UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 1 जागो जीवन के प्रभात (मंजरी)

By | May 26, 2022

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 1 जागो जीवन के प्रभात (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 1 जागो जीवन के प्रभात (मंजरी)

समस्त पद्यांशों की व्याख्या

अब जागो ……………………………….. के प्रभात!
शब्दार्थ:
प्रभात = सवेरा,
वसुधा = पृथ्वी,
हिम-कन = बर्फ के कण,
ओस, क्षोभ = दुख,
अरुणागात = लालिमायुक्त शरीर वाली।

संदर्भ:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘जागो जीवन के प्रभात’ नामक कविता से लिया गया है। इसके कवि जयशंकर प्रसाद हैं।

प्रसंग:
कवि ने प्रभात के माध्यम से जीवन में नई आशा का संचार करने के लिए और जागरण के लिए सन्देश दिया है।

व्याख्या:
कवि नवजीवन के प्रभात में जागने का आवाहन करता है। इस प्रात:काल (प्रभात) में ओस और बर्फ रूपी दुख के जो कारण दिखाई देते थे, वे समाप्त हो गए हैं। लालिमायुक्त शरीर वाली उषा प्रकट हो चुकी है। अतः प्रभात में जाग उठो, इस नवजीवन में सक्रिय हो जाओ।

तम-नयनों……………………… के प्रभात!
शब्दार्थ:
तम-नयनों = अन्धकार रूपी नेत्रों,
ताराएँ = आँखों की पुतलियाँ,
किरण-दल = किरणों का समूह,
मलय-वात = शीतल, मन्द एवं सुगन्धित हवा।

संदर्भ:
पूर्ववत्।

प्रसंग:
कवि ने रात्रि बीत जाने पर नवजीवन के प्रभात का वर्णन किया है।

व्याख्या:
रात्रि के तारे, आँखों को अन्धकार विलुप्त होकर प्रकाश की किरणों के समूह में मुँद गए हैं और प्रातः की शीतल, मन्द और सुगन्ध वाली मलय समीर चल रही है। इस प्रभात बेला में जाग उठो और नवजीवन में सक्रिय हो जाओ।

रजनी की ……………….. के प्रभात।
शब्दार्थ:

रजनी = रात,
कलरव = पक्षियों का चहचहाना,
अरुणांचल = पूर्व दिशा,
चल रही बात = चर्चा हो रही है।

संदर्भ: पूर्ववत्।

प्रसंग:
कवि ने प्रात:काल में पक्षियों के चहकने और शीतल वायु के चलने और नवजीवन के प्रभात का वर्णन किया है।

व्याख्या:
प्रभात होने से रात्रिकालीन साज-सज्जा (अन्धकार) की कालावधि बीत गई है। प्रातः पक्षियों का जो मधुर कलरव (गान) हो रहा है, उससे उठकर (जागकर) मिलो, उसका अभिनन्दन करो। पूर्व दिशा से जागृति की हवा चलने लगी है। अतः इस प्रात:काल की बेला में जाग जाओ। नवजीवन में सक्रिय हो जाओ।

प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को:

(i) सुबह सूर्योदय से थोड़ा पहले अपने घर के  बाहर अथवा छत पर खड़े होकर पूर्व दिशा के एक-एक दृश्य को बारीकी से देखिए और

(क) देखे गये दृश्यों के बारे में अपनी पुस्तिका में लिखिए।
उत्तर:
रात्रि का अंधकार ढलं चुका था। पूरब से लाल थालीनुमा सुरज धीरे-धीरे उदित हो रहा था। हर तरफ उसकी लालिमा बिखरी पड़ी थी। कुछ तारे लुप्त हो गए थे। कुछ अभी भी दिखाई दे रहे थे। चिड़ियों की चहचहाट से सारी दिशाएँ पूँज रही थी। किसान अपने बैलों को लेकर कंधों पर हल उठाए खेतों की तरफ निकल चुके थे। बैलों के गले में बजती घंटियाँ और मंदिर से आती शंख और घंटे की ध्वनि पूरे वातावरण में मधुर संगीत घोल रहे थे। दूब  और पेड़-पौधों के पत्तों पर ओस के मोती अभी भी बिखरे पड़े थे।

(ख) देखे गये दृश्यों का चित्र बनाइए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

(ii) प्रातः काल वर्णन संबंधी कम से कम दो कविताओं का संकलन कीजिए।
उत्तर:

विचार और कल्पना

प्रश्न 1:
यह कविता उस समय लिखी गई थी जब देश  आजादी की लड़ाई लड़ रहा था। हम गुलामी के अंधकार से आजादी के सुनहरे सवेरे की ओर बढ़ रहे थे। बताइए, उस समय देश की स्थिति क्या रही होगी?
उत्तर:
उस समय पूरे देशवासियों की नसों में आजादी की लहर दौड़ रही थी। बड़े-बूढे, जवानबच्चे, महिला-पुरुष सब, आजाद होने के लिए आंदोलन कर रहे थे। अंग्रेजों की लाठियाँ, गोलियाँ भी उन्हें रोकने में नाकाम थीं। अंग्रेजी सामानों का बहिष्कार किया जा रहा था। भारत छोड़ो के नारों से पूरा देश पूँज रहा था। आए दिन लोग जुलूस निकालते थे बड़े नेताओं के नेतृत्व में अंग्रेजों का अत्याचार भी अपनी चरम सीमा पर था। बेगुनाहों मासूमों सहित देश के बड़े-बड़े नेताओं की गिरफ्तारियाँ होती रहती । थीं। क्रांतिकारियों को आए दिन फाँसी की सजा दी जा रही थी। भारतवासी स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष कर रहे थे और अंग्रेज उन्हें गुलाम बनाए रखने के  लिए प्रताड़ित किए जा रहे थे।

प्रश्न 2:
प्रातः काल पशुपालक अपने पशुओं को चारा खिलाते हैं। इसी तरह निम्नांकित के द्वारा प्रातः काल किये जाने वाले कार्यों के विषय में लिखिए

(क) विदयार्थी – विदयार्थी विद्यालय जाने की तैयारी करते हैं।
(ख) माँ – माँ घरवालों के लिए नाश्ता और लंच तैयार करने में जुट जाती है।
(ग) दुकानदार – दुकानदार अपनी दुकान खोलता है।
(घ) पक्षी – पक्षी अपना घोंसला छोड़कर भोजन की तलाश में निकल पड़ते हैं।
(ङ) आप – मैं भी विद्यालय जाने की तैयारी में लग जाती हैं।

कविता से

प्रश्न 1:
कविता में जीवन का जो सन्देश  छिपा हुआ है, दिये गये विकल्पों में से उसे छाँटिए
(क) सूर्योदय के लिए।
(ख) जीवन में नयी आशा का संचार करने के लिए।
(ग) मलय-वात का आनन्द लेने के लिए।
उत्तर:
जीवन में नयी आशा का संचार करने के लिए।

प्रश्न 2:
कवि ने प्रातःकाल पृथ्वी पर फैले ओसकणों को क्या कहा है?
उत्तर:
कवि ने प्रात:काल पृथ्वी पर फैले  ओसकणों को दुख भरे आ है।

प्रश्न 3:
उषा द्वारा ओस बटोरने का क्या आशय है?
उत्तर:
उषा द्वारा, ओस बटोरने से आशय है कि उषा के आने पर दिन की गर्मी से ओस समाप्त हो जाती है। इसी प्रकार जागरण और सक्रियता से कष्ट दूर हो जाते हैं।

प्रश्न 4:
भाव स्पष्ट कीजिए
(क) चल रहा सुखद यह मलय-वात।
उत्तर:
भावे- कवि दुखों से भरी रात में हिमकणों को दुख के आँसू कहता है। लेकिन अब प्रभात/ भोर हो चुकी है और शीतल मन्द सुगन्धित हवा अब चल पड़ी है।

(ख) कलरव से उठकर भेंटो तो।
उत्तर:
भाव- कवि कहता है अब दुख भरी रात बीत चुकी है और पक्षियों की चहचहाहट के साथ सुबह आ रही है।

प्रश्न 5:
‘रजनी की लाज’ को स्पष्ट करने के लिए नीचे चार अर्थ दिए गए हैं, इनमें से सही उत्तर छाँटकर लिखिए
(क) अन्धकार
(ख) शर्म
(ग) अज्ञान
(घ) आलस्य
उत्तर:
(क) अन्धकार

भाषा की बात

प्रश्न 1:
कविता की दो पंक्तियों को पढ़िए
(क) चल रहा सुखद यह मलय-वात
(ख) अरुणांचल में चल रही बात
उपर्युक्त पंक्तियों में आए शब्द ‘वात’ और ‘बात’ का अर्थ वाक्य प्रयोग द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:        शब्द             अर्थ                                     वाक्य प्रयोग
(क)            वात                हवा                   आज पूर्व दिशा से शीतल वातं चल रही है।
(ख)            बात         बातचीत, चर्चा        आज विद्यालय में 15 अगस्त के बारे में बात हो रही है।

(ग) अरुण+अंचल के योग से ‘अरुणांचल’ शब्द बना है। इसी तरह नीचे लिखे गये शब्दों में ‘अंचल’ शब्द जोड़कर लिखिए

हिम, उत्तर, पूर्व, सोन, कोयला, नीला
उत्तर:

हिम + अंचल – हिमांचल
उत्तर + अंचल – उत्तरांचल
पूर्व + अंचल – पूर्वांचल
सोन + अंचल – सोनांचल
कोयला + अंचल – कोयलांचल
नीला + अंचल – नीलांचल

पढ़ने के लिए
विद्यार्थी स्वयं करें।

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