UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 श्रीकृष्ण (महान व्यक्तित्व)

By | May 26, 2022

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 श्रीकृष्ण (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 श्रीकृष्ण (महान व्यक्तित्व)

पाठ का सारांश

श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ। श्री कृष्ण बाल्यावस्था से ही इतने पराक्रमी और साहसी थे कि इनके द्वारा किए गए कार्यों को देखकर लोग आश्चर्यचकित हो जाते थे। कंस अपनी सुरक्षा के लिए श्री कृष्ण का अन्त करना चाहता था। इस कार्य के लिए उसने अनेक राक्षसों को भेजा। उन सबका श्री कृष्ण ने बाल्यावस्था में ही वध कर दिया। श्री कृष्ण कभी अपनी बाँसुरी के मधुर स्वर से सभी को आत्मिक सुख प्रदान करते दिखाई पड़ते थे तो कभी कंस के अत्याचारों से गोकुलवासियों की रक्षा? लोकहित में प्रवृत्त दृष्टिगोचर होते। श्री कृष्ण को अध्ययन करने हेतु सदीपन मुनि के गुरुकुल भेजा गया। गुरुकुल में कृष्ण ने अपने गुरु की सेवा करते हुए विद्या प्राप्त की।
गोकुल में श्री कृष्ण के नेतृत्व में कंस के अत्याचारी शासन का विरोध आरम्भ हो गया। कंस इस स्थिति को जानता था। उसने श्री कृष्ण के वध का षड्यन्त्र रचा और अक्रूर द्वारा श्री कृष्ण को बुलवाया। श्री कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम के साथ मथुरा जा पहुँचे। योजनानुसार मथुरा में मल्ल युद्ध आरम्भ हुआ। श्री कृष्ण ने मल्ल युद्ध में कंस के चुने हुए पहलवानों को पराजित किया और अन्त में कंस को भी मार डाला। उस समय हस्तिनापुर में धृतराष्ट्र का राज था।  वहाँ के राजपरिवार में कौरवों और पांडवों के बीच कलह चल रहा था। वह कलह रोकने के लिए श्री कृष्ण ने बहुत प्रयास किया परन्तु श्री कृष्ण का शान्ति प्रयास असफल हो गया। परिणामस्वरूप दोनों में भयंकर युद्ध हुआ, जिसे महाभारत के नाम से जाना जाता है।
महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण अर्जुन के रथ के सारथी बने। अर्जुन राज्य और सुख के लिए अपने ही कुल के लोगों तथा गुरु आदि को मारने को तैयार नहीं हुआ। उस समय श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपने कर्तव्य की ओर प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आत्मा अजर और अमर है। जिस प्रकार, मनुष्य पुराने वस्त्रों को छोड़कर नए वस्त्र ग्रहण करता है, उसी प्रकार, यह आत्मा जीर्ण शरीर को छोड़कर दूसरे नए शरीर में प्रवेश करती है। इस आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग जला सकती है, न पानी गला सकता है। और न वायु सुखा सकती है। अतः प्रत्येक मनुष्य को फल की चिन्ता किए बिना अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए, यही कर्मयोग है। श्री कृष्ण के ये ही उपदेश गीता के अमृत वचन हैं। श्री कृष्ण के उपदेश सुनकर अर्जुन को अपने कर्तव्य का ज्ञान हुआ और उन्होंने वीरतापूर्वक युद्ध किया। श्री कृष्ण के कुशल संचालन के कारण महाभारत के युद्ध में पांडव विजयी हुए।
श्री कृष्ण का सम्पूर्ण जीवन अत्याचार और अहंकार से संघर्ष करते व्यतीत हुआ। कंस, जरासंध, शिशुपाल आदि अनेक निरंकुश शासकों का संहार, श्रीकृष्ण के ही द्वारा हुआ। श्री कृष्ण गुरु और सखा भी थे इसीलिए तो लोग इन्हें ईश्वर का अवतार मानते हैं।

अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
श्री कृष्ण के समय भारत की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
श्री कृष्ण के समय भारत भूमि की समृद्धि और सम्पन्नता अपनी चरम सीमा पर थी। देश में वैभव सम्पन्न तथा शक्तिशाली अनेक राज्य थे।

प्रश्न 2:
श्री कृष्ण के बाल जीवन का वर्णन करिये।
उत्तर:
श्री कृष्ण बाल्यावस्था से ही इतने पराक्रमी और साहसी थे कि उनके द्वारा किए गए कार्यों को देखकर लोग आश्चर्यचकित हो जाते थे। कंस अपनी सुरक्षा के लिए कृष्ण का अन्त करना चाहता था। इस कार्य के लिए उसने जिन लोगों को भेजा,  उन सबका श्री कृष्ण ने बाल्यावस्था में ही वध कर दिया।

प्रश्न 3:
कंस के जीवन का अंत किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
श्री कृष्ण ने मल्लयुद्ध में कंस के चुने हुए पहलवानों को पराजित किया और अन्त में उन्होंने कंस को भी मार डाला।

प्रश्न 4:
कौरवों तथा पांडवों के बीच सन्धि के लिए कृष्ण ने क्या किया?
उत्तर:
कौरवों और पांडवों के बीच सन्धि के लिए श्री कृष्ण पांडवों  की ओर से सन्धि का प्रस्ताव लेकर कौरवों के पास गए।

प्रश्न 5:
युद्ध क्षेत्र में श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपने कर्तव्य की ओर प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आत्मा अजर और अमर है। जिस प्रकार, मनुष्य पुराने वस्त्रों को छोड़कर नए वस्त्र ग्रहण करता है, उसी प्रकार, यह आत्मा जीर्ण शरीर छोड़कर नए शरीर में प्रवेश करती है। इस आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग जला सकती है, न पानी गला सकता है और न वायु सुखा सकती है। अत: प्रत्येक मनुष्य को फल की चिन्ता किए बिना अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए, यही कर्मयोग है।

प्रश्न 6:
महाभारत के युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
महाभारत के युद्ध में पांडव  विजयी हुए।

प्रश्न 7:
कृष्ण को ईश्वर का अवतार क्यों माना जाता है?
उत्तर:
श्री कृष्ण दार्शनिक, कर्मयोगी, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक,  योद्धा, शान्ति के अग्रदूत, गुरु तथा सखा आदि गुणों से परिपूर्ण थे, जो उन्हें एक साधारण मानव से अलग करते हैं। इसलिए उन्हें ईश्वर का अवतार माना जाता है।

प्रश्न 8:
सही कथन के सामने सही (✓) तथा गलत कथन के सामने गलत (✘) का निशान लगाएँ
(क) श्रीकृष्ण के गुरू का नाम संदीपन था। (✓)
(ख) श्रीकृष्ण के उपदेश रामायण के  अमृत वचन हैं। (✘)
(ग) आत्मा अजर-अमर है। (✓)
(घ) उस समय हस्तिनापुर में कंस का राज्य था। (✘)

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