UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 21 भारतरत्न महामना मदन मोहन मालवीय (मंजरी)
UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 21 भारतरत्न महामना मदन मोहन मालवीय (मंजरी)
महत्वपूर्ण पद्यांश की व्याख्या
महामना मदन मोहन मालवीय …………………. प्रदान किया गया।
संदर्भ:
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘भारतरत्न महामना मदन मोहन मालवीय नामक पाठ से लिया गया है।
व्याख्या:
प्रस्तुत पद्यांश में मालवीय जी के हिन्दुत्व के प्रति जो विचार थे, उसकी विवेचना की गई है। मालवीय जी हिंदू धर्म और हिंदू संस्कृति के सच्चे अनुयायी थे। वे भारत की सभी समस्याओं का समाधान हिंदू धर्म का पुनरुत्थान मानते थे। उनका मानना था कि हिन्दू धर्म ही वह धर्म है जो विश्व-बंधुत्व की भावना को परिपुष्ट कर सकता है। वो चाहते थे कि संपूर्ण विश्व में भाई-चारी स्थापित हो। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन अपने इसी स्वप्न को पूरा करने में समर्पित कर दिया और इसके लिए कई संस्था व संगठनों का भी निर्माण किया।
पाठ का सम्र (सारांश)
महामना मदन मोहन मालवीय का जन्म ऐसे कालखण्ड में हुआ था, जिस समय भारत नव जागरण के साथ-साथ स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्षरत था।
महामना मदन मोहन मालवीय ने भारतीय स्वतंत्रता की ऐसी नींव रखी जिसके परिणाम स्वरूप 15 अगस्त 1947 ई० को हमारा देश स्वतंत्र हुआ। महामना मदन मोहन मालवीय भारतीय स्वाधीनता संघर्ष के नायक और साक्षी थे। इनका जन्म 25 दिसम्बर, 1861 ई० को प्रयाग में हुआ था। उनके पिता पण्डित ब्रजनाथ चतुर्वेदी और माता श्रीमती मूनादेवी थी। मालवीय जी के पूर्वज 15वीं शताब्दी में मालवा प्रर्दः से आकर प्रयाग में बस गये थे और स्थानवाची (मल्लई) अथवा ‘चौबे’ उपनाम से जाने गये। मल्लई शब्द को पं० मदन मोहन ने मालवीय बनाया। तब से सारे मल्लई मालवीय कहे जाने लगे। मालवीय ने म्योर सेण्ट्रल कालेज से बी०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की।
महामना मदन मोहन मालवीय जी वैदिक (हिन्दू) धर्म और संस्कृति के सच्चे अनुयायी थे। उनका दृष्टिकोण था कि हिन्दू धर्म के दर्शन द्वारा ही विश्वबन्धुत्व के भाव को जाग्रत किया जा सकता है। अपने इस दिवास्वप्न को पूर्ण करने के लिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज की सेवा में समर्पित कर दिया।
मालवीय जी ने गंगा के अविरल प्रवाह के लिए 1914 में हरिद्वार में तथा 1924 में प्रयाग में सत्याग्रह किया। मालवीय जी छुआ-छूत, अस्पृश्यता के घोर विरोधी थे। वे इसे कलंक और राष्ट्रीय विकास के मार्ग में बाधा मानते थे। वे नारी शिक्षा व सशक्तिकरण के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने जनता से अनुरोध किया कि वे उन सब सामाजिक कुरीतियों को दूर करें जो स्त्री जाति की उन्नति में बाधक हैं। वे बाल विवाह के घोर विरोधी थे।
पण्डित मदन मोहन मालवीय ने गौ-रक्षा आन्दोलन भी चलाए। महामना मदन मोहन मालवीय एक राजनीतिज्ञ से अधिक शिक्षाशास्त्री थे। उन्होंने ही काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की। मालवीय जी का सपना था कि सभी स्तर पर शिक्षा का ऐसा प्रबन्ध हो कि कोई भी बच्चा गरीबी के कारण शिक्षा से वंचित न रह पाये। महामना मालवीय जी ने भारतीय राजनीति, शिक्षा, साहित्य एवं पत्रकारिता में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने अनेक छोटी-छोटी संस्थाओं जैसे- हिन्दू छात्रवास, हिन्दी साहित्य सम्मेलन, भारती भवन पुस्तकालय आदि को खड़ा किया। राष्ट्र निर्माण में इन संस्थाओं की भूमिका मील का पत्थर है।।
मालवीय जी ने अधययन-अधयापन के साथ-साथ कई समाचार-पत्रे का संपादन किया तथा तत्कालीन ब्रिटिश शासन की नीतियों का प्रबल विरोध किया। मालवीय जी का निधन 12 नवम्बर, 1946 ई० में हुआ। विलक्षण प्रतिभा के धनी राष्ट्र नायक मालवीय जी को भारत सरकार द्वारा 30 मार्च, 2015 ई० को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया।
प्रश्न-अभ्यास
कुछ करने को
प्रश्न 1:
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2:
मालवीय जी ने अनेक समाचार-पत्रों का संपादन किया। पता लगाइए कि वे समाचार पत्र कौन-कौन से थे?
उत्तर:
महामना मदन मोहन मालवीय जी ने ‘हिन्दोस्थान’, ‘अभ्युदय’, ‘लीडर’, ‘भारत’, ‘मर्यादा’, ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’, इण्डियन ओपीनियन’ तथा ‘सनातन धर्म’ नामक समाचार-पत्रों का संपादन किया।
प्रश्न 3:
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें
विचार और कल्पना
प्रश्न 1:
मालवीय जी ने तत्कालीन समाज की समस्याओं पर आवाज उठाई। आपके विचार से तत्कालीन समाज में क्या-क्या समस्याएँ रही होंगी जिन पर उन्होंने आवाज उठायी ?
उत्तर:
तत्कालीन समाज की सबसे बड़ी समस्या थी-ब्रिटिश शासन, मालवीय जी ब्रिटिश शासन की नीतियों का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की ऐसी नींव रखी जिसके परिणामस्वरूप हमारा देश 15 अगस्त, 1947 को आजाद हो सका। तत्कालीन समाज में और भी कई समस्याएँ व्याप्त थीं; जैसे-छुआ-छूत, अस्पृश्यता, स्त्रियों की दुर्बल स्थिति, अशिक्षा, बाल-विवाह आदि। उन्होंने पौराणिक उद्धरणों द्वारा अस्पृश्यता को कलंक और राष्ट्रीय विकास के मार्ग में बाधक बताया। वे स्त्रियों को सबल बनाना चाहते थे। उन्होंने जनता से अनुरोध किया कि वे उन सब सामाजिक कुरितियों को मिटा दें जो स्त्री जाति की उन्नति में बाधक हैं। वे बाल-विवाह के विरोधी थे और स्त्री-शिक्षा के समर्थक थे। तत्कालीन समाज अशिक्षा के दौर से गुजर रहा था। उन्होंने इस दिशा में काशी हिंदु विश्वविद्यालय की स्थापना की। उन्होंने विघटित हो रहे हिंदु धर्म के उत्थान और पुनरुद्धार के लिए भी अनेक कार्य किए।
प्रश्न 2:
भारतीय संस्कृति में गाय को माता कहा गया है। इस संबंध में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
जिस प्रकार जन्म देने वाली माँ हमें अपना दूध पिलाकर ही कुछ सालों तक पालती-पोषती है, उसी प्रकार हम जीवनपर्यंत गाय के दूध का या दूध से बने अन्य उत्पादों का प्रयोग करते हैं। इसी संदर्भ में भारतीय संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया गया। मेरे विचार से ये उचित ही है क्योंकि दूध पिलाकर पालन-पोषण तो माँ ही करती है। इस कारण गाय हमारी सही मायने में माता है जिसका दूध शुदध, मीठा, स्वास्थ्यवर्धक, पौष्टिक और अनेक रोगों को मिटाने वाला होता है।
प्रश्न 3:
मालवीय जी ने सभी के लिए शिक्षा की बात कही थी। आज सरकार ने शिक्षा के अधिकार के तहत इसे पूरे देश में लागू कर दिया। कल्पना कीजिए कि जब यह व्यवस्था नहीं रही होगी तो शिक्षा प्राप्त करने में कौन-कौन सी कठिनाइयाँ होती होंगी ? लिखिए।
उत्तर:
जिस समय देश में सबके लिए शिक्षा की व्यवस्था नहीं थी, उस समय देश के अधिकांश लोग खासकर गरीब तबके के लोग शिक्षा से वंचित रह जाते थे। महिलाओं को शिक्षा नहीं मिल पाती थी, वे भी अनपढ़ रह जाती थीं। गरीब समाज के लोगों को शिक्षा पाने के लिए अत्यंत संघर्ष करना पड़ता था, विद्यालय बहुत दूर-दूर होते जहाँ रोज समय पर पहुँचना ही एक चुनौती थी। साथ ही उस समय यातायात के साधन भी इतने विकसित नहीं थे फलतः लोगों को शिक्षा लेने में अनेक कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती थीं।
प्रश्न 4:
मालवीय जी चाहते थे कि गंगा की धारा को कहीं रोका न जाय क्योंकि गंगा केवल नदी नहीं बल्कि संस्कृति की धारा है। आज गंगा प्रदूषण की शिकार हो गयी है। सोचिए जिस दिन गंगा नहीं रहेगी उस दिन क्या होगा ? इस सम्बंध में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
जिस दिन गंगा नहीं रहेगी वह दिन गंगा में आस्था रखने वाले लोगों के लिए प्रलय का दिन होगा। गंगा हमारी संस्कृति का हिस्सा है, गंगा नहीं तो हमारी संस्कृति नहीं। हिंदूधर्म छिन्न-भिन्न हो जाएगा। यही नहीं उत्तर भारत के जन-जीवन पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा। सारी अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो जाएगी, उद्योग मिट जाएँगे, कृषि उत्पादन दुष्प्रभावित होगा। गंगा का नहीं होना मतलब उत्तर भारत का पतन। जिस दिन गंगा नहीं होगी, उस दिन की कल्पना भी भयावह है।
प्रश्न 5:
आपके विचार में वर्तमान समाज की क्या-क्या समस्याएँ हैं? उनके क्या समाधान हो सकते हैं?
उत्तर:
वर्तमान समाज की सबसे बड़ी समस्या बढ़ती जनसंख्या है। उसके बाद गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी है। इसके अलावा भ्रष्टाचार, गंदी राजनीति, साम्प्रदायिकता, पर्यावरण प्रदूषण जैसी अनेक ज्वलंत समस्याएँ हैं। जिससे हमारा वर्तमान भारतीय समाज बुरी तरह से प्रभावित है। इन समस्याओं का पहला समाधान है-जनसंख्या पर नियंत्रण, शिक्षा को सबके लिए सहज एवं सुलभ बनाना, रोजगार की उचित व्यवस्था करना, भ्रष्टाचार पर कठोरता से रोक लगाना, प्रदूषण कम करने के लिए सभी नागरिकों को स्वयं जागरूक होकर इस दिशा में बनाए गए नियमों का सख्ती से पालन करना इत्यादि।
जीवनी से
प्रश्न 1:
महामना मदन मोहन मालवीय का जन्म कब और कहाँ हुआ था? इनके माता पिता का क्या नाम था?
उत्तर:
महामना मदनमोहन मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर, 1861 को प्रयाग में हुआ था। इनके पिता पंडित ब्रजनाथ चतुर्वेदी और माता का नाम श्रीमती मूना देवी था।
प्रश्न 2:
मदन मोहन और उनके वंशज मालवीय क्यों कहे गये?
उत्तर:
मालवीय जी के पूर्वज 15वीं शताब्दी में मालवा प्रदेश से आकर प्रयाग में बस गये थे और स्थानवाची (मल्लई) अथवा ‘चौबे’ उपनाम से जाने गये। मल्लई शब्द को पंडित मदन मोहन ने मालवीय बनाया। तब से सारे मल्लई (मालवीय) कहे जाने लगे।
प्रश्न 3:
मालवीय जी के जन्म के समय भारत की स्थिति कैसी थी?
उत्तर:
महामना मदन मोहन मालवीय का जन्म ऐसे कालखण्ड में हुआ था, जिस समय भारत नव जागरण के साथ-साथ स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्षरत था। जिस काल में मालवीय जी का जन्म हुआ वह समय भारत में बौधिक और वैचारिक जागरण का था। उस समय बहुत से समाज सुधारक तथा चिन्तक भारत देश को उसकी मूल राष्ट्रीय और आध्यात्मिक चेतना की ओर लौटाने के लिए प्रयासरत थे।
प्रश्न 4:
महामना ने तत्कालीन भारत में समस्याओं के समाधान का विकंल्प किसे माना है। और क्यों?
उत्तर:
महामना ने तत्कालीन भारत में समस्याओं के समाधान का विकल्प हिन्दू धर्म के पुनरूत्थान को माना है क्योंकि हिन्दू धर्म सनातन धर्म है और मालवीय जी इस धर्म और संस्कृति के सच्चे अनुयायी थे।
प्रश्न 5:
महामना मालवीय का दिवास्वप्न क्या था?
उत्तर:
महामना मालवीय जी का दिवास्वप्न था–हिन्दू धर्म के दर्शन द्वारा विश्वबन्धुत्व के भाव को जाग्रत करना।
प्रश्न 6:
उन्होंने तत्कालीन समाज में फैली किन-किन समस्याओं पर कुठाराघात किया?
उत्तर:
मालवीय जी ने तत्कालीन समाज में व्याप्त छुआ-छूत अस्पृश्यता, बाल-विवाह, स्त्री को अशिक्षित और कमजोर बनाए रखने जैसी कुप्रथाओं पर कुठाराघात किया था।
प्रश्न 7:
स्त्रियों के प्रति मालवीय जी का क्या दृष्टिकोण था?
उत्तर:
स्त्रियों के प्रति अपना दृष्टिकोण व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा था कि मैं चाहता हूँ कि हमारे देश की सभी स्त्रियाँ अंगेज महिलाओं की भाँति पिस्तौल और बन्दूकें रखें और उनको चलाना सीखें ताकि वे किसी भी आक्रमण से अपनी रक्षा कर सकें। उन्होंने जनता से अनुरोध किया कि वे उन सब सामाजिक कुरीतियों को दूर करें जो स्त्री जाति की उन्नति में बाधक हैं। वे बाल विवाह के घोर विरोधी थे। उन्होंने सामाजिक उन्नति के लिए स्त्री शिक्षा पर विशेष जोर दिया।
प्रश्न 8:
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के पीछे मालवीय जी की क्या सोच थी ?
उत्तर:
महामना मदन मोहन मालवीय एक राजनीतिज्ञ से अधिक शिक्षाशास्त्री थे। उनका मानना था कि हमारी सारी समस्याओं की जड़ अशिक्षा है। वे शिक्षा को पुरातन एवं नवीनतम मूल्यों के बीच एक सेतु के रूप में देखते थे। इन्हीं धारणाओं को ध्यान में रखकर मालवीय जी ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की। मालवीय जी का सपना था कि सभी स्तर पर शिक्षा का ऐसा प्रबन्ध हो कि कोई भी बच्चा गरीबी के कारण शिक्षा से वंचित न रह पाये।
भाषा की बात
प्रश्न 1:
पाठ में ‘साथ-साथ’ शब्द आया है जो पुनरुक्त शब्द है। इसी प्रकार दिये गये पुनरुक्त शब्दों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए
अपना-अपना, धीरे-धीरे, छोटे-छोटे, हँसते-हँसते, पानी-पानी ।
उत्तर:
अपना-अपना – तुम सबको अपना-अपना कार्य स्वयं करना चाहिए।
धीरे-धीरे – धीरे-धीरे उन्हें अपने मकसद में कामयाबी मिल ही गई।
छोटे-छोटे – इन छोटे-छोटे कामों में सफलता पाकर ही तुम आगे बढ़ पाओगे।
हँसते-हँसे – छोटे बच्चे के मुँह से इस तरह की बात सुनकर सब हँसते-हँसते लोट-पोट हो गए।
पानी-पानी – चोरी करते हुए पकड़े जाने पर वह पानी-पानी हो गया।
प्रश्न 2:
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 3:
निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए
जैसे- जो अनुकरण करने योग्य हो – अनुकरणीय
(क) युग का निर्माण करने वाला। – युगनिर्माता
(ख) जो सबको समान भाव से देखता हो। – समद्रष्टा
(ग) जहाँ पृथ्वी और आकाश मिलते प्रतीत हों। – क्षितिज
(घ) जिसका कोई खण्ड न हो सके। – अखण्ड
प्रश्न 4:
इस पाठ को पढ़कर आपके मन में महामना मदन मोहन मालवीय के व्यक्तित्व की कुछ विशेषताएँ उभर रही होंगी। उन विशेषताओं को संक्षेप में लिखिए।
शिक्षण संकेत:
श्रव्य-दृश्य सामग्री का प्रयोग करते हुए महामना पं० मदन मोहन मालवीय के जीवन की अन्य घटनाओं से बच्चों को अवगत कराएँ।
उत्तर:
पंडित मदन मोहन मालवीय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायक और साक्षी थे। वे हिंदू धर्म और संस्कृति के सच्चे अनुयायी थे। वे विश्वबंधुत्व के भाव के सच्चे समर्थक थे। मालवीय जी छुआ-छूत, अस्पृश्यता के घोर विरोधी थे। वे स्त्रियों के प्रति उदार दृष्टिकोण रखते थे। उन्होंने समाज के पुनरुद्धार के लिए जिन विषयों को केंद्र में रखा उनमें गौ-रक्षा भी प्रमुख विषय था। महामना मदन मोहन मालवीय जी एक राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक शिक्षाशास्त्री भी थे। वे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक थे। महामना मालवीय जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे एक साथ उच्चकोटि के राजनीतिज्ञ, शिक्षाशास्त्री, साहित्यकार और पत्रकार थे। वे ब्रिटिश शासन की नीतियों के प्रबल विरोधी थे। विलक्षण प्रतिभा के धनी मालवीय जी भारत के सर्वोच्च सम्मान भारतरत्न से सम्मानित किए जा चुके हैं।
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