UP Board Class 10 Political Science | संघवाद

By | April 25, 2021

UP Board Class 10 Political Science | संघवाद

संघवादUP Board Solutions for Class 10 sst Political Science Chapter 2 संघवाद

अध्याय 2.                             संघवाद
 
                         अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर
 
(क) एन०सी०ई० आर०टी० पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1. भारत के खाली राजनीतिक नक्शे पर इन राज्यों की उपस्थिति दर्शाएँः मणिपुर, सिक्किम,
छत्तीसगढ़ और गोवा।
उत्तर―
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प्रश्न 2. विश्व के खाली राजनीतिक मानचित्र पर भारत के अलावा संघीय शासन वाले तीन देशों की
अवस्थिति बताएँ और उनके नक्शे को रंग से भरें।
उत्तर―
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प्रश्न 3. भारत की संघीय व्यवस्था में बेल्जियम से मिलती-जुलती एक विशेषता और उससे अलग
एक विशेषता को बताइए।
उत्तर―बेल्जियम से मिलती-जुलती व्यवस्था―भारत में संविधान ने मौलिक रूप से दो स्तरीय
शासन व्यवस्था का प्रावधान किया था-संघ सरकार और राज्य सरकारें। केंद्र सरकार को पूरे भारतीय संघ
का प्रतिनिधित्व करना दा और अलग-अलग राज्यों के लिए राज्य सरकारें होंगी। केंद्र और राज्यों के बीच
शक्तियों का बँटवारा संविधान में विषयों की तीन सूचियों के द्वारा कर दिया गया। बेल्जियम में भी केंद्र और
राज्य दो प्रकार की सरकारें हैं और दोनों ही अपने-अपने क्षेत्र में स्वतंत्र हैं।
बेल्जियम से अलग एक विशेषता― केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता का बँटवारा हमारे संविधान
की बुनियादी बात है। अधिकारों के इस बँटवारे में बदलाव करना आसान नहीं है। अकेले संसद इसमें
परिवर्तन नहीं कर सकती। इसके लिए पहले संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पास करना
होगा, फिर कम-से-कम आधे राज्यों की विधानसभाओं से उसे मंजूर करवाना होगा। इसलिए इस विशेषता
को कठोर संविधान कहते हैं। यह संघात्मक शासन के लिए जरूरी है।
 
प्रश्न 4. शासन के संघीय और एकात्मक स्वरूपों में क्या-क्या मुख्य अंतर हैं? इसे उदाहरणों के
माध्यम से स्पष्ट करें।
उत्तर― संघात्मक सरकार―
1. संघात्मक शासन प्रणाली में केन्द्र और राज्यों में शक्तियों का विभाजन होता है।
2. अपनी शक्तियों को प्रयोग में लाने के लिए राज्य न तो केन्द्र के अधीन होते हैं न ही केन्द्र के प्रति
उत्तरदायी; जैसे―भारत।
एकात्मक सरकार―
1. एकतंत्रीय व्यवस्था वाली सरकार में या तो एक ही स्तर पर काम करने वाली सरकार होती है या केन्द्र
सरकार के अधीन कुछ इकाइयाँ होती हैं।
2. केन्द्र सरकार प्रांतीय सरकार को आदेश भी दे सकती है; जैसे―श्रीलंका।
 
प्रश्न 5. 1992 के संविधान संशोधन के पहले और बाद के स्थानीय शासन के दो महत्त्वपूर्ण अंतरों
को बताएँ।
उत्तर―भारत में सत्ता के विकेंद्रीकरण के लिए सभी राज्यों में गाँव के स्तर पर ग्राम पंचायतों और
शहरों में नगरपालिकाओं की स्थापना की गई थी। पर उन्हें राज्य सरकारों के सीधे नियंत्रण में रखा गया था।
इन स्थानीय सरकारों के लिए नियमित ढंग से चनाव भी नहीं कराए जाते थे। इनके पास न तो कोई अधिकार
था न कोई संसाधन।
1992 में संविधान में संशोधन करके लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के तीसरे स्तर को मजबूत बनाया गया।
1. अब स्थानीय स्वशासी निकायों के चुनाव नियमित रूप से कराना संवैधानिक बाध्यता है।
2. निर्वाचित स्वशासी निकायों के सदस्य तथा पदाधिकारियों के पदों में अनुसूचित जातियों, जनजातियों
और पिछड़ी जातियों के लिए सीटें आरक्षित हैं।
3. राज्य सरकारों को अपने राजस्व और अधिकारों का कुछ हिस्सा इन स्थानीय स्वशासी निकायों
देना पड़ता है।
4. कम-से-कम एक-तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
5. हर राज्य में पंचायत और नगरपालिका चुनाव कराने के लिए राज्य चुनाव आयोग नामक स्वतंत्र
संस्था का गठन किया गया है।
इस संशोधन द्वारा स्थानीय स्तर पर शासन को अधिक शक्तिशाली और प्रभावी बनाया गया।
 
प्रश्न 6. रिक्त स्थानों को भरें―
चूँकि अमेरिका ……. तरह का संघ है इसलिए वहाँ सभी इकाइयों को समान अधिकार हैं। संघीय
सरकार के मुकाबले प्रांत……… हैं। लेकिन भारत की संघीय प्रणाली………..की है और यहाँ
कुछ राज्यों को औरों से ज्यादा शक्तियाँ प्राप्त हैं।
उत्तर― चूँकि अमेरीका साथ आकर संघ बनाने की तरह का संघ है इसलिए वहाँ सभी इकाइयों को
समान अधिकार हैं। संघीय सरकार के मुकाबले प्रांत मजबूत है। लेकिन भारत की संघीय प्रणाली होल्डिंग
टूगेदर की है और यहाँ कुछ राज्यों को औरों से ज्यादा शक्तियाँ प्राप्त हैं।
 
प्रश्न 7. भारत की भाषा नीति पर नीचे तीन प्रतिक्रियाएँ दी गई हैं। इनमें से आप जिसे ठीक समझते
हैं उसके पक्ष में तर्क और उदाहरण दें।
संगीता : प्रमुख भाषाओं को समाहित करने की नीति ने राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया है।
अरमान : भाषा के आधार पर राज्यों के गठन ने हमें बाँट दिया है। हम इसी कारण अपनी भाषा के प्रति
सचेत हो गए हैं।
हरीशः इस नीति ने अन्य भाषाओं के ऊपर अंग्रेजी के प्रभुत्व को मजबूत करने भर का काम किया है।
उत्तर―संगीता का कथन अन्य दोनों के कथनों से ठीक है। श्रीलंका नहीं क्योंकि यहाँ पर बहुसंख्यकों
की भाषा को प्रोत्साहन दिया जाता है। भारतीय संविधान देश में बोली जाने वाली सभी प्रमुख भाषाओं को
समानता का अधिकार देता है। यह भाषा-आधारित संघर्ष को रोकता है।
 
प्रश्न 8. संघीय सरकार की एक विशिष्टता है―
(क) राष्ट्रीय सरकार अपने कुछ अधिकार प्रांतीय सरकारों को देती है।
(ख) अधिकार विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच बँट जाते हैं।
(ग) निर्वाचित पदाधिकारी ही सरकार में सर्वोच्च ताकत का उपयोग करते हैं।
(घ) सरकार की शक्ति शासन के विभिन्न स्तरों के बीच बँट जाती है।
उत्तर―(घ) सरकार की शक्ति शासन के विभिन्न स्तरों के बीच बँट जाती है।
 
प्रश्न 9. भारतीय संविधान की विभिन्न सूचियों में दर्ज कुछ विषय यहाँ दिए गए हैं। इन्हें नीचे दी गई
तालिका में संघीय सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची वाले समूहों में लिखें―
(क) रक्षा; (ख) पुलिस; (ग) कृषि; (घ) शिक्षा; (ङ) बैंकिंग; (च) वन; (छ) संचार; (ज) व्यापार;
(झ) विवाह।
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उत्तर―संघीय सूची ― रक्षा, बैंकिंग, संचार।
           राज्य सूची ― पुलिस, कृषि, व्यापार।
          समवर्ती सूची ― शिक्षा, वन, विवाह।
 
प्रश्न 10.नीचे भारत में शासन के विभिन्न स्तरों और उनके कानून बनाने के अधिकार-क्षेत्र के जोड़े
दिए गए हैं। इनमें से कौन-सा जोड़ा सही मेल वाला नहीं है?
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उत्तर―(घ) स्थानीय सरकार
 
प्रश्न 11. सूची I और सूची II में मेल ढूँढें और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही उत्तर चुनें―
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उत्तर― (गा) अ स द ब
 
प्रश्न 12.इन बयानों पर गौर करें―
(अ) संघीय व्यवस्था में संघ और प्रांतीय सरकारों के अधिकार स्पष्ट रूप से तय होते हैं।
(ब) भारत एक संघ है क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकार संविधान में स्पष्ट रूप से दर्ज हैं और
अपने-अपने विषयों पर उनका स्पष्ट अधिकार है।
(स) श्रीलंका में संघीय व्यवस्था है क्योंकि उसे प्रांतों में बाँट दिया गया है।
(द) भारत में संघीय व्यवस्था नहीं रही क्योंकि राज्यों के कुछ अधिकार स्थानीय शासन की इकाइयों में
बाँट दिए गए हैं।
ऊपर दिए गए बयानों में कौन-कौन सही हैं?
(सा) अ, ब और स (रे) अ, स और द, (गा) अ और ब, (मा) ब और सा
 उत्तर―(गा) अ और ब।
 
(ख) अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
                                    बहुविकल्पीय प्रश्न
 
प्रश्न 1. भारत में किस राज्य का अपना स्वतंत्र संविधान है?
(क) नागालैंड
(ख) त्रिपुरा
(ग) अरुणाचल प्रदेश
(घ) जम्मू-कश्मीर
                       उत्तर― (घ) जम्मू-कश्मीर
 
प्रश्न 2. चंडीगढ़ या लक्षद्वीप, राजधानी दिल्ली जैसे क्षेत्रों को क्या कहा जाता है?
(क) स्वतंत्र प्रदेश
(ख) पर्वतीय प्रदेश
(ग) केंद्रशासित प्रदेश
(घ) प्रांतीय प्रदेश
                      उत्तर― (ग) केंद्रशासित प्रदेश
 
प्रश्न 3. पोखरण भारत के किस प्रांत के अंतर्गत आता है?
(क) राजस्थान 
(ख) गुजरात
(ग) मध्य प्रदेश
(घ) पंजाब
               उत्तर― (क) राजस्थान
 
प्रश्न 4. भारतीय संघीय व्यवस्था की सफलता का अधिकारी कौन है?
(क) प्रशासन
(ख) जनता
(ग) व्यवस्था
(घ) भारत का लोकतांत्रिक चरित्र
                                           उत्तर― (घ) भारत का लोकतांत्रिक चरित्र
 
प्रश्न 5. भारत में 2018 में कितने राज्य हैं?
(क) 27 
(ख) 29 
(ग) 40 
(घ) 18
          उत्तर― (ख) 29
 
प्रश्न 6. भारत की राजभाषा क्या है?
(क) हिंदी
(ख) पंजाबी
(ग) अंग्रेजी
(घ) गुजराती
                  उत्तर― (क) हिंदी
 
प्रश्न 7. ग्रामीण स्तर संचालित प्रशासन को क्या कहते हैं?
(क) स्थानीय प्रशासन
(ख) पंचायत
(ग) ग्राम सभा
(घ) ग्रामोदय
                 उत्तर― (क) स्थानीय प्रशासन
 
प्रश्न 8. नगर-निगम के पदाधिकारी को क्या कहते हैं?
(क) जिलाध्यक्ष
(ख) तहसीलदार 
(ग) महापौर
(घ) थानाध्यक्ष
                    उत्तर― (ग) महापौर
 
प्रश्न 9. राजनीति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व ने हमारे लोकतंत्र को
(क) कमजोर किया
(ख) मजबूत किया
(ग) सुन्दर किया
(घ) विकृत किया
                      उत्तर― (ख) मजबूत किया
 
प्रश्न 10.प्रान्तीय प्रशासन का संचालन कौन करता है?
(क) प्रधानमंत्री
(ख) मुख्यमंत्री
(ग) राज्यपाल
(घ) जिलाधिकारी
                        उत्तर― (ख) मुख्यमंत्री
 
                           अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
 
प्रश्न 1. संघ व्यवस्था में सरकार कितने स्तर की होती है?
उत्तर―संघ व्यवस्था के अंतर्गत सरकार दो अथवा दो से अधिक स्तर की होती है।
 
प्रश्न 2. अधिकार क्षेत्र क्या है?
उत्तर―ऐसा क्षेत्र जिस पर किसी का वैधानिक अधिकार हो। उक्त क्षेत्र भौगोलिक सीमा के अंतर्गत
आता है।
 
प्रश्न 3. समवर्ती सूची में क्या विषय आते हैं?
उत्तर―समवर्ती सूची के अंतर्गत शिक्षा, विवाह, वनक्षेत्र, मजदूर संघ, गोद लेना एवं उत्तराधिकार के
विषय आते हैं।
 
प्रश्न 4. भारत में किस राज्य का अपना अलग संविधान है?
उत्तर―भारत में जम्मू-कश्मीर राज्य का अपना अलग संविधान है।
 
प्रश्न 5. पोखरण कहाँ है?
उत्तर―पोखरण राजस्थान में है।
 
प्रश्न 6. भारत में संघीय व्यवस्था की सफलता का श्रेय किसको जाता है?
उत्तर―भारत में संघीय व्यवस्था की सफलता का श्रेय यहाँ लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को जाता है।
 
प्रश्न 7. भारत ने लोकतंत्र की यात्रा कब से आरंभ की?
उत्तर―सन् 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत ने लोकतंत्र के पथ पर अपनी यात्रा आरंभ की।
 
प्रश्न 8. देश में कितने प्रतिशत लोग हिंदी-भाषी हैं?
उत्तर― हमारे देश में 40 प्रतिशत लोग हिंदी-भाषी है।
 
प्रश्न 9. भारत में कितनी भाषाओं को अनुसूचित भाषाओं को स्थान प्राप्त है?
उत्तर― भारत में 22 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का स्थान (अधिकार) प्राप्त है।
 
प्रश्न 10.नगर निगम के पदाधिकारी को क्या कहते हैं?
उत्तर― नगर निगम के पदाधिकारी को महापौर (मेयर) कहते हैं।
 
                                  लघु उत्तरीय प्रश्न
 
प्रश्न 1. एकात्मक शासन व्यवस्था क्या है?
उत्तर― एकात्मक शासन-व्यवस्था में शासन का स्तर एक ही रहता है। शेष समस्त इकाइयाँ उसके
अधीनस्थ कार्य करती हैं। इस व्यवस्था के अंतर्गत केन्द्रीय सरकार प्रांतीय अथवा स्थानीय सरकारों को
आदेश दे सकती है।
 
प्रश्न 2. वित्तीय स्वायत्ता किसे कहते हैं?
उत्तर―देश एवं प्रदेश के विकास हेतु वित्तीय स्वायत्तता निश्चित करने के लिए दोनों स्तर की सरकारों
के लिए राजस्व के स्रोत भिन्न हैं।
 
प्रश्न 3. संघीय प्रशासन में केन्द्र तथा राज्य सरकार सत्ता विभाजन किस प्रकार होता है?
उत्तर―संघीय शासन-व्यवस्था के अंतर्गत सरकार दो अथवा दो से अधिक स्तर की हो सकती है।
अलग-अलग स्तर की सरकारें एक प्रशासन संबंधी क्रिया-कलापों
अपना अलग क्षेत्र है।
 
प्रश्न4. संघीय शासन-व्यवस्था का गठन किस प्रकार होता है?
उत्तर―संघीय शासन-व्यवस्था का गठन समान्य रूप से दो प्रकार से किया जाता है―
1. दो अथवा दो से अधिक स्वतंत्र राष्ट्रों को एक साथ मिलाकर एक नवीन शक्तिशाली इकाई
का गठन
करना।
2. देश की आंतरिक संस्कृति, शिक्षा, भाषा इत्यादि अनेक विविधताओं को दृष्टिगत रखते हुए राज्यों के
गठन करना।
 
प्रश्न 5. संघ सूची के महत्त्वपूर्ण विषय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर― संघ सूची में प्रतिरक्षा विदेशी गतिविधियाँ–बैंकिंग, संचार एवं मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्वपूर्ण
विषय हैं। संपूर्ण भारत में इस प्रकार के विषयों के लिए समान नीतियों की आवश्यकता है। संघ सूची में
वर्णित विषयों के संदर्भ में नियम-निर्माण का अधिकार मात्र केन्द्र प्रशासन को है।
 
प्रश्न 6. राज्य सूची के महत्त्वपूर्ण विषय क्या है?
उत्तर― राज्य सूची में पुलिस, व्यापार, वाणिज्य एवं सिंचाई जैसे महत्त्वपूर्ण विषय प्रांतीय तथा स्थानीय
प्रशासन के अधीनस्थ होते हैं। राज्यसूची से संबधित विषयों के लिए राज्य सरकारें ही कानून पारित कर
सकती हैं।
 
प्रश्न 7. गठबंधन सरकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर―जब किसी एक राजनीतिक दल को बहुमत प्राप्त नहीं होता तो गठबंधन सरकार का निर्माण
किया जाता है। एक से अधिक राजनीतिक दलों द्वारा मिलाकर बनाई गई सरकार को गठबंधन की सरकार
कहते हैं।
 
                              दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
 
प्रश्न 1. भारत में संघीय प्रशासन किस प्रकार कार्य करता है?
उत्तर― संघीय व्यवस्था के सफल क्रियाकलापों के लिए संवैधानिक प्रावधान आवश्यक है किन्तु इतना
ही पर्याप्त नहीं है। भारत संघीय व्यवस्था की सफलता का कारण मात्र संवैधानिक प्रावधान मात्र नहीं अपितु
भारत की संघीय व्यवस्था यहाँ की लोकतांत्रिक राजनीति के चरित्र को मुख्य श्रेय देना चाहिए। इसी भावना
से संघवाद की भावना, देश की विविधताओं का सम्मान तथा साथ-साथ रहने की प्रबल इच्छा से हमारे
जीवन में साझा आदर्श के रूप में सहिष्णुता जाग्रत हुई जिससे एक-दूसरे को जानने-समझने का भाव
विकसित हुआ।
संघीय शासन-व्यवस्था के आधार पर सर्वोच्च सत्ता केन्द्रीय प्राधिकार एवं उसकी विभिन्न आनुषंगिक
इकाइयों के मध्य विभाजित हो जाती है।
संघीय व्यवस्था सामान्यत: दो प्रकार की होती है। इसके अंतर्गत एक सरकार समूचे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व
करती है जो महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यों, निर्णयों के लिए उत्तरदायी होती है। उनके अगले स्तर पर प्रांतीय सरकारें
होती हैं जो शासन के प्रत्येक कार्य को निष्ठापूर्वक करती हैं। सत्ता की इन दोनों की सरकारें अपने-अपने स्थान
पर अपना कार्य सावधानीपूर्वक तथा स्वतंत्रतापूर्वक करती हैं। संघीय शासन व्यवस्था में केन्द्रीय सरकार
प्रांतीय सरकार को कुछ विशेष आदेश देने में असमर्थ होती है। राज्य सरकारों के पास अपनी स्वतंत्र शक्तियां
होती हैं जो स्वतंत्र निर्णय ले सकती हैं। उसे किसी विशेष कार्य हेतु केन्द्रीय सरकार को उत्तर देने की
आवश्यकता नहीं है। दोनों ही प्रकार की सरकारें अपने-अपने स्तर पर जनता के प्रति उत्तरदायी होती हैं।
 
प्रश्न 2. संघीय व्यवस्था की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर―संघीय व्यवस्था एक जटिल किन्तु सफल व्यवस्था है। संघीय व्यवस्था की कुछ
महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नवत् हैं―
1. संघीय व्यवस्था के अंतर्गत सरकार दो अथवा दो से अधिक स्तर की होती है।
2. भिन्न-भिन्न स्तर की सरकारें अपने-अपने अधिकारों के लिए अपने देश के संविधान के अधीन
होती हैं। उनके अधिकार, उनके कर्त्तव्य क्षेत्र संविधान में वर्णित होते हैं। अत: संवैधानिक सरकार
अस्तित्व तथा प्राधिकार की सुरक्षा के प्रति उत्तरदायी होती है।
विभिन्न स्तर की सरकारें एक नागरिक समूह पर शासन करती हैं किन्तु कानून का निर्माण करने,
सुविधाएँ प्रदान करने, कर लेने, अन्य अधिग्रहण तथा प्रशासन संबंधी क्रियाकलापों का
अपना-अपना व्यक्तिगत क्षेत्र है।
4. संविधान के मौलिक प्रावधानों में व्यक्तिगत स्तर पर कोई एक सरकार परिवर्तन नहीं कर सकती।
इस प्रकार के परिवर्तन दोनों स्तरों की सरकारों की परस्पर सहमति तथा अंतर्निर्णयों से ही संभव हो
सकते हैं।
5. देश के संविधान तथा विभिन्न स्तर की सरकारों एवं अधिकारों एवं शक्तियों का विश्लेषण करने का
अधिकार केवल न्यायालयों को ही है। केन्द्र सरकार एवं प्रांतीय सरकार के मध्य सत्ता संबंधी
विवादों के निर्णयों में भी सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है।
6. देश तथा प्रदेश के विकास हेतु वित्तीय स्वायत्तता निश्चित करने के लिए दोनों स्तर की सरकारों के
लिए राजस्व के स्रोत भिन्न-भिन्न हैं।
7. इस प्रकार की संघीय शासन-व्यवस्था के दोहरे उद्देश्य हैं, जो इस प्रकार हैं―
(i) देश की एकता, अखण्डता को अक्षुण्ण रखना तथा उसे प्रगति की ओर अग्रसर करना।
(ii) प्रांत में क्षेत्रीय भाषाओं, क्षेत्रीय संस्कृतियों का पूर्ण सम्मान करना तथा उनकी विविधताओं को
उनके मूलस्वरूप जीवंत रखने का प्रयास करना।
इस प्रकार संघीय-व्यवस्था का गठन तथा उसकी कार्य-प्रणाली दोनों का स्तर सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है।
 
प्रश्न 3. संघीय व्यवस्था का संचालन किस प्रकार होता है?
उत्तर―संघीय व्यवस्था का संचालन भारत जैसे विशाल देश के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। विशेषतः
वहाँ……जहाँ अनेक भाषी, अनेक मतावलंबी, अनेक संस्कृतियों के लोग निवास करते हैं। हमारे देश में
सत्ता की भागीदारी की व्यवस्थाएँ किस प्रकार से हैं? संविधान में मौलिक रूप से दो स्तरीय शासन-व्यवस्था
का प्रावधान किया गया था―
1. संघ सरकार जिसे हम केन्द्र सरकार कहते हैं?
2. प्रांतीय अथवा राज्य सरकारें।
केन्द्र-प्रशासन पहले समूचे भारतीय संघ का प्रतिनिधित्व करता था। कालान्तर में पंचायतों और
नगर- पालिकाओं के रूप में संघीय शासन के एक तृतीय स्तर का भी समावेश किया गया। किसी भी अन्य
संघीय व्यवस्थाओं के समान अपने यहाँ भी तीनों स्तर की शासन-व्यवस्था के व्यक्तिगत अधिकार क्षेत्र हैं।
संविधान में स्पष्ट रूप से केन्द्र तथा राज्य के मध्य विधायक अधिकारों एवं शक्तियों को तीन भागों में
वर्गीकृत किया गया है। यह संचालन व्यवस्था निम्नवत् हैं―
● संघ सूची में प्रतिरक्षा विदेशी गतिविधियाँ―बैकिंग, संचार एवं मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण विषय हैं।
● राज्य सूची में पुलिस, व्यापार, परिणाम, वाणिज्य एवं सिंचाई विषय प्रांतीय और स्थानीय प्रशासन के
अधीन होते हैं।
● समवर्ती सूची के अंतर्गत शिक्षा, विवाह, वनक्षेत्र, मजदूर संघ, गोद लेना एवं उत्तराधिकार के अन्य
विषय जो केन्द्र सरकार एवं प्रांतीय सरकार की सम्मिलित सूची में आते हैं। असमंजस जैसी स्थिति
उत्पन्न हो जाए तो केन्द्र सरकार द्वारा निर्मित कानून ही संचालित होते हैं।
 
प्रश्न 4. केन्द्र तथा राज्य के संबंध की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
उत्तर―केन्द्रीय प्रशासन तथा प्रांतीय प्रशासन दोनों ही एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। सत्ता की
साझेदारी की संवैधानिक व्यवस्था का वास्ताविक रूप शासक दल तथा उनकी व्यवस्था के अनुसरण पर
निर्भर करता है। हमारे देश में बहुत लम्बे समय तक एक ही दल का शासन रहा। इसके अतिरिक्त अनेक
प्रांतों में भी उसी दल का शासन रहा। इसका व्यावहारिक अर्थ यह हुआ कि राज्य सरकारों ने स्वायत्त संघीय
इकाई के रूप में अपनी शक्तियों एवं अधिकारों का पूर्ण प्रयोग नहीं किया। केन्द्र तथा प्रांत में अलग-अलग
प्रशासन चयनित हुए तो केन्द्र प्रशासन ने प्रांतीय प्रशासन के हितों की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया। तत्कालीन
व्यवस्था में केन्द्र प्रशासन ने प्रांतीय प्रशासन के हितों की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया। तत्कालीन
व्यवस्था में केन्द्र सरकार बहुधा संवैधानिक प्रावधानों का दुरुपयोग करके विपक्षी दल की सरकारों
को भंग कर देती थी।
यह कार्य संघवाद के सर्वथा विपरीत था। 1990 के पश्चात् से इस प्रकार की स्थिति में सुधार आया। इस
अवधि में देश के अनेक राज्यों में अनेक क्षेत्रीय दलों का उदय हुआ। यही काल केन्द्र में गठबंधन सरकार
का आरंभिक काल था। तात्कालिक परिस्थितियों में किसी दल को जनता ने स्वीकार नहीं किया अतः प्रमुख
राष्ट्रीय दलों ने क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर सरकार का गठन किया। इससे सत्ता में भागीदारी तथा
राज्य सरकारों की स्वायत्तता के सम्मान करने की भावना की संस्कृति का उदय हुआ। इस प्रवृत्ति को सर्वोच्च
न्यायालय के एक महत्त्वपूर्ण निर्णय से बल प्राप्त हुआ। इस निर्णय के आधार पर राज्य सरकार को मनमाने
ढंग से भंग करना केन्द्र सरकार के लिए असंभव हो गया। इस प्रकार आज की संघीय व्यवस्था के अंतर्गत
सत्ता की भागीदारी का संविधान पारित होने के तुरंत पश्चात् के कार्यकाल से अधिक प्रभावमय है। अत:
केन्द्र तथा राज्यों के संबंधों में निरंतर आते हुए परिवर्तनों से स्पष्ट होता है कि व्यवहार में संघवाद किस
प्रकार सुदृढ़ हुआ है।
 
प्रश्न 5. भारत में विकेन्द्रीकरण का स्वरूप क्या है?
उत्तर―भारत जैसे विशाल एवं विवधताओं से परिपूर्ण देश के लिए संघीय सत्ता की भागीदारी को तीन
स्तरों के विभाजन की आवश्यकता है। इसके अंतर्गत तृतीय स्तर स्थानीय प्रशासन होना चाहिए, जो कि प्रांत
प्रशासन के अधीन कार्यरत हो। भारत में सत्ता के विकेन्द्रीकरण का यही आधार है, जिसके फलस्वरूप तीन
स्तरों की सरकार का संघीय रूप स्पष्ट होता है।
जब केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार से शक्तियाँ लेकर स्थानीय प्रशासन को प्रदान कर दी जाती हैं तो इसे
सत्ता का विकेन्द्रीकरण कहते हैं। इस प्रक्रिया के मूल में मुख्य विचार यह है कि अनेक समस्याओं का
समाधान स्थानीय स्तर पर ही उचित प्रकार से हो सकता है। लोगों को अपने-अपने क्षेत्र की जानकारी होती
है, इसलिए वह जानते हैं कि धन कितना किस मद में खर्च हुआ। उसका सदुपयोग अथवा दुरुपयोग किन
अर्थों में हुआ। स्थानीय प्रशासन की स्थापना स्वशासन के जनतांत्रिक सिद्धांत को वास्तविक रूप देने का
सबसे श्रेष्ठ एवं सुगम माध्यम है।
विकेन्द्रीकरण की आवश्यकता भारतीय संविधान में भी स्वीकार की गई है। तत्पश्चात् ग्राम एवं नगर स्तर पर
सत्ता के विकेन्द्रीकरण के अनेक प्रयास हुए। समस्त राज्यों में ग्रामीण स्तर पर ग्राम पंचायतों तथा शहरों में
नगरपालिकाओं की स्थापना की गई। इनका नियंत्रण राज्य सरकारों द्वारा किया जाता था।
विकेंद्रीकरण का वास्तविक रूप 1992 में परिलक्षित हुआ।
संविधान को संशोधित करके लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के इस तृतीय पग को अधिक प्रभावशाली एवं
सशक्त बनाया गया―
● वर्तमान समय में स्थानीय स्वशासी निकायों के चुनाव नियमित रूप से करवाना संवैधानिक बाध्यता है।
● चुनावों द्वारा निर्वाचित स्वशासित निकायों के सदस्यों तथा पदाधिकारियों के पदों में अनुसूचित जातियों,
अनुसूचित जनजातियों तथा पिछड़ी जातियों के लिए स्थान आरक्षित हैं।
● इस व्यवस्था के अनुसार एक-तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
● प्रत्येक प्रांत में पंचायत एवं नगरपालिका चुनाव कराने हेतु राज्य चुनाव आयोग नामक स्वतंत्र संस्था का
गठन किया गया है।
किन्तु इन सबके बाद भी अनेक समस्याएँ अभी भी अपने स्थान पर अचल हैं। आशा है कि हम स्वशासन के
आदर्श रूप को प्राप्त करेंगे। संभव है भविष्य उज्ज्वल होगा।

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