UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 15 खग, उड़ते रहना (मंजरी)
UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 15 खग, उड़ते रहना (मंजरी)
समस्त पद्यांशों की व्याख्या
खग उड़ते रहना ………………….. जीवन भर!
संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘खग, उड़ते रहना’ पाठ से ली गई हैं। इसके रचयिता सुप्रसिद्ध कवि-गीतकार गोपालदास नीरज जी है।
प्रसंग – कवि मानव को पक्षी के बहाने सदा क्रियाशील रहने का संदेश देता है।
व्याख्या – कवि कहता है कि ओ पक्षी! तू जीवनभर उड़ता रहा। वैसे, तू अपना रास्ता भटक चुका है और तेरे पंखों में भी अब पहले जैसी गति नहीं रही; फिर भी पीछे मत लौटना; क्योंकि वह मौत से भी बदतर है।
मत डर …………….. जीवन भर!
संदर्भ और प्रसंग – पूर्ववत् ।
व्याख्या – तू रास्ते की बाधाओं से मत डर; नई आशा, नए विश्वास की लहर पाले बढ़ता रह; तेरे सभी शत्रु (सारी समस्याएँ) तेरे पंखों की फड़फड़ाहट से पिसकर मिट जाएँगे अर्थातू तेरे उड़ते रहने मात्र से सारी समस्याएँ दूर हो जाएँगी।
यदि तू ……………… जीवन भर!
व्याख्या – यदि तू जीवन पथ की बाधाओं से डरकर लौट पड़ेगा, तो तेरे चाहने वाले ही तेरा मजाक उड़ाएँगे!
और मिट गया ……………………. जीवन भर!
संदर्भ और प्रसंग – पूर्ववत् ।
व्याख्या – यदि तू क्रियाशील रहते, लक्ष्य प्राप्त करते हुए मिट गया, तो पूरी दुनिया तेरी खाक श्रद्धापूर्वक सिर-माथे चढ़ाएगी और तू प्रेरणा-स्तम्भ बन जाएगा।
प्रश्न-अभ्यास
कुछ करने को
प्रश्न 1.
अपनी पसन्द के किसी पक्षी के बारे में कुछ वाक्य लिखिए।
उत्तर :
मेरा पसंदीदा पक्षी मोर है। यह पक्षियों का राजा है। साथ ही यह भारत का राष्ट्रीय पक्षी भी है। मोर के पंख बहुत सुंदर होते हैं। इसके सिर पर नीले रंग की सुंदर सी कलगी होती है। वर्षा-ऋतु में मोर जब अपने पंख फैलाकर नृत्य करता है तो सब का मन मोह लेता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित उदाहरण के आधार पर किसी एक पक्षी का विवरण तैयार करें
उदाहरण – पुस्तक में देखें।
उत्तर :
विचार और कल्पना
प्रश्न 1.
सामने दिये गये चित्र को देखकर अपने विचार पाँच पंक्तियों में लिखिए
उत्तर :
- इस में पक्षियों को पिंजरा उलटकर बाहर उड़ते हुए दिखाया गया है।
- यह चित्र स्वतंत्रता एवं स्वच्छंदता का प्रतीक है।
- प्रत्येक जीव को अपनी स्वच्छंदता प्रिय होती है।
कोई भी बंधन या पहरे में रहना पसंद नहीं करता, भले ही उसे उस बंधन में लाखों सुख-सुविधाएँ दी गई हों। परतंत्रता में कितना भी सुख क्यों न हो वह स्वतंत्रता की बराबरी नहीं कर सकती है। तभी तो कहा गया है कि पराधीन सपने हुँ सुख नाही अर्थात दूसरों के अधीन रहने पर सपनों में भी सुख की कामना नहीं कि जा सकती।
प्रश्न 2.
उड़ता हुआ पक्षी हमें आगे बढ़ने अर्थात् उन्नति करने का संदेश देता है। इसी प्रकार बताइए कि उगता सूरज, हिमालय, लहराता सागर, फलों से लदे वृक्ष, खिले फूल हमें क्या संदेश देते हैं? प्रत्येक पर अपने विचार दो-दो पंक्तियों में लिखिए।
उत्तर :
उगता सूरज हमें दूसरों के जीवन को प्रकाशित यानी सुखमय बनाने का संदेश देता है। हिमालय हमें हर संकट में अविचल होकर खड़े रहने एवं ऊँचा बने रहने की प्रेरणा देता है।
लहराता सागर हमें जोश एवं उमंग के साथ जीने की सीख देता है।
फलों से लदे वृक्ष हमें विनम्रता एवं परोपकार की सीख देते हैं।
खिले फूल हमें दूसरों के जीवन में खुशियाँ प्रदान करने की प्रेरणा देते हैं।
प्रश्न 3.
कवि इस गीत के माध्यम से हमें क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर :
कवि इस गीत के माध्यम से हमें प्रगतिशीलता और कर्मठता का संदेश देना चाहता है।
प्रश्न 4.
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।
गीत से
प्रश्न 1.
मौत से भी बदतर क्या है?
उत्तर :
पीछे लौटना।
प्रश्न 2.
मार्ग में कठिनाई आने पर क्या करना चाहिए?
उत्तर :
मार्ग में कठिनाई आने पर नई आशा और विश्वास से आगे बढ़ते रहना चाहिए।
प्रश्न 3.
जो लोग अपने लक्ष्य तक पहुँचने के प्रयास में समाप्त हो जाते हैं, उनको संसार किस तरह सम्मान देता है?
उत्तर :
जो लोग अपने लक्ष्य तक पहुँचने के प्रयास में समाप्त हो जाते हैं, संसार उनको नायक की तरह सम्मान करता है।
प्रश्न 4.
कार्य को बिना पूरा किए हुए, छोड़कर लौट आने वाले व्यक्ति को संसार किस दृष्टि से देखता है?
उत्तर :
हीन और व्यंग्य की दृष्टि से।
प्रश्न 5.
दी गई कविता की पंक्तियों को पढ़िए और नीचे दिए गए सही भावार्थ पर सही (✓) का चिह्न लगाइए।
और मिट गया चलते-चलते, मंजिल-पथ तय करते-करते,
खाक चढ़ाएगा जग, उन्नत भाल और आँखों पर।
(क) हे पक्षी ! यदि चलते-चलते और मंजिल पाने में खाक मिलती है तो तेरा ललाट ऊँचा रहेगा।
(ख) हे पक्षी ! (हे मानव !) यदि अपनी मंजिल को पाने के लिए अपने पथ पर उड़ते-उड़ते (चलते-चलते) मिट जाओगे तो भी कोई हानि नहीं होगी, क्योंकि तब यह संसार बड़े गर्व से तुम्हारे बलिदान (चिताभस्म) को अपने सिर आँखों पर चढ़ाएगा। ✓
(ग) हे मानव ! अपनी मंजिल की खाक अपने ऊँचे मस्तक और आँखों पर चढ़ाओ।
(घ) हे खग ! यदि राह चलते-चलते और मंजिल पाने में तू मर गया तो तू मिट्टी में मिल जायेगा।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
दिए गए शब्दों के समानार्थक शब्द लिखिए (शब्द लिखकर) –
- पथ – मार्ग, रास्ता, राह
- आशा – आस, आसरा, उम्मीद
- अरि – शत्रु, रिपु, दुश्मन
- आँख – चक्षु, नेत्र, लोचन
प्रश्न 2.
निम्नलिखित के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए (शब्द लिखकर) –
- पक्षी – खग, विहग
- आकाश – नभ,गगन
- धरती – पृथ्वी, भू
- पहाड़ – पर्वत, गिरि
प्रश्न 3.
योजक-चिहून ……………. क्या अर्थ हैं।
उत्तर :
- आशा – हलकोरों – आशा की हिलकोरें
- अरि – दल – अरियों का दल
- चलते-चलते – चलते और चलते
प्रथम और द्वितीय योजक चिह्नों के अर्थ हैं-सम्बन्ध प्रकट करना; जबकि तृतीय योजक चिह्न का अर्थ है-शब्द की पुनरावृत्ति प्रकट करना।
प्रश्न 4.
बच्चे स्वयं करें।
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