UP Board Class 10 Political Science | सत्ता की साझेदारी

By | April 24, 2021

UP Board Class 10 Political Science | सत्ता की साझेदारी

UP Board Solutions for Class 10 sst Political Science Chapter 1 सत्ता की साझेदारी

इकाई-3 : लोकतांत्रिक राजनीति-2         राजनीति विज्ञान
 
अध्याय 1                          सत्ता की साझेदारी
 
                            अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर
(क) एन०सी०ई० आर०टी० पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1. आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग-अलग तरीके क्या हैं?
इनमें से प्रत्येक का एक उदाहरण भी दें।
उत्तर― आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अनेक रूप हो सकते हैं, जो
निम्नलिखित हैं―
1. शासन के विभिन्न अंगों के बीच बँटवारा―शासन के विभिन्न अंग; जैसे―विधायिका,
कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा रहता है। इसमें सरकार के विभिन्न अंग
एक ही स्तर पर रहकर अपनी-अपनी शक्ति का उपयोग करते हैं। इसमें कोई भी एक अंग सत्ता का
असीमित प्रयोग नहीं करता, हर अंग दूसरे पर अंकुश रखता है। इससे विभिन्न संस्थाओं के बीच
सत्ता का संतुलन बना रहता है। इसके सबसे अच्छे उदाहरण अमेरिका व भारत हैं। यहाँ विधायिका
कानून बनाती है, कार्यपालिका कानून को लागू करती है तथा न्यायपालिका न्याय करती है। भारत में
कार्यपालिका संसद के प्रति उत्तरदायी है, न्यायपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका करती है,
न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के कानूनों की जाँच करके उन पर नियंत्रण रखती है।
 
2. सरकार के विभिन्न स्तरों में बँटवारा―पूरे देश के लिए एक सरकार होती है जिसे केंद्र सरकार
या संघ सरकार कहते हैं। फिर प्रांत या क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग सरकारें बनती हैं, जिन्हें
अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। भारत में इन्हें राज्य सरकार कहते हैं। इस सत्ता के बँटवारे
वाले देशों में संविधान में इस बात का स्पष्ट उल्लेख होता है कि केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच
सत्ता का बँटवारा किस तरह होगा। सत्ता के ऐसे बँटवारे को ऊर्ध्वाधर वितरण कहा जाता है। भारत
में केन्द्र और राज्य स्तर के अतिरिक्त स्थानीय सरकारें भी काम करती हैं। इनके बीच सत्ता के
बँटवारे के विषय में संविधान में स्पष्ट रूप से लिखा गया है जिससे विभिन्न सरकारों के बीच
शक्तियों को लेकर कोई तनाव न हो। 
 
3. विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा―कुछ देशों के संविधान में इस बात का
प्रावधान है कि सामाजिक रूप से कमजोर समुदाय और महिलाओं को विधायिका और प्रशासन में
हिस्सेदारी दी जाए ताकि लोग स्वयं को शासन से अलग न समझने लगे। अल्पसंख्यक समुदायों को
भी इसी तरीके से सत्ता में उचित हिस्सेदारी दी जाती है। बेल्जियम में सामुदायिक सरकार इस
व्यवस्था का अच्छा उदाहरण है।
 
4. राजनीतिक दलों व दबाव समूहों द्वारा सत्ता का बँटवारा–लोकतांत्रिक व्यवस्था में सत्ता
बारी-बारी से अलग-अलग विचारधारा और सामाजिक समूहों वाली पार्टियों के हाथ आती-जाती
रहती है। लोकतंत्र में हम व्यापारी, उद्योगपति, किसान और औद्योगिक मजदूर जैसे कई संगठित
हित समूहों को भी सक्रिय देखते हैं। सरकार की विभिन्न समितियों में सीधी भागीदारी करने की
नीतियों पर अपने सदस्य वर्ग के लाभ के लिए दबाव बनाकर ये समूह भी सत्ता में भागीदारी करते
हैं। अमेरिका इसका अच्छा उदाहरण है। वहाँ दो राजनीतिक दल प्रमुख हैं जो चुनाव लड़कर सला
प्राप्त करना चाहते हैं तथा दबाव समूह चुनावों के समय व चुनाव जीतने के बाद राजनीतिक दलों
की आर्थिक मदद करके सार्वजनिक नीतियों को प्रभावित करके सत्ता में भागीदारी निभाते हैं।
 
प्रश्न 2. भारतीय संदर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण देते हुए इसका एक युक्तिपरक और
एक नैतिक कारण बताएँ।
उत्तर― भारत में सत्ता का बँटवारा सरकार के विभिन्न स्तरों के बीच हुआ है; जैसे-केन्द्र सरकार,
राज्य सरकार और स्थानीय सरकार।
1. युक्तिपरक कारण―भारत एक घनी आबादी वाला देश है। पूरे देश के लिए एक ही सरकार के
द्वारा कानून बनाना, शांति तथा व्यवस्था बनाना संभव नहीं है। इसलिए सरकार को विभिन्न स्तरों में
बाँट दिया गया है और उनके बीच कार्यों का बँटवारा संविधान में लिखित रूप से कर दिया गया है,
जिससे ये सरकारें बिना झगड़े देश के लोगों के हितों को ध्यान में रखकर शासन कर सकें।
 
2. नैतिक कारण―लोकतंत्रीय देश में सत्ता का बँटवारा जरूरी है। यदि एक ही प्रकार की सरकार
होगी तो वह निरंकुश हो जाएगी, ज्यादा-से-ज्यादा लोगों की भागीदारी शासन में नहीं हो पाएगी जो
कि लोकतंत्र के लिए जरूरी है। इसलिए भारत में विभिन्न स्तरों पर सरकारों का वर्गीकरण कर
दिया गया है।
 
प्रश्न 3. इस अध्याय को पढ़ने के बाद तीन छात्रों ने अलग-अलग निष्कर्ष निकाले। आप इनमें से
किससे सहमत हैं और क्यों? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में दें।
थम्मन―जिन समाजों में क्षेत्रीय, भाषायी और जातीय आधार पर विभाजन हो सिर्फ वहीं सत्ता की
साझेदारी जरूरी है।
मथाई―सत्ता की साझेदारी सिर्फ ऐसे बड़े देशों के लिए उपयुक्त है जहाँ क्षेत्रीय विभाजन मौजूद होते हैं।
औसेफ― हम समाज में सत्ता की साझेदारी की जरूरत होती है भले ही वह छोटा हो या उसमें सामाजिक
विभाजन न हो।
उत्तर― हम औसेफ के निष्कर्ष से सहमत हैं कि हरेक समाज में सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता
होती है। चाहे वह छोटा हो या उसमें सामाजिक विभाजन न हो। क्योकि सत्ता का बँटवारा लोकतांत्रिक
व्यवस्थाओं के लिए सही है। सत्ता की साझेदारी वास्तव में लोकतंत्र की आत्मा है। लोकतंत्र का अर्थ ही होता
है कि जो लोग इस शासन व्यवस्था के अंतर्गत हैं उनके मध्य सत्ता को बाँटा जाए और ये लोग इसी ढरें में रहें।
वैध सरकार वही है जिसमें अपनी भागीदारी के माध्यम से सभी समूह शासन व्यवस्था से जुड़ते हैं।
 
प्रश्न 4. बेल्जियम में ब्रुसेल्स के निकट स्थित शहर मर्चटेम के मेयर ने अपने यहाँ के स्कूलों में फ्रेंच
बोलने पर लगी रोक को सही बताया है। उन्होंने कहा कि इससे डच भाषा न बोलने वाले
लोगों को इस फ्लेमिश शहर के लोगों से जुड़ने में मदद मिलेगी। क्या आपको लगता है कि
यह फैसला बेल्जियम की सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था की मूल भावना से मेल खाता है?
अपना जवाब करीब 50 शब्दों में लिखें।
उत्तर― स्कूलों में फ्रेंच बोलने पर लगी रोक को सही बताना बेल्जियम की सत्ता की साझेदारी की
व्यवस्था की मूल भावना के खिलाफ है। बेल्जियम में जो व्यवस्था अपनाई गई उसमें सभी भाषाओं के लोगों
को समान अधिकार दिए गए थे। इसलिए स्कूलों में फ्रेंच बोलने पर रोक लगाना सही नहीं है क्योंकि ऐसा
करने से फ्रेंच भाषी लोगों की भावनाओं का हनन होता है।
 
प्रश्न 5. नीचे दिए गए उद्धरण को गौर से पढ़ें और इसमें सत्ता की साझेदारी के जो युक्तिपरक कारण
बताए गए हैं उनमें से किसी एक का चुनाव करें―
“महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने और अपने संविधान निर्माताओं की उम्मीदों को पूरा करने के
लिए हमें पंचायतों को अधिकार देने की जरूरत है। पंचायती राज ही वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना करता
है। यह सत्ता उन लोगों के हाथों में सौंपता है जिनके हाथों में इसे होना चाहिए। भ्रष्टाचार कम करने और
प्रशासनिक कुशलता को बढ़ाने का एक उपाय पंचायतों को अधिकार देना भी है। जब विकास की
योजनाओं को बनाने और लागू करने में लोगों की भागीदारी होगी तो इन योजनाओं पर उनका नियंत्रण
बढ़ेगा। इससे भ्रष्ट बिचौलियों को खत्म किया जा सकेगा। इस प्रकार पंचायती राज लोकतंत्र की नींव को
मजबूत करेगा।”
उत्तर―दिए गए उद्धरण में बताया गया है कि पंचायतों के स्तर पर सत्ता का बँटवारा आवश्यक है
क्योंकि इससे भ्रष्टाचार कम होगा तथा प्रशासनिक कुशलता बढ़ेगी। पंचायतों के अधीन जब आम लोग अपने
लिए विकास की योजनाएँ बनाएँगे और उन्हें लागू करेंगे तो भ्रष्ट बिचौलियों को खत्म किया जा सकता है।
जब स्थानीय लोग स्वयं योजनाएँ बनाएँगे तो उनकी समस्याओं का समाधान जल्दी होगा, क्योंकि किसी
स्थान विशेष की समस्याएँ वहाँ के लोग अच्छी तरह समझते हैं। इस प्रकार विकास करने के लिए आवश्यक
है कि पंचायतों को अधिकार दिए जाएँ जिससे लोकतंत्र की नींव सुदृढ़ हो।
 
प्रश्न 6. सत्ता के बँटवारे के पक्ष और विपक्ष में कई तरह के तर्क दिए जाते हैं। इनमें से जो तर्क सत्ता
के बँटवारे के पक्ष में हैं उनकी पहचान करें और नीचे दिए गए कोड से अपने उत्तर का चुनाव
करें―
सत्ता की साझेदारी―
(क) विभिन्न समुदायों के बीच टकराव को कम करती है।
(ख) पक्षपात का अंदेशा कम करती है।
(ग) निर्णय लेने की प्रक्रिया को अटका देती है।
(घ) विविधताओं को अपने में समेट लेती है।
(ङ) अस्थिरता और आपसी फूट को बढ़ाती है।
(च) सत्ता में लोगों की भागीदारी बढ़ाती है।
(छ) देश की एकता को कमजोर करती है।
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उत्तर― (सा) क,ख, घ, च।
 
प्रश्न 7. बेल्जियम और श्रीलंका की सत्ता में साझेदारी की व्यवस्था के बारे में निम्नलिखित बयानों
पर विचार करें―
(क) बेल्जियम में डच-भाषी बहुसंख्यकों ने फ्रेंच-भाषी अल्पसंख्यकों पर अपना प्रभुत्व जमाने का
प्रयास किया।
(ख) सरकार की नीतियों ने सिंहली-भाषी बहुसंख्यकों का प्रभुत्व बनाए रखने का प्रयास किया।
(ग) अपनी संस्कृति और भाषा को बचाने तथा शिक्षा तथा रोजगार में समानता के अवसर के लिए
श्रीलंका के तमिलों ने सत्ता को संघीय ढाँचे पर बाँटने की मांग की।
(घ) बेल्जियम में एकात्मक सरकार की जगह संघीय शासन व्यवस्था लाकर मुल्क को भाषा के
आधार पर टूटने से बचा लिया गया।
ऊपर दिए गए बयानों में से कौन-से सही है?
(सा) क, ख, ग और घ (रे) क, ख और घ (गा) ग और घ (मा) ख, ग और घ
उत्तर―(मा) ख, ग और घ।
 
प्रश्न 8. सूची I[सत्ता के बँटवारे के स्वरूप)और सूची II [शासन के स्वरूप] में मेल कराएँ और नीचे
दिए गए कोड का उपयोग करते हुए सही जवाब दें―
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                                    उत्तर― (गा) 1.ख, 2. घ, 3. क, 4. ग।
 
प्रश्न 9. सत्ता की साझेदारी के बारे में निम्नलिखित दो बयानों पर गौर करें और नीचे दिए गए कोड के
आधार पर जवाब दें―
(अ) सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र के लिए लाभकर है।
(ब) इससे सामाजिक समूहों में टकराव का अंदेशा घटता है।
इन बयानों में से कौन सही हैं और कौन गलत?
(क) (अ) सही है लेकिन (ब) गलत है।
(ख) (अ) और (ब) दोनों सही हैं।
(ग) (अ) और (ब) दोनों गलत हैं।
(घ) (अ) गलत है लेकिन (ब) सही है।
                                  उत्तर― (ख) (अ और ब) दोनों सही हैं।
 
(ख) अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
                                 बहुविकल्पीय प्रश्न
 
प्रश्न 1. बेल्जियम की राजधानी क्या है?
(क) ब्रूसेल्स 
(ख) ब्राजील
(ग) बैंकॉक
(घ) न्यूयॉर्क
                उत्तर― (क) ब्रूसेल्स
 
प्रश्न 2. अल्पसंख्यक फ्रेंच-भाषी लोग तुलनात्मक दृष्टि से अधिक…….थे।
(क) कमजोर और अनपढ़
(ख) निर्धन और दु:खी
(ग) समृद्ध और शक्तिशाली
(घ) इनमें से कोई नहीं
                            उत्तर―(ग) समृद्ध और शक्तिशाली
 
प्रश्न 3. श्रीलंका एक… देश है।
(क) प्रायद्वीपीय 
(ख) द्वीपीय
(ग) सीमान्त
(घ) प्रांतीय
               उत्तर―(ख) द्वीपीय
 
प्रश्न 4. सिंहली-भाषी किस धर्म के अनुयायी थे?
(क) जैन धर्म
(ख) इस्लाम धर्म 
(ग) बौद्ध धर्म 
(घ) यहूदी धर्म
                   उत्तर―(ग) बौद्ध धर्म
 
प्रश्न 5. श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र कब घोषित हुआ?
(क) 1947 में 
(ख) 1950 में
(ग) 1948 में 
(घ) 1945 में
                  उत्तर―(ग) 1948 में
 
प्रश्न 6. श्रीलंका ने 1956 में किस भाषा को कानून बनाकर एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया?
(क) सिंहली
(ख) तमिल 
(ग) बंगाली
(घ) पंजाबी
               उत्तर― (क) सिंहली
 
प्रश्न 7. 1980 के दशक में श्रीलंका में बनाने की माँग रखी।
(क) स्वतंत्र तमिल ईलम
(ख) स्वतंत्र सिंहल प्रदेश
(ग) स्वतंत्र श्रीलंका
(घ) स्वतंत्र सिंहस्थ
                         उत्तर― (क) स्वतंत्र तमिल ईलम
 
प्रश्न 8. 1970 और 1993 के मध्य बेल्जियम ने कितने संशोधन किए?
(क) आठ 
(ख) चार 
(ग) सात 
(घ) तीन
           उत्तर― (ख) चार
 
प्रश्न 9. देश की अखण्डता तथा एकता के लिए क्या आवश्यक है?
(क) सत्ता की साझेदारी
(ख) सत्ता का विभाजन
(ग) राजतंत्र
(घ) इनमें से कोई नहीं
                             उत्तर― (क) सत्ता की साझेदारी
 
प्रश्न 10.बेल्जियम में किस प्रकार की सरकार है?
(क) सामूहिक सरकार
(ख) सामुदायिक सरकार
(ग) राजतंत्र
(घ) एकपक्षीय सरकार
                               उत्तर― (ख) सामुदायिक सरकार
 
                      अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
 
प्रश्न 1. बेल्जियम का क्षेत्रफल क्या है?
उत्तर― बेल्जियम का क्षेत्रफल 30277 वर्ग किलोमीटर है।
 
प्रश्न 2. बेल्जियम के सीमावर्ती देश कौन-कौन से हैं?
उत्तर― बेल्जियम के सीमावर्ती देश हैं―फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी तथा लक्जमबर्ग।
 
प्रश्न 3. बेल्जियम की राजधानी का नाम बताइए।
उत्तर― बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स है।
 
प्रश्न 4. श्रीलंका किस प्रकार का देश है?
उत्तर―श्रीलंका एक द्वीपीय देश है।
 
प्रश्न 5. श्रीलंका में सिंहलियों की जनसंख्या का अनुपात क्या है?
उत्तर― श्रीलंका में सिंहलियों की सहभागिता कुल जनसंख्या का 74 प्रतिशत है।
 
प्रश्न 6. श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र कब बना?
उत्तर―सन् 1948 में श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र बना।
 
प्रश्न 7. श्रीलंका में गृहयुद्ध की स्थिति क्यों बन गई?
उत्तर― श्रीलंका में दो समुदायों के मध्य संघर्ष का विकट रूप गृहयुद्ध में परिणत हो गया।
 
प्रश्न 8. यूरोपीय संघ का मुख्यालय किसको चुना गया?
उत्तर― बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स को यूरोपीय संघ का मुख्यालय चयनित किया गया।
 
प्रश्न 9. सम्पूर्ण देश का संचालन करने वाली सरकार को क्या कहा जाता है?
उत्तर― संपूर्ण देश का संचालन करने वाली सरकार को केंद्रीय सरकार कहते हैं।
 
प्रश्न 10.न्यायपालिका की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर― न्यायपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका करती है।
 
प्रश्न 11.जनतंत्र क्या है?
उत्तर― जनता के द्वारा चयनित प्रतिनिधि द्वारा प्रशासन ‘जनतंत्र’ कहलाता है।
 
प्रश्न 12.लोकतंत्र का बुनियादी आधार क्या है?
उत्तर― लोकतंत्र का मूलभूत सिद्धान्त जनमानस की समूची राजनीतिक शक्तियों का स्रोत है।
 
प्रश्न 13.श्रीलंका की राजधानी का नाम लिखिए।
उत्तर― ‘कोलंबो’ श्रीलंका की राजधानी है।
 
प्रश्न 14.बेल्जियम का मॉडल किस प्रकार का है?
उत्तर― बेल्जियम में उदारता तथा समानतावादी सामुदायिक मॉडल है।
 
प्रश्न 15. गृहयुद्ध क्या है?
उत्तर― किसी देश में सरकार-विरोधी समूहों का संघर्ष जो उग्र रूप में हो ‘गृहयुद्ध’ कहलाता है।
 
                                 लघु उत्तरीय प्रश्न
 
प्रश्न 1. बेल्जियम तथा श्रीलंका की क्या समस्या थी?
उत्तर― बेल्जियम तथा श्रीलंका दोनों ही अधिक बड़े देश नहीं हैं। दोनों ही देशों में जातीय संघर्ष तथा
भाषायी समस्याएँ प्रस्तुत थीं किंतु दोनों देशों ने इस वर्ग-संघर्ष का समाधान खोजा तथा अपनी उदारता का
परिचय दिया।
 
प्रश्न 2. बेल्जियम एवं श्रीलंका की परिस्थितियाँ किस प्रकार की थीं?
उत्तर― बेल्जियम जैसे छोटे-से देश में समाज का जातीय ताना-बाना बहुत जटिल तथा सघन है।
बेल्जियम की जनसंख्या का 59 प्रतिशत भाग उच्च भाषा का प्रयोग करता है। 40 प्रतिशत लोग फ्रेंच भाषा
बोलते-सुनते तथा पढ़ते-लिखते हैं। 1 प्रतिशत जर्मन भाषी हैं। श्रीलंका में सिंहलियों की जनसंख्या 74
प्रतिशत है। 18 प्रतिशत तमिल भाषी हैं। शेष जनसंख्या सिंहली तथा तमिल दोनों भली-भाँति जानते हैं तथा
ईसाई मतावलम्बी हैं।
 
प्रश्न 3. दोनों देशों की घटनाओं से आपको क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर―बेल्जियम तथा श्रीलंका दोनों ही देश लोकतांत्रिक हैं। फिर भी सत्ता-विभाजन के वर्ग-संघर्ष का
दोनों ने भिन्न-भिन्न प्रकार से समाधान खोजने का प्रयास किया। दोनों घटनाओं के आलोक में अनुभव हुआ
कि विभिन्न समुदाय एवं भिन्न क्षेत्रीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करके ही देश में एकता, अखण्डता
एवं समृद्धि के लिए दोनों पक्ष सत्ता में सहभागिता हेतु सहमत हो गए। निसंदेह यह प्रेरक घटना है।
 
प्रश्न 4. युक्तिपरक तर्क क्या है?
उत्तर―सावधानीपूर्वक नीति विषयक किए गए तर्क को हम युक्तिपरक तर्क कह सकते हैं। युक्तिपरक
तर्क लाभकर परिणामों पर जोर देता है।
 
प्रश्न 5. शासन के विभिन्न अंग क्या हैं?
उत्तर―लोकतांत्रिक सत्ता के अनुसार, शासन के विभिन्न अंगों के मध्य सत्ता विभाजन होता है।
विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका इत्यादि शासन के विभिन्न अंग हैं।
 
प्रश्न 6. सामुदायिक सरकार क्या है?
उत्तर―केन्द्रीय तथा प्रांतीय सरकारों के अतिरिक्त तृतीय स्तर की अन्य क्रियाशील सरकार सामुदायिक
सरकार कहलाती है। इसकी तृतीय चयनित सरकार को सांस्कृतिक, शिक्षा तथा कला संगीत भाषा इत्यादि पर
निर्णय लेने का अधिकार है।
 
                               दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
 
प्रश्न 1. सत्ता की साझेदारी से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर―लोकतांत्रिक व्यवस्था में समूची शक्ति, सम्पूर्ण अधिकार किसी एक अंग तक सीमित नहीं
होता। सत्ता का विभाजन संभव नहीं―इसी धारणा के विरुद्ध सत्ता में भागीदारी का विचार उदय हुआ।
पूर्वकाल में यह मान्यता थी कि प्रशासन की सभी शक्तियाँ एक व्यक्ति अथवा किसी विशेष व्यक्ति समूह के
पास ही होनी चाहिए। क्योकि यदि निर्णय लेने की शक्ति बिखर गई तो…न तो स्वतंत्र निर्णय संभव हो सकेंगे,
न ही वह क्रियान्वित हो पाएँगे। किंतु जनतंत्र का मूलभूत सिद्धांत है कि सामान्य जनमानस ही समूची
राजनीतिक शक्तियों का स्रोत है। इसके अंतर्गत लोग स्वशासन की संस्थाओं के माध्यम से अपना शासन
चलाते हैं। यदि वास्तव में ही एक उच्चस्तरीय उत्तम जनतंत्र का संचालन करना हो तो समाज में स्थित
विभिन्न समूहों का तथा उनकी धारणाओं का सम्मान किया जाना आवश्यक है। सत्ता को अपनी नीतियाँ
निर्धारित करने से पूर्व “सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ की भावना समाहित करनी आवश्यक है। इसीलिए
लोकतांत्रिक शासन में उसी शासन को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है जिसमें अधिक-से-अधिक लोगों की
साझेदारी, प्रतिभागिता हो। आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्था में सत्ता की साझेदारी अत्यंत आवश्यक है। इससे
प्रत्येक समूह स्वयं को प्रशासन का अंग समझता है तथा सफलता हेतु प्रयासरत् रहता है।
 
प्रश्न 2. बेल्जियम ने किस प्रकार अपने देश की समस्या का समाधान किया?
उत्तर― बेल्जियम यूरोप का एक छोटा-सा देश है जिसका क्षेत्रफल 30277 वर्ग किमी है। बेल्जियम
की कुल जनसंख्या का 59 प्रतिशत भाग फ्लेमिश क्षेत्र में निवास करता है। यहाँ के निवासी ‘डच’ भाषी हैं।
40 प्रतिशत लोग बेलोनिया क्षेत्र के निवासी हैं तथा फ्रेंच भाषा बोलते-समझते हैं। शेष 1 प्रतिशत लोग जर्मन
भाषी हैं। फ्रेंच भाषी लोग जो अल्पसंख्यक कहे जाते थे, बहुसंख्यक डच-भाषी लोगों से अधिक समृद्ध,
सम्पन्न एवं शक्तिशाली थे। फलस्वरूप डच-भाषी लोग फ्रेंच भाषियों से ईर्ष्या का भाव रखने लगे। यही ईर्ष्या
धीरे-धीरे तनाव का रूप लेने लगी। डच-भाषी लोग संख्या के अनुरूप तो बहुत थे किंतु समृद्धि तथा
सम्पन्नता के क्षेत्र में वह अत्यंत अशक्त तथा असक्षम थे।
बेल्जियम प्रशासन ने अल्पसंख्यक वर्ग के क्षेत्रीय अंतराल एवं उनकी सांस्कृतिक विविधता को स्वीकार कर
लिया तथा संविधान में चार संशोधन किए। अन्य देशवासियों के लिए यह व्यवस्था सर्वथा कल्पनातीत थी।
बेल्जियम मॉडल निम्नवत् है―
● केन्द्र सरकार में दोनों भाषायी समूह के प्रतिनिधि इस प्रकार के कानून पारित करें जो दोनों पक्षों के लिए
हितकर हों। प्रशासन में दोनों समूहों के समान प्रतिनिधि सहभागिता करेंगे।
● बेल्जियम सरकार में अपनी अनेक शक्तियाँ दोनों क्षेत्रों की चयनित सरकारों को प्रदान की गई हैं। इन्हें
किसी भी निर्णय के लिए केंद्र सरकार की अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है।
● बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स में अलग सरकार है तथा इसमें फ्रेंच-भाषी एवं डच-भाषी दोनों ही
समुदाय समान रूप से प्रतिनिधित्व करते हैं। फ्रेंच-भाषी जो कि बहुसंख्यक समुदाय के अंतर्गत आते हैं
किंतु फिर उदारवादी और समानतावादी दृष्टिकोण को अपनाते हुए उन्होंने डच-भाषी लोगों को सत्ता में
समानता का अधिकार प्रदान किया।
केन्द्रीय तथा प्रान्तीय सरकारों के अतिरिक्त बेल्जियम में एक तृतीय स्तर की एक अन्य सरकार की
कार्यशील है जिसे सामुदायिक सरकार कहते हैं। इस प्रकार की सरकार का चुनाव समान-भाषी लोग
करते हैं। इस प्रकार की चयनित सरकार को संस्कृति, शिक्षा कला, संगीत तथा भाषा इत्यादि पर स्वतंत्र
निर्णय लेने का अधिकार है।
बेल्जियम का मॉडल वास्तव में एक जटिल व्यवस्था है। स्वयं बेल्जियम निवासी भी इस जटिलता को
स्वीकृत करते हैं। इस प्रकार बेल्जियम की नेतृत्व सत्ता को अनुभव हुआ कि विभिन्न समुदाय एवं विभिन्न
क्षेत्रीय लोगों की भावना का सम्मान करके ही देश में एकता, अखण्डता तथा समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।
 
प्रश्न 3. श्रीलंका के दो समुदायों के मध्य टकराव का कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर―भारत के तमिलनाडु के दक्षिणी तट से कुछ ही दूरी पर स्थित श्रीलंका एक द्वीपीय देश है,
जिसका क्षेत्रफल लगभग 65610 वर्ग किमी है। अन्य एशियाई देशों के समान श्रीलंका भी अनेक जातियों
तथा समूहों में विभाजित है जिसमें सर्वप्रमुख सिंहलियों का साम्राज्य है। सिंहलियों की सहभागिता कुछ
जनसंख्या का 74 प्रतिशत है।
द्वितीय स्थल पर तमिल 18 प्रतिशत भागीदारी करते हैं। शेष 8 प्रतिशत लोग दोनों भाषाएँ जानते-समझते हैं ये
ईसाई मतावलंबी हैं। सन् 1948 में श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र घोषित हुआ तो सिंहली समुदाय के नेताओं ने
बहुसंख्यक जनाधार के आधार पर शासन पर प्रभुत्व स्थापित कर दिया। 1956 में नवनिर्मित कानून के
अंतर्गत तमिलभाषियों के हितों की उपेक्षा करते हुए सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया।
विश्वविद्यालयों में प्रशासनिक सेवाओं में तथा कार्य के प्रत्येक क्षेत्र में सिंहलियों को ही प्राथमिकता दी जाने
लगी। इस प्रकार निरंतर उपेक्षाओं के चलते श्रीलंकाई तमिलों में असंतोष पनपने लगा। सरकार की
पक्षपातपूर्ण नीतियाँ उन्हें मुख्यधारा से विलग कर रही थीं। अन्तत: श्रीलंका निवासी तमिल लोगों ने अपने
स्वयं के राजनीतिक दल बनाए। 1980 के दशक तक उत्तर-पूर्वी लंका में स्वतंत्र तमिल ईलम (सरकार)
बनाने की मांँग को लेकर अनेक राजनीतिक संगठनों का प्रादुर्भाव हुआ। इस प्रकार जब संघर्षों का दौर चला
इस मतभेद का विकट रूप गृहयुद्ध के रूप में परिणत हो गया। जिसके परिणामस्वरूप अनेक लोग घृणा की
बलिवेदी पर आहूत
हो गए।
एशियाई क्षेत्रों में आर्थिक विकास, शिक्षा एवं स्वास्थ्य के रूप में श्रीलंका की उपलब्धियाँ निश्चय ही
सराहनीय हैं। किंतु दुर्भाग्यवश वहाँ के गृहयुद्ध के कारण श्रीलंका के सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं
आर्थिक जीवन में अनेक विषमताएँ उत्पन्न हो गईं, जिनका समाधान अभी तक अपर्याप्त है।
 
प्रश्न 4. सत्ता की साझेदारी क्यों आवश्यक है?
उत्तर―सत्ता―विभाजन के पक्ष एवं विपक्ष पर अपनी सहमति अथवा असहमति व्यक्त की जा सकती
है। सत्ता-विभाजन समसामाजिक स्थिति के लिए उचित है। इस प्रकार सामाजिक समूह में टकराव की
आशंका कम हो जाती है। इस प्रकार के मतभेद कालांतर में हिंसक आंदोलनों का रूप ले लेते हैं, जिससे
राजनीतिक अस्थिरता की स्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। अतः सत्ता की भागीदारी राजनीतिक स्थायित्व तथा
व्यवस्थाओं के लिए उचित ही है। बहुसंख्यक समुदाय की अपेक्षाओं तथा आकांक्षाओं को अन्य
अल्पसंख्यक समुदाय पर थोपना तत्कालीन समय पर शायद स्वयं को तुष्ट करे, किंतु कालांतर में इसके
परिणाम देश तथा समाज के लिए हितकर नहीं होते। बहुसंख्यक वर्ग का आतंक अल्पसंख्यकों की परेशानी
का कारण ही नहीं बनता अपतुि स्वयं उनकी भी विपत्ति का कारण बनता है।
सत्ता-विभाजन अथवा सत्ता की साझेदारी लोकतांत्रिक विभाजन के लिए उचित है। इस पक्ष में अनेक
तर्क-संगत महत्त्वपूर्ण विचार हैं। वास्तव में सत्ता की भागीदारी लोकतंत्र की आत्मा है। क्योंकि लोकतंत्र का
वास्तविक अर्थ ही शासन-व्यवस्था की कार्यशैली में सबकी प्रतिभागिता है। सत्ता का विभाजन, सत्ता का
संचालन, सत्ता की व्यवस्था सभी में प्रत्येक समूह की भागीदारी निश्चित होनी चाहिए, जिससे प्रत्येक व्यक्ति
अपना जुड़ाव सत्ता के साथ अनुभव कर सके। इस प्रकार के नैतिक तर्क विशेषत: लाभप्रद परिणामों पर जोर
देते हैं, जबकि अन्य नैतिक तर्क सत्ता की साझेदारी के अंतर्भूत महत्त्व को स्पष्ट करते हैं।
 
प्रश्न 5. राजनीतिक दृष्टि से सत्ता की साझेदारी का क्या स्वरूप है?
उत्तर―सत्ता का विभाजन संभव नहीं……..इसी धारणा के विरुद्ध सत्ता में भागीदारी के विचार ने जन्म
लिया। लोकतांत्रिक सत्ता के अनुसार शासन के विभिन अंगों के मध्य सत्ता-विभाजन होता है। विधायिका,
कार्यपालिका एवं न्यायपालिका मिलकर अपने-अपने दायित्वों का निर्वाह करते हैं। इस प्रक्रिया को हम सत्ता
का क्षैतिज वितरण कह सकते हैं। इस प्रकार के वितरण से यह सुनिश्चित हो जाता है कि कोई एक अंग सत्ता
का स्वेच्छानुसार असीमित प्रयोग नहीं कर सकता। प्रत्येक अंग का एक-दूसरे पर अंकुश रहता है। इस प्रकार
की व्यवस्था को नियंत्रित एवं संतुलित व्यवस्था भी कह सकते हैं।
शासन के मध्य भी अनेक प्रकार से विभिन्न स्तरों पर सत्ता विभाजन हो सकता है। संपूर्ण देश के लिए एक
सरकार एवं प्रांत अथवा क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग सरकारें हों। नगरपालिका तथा ग्राम पंचायतें भी इसका
ही स्वरूप हैं। उच्चतर एवं निम्नतर स्तर की सरकारों के मध्य सत्ता के इस प्रकार के बँटवारे को ऊर्ध्वाधर
वितरण कहा जाता है। इस प्रकार की साझेदारी विकास के लिए आवश्यक है।
सत्ता की साझेदारी के विश्व के कुछ देशों के संविधान में इस प्रकार का प्रावधान है कि सामाजिक रूप से
कमजोर, पिछड़े अल्पसंख्यक वर्ग तथा महिलाओं को विधायिका तथा प्रशासन का भागीदार बनाया जाए,
इतना ही नहीं सत्ता में उनकी भागीदारी निश्चित भी होनी चाहिए।
लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत सत्ता के दावेदार अथवा अपेक्षित लोगों के मध्य चुनाव का विकल्प अवश्य
रखना चाहिए। लोकतांत्रिक व्यवस्था में व्यापारी वर्ग, किसान, औद्योगिक मजदूर, उद्योगपति, छोटे-छोटे
व्यापारी इत्यादि अनेक संगठित समूहों के सक्रिय जनहितार्थ कार्य करने हेतु प्रतिबद्ध रहते हैं। इस प्रकार सत्ता
की साझेदारी के अनेक रूप हैं।

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