UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 9 भारत के महान खगोलविद् (महान व्यक्तिव)

By | May 28, 2022

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 9 भारत के महान खगोलविद् (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 9 भारत के महान खगोलविद् (महान व्यक्तिव)

पाठ का सारांश

भारतीय खगोलविदों में आर्यभट्ट, वराहमिहिर और सवाई जयसिंह प्रमुख हैं।

आर्यभट्ट – महान गणितज्ञ और खगोल वैज्ञानिक आर्यभट्ट के नाम पर भारत ने 19 अप्रैल, 1975 ई० को पहला कृत्रिम उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ छोड़ा। नालन्दा विश्वविद्यालय में गहन खगोलीय ज्ञान जुटाने के बाद आर्यभट्ट ने खगोल विज्ञान की उत्कृष्ट रचना ‘आर्यभट्टीय’ नामक ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखा। इस ग्रंथ से प्रभावित होकर गुप्त शासक बुद्धदेव ने आर्यभट्ट को  नालन्दा विश्वविद्यालय का प्रधान बनाया। आर्यभट्ट ने निष्कर्ष निकाला कि पृथ्वी गोल है और अपनी धुरी पर घूमकर दिन-रात बनाती है। चन्द्रमा सूर्य के प्रकाश से चमकता है और ग्रहण एक खगोलीय घटना है। राहु द्वारा सूर्य व चन्द्र का निगला जाना अन्धविश्वास है। यह निष्कर्ष आज भी मान्य है।

आर्यभट्ट ने एक और ग्रंथ ‘आर्यभट्ट सिद्धांत’ लिखा, जो दैनिक खगोलीय गणना और शुभ मुहूर्त निश्चित करने में काम आता है। आज भी पंचांग बनाने में आर्यभट्ट की खगोलीय गणना काम आती है।

वराहमिहिर – ये सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के राजज्योतिषी थे। इनके बचपन का नाम मिहिर था। मगध राज्य का सबसे महान पुरस्कार ‘वराह का चिह्न’ मिलने पर इन्हें वराहमिहिर कहा जाने लगा। आर्यभट्ट से प्रभावित होकर ज्योतिष और खगोल ज्ञान को इन्होंने अपने जीवन का ध्येय बना लिया। शिक्षा पूर्ण करने के बाद ये विद्या और संस्कृति के केन्द्र उज्जैन आ गए। सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने इनकी विद्वता से प्रभावित होकर इन्हें अपने नौरत्नों में शामिल कर लिया। इन्होंने पर्यावरण विज्ञान, जल विज्ञान और भू-विज्ञान के सम्बन्ध में कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य उजागर किए। इनकी टिप्पणी थी कि कोई शक्ति चीजों को जमीन से  चिपकाए रहती है। पौधे और दीमक इंगित करते हैं कि जमीन के नीचे पानी है। वराहमिहिर की प्रमुख रचनाएँ- पंच सिद्धांतिका, वृहत्संहिता और बृहज्जाक हैं, जो संस्कृत भाषा में अनोखी शैली में लिखी गई हैं। ज्योतिष के क्षेत्र में वराहमिहिर की पुस्तके आज भी बेजोड़ है।

सवाई जयसिंह – खगोलशास्त्र में राजा जयसिंह की रुचि थी। इस कारण ये बाद में महान खगोलविद् और गणितज्ञ के रूप में प्रसिद्ध हुए। ये तेरह वर्ष की उम्र में आमेर की गद्दी पर बैठे। 1701 ई० में औरंगजेब ने इन्हें सवाई की उपाधि से सम्मानित किया। इन्होंने अपनी राजनैतिक स्थिति सुदृढ़ करके खगोलशास्त्र का ज्ञान अर्जित किया। इन्होंने अपने दरबार में खगोलविदों की गोष्ठियाँ कीं। इन्होंने पुर्तगाल, अरब और यूरोप से खगोल से सम्बन्धित पुस्तकें, संहिताएँ और सारणियाँ इकट्ठी कीं। कई पुस्तकों का संस्कृत में अनुवाद करवाया, जैसे- सिद्धांत सूरी कौस्तम, तुरूसुरणी, मिथ्या जीव छाया आदि। सवाई जयसिंह ने यूरोप से दूरबीन मँगवाई और खगोलीय पर्यवेक्षण के लिए अपनी दूरबीनों का निर्माण शुरू करवा दिया।

1724 ई० में दिल्ली में जन्तर-मन्तर वेधशाला का निर्माण किया गया। इसका उद्देश्य विज्ञान को लोकप्रिय बनाना था। राजा जयसिंह ने ईंट और चूने के विशाल उपकरण बनवाए और गहन अध्ययन एवं शोध के  बाद खगोल विज्ञान के क्षेत्र में कई तथ्य दिए। दिल्ली और जयपुर की वेधशालाएँ (जन्तर-मन्तर) इसके उदाहरण हैं।

अभ्यास

प्रश्न 1.
आर्यभट्ट ने गणित में क्या योगदान दिया?
उत्तर :
आर्यभट्ट ने ‘आर्यभट्ट सिद्धांत’ नामक पुस्तक लिखी, जो दैनिक खगोलीय गणना और अनुष्ठानों के लिए शुभ मुहूर्त निश्चित करने के काम आती है। पंचांग बनाने के लिए आर्यभट्ट की खगोलीय गणना का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 2.
पृथ्वी के बारे में वराहमिहिर ने कौन-सी प्रमुख टिप्पणियाँ की हैं?
उत्तर :
पृथ्वी के बारे में वराहमिहिर की टिप्पणी थी कि कोई शक्ति है, जो चीजों को जमीन से चिपकाए रखती है। इस कथन के आधार पर गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत बना।

प्रश्न 3.
जन्तर-मन्तर क्या है और कहाँ है?
उत्तर :
जन्तर-मन्तर वेधशाला है, जो दिल्ली और जयपुर में है।

प्रश्न 4.
आर्यभट्ट और वराहमिहिर के दो-दो ग्रंथों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • आर्यभट्टीय, आर्यभट्ट सिद्धांत – आर्यभट्ट।
  • वृहत्संहित, वृहज्जातक – वराहमिहिर।

प्रश्न 5.
सही तथ्यों के सामने सही (✓) तथा गलत के सामने गलत (✗) के निशान लगाइए (निशान लगाकर) –

(क) आर्यभट्ट हर बात को वैज्ञानिक आधार पर परखने में विश्वास करते थे। (✓)
(ख) दिल्ली की वेधशाला का नाम जन्तर-मन्तर नहीं है। (✗)
(ग) दूरबीन से दूर की चीजें देखी जा सकती हैं। (✓)
(घ) आर्यभट्ट, पाणिनि, सवाई जयसिंह सभी खगोलविद् हैं। (✗)

प्रश्न 6.
किसने कहा –

(क) सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय राहु द्वारा सूर्य या चन्द्रमा को निगल जाने की धारणा अन्धविश्वास है।
उत्तर :
आर्यभट्ट ने कहा।

(ख) पौधे और दीमक इस बात की ओर  इंगित करते हैं कि जमीन के नीचे पानी है।
उत्तर :
वराहमिहिर ने कहा।

(ग) चन्द्रमा सूर्य के प्रकाश से चमकता है, उसका अपना प्रकाश नहीं है।
उत्तर :
आर्यभट्ट ने कहा।

प्रश्न 7.
अपने शिक्षक/शिक्षिका से चर्चा कीजिए –

(क) जंतर-मंतर क्या है और कहाँ स्थित है ?
(ख) वेधशाला किसे कहते हैं? हमारे देश में कहाँ-कहाँ वेधशालाएँ हैं?
(ग) आकाशगंगा किसे कहते हैं?

नोट – विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका से स्वयं चर्चा करें।

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