर :
गरबा, गिद्दा, सरहुल, बिरहा, होली, चैता आदि।
प्रश्न 2.
हमारे यहाँ महिलाएँ कब-कब किस प्रकार के गीत गाती हैं? उन गीतों को कौन-सा गीत कहा जाता है?
उत्तर :
हमारे यहाँ महिलाएँ मुंडन, उपनयन, विवाह, मटकोड़, ज्यौनार, जन्म आदि के अवसरों पर स्थानीय गीत गाती हैं। इन गीतों को सोहर, बानी, सेहरा आदि कहा जाता है।
प्रश्न 3.
लोकगीत हमारे देश के लिए किन-किन क्षेत्रों में अधिक लोकप्रिय हैं तथा इसकी क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर :
लोकगीत हमारे देश के पहाड़ी, जंगली, ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक लोकप्रिय हैं तथा रसिकता, सरसता, लोकजीवन की सुन्दरता, मिट्टी की महक, संस्कृति के दर्शन आदि इनकी मुख्य विशेषताएँ हैं।
प्रश्न 4.
लोकगीत किन-किन रागों पर आधारित होते हैं?
उत्तर :
लोकगीत साधारणतः पीलू, सारंग, दुर्गा, सावन, सोरठ आदि रागों पर आधारित होते हैं।
प्रश्न 5.
सोहर, चैता तथा कजरी कब-कब गाए जाते हैं?
उत्तर :
सोहर, चैता तथा कजरी क्रमशः विवाह आदि के उत्सव तथा चैत वे सावन के महीनों में गाए जाते हैं।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
निम्नांकित शब्दों का संधिविच्छेद कीजिए (संधिविच्छेद करके) –
- पुनरावृत्ति = पुनः + आवृत्ति
- पुनर्जन्म = पुनः + जन्म
- पुनर्बाध = पुनः + बोध
- पुनरागमन = पुनः + आगमन
- पुनरुक्ति = पुनः + उक्ति
प्रश्न 2.
निम्नांकित शब्दों में ‘इक’ प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए (शब्द बनाकर) –
- सप्ताह + इक = साप्ताहिक
- वर्ष + इक = वार्षिक
- समाज + इक = सामाजिक
- धर्म + इक = धार्मिक
- मर्म + इक = मार्मिक
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