UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 8 स्कूल मुझे अच्छा लगा (मंजरी)
UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 8 स्कूल मुझे अच्छा लगा (मंजरी)
महत्त्वपूर्ण गद्यांश की व्याख्या
“मुझे और कुछ ……………………….. उसे कुछ सूझा।
सदर्भ:
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के स्कूल मुझे अच्छा लगा’ नामक पाठ से लिया गया है। इसकी लेखिका तेत्सुको कुरोयानागी हैं।
प्रसंग:
प्रस्तुत लेख में लेखिका ने वर्तमान स्कूलों की शिक्षा पद्धति पर करारी चोट करते हुए उसे बच्चों के लिए व्यावहारिक बनाने की बात कही है।
व्याख्या:
हेडमास्टर ने छोटी बच्ची तोत्तो-चान से कुछ भी बताने को कहा। खुश होकर लड़की कुछ-न-कुछ जल्दी-जल्दी बोलती गई। बहुत देर तक बोलकर रुक गई। हेडमास्टर ने उससे फिर पूछा कि वह रुक क्यों गई? लड़की ने दिमाग पर जोर डाला। उसे बोलने का अच्छा मौका था, परन्तु उसे बताने के लिए कुछ सूझ नहीं रहा था। लड़की ने ध्यान लगाकर विचार किया और उसे बोलने के लिए विषय मिल गया। जिस विषय पर उसने फिर बोलना शुरू कर दिया, यह विषय था उसका फ्रॉक जो उसने पहन रखा था।
पाठ का सार (सारांश)
तोत्तो-चान एक सात वर्ष की जापानी लड़की थी। उसने नए स्कूल का गेट देखा। यह पेड़ के दो तनों से बना था। स्कूल के कमरों की जगह छह बेकार रेलगाड़ी डिब्बे काम में लाए जाते थे। तोत्तो-चान को यह स्कूल अच्छा लगा। माँ उसका है हाथ पकड़कर हेडमास्टर के पास गई। तोत्तो-चान ने कहा कि हेडमास्टर जरूर स्टेशन मास्टर होंगे, क्योंकि रेलगाड़ी के डिब्बों के मालिक स्टेशन मास्टर होते हैं।
माँ ने कहा, “तुम्हारे पिता जी वायलिन बजाते हैं। उनके पास ढेरों वायलिन हैं परन्तु अपना घर वायलिन की दुकान नहीं है।” हेडमास्टर जी ने माँ को घर भेजकर तोत्तो-चान से बात की। हेडमास्टर जी ने तोत्तो-चान से कुछ भी बताने के लिए कहा। तोत्तो-चान बोली कि जिस ट्रेन से वह आई, वह बहुत तेज थी। टिकट बाबू ने उससे टिकट माँगा। उसके दूसरे स्कूल की शिक्षिका बहुत सुन्दर है। उसका भूरा कुत्ता करिश्मे दिखाता है। वह मुँह से कैंची चलाती है। शिक्षिका ने इसके लिए मना किया है। ऐसा न हो कि जीभ कट जाए। लेकिन वह फिर भी वैसा ही करती है। उसने बताया कि वह नाक कैसे सिनकती है। उसकी बहती नाक को देखकर माँ डाँट लगाती है। उसके पापा अच्छे तैराक हैं। वे गोता भी लगा लेते हैं। हेडमास्टर कभी हँसते और कहते, “अच्छा फिर?” वह फिर बोलती गई। फिर रुक गई। हेडमास्टर ने पूछा, “कुछ और नहीं बता सकतीं?” उसने कॉलर उठाकर हेडमास्टर को दिखाया। उन्होंने प्यार भरा हाथ उसके सिर पर रखकर कहा, “अब तुम इस स्कूल की छात्रा हो।” तोत्तो-चान बहुत खुश थी। । तोत्तो-चान को यह स्कूल अलग तरह का और अच्छा लगा। उसे पता नहीं था कि दोपहर का भोजन भी इतने आनन्द की बात हो सकती थी। हरेक बच्चा खाने में कुछ समुद्र से और कुछ पहाड़ से लाता था। हेडमास्टर जी बच्चों की खाने की हर मेज पर रुककर डिब्बों में झाँकते थे।
अगले दिन तोत्तो-चान जल्दी उठकर तैयार हो गई और अपना बस्ता पीठ पर बाँधे इंतजार करने लगी। माँ लंच बॉक्स तैयार करने में जुट गई। उसमें कुछ समुद्र और कुछ पहाड़ से भी तो डालना था। तोत्तो-चान “गुडबाय” कहकर निकलने लगी। उसे जाता देख माँ की आँखें भर आईं। उसकी चुलबुली बिटिया जो हाल में ही एक स्कूल से निकाली गई थी, खुशी से स्कूल जा रही थी।
प्रश्न-अभ्यास
कुछ करने को
प्रश्न 1:
निम्नलिखित शीर्षकों के आधार पर अपने स्कूल के विषय में कुछ वाक्य लिखिए
(क) स्कूल का भवन – मेरे स्कूल का भवन चार-मंजिला है।
(ख) तुम्हारी कक्षा और बच्चे – मेरी कक्षा दूसरी मंजिल पर है। मेरी कक्षा में 40 बच्चे हैं।
(ग) हैंडपम्प – मेरे विद्यालय में 4 हैंडपम्प है।
(घ) हेडमास्टर – हमारे हेडमास्टर उच्चशिक्षित और अत्यंत आदर्शवादी हैं।
(ङ) शिक्षक-शिक्षिका – हमारे विद्यालय के शिक्षक व शिक्षिकाएँ बच्चों को स्नेहपूर्वक पढ़ाते हैं।
(च) खेल का मैदान – हमारे स्कूल में एक खेल का मैदान भी है जो बहुत बड़ा है।
(छ) दोपहर का भोजन – हम दोपहर का भोजन 12:30 मिनट पर करते हैं।
(ज) पढ़ना-लिखना – विद्यालय में हम बच्चों को पढ़ना-लिखना सिखाया जाता है।
प्रश्न 2:
अब लिखिए कि आप इनमें क्या-क्या बदलाव करना चाहते हैं ?
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 3:
अपने स्कूल भवन का चित्र बनाइए।
उत्तरे:
विद्यार्थी स्वयं करें।
विचार और कल्पना: विद्यार्थी स्वयं करें।
कहानी से
प्रश्न 1:
(क) नये स्कूल का गेट कैसा था और गेट को देखते ही तोत्तो-चान ने क्या कहा?
उत्तर:
नए स्कूल का गेट दो पेड़ों के तनों का बना था। उसे देखते ही तोत्तो-चान ने कहा, “एक दिन यह टेलीफोन के खम्भे से ऊँचा हो जाएगा।”
(ख) तोत्तो-चान को वह स्कल अच्छा क्यों लगा?
उत्तर:
तोत्तो-चान को स्कूल अच्छा लगा, क्योंकि वह अन्य स्कूलों से अलग था और इसमें व्यावहारिक शिक्षा पद्धति अपनाई गई थी।
(ग) तोत्तो-चान ने स्कूल के हेडमास्टर को स्टेशन मास्टर क्यों कहा?
उत्तर:
स्कूले कमरों के स्थान पर छह बेकार रेलगाड़ी के डिब्बों के अन्दर लगता था। रेलगाड़ी का मालिक स्टेशन मास्टर होता है, इसलिए उसने स्कूल हेडमास्टर को स्टेशन मास्टर कहा।
(घ) तोत्तो-चान ने हेडमास्टर से अपनी फ्रॉक के बारे में क्या-क्या बताया?
उत्तर:
तोत्तो-चान ने बताया कि फ्रॉक दुकान से खरीदी हुई थी। फ्रेंाक पर लाल और सलेटी रंग के चेक बने थे। कपड़ा जर्सी का है। कॉलर पर कढे लाल फूल फूहड़ हैं। माँ को कॉलर पसन्द नहीं है।
(ङ) आपके विचार में कुछ समुद्र से और कुछ पहाड़ से’ का क्या मतलब हो सकता है?
उत्तर:
कुछ तरल पदार्थ जैसे- दही, खीर, सूप आदि। कुछ ठोस पदार्थ जैसे- गुड़, रोटी आदि।
(च) तोत्तो-चान को स्कूल जाते देख माँ की आँखें क्यों भर आयीं ?
उत्तर:
माँ की चुलबुली बिटिया, जो पहले एक स्कूल से निकाली गई थी, खुशी से स्कूल जा रही थी। उसे स्कूल जाता देख माँ की आँखें भर आईं।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्न को पढ़िए और सही विकल्प पर सही का चिह्न (✓) लगाइए तोत्तो-चान ने स्कूल को अच्छा कहा, क्योंकि
(क) स्कूल रेलगाड़ी के डिब्बे में चलता था।
(ख) हेडमास्टर ने उसकी पूरी बात सुनी।
(ग) दोपहर के भोजन के समय सभी बच्चे मिल-बाँटकर भोजन करते थे।
(घ) उपर्युक्त सभी। ✓
प्रश्न 3:
स्कूल के मुखिया को हेडमास्टर कहते हैं और स्टेशन के मुखिया को स्टेशन मास्टर। नीचे लिखे कार्यस्थलों के मुखिया को क्या कहते हैं? (लिखकर)
उत्तर:
पोस्ट ऑफिस – पोस्टमास्टर
बैंक – बैंक मैनेजर
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र – प्राथमिक चिकित्साधिकारी
पुस्तकालय – पुस्तकालयाध्यक्ष
कॉलेज – प्राचार्य
कारखाना – मिल मालिक
भाषा की बात
प्रश्न 1:
आप जानते हैं, विराम-चिह्नों के बिना वाक्य का अर्थ स्पष्ट नहीं होता। निम्नांकित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उपयुक्त विराम-चिह्न लगाइए
चिड़ीमार की बीबी …………………………. खुद बतायेगा।
उत्तर:
चिड़ीमार की बीबी ने डरे हुए तोते को हाथ में लिया और उसे सहलाते हुए बोली, “कितना छोटा तोता है, इसका तो एक निवाला भी नहीं होगा, इसे मारना फिजूल है।” हीरामन ने कहा, “माँ! मुझे मत मारो, राजा को बेच दो तुम्हें बहुत पैसे मिलेंगे।” तोते. को बोलते हुए सुनकर वे हक्के-बक्के रह गये। थोड़ी देर बाद अचरज से उबरे, तो पूछा कि वे उसकी कितनी कीमत माँगें। हीरामन ने कहा, “यह मुझपर छोड़ दो, राजा कीमत पूछे तो कहना कि तोता अपनी कीमत खुद बताएगा।”
प्रश्न 2:
निम्नलिखित शब्दों का वाक्य-प्रयोग कीजिए- (लिखकर )
उत्तर:
अचानक-अचानक आँधी आ गई।
सचमुच- वह सचमुच देवता है।
बेकार – बेकार समय बर्बाद नहीं करना चाहिए।
दफ्तर- समय पर दफ्तर जाना चाहिए।
गम्भीरता- उसने गम्भीरतापूर्वक सोचा।
प्रश्न 3:
नीचे दिये गये शब्द-समूह में से एकार्थी तथा अनेकार्थी शब्दों को अलग-अलग छाँटकर लिखिए- ( लिखकर )
उत्तर:
एकार्थी शब्द: दरवाजा, दवात, खिड़की, मेज, कुर्सी।
अनेकार्थी शब्द: अंक, पत्र, मान, सोना, दल, कुले, नाना, पद, वर्ण, वर, कक्षा, पक्ष।
प्रश्न 4:
नीचे लिखे शब्दों में से भाववाचक संज्ञा शब्दों को अलग छाँटकर लिजिए- ( लिखकर )
उत्तर:
भाववाचक संज्ञा: अच्छाई, कोमलता, थकावट, बुराई, गुलाबीपन, कठोरता, सहजता, समानता, भावुकता।
प्रश्न 5:
इस पाठ से आपने क्या नया सीखा?
उत्तर:
बच्चों को यदि सहजता से प्राकृतिक वातावरण में पढ़ाया जाए तो बच्चों की पढ़ाई में दिलचस्पी बढ़ती है। उनसे यदि शिक्षक-शिक्षिका स्नेह से पेश आएँ तो वे अपने विद्यालय और घर में
कोई अंतर नहीं समझते और खुशी-खुशी विद्यालय जाते हैं।
प्रश्न 6:
इस पाठ के आधार पर दो सवाल आप भी बनाइए।
उत्तर:
प्र०1. स्कूल में बच्चों की कक्षा कहाँ थी?
प्र०2. तोत्तोचान के पिता कौन-सा वाद्य यंत्र बजाते थे?
प्रश्न 7:
लेखिका ने इस पाठ का नाम ‘स्कूल मुझे अच्छा लगा रखा है। आपको इस पाठ का नाम रखना हो तो क्यों रखेंगे और क्यों ?
उत्तर:
‘अनूठा स्कूल’ क्योंकि उस स्कूल में बच्चों को रेलगाड़ी के डिब्बों में पढ़ाना सचमुच एक अनूठा प्रयोग था।
यह भी करें
प्रश्न 1:
नीचे दिये गये चित्र को ध्यान से देखें। बच्चे और उसके पिता के बीच में कृषि तथा पर्यावरण को लेकर क्या-क्या बातचीत हो रही है। पुस्तिका में अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
बच्चा – पिताजी हमारे घर के आस-पास तो इतने सारे पौधे हैं फिर आप एक और पौधा क्यों लगा रहे हैं?
पिता – बेटा, हमारे आस-पास वृक्ष जितने अधिक हों, हमारे लिए उतना ही फायदा है।
बच्चा – वृक्षों के अधिक से हमारा क्या फायदा है?
पिता – बेटे ! वृक्ष हवा को शुद्ध बनाते हैं। वे वातावरण से कार्बनडाइऑक्साइड अवशोषित कर हमें ऑक्सीजन देते हैं। वृक्षों से हमें फल-फूल लकड़ी मिलती हैं। तरह-तरह की औषधियाँ भी मिलती हैं। वृक्ष हमें जीवनपर्यंत कुछ-न-कुछ देते हैं और मृत्यु के बाद भी वे हमसे कभी कुछ भी नहीं लेते।
बच्चा – मैं समझ या पिताजी, अब मैं प्रत्येक त्योहार या कोई भी अवसर हो, पाँच-पाँच वृक्ष
अवश्य लगाऊँगा ताकि हमारे आस-पास वृक्षों की कमी कभी न हो।
प्रश्न 2. विद्यार्थी स्वयं करें।
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