UP Board Class 10 Political Science | लोकतंत्र और विविधता

By | April 25, 2021

UP Board Class 10 Political Science | लोकतंत्र और विविधता

UP Board Solutions for Class 10 sst Political Science Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता

अध्याय 3.                      लोकतंत्र और विविधता
 
                           अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर
 
(क) एन०सी०ई० आर०टी० पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1. सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम तय करने वाले तीन कारकों की चर्चा करें।
उत्तर―सामाजिक विभाजनों की राजनीति का परिणाम तीन कारकों पर निर्भर करता है-
1. लोगों में अपनी पहचान के प्रति आग्रह की भावना―यदि लोग स्वयं को सबसे विशिष्ट और
अलग मानने लगते हैं तो उनके लिए दूसरों के साथ तालमेल बैठाना बहुत मुश्किल हो जाता है। यदि
लोग अपनी बहुस्तरीय पहचान के प्रति सचेत हैं और उन्हें राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा या सहयोगी
मानते हैं तब कोई समस्या नहीं होती; जैसे―बेल्जियम के लोगों में भाषायी विभिन्नता के बावजूद वे
अपने को बेल्जियाई ही मानते हैं। इससे उन्हें देश में साथ-साथ रहने में मदद मिलती है। भारत में भी
लोग स्वयं को पहले भारतीय मानते हैं फिर किसी प्रदेश, क्षेत्र या धार्मिक, सामाजिक समूह का
सदस्य।
 
2. राजनीतिक दलों की भूमिका―दूसरा महत्त्वपूर्ण तत्त्व है कि किसी समुदाय की मांँगों को
राजनीतिक दल कैसे उठा रहे हैं। संविधान की सीमाओं में आने वाली और दूसरे समुदाय को
नुकसान न पहुँचाने वाली माँगों को मान लेना आसान है। श्रीलंका में केवल सिंहलियों के लिए ही
काम करने की नीति तमिल समुदाय की पहचान और हितों के खिलाफ थी।
 
3. सरकार का रुख―सरकार इन मांगों पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करती है, यह महत्त्वपूर्ण है। यदि
शासन सत्ता में साझेदारी करने को तैयार हो और अल्पसंख्यक समुदाय की उचित माँगों को पूरा
करने का प्रयास ईमानदारी से किया जाए तो सामाजिक विभाजन मुल्क के लिए खतरा नहीं बनते।
यदि शासन राष्ट्रीय एकता के नाम पर किसी ऐसी माँग को दबाना शुरू कर देता है तो अक्सर उल्टे
और नुकसानदेह परिणाम ही निकलते हैं। ताकत के दम पर एकता बनाने की कोशिश विभाजन की
ओर ले जाती है।
इस प्रकार लोकतंत्र में सामाजिक विभाजन की राजनीतिक अभिव्यक्ति एक सामान्य बात है और यह एक
स्वस्थ राजनीति का लक्षण भी हो सकता है। राजनीति में विभिन्न तरह के सामाजिक विभाजनों की
अभिव्यक्ति ऐसे विभाजनों के बीच संतुलन पैदा करने का काम भी करती है। इस स्थिति में लोकतंत्र मज़बूत
ही होता है।
 
प्रश्न 2. सामाजिक अंतर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेते हैं?
उत्तर―हर सामाजिक भिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नहीं लेती। सामाजिक अंतर लोगों के बीच
बँटवारे का एक बड़ा कारण ज़रूर होता है किंतु यही अंतर कई बार अलग-अलग तरह के लोगों के बीच
पुल का काम भी करती है। सामाजिक विभाजन तब होता है जब कुछ सामाजिक अंतर दूसरी अनेक
विभिन्नताओं से ऊपर और बड़े हो जाते हैं। अमेरिका में श्वेत और अश्वेत का अंतर एक सामाजिक विभाजन
भी बन जाता है क्योंकि अश्वेत लोग आमतौर पर गरीब हैं, बेघर हैं, भेदभाव के शिकार हैं। हमारे देश में भी
दलित आमतौर पर गरीब और भूमिहीन हैं। उन्हें भी अक्सर भेदभाव और अन्याय का शिकार होना पड़ता है।
जब एक तरह का सामाजिक अंतर अन्य अंतरों से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बन जाता है और लोगों को यह महसूस
होने लगता है कि वे दूसरे समुदाय के हैं तो इससे एक सामाजिक विभाजन की स्थिति पैदा होती है।
 
प्रश्न 3. सामाजिक विभाजन किस तरह से राजनीति को प्रभावित करते हैं? दो उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर― सामाजिक विभाजन और राजनीति का मेल काफी खतरनाक और विस्फोटक हो सकता है।
लोकतंत्र में विभिन्न राजनीतिक दलों में प्रतिद्वन्द्विता का माहौल होता है। इस प्रतिद्वन्द्विता के कारण कोई भी
समाज फूट का शिकार बन सकता है। यदि राजनीतिक दल इन विभाजनों के हिसाब से राजनीतिक होड़
करने लगें तो इससे सामाजिक विभाजन राजनीतिक विभाजन में बदल जाएगा। ऐसा कई देशों में हो चुका है;
जैसे―आयरलैंड इसका एक उदाहरण है। यह ग्रेट ब्रिटेन का एक हिस्सा है। इसमें काफी समय तक हिंसा,
जातीय कटुता रही है। यहाँ की मुख्य आबादी ईसाई है किंतु उनमें से 53 फीसदी आबादी प्रोटेस्टेंट है जबकि
44 फीसदी रोमन कैथोलिक। कैथोलिकों का प्रतिनिधित्व नेशनलिस्ट पार्टियाँ करती हैं। उनकी मांँग है कि
उत्तरी आयरलैंड को आयरलैंड गणराज्य के साथ मिलाया जाए। प्रोटेस्टेंट लोगों का प्रतिनिधित्व यूनियनिस्ट
पार्टियाँ करती हैं जो ग्रेट ब्रिटेन के साथ ही रहने के पक्ष में हैं। 1998 में ब्रिटेन की सरकार और नेशनलिस्टों
के बीच शांति समझौता हुआ। जिसमें दोनों पक्षों ने हिंसक आंदोलन बंद करने की बात की।
यूगोस्लाविया भी इसका एक उदाहरण है। वहाँ धार्मिक और जातीय विभाजन के आधार पर शुरू हुई
राजनीतिक होड़ में यूगोस्लाविया कई टुकड़ों में बँट गया।
इन उदाहरणों से लगता है कि किसी देश में यदि सामाजिक विभाजन है तो उसे राजनीति में अभिव्यक्त नहीं
होने देना चाहिए। किंतु राजनीति में सामाजिक विभाजन की हर अभिव्यक्ति फूट पैदा नहीं करती। लोकतंत्र में
राजनीतिक दलों के लिए सामाजिक विभाजनों की बात करना तथा विभिन्न समुदायों की उचित माँगों और
जरूरतों को पूरा करने वाली नीतियाँ बनाना भी इसी कड़ी का हिस्सा है। अधिकतर देशों में मतदान के
स्वरूप और सामाजिक विभाजनों के बीच एक प्रत्यक्ष संबंध दिखाई देता है। इसके तहत एक समुदाय के
लोग आमतौर पर किसी एक दल को दूसरों के मुकाबले ज्यादा पसंद करते हैं और उसी को वोट देते हैं। कई
देशों में ऐसी पार्टियाँ हैं जो सिर्फ एक ही समुदाय पर ध्यान देती हैं और उसी के हित में राजनीति करती हैं पर
इन सबकी परिणति देश के विखंडन में नहीं होती।
 
प्रश्न 4. ………सामाजिक अंतर गहरे सामाजिक विभाजन और तनावों की स्थिति पैदा करते
हैं।……..सामाजिक अंतर सामान्य तौर पर टकराव की स्थिति तक नहीं जाते।
उत्तर― अन्य अन्तरों से महत्त्वपूर्ण सामाजिक अंतर गहरे सामाजिक विभाजन और तनावों की स्थिति
पैदा करते हैं। सभी तरह के सामाजिक अन्तर सामान्य तौर पर टकराव की स्थिति तक नहीं जाते।
 
प्रश्न 5. सामाजिक विभाजनों को संभालने के संदर्भ में इनमें से कौन-सा बयान लोकतांत्रिक
व्यवस्था पर लागू नहीं होता?
(क) लोकतंत्र में राजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता के चलते सामाजिक विभाजनों की छाया राजनीति पर भी
पड़ती है।
 
(ख) लोकतंत्र में विभिन्न समुदायों के लिए शांतिपूर्ण ढंग से अपनी शिकायतें ज़ाहिर करना संभव है।
(ग) लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों को हल करने का सबसे अच्छा तरीका है।
(घ) लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों के आधार पर समाज को विखंडन की ओर ले जाता है।
उत्तर―(घ) लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों के आधार पर समाज को विखंडन की ओर ले जाता है।
 
प्रश्न 6. निम्नलिखित तीन बयानों पर विचार करें―
(अ) जहाँ सामाजिक अंतर एक-दूसरे से टकराते हैं वहाँ सामाजिक विभाजन होता है।
(ब) यह संभव है कि एक व्यक्ति की कई पहचान हों।
(स) सिर्फ भारत जैसे बड़े देशों में ही सामाजिक विभाजन होते हैं।
इन बयानों में से कौन-कौन से बयान सही हैं?
(क) अ, ब और स; (ख) अ और ब; (ग) ब और स; (घ) सिर्फ स।
उत्तर―(ख) अ और ब सही हैं।
 
प्रश्न 7. निम्नलिखित बयानों को तार्किक क्रम से लगाएँ और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही
जवाब ढूँढ़ें―
(अ) सामाजिक विभाजन की सारी राजनीतिक अभिव्यक्तियाँ खतरनाक ही हों, यह जरूरी नहीं है।
(ब) हर देश में किसी-न-किसी तरह के सामाजिक विभाजन रहते ही हैं।
(स) राजनीतिक दल सामाजिक विभाजनों के आधार पर राजनीतिक समर्थन जुटाने का प्रयास करते
हैं।
(द) कुछ सामाजिक अंतर सामाजिक विभाजनों का रूप ले सकते हैं।
(क) द, ब, स, अ; (ख) द, ब, अ, स; (ग) द, अ, स, ब; (घ) अ, ब, स, दा
उत्तर―(ख) द, ब, अ, सा
 
प्रश्न 8. निम्नलिखित में किस देश को धार्मिक और जातीय पहचान के आधार विखंडन का सामना
करना पड़ा?
(क) बेल्जियम, (ख) भारत, (ग) यूगोस्लाविया, (घ) नीदरलैंड।
                                                                 उत्तर―(ख) भारत।
 
प्रश्न 9. मार्टिन लूथर किंग जूनियर के 1963 के प्रसिद्ध भाषण के निम्नलिखित अंश को पढ़ें। वे
किस सामाजिक विभाजन की बात कर रहे हैं? उनकी उम्मीदें और आशंकाएँ क्या-क्या थीं?
क्या आप उनके बयान और मैक्सिको ओलंपिक की उस घटना में कोई संबंध देखते हैं
जिसका जिक्र इस अध्याय में था?
“मेरा एक सपना है कि मेरे चार नन्हें बच्चे एक दिन ऐसे मुल्क में रहेंगे जहाँ उन्हें चमड़ी के रंग के आधार
पर नहीं, बल्कि उनके चरित्र के असल गुणों के आधार पर परखा जाएगा। स्वतंत्रता को उसके असली रूप
में आने दीजिए। स्वतंत्रता तभी कैद से बाहर आ पाएगी जब यह हर बस्ती, हर गाँव तक पहुँचेगी, हर राज्य
और हर शहर में होगी और हम उस दिन को ला पाएँगे जब ईश्वर की सारी संतानें-अश्वेत स्त्री-पुरुष, गोरे
लोग, यहूदी तथा गैर-यहूदी, प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक-हाथ में हाथ डालेंगी और इस पुरानी नीग्रो प्रार्थना को
गाएँगी-‘मिली आजादी, मिली आजादी! प्रभु बलिहारी, मिली आजादी!’ मेरा एक सपना है कि एक दिन
यह देश उठ खड़ा होगा और अपने वास्तविक स्वभाव के अनुरूप कहेगा, “हम इस स्पष्ट सत्य को मानते हैं
कि सभी लोग समान हैं।”
उत्तर―किंग जूनियर मार्टिन लूथर अपने भाषण में रंगभेद के आधार पर हुए सामाजिक विभाजन की
बात कर रहे हैं। उनको आशा थी कि एक ऐसे देश को, समाज को निर्मित किया जाए जो व्यक्ति उनके रंग के
आधार पर नहीं बल्कि उनके गुणों के आधार पर परखे। उनका कहना था कि हम असली स्वतंत्रता तभी प्राप्त
कर पायेंगे जब हम जाति, धर्म, रंग और नस्ल के बंधनों से मुक्त हो सकेंगे। हम तभी स्वतंत्र कहलाएँगे जब
देश के सभी लोगों को बिना किसी भेदभाव के एकसमान समझा जाएगा।
उनका बयान मैक्सिको ओलम्पिक की घटना से सम्बन्धित है। इस घटना के द्वारा भी रंगभेद के विरोध में
आवाज उठाई गई है तथा इनके भाषण में रंगभेद को गलत बताया गया है। दोनों ही घटनाएँ भिन्न-भिन्न
तरीके से रंगभेद का विरोध कर रही हैं।
 
(ख) अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
                                  बहुविकल्पीय प्रश्न
 
प्रश्न 1. काले दस्ताने और बंधी मुठ्ठियाँ किसकी प्रतीक थीं?
(क) क्रोध की
(ख) शान्ति की
(ग) अश्वेत शक्ति की
(घ) खुशी की
                 उत्तर―(ग) अश्वेत शक्ति की
 
प्रश्न 2. पीटर नार्मन किस देश से संबंधित थे?
(क) ब्रिटेन
(ख) अमेरिका
(ग) बेल्जियम
(घ) ऑस्ट्रेलिया
                    उत्तर― (घ) ऑस्ट्रेलिया
 
प्रश्न 3. स्मिथ तथा कार्लोस कौन थे?
(क) अमेरिकी
(ख) श्रीलंकाई
(ग) एफ्रो-अमेरिकी
(घ) भारतीय
                  उत्तर― (ग) एफ्रो-अमेरिकी
 
प्रश्न 4. अमेरिका सामाजिक विभाजन के कारण कौन थे?
(क) अमीर और गरीब
(ख) आधुनिक तथा रूढ़िवादी
(ग) श्वेत और अश्वेत
(घ) इनमें से कोई नहीं
                             उत्तर― (ग) श्वेत और अश्वेत
 
प्रश्न 5. उत्तरी आयरलैंड तथा नीदरलैंड………देश हैं।
(क) ईसाई बहुल 
(ख) हिन्दू बहुल 
(ग) इस्लाम बहुल 
(घ) सिक्ख बहुल
                        उत्तर―(क) ईसाई बहुल
 
प्रश्न 6. आज दुनिया के बहुत-से देश……….हो गए हैं।
(क) आधुनिक
(ख) खेल-प्रेमी
(ग) बहु-सांस्कृतिक 
(घ) छोटे
              उत्तर― (ग) बहु-सांस्कृतिक
 
प्रश्न 7. सामाजिक विभाजनों की राजनीति का परिणाम कितनी चीजों पर निर्भर करता है?
(क) चार 
(ख) सात
(ग) तीन
(घ) दो
        उत्तर― (ग) तीन
 
प्रश्न 8. लोकतंत्र का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
(क) विविधता को समाहित करना
(ख) विभिन्नता के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखना
(ग) समरूप समाज बनाने का प्रयास करना
(घ) ये सभी
                उत्तर―(घ) ये सभी
 
                                   अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
 
प्रश्न 1. पीटर नार्मन ने पुरस्कार समारोह में दोनों अश्वेत धावकों के प्रति अपना समर्थन किस प्रकार
जताया ?
उत्तर―पीटर नार्मन ने पुरस्कार समारोह में अपनी टी-शर्ट पर मानवाधिकार का बिल्ला लगाकर
दोनों अश्वेत धावकों के प्रति अपना समर्थन जताया।
 
प्रश्न 2. सैन हौज स्टेट यूनिवर्सिटी ने अपने पुरातन छात्रों का अभिनन्दन किस प्रकार किया?
उत्तर―सैन हौज स्टेट यूनिवर्सिटी ने अपने इन होनहार पुरातन छात्रों का अभिनन्दन किया तथा
विश्वविद्यालय परिसर में उनकी मूर्ति लगवाई।
 
प्रश्न 3. कौन-कौन से सामाजिक समूह जन्म के आधार पर नहीं होते?
उत्तर―हमारे व्यवसाय, अध्ययन, खेल तथा सांस्कृतिक गतिविधियाँ जन्म के आधार पर नहीं होती।
 
प्रश्न 4. अश्वेत लोग भेदभाव का शिकार क्यों होते हैं?
उत्तर―सामान्यत: अश्वेत लोग निर्धन हैं, बेरोजगार हैं, आवासहीन हैं इसलिए भेदभाव का शिकार हैं।
 
प्रश्न 5. उत्तरी आयरलैंड तथा नीदरलैंड किस प्रकार के देश हैं?
उत्तर―उत्तरी आयरलैंड तथा नीदरलैंड ईसाई बाहुल्य देश हैं।
 
प्रश्न 6. ईसाई धर्म के लोग किन दो समूहों में बँटे हुए हैं?
उत्तर―ईसाई धर्म के लोग प्रोटेस्टेंट तथा कैथोलिक दो समूहों में विभाजित हैं।
 
प्रश्न 7. लोकतंत्र में राजनीतिक दलों का वातावरण कैसा होता है?
उत्तर―लोकतंत्र में विभिन्न राजनीतिक दलों में प्रतिद्वंद्विता का वातावरण बना रहता है।
 
प्रश्न 8. ब्रिटेन में नेशनलिस्ट पार्टी किस वर्ग का समर्थन कर रही थी?
उत्तर―ब्रिटेन में नेशनलिस्ट पार्टी कैथोलिक वर्ग का समर्थन कर रही थी।
 
प्रश्न 9. यूनियनिस्टों एवं नेशनलिस्टों में किस प्रकार समझौता हुआ?
उत्तर―ब्रिटेन सरकार ने यूनियनिस्टों तथा नेशनलिस्टों में शान्तिवार्ता कराकर समझौता किया।
 
प्रश्न 10. समाज की सर्वश्रेष्ठ स्थिति क्या होती है?
उत्तर― राष्ट्रीय एकता का सकारात्मक दृष्टिकोण समाज की सर्वश्रेष्ठ स्थिति होती है।
 
प्रश्न 11. सामाजिक विभाजनों तथा मतदान के स्वरूप में सम्बन्ध किस प्रकार दिखाई देते हैं?
उत्तर― अधिकांश देशों में मतदान के स्वरूप तथा सामाजिक विभाजनों के मध्य प्रत्यक्ष सम्बन्ध दिखाई
देता है।
 
प्रश्न 12.अश्वेत लोगों के आत्मगौरव का प्रतीक क्या है?
उत्तर―काला मफलर अश्वेत लोगों के आत्मगौरव का प्रतीक है।
 
                                        लघु उत्तरीय प्रश्न
 
प्रश्न 1. अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक संघ ने कार्लोस तथा स्मिथ से उनके पदक क्यों वापिस ले लिए?
उत्तर― टॉमी स्मिथ तथा जॉन कालोस ऐफ्रोअमेरिकी (अश्वेत) धावक हैं, जो अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक
संघ में स्वर्ण तथा कांस्य पदक विजेता थे। पुरस्कार वितरण समारोह में इन दोनों खिलाड़ियों ने अपने
हाव-भाव तथा प्रतीकों के माध्यम से रंगभेद के प्रति अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करने का
प्रयास किया। अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक संघ ने कार्लोस और स्मिथ के इस प्रदर्शन को ओलम्पिक भावना के
विपरीत बताया, उन्हें दोषी करार दिया तथा उनसे उनके पदक वापिस ले लिए।
 
प्रश्न 2. नस्ल और रंग के आधार पर भेदभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर― अधिकाँश यूरोपीय भागों में श्वेत तथा अश्वेत का भेदभाव पनपता है। श्वेत लोग अश्वेत लोगों
को हेय दृष्टि से देखते हैं। एशियाई भागों में नस्ल के आधार पर जातीय भेदभाव परिलक्षित होता है।
 
प्रश्न 3. प्रत्येक सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप क्यों नहीं लेती ?
उत्तर―हम अपनी सांस्कृतिक गतिविधियाँ, अपना व्यवसाय, जन्म के आधार पर नहीं स्वेच्छा से चयन
करते हैं। इस प्रकार ये सामाजिक विभिन्नताएँ, सामाजिक विभाजन का रूप नहीं लेती।
 
प्रश्न 4. अधिकांश समाजों में किस प्रकार विभाजन होता है?
उत्तर―अधिकांश समाजों में व्यक्ति के जन्म के आधार पर सामाजिक विभाजन होता है?
 
प्रश्न 5. समरूप समाज क्या है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर―समरूप समाज जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि एक ऐसा समाज जिसमें सामुदायिक
सांस्कृतिक अथवा जातीय विभिन्नताएँ अधिक गहन नहीं होती।
 
प्रश्न 6. उत्तरी आयरलैंड में किन-किन दलों के मध्य टकराव की स्थिति बनी रहती थी?
उत्तर― उत्तरी आयरलैंड एक लम्बे समय तक हिंसा, जातीय कटुता तथा राजनीतिक टकराव की स्थिति
में रहा। यह एक ईसाई बाहुल्य क्षेत्र है किन्तु प्रोटेस्टेंट तथा कैथोलिक दोनों वर्गों में टकराव की स्थिति बनी
रहती थी। प्रोटेस्टेंट का समर्थन यूनियनिस्ट दल करते हैं तथा कैथोलिक समुदाय को नेशनलिस्ट दल का
समर्थन प्राप्त है। इसी कारण दोनों दलों में संघर्ष की स्थिति बनी रहती थी।
 
प्रश्न 7. विभिन्नताओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण किस प्रकार अपनाया जा सकता है ?
उत्तर― सामाजिक विभिन्नताओं का ताना-बाना एक-दूसरे के साथ बुना जाता है, तो विपुल, अथाह
पृष्ठभूमि तैयार हो जाएगी। इन सभी विभिन्नताओं में सामंजस्य स्थापित कर अपनाना विभिन्नताओं के प्रति
सकारात्मक दृष्टिकोण है।
 
                                          दीर्घउत्तरीय प्रश्न
 
प्रश्न 1. सन् 1968 में मैक्सिको सिटी के ओलंपिक पदक समारोह में स्मिथ एवं कार्लोस के विरोध
प्रदर्शन की व्याख्या अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर―1968 में मैक्सिको नगर में ओलंपिक प्रतियोगिता समारोह में अमेरिका का राष्ट्रगान चल रहा
था। दोनों अश्वेत ऐफ्रोअमेरिकी धावक टॉमी स्मिथ तथा जॉन कार्लोस ने क्रमश: स्वर्ण तथा कांस्य पदक
प्राप्त किया था। दोनों खिलाड़ियों ने जूते नहीं पहने थे, अपितु केवल मौजे ही पहनकर इन्होंने अश्वेत के
आत्मगौरव का प्रतीक काला मफलर पहना था तथा कार्लोस ने शहीद हुए अश्वेत लोगों की स्मृति में काले
मोतियों की माला पहनी थी। अपने इन हाव-भावों से तथा इन प्रतीकों से इन दोनों खिलाड़ियों ने रंगभेद के
प्रति अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया। काले दस्तानों में बँधी हुई मुट्ठियाँ
अश्वेत शक्ति का परिचायक थीं। रजत पदक विजेता ऑस्ट्रेलियाई धावक पीटर नार्मन ने पुरस्कार समारोह
में अपनी टी-शर्ट पर मानवाधिकार का बिल्ला लगाकर इन दोनों अमेरिका धावकों के प्रति अपना समर्थन
प्रकट किया।
अन्तर्राष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने कार्लोस और स्मिथ के इस प्रदर्शन को ओलंपिक भावना के विपरीत बताया
तथा उन्हें दोषी करार दिया गया तथा उनसे पदक वापिस ले लिए गए। नार्मन को आगामी ओलंपिक में टीम
से बाहर का रास्ता दिखा दिया, किन्तु इस प्रकार के प्रदर्शन के अमेरिका के नागरिक अधिकार आंदोलन के
प्रति विश्व का ध्यान आकर्षित हुआ।
 
प्रश्न 2. सामाजिक भेदभाव की उत्पत्ति किस प्रकार होती है ?
उत्तर―सामान्यत: व्यक्ति के जन्म के आधार पर सामाजिक विभाजन होता है। अपने समुदाय का चयन
किसी के भी वश में होता है। अपने जन्म तथा पालन-पोषण के आधार पर हम स्वयं किसी विशेष समूह के
सदस्य हो जाते हैं, क्योंकि हमारा जन्म उसी समुदाय में हुआ।
सभी प्रकार के विभाजन मात्र जन्म के आधार पर नहीं होते, कुछ विभाजन हमारी पसंद तथा हमारे चयन पर
भी आधारित होते हैं। साधारणतया अपने अध्ययन के विषय में हम अपनी योग्यताओं तथा व्यक्तिगत रुचि के
आधार पर चयन करते हैं। इसके अतिरिक्त हम अपना व्यवसाय हमारे खेल, हमारी गतिविधियाँ इत्यादि का
चुनाव स्वेच्छा से करते हैं। इस सबके आधार पर जिन सामाजिक समूहों का निर्माण होता है, वह जन्म
के आधार पर नहीं होता।
अधिकार देखा जाता है कि एक धर्म के अनुयायी स्वयं को एक ही समूह का सदस्य नहीं समझते। उनकी
जाति एवं पंथ भिन्न होते हैं। एक परिवार के कुछ लोग धनी होते हैं, कुछ निर्धन। उनके सम्बन्ध उनकी
आर्थिक स्थिति पर निर्भर करते हैं। हमारी पहचान एक से अनेक समूहों के मध्य हो जाती है। वास्तव में
प्रत्येक सन्दर्भ में हमारी पहचान का व्यक्तिगत स्वरूप होता है।
 
प्रश्न 3. सामाजिक विभिन्नताओं में किस प्रकार सामंजस्य किया जा सकता है?
उत्तर―सामाजिक विभाजन की स्थिति में कुछ सामाजिक अन्तर अनेक अन्य विभिन्नताओं में और
अधिक ऊपर हो जाते हैं। अमेरिका में श्वेत तथा अश्वेत का अन्तर एक बड़ा सामाजिक विभाजन भी बन
गया। सामान्यतः अश्वेत लोग निर्धन, बेरोजगार, आवासहीन तथा सामाजिक भेदभाव का शिकार होते हैं।
भारत में दलित वर्ग निर्धन तथा भूमिहीन हैं। उन्हें भी भेदभाव तथा अन्याय का निशाना बनना पड़ रहा है। जब
एक ही प्रकार का सामाजिक अन्तर अन्य असमानताओं से अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है तो लोगों को
सामुदायिक विभिन्नताएँ ज्ञात होने लगती हैं। इनसे सामाजिक विभाजन की स्थिति उत्पन्न होती है। यदि
सामाजिक असमानताएँ अनेक समूहों में समान रूप से उपस्थित हों तो फिर समूहों की व्यक्तिगत पहचान
बनाना कठिन हो जाता है। जब सामाजिक विभिन्नताओं का ताना-बाना एक-दूसरे के साथ बुना जाता है तो
अथाह सामाजिक विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार होती है। जहाँ ये सामाजिक विभिन्नताएँ एक साथ कई समूहों
में विद्यमान होती हैं वहाँ उसे सहेजना सरल हो जाता है।
वर्तमान समय में अधिकांश समाजों में अनेक प्रकार के विभाजन दृष्टिगोचर होते हैं। देश की भौगोलिक सीमा
से कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। भारत एक बड़ा देश है जिसमें अनेक समुदायों के लोग रहते हैं। बेल्जियम
एक छोटा देश है, वहाँ भी अनेक समुदायों के लोग रहते हैं। जर्मनी, स्वीडन जैसे समरूप समाज में
अधिकांश जनता एक ही नस्ल तथा संस्कृति से सम्बन्धित है किन्तु विश्व के अनेक भागों से आवागमन के
कारण तीव्रता से परिवर्तन हो रहा है। ऐसे लोग स्वयं तो वहाँ के निवासी बनते ही हैं तथा अपनी सभ्यता
संस्कृति को प्रसारित भी करते हैं। उनमें अपना व्यक्तिगत समुदाय बनाने की प्रवृत्ति जाग्रत होती है। इसी
कारण आज दुनिया के अधिकांश देश अब बहु-सांस्कृतिक धनी देश हो गये हैं।
 
प्रश्न 4. सामाजिक विभाजन राजनीति को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
उत्तर― सामाजिक विभाजन राजनीति को प्रभावित करते हैं। प्रथम दृष्टव्य तो ऐसा प्रतीत होता है कि
राजनीतिक तथा सामाजिक विभाजनों का कोई सम्बन्ध नहीं किन्तु लोकतंत्र में विभिन्न राजनीतिक दलों में
प्रतिद्वंद्विता का वातावरण बना रहता है। इस प्रक्रिया के कारण समाज आपसी अंतर्द्वद्व का शिकार हो सकता
है। यदि राजनीतिक दल समाज में स्थित विभाजनों के जोड़-तोड़ वाले राजनीतिक कार्य करने लगे तो
सामाजिक विभाजन का स्थान ग्रहण कर लेंगे। ऐसे में देश विखंडित हो सकता है जैसे कि अनेक देशों में भी
हो चुका है। प्रत्येक सामाजिक विभाजन राजनीति विभाजन का प्रतिरूप नहीं होते।
सर्वविदित है कि विश्व के प्रत्येक देश में किसी-न-किसी प्रकार सामाजिक विभाजनों की स्थिति बन ही
जाती है। ऐसे विभाजनों का स्वरूप चाहते हुए भी राजनीतिक ढंग में ढल जाता है। लोकतंत्र में राजनीतिक
दलों के लिए सामाजिक विभाजनों में रुचि लेना, विभिन्न समूहों से अलग वायदे करना तथा उसमें अपनी पैठ
बिठाना राजनीतिक दलों के लिए स्वाभाविक बात है।
 
प्रश्न 5. सामाजिक विभाजनों की राजनीति के तीन आयाम क्या है?
उत्तर―सामाजिक विभाजनों की राजनीति तीन आयामों पर आधारित है, जिसका सबसे पहला तथ्य है
कि व्यक्ति विशेष समूह, समुदाय अथवा सम्प्रदाय को और से भिन्न मान लेता है। वह स्वयं को विशिष्ट
समझकर अपनी पहचान के प्रति अधिक सचेत रहता है। जिसमें दूसरों के साथ वह असहज अनुभव करने
लगता है। जब तक आयरलैंड के निवासी स्वयं सिर्फ प्रोटेस्टेंट अथवा कैथोलिक के दृष्टिकोण से देखेंगे,
उनका शान्त होना सम्भव नहीं होता। यदि लोग अपनी बहुस्तरीय पहचान के प्रति सचेत हों तो स्वयं की
पहचान अपने राष्ट्र की पहचान के साथ बना लें। बेल्जियम के लोग चाहे फ्रेंच-भाषी हों, डच-भाषी हो
अथवा जर्मनी-भाषी हों, स्वयं को बेल्जियाई ही समझते हैं। यह व्यापक दृष्टिकोण उन्हें साथ-साथ रहने में
सहायता करता है। हम लोग स्वयं को पहले भारतीय, फिर प्रदेश, क्षेत्र, भाषा, समूह तथा किसी धर्म तथा
सामाजिक समुदाय का सदस्य समझते हैं।
द्वितीय महत्त्वपूर्ण तथ्य है कि किसी समुदाय की मांगों को जब किसी राजनीतिक दल द्वारा उठाया जाता है।
इस प्रकार की माँगों को मानना तभी सरल होता है जब तक वह माँगें संविधान के नियमों के अन्तर्गत आती
हैं, जिससे किसी अन्य समूह के स्वाभिमान तथा हितों पर कोई आँच नहीं आती। श्रीलंका में “श्रीलंका केवल
सिंहलियों के लिए” की माँग श्रीलंका निवासी तमिल समुदाय के हितों के विरुद्ध थी। यूगोस्लाविया में
विभिन्न समुदायों के नेताओं ने अपने-अपने जातीय समूहों की ओर से ऐसी माँगें रखीं जिन्हें देश की सीमा के
अन्तर्गत पूर्ण करना असम्भव था।
तृतीय तथ्य है―सरकार का दृष्टिकोण। समुदायों की मांगों पर सरकार का क्या दृष्टिकोण है? सरकार इन
पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करती तथा क्या निर्णय लेती है? यह भी महत्त्वपूर्ण है। यदि राष्ट्रीय एकता के नाम
पर किसी समूह अथवा संगठन की न्यायोचित माँग को बलपूर्वक दबाना आरम्भ कर दें तो उसके परिणाम
अत्यंत घातक सिद्ध होते हैं। सत्ता शक्ति के आधार एकता बनाए रखने का प्रयत्न विभाजन को अधिक समय
तक दबाया नहीं जा सकता। इतिहास साक्षी है कि ऐसी अनेक घटनाएँ जो संघर्ष से ऊपर उठकर समाधान का
मार्ग खोजती हैं उनका विविधता को समाहित करने तथा लोकतंत्र के हितार्थ कार्य करने का सर्वश्रेष्ठ
माध्यम है।

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