UP Board Solutions for Class 7 History Chapter 13 मराठा राज्य का उदय एवं भारत में युरोपियों का आगमन
UP Board Solutions for Class 7 History Chapter 13 मराठा राज्य का उदय एवं भारत में युरोपियों का आगमन
मराठा राज्य का उदय एवं भारत में युरोपियों का आगमन
प्रश्न 1.
नीचे दी गई तालिका को पूरा कीजिए-
उत्तर
प्रश्न 2.
किस मुगल शासक ने विदेशी कम्पनियों को भारत में व्यापार करने की इजाजत दी थी? लिखिए।
उत्तर
जहाँगीर ने।
प्रश्न 3.
इस समय तक कौन-कौन सी विदेशी कम्पनियाँ भारत आ चुकी थीं? उनके नाम लिखिए।
उत्तर
पुर्तगाली, डच, फ्राँसीसी तथा ईस्ट इण्डिया कम्पनी भारत में आ चुकी थीं।
अभ्यास
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) शिवाजी का जन्म कब और कहाँ हुआ था।
उत्तर
शिवाजी का जन्म 6 अप्रैल, 1627 ई. को शिवनेर के दुर्ग में हुआ था।
(ख) शिवाजी के माता-पिता का नाम बताइए।
उत्तर
शिवाजी की माता का नाम जीजाबाई तथा पिता का नाम शाहजी भोंसले था।
(ग) शिवाजी का राज्याभिषेक कहाँ हुआ था।
उत्तर
शिवाजी का राज्याभिषेक रायगढ़ में हुआ था।
(घ) दक्षिण में मराठा शक्ति के उदय का वर्णन कीजिए।
उत्तर
दक्षिण में मराठा शक्ति का उदय – औरंगजेब के शासनकाल में दक्षिणी भारत में मराठा शक्ति का उदय हुआ। मराठा राज्य के उदय में भौगोलिक स्थिति का भी योगदान था। विंध्याचल, सतपुड़ा, नर्मदा और ताप्ती नदियाँ, पूना, बीजापुर, कोंकण की उबड़-खाबड़ भूमि आदि ने मराठा लोगों को परिश्रमी, साहसी और आत्मनिर्भर बनाया और उन्होंने छापामार युद्ध प्रणाली अपनाकर अपने साम्राज्य की शक्ति बढ़ाने में सफलता प्राप्त की। मराठों ने दक्षिण के राज्यों अहमदनगर, बीजापुर और गोलकुंडा आदि की शक्ति कमजोर होने का लाभ उठाया। शिवाजी ने मराठों को संगठित करके एक स्वतन्त्र मराठा राज्य की स्थापना की। औरंगजेब का पतन एवं आर्थिक संकट भी मराठों के साम्प्रज्य स्थापना में सहायक हुआ।
(ङ) शिवाजी के शासन प्रबन्ध के विषय में लिखिए।
उत्तर
शिवाजी ने एक स्वतन्त्र मराठा राज्य स्थापित किया था। उन्होंने अपने स्वराज्य का शासन-प्रबन्ध निम्नलिखित ढंग से किया
- अष्ट प्रधान- पूरे साम्राज्य का मुखिया राजा था। उसे ‘छत्रपति’ कहते थे। राजा के अनेक अधिकार थे। वह अपनी इच्छा से कोई भी शासन-संबंधी कार्य कर सकता था। शिवाजी ने अपनी सहायता के लिए आठ मन्त्री नियुक्त किए। इन मंत्रियों के समूहों को अष्ट-प्रधान कहा जाता था। प्रधानमन्त्री को पेशवा कहते थे।
- न्याय प्रबन्ध- शिवाजी बड़े न्यायप्रिय थे। उन्होंने न्याय के लिए पंचायतों की व्यवस्था की। वे अपील स्वयं सुनते थे। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शिवजी ने अपने स्वराज्य’ का शासन प्रबन्ध बड़े अच्छे ढंग से चलाया।
- सैनिक प्रबन्ध- शिवाजी एक कुशल सैनिक भी थे। इसलिए उन्होंने मजबूत सेना का संगठन किया। सैनिकों को नकद वेतन दिया जाता था। सेना में कड़ा अनुशासन था। कोई भी सैनिक युद्ध में स्त्री साथ नहीं ले जा सकता था, उन्हें जीते हुए प्रदेशों में भी स्त्रियों का अपमान करने की आज्ञा नहीं थी। सभी सैनिकों को युद्ध में लूटी हुई सम्पत्ति का हिसाब देना पड़ता था।
- भूमि का प्रबन्ध- सैनिकों में वेतन तथा अन्य खर्चा के लिए शिवाजी ने नए सिरे से भूमि का प्रबन्ध किया। उन्होंने सारी भूमि को फिर से नेपवाया और उपज के अनुसार भूमि-कर निश्चित किया। इसके अतिरिक्त मुगल क्षेत्रों से ‘चौथ’ भी ली जाती थी।
(च) पानीपत की तीसरी लड़ाई क्यों हुई? इसके क्या परिणाम हुए?
उत्तर
मराठों ने पहले पंजाब पर हमला करके उस पर अधिकार कर लिया। पंजाब पर उस समय अब्दाली का शासन था। अब्दाली मराठों से नाराज हो गया। इस कारण यह लड़ाई हुई।
इस लड़ाई का परिणाम यह हुआ कि मराठों की हार से उनकी शक्ति क्षीण हो गई। मराठों के पतन से अंग्रेजों को भारत से साम्राज्य स्थापित करने का सुअवसर मिल गया।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित कथनों में सही कथन के सामने सही (✓) का तथा गलत कथन के सामने गलत (✗) का निशान लगाइए-
उत्तर
(क) मराठों ने छापामार युद्ध प्रणाली अपनायी। (✓)
(ख) अफजल खाँ मुगलों का एक प्रमुख सरदार था। (✗)
(ग) शिवाजी का रामनगर में राज्याभिषेक हुआ। (✗)
(घ) शिवाजी ने शाइस्ता खाँ को बघनख से मारा। (✗)
प्रश्न 3.
सही जोड़े बनाइए-
उत्तर
प्रोजेक्ट कार्य – नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।
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