UP Board Class 10 Economics | वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

By | April 29, 2021

UP Board Class 10 Economics | वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

UP Board Solutions for Class 10 sst Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

अध्याय 4.                वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था
 
                               अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर
 
(क) एन०सी०ई० आर०टी० पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1. वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं? अपने शब्दों से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर―वैश्वीकरण का अर्थ एक ऐसी व्यवस्था से है जिसमें किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को विश्व
की अन्य अर्थव्यवस्थाओं से विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश द्वारा जोड़ा जाता है। वैश्वीकरण के कारण
आज विश्व में विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं, तकनीकी तथा श्रम का आदान-प्रदान हो रहा है। इस
कार्य में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं जब वे अपनी इकाइयाँ संसार के विभिन्न
देशों में स्थापित करती हैं।
 
प्रश्न 2. भारत सरकार द्वारा विदेश व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाने के क्या कारण
थे? इन अवरोधकों को सरकार क्यों हटाना चाहती थी?
उत्तर― भारत सरकार द्वारा विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाने का मुख्य कारण
देशी उत्पादकों को संरक्षण प्रदान करना था। 1950-1960 के दशकों में भारत में उद्योगों की स्थापना होने
लगी थी लेकिन विदेशी प्रतिस्पर्धा से उन्हें विकसित होने का मौका नहीं मिल पा रहा था। इस ओर सरकार
का ध्यान गया तथा इन उद्योगों के उत्थान के लिए अनिवार्य वस्तुएँ; जैसे-मशीनरी, उर्वरक, पेट्रोलियम का
ही आयात करने की अनुमति दी। वास्तव में आज के सभी विकसित देशों ने अपने घरेलू उद्योग को संरक्षण
प्रदान करने के लिए विदेशी क्रियाओं पर अंकुश लगाया था। 1991 की शुरुआत में सरकार सभी अवरोधों
को हटाना चाहती थी। सरकार को ऐसा लगा कि प्रतिस्पर्धा से देशी उत्पादकों में सुधार होगा। इसलिए
सरकार ने चरणबद्ध तरीके से सभी अवरोध हटाकर आयात-निर्यात को सरल कर दिया।
 
प्रश्न 3. श्रम कानूनों में लचीलापन कम्पनियों को कैसे मदद करेगा?
उत्तर― श्रम कानूनों में लचीलापन कम्पनियों को निम्नलिखित तरीके से मदद करेगा―
1. कम्पनियाँ अपनी श्रम लागत में कटौती करने के लिए श्रमिकों को नियमित आधार पर नहीं रखकर
उन्हें कार्य के अनुसार कम समय के लिए काम दे सकती है।
2. इस प्रकार श्रमिकों को नियमित आधार पर न रखने के कारण कम्पनियों को श्रमिकों को स्वास्थ्य
बीमा, भविष्यनिधि और अतिरिक्त समय में ज्यादा पारिश्रमिक नहीं देना पड़ेगा। इससे कम्पनियों
की प्रतिस्पर्धात्मक शक्ति में वृद्धि होगी।
 
प्रश्न 4. दूसरे देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किस प्रकार उत्पादन पर नियंत्रण स्थापित करती हैं?
उत्तर―बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वे कंपनियाँ हैं जो एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण अथवा
स्वामित्व रखती हैं। ये कंपनियां उन देशों में अपने कारखाने स्थापित करती हैं जहाँ उन्हें सस्ता श्रम एवं अन्य
साधन मिल सकते हैं। जहाँ सरकारी नीतियाँ भी उनके अनुकूल हों। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ इन देशों की
स्थानीय कंपनियों के साथ संयुक्त रूप से उत्पादन करती हैं, लेकिन अधिकांशत: बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ
स्थानीय कंपनियों को खरीदकर उत्पादन का प्रसार करती हैं; जैसे-एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी
‘कारगिल फूड्स’ ने अत्यंत छोटी भारतीय कंपनी ‘परख फूड्स’ को खरीद लिया है।
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ एक अन्य तरीके से उत्पादन नियंत्रित करती हैं। विकसित देशों में बड़ी बहुराष्ट्रीय
कंपनियाँ छोटे उत्पादकों को उत्पादन का आदेश देती हैं। वस्त्र, जूते-चप्पल एवं खेल के सामान ऐसे उद्योग
हैं, जिनका विश्वभर में बड़ी संख्या में छोटे उत्पादकों द्वारा उत्पादन किया जाता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों को
इनकी आपूर्ति कर दी जाती है, जो अपने ब्रांड नाम से इसे ग्राहकों को बेचती हैं।
 
प्रश्न 5. विकसित देश, विकासशील देशों से उनके व्यापार और निवेश का उदारीकरण क्यों चाहते
हैं? क्या आप मानते हैं कि विकासशील देशों को भी बदले में ऐसी माँग करनी चाहिए?
उत्तर―विकसित देश, विकासशील देशों से उनके व्यापार और निवेश का उदारीकरण चाहते हैं क्योंकि
वे अपने उत्पादों को विकासशील देशों में बिना किसी बाधा के बेचना चाहते हैं, इसके लिए वे वहाँ पर
कारखाना एवं कार्यालय की भी स्थापना करना चाहते हैं। इससे उनके द्वारा उत्पादित उत्पादों को अच्छा
बाजार मिलेगा और सुरक्षित पूँजी निवेश का मौका मिलेगा।
विकासशील देशों के बदले में एक मुक्त और न्यायसंगत व्यापार की माँग करनी चाहिए क्योंकि व्यवहार में
विकासशील देशों ने विश्व व्यापार संगठन के नियमों को नजरअदांज किया है। उदाहरणार्थ-अमेरिका के
सकल घरेलू उत्पादन में कृषि का भाग केवल एक प्रतिशत है और कुल रोजगार 0.5% है, परंतु अमेरिकी
सरकार उन्हें इतनी मदद करती है कि वहाँ के किसान अपने उत्पादों को कम कीमत पर निर्यात करते हैं
किन्तु विकासशील देशों को अपने किसानों की मदद करने को कहा गया जो अनैतिक है। इसलिए संतुलन
बनाते हुए कोई भी निर्णय वैश्विक हित में लेना चाहिए। विश्व व्यापार संगठन ऐसी संस्था है जिसका उद्देश्य
विश्व व्यापार को उदार बनाना है। अतः विकासशील देशों को विकसित देशों से विश्व व्यापार से विश्व
व्यापार संगठन के नियमों के अनुसार व्यापार अवरोध कम करने की माँग करनी चाहिए।
 
प्रश्न 6. “वैश्वीकरण का प्रभाव एकसमान नहीं है।” इस कथन की अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।
उत्तर― विभिन्न देशों के बीच परस्पर संबंध और तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया ही वैश्वीकरण है।
वैश्वीकरण का विश्व के सभी देशों पर गहरा प्रभाव पड़ा किंतु यह प्रभाव एकसमान नहीं है। स्थानीय एवं
विदेशी उत्पादकों के बीच प्रतिस्पर्धाओं में धनी वर्ग के उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है। इन उपभोक्ताओं के
समक्ष पहले से अधिक विकल्प हैं और वे अनेक उत्पादों की उत्कृष्टता, गुणवत्ता और कम कीमत से
लाभान्वित हो रहे हैं। परिणामत: ये लोग पहले की अपेक्षा एक उच्चतर जीवन-स्तर का उपभोग कर रहे हैं।
वैश्वीकरण से बड़ी संख्या में छोटे उत्पादकों और कर्मचारियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
बैटरी, प्लास्टिक, खिलौने, टायर, डेयरी उत्पाद एवं खाद्य तेल के उद्योग कुछ ऐसे उदाहरण हैं, जहाँ
प्रतिस्पर्धा के कारण छोटे निर्माता टिक नहीं सके। कई इकाइयाँ बंद हो गईं जिसके चलते अनेक श्रमिक
बेरोजगार हो गए। वैश्वीकरण और प्रतिस्पर्धा के दबाव ने श्रमिकों के जीवन को व्यापक रूप से प्रभावित
किया। बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण श्रमिकों का रोजगार लंबे समय के लिए सुनिश्चित नहीं रहा। वैश्वीकरण
के कारण मिले लाभ में श्रमिकों को न्यायसंगत हिस्सा नहीं मिला। ये सभी प्रमाण संकेत करते हैं कि
वैश्वीकरण सभी के लिए लाभप्रद नहीं रहा है। शिक्षित, कुशल और संपन्न लोगों ने वैश्वीकरण से मिले नए
अवसरों का सर्वोत्तम उपयोग किया है। दूसरी ओर अनेक लोगों को लाभ में हिस्सा नहीं मिला है।
 
प्रश्न 7. व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण वैश्वीकरण प्रक्रिया में कैसे सहायता पहुँचाती
है ?
उत्तर―व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण वैश्वीकरण प्रक्रिया में इस प्रकार से सहायता
पहुँचाता है?
1. इससे व्यक्ति या कम्पनी अपनी इच्छा व जरूरत के अनुसार आयात और निर्यात कर सकती है।
2. व्यापार अवरोधक खत्म हो जाने से आयात और निर्यात में सरलता आ जाती है।
3. विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश में उदारीकरण के परिणामस्वरूप विदेशी कंपनियाँ अन्य देशों में
अपने कार्यालय और कारखाने स्थापित कर लेती हैं।
4. इससे व्यापारियों को स्वतंत्र निर्णय लेने का आदेश मिलता है।
इस तरह व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अनेक देशों में उत्पादन करने
को प्रोत्साहन देता है। जहाँ कभी भी सस्ता श्रम तथा अन्य सुविधाएँ होती हैं वहाँ पर कारखाने अथवा अन्य
उत्पादन क्रिया शुरू की जा सकती है। इस प्रकार वैश्वीकरण में वृद्धि होती है।
 
प्रश्न 8. विदेश व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों के एकीकरण में किस प्रकार मदद करता है? यहाँ
दिए गए उदाहरण से भिन्न उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर―विदेश व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों के एकीकरण में इस प्रकार से मदद करता है-
1. विदेशी व्यापार अपने देश के बाजारों से बाहर के बाजारों में पहुँचने के लिए उत्पादकों को एक
मौका देता है।
2. उत्पादक अपने देश के बाजारों के साथ-साथ विश्व के अन्य बाजारों में भी प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।
3. दूसरे देशों में उत्पादित चीजों के आयात से खरीददारों के सामने उन चीजों के घरेलू उत्पादन के
अन्य विकल्पों का विस्तार होता है। जैसे भारत में खिलौनों के क्षेत्र में चीन के खिलौने के विकल्प
बाजार में उपलब्ध हैं और उपभोक्ता अपने पसंदीदा खिलौने क्रय कर सकता है।
4. लोग बेहतर आय, बेहतर रोजगार एवं शिक्षा की तलाश में एक-दूसरे देश में आते-जाते हैं।
उदाहरणार्थ―काफी संख्या में भारतीय यूरोपीय देशों में, अमेरिका व अन्य देशों में जाते हैं और
अपनी सेवाएंँ प्रदान करते हैं। इससे वैश्वीकरण में वृद्धि होती है तथा बाजारों का एकीकरण होता
है। इसके अतिरिक्त एक ही वस्तु अनेक देशों के बाजारों में उपलब्ध होती है, तो गुणवत्ता के
आधार पर उपभोक्ताओं द्वारा क्रय की जाती है व एक साथ कई देशों में लोकप्रिय हो जाती है।
इससे बाजारों के एकीकरण में मदद मिलती है।
 
प्रश्न 9. वैश्वीकरण भविष्य में जारी रहेगा। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आज से बीस वर्ष
बाद विश्व कैसा होगा? अपने उत्तर का कारण दीजिए।
उत्तर―वैश्वीकरण के भविष्य में जारी रहने से आज से बीस वर्ष बाद सारा विश्व एक बड़े परिवार की
तरह रहेगा क्योंकि हर व्यक्ति, नेता और राजनीतिज्ञ, छोटे कमजोर देश और शक्तिशाली देश जानते हैं कि
हर कोई किसी-न-किसी स्थिति में दूसरे पर निर्भर है। कोई भी व्यक्ति या समाज अपनी सारी जरूरतें
अकेला पूर्ण नहीं कर सकता है। यह भी स्पष्ट है कि यदि तीसरा विश्वयुद्ध हुआ तो हारने वालों की काफी
जनक्षति होगी, तो जतने वाले को भी काफी कष्टदायक जीवन यापन करना पड़ेगा। हिरोशिमा और
नागासाकी पर बम गिराने के परिणाम सबके सामने हैं, अत: कोई भी तीसरा विश्वयुद्ध या परमाणु युद्ध नहीं
चाहता। वैश्वीकरण या यूरोपियन संघ या बेल्जियम की सरकार की साझेदारी आदि इसका प्रमाण हैं कि
मानव धीरे-धीरे सहयोग की इच्छा करता है। इस तरह आज चाहे कैसी भी स्थिति है, बीस वर्ष बाद विश्व में
सहयोग बढ़ेगा और वैश्वीकरण की जड़े मजबूत होंगी। ज्यादातर विकसित देश अन्य देशों के साथ उनका
शोषण करने के स्थान पर सहयोग से रहेंगे।
 
प्रश्न 10. मान लीजिए कि आप दो लोगों को तर्क करते हुए पाते हैं-एक कह रहा है कि वैश्वीकरण ने
हमारे देश के विकास को क्षति पहुंचाई है, दूसरा कह रहा है कि वैश्वीकरण ने भारत के
विकास में सहायता की है। इन लोगों को आप कैसे जवाब दोगे?
उत्तर―मैं उनके कहूँगा कि वैश्वीकरण ने भारत को केवल लाभ अथवा हानि पहुँचाई है―यह कहना
उचित नहीं होगा। व्यवहार में वैश्वीकरण से लाभ तथा हानि दोनों ही हुए हैं जैसा कि निम्न वर्णन से स्पष्ट हो
जाता है―
(i) लाभ, (ii) हानियों के लिए देखें प्रश्न संख्या 6 में वैश्वीकरण के अच्छे व बुरे प्रभाव।
 
प्रश्न 11. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए―
दो दशक पहले की तुलना में भारतीय खरीददारों के पास वस्तुओं के अधिक विकल्प हैं। यह
……….की प्रक्रिया से नजदीक से जुड़ा हुआ है। अनेक दूसरे देशों में उत्पादित वस्तुओं को
भारत के बाजारों में बेचा जा रहा है। इसका अर्थ है कि अन्य देशों के साथ……..बढ़ रहा
है। इससे भी आगे भारत में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा उत्पादित ब्रांडों की बढ़ती संख्या हम
बाजारों में देखते हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत में निवेश कर रही है क्योंकि………..।
जबकि बाजार में उपभोक्ताओं के लिए अधिक विकल्प हैं। इसलिए बढ़ते…….. और………
के प्रभाव का अर्थ है उत्पादकों के बीच अधिकतम………..।
उत्तर―वैश्वीकरण, व्यापार, यह उनके लिए लाभप्रद है, निवेश, नियंत्रण, प्रतिस्पर्धा।
 
प्रश्न 12. निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए―
(क) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ छोटे उत्पादकों से       (अ) मोटर गाड़ियाँ
सस्ते दरों पर खरीदती हैं।
(ख)आयात पर कर और कोटा का उपयोग,      (ब) कपड़ा, जूते-चप्पल, खेल का सामान
व्यापार नियमन के लिए किया जाता है।
(ग) विदेशों में निवेश करने वाली भारतीय          (स) कॉल सेन्टर
कंपनियाँ।
(घ) आई०टी० ने सेवाओं के उत्पादन के           (द) टाटा मोटर्स, इंफोसिस रैनबैक्सी
प्रसार में सहायता की है।
(ड.) अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने उत्पादन       (य) व्यापार अवरोधक
करने के लिए निवेश किया है।
उत्तर― सही सुमेलन इस प्रकार है―
(क)      ―   (ब)
(ख)      ―   (य)
(ग)       ―   (द)
(घ)       ―   (स)
(ड.)      ―   (अ)
 
प्रश्न 13.सही विकल्प का चयन कीजिए―
(अ) वैश्वीकरण के विगत दो दशकों में द्रुत आवागमन देखा गया है
(क) देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और लोगों का
(ख) देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और निवेशों का
(ग) देशों के बीच वस्तुओं, निवेशों और लोगों का
                  उत्तर― (ख) देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और निवेशों का
 
(आ) विश्व के देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा निवेश का सबसे अधिक सामान्य मार्ग है
(क) नये कारखानों की स्थापना
(ख) स्थानीय कंपनियों को खरीद लेना
(ग) स्थानीय कंपनियों से साझेदारी करना
                                उत्तर―(ख) स्थानीय कंपनियों को खरीद लेना
 
(इ) वैश्वीकरण ने जीवन-स्तर के सुधार में सहायता पहुंँचाई है।
(क) सभी लोगों के
(ख) विकसित देशों के लोगों के
(ग) विकासशील देशों के श्रमिकों के
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
                                   उत्तर― (घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
 
(ख) अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
                                    बहुविकल्पीय प्रश्न
 
प्रश्न 1. वैश्वीकरण को संभव बनाने वाले कारक कौन-से हैं?
(क) प्रौद्योगिकी
(ख) परिवहन
(ग) सूचना व सूचना-प्रौद्योगिकी
(घ) ये सभी
               उत्तर―(घ) ये सभी
 
प्रश्न 2. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा किए गए निवेश को कहते हैं-
(क) उत्पादन
(ख) वितरण
(ग) विदेशी निवेश
(घ) व्यय
           उत्तर―(ग) विदेशी निवेश
 
प्रश्न 3. वर्ष 2018 के अनुसार, विश्व व्यापार संगठन के कितने सदस्य देश हैं?
(क) 161
(ख) 162
(ग) 163
(घ) 164
            उत्तर―(घ) 164
 
प्रश्न 4. निम्नलिखित में से किस क्षेत्र ने भारत में वैश्वीकरण के कारण लाभ नहीं उठाया है?
(क) कृषि क्षेत्र
(ख) परिवहन क्षेत्र
(ग) व्यापारिक क्षेत्र
(घ) औद्योगिक क्षेत्र
                         उत्तर― (क) कृषि क्षेत्र
 
                              अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
 
प्रश्न 1. न्यायसंगत वैश्वीकरण हेतु क्या उपाय किए जा सकते हैं?
उत्तर― वैश्वीकरण की प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ तथा जनता न्यायसंगत भूमिका का निर्वाह कर
रही है। विदेशी व्यापार तथा विदेशी निवेश के परिणामस्वरूप बहुत-से देशों के बाजारों तथा उत्पादनों में
एकीकरण के उपाय किए जा रहे हैं। विश्व व्यापार संगठन (WTO) से न्यायसंगत नियमों का गठन किया है।
 
प्रश्न 2. प्रतिस्पर्धा से भारत के लोगों को किस प्रकार लाभ हुआ है?
उत्तर― विश्वस्तरीय उत्पादकों में प्रतिस्पर्धा होने से उत्पादों के प्रदर्शन में सुधार होगा, क्योंकि अधिक
लाभ प्राप्त करने हेतु गुणवत्ता में सुधार करना आवश्यक है। भारत सरकार का यह विचार प्रतिस्पर्धा से स्तर
में सुधार तथा लाभ में विस्तार प्रशंसनीय है।
 
प्रश्न 3. विश्व व्यापार संगठन (WTO) क्या है? इसकी स्थापना कब हुई?
उत्तर― विश्व व्यापार संगठन अर्थात् WTO एक ऐसा संगठन है जो व्यापार हेतु नियमों का निर्माण
करता है। विकसित देशों के सम्मिलित प्रयासों से वर्ष 1995 में विश्व व्यापार संगठन की स्थापना हुई।
वर्तमान में इसके 164 सदस्य देश हैं।
 
प्रश्न 4: उदारीकरण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर― सरकार द्वारा व्यापारिक प्रतिबंधों तथा अवरोधकों को हटाने की प्रक्रिया उदारीकरण है। व्यापार
के उदारीकरण द्वारा ही विभिन्न व्यवसायों में प्रगति संभव हो सकी है।
 
                                 लघु उत्तरीय प्रश्न
 
प्रश्न 1. वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर―वैश्वीकरण तथा उत्पादकों के वृहद् प्रतिस्पर्धा से शहरी क्षेत्र के धनी वर्ग के उपभोक्ताओं को
विशेष लाभ हुआ। इन उद्योगों से भारत में नए रोजगारों का सृजन हुआ तथा इन उद्योगों को कच्चे माल
इत्यादि की आपूर्ति करने वाली स्थानीय कम्पनियाँ भी लाभान्वित तथा संपन्न हुई हैं।
 
प्रश्न 2. बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ वैश्वीकरण में किस प्रकार सहायक रही हैं?
उत्तर―वैश्वीकरण की प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ प्रमुख भूमिका का निर्वाह कर रही हैं। विश्व के
बहुत-से देशों के मध्य अधिक-से-अधिक वस्तुओं, सेवाओं, निवेश तथा प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान हो
रहा है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश में भी वृद्धि हो रही है।
 
प्रश्न 3. उन परिस्थतियों का वर्णन कीजिए, जिनके अंतर्गत बाजार उचित ढंग से कार्य नहीं करते हैं।
उत्तर―किसी भी देश की आर्थिक प्रगति का आधार उसके बाजार है। किंतु कभी-कभी विदेशी बाजार
तथा स्वदेशी बाजारों में समन्वय न होने के कारण बाजार उचित ढंग से कार्य नहीं करते। इसी कारण अन्य
देशों में उत्पादित वस्तुओं के आयात द्वारा खरीददारों के समक्ष उन वस्तुओं के घरेलू उत्पादन के अन्य
विकल्प विस्तारित होते हैं।
 
प्रश्न 4. कुछ ही वर्षों में हमारे बाजार किस प्रकार पूरी तरह परिवर्तित हो गए हैं? उदाहरण सहित
व्याख्या करें।
उत्तर―गत दो दशकों से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने भारत में अपना निवेश बढ़ाया है, अर्थात् भारत में
निवेश करना उनके लिए लाभान्वित रहा है। इन बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने शहरी क्षेत्रों के प्रमुख उद्योगों में
निवेश कर रुचि प्रदर्शित की है, जिससे बाजारों की स्थिति पूर्णतया परिवर्तित हो गई है। भारत में आज प्रत्येक
देश की निर्मित वस्तुएँ सरल तथा सहज रूप में मिल जाती हैं। चाइनीज टॉयज़, मोबाइल, कारें, मोटर बाइक,
इलेक्ट्रिक उत्पाद, जंक फूड्स, शीतल पेय इत्यादि अनेक वस्तुओं से हमारे बाजार भरे पड़े हैं।
 
प्रश्न 5. वर्ष 1991 में भारत सरकार ने आर्थिक क्षेत्र में क्या परिवर्तन किए?
उत्तर― सन् 1991 के आरम्भ में भारत सरकार ने आर्थिक नीतियों में दूरगामी परिवर्तन किए। सरकार
ने निश्चय किया कि भारतीय उत्पादकों को विश्व के उत्पादकों से प्रतिस्पर्धा करनी होगी। यह महसूस किया
गया कि प्रतिस्पर्धा से देश के उत्पादकों के प्रदर्शन में सुधार होगा क्योंकि वे अपनी गुणवत्ता में सुधार करेंगे।
इसलिए विदेश व्यापार और विदेशी निवेश पर से अवरोधकों को काफी हद तक हटा दिया गया। सरकार
द्वारा अवरोधकों को हटाने की प्रक्रिया को उदारीकरण कहा जाता है। आर्थिक क्षेत्र में उदारीकरण एवं
निजीकरण की नीतियों को अपनाकर भारत की अर्थव्यवस्था को विश्व के अन्य देशों की अर्थव्यवस्था से
जोड़ने की कोशिश की गई।
 
                                    दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
 
प्रश्न 1. व्यापार अवरोधकों से क्या तात्पर्य है? इन्हें हटाने का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर―व्यापार अवरोधक आयात पर कर का एक सामान्य उदाहरण है। इसे अवरोधक इसलिए कहा
जाता है क्योंकि यह कुछ प्रतिबंधों को लागू करता है। व्यापार अवरोधक का प्रयोग विभिन्न देशों की सरकारें
विदेश व्यापार में वृद्धि अथवा हास करने तथा देश में किस प्रकार की वस्तुएँ किस मात्रा में आयातित होनी
चाहिए, वह निर्धारित करने हेतु करती है।
भारत सरकार द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् से ही विदेश व्यापार तथा विदेशी निवेश पर प्रतिबंध लगाया
हुआ था। भारत के उत्पादकों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से संरक्षण प्रदान करने हेतु यह आवश्यक समझा गया
था। 1950-60 के दशकों में उद्योगों का उदय तथा विकास हो रहा था तथा इस स्थिति में आयात से प्रतिस्पर्धा
इन उद्योगों के बढ़ने में अवरोध उत्पन्न कर रही थी। परिणामतः भारत सरकार ने मात्र आवश्यक वस्तुओं;
जैसे― मशीने, उर्वरक तथा पेट्रोलियम जैसे उत्पादों के आयात को ही अनुमति प्रदान की है।
लगभग सभी विकसित देशों द्वारा उद्योगों के विकास के प्रथम चरण में घरेलू उत्पादकों को कई माध्यमों से
संरक्षण प्रदान किया है। भारत सरकार द्वारा वर्ष 1991 में अपनी नीतियों में कुछ परिवर्तन किए गए। सरकार
ने माना कि भारत के उत्पादकों हेतु विश्वस्तरीय उत्पादकों से प्रतिस्पर्धा करने का यही समय है। सरकार द्वारा
विचार किया गया कि इस प्रतिस्पर्धा से भारत में उत्पादों के प्रदर्शन पर सुधार होगा, क्योंकि उन्हें अपनी
गुणवत्ता में सुधार करना आवश्यक होगा। सरकार के इस विचार का बहुत-से अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को
समर्थन प्राप्त हुआ।
अंततः सरकार द्वारा विदेश व्यापार तथा विदेशी निवेश से व्यापारिक अवरोधों को हटा दिया गया, अर्थात
वस्तुओं का आयात-निर्यात आसानी से किया जा सकता था तथा विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ भारत में अपने
उद्योग स्थापित कर सकती है।
 
प्रश्न 2. बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ उत्पादन को नियंत्रित करने में कौन-से तरीकों को अपनाती हैं?
उत्तर―20वीं शताब्दी के मध्य तक उत्पादन मुख्यत: देशों के अंदर ही सीमित था। देशों से बाहर जाने
वाली वस्तुओं में केवल खाद्य पदार्थ, कच्चा माल तथा तैयार उत्पाद ही थे। भारत जैसे उपनिवेशी देशों से
कच्चा माल तथा खाद्य पदार्थों का निर्यात होता तथा तैयार उत्पादों का आयात होता था। यह शीर्षस्थ कंपनियों
जिन्हें बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ (MNGs) कहा जाता है के द्वारा होता था। बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ उन कम्पनियों
को कहा जाता है जो एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण तथा स्वामित्व रखती हैं। बहुराष्ट्रीय
कम्पनियाँ कभी-कभी कुछ देशों की स्थानीय कम्पनियों के साथ संयुक्त रूप से उत्पादन करती हैं। संयुक्त
उत्पादन द्वारा किसी देश की स्थानीय कम्पनी को दो प्रकार का लाभ होता है―
1. बहुराष्ट्रीय कम्पनी अतिरिक्त निवेश हेतु धन प्रदान कर सकती है; जैसे―तीव्र उत्पादन हेतु मशीनों
की खरीद के लिए।
2. बहुराष्ट्रीय कम्पनी उत्पादन हेतु नवीनतम व आधुनिक प्रौद्योगिकी अपने साथ लेकर आ सकती है।
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा एक पृथक् विधि से उत्पादन नियंत्रित किया जाता है। विकसित देशों की शीर्षस्थ
बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ छोटे उत्पादकों को उत्पादन का ऑर्डर प्रदान करती हैं। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में
उत्पादकों के मूल्य, आपूर्ति, गुणवत्ता तथा श्रम-शर्तों का निर्धारण करने की बहुत क्षमता होती है। बहुराष्ट्रीय
कम्पनियाँ स्थानीय कम्पनियों के साथ साझेदारी करके अपने उत्पादों की आपूर्ति सुनिश्चित करने तथा
स्थानीय कम्पनियों से प्रतिस्पर्धा करके अथवा उन कम्पनियों को खरीदकर दूर-दूर तक उत्पादन पर अपना
प्रभुत्व स्थापित कर रही हैं जिसके परिणामस्वरूप दूरस्थ स्थानों पर विस्तृत उत्पादन परस्पर संबंधित हो
रहा है।

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