UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 31 चौधरी चरण सिंह (महान व्यक्तित्व)
UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 31 चौधरी चरण सिंह (महान व्यक्तित्व)
पाठ का सारांश
चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर, 1902 ई० को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में स्थित नूरपुर ग्राम में हुआ था। इनके पिता चौधरी मीर सिंह एक साधारण किसान थे। इनकी माँ का नाम नेत्र कौर था। चौधरी चरण सिंह ने आगरा कॉलेज से एल०एल०बी० पास करके गाजियाबाद दीवानी अदालत में वकालत शुरू कर दी। अंग्रेजों के विरुद्ध स्वतन्त्रता संग्राम में इन्होंने बढ़-चढ़कर योगदान दिया।
सन् 1930 में लोनी ग्राम में नमक बनाकर नमक कानून तोड़ने के दण्डस्वरूप पहली जेल यात्रा की। भारत छोड़ो आन्दोलन के समय में सन् 1942 ई० इन्होंने भूमिगत रहकर गाजियाबाद, हापुड़, सरधना, बुलन्दशहर आदि के आसपास एक क्रान्तिकारी गुप्त संगठन बनाया और विदेशी शासन ठप्प करने की मुहिम चलाई।
15 अगस्त, 1947 ई० को भारत स्वतन्त्र होने पर उत्तर प्रदेश मन्त्रिमण्डल में स्वायत शासन और स्वास्थ्य विभाग में इन्हें सभा सचिव का पद मिला। उन्होंने जमींदारी लेखपालों की नियुक्ति की। कृषि और किसानों के हित में सन् 1958 ई० में लागू चकबन्दी अधिनियम भी चौधरी चरण सिंह का क्रान्तिकारी कदम था। इसी वर्ष उत्तर प्रदेश में भूमि संरक्षण कानून भी पारित कराया। इन्होंने कृषि आपूर्ति संस्थानों की योजना चलाई, जिससे किसानों को सस्ती खाद, बीज आदि की सुविधा प्राप्त हुई।
सन् 1967 ई० में काँग्रेस छोड़कर, 3 अप्रैल को पहली बार वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। सन् 1970 ई० में वे दोबारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। सन् 1977 के आम चुनाव के बाद जनता पार्टी सरकार में वे पहले गृहमंत्री, बाद में 1979 में उपप्रधानमंत्री तथा वित्त मंत्री बने।
माननीय मोरारजी देसाई के त्यागपत्र के बाद 28 जुलाई, 1979 को चौधरी चरण सिंह ने देश के प्रधानमंत्री का पद सम्भाला। उन्होंने गरीबी मिटाने और नागरिकों की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने का संदेश दिया। 15 अगस्त, 1979 को लाल किले की प्राचीर से उन्होंने देशवासियों को सम्बोधित करते हुए संदेश दिया, “राष्ट्र तभी सम्पन्न हो सकता है जब उसके ग्रामीण क्षेत्र का उन्नयन किया गया हो, तथा ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति अधिक हो।”
चौधरी चरण सिंह जातिवाद के घोर विरोधी थे। ईमानदार नेता के रूप में चौधरी चरण सिंह का जीवन खुली किताब था जिन पर कोई दोष नहीं था। उन्होंने जीवन के किसी भी क्षेत्र में भ्रष्टाचार को सहन नहीं किया। 29 मई सन् 1987 ई० को किसानों के इस सर्वप्रिय नेता का निधन हो गया।
अभ्यास-प्रश्ने
प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों के उत्तर लिखिए
(क) चौधरी चरण सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर :
चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर, 1902 ई० को मेरठ जिले के नूरपूर गाँव में हुआ।
(ख) चौधरी साहब को किसानों का नेता क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
चौधरी चरण सिंह एक साधारण किसान परिवार से थे, जिन्होंने कृषि और कृषकों के हित में अनेक कार्य किए। इस कारण उन्हें किसानों का नेता कहा जाता है।
(ग) चौधरी चरण सिंह को प्रथम जेल यात्रा क्यों करनी पड़ी?
उत्तर :
चौधरी चरण सिंह को लोनी गाँव में नमक बनाने के लिए नमक कानून तोड़ने के दण्डस्वरूप प्रथम जेल यात्रा करनी पड़ी।
(घ) कृषि और कृषकों के लिए चौधरी चरण सिंह ने क्या कार्य किए?
उत्तर :
कृषि और किसानों के हित में चौधरी चरण सिंह ने अनेक कार्य किए। उन्हें जनींदारी उन्मूलन विधेयक तैयार करने का काम सौंपा गया। इन्होंने पटवारियों के शोषण से किसानों को मुक्ति दिलाई और लेखपालों की नियुक्ति की। सन् 1954 ई० में लागू चकबन्दी अधिनियम भी चौधरी चरण सिंह का क्रान्तिकारी कदम था। इसी वर्ष उन्होंने उत्तर प्रदेश में भूमि संरक्षण कानून भी पारित कराया। इन्होंने कृषि आपूर्ति योजना चलाई, जिससे किसानों को सस्ती खाद-बीज आदि की सुविधा प्राप्त हुई।
(ङ) 15 अगस्त पर चौधरी चरण सिंह ने देशवासियों को क्या संदेश दिया?
उत्तर :
15 अगस्त, 1979 ई० को चौधरी चरण सिंह ने देशवासियों को संदेश दिया- “राष्ट्र तभी सम्पन्न हो सकता है जब उसके ग्रामीण क्षेत्र का उन्नयन किया गया हो तथा ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति अधिक हो।”
(च) चौधरी चरण सिंह की लिखी पुस्तकों के नाम लिखिए।
उत्तर :
- इकोनॉमिक नाइटमेअर ऑफ इण्डिया इट्स काजेज एण्ड क्योर,
- लैण्ड रिफार्स इन यू०पी० एण्ड दि कुलक्स,
- इण्डियाज इकोनॉमिक पॉलिसी
- दि गांधियन ब्ल्यू प्रिन्ट।
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति कीजिए)
(क) चौधरी चरण सिंह ने भूमि संरक्षण कानून पारित कराया।
(ख) चौधरी साहब सन् 1967 एवं 1970 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
(ग) माननीय मोरारजी देसाई के त्यागपत्र देने पर चौधरी चरण सिंह ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।
(घ) चौधरी चरण सिंह जातिवाद के घोर विरोधी थे।
प्रश्न 3.
सही मिलान कीजिए (मिलाकर)
(क) महात्मा गांधी ने डाँडी मार्च क़र (ग) नमक कानून तोड़ो आन्दोलन चलाया।
(ख) जमींदारी उन्मूलन विधेयक (क) 1 जुलाई, 1952 से लागू हुआ।
(ग) चौधरी चरण सिंह (घ) जातिवाद के घोर विरोधी थे।
(घ) गांधी जी ने देशवासियों से (ख) ‘करो या मरो’ का आह्वान किया।
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