UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 मनभावन सावन (मंजरी)

By | May 26, 2022

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 मनभावन सावन (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 मनभावन सावन (मंजरी)

समत पाशों की व्याख्या

झमे-झम …………………………… बूंदें झलमल।

संदर्भ:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘मनभावन सावन’ नामक कविता से ली गई हैं।  इसके रचयिता सुमित्रानन्दन पन्त हैं।

प्रसंग:
प्रस्तुत कविता में कवि ने सावन के बरसते बादल का मनोरम चित्र खींचा है। कविता के अन्त में कवि ने जन-जन के जीवन में सावन का उल्लास भरने की कामना की है।

व्याख्या:
प्रस्तुत कविता में कवि ने सावन के बरसते बादल का मनोरम चित्र खींचा है। कवि कहता है कि सावन के बादल झम झम करके तेज वर्षा करते हैं। बादलों की बूंदें पेड़ों पर गिरती हैं और उनसे
छनकर पृथ्वी पर छम-छम की आवाज करके गिरती हैं। बादल से चमचम करके बार-बार बिजली चमकती है। दिन में अँधेरा हो जाता है और आदमी रुक-रुक कर सोचने लगता है, मानो स्वप्न देख रहा हो। ताड़ के पत्ते पंखों से नजर आते हैं, लम्बी-लम्बी अँगुलियाँ  और हथेली के साथ उन पर पानी की धार तड़-तड़ करके पड़ती है। हाथ और मुँह से बूंदें झिल-मिल करती हुई उप-टप गिरती हैं।

नाच रहे पागल …………………….. भरते गर्जन।

संदर्भ एवं प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
कवि ने सावन के बरसते बादलों का मनोरम चित्र खींचा है। वर्षा के कारण पीपल के पत्ते मानो ताली बजाकर नाच रहे हैं और नीम की पत्तियाँ आनन्दित हो झूम रही हैं। हरसिंगार के फूल झर रहे हैं और बेलों की कली प्रत्येक क्षण बढ़ रही है।  ऐसी सुखद हरियाली में मेंढकों की टर-टर और झिल्ली की झन-झन, मोर की ‘म्याव’ और पपीहे की ‘पीट-पीउ’ सुनाई देती है। बगुले सुखी होकर अपनी बोली बोलकर उड़ रहे हैं। बादल घुमड़-घुमड़ कर आ रहे हैं और आकाश को अपनी गर्जना से भर दिया है।

रिमझिम-रिमझिम ……………………. सावन मनभावन।

संदर्भ एवं प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
कवि ने बरसते बादलों का सुन्दर चित्रण किया है, रिमझिम करके बूंदें आवाज कर रही हैं, मानो कुछ कह रही हैं। उससे रोमांच हो जाता है और हृदय पर प्रभाव पड़ता है। पानी की गिरती धाराओं से धरती के कण-कण में हरे-भरे अंकुर फूट रहे हैं। कवि का मन पानी की धार रूपी रस्सी के सहारे झूलना चाहता है और सबके द्वारा घिरकर उनसे सावन के गीत गाने को कहता है। कवि इन्द्रधनुष के झूले में सबको मिलकर झूलने के लिए कहता है  और कामना करता है कि यह मन को अच्छा लगने वाला सावन बार-बार आकर जीवन को सुखी बनाए।

प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को

प्रश्न 1:
निम्नलिखित शब्दों की सहायता से एक कविता स्वयं बनाइए
बादल, बरसात, पानी, बिजली, हरियाली, दादुर, मोर, पंख, फुहार, काले।
उत्तर:
बरसात आई, बरसात आई
काले बादल घिरकर आए।
मनभावन हरियाली लाए।।
बिजली चमक रही घन माही।
छम-छम बरस रहा है पानी।। 
नन्हीं-नन्हीं पड़े फुहार।
मोर नाचता पंख पसार।।
दादुर-ध्वनि चहुंओर सुहाई।
बरसात आई, बरसात आई।।

प्रश्न 2:
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3:
नोट– विद्यार्थी स्वयं करें।

विचार और कल्पना

प्रश्न 1:
कविता को पढ़कर आप के मन में सावन का जो चित्र उभरता है, उसे लिखिए।
उत्तर:
कविता को पढ़कर मन में सावन की हरियाली का चित्र उभरता है।

प्रश्न 2:
सावन में चारों ओर हरियाली फैल जाती है। दादुर, मोर, चातक, सोनबलाक सभी खुशी से बोलने लगते हैं। आपको सावन कैसा लगता है- दस-पन्द्रह पंक्तियों में लिखिए।
उत्तरे:
हमें सावन अच्छा लगता है। सावन में चारों ओर हरियाली छा जाती है। पेड़-पौधे और वनस्पतियाँ सभी हरे-भरे हो जाते हैं। गर्मी और सूखे रेत के दब जाने से राहत मिलती है। चारों ओर हँसी-खुशी का वातावरण होता है।  पशु-पक्षी, जीव-जन्तु सभी प्रसन्न रहते हैं। गरजते बादल अच्छे लगते हैं। उनमें चमकती बिजली देखकर बच्चे खुश होते हैं। नीम के वृक्ष हिलते हुए अच्छे लगते हैं। बच्चे और स्त्रियाँ सावन में झूले पर झूलती हैं और सावन के गीत गाती हैं। मेंढक, मोर, चातक और सोनबालक आदि पक्षी खुशी से अपनी-अपनी बोली बोलते हैं। प्रकृति में मनमोहक दृश्य दिखाई देता है, जो बच्चों को खुश करता है। नदी-नाले सब पानी से परिपूर्ण होते हैं।

कविता से

प्रश्न 1:
ताड़ के पत्ते किस रूप में दिखायी पड़ रहे हैं ?
उत्तर:
ताड़ के पत्ते पंखों के रूप में दिखाई दे रहे हैं जिनमें अंगुलियाँ और चौड़ी हथेली हैं।

प्रश्न 2:
हरसिंगार और बेला के फलों पर सावन की बूंदों का क्या प्रभाव पड़ रहा है?
उत्तर:
हरसिंगार के फूल झर रहे हैं और बेला के फूलों की कलियाँ प्रतिपल बढ़ रही हैं।

प्रश्न 3:
निम्नलिखित भाव कविता की किन पंक्तियों में आये हैं?

(क) पीपल के पत्ते मानो ताली बजाकर नाच रहे हैं और नीम आनंदित हो झूम रही हैं।
उत्तर:
नाच रहे पागल हो ताली दे-दे चल-चल झूम-झूम सिर नीम हिलातीं सुख से विह्वल।

(ख) पानी की गिरती धाराओं से धरती के कण-कण में हरे-भरे
उत्तर:
धाराओं पर धाराएँ झरती धरती पर रज के कण-कण में तृण-तृण का पुलकावलि भर।।

प्रश्न 4:
निम्नलिखित पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए

(क) उड़ते सोनबलाक, आर्द-सुख से कर क्रन्दन।
भाव: बरसात में सुखी होकर आवाज करते हुए बगुले उड़ते हैं।

(ख) रोम सिहर उठते छूते वे भीतर अन्तर।
भाव:  बरसात को देखकर रोमांच होता है  जिसका दिल पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

(ग) फिर फिर आये जीवन में सावन मनभावन।
भाव:  मन को अच्छा लगने वाला सावन जीवन में बार-बार आए और जीवन में खुशियाँ भर दे।

प्रश्न 5:
कविता की अन्तिम पंक्तियों में कवि ने क्या इच्छा व्यक्त की है?
उत्तर:
कवि ने इच्छा व्यक्त की है कि मनभावन सावन जीवन में बार-बार आए।

भाषा की बात

प्रश्न 1:
‘झम-झम, झम-झम मेघ बरसते हैं सावन के’ – इसमें ‘झम-झम’ ध्वनि सूचक शब्द है। कविता में अन्य कई ध्वनि सूचक शब्दों का प्रयोग हुआ है, जिससे सावन की बरसात का बड़ा सहज एवं सरस चित्रण हुआ है। इस प्रकार के ध्वनि सूचक शब्दों को चुनकर लिखिए।
उत्तर:
छम-छम, तड़-तड़, टप-टप, चम-चम, थम-थम, झूम-झूम, घुमड़-घुमड़, झन-झन आदि।

प्रश्न 2:
कविता की उन पंक्तियों को चुनकर  लिखिए जिनमें अनुप्रास अलंकार है।
उत्तर:
झम-झम, झम-झम मेघ बरसते हैं, सावन के,
छम-छम-छम गिरती बूंदें तरुओं से छन के।

प्रोजेक्ट कार्य- विद्यार्थी स्वयं करें।

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