UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 37 पंडित दीनदयाल उपाध्याय (महान व्यक्तिव)

By | May 28, 2022

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 37 पंडित दीनदयाल उपाध्याय (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 37 पंडित दीनदयाल उपाध्याय (महान व्यक्तिव)

पाठ का सारांश

पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर, सन् 1916 को राजस्थान में जयपुर के धनकिया में हुआ था। जब ये ढाई वर्ष के थे तभी इनके पिता भगवती प्रसाद का देहांत हो गया। जब ये सात वर्ष के थे तो इनकी माता रामप्यारी देवी का देहांत हो गया। उन्होंने अपने ननिहाल में रहकर प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की पढ़ाई पूरी की। कानपुर में सनातन धर्म कॉलेज से बी.ए. किया। आगरा के सेंट जॉन कालेज से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. करने के दौरान वे नाना जी देशमुख के सम्पर्क में आए। बीमार ममेरी बहन की सेवा करने के कारण पंडित दीनदयाल एम.ए. वितीय वर्ष की पढ़ाई पूरी नहीं कर सके। पंडित दीनदयाल समाज के लिए कुछ अलग करना चाहते थे अतः नौकरी का विचार त्याग कर समाज सेवा का स्वप्न लिए भाऊराव देवरस के पास गए और स्वयं को आजीवन समाज सेवा के प्रति समर्पित कर दिया।

एक निर्भीक पत्रकार, प्रखर लेखक, गहन अध्येता के रूप में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के योगदान को सदैव याद किया जाएगा। सन् 1947 ई० श्री भाऊराव देवरस की प्रेरणा से उन्होंने ‘राष्ट्रधर्म’ पत्रिका का प्रकाशन  शुरू किया। फिर ‘पांचजन्य’ और दैनिक ‘स्वदेश’ का प्रकाशन सुरू किया। फिर उन्होंने प्रसिद्ध उपन्यास ‘सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य’ और ‘जगत गुरु शंकराचार्य’ लिखा। ‘अखण्ड भारत क्यों’ उनकी प्रमुख कृति है।

उनका मानना था कि समाज में छुआछूत और भेदभाव राष्ट्र की एकता के लिए घातक है। वे स्वदेशी के पक्षधर थे। एक बार उन्होंने कहा था- “विश्व का ज्ञान और आज तक की संपूर्ण परंपरा के आधार पर हम ऐसे भारत का निर्माण करेंगे, जो हमारे पूर्वजों के भारत से भी अधिक गौरवशाली होगा।” हम  सभी को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे तेजस्वी, तपस्वी एवं यशस्वी महापुरुष के सपनों के भारत का निर्माण करने का संकल्प लेना चाहिए।

अभ्यास

प्रश्न 1.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय को बचपन में किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर :
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जब ढाई वर्ष के थे तो उनके पिता का देहांत हो गया। उनके पिता रेल कर्मचारी थे। पिता की मृत्यु के बाद उनकी माँ उन्हें लेकर उनके पिता के पैतृक गाँव चली गई। जब वे सात वर्ष के थे तब उनके माता का भी देहांत हो गया अतः उनका बचपन उनके ननिहाल में बीता। इस प्रकार उनको बचपन में अनेक  कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

प्रश्न 2.
बालक दीनदयाल ने किस प्रसंग पर यह कहा था कि मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए?
उत्तर :
पिलानी के बिरला कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद जब वे समाजसेवी व उद्योगपति घनश्याम दास बिरला से मिलने गए तो बिरला जी ने उन्हें पुरस्कार में स्वर्ण पदक और दो सौ पचास रुपये देते हुए उनसे पूछा कि- “तुम्हें क्या चाहिए बेटा?” इसी प्रसंग पर उन्होंने कहा था कि- “मुझे आपका आशिर्वाद चाहिए।

प्रश्न 3.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने कौन-कौन सी पुस्तकों की रचना की?
उत्तर :
पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने ‘सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य’, ‘जगत गुरु शंकराचार्य’ और ‘अखंड भारत क्यों आदि पुस्तकों की रचना की।

प्रश्न 4.
राष्ट्रधर्म प्रकाशन से प्रकाशित होने वाली पत्र-पत्रिकाओं का नाम बताइए।
उत्तर :
राष्ट्रधर्म प्रकाशन से ‘राष्ट्रधर्म’ एवं पांचजन्य पत्रिका, दैनिक स्वदेश तथा सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य’, जगत गुरु शंकराचार्य उपन्यास तथा ‘अखंड भारत क्यों’ आदि पुस्तकें प्रकाशित होती थीं।

प्रश्न 5.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चरित्र की किसी एक विशेषता के बारे में लिखिए?
उत्तर :
पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक बार वाराणसी से बलिया जा रहे थे। तृतीय श्रेणी के डिब्बे में तिल रखने की भी जगह नहीं थी। कार्यकर्ताओं ने उनका बिस्तर वितीय श्रेणी में लगा दिया बलिया पहुँचने पर  उन्होंने दोनों श्रेणियों के किराये का अंतर स्टेशन मास्टर के पास जमा करा दिया।

प्रश्न 6.
‘एकात्म मानववाद से राष्ट्र की उन्नति कैसे होगी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
पंडित दीनदयाल उपाध्याय ‘एकात्म मानववाद’ के प्रवर्तक थे। एकात्म मानववाद का अर्थ है, सबके लिए एक धर्म अर्थात् मानव धर्म। जहाँ मनुष्यों में कोई भेदभाव न हो। अगर समाज के प्रत्येक व्यक्ति को समान साधन, समान अवसर एवं समान स्वतंत्रता प्राप्त होगी तो भारत निसंदेह और तेजी से उन्नति करेगा।

प्रश्न 7.
राष्ट्रधर्म पत्रिका का प्रकाशन किसकी प्रेरणा से दीनदयाल जी ने किया था?
उत्तर :
राष्ट्रधर्म पत्रिका का प्रकाशन दीनदयाल जी ने भाऊराव देवरस की प्रेरणा से सुरू किया था।

प्रश्न 8.
पंडित दीनदयाल के अनुसार राष्ट्रीयता का आधार क्या है?
उत्तर :
पंडित दीनदयाल राष्ट्रीयता का आधार भारत माता को मानते थे।

प्रश्न 9.
पंडित दीनदयाल जी के अनुसार ‘एकात्म मानववाद’ क्या है?
उत्तर :
पंडित दीनदयाल के अनुसार एकात्म  मानववाद का अर्थ है जहाँ विविध संस्कृतियाँ विकसित हों और एक ऐसे मानव धर्म का सृजन हो, जिसमें समाज के प्रत्येक व्यक्ति को समान समय, अवसर, और स्वतंत्रता प्राप्त हो।

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