UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 36 लोकनायक जयप्रकाश नारायण (महान व्यक्तित्व)
UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 36 लोकनायक जयप्रकाश नारायण (महान व्यक्तित्व)
पाठ का सारांश
लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्म बिहार के सिताबदियारा गाँव में (अब उ०प्र० में) 11 अक्टूबर, 1902 को हुआ था। इनके पिता का नाम हरसूदयाल तथा माता का नाम श्रीमति फूल रानी था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पटना के कालेजिएट स्कूल में हुई। यहाँ से इन्होंने हाई स्कूल पास किया। आगे की शिक्षा के लिए इन्होंने पटना कॉलेज, पटना में प्रवेश लिया। सन् 1922 में उच्च शिक्षा की के लिए अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। शिक्षा पूरी कर स्वदेश लौटने के बाद वे भारतीय राजनीति में सक्रिय हो गए। उस समय भारत में गांधी जी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चल रहा था। वे भी एक सच्चे राष्ट्रभक्त की तरह स्वाधीनता आंदोलन से जुड़ गए।
जयप्रकाश नारायण समाजवादी सिद्धातों से प्रभावित थे। स्वतंत्रता आंदोलन में वे कई बार जेल गए। गांधी जी जयप्रकाश नारायण को भारतीय समाज का सबसे बड़ा विद्वान मानते थे। 1946 में गांधी जी ने उनका नाम कांग्रेस अध्यक्ष के लिए प्रस्तावित किया किन्तु कांग्रेस की कार्य कारिणी ने इसे स्वीकार नही किया। सन् 1948 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भारतीय समाजवादी पार्टी की स्थापना की। 1952 में वे आचार्य बिनोवा भावे के नेतृत्व में चलाए जा रहे सर्वोदय
आंदोलन व भूदान आंदोलन से जुड़ गए। उन्होंने सरकार एवं सत्ता में कभी कोई पद स्वीकार नहीं किया। 8 अक्टूबर 1979 को इनकी मृत्यु हो गई उनके विचार, उनके सिद्धांत सदैव हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।
अभ्यास-प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
प्रश्न 1.
जयप्रकाश नारायण का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर :
जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर, 1902 को बिहार के सिताबदिलारा गाँव, (अब उ०प्र०) में हुआ था।
प्रश्न 2.
जयप्रकाश नारायण के माता-पिता का नाम बताइए।
उत्तर :
जयप्रकाश नारायण के माता का नाम श्री मति फूलरानी तथा पिता का नाम हरसूदयाल था।
प्रश्न 3.
गांधी जी ने समाजवाद का सबसे बड़ा विद्वान किसको माना?
उत्तर :
गांधी जी ने समाजवाद का सबसे बड़ा विद्वान जयप्रकाश नारायण को माना।
प्रश्न 4.
जयप्रकाश नारायण के राष्ट्रवाद पर क्या विचार थे? वर्णन कीजिए।
उत्तर :
वे सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र के आमूल परिवर्तन के पक्षधर थे। वे समाजवाद के समर्थक थे। उनकी दृष्टि में समाजवाद का उद्देश समाज को समन्वित विकास करना था। समाजवाद के संबंध में उनके विचार थे कि भारतीय संस्कृति के मूल्लों को सुरक्षित रखते हुए भी हम देश में समाजवाद ला सकते हैं क्योंकि भारतीय पंरपराएँ कभी भी शोषणवादी नहीं रहीं हैं।
जय प्रकाश नारायण के समग्र जीवन दर्शन से स्पस्ट है कि वे ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ के वास्तविक पोषक थे।
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