UP Board Solutions for Class 7 Sanskrit chapter 13 यक्षयुधिष्ठिर-संवादः
UP Board Solutions for Class 7 Sanskrit chapter 13 यक्षयुधिष्ठिर-संवादः
शब्दार्था:- किंस्वित् = कौन, खात् = आकाश से, बहुतरम् = अपेक्षाकृत अधिक, प्रवसतः = पर देश में रहने वाले का, आतुरस्य = रोगी का, दुर्जयः = कठिनाई से जीतने योग्य, पुंसाम् = मनुष्यों का, अनन्तकः = कभी अन्त न होने वाला, सर्वभूतहितः = सभी प्राणियों का हित करने वाला।
किंस्विद्गुरुतरं …………………………………………………………… तृणात् ॥1॥
हिन्दी अनुवाद – पृथ्वी पर गुरु से बड़ा कौन है? आसमान से ऊँचा कौन है? वायु से ज्यादा तेज कौन है? ईंधन से ज्यादा जलाने वाला कौन है?
माता गुरुतरा …………………………………………………………… तृणात् ॥2॥
हिन्दी अनुवाद – भूमि पर माता गुरु से बड़ी है। आसमान से ऊँचा पिता है। वायु से ज्यादा तीव्र मन है। चिन्ता ईंधन से ज्यादा जलाने वाली है।
किंस्वित् प्रवसतो …………………………………………………………… मरिष्यतः ॥3॥
हिन्दी अनुवाद – परदेश में मित्र कौन है? घर में मित्र कौन है? बीमार का मित्र कौन है? मरने वाले का मित्र कौन है?
सार्थः प्रवसतो …………………………………………………………… मरिष्यतः ॥4॥
हिन्दी अनुवाद – परदेस में मित्र धन है। घर में मित्र पत्नी है। बीमार का मित्र वैद्य है। मरने वाले का मित्र दान है।
कः शत्रुर्दुर्जयः …………………………………………………………… स्मृतः ॥5॥
हिन्दी अनुवाद – मनुष्य का अजेय शत्रु कौन है? और कभी न अन्त होने वाली व्याधि क्या है? किसको साधु (सज्जन) कहा जाता है? असाधु (दुर्जन) कौन माना जाता है?
क्रोधः सुदुर्जयः …………………………………………………………… स्मृतः ॥6॥
हिन्दी अनुवाद – मनुष्य का अजेय शत्रु क्रोध है। कभी न अन्त होने वाला रोग लोभ है। सब प्राणियों का हित करने वाला सज्जन होता है। निर्दय (दयाविहीन) को असाधु कहा जाता है।
कः पण्डितः …………………………………………………………… स्मृतः ॥7॥
हिन्दी अनुवाद – किस पुरुष को पंडित माना जाता है? नास्तिक किसको कहते हैं? मूर्ख कौन होता है, कामी किसको कहते हैं और कौन ईर्ष्यालु होता है?
धर्मज्ञः पण्डितो …………………………………………………………… स्मृतः ॥8॥
हिन्दी अनुवाद – धर्मज्ञ को पंडित जाना जाता है। नास्तिक मूर्ख को कहते हैं। संसार की इच्छा वाले को कामी कहते हैं और हृदय में जलन वाले को ईष्र्यालु कहते हैं।
अभ्यासः
प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2.
अधोलिखितानि यक्षस्य प्रश्नान् युधिष्ठिरस्य च उत्तराणि पठित्वा मननं कुरुत
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 3.
संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत (अनुवाद करके)
(क) देवदत्त प्रभाकर की अपेक्षा चतुर है।
अनुवाद : देवदत्तः प्रभाकरस्य अपेक्षया चतुरः अस्ति।
(ख) यह मिठाई उस मिठाई से मधुर है।
अनुवाद : इदं मिष्टान्नं तत् मिष्टान्ने अपेक्षम मधुरम् अस्ति।
(ग) विन्ध्याचल से हिमालय ऊँचा है।
अनुवाद : विन्ध्याचलात् हिमालयः उच्चः अस्ति।
(घ) ज्ञान से आचरण श्रेष्ठ है।
अनुवाद : ज्ञानात् आचरणं श्रेष्ठम्।
(ङ) नीम से नारियल बड़ा है।
अनुवाद : निम्बात् वृहत्तर: नारिकेलः अस्ति।
प्रश्न 4.
उपयुक्तकथनानां समक्षम् ‘आम्’ अनुपयुक्तकथनानां समक्षम् ‘न’ इति लिखत (लिखकर)
(क) माता भूमेः गुरुतरा अस्ति। आम्
(ख) मन: वातात् शीघ्रतरं न
(ग) आतुरस्य धनं मित्रम्। न
(घ) दुर्जयः शत्रुः क्रोधः आम्
(ङ) निर्दयः असाधुः स्मृतः। आम्
आम्
प्रश्न 5.
अधोलिखितपदानि प्रयुज्य वाक्यरचनां कुरुत (करके)
यथा- उवाच = यक्षः युधिष्ठिरम् उवाच।
कीदृशः = पिता कीदृशः अस्ति?
माता = माता कीदृशी अस्ति?
क्रोध = क्रोधः दुर्गुणः अस्ति।
प्रश्न 6.
निम्नलिखितपदानां विलोमपदं लिखत
यथा- गुरुतरम् = लघुतरम्
मूर्ख = विद्वान
नास्तिक = शत्रु
शत्रु: = मित्रम्
साधु = असाधु
प्रश्न 7.
रेखांकितपदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
यथा- भूमेः गुरुतरा माता। भूमेः गुरुतरा का?
(क) पिता खात् उच्चतरः। कः खात् उच्चतर:?
(ख) निर्दयः असाधुः स्मृतः। कीदृशः असाधुः स्मृति:?
(ग) सर्वभूतहितः साधु स्मृतः। कीदृशः साधुः स्मृतः?
नोट – विद्यार्थी शिक्षण-संकेत स्वयं करें।
We hope the UP Board Solutions for Class 7 Sanskrit chapter 13 यक्षयुधिष्ठिर-संवादः help you.