UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 38 एवरेस्ट विजेता (महान व्यक्तित्व)

By | May 26, 2022

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 38 एवरेस्ट विजेता (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 38 एवरेस्ट विजेता (महान व्यक्तित्व)

पाठ का सारांश

तेनजिंग: तेनजिंग बचपन में हिमालय की ऊँची-ऊँची चोटियों पर घूमने का स्वप्न देखा करते थे। ये पढ़े-लिखे नहीं थे; लेकिन कई भाषाएँ बोल लेते थे। इनको बचपन याकों के विशल झुंडों की रखवाली में बीता। ये याकों को अठ्ठारह हजार फुट की ऊँचाई तक ले जाते थे। हिमालय की सबसे ऊँची चोटी, शोभो–लुम्मा (एवरेस्ट) पर चढ़ना- यह स्वप्न इनके जीवन का लक्ष्य था।
तेनजिंग को पर्वतारोहण का पहला मौका 1935 ई० में मिला। ये इक्कीस वर्ष के थे। इन्हें अँग्रेज पर्वतारोही शिष्टन के दल के साथ चढ़ाई के लिए चुना गया। इस दल के साथ इन्होंने नवीन उपकरणों का प्रयोग, रस्सी व कुल्हाड़ियों का उपयोग और मार्गों को चुनना आदि अनेक बातें सीखीं।

शेरपा तेनजिंग को स्विटजरलैंड के प्रसिद्ध पर्वतारोही लेबर्ट के साथ 28250 फुट की ऊँचाई तक चढने का रोमांचक अनुभव हुआ। यह अब तक की चढ़ाई में सबसे अधिक ऊँची थी, जिसकी भूरि-भूरि प्रशंसा हुई। । सन् 1953 ई० में तेनजिंग का सपना सच हुआ। ये कर्नल हंट के नेतृत्व में ब्रिटिश पर्वतारोही दल, जिसमें एडमंड हिलेरी भी थे, चढ़ाई के लिए चुने गए। तेनजिंग ने पर्याप्त तैयारी की और धूम्रपान व मदिरापान छोड़ दिया। आखिरी दिन ये प्रात:काल साढ़े तीन बजे जागे। आत्मविश्वास के साथ उन्होंने तैयारी करके 26 मई, 1953 ई० को प्रात: साढ़े छह बजे चढ़ना शुरू किया। जब तीन फुट शेष रह गए; तब खड़ी चट्टान सामने
आ गई। पहले हिलेरी ढालू दरार से चोटी पर पहुँचे, फिर तेनजिंग। लक्ष्य समीप था। कुछ विश्राम के बाद, धैर्य के साथ, आगे बढ़ते हुए प्रात: साढ़े ग्यारह बजे ये संसार के सर्वोच्च शिखर एवरेस्ट पर पहुँच गए।
मार्कोपोलो, कोलम्बस, वास्कोडिगामा, यूरी गागरिन और पियरी जैसे साहसिक अंभियानकर्ताओं की । भाँति तेनजिंग का नाम भी सदैव इतिहास में अमर रहेगा।

बछेन्द्रीपाल: शेरपा तेनजिंग द्वारा विजय के इक्कीस सालों बाद भारतीय महिला बछेन्द्रीपाल ने एवरेस्ट चोटी पर कदम रखा। उत्तरकाशी के नाकुरी गाँव में जन्मी, एम०ए० की इस छात्रा के मन में एवरेस्ट पर विजय की इच्छा जागी। इसके लिए इन्होंने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान द्वारा आयोजित प्री-एवरेस्ट ट्रेनिंग कैंप में भाग लिया। 23 मार्च, सन् 1984 ई० को वह शुभ दिन आ गया, जिसके लिए बछंद्रीपाल ने कड़े परिश्रम से प्रशिक्षण लिया था।
एवरेस्ट विजय करने में बछेन्द्रीपाल को अनेक कठिनाइयों से जूझना पड़ा। अन्तिम चढ़ाई के दौरान उन्हें लगातार साढ़े छह घण्टे चढाई करनी पड़ी। एक साथी के पैर में चोट लगने से इनकी गति मन्द पड़ गलया था। गई।  अन्तत: 23 मई, 1984 ई० को दोपहर एक बजकर सात मिनट पर ये एवरेस्ट के शिखर पर थीं। इन्होंने विश्व की उच्चतम चोटी पर पहुँचकर सर्वप्रथम भारतीय महिला पर्वतारोही बनने का गौरव प्राप्त किया।

अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
शेरपा तेनजिंग को पर्वतों की किस बात ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया होगा?
उत्तर:
शेरपा तेनजिंग को पर्वतों की ऊँचाई ने   और उनके अजेय होने की स्थिति ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया होगा। उनके मन में उन उन्नत शिखरों पर चढ़ने की अभिलाषा थी।

प्रश्न 2:
बछेन्द्रीपाल ने पर्वतारोहण का प्रशिक्षण कहाँ से प्राप्त किया?
उत्तर:
बछेन्द्रीपाल ने पर्वतारोहण का प्रशिक्षण नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से प्राप्त किया।

प्रश्न 3:
भारत की दो महिला पर्वतारोहियों के नाम बताइए।
उत्तर:
भारत की दो महिला पर्वतारोही- कु०  चन्द्रप्रभा अटवाल और सुश्री हर्षवती बिष्ट हैं।

योग्यता विस्तार: नोट- विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से स्वयं करें।

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