UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 10 आचार्य दीपंकर श्रीज्ञान (महान व्यक्तित्व)

By | May 26, 2022

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 10 आचार्य दीपंकर श्रीज्ञान (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 10 आचार्य दीपंकर श्रीज्ञान (महान व्यक्तित्व)

पाठ का सारांश

आचार्य दीपंकर श्रीज्ञान ने विश्व भर में ज्ञान का प्रकाश फैलाया, इनका जन्म सन् 982 ई० में सहोर (बंगाल) में हुआ था। ये विक्रमपुर के राजा कल्याण के दूसरे पुत्र थे। इन्हें बचपन में चन्द्रगर्भ कहते थे। इन्होंने आगे चलकर विवाह तथा सिंहासन स्वीकार नहीं किया। उनतीस वर्ष की अवस्था तक ज्ञान की सभी शाखाओं का अध्ययन कर इन्होंने ‘महापंडित’ की उपाधि प्राप्त की। वज्रासन महाविहार (बुद्ध गया) में उन्हें दीपंकर श्रीज्ञान के नाम से विभूषित किया गया।
इन्होंने भारत के अनेक विश्वविद्यालयों में अध्यापन किया। ये तीन वर्ष के लिए तिब्बत गए थे, परन्तु सीमा पर लड़ाई छिड़ने के कारण भारत वापस न लौट सके। वर्षों तक बौद्ध मत का प्रचार-प्रसार करने तथा अनेक ग्रन्थों की रचना करने के पश्चात् तिहत्तर वर्ष की अवस्था में वहीं इनका निधन हो गया। ये शान्ति, सद्भाव और आपसी सहयोग के प्रतीक थे।

अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
राजकुमार चन्द्रगर्भ ने राजसिंहासन को क्यों नहीं स्वीकार किया?
उत्तर:
राजकुमार चन्द्रगर्भ को सांसारिक वैभव के प्रति कोई लगाव नहीं था, इसी कारण उन्होंने राजसिंहासन को स्वीकार नहीं किया।

प्रश्न 2:
तिब्बत प्रवास के समय दीपंकर श्रीज्ञान ने कौन-कौन से कार्य किए थे?
उत्तर:
तिब्बत प्रवास के समय दीपंकर श्रीज्ञान ने महात्मा बुद्ध के उपदेशों को वहाँ की जनता तक पहुँचाया। इन्होंने बुद्ध मत से सम्बन्धित अनेक ग्रन्थों की रचना एवं अनेक अनुवाद किए। बौद्ध विहारों एवं भिक्षुशालाओं का निरीक्षण करके सुधार  हेतु इन्होंने अपने सुझाव दिए। बौद्ध मत के पुनर्गठन में इनका बहुत योगदान रहा।

प्रश्न 3:
‘बोधिपथ प्रदीप’ में तीनों कोटि के पुरुषों के क्या लक्षण बताये गए हैं ?
उत्तर:
‘बोधिपथ प्रदीप’ में आचार्य दीपंकर श्रीज्ञान ने पुरुषों को तीन प्रकार का बताया है-अधम, मध्यम और उत्तम। इनके लक्षणों को स्पष्ट करते हुए उन्होंने लिखा है कि जो लोग दूसरों को धोखा देकर, कष्ट पहुँचाकर, भ्रष्ट तरीकों से सांसारिक सुख पाना चाहते हैं,  वे अधम पुरुष हैं। संसार के दुखों से विमुख रहकर या कर्म से दूर रहकर केवल अपने निर्वाण की कामना करने वाले पुरुष मध्यम कोटि में आते हैं। कितु जो लोग अपने बच्चों के दुखों की तरह ही संसार के अन्य लोगों के दुखों का सर्वथा नाश करना= चाहते हैं, वे उत्तम पुरुष हैं।

प्रश्न 4:
सही मिलान कीजिएउत्तर
उत्तर:

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