UP Board Solutions for Class 8 Hindi व्याकरण
UP Board Solutions for Class 8 Hindi व्याकरण
व्याकरण – जिन नियमों के अन्तर्गत किसी भाषा को शुद्ध बोलना, लिखना तथा ठीक प्रकार समझना आता है, उन्हें ही व्याकरण कहते हैं।
भाषा – भाषा के द्वारा मनुष्य अपने मन के विचार प्रकट करता है तथा दूसरों के भावों को स्वयं समझता है। विचारों को प्रकट करने के विभिन्न ढंग हैं किन्तु इनसे भाषा का रूप स्थिर नहीं रहने पाता है। व्याकरण भाषा के रूप को स्थिर कर देती है।
लिपि – जिन चिह्नों द्वारा मन के विचार को चित्रित किया जाता है, उन्हें ‘लिपि’ कहा जाता है; जैसे-हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी है।
व्याकरण के भाग
1. वर्ण विभाग,
2. शब्द विभाग,
3. वाक्य विभाग।
(1. वर्ण विभाग)
वर्ण – वर्ण उस छोटी ध्वनि को कहते हैं जिसके टुकड़े नहीं हो सकते। इन्हें अक्षर भी कहते हैं। हिन्दी भाषा में कुल 44 वर्ण (अक्षर) हैं।
वर्गों के भेद-वर्ण दो प्रकार के होते हैं- 1. स्वर, 2. व्यंजन।
1. स्वर – जो वर्ण किसी दूसरे वर्ण की सहायता के बिना बोला जा सकता हो, उसे स्वर कहते हैं। यह 11 होते हैं। स्वर दो प्रकार के होते हैं| (1) ह्रस्व स्वर-जिन स्वरों को बोलने में बहुत कम समय लगता है, वे ह्रस्व कहलाते हैं, जैसेअ, इ, उ, ए, ओ, ऋ।
(2) दीर्घ स्वर – इन स्वरों को बोलने में ह्रस्व स्वरों की अपेक्षा दुगुना समय लगता है, जैसेआ, ई, ऊ, ऐ, औ। मात्रा-स्वर का वह छोटा रूप जो व्यंजन से जोड़ा जाता है, मात्रा लगता है ‘अ’ स्वर की कोई मात्रा नहीं होती; जैसे
2. व्यंजन – जो वर्ण स्वर की सहायता से बोल जाते हैं, उन्हें व्यंजन कहते हैं। यह 33 होते हैं। हिन्दी में व्यंजनों को पाँच वर्गों में बाँटा गया है।
इनके अतिरिक्त हिन्दी में निम्न वर्ण भी हैं
संयुक्ताक्षर – जब दो वर्षों के बीच में स्वर नहीं रहता, तो उन्हें संयुक्त व्यंजन’ या ‘संयुक्ताक्षर कहते हैं, जैसा- क् + ष् + अ = क्ष, त् + * + अ = त्र, ज् + अ + अ = ज्ञ, श् + र् + अ = श्र।
हलंत – बिना स्वर के व्यंजन के नीचे एक तिरछी रेखा () बना दी जाती है। इसे हलंत कहते हैं, जैसे- ज्, प, ट् आदि।
अनुस्वार (अं) – वर्ण के ऊपर एक बिन्दु (-) को अनुस्वार कहते हैं; जैसे- पंख, शंख आदि।
विसर्ग (अ) – वर्ण के आगे दो बिन्दुओं (:) को ‘विसर्ग’ कहते हैं, जैसे- अतः, फलतः आदि।
अनुनासिक (*) – वर्ण के ऊपर चन्द्रबिन्दु में बिंदु (*) को ‘अनुनासिक’ कहते हैं, जैसे- आँख, आँच, पाँच आदि।
(उपसर्ग और प्रत्यय)
(उपसर्ग )
उपसर्ग की परिभाषा – उपसर्ग वे शब्दांश हैं जो शब्दों के पूर्व जुड़कर उनके अर्थ बदल देते हैं या उनमें कोई विशेषता उत्पन्न कर देते हैं; जैसे- यश = कीर्ति जब इसके पूर्व में ‘अप’ उपसर्ग जुड़ जाता है। तो अप+यश = अपयश = बुराई का अर्थ हो जाता है। हिन्दी के प्रमुख उपसर्गों के उदाहरण देखिए
आ – आजन्म, आगमन, आकर्षण, आदान, आकण्ठ आदि
उपे – उपवन, उपग्रह, उपनाम, उपधर्म, उपयोग, उपसर्ग आदि
परि – परिजन, परिच्छेद, परिक्रमा, परितोष, परिवार आदि
अप – अपयश, अपवाद, अपमान, अपशब्द, अपकीर्ति आदि –
अव – अवगुण, अवतार, अवनति, अवज्ञा आदि – प्रसिद्ध, प्रयोग, प्रताप, प्रबल, प्रश्वास, प्रवचन आदि
परा – पराजय, पराभव, पराधीप, परास्त आदि अनु – अनुकूल, अनुचर, अनुसार, अनुमान आदि
निर् – निराकार, निर्भय, निर्जीव, निर्दोष, निर्मल आदि
दुर् – दुर्बुद्धि, दुर्गम, दुर्दशा, दुर्लभ, दुर्मति, दुराशा आदि
प्रत्यय
प्रत्यय की परिभाषा – प्रत्यय वे शब्दांश हैं, जो शब्द के अन्त में जुड़कर उसके अर्थ व अवस्था में परिवर्तन कर देते हैं; ‘प्रभु’ शब्द के अन्त में जब ‘ता’ प्रत्यय लग जाता है तो ‘प्रभुता’ शब्द बन जाता है।
अतः प्रभुता में ‘ता’ प्रत्यय है। कुछ अन्य प्रत्ययों से बने उदाहरण देखिए
ता – पटुता, लघुता, पंशुता, महत्ता, दासता, प्रभुता
त्व, – चुम्बकत्व, पशुत्व, दासत्व, ईश्वरत्व, लघुत्व, महत्त्व
इमा – कालिमा, लालिमा, नीलिमा, हरीतिमा
इक – पारलौकिक, पारिवारिक, तार्किक, मौलिक, भौतिक, नैतिक
इत – पुष्पित, आनन्दित, हर्षित, प्रफुल्लित, मोहित
वान – दयावान, धनवान, बलवान, गाड़ीवान, वेगवान
मान – बुद्धिमान, श्रीमान
पन – बड़प्पन, पागलपन, बचपन, मोटापन, खोटापन
ईय – भारतीय, शासकीय, माननीय, शोचनीय
आहट – कड़वाहट, चिकनाहट, गरमाहट, घबराहट
पा – बुढ़ापा, मोटापा, छोटापा
आवट – लिखावट, बनावट, सजावट, दिखावट
आई – लिखाई, बुनाई, पढाई, सिलाई, मलाई, बुराई
अक – लेखक, पालक, गायक, पाठक, नायक, सेवक
इका – लेखिका, पालिका, गायिका, सेविका।
ना – रोना, खाना, पीना, बेलना, ओढ़ना, बिछौना
आ – भूखा, सूखा, रूखा, भूसा, मृगया, रूठा
(विलोम शब्द)
एक – दूसरे का विपरीत अर्थ बताने वाले शब्द विलोम या विपरीतार्थी शब्द कहलाते हैं। किसी शब्द का विलोम उसके भाव को प्रकट करता है। छात्रों के ज्ञान के लिए कुछ उपयोगी, विलोम शब्द नीचे दिए जा रहे हैं। छात्र इन्हें समझें और कण्ठस्थ करें।
(समुच्चरित शब्द-समूह)
भाषा में कुछ ऐसे शब्द भी होते हैं जिनके उच्चारण में बहुत कुछ समानता होती है किन्तु उनके अर्थ में बहुत अन्तर होता है। इस प्रकार के कुछ शब्द नीचे दिए जा रहे हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए
(समानार्थक शब्दों में अन्तर)
1. बुख – किसी वस्तु के अभाव में मन में पीड़ा।
शोक-किसी की मृत्यु आदि पर दु:ख।
2. अमूल्य – जिसका कोई मूल्य न हो।
दुर्मूल्य – उचित मूल्य से अधिक मूल्य।
बहुमूल्य – मूल्यवान
3. अस्त्र-फेंककर प्रहार करने वाला हथियार।
शस्त्र – हाथ में लेकर प्रहार करने वाला हथियार।
4. आयु – सम्पूर्ण जीवन।
अवस्था – जन्म से वर्षों की गणना।
5. मित्र – सुख-दुख में साथ रहने वाला।
सखा – समाने आयु का मनुष्य व मित्र।
6. सन्देह – किसी भी निश्चय पर नहीं पहुँचना।
भ्रम – असत्य बात में सत्य का आभास होना।
7. आचार – साधारण बर्ताव।
व्यवहार – विशेष बर्ताव।
8. सहानुभूति – सुख-दुख में पूर्ण रूप से सहयोग देने की भावना।
संवेदना – दुख से दुखी होकर दूसरे को धैर्य देने की भावना।
(अनेकार्थक शब्द)
अनेकार्थक शब्द – वे शब्द जिनके एक से अधिक अर्थ होते हैं, वे अनेकार्थक शब्द कहलाते हैं। कुछ उदाहरण देखिए
(शब्द-समूह के लिए एक शब्द)
प्रायः भाषा में अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग कर देने से भाषा का सौन्दर्य बढ़ जाता है; जैसे- मांस खाने वाला शब्द-समूह के लिए मांसाहारी’ शब्द अच्छा लगेगा। इसी प्रकार कुछ। अन्य उदाहरण आगे दिए जा रहे हैं। इनका प्रयोग अपनी भाषा में कीजिए।
पर्यायवाची शब्द
समान अर्थ वाले शब्द एक-दूसरे के पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं। नीचे कुछ उदाहरण दिए जा रहे। है। छात्र इन्हें भली प्रकार कण्ठस्थ करें
(शब्दों के तत्सम रूप)
तत्सम शब्द का अर्थ – तत्सम शब्द का अर्थ संस्कृत भाषा से लिए गए शब्दों के शुद्ध स्वरूप से है। आगे कुछ तत्सम शब्द एवं उनके तद्भव रूप दिए जा रहे हैं। छात्र इन शब्दों को ध्यानपूर्वक पढ़ें
(मुहावरे और उनका प्रयोग)
भाषा को अधिक सजीव, सुन्दर तथा प्रभावपूर्ण बनाने के लिए उसमें मुहावरों को प्रयोग किया जाता है। इसके अर्थ को ठीक-ठीक समझे बिना वाक्य के अर्थ का उचित ज्ञान नहीं हो पाता है। नीचे कुछ मुहावरों के अर्थ तथा उन्हें वाक्यों में प्रयोग करके दिखाया जा रहा है। छात्र इन्हें भली प्रकार पढ़े और समझें
- अगर मगर करना – (टाल मटोल करना) आपस में सन्धि कर लेने के बाद अगर-मगर करना धोखा देना है।
- प्रलय ढाना – (बहुत हानि करना) उपद्रवियों को दुकानों पर प्रलय ढाते देखकर मेरा तो हृदय काँप उठा।
- हिलोरें मारना – (उत्साहित होना) नेहरू जी के हृदय में देश-प्रेम की भावनाएँ सदा हिलोरें मारती थीं।
- अन्धे की लाठी – (गरीबी या बुढ़ापे का सहारा) किसी को सुपुत्र ही अन्धे की लाठी बन सकता है।
- अरमान निकालना – (इच्छा पूर्ण करना) वीर सैनिक तो युद्धस्थल पर ही अपने अरमान निकाल सकता है।
- आँखें खुल जाना – (होश में आना) परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर ही राम की आँखें खुलीं।।
- आँख लगी रहना – (आशा बनी रहना) श्रीकृष्ण के लौट आने की प्रतीक्षा में गोपियों की आँखें सदा लगी रहती थीं।
- ईंट का जवाब पत्थर से देना – (दुष्ट के साथ दुष्टता का व्यवहार करना) जब शत्रुओं ने . सहसा ही भारत के दो गाँवों पर अपना अधिकार जमा लिया तो भारतीय वीरों ने भी उसके चार गाँव छीन कर ईंट का जवाब पत्थर से दिया।
- चादर तानकर सोना – (निश्चित होना) भाई चादर तानकर सोने का समय नहीं रहा, काम करने से ही जीवन सफल हो सकता है।
- पर्दा डालना – (बुराइयों को छिपा देना) धूर्त व्यक्ति अपनी वास्तविकता पर पर्दा डालकर अपना भला चाहता है।
- पाँव उखड़ जाना – (हार कर भाग जाना) भारतीय सैनिकों के आगे पाकिस्तानियों के पाँव उखड़ गए।
- फूटी कौड़ी – (बिल्कुल धन न होना) आज तो मेरे पास फूटी कौड़ी भी नहीं है।
- बाले बाँका होना – (कष्ट होना) यदि अरविन्द का बाल बाँका भी हुआ तो तुम्हारी खैर नहीं।
- मिट्टी के मोल – (बहुत सस्ता) आज तो आप दो किलो अंगूर ले आए हो, क्या कहीं मिट्टी के मोल मिल गए थे।
- रंग जमाना – (प्रभाव डालना) नेता जी ने अपने भाषण से सभा पर ऐसा रंग जमाया कि सब वाह-वाह करने लगे।
- सिर मुड़ाते ही ओले पड़े – (प्रारम्भ में ही काम बिगड़ना) नेता जी ने अभी प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली ही थी कि पूरे प्रदेश में भूकंप के कारण भयंकर तबाही मच गई। इसी को कहते हैं- सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना।
- चोर की दाढ़ी में तिनका – (अपराधी का स्वयं ही सशंकित होना) अध्यापक ने कक्षा में कहा कि जिसने भी चोरी की होगी उसके हाथ धूल में गन्दे हो जाएँगे। यह सुनकर रमेश जल्दी-जल्दी । अपने हाथ साफ करने लगा। अध्यापक ने उसे देखकर कहा कि देखो, चोर की दाढ़ी में तिनका।
(लोकोक्तियाँ (कहावतें))
लोकोक्ति का अर्थ है, संसार में प्रचलित उक्ति। ये लोक प्रचलित वाक्यांश होते हैं। लोगों के अनुभव से पूर्ण लोकोक्तियों का प्रयोग व्यापक अर्थ में किया जाता है। अपने कथन को प्रभावशाली बनाने के लिए इनका स्वतन्त्र वाक्य के रूप में प्रयोग करना चाहिए। नीचे कुछ कहावतों का अर्थ तथा उनका वाक्य में प्रयोग दिया जा रहा है, इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए।
- अधजल गगरी छलकत जाए – (ओछा व्यक्ति ही डींगे मारता है) भाई, 6000 रुपये की नौकरी में क्यों इतराते हो? सुना नहीं ‘अधजल गगरी छलकत जाए’ व ती बात होगी।
- चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात – (सुख के बाद दु:ख आना) राम! धन का घमण्ड मत करो, चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात।’
- मान ने मान मैं तेरा मेहमान – (बिना सम्बन्ध के सम्बन्ध दिखाना) मैं तो आपको जानता भी नहीं हूँ और आप मुझे भाई कहते हैं। ठीक है, मान न मान मैं तेरा मेहमान।
- ऊँची दुकान फीका पकवान – बाह्य दिखावा कुछ और वास्तविकता कुछ और।
- एक पंथ दो काज – दोहरा लाभ होना।
- कागज की कोठरी – बदनामी का काम।
- तिलों में तेल नहीं – लाभ की आशा नहीं।
- नया नौ दिन पुराना सौ दिन – तड़क-भड़क थोड़े ही दिन रहती है। पुरानी वस्तु का अधिक उपयोगी होना।
- भैंस के आगे बीन बजाना – मूर्ख के सम्मुख अपनी कला का प्रदर्शन करना।
- सोने की चिड़िया – धनवान।
- अन्धे के आगे रोना अपना दीदा खोना – सहानुभूति न रखने वाले के सामने अपना दुखड़ा रोना व्यर्थ है।
- आगे नाथ न पीछे पगहा – किसी प्रकार का डर न होना।
- उलटा चोर कोतवाल को डाँटे – दोषी ही अच्छे व्यक्ति को दोषी बताए।
- भागते भूत की लँगोटी भली – पूर्ण लाभ न मिलने पर आंशिक लाभ पर ही सन्तोष करना।
- मन चंगा तो कठौती में गंगा – मन शुद्ध होने पर तीर्थयात्रा की आवश्यकता नहीं होती।
(शब्दों के अर्थ व वाक्य प्रयोग)
- उत्तरोत्तर – (क्रमपूर्वक) विषम परिस्थितियों में भी पर्वतारोही उत्तरोत्तर चढ़ते ही चले गए।
- आशातीत – (आशा से भी परे) गत चुनावों में काँग्रेस दल को आशातीत सफलता मिली थी।
- उपलब्धि – (प्राप्ति) कविवर बिहारी को राजा जयसिंह से अपार धन की उपलब्धि हुई।
- रंग जमाना – (प्रभाव जमाना) त्यागी जी के भाषण से सभा में ऐसा रंग जमा कि उनके विरोधी भी देखते रह गए।
- अग्रसर – (आगे बढ़ना) विज्ञान के कारण आज हम उन्नति की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
- तटस्थ – (पक्ष-विपथ से दूर) भारत की तटस्थ रहने की नीति की प्रशंसा सब ओर हो रही है।
- संक्रामक – (छूत सम्बन्धी) हैजा एक संक्रामक रोग है।
- अस्त्र – (फेंककर चलाया जाने वाला हथियार) बाण, ब आदि प्राचीन अस्त्र हैं।
- शस्त्र – (हाथ में थामकर चलाया जाने वाला हथियार) तलवार, छुरी और खड्ग शस्त्र हैं।
- अध्ययन – (सामान्य पढ़ाई) मैंने विज्ञान का अध्ययन कभी नहीं किया है।
- अनुशीलन – (गहरा अध्ययन) मैं आजकल निबन्ध साहित्य का अनुशीलन कर रहा हूँ।
- अन्याय – (नियम विरुद्ध कार्य) अन्याये सब दिन नहीं चल सकता।
- अधर्म – (धर्म विरुद्ध कार्य) निर्बल को सताना अधर्म है।
We hope the UP Board Solutions for Class 8 Hindi व्याकरण help you.